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उद्धव ठाकरे ने किया कुणाल कामरा का बचाव,बोले- जो गद्दार है वो गद्दार है, गाने में कोई कमी नहीं

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कॉमेडियन कुणाल कामरा की एकनाथ शिंदे के ऊपर टिप्पणी के बाद महाराष्ट्र में बवाल मचा हुआ है। आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति में पक्ष-विपक्ष आपने सामने है। एक तरफ जहां सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन दलों के नेता कामरा के बयान से नाराजगी जताते हुए उनका विरोध कर रहे है। तो दूसरी ओर यूबीटी शिवसेना कुणाल कामरा के समर्थन में आ गई है। इस मुद्दे पर पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने कॉमेडियन कुणाल कामरा का बचाव किया है। कुणाल कामरा के समर्थन में आए उद्धव ठाकरे ने कहा कि मुझे नहीं लगता है कि कुणाल कामरा ने कुछ गलत कहा है। जो गद्दार है वो गद्दार है। उसके गाने में कोई कमी नहीं है। जिनके खून में 'गद्दारी' है वह कभी शिवसैनिक नहीं हो सकते।

कामरा को मिला उद्धव ठाकरे का साथ

उद्धव ठाकरे ने कुणाल कामरा की टिप्पणी पर कहा कि गाने में कोई कमी नहीं है। जो गद्दार हैं, वो गद्दार हैं। ठाकरे ने आगे कहा मुझे नहीं लगता कि कुणाल ने कुछ गलत कहा। कुणाल ने व्यग्य नहीं सत्य कहा है। आज मैं कहूंगा जिसने चोरी की वो गद्दार है। कल जिसने तोड़फोड़ की वो शिवसैनिक ने नहीं बल्कि गद्दार सेना ने की है। उद्धव ठाकरे ने शिवसेना चीफ एकनाथ शिंदे पर हमला करते हुए कहा, इन गद्दारों को कोशियारी या दूसरे नेताओं या उनके लोगों द्वारा किया जाने वाले अपमान नहीं दिखाई देता। स्टूडियो को जिसने नुकसान पहुंचाया, उससे वसूल करना चाहिए। नागपुर दंगे की सुपारी और औरंगज़ेब की कब्र की सुपारी किसने दी?

कामरा के बचाव में आए आदित्य ठाकरे

उद्धव ठाकरे के बाद शिवसेना-यूबीटी विधायक आदित्य ठाकरे ने कुणाल कामरा के बयान पर उनका बचाव किया। उन्होंने कहा कि कुणाल कामरा ने किसी का नाम नहीं लिया था, फिर भी एकनाथ शिंदे के समर्थकों ने उसे देशद्रोही और चोर क्यों कहा? साथ ही उन्होंने सवाल किया कि यह निर्णय कब लिया गया कि कुणाल कामरा देशद्रोही और चोर हैं? आदित्य ने यह भी कहा कि जब कुणाल कामरा ने मोदी जी और उनकी पार्टी के बारे में भी टिप्पणियां की थीं, तब किसी ने भी ऐसी प्रतिक्रिया नहीं दी। लेकिन अब जब उसने कुछ कहा, तो मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके समर्थकों ने उसे इस तरह की गाली-गलौच दी।

स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा ने अपने शो में शिंदे पर उनका नाम लिए बिना विवादित टिप्पणी की थी। इस पर भड़के शिवसैनिकों ने जहां शो का आयोजन किया गया था, वहां धावा बोल दिया था। शिवसेना कार्यकर्ताओं ने रविवार को मुंबई के खार इलाके में होटल यूनिकॉन्टिनेंटल में तोड़फोड़ की थी। इसके बाद शिवसेना युवा सेना (शिंदे गुट) के महासचिव राहुल कनाल और 19 अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई।

दिशा सालियान मौत मामले में क्यों आ रहा आदित्य ठाकरे का नाम? महाराष्ट्र में नया सियासत बवाल

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दिशा सालियान मर्डर केस एक बार फिर सुर्खियों में है। 8 जून 2020 को दिशा की मौत हुई। इसके 6 दिन एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की लाश उनके कमरे में मिली। दिशा सुशांत की मैनेजर रह चुकी थी। दिशा की मौत का केस इस बार सुर्खियों में इसलिए आया, क्योंकि उसके पिता सतीश ने बेटी की मौत की नए एंगल से जांच करने की मांग की है। हालांकि 5 साल पहले सतीश ने दिशा की मौत को सुसाइड मान लिया था, लेकिन अब उनका कहना है कि उन्हें सुसाइड मानने के लिए मजबूर किया गया था।

दिशा के पिता सतीश सालियान ने अपनी बेटी की मौत की नए सिरे से जांच की मांग करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया है और आदित्य ठाकरे के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। उन्होंने याचिका में दिशा सालियान के अंतिम संस्कार की तस्वीरों को भी अदालत में अपनी याचिका के साथ अटैच किया है। इस याचिका में वकील का कहना है कि जब दिशा का पार्थिव शरीर उसके परिवार को सौंपा गया, तब उसके शरीर पर किसी भी चोट या घाव के निशान नहीं थे, जबकि मालवणी पुलिस ने दावा किया था कि दिशा की मौत के समय उसका शरीर खून से लथपथ था।

दिशा की मौत मामले में आदित्य ठाकरे का नाम आ रहा है।सतीश सालियान ने कोर्ट में याचिका दायर कर आदित्य ठाकरे समेत कई लोगों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। आदित्य ठाकरे और पूर्व मेयर किशोरी पेडनेकर के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की गई है। दिशा सालियान के पिता ने बेटी की हत्या का दावा करते हुए आदित्य ठाकरे, एक्टर सूरज पंचोली और डिनो मोर्या पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने ये भी कहा है कि मुंबई पुलिस ने हकीकत को छुपाने की कोशिश की है। सतीश सालियान ने आदित्य ठाकरे पर ये भी आरोप लगाया है कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद उन्होंने रिया चक्रवर्ती से 44 बार फोन पर फोन किया था।

परिवार को नजरबंद रखने का आरोप

सतीश सालियान ने याचिका में कहा है कि दिशा की मौत अचानक नहीं हुई। पहले उनके साथ गैंगरेप हुआ और फिर उनका मर्डर कर दिया गया। सतीश ने कहा-'दिशा अपने करियर को लेकर काफी सीरियस थीं, ऐसे में उनका सुसाइड करना मुमकिन नहीं है। उस समय मुझे ये विश्वास दिलाया गया कि मेरी बेटी की मौत एक हादसा थी। पूर्व महापौर किशोरी पेडणेकर, मालवणी पुलिस थाने के अधिकारी लगातार इस बात पर जोर दे रहे थे कि वे जो बात कह रहे हैं, वो सच है। इन्हीं लोगों ने मेरे परिवार को लगातार दबाव में रखा और नजरबंद किया था। हमारी हर एक्टिविटी पर उनकी नजर थी।

8 जून की पार्टी में आदित्य ठाकरे भी थे शामिल?

