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महिला ने पति व दो बेटों की गला रेतकर की हत्या

सहजनवां/गोरखपुर। जिले एक दिल को दहला देने वाली घटना सामने आयी है। एक महिला ने अवैध संबंध के चलते पति व अपने दो सौतेले बेटों की गला रेतकर हत्या कर दी। पुलिस ने आरोपति महिला को मौके से गिरफ्तार करने के बाद चाकू बरामद कर लिया है। इस घटना से क्षेत्र में सनसनी फैल गई है। 

नगर पंचायत के वार्ड नं पांच सहबाजगंज निवासी 40 वर्षीय अवधेश गुप्ता पुत्र स्व. मेल्हू गुप्ता ने पहली पत्नी की मृत्यु के बाद दूसरी शादी की है। पहली पत्नी से उसके दो पुत्र आर्यन व पीहू उर्फ आरो थे। करीब आठ माह पहले संतकबीर नगर जिले के धनघटा थाना क्षेत्र के मझगांवा निवासी नीलम से उसकी दूसरी शादी हुई।

आरोपित नीलम की भी दूसरी शादी थी। पहली शादी से उसे एक पुत्री है। शादी होने के बाद नीलम अपनी एक पुत्री के साथ अवधेश के घर आ गई और पति व सौतेले बेटों के साथ एक ही कमरा में रहने लगी।

आरोप है कि शनिवार की रात महिला ने खुद डायल 112 नंबर पर पुलिस को सूचना देते हुए बताया कि कुछ लोग घर पर उसके पति और बेटों के साथ मारपीट कर रहे हैं। मौके पर पहुंची पुलिस ने जब महिला के बताए कमरे को खोली तो अवधेश और उसके दोनों पुत्र आर्यन और आरओ खून से लथपथ बिस्तर पर पड़े हुए तड़प रहे थे।

पुलिस तत्काल इलाज के लिए जिला अस्पताल लेकर गई, जहां अवधेश को डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया गया। इलाज के दौरान दोनों ने दम तोड़ दिया। पुलिस ने आरोपित महीला को गिरफ्तार कर मौके से एक चाकू भी बरामद की है।

मुलजिम को उम्र कैद की सजा दिलाने में प्रदेश में अव्वल नंबर पर रहा जिला


गोरखपुर। एडीजी गोरखपुर जोन द्वारा चलाए जा रहे ऑपरेशन शिकंजा का परिणाम दिखने लगा है। जिले में 49 मामलों में 127 लोगों को आजीवन कारावास की सजा न्यायालय द्वारा सुनाई गई। वही चार लोगों को 20-20 साल की भी सजा न्यायालय द्वारा दी गई।

एसपीओ वी डी मिश्रा द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक एडीजी जोन अखिल कुमार द्वारा चलाए गए ऑपरेशन शिकंजा का असर अब दिखने लगा है।जिले में 1 जनवरी 2022 से 31 जनवरी 2022 के बीच 49 मामलों में 127 लोगों को आजीवन कारावास की सजा न्यायालय द्वारा सुनाई गई। वही तीन मामलों में 4 लोगों को 20- 20 साल की सजा सुनाई गई।

ऑपरेशन शिकंजा के तहत पुलिस और पब्लिक प्रॉसिक्यूटर द्वारा समन्वय के साथ न्यायालय में मुस्लिमों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित की गई। जिसके परिणाम स्वरूप गोरखपुर जिला पूरे प्रदेश में आजीवन कारावास मुल्जिमों को देने के मामले में अव्वल नंबर पर रहा।

एसपीओ वी डी मिश्रा ने बताया कि ऑपरेशन शिकंजा के तहत पुलिस ऑफिस में एक स्पेशल सेल कायम किया गया।इस सेल के तहत गवाहों की मानिटरिंग समय-समय पर होनी, थानों से माल मुकदमाती का समय पर न्यायालय में आ जाना साथ ही मुकदमे से जुड़े हुए मामलों में फॉरेंसिक रिपोर्ट भी समय से न्यायालय में प्रस्तुत किए जाना जैसे कार्यों को पुलिस द्वारा बहुत ही तत्परता से पूरा किया गया।वहीं पब्लिक प्रॉसिक्यूटर्स न्यायालय में गवाहों,साक्ष्यों और तथ्यों को सही ढंग से पेश किया। जिसका परिणाम यह रहा कि जल्द से जल्द न्यायालय ने मुकदमों में आरोपी बनाए लोगों को सजा देकर उन्हें उनके अंजाम तक पहुंचाया।

