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जुलाई के प्रथम सप्ताह में एक दिन में 35 करोड़ पौधे रोपे जाएंगे : सीएम योगी


लखनऊ । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सोमवार को दो दिवसीय नेशनल क्लाइमेट कॉन्क्लेव प्रारंभ हुआ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन भूपेंद्र यादव ने उद्घाटन किया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पर्यावरण के क्षेत्र में यूपी में हो रहे कार्यों को रखा और कहा कि प्रदेश में जुलाई के प्रथम सप्ताह में एक दिन में 35 करोड़ पौधे रोपे जाएंगे। वहीं, केंद्रीय मंत्री यादव ने उम्मीद जताई कि कॉन्क्लेव के जरिये पर्यावरण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए क्षमता का निर्माण होगा।

हरित विषयों पर चर्चा होगी। इसको लेकर वैधानिक सुधार (लीगल रिफॉर्म) की आवश्यकता भी रेखांकित की जाएगी। इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में कॉन्क्लेव के उद्घघाटन सत्र में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारतीय परंपरा सदैव से पर्यावरण हितैषी रही है। धरती हमारी मां है और जिसके प्रति अपने दायित्यों के निर्वहन का हरसंभव प्रयास करना होगा।

एक तरफ विकास आज की आवश्यक्ता है, तो पर्यावरण और प्रकृति के प्रति दायित्वों से भी हम मुक्त नहीं हो सकते। मनुष्य ने प्रकृति का अतिदोहन करके जिन दुष्परिणामों को आमंत्रित किया है, आज हम सब उसके भुक्तभोगी बन रहे हैं। असमय अतिवृष्टि के रूप में हम इसके दुष्परिणामों को देख रहे हैं।

चुनाव आयोग ने रालोद से छीना राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा


लखनऊ । विधानसभा चुनाव में आठ सीटें जीतने वाली राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह को बड़ा झटका लगा है। भारत निर्वाचन आयोग ने राष्ट्रीय लोकदल की पार्टी से उत्तर प्रदेश से राज्य स्तर की पार्टी का दर्जा छीन लिया है।

बता दें कि वर्तमान में राष्ट्रीय लोकदल पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी हैं, जबकि पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव गिरीश चौधरी हैं। इस पार्टी की स्थापना पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बेटे पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजीत सिंह ने की थी।

वहीं, राष्ट्रीय लोकदल पार्टी से उत्तर प्रदेश से राज्य स्तर का दर्जा छीनने के बाद पश्चिमी यूपी के समर्थकों को बड़ा झटका लगा है। चुनाव आयोग के इस फैसले से रालोद कार्यकर्ताओं के चेहरों पर मायूसी छा गई हैं।

बता दें कि साल 2022 में राष्ट्रीय लोकदल पार्टी ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया था। रालोद ने सपा से गठबंधन करते हुए 33 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से आठ सीटों पर विजय प्राप्त की थी।

खुलासा: कई नगर निकायों में अधिक आबादी होने के बाद भी पिछड़ी जाति को 27 प्रतिशत आरक्षण नहीं दिया गया था


लखनऊ । निकाय चुनाव के लिए पिछड़े वर्ग की संख्या की गणना कराने के लिए नगर विकास विभाग द्वारा कराए गए रैपिड सर्वे में कई नगर निकायों में अधिक आबादी होने के बाद भी पिछड़ी जाति को 27 प्रतिशत आरक्षण नहीं दिया गया था। इसका खुलासा उप्र राज्य स्थानीय निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट में किया गया है। इसमें यह भी कहा गया है कि नगर निगम में तो 25.58 प्रतिशत आरक्षण ही ओबीसी को मिला है, जबकि कई नगर पालिका व नगर पंचायत में आबादी अधिक होने के बावजूद पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण नहीं दिया गया।