याचिका में ये भी कहा गया है कि मुंबई पुलिस ने दिशा के गैंगरेप और मर्डर को दबाने की कोशिश की। इसके लिए पुलिस ने सभी गवाह, फोरेंसिक रिपोर्ट, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट जैसी सारी चीजें फर्जी तरीके से तैयार कीं। चश्मदीदों के मुताबिकर 8 जून 2020 की रात दिशा के मालवणी वाले घर पर एक पार्टी थी जिसमें उसके कुछ करीबी दोस्त शामिल हुए थे। इस दौरान आदित्य ठाकरे, एक्टर सूरज पंचोली और डिनो मोरिया भी दिशा के घर पहुंचे थे। इस घटना के बाद ही दिशा को मौत के घाट उतार दिया गया।

नितेश राणे ने लगाया बड़ा आरोप

इधर, बीजेपी विधायक नितेश राणे ने दावा किया कि दिशा सालियान मामले को लेकर उद्धव ठाकरे ने उनके पिता नारायण राणे को दो बार फोन कर मदद की गुहार लगाई थी। नितेश राणे ने कहा, उद्धव ठाकरे ने नारायण राणे से कहा था कि तुम्हारे भी दो बच्चे हैं, मेरे भी दो बच्चे हैं। अगर आदित्य ठाकरे निर्दोष हैं, तो उन्हें कैमरे के सामने आकर यह कहना चाहिए कि 8 जून 2020 को वे कहां थे।

राणे ने यह भी दावा किया कि दिशा सालियान के पिता के अनुसार इस मामले में तीन मास्टरमाइंड हैं - आदित्य ठाकरे, सूरज पंचोली और डिनो मोर्या। उन्होंने कहा, अब मैं यह आरोप नहीं लगा रहा, बल्कि दिशा सालियान के पिता खुद यह आरोप लगा रहे हैं।

दिशा सालियान के पिता की बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका, आदित्य ठाकरे पर एफआईआर और सीबीआई जांच की मांग

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दिशा सालियान की मौत को पांच साल गुजर चुके हैं। इतना वक्त गुजर जाने के बाद एक बार फिर मामले ने तूल पड़का है। दरअसल, दिशा सालियान के पिता ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सुशांत सिंह राजपूत की पूर्व मैनेजर दिशा सालियान के पिता ने बेटी की मौत की जांच सीबीआई को सौंपने का आग्रह किया है। साथ ही मौत की नई सिरे से जांच की भी मांग की है। याचिका में दिशा सालियान के पिता ने शिवसेना के आदित्य ठाकरे के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की भी मांग की है।

दिशा के पिता सतीश सालियान ने बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर याचिका में शिवसेना यूबीटी के विधायक आदित्य ठाकरे पर गंभीर आरोप लगाए हैं। दिशा के पिता का कहना है कि इस केस में आदित्य ठाकरे की संलिप्तता है। सतीश सालियान ने आदित्य ठाकरे के अलावा पूर्व मेयर किशोरी पेडणेकर और अन्य के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं। सतीश सालियन ने कोर्ट से मांग की है कि आदित्य ठाकरे और अन्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 376(डी), 302, 201, 218, 409, 166, 107, 109, 120(बी) और 34 के तहत मामला दर्ज किया जाए। इसके साथ ही उन्होंने मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की भी मांग की है।

वहीं, इस पूरे मामले पर बीजेपी विधायक नितेश राणे ने आदित्य ठाकरे पर हमला बोला है। उन्होंने कहा, मैं पहले दिन से कह रहा था कि यह हत्या है और इसकी जांच होनी चाहिए। इसमें आदित्य ठाकरे की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए। पहले दिन से ही मैंने उन लोगों के नामों की जांच की मांग की थी, जिनका नाम अब सतीश सालियान ने कोर्ट में अपनी याचिका में लिया है। अब यह साफ हो गया है कि उस वक्त के मुख्यमंत्री के बेटे यानी आदित्य ठाकरे को बचाने के लिए पुलिस ने क्या-क्या कदम उठाए थे।

दरअसल, करीब तीन साल पहले बीजेपी नेता नितेश राणे ने आरोप लगाया था कि दिशा सालियान की गैंगरेप के बाद हत्या की गई। हालांकि, तब दिशा की मां और पिता ने नितेश के खिलाफ यह कहते हुए केस दर्ज करवा दिया था कि यह उनकी बेटी को बदनाम करने की साजिश है। पर अब पिता का कुछ और ही कहना है। उन्होंने बेटी की मौत की नए सिरे से जांच का आग्रह किया है।

राज ठाकरे ने गंगाजल को लेकर ऐसा क्या बोला, मच गया बवाल

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महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने गंगाजल पर भड़काऊ बयान दिया। मनसे की 9 मार्च को 19वीं वर्षगांठ है। इस मौके पर पुणे के चिंचवड में रामकृष्ण मोरे ऑडिटोरियम में बड़ा समारोह आयोजित किया गया। इस दौरान अपने संबोधन में मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने प्रयागराज महाकुंभ के पवित्र स्नान का मजाक उड़ाया। उन्होंने गंगाजल को लेकर भी आपत्तिजनक बातें कही है। राज ठाकरे के बयान पर बीजेपी और शिवसेना के दोनों गुटों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।

