जान लीजिए, भारत और अमेरिका के एक बयान के बाद फिर मुश्किल में पाकिस्तान,
एक बार फिर से फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की लटकी तलवार
अमेरिका और भारत के एक बयान से पाकिस्तान मुश्किल में पड़ गया है। पड़ोसी देश पर एक बार फिर से फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की तलवार लटक गई है। दरअसल भारत और अमेरिका ने 23 जून को एक संयुक्त बयान जारी कर पाकिस्तान से मांग की थी कि उसके नियंत्रण वाले किसी भी क्षेत्र का इस्तेमाल सीमा पार आतंकवादी हमले के लिए नहीं किया जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने पाकिस्तान से 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए हमले और पठानकोट हमले के अपराधियों को दंडित करने का भी आह्वान किया।
दोनों देशों के संयुक्त बयान में FATF का भी जिक्र था। भारत और अमेरिका ने फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स से कहा कि वह अपने धन-शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण के मानकों को और सख्त करे। गुरुवार को राष्ट्रपति जो बाइडन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच व्हाइट हाउस की बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने एफएटीएफ से मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण को लेकर अपने नियम और सख्त करने को कहा है।
जिंदा हो गया था मरा हुआ साजिद मीर
पाकिस्तानी समाचार वेबसाइट द डॉन ने अटलांटिक काउंसिल, वाशिंगटन के दक्षिण एशियाई स्कॉलर उजैर यूनुस के हवाले से लिखा है कि यह (संयुक्त बयान) पाकिस्तान के लिए चिंता का कारण होना चाहिए क्योंकि "इस बात के सबूत हैं कि जब-जब एफएटीएफ की ओर से दबाव डाला गया है, तब-तब पाकिस्तान को इस तरह की विशिष्ट मांगें माननी पड़ी हैं।" उजैर यूनुस ने साजिद मीर मामले का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 2021 के अंत में, "मरा हुआ साजिद मीर जिंदा हो गया था" क्योंकि तब भी पाकिस्तान को इसी तरह के दबाव का सामना करना पड़ा था। साजिद मीर एफबीआई की मोस्ट वांटेड आतंकवादियों की सूची में था और मुंबई हमलों के सिलसिले में अमेरिका और भारत दोनों को उसकी तलाश थी। दरअसल पाकिस्तानी अधिकारियों ने पूर्व में दावा किया था कि मीर की मृत्यु हो गई, लेकिन पश्चिमी देशों ने उसकी मृत्यु का प्रमाण मांगा। पिछले साल के अंत में वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) द्वारा कार्य योजना पर पाकिस्तान की प्रगति के आकलन में यह मुद्दा एक प्रमुख बाधा बन गया। मीर को 2022 में पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों ने गिरफ्तार किया और बाद में दोषी ठहराया।
बयान में खुलकर लिया पाक का नाम
‘डॉन’ अखबार की वाशिंगटन से जारी एक खबर में कहा गया है कि भारत-अमेरिका के संयुक्त बयान में प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई का आह्वान किया गया है। संयुक्त बयान में बृहस्पतिवार को कहा गया, ‘‘अमेरिका और भारत वैश्विक आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए एक साथ खड़े हैं और आतंकवाद के सभी रूपों की स्पष्ट रूप से निंदा करते हैं।’’ रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति बाइडन ने सीमा पार आतंकवाद की कड़ी निंदा की और पाकिस्तान से यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कार्रवाई करने का आह्वान किया कि उसके नियंत्रण वाले किसी भी क्षेत्र का इस्तेमाल आतंकवादी हमलों के लिए नहीं किया जाए
दोनों देशों के साझा बयान में खुफिया जानकारी साझा करने और कानून एजेंसियों के बीच सहयोग स्थापित करने को लेकर भी सहमति बनी है। इससे पाकिस्तान पर भारत सरकार द्वारा घोषित आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव बढ़ा है। पाकिस्तानी-अमेरिकी विद्वान शुजा नवाज ने कहा, "इसका मतलब यह है कि अमेरिका अब खुद को भारत के साथ जोड़ रहा है ताकि पाकिस्तान पर उन समूहों के खिलाफ जरूरी कार्रवाई करने के लिए दबाव डाला जा सके जिन्हें अतीत में शरण या संरक्षण प्राप्त हुआ है।"
भारत की मांग का समर्थन
यूनुस ने कहा कि अमेरिका का संदेश "लंबे समय से स्पष्ट है कि उन आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करें, जिन्होंने पाकिस्तानी धरती पर सुरक्षित पनाहगाह पाई है, विशेष रूप से लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े और मुंबई और पठानकोट में आतंकवादी हमलों के लिए जिम्मेदार आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करें।" यह पूछे जाने पर कि अमेरिका भारत की मांग का समर्थन क्यों कर रहा है, उन्होंने कहा: "अमेरिका का इस मांग का समर्थन करने का एक लंबा इतिहास है, और वैध कारणों से है क्योंकि अमेरिकी नागरिकों की भी वहां मृत्यु हुई है।" संयुक्त बयान में इस बात पर जोर दिया गया कि अमेरिका और भारत "वैश्विक आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए एक साथ खड़े हैं और सभी रूपों और हर तरह के आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद की स्पष्ट रूप से निंदा करते हैं।"
Jun 24 2023, 15:10