एडीजी अखिल कुमार द्वारा न्यायालय से सजा पाए मुजरिम की खबरें मीडिया के जरिए प्रचार-प्रसार करा कर अपराध के रोकथाम के लिए एक माहौल बनाया गया। न्यायालय द्वारा मुजरिम को कठोर सजा दिए जाने की खबरों से अपराधियों के अंदर एक भय व्याप्त हुआ जिससे अपराध का ग्राफ भी तेजी से नीचे गिरा। श्री मिश्रा ने कहा कि अपराधियों को अब इस बात का भय सताने लगा है कि अपराध करने के बाद न्यायालयों से बच पाना मुश्किल है।पहले पुलिस और प्रॉसिक्यूटर के बीच समन्वय ना होने का पूरा लाभ अपराधियों को मिल जाता था जो कि ऑपरेशन शिकंजा के बाद अब खत्म हो गया है।

एक दूसरे के साथ बेहतरीन कोआर्डिनेशन का नतीजा है कि आज गोरखपुर जिला सबसे अधिक आजीवन कारावास जैसी सजा मुलजिम को दिला पानी में प्रदेश में अव्वल नंबर पर है। गौरतलब है कि 24 राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत मामले भी दर्ज किए गए जिसमें शत-प्रतिशत अनुमोदन भी प्राप्त हुआ।

लड़कियों के बीच जमकर हुई मारपीट, सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो

गोरखपुर। कैंट थाना क्षेत्र के जीडीए टावर में दो लड़कियां आपस में एक दूसरे का बाल नोचने लगी जीडीए टावर की दुकानदारों ने बताया कि दोनों लड़कियां मोमो की दुकान पर पहुंचकर मोमो खाने का आर्डर देती हैं। किन्ही बातों को लेकर आपस में भिड़ जाति हैं कड़ी मशक्कत के बाद एक दूसरे से अलग किया जाता है। 

पुलिस अधीक्षक नगर कृष्ण बिश्नोई ने बताया कि जीडीए टावर में लड़कियों को लड़ते हुए वीडियो वायरल हो रहा है जांच के आदेश दे दिया गया है ।तहरीर मिलने पर वैधानिक कारवाही किया जायेगा दोनो लड़कियों को महिला थाने पर कौंसलिग के लिए बुलाया गया है। गोलघर स्थित जीडीए टावर में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां दो लड़कियों के गुटों में जमकर मारपीट हो गई। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। दोनों गुट के बीच करीब 20 मिनट तक लात-घूंसे और खूब जमकर गाली गलौच हुई है।

 यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। पुलिस मामले की जांच में जुट गई है।बताया जा रहा है, वायरल वीडियो शहर के गोलघर में स्थिति जीडीए टॉवर का है। गुरुवार शाम को अचानक लड़कियों के दो गुटों में मारपीट शुरू हो गई। यह देखकर लोगों में हड़कंप मच गया।लड़कियां एक दूसरे का बाल खींचकर मारपीट कर रही थीं। दोनों पक्षों में करीब 20 मिनट तक लड़ाई हुई। इस दौरान पुलिस भी थी लेकिन वो बस मूकदर्शक बनी रही। उनके बीच मारपीट क्यों हुई, यह पता नहीं चल पाया। एसपी सिटी कृष्ण कुमार विश्नोई ने वीडियो की जांच का आदेश दिए हैं। महिला थाने पर बुला कर कौंसलिग किया जायेगा तहरीर मिलने पर मुकदमा दर्ज कर बेधानिक कार्यवाही किया जायेगा।

अभाविप ने राज्यपाल को उच्च शिक्षा में सुधार व भ्रष्टाचारियों के विरूद्ध कठोर कार्रवाई की मांग को लेकर सौंपा ज्ञापन


गोरखपुर। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, उत्तर प्रदेश के प्रतिनिधिमण्डल ने राज्यपालआनंदीबेन पटेल से मिलकर उच्च शिक्षा में विभिन्न सुधार सुनिश्चित करने, अकादमिक सत्र, प्रवेश परीक्षा, शोध पाठ्यचर्या नियमित करने, कुलपतियों की भ्रष्ट कार्यशैली पर कार्रवाई करने एवं विद्यार्थियों को होने वाली परेशानियों के निराकरण आदि मांगें की हैं।