राज ठाकरे ने महाकुंभ के गंगा के प्रदूषित पानी को लेकर भड़काऊ बयान दिया है। उन्होंने कहा कि कुंभ के पानी को गंदा बताया है। उन्होंने कहा कि वह इतना प्रदूषित है कि पीना तो छोड़िए, वह पानी पीने लायक भी नहीं है। उन्होंने कहा कि कुछ पदाधिकारी कुंभ मेले में गए थे। बाला नांदगांवकर वहां से एक छोटे बर्तन में पानी लेकर आये थे। मैंने कहा कि मैं हड्डी नहीं पीऊंगा। मैं सोशल मीडिया पर लोगों को बहुत लोगों को बकवास करते हुए देखता हूं।

ठाकरे ने कहा कि मैंने सोशल मीडिया पर गंगा नदी की स्थिति के कई वीडियो देखे हैं। जिनमें लोग नदी में नहाते हुए और शरीर खुजलाते हुए नजर आ रहे हैं। ऐसे में भला यह पानी पीने लायक कैसे हो सकता है? मनसे प्रमुख ने आगे कहा कि भारत में कोई भी नदी पूरी तरह स्वच्छ नहीं है। उन्होंने कहा कि जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे तब से मैं सुनता आ रहा हूं कि गंगा जल्द ही साफ हो जाएगी। लेकिन यह बस एक मिथक बनकर रह गया है। अब इस भ्रम से बाहर आने का समय आ गया है।

ठाकरे ने नदी को मां कहने पर भी मजाक उड़ाया। उन्होंने कहा कि हम तो नदी को मां कहते हैं। मगर विदेशों में देखिए, नदियां कितनी साफ हैं। विदेशों में लोग नदी को तो अपनी मां नहीं मानते हैं। अंधविश्वास से थोड़ा मुक्त हो जाइए, बाहर निकलिये और सिर थोड़ा घुमाकर देखिये।

उद्धव गुट का बड़ा दांव, संजय राउत ने की बाला साहब को भारत रत्न देने की मांग

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शिवसेना के संसथापक बाला साहब ठाकरे की आज जयंती है। बाला साहब ठाकरे की 99वीं जयंती पर शिंदे गुट की शिवसेना (यूबीटी) ने बाल ठाकरे को भारत रत्न दिए जाने की मांग उठाई। संजय राउत ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी को 26 जनवरी के मौके पर बाला साहब ठाकरे भारत रत्न देने का ऐलान करना चाहिए।

संजय राउत ने कहा कि बालासाहेब ठाकरे ने अपने पूरे जीवनकाल में सिर्फ दूसरों को आगे बढ़ाया। उन्होंने कभी भी वसूलों के साथ समझौता नहीं किया। ठाकरे को जब देशहित में जो फैसला लगा, वो किया। चाहे इंदिरा को समर्थन देने की बात हो चाहे बीजेपी को।राउत ने कहा कि पिछले दस वर्षों में भाजपा सरकार ने कुछ ऐसे लोगों को भारत रत्न दिया है, जो इसके हकदार नहीं थे।

बाल ठाकरे के भारत रत्न से सावरकर को कैसे मिलेगा सम्मान?

बाल ठाकरे की जयंती के अवसर पर बोलते हुए संजय राउत ने कहा कि बाल ठाकरे को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने हिंदुत्व के बीज इस देश में बोए। उन्होंने कहा कि ठाकरे की जन्म शताब्दी एक साल दूर है और इस शताब्दी से पहले उन्हें भारत रत्न मिलना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि अगर बाल ठाकरे को भारत रत्न मिलेगा, तो इससे वीर सावरकर को भी सम्मान मिलेगा।

पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि

इधर, बालासाहेब ठाकरे की जयंती पर प्रधानमंत्री मोदी ने श्रद्धांजलि दी। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखा है। पीएम ने अपने पोस्ट में लिखा- मैं बालासाहेब ठाकरे जी को उनके जन्मदिन पर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। उन्हें जन कल्याण और महाराष्ट्र के विकास के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिए व्यापक रूप से सम्मान दिया जाता है और याद किया जाता है। उन्होंने अपनी मूल मान्यताओं से कभी समझौता नहीं किया और हमेशा भारतीय संस्कृति के गौरव को बढ़ाने में अपना योगदान दिया।

क्या फिर एक होंगे उद्धव-फडणवीस? शिवसेना को भाने लगी भाजपा

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महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में उद्धव ठाकरे के सियासी स्टैंड को लेकर चर्चा है। सवाल उठ रहा है कि 5 साल से बीजेपी पर सियासी तौर पर मुखर उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के करीब आ रहे हैं। ऐसे सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि कुछ दिन पहले उद्धव ठाकरे ने अपने मुखपत्र सामना में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की जमकर तारीफ की थी। जिसके बाद उनकी पर्टी के सांसद और प्रवक्ता संजय राउत ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रशंसा की। इधर देवेंद्र फडणवीस के पांच दिसंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद 35 दिनों के बीच शिवसेना उद्धव गुट के नेता आदित्य ठाकरे सीएम फडणवीस से तीन बार मुलाकात कर चुके हैं। ठाकरे ने गुरुवार को एक बार फिर सीएम से मुलाकात की। उनकी इस मुलाकात ने कई राजनीतिक चर्चाओं को जन्म दिया है।

देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में महायुति की सरकार बन जाने के बावजूद महाराष्ट्र की राजनीति में चीजें शांत नहीं हुई हैं। महायुति की सरकार में देवेंद्र फडणवीस अपने दोनों उप मुख्यमंत्रियों अजित पवार और एकनाथ शिंदे के साथ बहुत सहज नहीं हैं। उनके सरकार में रहने की वजह से उनके पास फ्री हैंड नहीं है। इसकी झलक सरकार गठन और उसके बाद विभागों के बंटवारे के वक्त दिख चुकी है। ऐसे में राज्य में नए राजनीतिक समीकरण की संभावना से इनकार नहीं किया जा रहा है। इस बीच हालात भी इस तरह के उत्पन्न हो रहे हैं कि कयासों का सिलसिला शुरू है।

भाजपा और उद्धव की शिवसेना के संबंध

कभी भाजपा और उद्धव की शिवसेना साथ-साथ थे। अच्छे दोस्त थे। मगर सियासत का पहिया ऐसा घूमा कि आज दुश्मन हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और शिवसेना (संयुक्त) गठबंधन ने बड़ी जीत दर्ज की। इस चुनाव में बीजेपी को 105 और शिवसेना को 56 सीटों पर जीत मिली। बीजेपी ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया, लेकिन इसी बीच उद्धव की पार्टी ने सीएम पद पर पेच फंसा दिया।