हाईकोर्ट के निर्देश पर नगर विकास विभाग ने सोमवार को पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दिया है। इसे नगर विकास विभाग की वेबसाइट https://urbandevelopment.up.nic.in पर देखा जा सकता है। रिपोर्ट में पेज संख्या 120 पर आयोग ने जिलों में किए गए दौरे के दौरान मिली शिकायतों का हवाला देते हुए लिखा है कि आरक्षण की चक्रीय व्यवस्था में तमाम खामियां सामने आई हैं। शासन द्वारा 5 दिसंबर को जारी प्रस्तावित आरक्षण के लिए कराए गए रैपिड सर्वे और चक्रानुक्रम व्यवस्था पर भी आयोग ने सवाल उठाए हैं। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का कई बार जिक्र किया है कि आयोग के सदस्य जिस भी जिले में दौरे पर गए।

हर जिले में आरक्षण के रोटेशन पर लोगों ने सवाल उठाए। कोई भी ऐसा निकाय नहीं था, जहां इस तरह की आपत्तियां न उठाई गई हों। रिपोर्ट में कहा गया है कि जिलों के दौरे के दौरान आयोग ने पाया कि प्रयागराज, हरदोई, महराजगंज, बिजनौर, महाराजगंज, समेत तमाम निकायों में महापौर और अध्यक्ष की सीटों के आरक्षण में आबादी को नजरअंदाज किया गया है। बहुत से निकाय प्रमुखों की सीटें लगातार कई चुनाव से एक ही वर्ग के लिए आरक्षित होती आ रही हैं। इन सीटों पर एक बार भी पिछड़ों को प्रतनिधित्व नहीं दिया गया है। जबकि, बहुत सी सीटों पर पिछड़ों की आबादी 50 फीसदी से अधिक है। रिपोर्ट में पेज संख्या 120 पर आयोग ने साफ तौर पर कहा है कि दौरे में कई ऐसे शहरी निकायों के बारे में जानकारी मिली है कि वहां पर चार-पांच चुनावों से सीटें अनारक्षित ही रखी गई हैं।

यूपी में लगातार बढ़ रहा कोविड संक्रमण, 62 जिले में मरीज मरीज


लखनऊ । यूपी में कोविड संक्रमण लगातार बढ़ रहा है। 62 जिले में लगातार कोविड मरीज मिल रहे हैं। संक्रमण की दर 1.62 फीसदी हो गई है। यह दर दो फीसदी से अधिक होने पर हाई अलर्ट घोषित किया जाएगा।

तीन अप्रैल तक सिर्फ 15 जिलों में लगातार कोविड संक्रमित मिल रहे थे। जबकि अन्य जिलों में कहीं एक तो कहीं दो मरीज मिल रहे थे। इस तारीख तक एक्टिव केस सिर्फ 543 थे। पांच अप्रैल को यह संख्या बढ़कर 842 हो गई।

वहीं, 10 अप्रैल कोविड संक्रमितों की संख्या 1282 पहुंच गई है। वर्तमान में कोविड के एक्टिव केस 65 जिले में हो गए हैं। इसमें 28 जिले में एक्टिव केस 10 से अधिक हैं। इसी तरह संक्रमण की दर 1.62 फीसदी है।

माफिया अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता या उसके परिवार के किसी भी सदस्य को चुनाव नहीं लड़ाया जाएगा : मायावती


लखनऊ । बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा है कि काफी सस्पेंस और लंबे इंतजार के बाद नगर निकाय चुनाव की घोषणा स्वागतयोग्य है, पर चुनाव निष्पक्ष होने चाहिए। सरकारी पक्षपात और अनुचित दखलअंदाजी नहीं होनी चाहिए। वह सोमवार को पार्टी के प्रदेश कार्यालय में मीडियाकर्मियों से बातचीत कर रही थीं।

बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि माफिया अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता या उसके परिवार के किसी भी सदस्य को चुनाव नहीं लड़ाया जाएगा। उमेश पाल हत्याकांड में अतीक की पत्नी का नाम आने पर अब स्थिति बदल गई है। शाइस्ता को पार्टी में रखा जाएगा या नहीं, इसका फैसला उसके पुलिस गिरफ्त में आने के बाद जो तथ्य सामने आएंगे, उसके आधार पर लिया जाएगा। मायावती ने कहा कि बसपा कानून से ऊपर नहीं है। वह कानून का पूरा सम्मान करती है। गौरतलब है कि बसपा ने पूर्व में शाइस्ता को प्रयागराज से महापौर का प्रत्याशी घोषित किया था।