साथ ही ज्ञापन के माध्यम से अभाविप ने प्रवेश परीक्षा आयोजन में पंजीकरण हेतु लिये जाने वाले शुल्क की पूरी जानकारी को विश्वविद्यालय वेबसाइट पर दर्शाने, कानपुर में यूजीसी गाईडलाइन की अवहेलना कर पीएचडी कोर्सवर्क को 100% आनलाईन कराने के संदर्भ में जांच, वोकेशनल पाठ्यक्रम के सुचारू रूप से संचालन व दयनीय स्थिति में सुधार, राजभवन में शिकायत निवारण प्रणाली में सुधार कर संचालन करने की मांग उठाई है।

अभाविप की राष्ट्रीय मंत्री सुश्री साक्षी सिंह ने कहा,"उत्तर प्रदेश के अंदर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे भ्रष्टाचार को किसी भी कीमत पर अभाविप स्वीकार नहीं करेगी, भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। शिक्षा क्षेत्र में हुए भ्रष्टाचार ने प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को नुकसान पहुंचाया है, उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था गुणवत्तापूर्ण तथा अच्छी होनी चाहिए, जिससे राज्य प्रगति पथ पर अग्रसर हो सके।

एबीवीपी गोरक्ष प्रांत मंत्री सौरभ गौंड ने कहा कि एबीवीपी यूपी प्रतिनिधि मंडल ने महामहिम राज्यपाल से मुलाकात किया इस मुलाकात के दौरान गोरक्ष प्रांत के उच्च शिक्षण संस्थान में बढ़ रहे शुल्क के मामले शोधार्थी विद्यार्थियों से संबंधित मामला दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के छात्रावास में लंबे समय से पीएससी का आवास बनाये जाने संबंधित तथा परीक्षा परिणामों में व्यापत भारी अनियमितता जैसे मामले को कुलाधिपति के समक्ष प्रस्तुत किया गया। उप्र राज्यपाल से मिले प्रतिनिधि मण्डल में एबीवीपी पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्रीय संगठन मंत्री घनश्याम शाही सहित पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के पदाधिकारी उपस्थित रहे।

गौरव सिंह सोगरवाल बनें गोरखपुर के नए नगर आयुक्त, पत्नी अनुज मलिक अपर आयुक्त/ आर एफ सी गोरखपुर








गोरखपुर। नगर आयुक्त अविनाश सिंह को अंबेडकर नगर का डीएम बनाए जाने के बाद गौरव सिंह सोगरवाल को गोरखपुर का नगर आयुक्त बनाया गया है। भारतीय विद्या पीठ पुणे से 2015 में बीई इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग से करने वाले गौरव सिंह भरतपुर, राजस्थान के मूल निवासी हैं। वह 2017 बैच के आईएएस हैं। दरअसल, 27 जनवरी 2020 को गोरखपुर जिले में एसडीएम सदर की जिम्मेदारी संभालते ही गौरव सिंह सोगरवाल ने अपने कई कामों को लेकर चर्चा में रहे।




शहर में करीब 80 एकड़ इनमें कई नजूल और सीलिंग की जमीन थी जिस पर सालों से कई प्रभावशाली लोगों का कब्जा था। सोगरवाल ने दो दशक से अधिक समय से लंबित ताल सुमेर सागर की करीब 12 एकड़ जमीन भी कब्जामुक्त कराकर उसे फिर से ताल का स्वरूप दिया।वहीं, जब कोरोना की पहली लहर आई और लॉकडाउन लगा तो गौरव सिंह सोगरवाल सदर तहसील में जॉइंट मजिस्ट्रेट/एसडीएम के पद पर कार्यरत थे। लोग घरों में रहें और उन्हें वहीं जरूरत मजिस्ट्रेट/एसडीएम के पद पर कार्यरत थे। लोग घरों में रहें और उन्हें वहीं जरूरत के सभी सामान मिल जाएं, इसके लिए उन्होंने होम डिलीवरी की शुरुआत कराई थी।