उद्धव ठाकरे ने सीएम पद की डिमांड रख दी, जिसके बाद दोनों का गठबंधन टूट गया। फडणवीस 5 दिन के लिए मुख्यमंत्री जरूर बने, लेकिन बहुमत न होने की वजह से उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ गई. इसके बाद उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बनाए गए।

2022 में उद्धव की पार्टी में टूट हो गई. एकनाथ शिंदे 40 विधायकों को लेकर एनडीए में चले गए। नई सरकार में शिंदे मुख्यमंत्री बने और फडणवीस उपमुख्यमंत्री। उस वक्त शिवेसना तोड़ने का आरोप भी फडणवीस पर ही लगा। कहा गया कि महाराष्ट्र में शिंदे के साथ कॉर्डिनेट करने में फडणवीस ने बड़ी भूमिका निभाई।

2023 में शरद पवार की पार्टी में भी टूट हुई। 2024 के लोकसभा चुनाव में इन सब बगावत के बावजूद शरद पवार और उद्धव के साथ कांग्रेस गठबंधन ने बेहतरीन परफॉर्मेंस किया, लेकिन विधानसभा के चुनाव में बीजेपी गठबंधन ने बड़ी बढ़त बना ली। फडणवीस इसके बाद फिर मुख्यमंत्री बनाए गए।

क्या बदलेगी महाराष्ट्र का सियासी तस्वीर?

महाराष्ट्र में कॉर्पोरेशन, नगर निगम और स्थानीय स्वराज संस्थाओं के चुनाव पास हैं और भाजपा-शिवसेना के बीच संबंध सुधरने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। सामना में फडणवीस की तारीफ उद्धव की एक रणनीतिक चाल है या महाराष्ट्र की राजनीति में किसी बड़े बदलाव का संकेत, यह तो आने वाला वक्त बताएगा। मगर इसकी पूरी संभावना है कि महाराष्ट्र की राजनीति में कुछ दिलचस्प होने वाला है।

क्या महाविकास अघाड़ी छोड़ देंगे उद्धव ठाकरे? अपने बना रहे प्रेशर

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महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव खत्म हो चुके हैं, लेकिन अब तक प्रदेश की नई सरकार को संशय का दौर बना हुआ है। चुनाव में जीत हासिल करने वाला महायुति गठबंधन अभी सीएम के पद पर मंथन ही कर रहा है तो शिकस्त का सामना करने वाले महा विका आघाड़ी हार से उबर नहीं सका है। आघाड़ी में अब आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है। महायुति की प्रचंड जीत के बाद अब विपक्षी गठबंधन एमवीए पर बड़ा खतरा मंडराने लगा है। अंदरखाने खबरें मिल रही हैं कि विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद उद्धव ठाकरे महाविकास अघाड़ी से बाहर हो सकते हैं।

अपमानजनक हार के बाद एमवीए के प्रमुख दल शिवसेना(यूबीटी) के भीतर कलह का दौर तेज हो गया है। कहा जा रहा है कि ये वो लोग हैं, जिन्होंने पहले भी आवाज उठाई थी, लेकिन तब उनकी आवाज दबा दी गई। इन लोगों को कांग्रेस का साथ पहले भी पसंद नहीं था लेकिन उद्धव के आगे तब किसी की नहीं चली और मजबूरी में नाम जपते हुए मुंह बंद करके बैठे रहे। महाराष्ट्र में बीजेपी की अगुवाई वाले महायुति गठबंधन ने महा विकास अघाड़ी का सूपड़ा साफ कर दिया तो उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी के नेताओं को मुंह खोलने का मौका मिल गया। सूत्रों के मुताबिक अब यही नेतागण उद्धव ठाकरे पर अघाड़ी छोड़ने का दबाव बना रहे हैं। कहा जा रहा है कि उद्धव ठाकरे जल्द ही एमवीए छोड़ने का यह फैसला ले सकते हैं।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उद्धव ठाकरे द्वारा आयोजित एक बैठक में शिव सेना (यूबीटी) के 20 विधायकों में से अधिकांश ने कथित तौर पर उद्धव ठाकरे से जल्द से जल्द महाविकास अघाड़ी का साथ छोड़ने की अपील की। शिवसेना (यूबीटी) आगामी नगर निगम और स्थानीय निकाय चुनाव अपने दम पर लड़ने की तैयारी कर रही है। उद्धव ठाकरे गुट के एक नेता ने कहा है कि वह महानगरपालिका के चुनाव अलग लड़ने पर सोच रही है। शिवसेना भविष्य में सभी चुनाव अपने दम पर लड़ सकती है।

हालांकि, उद्धव ठाकरे ने अभी तक कोई फ़ैसला नहीं किया है। कांग्रेस के साथ सरकार बनाने के कारण एकनाथ शिंदे और उनके साथ चालीस विधायक बग़ावत कर उद्धव को झटका दे चुके है ऐसे में अब उद्धव क्या फ़ैसला लेते है यह देखना होगा।