उन्होंने कहा कि सरकारी जोड़-तोड़ के कारण इस चुनाव में एससी-एसटी, ओबीसी और महिलाओं के लिए जो आरक्षण की व्यवस्था की गई है, उसमें कई नियमों को ताक पर रखा गया है। नगर निगम में चुनाव ईवीएम की बजाय बैलेट पेपर से कराए जाने चाहिए। उन्होने यह भी कहा कि बसपा मजबूती से यह चुनाव लड़ेगी।

बसपा सुप्रीमो ने कहा कि भाजपा के लोग भी सपा की तरह ही इस चुनाव को चुनौतीपूर्ण मानकर जिस प्रकार के हथकंडे अपनाने में लगे हैं, वह अनुचित है। अब भाजपा और आरएसएस का पसमांदा मुस्लिम समाज का नया शिगूफा सामने आया है। सही बात यह है कि मुस्लिम समाज के प्रति भाजपा की घातक नीयत किसी से छिपी नहीं है। कांग्रेस व सपा की पिछली सरकारों और अब भाजपा सरकार की गलत नीतियों के कारण पूरा प्रदेश ही पसमांदा बन गया है। उन्होंने कहा कि भाजपा के मिथ्या प्रचारों, लुभावने वादों व भड़काऊ भाषणों से सभी को सावधान रहना होगा।

निकाय चुनाव : पालीथिन से बनी चुनाव सामग्री पूरी तरह से रहेगा प्रतिबंधित


लखनऊ । नगरीय निकाय चुनाव में प्रचार के दौरान प्लास्टिक, पॉलिथीन से बनी चुनाव सामग्री के प्रयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा। निर्वाचन आयोग ने इस बाबत निर्देश जारी किए हैं। कहा है कि सभी दल इसका ध्यान रखें और निर्वाचन अधिकारी भी इस पर अंकुश लगाएं।

चुनावी प्रचार में धुआंधार ढंग से पोस्टर, बैनर लगाए जाते हैं। कई बार प्रत्याशी पॉलिथीन या प्लास्टिक से बने पोस्टर, बैनर छपवाते हैं क्योंकि ये सस्ते होते हैं और टिकाऊ भी। उधर सिंगल यूज प्लास्टिक और पॉलिथीन पर प्रतिबंध लग चुका है। ऐसे में निर्वाचन आयोग ने कहा है कि इसका किसी भी सूरत में प्रयोग न किया जाए। साथ ही किसी का भी पुतला लेकर चलने, इसे फूंकने पर भी पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा। खास तौर पुलिस और प्रशासनिक टीमें इस पर ध्यान रखेंगी।

प्रचार के दौरान इनका नहीं होगा प्रयोग

चुनाव के दौरान उम्मीदवार किसी भी सरकारी वायुयान या सरकारी वाहन का प्रयोग नहीं कर सकेंगे। न ही प्रचार में जाने वाले नेता सरकारी वाहनों का इस्तेमाल कर पाएंगे। आयोग ने इस बाबत निर्देश दिया है और कहा है कि खास तौर पर मंत्री अपने सरकारी दौरों को चुनाव प्रचार से नहीं जोड़ेंगे।

*भाजपा महिला मोर्चा ने मनाया समरसता सप्ताह*

बाराबंकी।भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा ने राष्ट्रीय एवम् प्रदेश नेतृत्व के आह्वान पर सामाजिक समरसता सप्ताह मनाया।सोमवार को शहर के बाल्मिकी नगर पार्क में अनुसूचित वर्ग की महिलाओं संग अन्न सहभोज कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमे काफी संख्या में महिलाओं ने हिस्सा लिया।

जिला पंचायत अध्यक्ष राजरानी रावत ने महर्षि बाल्मीकि की प्रतिमा पर माल्यार्पण करके उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने नारी सशक्तिकरण के लिए अनेकों योजनाएं लागू की हैं।उन्होंने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, पीएम आवास,उज्ज्वला योजना,शौचालय निर्माण, सुकन्या समृद्धि योजना,फ्री सिलाई मशीन योजना,समर्थ योजना सहित महिलाओं को समर्पित तमाम योजनाओं की विस्तार से जानकारी दी।