एक दर्जन से अधिक पोर्टल और एप बनाकर उसके जरिए आर्डर नोट करना और लोगों के घर तक सामान पहुंचाने की मुहिम को काफी तारीफ मिली थी। दवा से लेकर हर सामान इस माध्यम से घर पहुंच रहा था। कई किराना स्टोर संचालकों का नंबर भी सार्वजनिक कर उनसे भी सामान घर-घर पहुंचाने को कहा गया था। प्रधानमंत्री कार्यालय से भी इस व्यवस्था की तारीफ की गई थी। इसके साथ ही जब शहर के लोग कोरोना की जांच कराने से हिचक रहे थे तो गौरव ने स्वयं ही घर-घर दस्तक दी थी और जांच की महत्ता समझाई थी।नतीजा यह हुआ कि बड़े पैमाने पर लोग घर से निकले और उनके जांच करायी। जरूरतमंदों तक भोजन पहुंचाने में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।




आईएएस गौरव सिंह सोगरवाल की धर्मपत्नी अनुज मलिक गोरखपुर में ही अपर आयुक्त एवं आरएफसी नियुक्त की गई है। इससे पूर्व अनुज मलिक ज्वाइंट मजिस्ट्रेट एसडीएम खजनी व ज्वाइंट मजिस्ट्रेट एसडीएम सहजनवा में रहते हुए अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए बखूबी निभाया था और अपर आयुक्त गोरखपुर और आप आरएफसी के पद पर रहते हुए अपने कार्यों को बखूबी निर्वहन करेंगे उनमें इनके पति नगर आयुक्त शुगर वालों का भरपूर सहयोग मिलता रहेगा। अनुज मलिक 2017 बैच की आईएएस आफिसर हैं। उन्होंने पहली बार में भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा पास की है। मां राजेश देवी ने बेटी अनुज मलिक को आईएएस बनाने में मार्गदर्शक की भूमिका निभाई। वर्ष 2015 में अनुज मलिक ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद दिल्ली में एक साल घर पर रहकर तैयारी की, कठिन परिश्रम किया। उसके बाद2017 बैच की आईएएस अधिकारी बनी गोरखपुर में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट खजनी ज्वाइंट मजिस्ट्रेट सहजनवा उसके बाद कुशीनगर की सीडीओ बनाई गई अब अपर आयुक्त/ आरएफसी गोरखपुर बनाई गई।

जनपद की 12.34 लाख की आबादी में खोजे जा रहे कुष्ठ रोगी


गोरखपुर। जिले में 12.34 लाख की आबादी के बीच से नये कुष्ठ रोगियों को खोजने का अभियान शुरू किया गया है। जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डॉ गणेश प्रसाद यादव ने भटहट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) से मंगलवार को इस अभियान की शुरूआत की । इसी कुष्ठ रोग खोजी एवं सतत निगरानी अभियान के तहत पिछले वर्ष 29 लाख की आबादी के बीच 79 नये कुष्ठ रोगी खोज कर उनका इलाज शुरू किया गया था ।

जिला कुष्ठ रोग अधिकारी ने बताया कि शीघ्र पहचान और इलाज से कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है। इलाज में ज्यादा देरी होने पर यह दिव्यांगता का रूप ले लेता है । भेदभाव और कलंक की भावना और लक्षणों के प्रति सचेत न होने के कारण कुष्ठ रोगी समय से अस्पताल नहीं पहुंच पाते हैं जिससे जटिलताएं बढ़ जाती हैं । यही वजह है कि आशा कार्यकर्ता और एक पुरुष कार्यकर्ता की टीम बना कर कुष्ठ रोगियों को खोजने के लिए स्क्रीनिंग की जा रही है। कुष्ठ शरीर के किसी भी हिस्से पर हो सकता है, इसलिए कुष्ठ की स्क्रीनिंग गहनता से की जाती है। लोगों को चाहिए कि अगर शरीर पर कहीं भी सुन्नपन, दाग याधब्बा हो जिसका रंग चमड़ी के रंग से हल्का हो तो टीम से स्क्रीनिंग अवश्य करवाएं।