महाराष्ट्र कैश कांड: उद्धव ठाकरे ने भाजपा को घेरा, कांग्रेस बोली- नोट जिहाद में जुटी बीजेपी*
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महाराष्ट्र चुनाव से ठीक पहले वोट के बदले कैश कांड की एंट्री हो गई है। महाराष्ट्र में भाजपा नेता विनोद तावड़े पर पैसे बांटने का आरोप लगा है।बहुजन विकास अघाड़ी ने विनोद तावड़े पर पैसे बांटने का आरोप लगाया है। हालांकि, भाजपा नेता तावड़े ने इन आरोपों को खारिज किया है। यह घटना ऐसे वक्त में सामने आई है, जब 20 नवंबर को वोटिंग है। इस तरह महाराष्ट्र की सियासी लड़ाई अब कैश कांड पर आ गई है। विपक्षी दलों को मौका मिल गया है। *उनके बीच में शायद आपसी गैंगवार- उद्धव ठाकरे* भाजपा नेता विनोद तावड़े पर पैसा बांटने का आरोप लगने के बाद शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सभी सबूतों के आधार पर कार्रवाई होनी चाहिए। अन्यथा मुझे पूरा भरोसा है कि महाराष्ट्र अपनी तरफ से कार्रवाई करेगा। उद्धव ठाकरे ने भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह उनके बीच में शायद आपसी गैंगवार भी हो सकती है। *चुनाव में बीजेपी का खेल खत्म हुआ समझें-संजय राउत* इस मामले में प्रतिक्रिया देते हुए उद्धव सेना के नेता संजय रावत ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि विनोद तावड़े पैसे बांट रहे थे, बहुजन विकास आघाड़ी के लोग वहां घुसे और उन्होंने पैसा जप्त किया है। नालासोपारा में जो हुआ है, वह कैमरे के सामने हुआ है। अब बीजेपी के लोग कह रहे हैं कि वे इसका खुलासा करेंगे, लेकिन इसमें खुलासा करने जैसा क्या है? बीजेपी का असली चेहरा अब जनता के सामने आ गया है। इस घटना के बाद चुनाव में बीजेपी का खेल खत्म हुआ समझें। *कांग्रेस ने भाजपा के साथ चुनाव आयोग को भी लपेटा* महाराष्ट्र कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा, हमें बताया गया है कि विनोद तावड़े के पास से एक डायरी मिली है। इसमें पता चला है कि 10 करोड़ रुपये पहले ही बांटे जा चुके हैं। कल भी उनके पास से पांच करोड़ रुपये नकद बरामद किए गए थे। मुझे उम्मीद है कि चुनाव आयोग ने भाजपा नेताओं के लिए कोई नया नियम नहीं बनाया है। उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
महाराष्ट्र चुनाव: वर्ली में जोरदार होगा “वॉर”, आदित्य ठाकरे को घेरने का है जोरदार प्लान

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महाराष्ट्र में एक चरण यानी 20 नवंबर को विधानसभा के चुनाव हैं। यहां वोटों की गिनती 23 नवंबर को की जाएगी। इस दिन तय हो जाएगा की आखिर महाराष्ट्र के सत्ता की कुर्सी कौन संभालेगा? महाराष्ट्र में मुख्य लड़ाई दो गठबंधन के बीच है। ये गठबधंन महायुति और महाविकास अघाड़ी हैं। महायुति में बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट) एनसीपी (अजित गुट) हैं। इसके साथ ही महाविकास अघाड़ी गठबंधन में शिवसेना (उद्धव गुट), एनसीपी (शरद पवार गुट) और कांग्रेस पार्टी शामिल है। महाराष्ट्र की वीआईपी सीटों की बात करें वर्ली विधानसभा सीट उनमें से एक है।

मुंबई की हाई प्रोफाइल सीटों में एक सीट है वर्ली विधानसभा सीट से शिवसेना (UBT) ने आदित्य ठाकरे को मैदान में उतारा है। शिवसेना (एकनाथ शिंदे) भी कड़ी चुनौती देने की तैयारी में जुटी है।उद्धव ठाकरे के बेटे और पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे आदित्य ठाकरे को वर्ली सीट से घेरने को शिंदे वाली शिवसेना राज्यसभा सांसद मिलिंद देवड़ा को मैदान में उतार सकती है।

दरअसल, वर्ली सीट पर एकनाथ शिंदे आदित्यनाथ को वॉकओवर नहीं देना चाहते हैं। पार्टी में इस संबंध में गंभीर मंथन भी हुआ है। इसी सिलसिले में मिलिंद देवड़ा से भी सीएम शिंदे सहित तमाम बड़े नेताओं ने बातचीत की है और विचार किया जा रहा है आदित्य के सामने मजबूत युवा चेहरे के तौर पर मिलिंद देवड़ा को ही उतारा जाए। हालांकि इस पर अभी तक अंतिम फैसला नहीं लिया जा सका है।

बता दें कि मिलिंद देवड़ा को राजनीति विरासत में मिली है और उनके पिता मुरली देवड़ा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे और कांग्रेस सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे। मिलिंद देवड़ा इस समय राज्यसभा सदस्य हैं और दक्षिण मुंबई से तीन बार सांसद रह चुके हैं। मिलिंद देवड़ा ने जनवरी में ही कांग्रेस छोड़कर एकनाथ शिंदे की शिवसेना का दामन थामा था। लोकसभा चुनाव के दौरान मिलिंद देवड़ा को ही वर्ली की कमान दी गई थी। वर्ली सीट शिवसेना यूबीटी के प्रभाव वाली मानी जाती है और इसके बावजूद वर्ली से शिवसेना यूबीटी को महज 6500 वोट की ही बढ़त हासिल हुई थी।

हालांकि वर्ली सीट महायुति में बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट) एनसीपी (अजित गुट) में से किसके कोटे में जाएगी, ये स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है। लेकिन कयास यही लगाए जा रहे हैं कि महायुति गठबंधन में शिंदे गुट को कोटे के तहत यह सीट मिल जाए। ऐसे में उनके पास मजबूत चेहरे के रूप में मिलिंद देवड़ा हैं लेकिन वर्ली सीट पर बहुतायत में मराठी वोटर्स जीत तय करते हैं, ऐसे में पार्टियों के लिए इसका भी ध्यान रखना अनिवार्य है।

अगर मिलिंद देवड़ा चुनाव नहीं लड़ते हैं तो बीजेपी शायना एनसी को शिंदे गुट ज्वाइन कराकर मैदान में उतार सकती है। इससे पहले बीजेपी अपने 2 पूर्व सांसदों समेत कुल 3 नेताओं को एनसीपी (अजीत पवार गुट) ज्वाइन कराकर वहां से टिकट दिला दिया है।