बताया कि भाजपा ने भारतीय इतिहास में पहली बार अनुसूचित जन जाति वर्ग की महिला द्रौपदी मुर्मू को देश के सर्वोच्च पद पर बैठाया।उन्होंने मोदी सरकार के मंत्रिमंडल में 11 महिलाओं को मंत्री बनाए जाने का जिक्र करते हुए भाजपा को नारी सशक्तिकरण का सच्चा हिमायती बताया। महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष रामेश्वरी त्रिवेदी ने सभी का आभार ज्ञापित किया।

इस अवसर पर उर्मिला रावत, प्रमिला रावत, जिला उपाध्यक्ष रचना उपाध्यक्ष , जिला महामंत्री संदीप गुप्ता , अरविंद मौर्य, पंकज गुप्ता, महिला मोर्चा की नगर अध्यक्ष प्रियंका पाठक, हर्षिका रस्तोगी गुंजन शर्मा, सृष्टि शर्मा ,कंचन श्रीवास्तव सुमनलता पांडे ,संजू बाजपेई,प्रेम, सुनील मिश्रा, महेंद्र , पवनेन्द्र ,पवन सहित काफी संख्या में स्थानीय महिलाएं मौजूद रही।

प्लम्बर ने लगाई फांसी


लखनऊ। तालकटोरा सरीपुरा अशोक विहार में बीती देर रात प्लम्बर ने पंखे के कुण्डे में शर्ट बांधकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

अशोक विहार निवासी राम सजीवन (32) प्लम्बिंग का करता है और पिछले काफी समय से मानसिक रूप से बीमार चल रहा था। बीती देर रात राम सजीवन पंखे के कुण्डे में शर्ट बांधकर फांसी लगा ली। मामले की जानकारी राम सजीवन की पत्नी सरोजा ने पुलिस को दी। मौके पर पहुंची पुलिस छानबीन में जुट गई । पुलिस के मुताबिक राम सजीवन नशे का आदि था।

पशुपालन भी बन सकता है किसानों की एक बड़ी आय का जरिया: धर्मपाल सिंह


लखनऊ।उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन करने वाले 145 दुग्ध उत्पादकों को पुरस्कृत किया गया। प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने सोमवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित समारोह में वर्ष 2020-21 के 53 एवं वर्ष 2021-22 के 59 दुग्ध उत्पादकों को गोकुल पुरस्कार और वर्ष 2021-22 के 33 जनपद स्तरीय दुग्ध उत्पादकों को नन्दबाबा पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर पराग की ब्रान्डिंग के लिए टी-शर्ट एवं कप का अनावरण भी किया गया। साथ ही पीसीडीएफ द्वारा पराग ब्रांड के दुग्ध एवं दुग्ध उत्पादों को पूरे प्रदेश में उपभोक्ताओं तक आर्डर डिलीवरी करने वाले 5 पराग मित्रों को प्रचार-प्रसार सामग्री भी वितरित की गई।

गोकुल पुरस्कार के अंतर्गत लखीमपुर-खीरी जनपद निवासी एवं वेलवा मोती समिति के श्री वरूण सिंह को प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया। बदायूं के रहने वाले कुऑं डांडा दुग्ध समिति के श्री हरविलास सिंह को द्वितीय पुरस्कार मिला है। इन दोनों दुग्ध उत्पादकों को वर्ष 2020-21 एवं वर्ष 2021-22 में सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन के लिए सम्मानित किया गया। नंदबाबा पुरस्कार के तहत मथुरा निवासी भूड़ासानी दुग्ध समिति के हरेन्द्र सिंह को राज्य स्तरीय पुरस्कार प्रदान किया गया।

इस अवसर पर धर्मपाल सिंह ने कहा कि पुरस्कार एक विधा है और हमारी प्राचीन सभ्यता का हिस्सा भी है। गाय ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक स्वावलंबन का आधार हैं। देसी गायों के नस्ल के संरक्षण को प्रोत्साहित किया जा रहा है। ब्रीड़िग में बदलाव कर दो किलो दूध देने वाली देसी गाय 20 किलो दूध देगी, ऐसा प्रयास बरेली में किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पराग में पशुपालकों के सहयोग की बहुत आवश्यकता है। सरकार दुग्ध उत्पादकों को समयबद्ध भुगतान सुनिश्चित करायेगी।

