*बदला मौसम तो मच्छरों का बढ़ा प्रकोप*
नितेश श्रीवास्तव
भदोही। फरवरी माह समाप्ति की ओर है, साथ ही गर्मी ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराना शुरू कर दिया है। इन दिनों रात के समय मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। उनकी फौज शाम होते ही कानों में अपना राग अलापने लगती है। आम आदमी की जहां रातों की नींद हराम है।
वहीं मच्छरजनित बीमारियों के बढ़ने का खतरा भी। शहर , नगर अथवा गांव हो, रात में बिजली जाने के बाद आम आदमी की मुसीबतें बढ़ जाती है। मच्छरों का झुंड हमला कर देता है, जिसके बाद आंखों से नींद गायब हो जाती है। उन दंश से मलेरिया, डेंगू जैसे मच्छर जनित बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।
मच्छरों को नियंत्रित करने के लिए स्वास्थ्य महकमें में बना मलेरिया सेल भी कम जिम्मेदार नहीं हैं। स्वास्थ्य महकमा हाथ पर हाथ धरे बैठा हुआ है। ऐसा लग रहा है जैसे वह मच्छर जनित बीमारी के विकराल रूप लेने के इंतजार में है। क्योंकि अलग महकमा होने के बाद भी मच्छरों की फौज का रोकथाम लिए कोई कदम नहीं उठा रहा है।
महकमें की ओर से ना फागिंग ही कहीं कराया जा रहा है और न ही डीडीटी दवा का छिड़काव। इससे मच्छरों का आतंक लोगों को मानसिक परेशानी का सबब बन गया है। गांव से लेकर शहर तक के झाड़ी, गढ्ढे और जलजमाव वाले स्थलों पर मच्छरों का बसेरा हो गया है।
खास बात का स्वास्थ्य महकमा की लापरवाही कहीं किसी के लिए जानलेवा न बन जाए। इसको लेकर लोगों में स्वास्थ्य विभाग के खिलाफ नाराजगी व्याप्त हो गई है। कवि कर्मराज किसलय का कहना है कि मच्छरों के आंतक से रात नींद नहीं आती। मच्छरदानी ,क्वायल भी बेअसर है।
Feb 25 2023, 21:05