महाराष्ट्र चुनाव: वर्ली में जोरदार होगा “वॉर”, आदित्य ठाकरे को घेरने का है जोरदार प्लान
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* महाराष्ट्र में एक चरण यानी 20 नवंबर को विधानसभा के चुनाव हैं। यहां वोटों की गिनती 23 नवंबर को की जाएगी। इस दिन तय हो जाएगा की आखिर महाराष्ट्र के सत्ता की कुर्सी कौन संभालेगा? महाराष्ट्र में मुख्य लड़ाई दो गठबंधन के बीच है। ये गठबधंन महायुति और महाविकास अघाड़ी हैं। महायुति में बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट) एनसीपी (अजित गुट) हैं। इसके साथ ही महाविकास अघाड़ी गठबंधन में शिवसेना (उद्धव गुट), एनसीपी (शरद पवार गुट) और कांग्रेस पार्टी शामिल है। महाराष्ट्र की वीआईपी सीटों की बात करें वर्ली विधानसभा सीट उनमें से एक है। मुंबई की हाई प्रोफाइल सीटों में एक सीट है वर्ली विधानसभा सीट से शिवसेना (UBT) ने आदित्य ठाकरे को मैदान में उतारा है। शिवसेना (एकनाथ शिंदे) भी कड़ी चुनौती देने की तैयारी में जुटी है।उद्धव ठाकरे के बेटे और पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे आदित्य ठाकरे को वर्ली सीट से घेरने को शिंदे वाली शिवसेना राज्यसभा सांसद मिलिंद देवड़ा को मैदान में उतार सकती है। दरअसल, वर्ली सीट पर एकनाथ शिंदे आदित्यनाथ को वॉकओवर नहीं देना चाहते हैं। पार्टी में इस संबंध में गंभीर मंथन भी हुआ है। इसी सिलसिले में मिलिंद देवड़ा से भी सीएम शिंदे सहित तमाम बड़े नेताओं ने बातचीत की है और विचार किया जा रहा है आदित्य के सामने मजबूत युवा चेहरे के तौर पर मिलिंद देवड़ा को ही उतारा जाए। हालांकि इस पर अभी तक अंतिम फैसला नहीं लिया जा सका है। बता दें कि मिलिंद देवड़ा को राजनीति विरासत में मिली है और उनके पिता मुरली देवड़ा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे और कांग्रेस सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे। मिलिंद देवड़ा इस समय राज्यसभा सदस्य हैं और दक्षिण मुंबई से तीन बार सांसद रह चुके हैं। मिलिंद देवड़ा ने जनवरी में ही कांग्रेस छोड़कर एकनाथ शिंदे की शिवसेना का दामन थामा था। लोकसभा चुनाव के दौरान मिलिंद देवड़ा को ही वर्ली की कमान दी गई थी। वर्ली सीट शिवसेना यूबीटी के प्रभाव वाली मानी जाती है और इसके बावजूद वर्ली से शिवसेना यूबीटी को महज 6500 वोट की ही बढ़त हासिल हुई थी। हालांकि वर्ली सीट महायुति में बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट) एनसीपी (अजित गुट) में से किसके कोटे में जाएगी, ये स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है। लेकिन कयास यही लगाए जा रहे हैं कि महायुति गठबंधन में शिंदे गुट को कोटे के तहत यह सीट मिल जाए। ऐसे में उनके पास मजबूत चेहरे के रूप में मिलिंद देवड़ा हैं लेकिन वर्ली सीट पर बहुतायत में मराठी वोटर्स जीत तय करते हैं, ऐसे में पार्टियों के लिए इसका भी ध्यान रखना अनिवार्य है। अगर मिलिंद देवड़ा चुनाव नहीं लड़ते हैं तो बीजेपी शायना एनसी को शिंदे गुट ज्वाइन कराकर मैदान में उतार सकती है। इससे पहले बीजेपी अपने 2 पूर्व सांसदों समेत कुल 3 नेताओं को एनसीपी (अजीत पवार गुट) ज्वाइन कराकर वहां से टिकट दिला दिया है।
उद्धव ठाकरे ने किया कुणाल कामरा का बचाव,बोले- जो गद्दार है वो गद्दार है, गाने में कोई कमी नहीं

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कॉमेडियन कुणाल कामरा की एकनाथ शिंदे के ऊपर टिप्पणी के बाद महाराष्ट्र में बवाल मचा हुआ है। आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति में पक्ष-विपक्ष आपने सामने है। एक तरफ जहां सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन दलों के नेता कामरा के बयान से नाराजगी जताते हुए उनका विरोध कर रहे है। तो दूसरी ओर यूबीटी शिवसेना कुणाल कामरा के समर्थन में आ गई है। इस मुद्दे पर पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने कॉमेडियन कुणाल कामरा का बचाव किया है। कुणाल कामरा के समर्थन में आए उद्धव ठाकरे ने कहा कि मुझे नहीं लगता है कि कुणाल कामरा ने कुछ गलत कहा है। जो गद्दार है वो गद्दार है। उसके गाने में कोई कमी नहीं है। जिनके खून में 'गद्दारी' है वह कभी शिवसैनिक नहीं हो सकते।

कामरा को मिला उद्धव ठाकरे का साथ

उद्धव ठाकरे ने कुणाल कामरा की टिप्पणी पर कहा कि गाने में कोई कमी नहीं है। जो गद्दार हैं, वो गद्दार हैं। ठाकरे ने आगे कहा मुझे नहीं लगता कि कुणाल ने कुछ गलत कहा। कुणाल ने व्यग्य नहीं सत्य कहा है। आज मैं कहूंगा जिसने चोरी की वो गद्दार है। कल जिसने तोड़फोड़ की वो शिवसैनिक ने नहीं बल्कि गद्दार सेना ने की है। उद्धव ठाकरे ने शिवसेना चीफ एकनाथ शिंदे पर हमला करते हुए कहा, इन गद्दारों को कोशियारी या दूसरे नेताओं या उनके लोगों द्वारा किया जाने वाले अपमान नहीं दिखाई देता। स्टूडियो को जिसने नुकसान पहुंचाया, उससे वसूल करना चाहिए। नागपुर दंगे की सुपारी और औरंगज़ेब की कब्र की सुपारी किसने दी?