श्री सिंह ने कहा कि प्रदेश में दुग्ध सहकारिता के माध्यम से पशुपालन एवं दुग्ध व्यवसाय को कृषि के सहयोगी व्यवसाय के रुप में अपनाया जा रहा है। इसमें 70 से 80 प्रतिशत भूमिहीन, लघु एवं सीमान्त कृषकों की सहभागिता है। वर्तमान में दुग्ध व्यवसाय शहरी एवं ग्रामीण स्तर पर स्वरोजगार का सशक्त माध्यम बन चुका है। यह किसानों और पशुपालकों की आय दोगुना करने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में अपनी बड़ी भूमिका का निर्वहन कर रहा है। श्री सिंह ने सभी विजेताओं को बधाई दी और कहा कि 33 महिला लाभार्थियों को पुरस्कार प्राप्त हुआ है जो दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में महिलाओ की भागीदारी का एक सशक्त उदाहरण है। उन्होंने कहा कि दूध प्रोसेसिंग की कमियों को दूर करने, किसानों को प्रशिक्षण देने एवं दुग्ध उत्पादन में नई तकनीक व नई जानकारी देने का कार्य विभाग द्वारा किया जा रहा है, जिससे प्रति पशु दुग्ध उत्पादकता में वृद्धि होगी।

अपर मुख्य सचिव, पशुधन एवं दुग्ध विकास, डा रजनीश दूबे ने कहा कि उत्तर प्रदेश दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में देश में प्रथम स्थान पर है और प्रति पशु उत्पादकता को बढ़ाने की दिशा में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। दुग्ध उत्पादकों के हित में प्रदेश सरकार द्वारा विभिन्न कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं, जिसमें क्रत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम का लाभ तथा तकनीकी निवेश की सुविधा दुग्ध उत्पादकों को उनके द्वार पर ही उपलब्ध करायी जा रही है तथा पशु प्रजनन, पोषण एवं प्रबन्धन का प्रशिक्षण भी उपलब्ध कराया जा रहा है। मोबाइल बेटनरी यूनिट द्वारा पशुओं की त्वरित चिकित्सा की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।

अपर मुख्य सचिव डॉ0 रजनीश जी ने कहा कि दुग्ध विकास विभाग को 33 हजार करोड़ रूपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। उप्र दुग्धशाला विकास एवं दुग्ध उत्पाद प्रोत्साहित नीति-2022 के अंतर्गत प्रदेश में स्थापित होने वाले दुग्ध उद्योग की इकाईयों को वित्तीय अनुदान, रियायतें एवं अन्य सुविधायें प्रदान की जा रही हैं, जिससे प्रदेश का दुग्ध विकास कार्यक्रम नित नवीन उचाईयों को प्राप्त कर सकेगा।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में सहकारिता के माध्यम से दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2001-02 में प्रदेश सरकार द्वारा गोकुल पुरस्कार वितरण की व्यवस्था को प्रारम्भ किया गया था। इसके अन्तर्गत प्रत्येक जिले में सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन करने वाले एक दुग्ध उत्पादक को नकद पुरस्कार के साथ पीतल धातु पर गाय के साथ दूध पीता हुआ बछड़ा व श्रीकृष्ण की मूर्ति प्रतीक चिन्ह के रूप में प्रदान की जाती है जिसमें प्रदेश स्तर पर प्रथम स्थान पाने वाले रू0 2.00 लाख, द्वितीय पुरस्कार रू0 1.50 लाख एवं जिला स्तर पर रू0 51000 की पुरस्कार धनराशि प्रदान की जाती है। अत्यन्त हर्ष का विषय है कि आज के इस कार्यक्रम मे वित्तीय वर्ष 2020-21 के 53 लाभार्थियो को एवं वित्तीय वर्ष 2021-22 के 59 लाभार्थियों को गोकुल पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है।

वर्ष 2018 से भारतीय गोवंश की गाय के दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में सर्वाधिक दूध, दुग्ध समिति को देने वाले दुग्ध उत्पादक को राज्य स्तरीय, जनपद में जिला स्तरीय एवं विकास खण्ड में विकास खण्ड स्तरीय नन्दबाबा पुरस्कार का शुभारम्भ किया गया है जिसमें पीतल की धातु से निर्मित भारतीय गोवंश की गाय के साथ दूध पीता हुआ बछडा व नन्दबाबा की मूर्ति प्रतीक चिन्ह एवं प्रमाण पत्र के साथ ही विकास खण्ड स्तर पर  5100 रुपये, जनपद स्तर पर  21000 रुपये एवं राज्य स्तर पर 51000 रुपये की धनराशि प्रदान की जाती है।