डॉ यादव ने बताया कि अगर दाग धब्बों की संख्या पांच या पांच से कम है व नसें प्रभावित नहीं होती हैं तो रोगी को पासी बेसिलाई (पीबी) कुष्ठ रोगी कहते हैं जबकि पांच से अधिक दाग धब्बों के साथ नसें प्रभावित होने पर रोगी मल्टी बेसिलाई(एमबी) कुष्ठ रोगी कहा जाता है। पीबी रोगी छह माह के इलाज में ठीक हो जाते हैं जबकि एमबी रोगी का इलाज बारह माह तक चलता है। 131 सुपरवाइजर की देखरेख में 1311 टीम फरवरी और पूरे मार्च माह में नये कुष्ठ रोगियों को खोजेंगी । इस बार उन इलाकों में अभियान चल रहा है जो पिछली बार के अभियान में छूट गये थे।

भटहट सीएचसी के अधीक्षक डॉ अश्वनी चौरसिया ने बताया कि कार्यक्रम से जुड़े सभी लोगों का संवेदीकरण किया जा चुका है और उन्हें नये रोगियों को ढूंढ कर सेवा दिलवाने को कहा गया है। क्षेत्र में अभियान का निरीक्षण भी जिला कुष्ठ रोग परामर्शदाता डॉ भोला गुप्ता, कार्यक्रम से जुड़े रतनराल श्रीवास्तव, महेंद्र चौहान और आसिफ खां की टीम द्वारा किया गया । इस दौरान आशा कार्यकर्ता किरन साहनी और पुरुष कार्यकर्ता चंद्रसेन को स्क्रीनिंग कीबारीकियों की जानकारी भी दी गयी ।

प्रत्येक कार्यकर्ता को 1000 रुपये

जिला कुष्ठ रोग परामर्शदाता ने बताया कि स्क्रीनिंग में जुटी टीम के प्रत्येक कार्यकर्ता को अभियान के बाद 1000 रुपये देने का प्रावधान है । इसके अलावा अगर आशा कार्यकर्ता नया कुष्ठ रोगी ढूंढती हैं तो उन्हें 250 रुपये दिये जाएंगे लेकिन अगर वह कुष्ठ रोगी दिव्यांग होता तो मात्र 200 रुपये दिये जाएंगे। पीबी कुष्ठ रोगी का इलाज पूरा करवाने पर आशा कार्यकर्ता को 400 रुपये जबकि एमबी कुष्ठ रोगी का इलाज पूरा करवाने पर 600 रुपये देने का प्रावधान है।

छिपाते हैं बीमारी

भटहट ब्लॉक के छोटी माघी गांव में कुष्ठ स्क्रीनिंग से जुड़े पुरुष कार्यकर्ता चंद्रसेन का कहना है कि घर घर जाकर बीमारी के लक्षणों के बारे में बताया जा रहा है । लोग लक्षणों को छिपाते हैं । उन्हें समझाया जा रहा है कि कुष्ठ छिपाने से दिव्यांगता का खतरा है । लोगों को प्रेरित कर स्क्रीनिंग का प्रयास किया जा रहा है।

विवेचकों को 12 घंटे का एसपी नार्थ ने दिया अल्टीमेटम, विवेचना निष्पक्ष ना पूरा करने पर होगी कार्रवाई


गोरखपुर। लंबे दिनों से लंबित पड़े विवेचनाओ को त्वरित निष्पक्ष गुणवत्ता युक्त निस्तारण करने के लिए पुलिस अधीक्षक उत्तरी विवेचना कर रहे विवेचको के साथ अपने कार्यालय में काउंसलिंग कर जल्द से जल्द विवेचना को त्वरित गुणवत्ता युक्त निस्तारित करने का निर्देश दीया।

पुलिस अधीक्षक उत्तरी मनोज कुमार अवस्थी ने बताया कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक महोदय के निर्देश पर लंबे दिनों से लंबित पड़े विवेचनाओं को निस्तारित ना करने वाले विवेचको को अपने कार्यालय में बुलाकर विवेचना लंबित होने का कारण पूछा और त्वरित निष्पक्ष विवेचना निस्तारित करने का निर्देश दिया जिससे लंबित विवेचनाओं के निस्तारण हो जाने से वादी को न्याय संगत न्याय मिल सके और वादी को इधर-उधर भटकना ना पड़े एसपी नार्थ ने कुछ विवेचको को 12 घंटे के अंदर विवेचना पूर्ण कर अग्रिम कार्रवाई हेतु प्रेषित करने का निर्देश दिया ।