कामरा के बचाव में आए आदित्य ठाकरे

उद्धव ठाकरे के बाद शिवसेना-यूबीटी विधायक आदित्य ठाकरे ने कुणाल कामरा के बयान पर उनका बचाव किया। उन्होंने कहा कि कुणाल कामरा ने किसी का नाम नहीं लिया था, फिर भी एकनाथ शिंदे के समर्थकों ने उसे देशद्रोही और चोर क्यों कहा? साथ ही उन्होंने सवाल किया कि यह निर्णय कब लिया गया कि कुणाल कामरा देशद्रोही और चोर हैं? आदित्य ने यह भी कहा कि जब कुणाल कामरा ने मोदी जी और उनकी पार्टी के बारे में भी टिप्पणियां की थीं, तब किसी ने भी ऐसी प्रतिक्रिया नहीं दी। लेकिन अब जब उसने कुछ कहा, तो मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके समर्थकों ने उसे इस तरह की गाली-गलौच दी।

स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा ने अपने शो में शिंदे पर उनका नाम लिए बिना विवादित टिप्पणी की थी। इस पर भड़के शिवसैनिकों ने जहां शो का आयोजन किया गया था, वहां धावा बोल दिया था। शिवसेना कार्यकर्ताओं ने रविवार को मुंबई के खार इलाके में होटल यूनिकॉन्टिनेंटल में तोड़फोड़ की थी। इसके बाद शिवसेना युवा सेना (शिंदे गुट) के महासचिव राहुल कनाल और 19 अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई।

दिशा सालियान मौत मामले में क्यों आ रहा आदित्य ठाकरे का नाम? महाराष्ट्र में नया सियासत बवाल

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दिशा सालियान मर्डर केस एक बार फिर सुर्खियों में है। 8 जून 2020 को दिशा की मौत हुई। इसके 6 दिन एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की लाश उनके कमरे में मिली। दिशा सुशांत की मैनेजर रह चुकी थी। दिशा की मौत का केस इस बार सुर्खियों में इसलिए आया, क्योंकि उसके पिता सतीश ने बेटी की मौत की नए एंगल से जांच करने की मांग की है। हालांकि 5 साल पहले सतीश ने दिशा की मौत को सुसाइड मान लिया था, लेकिन अब उनका कहना है कि उन्हें सुसाइड मानने के लिए मजबूर किया गया था।

दिशा के पिता सतीश सालियान ने अपनी बेटी की मौत की नए सिरे से जांच की मांग करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया है और आदित्य ठाकरे के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। उन्होंने याचिका में दिशा सालियान के अंतिम संस्कार की तस्वीरों को भी अदालत में अपनी याचिका के साथ अटैच किया है। इस याचिका में वकील का कहना है कि जब दिशा का पार्थिव शरीर उसके परिवार को सौंपा गया, तब उसके शरीर पर किसी भी चोट या घाव के निशान नहीं थे, जबकि मालवणी पुलिस ने दावा किया था कि दिशा की मौत के समय उसका शरीर खून से लथपथ था।

दिशा की मौत मामले में आदित्य ठाकरे का नाम आ रहा है।सतीश सालियान ने कोर्ट में याचिका दायर कर आदित्य ठाकरे समेत कई लोगों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। आदित्य ठाकरे और पूर्व मेयर किशोरी पेडनेकर के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की गई है। दिशा सालियान के पिता ने बेटी की हत्या का दावा करते हुए आदित्य ठाकरे, एक्टर सूरज पंचोली और डिनो मोर्या पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने ये भी कहा है कि मुंबई पुलिस ने हकीकत को छुपाने की कोशिश की है। सतीश सालियान ने आदित्य ठाकरे पर ये भी आरोप लगाया है कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद उन्होंने रिया चक्रवर्ती से 44 बार फोन पर फोन किया था।

परिवार को नजरबंद रखने का आरोप

सतीश सालियान ने याचिका में कहा है कि दिशा की मौत अचानक नहीं हुई। पहले उनके साथ गैंगरेप हुआ और फिर उनका मर्डर कर दिया गया। सतीश ने कहा-'दिशा अपने करियर को लेकर काफी सीरियस थीं, ऐसे में उनका सुसाइड करना मुमकिन नहीं है। उस समय मुझे ये विश्वास दिलाया गया कि मेरी बेटी की मौत एक हादसा थी। पूर्व महापौर किशोरी पेडणेकर, मालवणी पुलिस थाने के अधिकारी लगातार इस बात पर जोर दे रहे थे कि वे जो बात कह रहे हैं, वो सच है। इन्हीं लोगों ने मेरे परिवार को लगातार दबाव में रखा और नजरबंद किया था। हमारी हर एक्टिविटी पर उनकी नजर थी।

8 जून की पार्टी में आदित्य ठाकरे भी थे शामिल?

याचिका में ये भी कहा गया है कि मुंबई पुलिस ने दिशा के गैंगरेप और मर्डर को दबाने की कोशिश की। इसके लिए पुलिस ने सभी गवाह, फोरेंसिक रिपोर्ट, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट जैसी सारी चीजें फर्जी तरीके से तैयार कीं। चश्मदीदों के मुताबिकर 8 जून 2020 की रात दिशा के मालवणी वाले घर पर एक पार्टी थी जिसमें उसके कुछ करीबी दोस्त शामिल हुए थे। इस दौरान आदित्य ठाकरे, एक्टर सूरज पंचोली और डिनो मोरिया भी दिशा के घर पहुंचे थे। इस घटना के बाद ही दिशा को मौत के घाट उतार दिया गया।

नितेश राणे ने लगाया बड़ा आरोप

इधर, बीजेपी विधायक नितेश राणे ने दावा किया कि दिशा सालियान मामले को लेकर उद्धव ठाकरे ने उनके पिता नारायण राणे को दो बार फोन कर मदद की गुहार लगाई थी। नितेश राणे ने कहा, उद्धव ठाकरे ने नारायण राणे से कहा था कि तुम्हारे भी दो बच्चे हैं, मेरे भी दो बच्चे हैं। अगर आदित्य ठाकरे निर्दोष हैं, तो उन्हें कैमरे के सामने आकर यह कहना चाहिए कि 8 जून 2020 को वे कहां थे।

राणे ने यह भी दावा किया कि दिशा सालियान के पिता के अनुसार इस मामले में तीन मास्टरमाइंड हैं - आदित्य ठाकरे, सूरज पंचोली और डिनो मोर्या। उन्होंने कहा, अब मैं यह आरोप नहीं लगा रहा, बल्कि दिशा सालियान के पिता खुद यह आरोप लगा रहे हैं।

दिशा सालियान के पिता की बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका, आदित्य ठाकरे पर एफआईआर और सीबीआई जांच की मांग