इस अवसर पर दुग्ध आयुक्त, श्री शशि भूषण लाल सुशील, पीसीडीएफ के प्रबन्ध निदेशक, कुणाल सिल्कू, विशेष सचिव दुग्ध विकास विभाग राम सहाय यादव, दुग्ध संघों के निर्वाचित अध्यक्षगण,एवं दुग्ध संघो के अधिकारी व कर्मचारी भी उपस्थित थे।

शिक्षकों ने की जनरल बॉडी मीटिंग, कुलपति ने नहीं की शिक्षकों के साथ बैठक, आज नहीं हुए इंटर्नल, न हुई सेमिनार पेपर परीक्षा


लखनऊ।डॉ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्व विद्यालय में विभागाध्यक्ष डॉ एपी सिंह की अध्यक्षता में शिक्षकों की एक आम बैठक आयोजित की गई। सहमति बनी कि कुलसचिव अनिल मिश्रा के ई-मेल के माध्यम से प्रशासन द्वारा किए गए।

अनुरोध (सेवा मामलों के मुद्दे पर शिक्षकों द्वारा चल रहे विरोध को बंद करने के लिए) पर विचार विमर्श किया जाए जिससे उनके द्वारा विश्व विद्यालय में आगामी परीक्षा सहयोग के सम्बन्ध में निर्णय लिया जा सके ।

शिक्षकों ने कहा कि वे आगामी 17 और 18 अप्रैल 2023 को निर्धारित परीक्षा में सहयोग करेगें एवं प्रैक्टिकल, इंटर्नल और सेमिनार पेपर प्रेजेंटेशन 16 अप्रैल तक समाप्त कराएंगे। वे 11 अप्रैल से प्रैक्टिकल शुरू करेंगे। हालांकि उन्होंने एक शर्त रखी है कि यदि उपरोक्त 17 तारीख को 43वीं कार्यकारी परिषद की बैठक के बाद 17 की देर शाम को उनकी पदोन्नत स्थिति का ज्वाइनिंग लेटर नहीं मिला, तो वे आगामी परीक्षा में सहयोग नहीं करेंगे।

साथ ही एक अन्य नोट पर वे इस बात पर सहमत हुए कि यदि सेवाओं के नियमितीकरण/स्थाईकरण के मुद्दे पर गंभीरता से विचार नहीं किया गया तो शिक्षक 18अप्रैल और आगामी परीक्षाओं में सहयोग नहीं कर पाएंगे।

शिक्षकों का कहना है कि रजिस्ट्रार स्वयं उत्तर प्रदेश सचिवालय, उच्च शिक्षा विभाग, के साथ पत्राचार करें और उसके बाद संबंधित उक्त विकास शिक्षकों को विभागाध्यक्ष के माध्यम से सूचित करते रहेंगे, साथ ही स्थाई करण से संबंधित शासन से किए गए पत्राचार की पिछले दस दिनों की रिपोर्टिंग करेंगे। पिछले दस दिनों में इस मुद्दे पर क्या विकास हुआ है, रजिस्ट्रार महोदय शिक्षकों को इसकी जानकारी दें अन्यथा 18 अप्रैल से वे अपना विरोध प्रदर्शन तेज करेंगे।

प्रशासन को शिक्षकों के विरोध के संबंध में अपनाए गए लचीले रुख को केवल छात्रों के कल्याण और भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए लिए गए फैसले को समझना होगा और उनके फैसले को सम्मान देना होगा। उनका रुख आंशिक रूप से लचीला है लेकिन पहले के तर्कों के अनुसार उनकी स्थिति वही है। स्थाईकरण के मुद्दे पर यदि रजिस्ट्रार द्वारा शासन से उचित कार्यवाही का विवरण नहीं प्राप्त होता है तो वे 18अप्रैल से उग्र प्रदर्शन करेगें।