ऐसा ना करने वाले विवेचको के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश भी दिया क्योंकि अक्सर देखा जाता है कि विवेचक विवेचना करने में रूचि नहीं दिखाते हैं जिसकी वजह से मुकदमे लंबे समय तक कोर्ट में लंबित रहते हैं और वादी को समयबद्ध तरीके से न्याय नहीं मिल पाता है ।

अगर विवेचक अपने कर्तव्यों का सही तरीके से पालन करते हुए न्याय संगत विवेचना कर अग्रिम कार्रवाई करें तो वादी को समय पर न्याय मिल सकेगा और फरियादियों को फरियाद के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा।

आपदा से निपटने के लिए नगर निगम के कर्मचारियों को दिया प्रशिक्षण


गोरखपुर। एनडीआरफ आरआरसी गोरखपुर द्वारा

किसी भी आपदा से निपटने के लिए सदैव तत्पर रहने वाली 11 वीं वाहिनी राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के कमांडेंट मनोज कुमार शर्मा के मार्गदर्शन में गोरखपुर में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल द्वारा गोरखपुर में एक दिवसी कार्यशाला में आपदा के विषय पर तहसील सदर में स्वच्छ भारत मिशन नगरीय नगर निगम गोरखपुर में करवाया गया।

इस दौरान बाढ़, भूकंप, भूस्खलन, सड़क, सुरक्षा और आग जैसी आपदाओं के दौरान जीवन सुरक्षा के उपाय तथा साथ ही ध्वस्त ढांचा में फंसे व्यक्तियों को रोप के मदद से किस तरह बाहर निकाला जाता है के प्रदर्शन दिखाएं आपदा के दौरान घायल व्यक्तियों को अस्पताल से पूर्व चिकित्सा के बारे में बताया गया और साथ ही इन आपदाओं में प्रयोग करने वाली रेस्क्यू तकनीकी से फंसे हुए लोगों को निकालने तथा उनकी प्राथमिक उपचार देने के बारे में बताया गया।

इसके अतिरिक्त कार्यक्रम में मौजूद विभिन्न विभागों के अधिकारियों को प्राथमिक उपचार जैसी ड्रेसिंग बैंडेज खून के बहाव को रोकना तथा फैक्चर को सुरक्षित करने में व कृत्रिम सास का प्रयोगात्मक परीक्षण दिया।

इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य आपदा के प्रति जागरूकता को बढ़ाना एवं जलवायु में हो रहे परिवर्तन पर चर्चा करना था जिससे किसी भी आपदा के समय अमूल्य मानव जीवन को बचाया जा सके। इस अवसर पर जागरूक अभियान में एनडीआरफ गोरखपुर के टीम कमांडर निरीक्षक काना राम एवं अन्य जवान मौजूद रहे एवं नगर निगम से नगर आयुक्त (आई0ए0एस0) अविनाश सिंह अपर नगरआयुक्त (पी0सी0एस0) दुर्गेश मिश्रा अपर नगर आयुक्त संजय शुक्ला एवं नगर निगम के अन्य अधिकारीगण मौजूद रहे ।

लक्ष्य को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर आगे बढ़ें विद्यार्थी : प्रो. अवस्थी


गुरु गोरक्षनाथ इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में दीक्षा पाठ्यचर्या का सातवां दिन

गोरखपुर। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के आयुर्वेद संकाय में शरीर रचना विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. डॉ एचएच अवस्थी ने कहा कि लक्ष्यहीन जीवन व्यर्थ होता है। हमें रुचि के अनुसार लक्ष्य निर्धारण करना चाहिए। विद्यार्थी लक्ष्य को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर, आत्मविश्वास, तीव्र इच्छाशक्ति आदि गुणों के साथ आगे बढ़ें।

प्रो. अवस्थी महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के तहत संचालित गुरु गोरक्षनाथ इंस्टिट्यूट आॅफ मेडिकल साइंसेस (आयुर्वेद कॉलेज) में चल रहे बीएएमएस के नवप्रवेशी विद्यार्थियों के 15 दिवसीय दीक्षा पाठ्यचर्या (ट्रांजिशनल करिकुलम) के सातवें दिन (मंगलवार) के द्वितीय सत्र को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे। 'जीवन लक्ष्य निर्धारण' विषय पर व्याख्यान देते हुए उन्होंने कहा कि बिना लक्ष्य निर्धारित किए उसका मार्ग भी निर्धारित नहीं हो सकता।

