धार्मिक पर्यटन पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी से का समापन
लखनऊ। विश्वविद्यालय के अटल बिहारी वाजपेई सभागार में पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से आयोजित किया गया। इस समारोह की मुख्य अतिथि पद्मश्री मालिनी अवस्थी तथा विशिष्ठ अतिथि उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ परिषद के उपाध्यक्ष सेवानिवृत आईपीएस अधिकारी शैलजाकांत मिश्रा ने दीप प्रज्ज्वलित करके कार्यक्रम की शुरुआत की। मंच पर विवि के कुलपति के प्रतिनिधि के तौर पर प्रोफेसर राणा प्रताप सिंह, विश्वविद्यालय की सीईओ प्रोफेसर सुनीता मिश्रा, प्रोफेसर कुशेंद्र मिश्रा और डॉ तरुणा जी उपस्थित थीं।
कार्यक्रम की सचिव डॉ तरुणा ने मालिनी अवस्थी और शैलजा कांत मिश्रा का हार्दिक अभिनंदन करते हुए कहा कि हम भारतीय लोग सांस्कृतिक रूप से अत्यंत ही संपन्न हैं। हम लोग सर्वशक्तिमान में विश्वास करते हैं। कोरोना ने हमको सीखा दिया है कि प्रकृति में परिवर्तन होना निश्चित है। उन्होंने कार्यक्रम में हुई चर्चाओं का जिक्र करते हुए बताया कि इन चर्चाओं में उत्तर प्रदेश में पर्यटन को बढ़ाने, रोजगार पैदा करने और उत्तर प्रदेश को समृद्ध प्रदेश बनाने पर चर्चा हुई। उन्होंने बताया कि मीडिया की धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने में क्या भूमिका हो सकती है इस विषय पर भी हमारे एक सत्र में चर्चा की गई।
विशिष्ठ अतिथि शैलजाकांत मिश्रा ने अपने उद्बोधन में कहा कि धर्म शब्द बहुत विशाल है। यदि हम लोग धर्म का सूत्र पकड़ ले तो पर्यटन शब्द छोट पड़ जायेगा। इस सूत्र को जानने के बाद भारत दर्शन को जानने के लिए अपने आप ही भीड़ लग जायेगी। भारत की कोर में ही सिर्फ धर्म है। श्री मिश्रा ने कहा कि यदि हम राजनीति और रुपए के पीछे दौड़ते रहे तो सब कुछ खो देंगे। हमें धर्म ही धारण करना होगा। सत्यनिष्ठ और सद्भाव से भरा व्यक्ति ही धर्म का पालन कर सकता है। धर्म से बड़ा चुंबक कही और नही मिलेगा जिससे आप सारे विश्व को अपनी ओर खीच सकते हैं और भारत की आत्मा ही धर्म है।
उन्होंने कहा, "आज जो व्यक्ति दूसरों के रास्ते से कांटे नही हटाता वो दूसरों के रास्ते में कांटे डालना सीख ही जाता है। हमें इससे ऊपर जाना है और कांटे निकालने वाला बनना है।"इस समापन समारोह की मुख्य अतिथि मालिनी अवस्थी ने विवि का धन्यवाद देते हुए कहा, "मैं पहले बार यहां पर आई हूं। देश के प्रतिष्ठित और लखनऊ के गौरव इस विवि में आने का अवसर देने के लिए आप सभी का आभार। यह देखकर बहुत अच्छा लगा की यहां अलग अलग देश से भी लोग आए हैं।" उन्होंने कहा कि
भारत इस समय सांस्कृतिक पुनर्जागरण की तरफ बढ़ रहा है।
हमें अपने परिवार से ही इसमें सहयोग करना होगा क्योंकि लोक परंपरा और संस्कृति की बुनियाद आपका परिवार है। वर्तमान परिदृश्य का जिक्र करते हुए श्रीमती अवस्थी ने कहा कि वर्तमान में नजर बदली है जिससे नजारा भी बदला है, थाईलैंड जाने वाले लोग भी अब साप्ताहिक छुट्टियों में अयोध्या आ रहे हैं। हम अपनी संस्कृति और संस्कार पर विश्वास नहीं करेंगे तो दूसरा करने नही आयेगा। उन्होंने कहा, "अपनी पहचान को पहचानना ही धार्मिक पर्यटन है। भारत के हर गांव, हर घर में धार्मिक पर्यटन है। आज जरूरत है हर व्यक्ति को अपने गांव के पौराणिक कथाओं और स्थानों से विश्व को अवगत कराने की। हमें अपने मूल्य और विश्वास को अपने चित्त में उतारना है। जिस दिन पर्यटन से आध्यात्म जुड़ जायेगा उसी दिन भारत विश्व गुरु बन जायेगा।"
राणा प्रताप सिंह
धर्म जीवन जीने का तरीका है। धार्मिक पर्यटन अन्य पर्यटन की अपेक्षा अधिक समृद्ध है। यह हमारा कर्तव्य है कि हम नई जानकारियां एकत्रित करें और इस कार्यक्रम के उद्देश्य को पूरा करने में अपना सहयोग दें। उन्होंने अतिथियों और प्रतिभागियों का माननीय कुलपति जी और समस्त विश्वविद्यालय परिवार की ओर से का आभार व्यक्त किया।
दो दिवसीय इस संगोष्ठी के समापन समारोह का डॉ कुशेन्द्र मिश्रा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने कहा कि मैं मंच पर उपस्थिति गणमान्य लोगों के साथ - साथ प्रोफेसर गोविंद जी पांडेय समेत अन्य सभी शिक्षकों, मीडिया बंधुओं और छात्रों को हृदय से आभार व्यक्त करता हूं, जिनके कारण यह आयोजन सफल हो सका।
कार्यक्रम में नामीबिया और वियतनाम की छात्रों ने भी हिस्सा लिया। उन्होंने विश्वविद्यालय और भारत सरकार का इस शानदार आयोजन के लिया धन्यवाद किया। दोनों ही शोधार्थियों ने कहा कि उन्हें इस संगोष्ठी में बहुत कुछ सीखने के साथ ही साथ उत्तर प्रदेश के धार्मिक पर्यटन स्थलों के बारे में जानकारी प्राप्त करने का अवसर मिला।
Mar 29 2023, 19:17