आयुर्वेद के विद्यार्थियों को शरीर रचना का ज्ञान आवश्यक

प्रो. अवस्थी ने कहा कि आयुर्वेद के विद्यार्थियों को शरीर रचना विज्ञान का ज्ञान बहुत आवश्यक है। मानव शरीर के विभिन्न हिस्सों की संरचना, आकार और स्थान का ज्ञान प्राप्त कर चिकित्सा में सफलता प्राप्त कर सकतें है। धर्म, अर्थ, काम इन पुरूषार्थ की प्राप्ति का साधन शारीर है और इसका मूल आरोग्य है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद के क्षेत्र में रोजगार के बहुत से विकल्प हैं जैसे परामर्श चिकित्सक, शोधकर्ता, शिक्षक, औषधि निर्माणकर्ता आदि क्षेत्रों में अपनी रुचि के अनुसार आगे बढ़कर खुद भी रोजगार प्राप्त कर सकते है साथ ही और लोगों को भी रोजगार दे सकतें है।

प्राथमिक उपचार में रखें संक्रमण न होने का ध्यान : डॉ. रेड्डी

इसके पूर्व प्रथम सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. किरण कुमार रेड्डी, शल्य विभाग, महंत दिग्विजयनाथ आयुर्वेद चिकित्सालय ने फर्स्ट एड (प्राथमिक चिकित्सा) विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि प्राथमिक उपचार का उपयोग किसी भी घायल या बीमार व्यक्ति को अस्पताल तक पंहुचाने से पहले उसकी जान बचाने के लिए करते हैं। उन्होंने प्राथमिक उपचार के सात चरणों की विस्तार से जानकारी दी और कहा कि इस बात का भी पूरा ध्यान रखना चाहिए कि आपको घायल व्यक्ति से किसी भी प्रकार का संक्रमण न हो और आपसे भी किसी प्रकार का संक्रमण उस घायल व्यक्ति को न हो।

विश्वविद्यालय व आयुर्वेद कॉलेज को श्रेष्ठतम संस्थान बनाना उद्देश्य : डॉ. प्रदीप राव

चतुर्थ सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. प्रदीप कुमार राव ने कहा कि हमारी प्रायोजक संस्था गोरखनाथ मंदिर है। इस मंदिर से जुड़े नाथ परम्परा के योगी मात्र आध्यात्मिक परम्परा से ही नहीं बल्की शैक्षिक, समाजिक, संस्कृतिक, धार्मिक और राष्ट्र के उत्थान में अपना अहम योगदान दिये हैं। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के बीज से विस्तारित 50 से अधिक संस्थाएं और आयुर्वेद कॉलेज समेत यह विश्वविद्यालय इसका मूर्तमान उदाहरण है। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद और नाथ सम्प्रदाय से जुड़े योगियों और व्यक्तियों के लिए राष्ट्रहित एवं लोक कल्याण सर्वप्रथम है। उन्होंने कहा कि हमारा उद्धेश्य महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय एवं आयुर्वेद कालेज को श्रेष्ठतम संस्थान के रूप में स्थापित करना है। डॉ राव ने धर्म, संस्कृति, उपासना, जीवन पद्धति आदि की विस्तृत व्याख्या करते हुए कहा कि सनातन या हिंदू धर्म वास्तव में एक जीवन पद्धति है। सुप्रीम कोर्ट ने भी यही कहा है। संसार में मात्र हिंदू धर्म है, बाकी सभी उपासना पद्धतियां हैं।

इसके अलावा एक अन्य सत्र में वदतु संस्कृतम् के कार्यशाला में सह-आचार्य साध्वी नन्दन पाण्डेय ने विद्यार्थियों को संस्कृत गीत, अव्यय पदों, द्वितीया विभक्ति, संस्कृत में समय बताने का ज्ञान कराया। पांचवें सत्र में बीएएमएस नये सत्र के प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों द्वारा गीत, गायन, कविता पाठ, भाषण आदि की प्रस्तुतियों से प्रतिभा का प्रदर्शन किया गया। इस अवसर पर आयुर्वेद कालेज के प्राचार्य, डॉ. मंजूनाथ एनएस सहित कालेज के सभी शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।

*सक्रिय क्षय रोगी खोजी अभियान का पहला चरण शुरू, पहले दिन लिये गये 16 नमूने*


गोरखपुर। सक्रिय क्षय रोगी खोजी अभियान (एसीएफ कैम्पेन) का पहला चरण जिले में शुरू हो गया है । अभियान के पहले दिन 20 फरवरी को बाल संरक्षण गृह और मदरसे में किशोरों औरबच्चों की स्क्रीनिंग की गयी। लक्षण के आधार पर 16 नमूने लेकर जांच के लिए भेजे गये हैं ।

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ गणेश प्रसाद यादव ने बताया कि अभियान के पहले चरण में 23 फरवरी तक जेल, अनाथालय, बाल संरक्षण गृह, वृद्धाश्रम और मदरसों जैसे स्थानोंपर मरीज खोजे जाएंगे । 24 फरवरी से पांच मार्च तक आशा और एएनएम की टीम समुदाय के बीच जाकर क्षय रोगियों को खोजेंगी ।

जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि कुछ भ्रांतियों और धारणाओं को पाल कर टीबी से ग्रसित व्यक्ति की नकारात्मक छवि बना दी जाती है और समाज उसे अस्वीकार करने लगता है। टीबी मरीज इसी नकारात्मक छवि और सामाजिक अस्वीकृति के कारण उपचार के लिए सामने नहीं आते हैं । ऐसे मरीजों को सामने लाने में एसीएफ कैम्पेन की अहम भूमिका होती है।

कैम्पेन के दौरान स्वास्थ्यकर्मी लोगों को विश्वास दिलाते हैं कि संभावित मरीज की पूर्ण गोपनीयता रखते हुए इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। टीबी की गुणवत्तापूर्ण जांच से लेकर बेहतरीन दवाओं के साथ इलाज की सुविधा तक सरकारी स्वास्थ्य प्रणाली के पास उपलब्ध है । ऐसे में लक्षण दिखते ही टीबी की जांच के लिए लोगों को आगे आना चाहिए।

डॉ यादव ने बताया कि देश में बड़ी संख्या में किशोर और बच्चे भी टीबी से ग्रसित हो जाते हैं । उन्हें इस बीमारी की जानकारी भी नहीं होती है। स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंचने की बाधा भी उनके सामने होती है। ऐसे में एसीएफ कैम्पेन के दौरान बाल संरक्षण गृह, मदरसों और अनाथालयों तक पहुंच इन बच्चों और किशोरों को इस बीमारी से मुक्त कराने की पहल की जा रही है। जिले में 14 ऐसे स्थानों पर स्क्रीनिंग कर सैम्पल लिये जा रहे हैं । इस कार्य में उप जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ विराट स्वरूप श्रीवास्तव, डीपीसी धर्मवीर प्रताप सिंह, पीपीएम समन्वयक अभय नारायण मिश्र, मिर्जा आफताब बेग और वर्ल्ड विजन इंडिया संस्था के प्रतिनिधिगण सहयोग कर रहे हैं।

435 की हुई स्क्रीनिंग

डीटीओ ने बताया कि अभियान के पहले दिन मदरसे में 240 बच्चों की और बाल संरक्षण गृह में 195 किशोरों की स्क्रीनिंग की गयी । दस बच्चों में टीबी के संभावित लक्षणों के आधार पर उनके सैम्पल लिये गये । छह किशोरों में लक्षण दिखे और उनके भी सैम्पल लिये गये हैं ।

यह लक्षण दिखें तो कराएं जांच

• दो सप्ताह या अधिक समय तक खांसी

• खांसी से साथ बलगम या खून आना

• भूख न लगना

• तेजी से वजन का कम होना

• सांस फूलना

• रात के समय पसीने के साथ बुखार

विश्वास जीत कर करानी है जांच

सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर (एसटीएस) गोविंद का कहना है कि टीबी के लक्षण वाले मरीजों को यह विश्वास दिलाना है कि उनकी गोपनीयता बरकरार रखते हुए इलाज कराया जाएगा। उन्हें यह भी बताया जा रहा है कि सरकार की तरफ से टीबी मरीज को दवा और जांच के साथ-साथ पांच सौ रुपये प्रति माह इलाज चलने तक पोषण के लिए भी देने का प्रावधान है।