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दिशा सालियान की मौत को पांच साल गुजर चुके हैं। इतना वक्त गुजर जाने के बाद एक बार फिर मामले ने तूल पड़का है। दरअसल, दिशा सालियान के पिता ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सुशांत सिंह राजपूत की पूर्व मैनेजर दिशा सालियान के पिता ने बेटी की मौत की जांच सीबीआई को सौंपने का आग्रह किया है। साथ ही मौत की नई सिरे से जांच की भी मांग की है। याचिका में दिशा सालियान के पिता ने शिवसेना के आदित्य ठाकरे के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की भी मांग की है।

दिशा के पिता सतीश सालियान ने बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर याचिका में शिवसेना यूबीटी के विधायक आदित्य ठाकरे पर गंभीर आरोप लगाए हैं। दिशा के पिता का कहना है कि इस केस में आदित्य ठाकरे की संलिप्तता है। सतीश सालियान ने आदित्य ठाकरे के अलावा पूर्व मेयर किशोरी पेडणेकर और अन्य के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं। सतीश सालियन ने कोर्ट से मांग की है कि आदित्य ठाकरे और अन्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 376(डी), 302, 201, 218, 409, 166, 107, 109, 120(बी) और 34 के तहत मामला दर्ज किया जाए। इसके साथ ही उन्होंने मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की भी मांग की है।

वहीं, इस पूरे मामले पर बीजेपी विधायक नितेश राणे ने आदित्य ठाकरे पर हमला बोला है। उन्होंने कहा, मैं पहले दिन से कह रहा था कि यह हत्या है और इसकी जांच होनी चाहिए। इसमें आदित्य ठाकरे की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए। पहले दिन से ही मैंने उन लोगों के नामों की जांच की मांग की थी, जिनका नाम अब सतीश सालियान ने कोर्ट में अपनी याचिका में लिया है। अब यह साफ हो गया है कि उस वक्त के मुख्यमंत्री के बेटे यानी आदित्य ठाकरे को बचाने के लिए पुलिस ने क्या-क्या कदम उठाए थे।

दरअसल, करीब तीन साल पहले बीजेपी नेता नितेश राणे ने आरोप लगाया था कि दिशा सालियान की गैंगरेप के बाद हत्या की गई। हालांकि, तब दिशा की मां और पिता ने नितेश के खिलाफ यह कहते हुए केस दर्ज करवा दिया था कि यह उनकी बेटी को बदनाम करने की साजिश है। पर अब पिता का कुछ और ही कहना है। उन्होंने बेटी की मौत की नए सिरे से जांच का आग्रह किया है।

राज ठाकरे ने गंगाजल को लेकर ऐसा क्या बोला, मच गया बवाल

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महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने गंगाजल पर भड़काऊ बयान दिया। मनसे की 9 मार्च को 19वीं वर्षगांठ है। इस मौके पर पुणे के चिंचवड में रामकृष्ण मोरे ऑडिटोरियम में बड़ा समारोह आयोजित किया गया। इस दौरान अपने संबोधन में मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने प्रयागराज महाकुंभ के पवित्र स्नान का मजाक उड़ाया। उन्होंने गंगाजल को लेकर भी आपत्तिजनक बातें कही है। राज ठाकरे के बयान पर बीजेपी और शिवसेना के दोनों गुटों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।

राज ठाकरे ने महाकुंभ के गंगा के प्रदूषित पानी को लेकर भड़काऊ बयान दिया है। उन्होंने कहा कि कुंभ के पानी को गंदा बताया है। उन्होंने कहा कि वह इतना प्रदूषित है कि पीना तो छोड़िए, वह पानी पीने लायक भी नहीं है। उन्होंने कहा कि कुछ पदाधिकारी कुंभ मेले में गए थे। बाला नांदगांवकर वहां से एक छोटे बर्तन में पानी लेकर आये थे। मैंने कहा कि मैं हड्डी नहीं पीऊंगा। मैं सोशल मीडिया पर लोगों को बहुत लोगों को बकवास करते हुए देखता हूं।

ठाकरे ने कहा कि मैंने सोशल मीडिया पर गंगा नदी की स्थिति के कई वीडियो देखे हैं। जिनमें लोग नदी में नहाते हुए और शरीर खुजलाते हुए नजर आ रहे हैं। ऐसे में भला यह पानी पीने लायक कैसे हो सकता है? मनसे प्रमुख ने आगे कहा कि भारत में कोई भी नदी पूरी तरह स्वच्छ नहीं है। उन्होंने कहा कि जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे तब से मैं सुनता आ रहा हूं कि गंगा जल्द ही साफ हो जाएगी। लेकिन यह बस एक मिथक बनकर रह गया है। अब इस भ्रम से बाहर आने का समय आ गया है।

ठाकरे ने नदी को मां कहने पर भी मजाक उड़ाया। उन्होंने कहा कि हम तो नदी को मां कहते हैं। मगर विदेशों में देखिए, नदियां कितनी साफ हैं। विदेशों में लोग नदी को तो अपनी मां नहीं मानते हैं। अंधविश्वास से थोड़ा मुक्त हो जाइए, बाहर निकलिये और सिर थोड़ा घुमाकर देखिये।

उद्धव गुट का बड़ा दांव, संजय राउत ने की बाला साहब को भारत रत्न देने की मांग

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शिवसेना के संसथापक बाला साहब ठाकरे की आज जयंती है। बाला साहब ठाकरे की 99वीं जयंती पर शिंदे गुट की शिवसेना (यूबीटी) ने बाल ठाकरे को भारत रत्न दिए जाने की मांग उठाई। संजय राउत ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी को 26 जनवरी के मौके पर बाला साहब ठाकरे भारत रत्न देने का ऐलान करना चाहिए।

संजय राउत ने कहा कि बालासाहेब ठाकरे ने अपने पूरे जीवनकाल में सिर्फ दूसरों को आगे बढ़ाया। उन्होंने कभी भी वसूलों के साथ समझौता नहीं किया। ठाकरे को जब देशहित में जो फैसला लगा, वो किया। चाहे इंदिरा को समर्थन देने की बात हो चाहे बीजेपी को।राउत ने कहा कि पिछले दस वर्षों में भाजपा सरकार ने कुछ ऐसे लोगों को भारत रत्न दिया है, जो इसके हकदार नहीं थे।

बाल ठाकरे के भारत रत्न से सावरकर को कैसे मिलेगा सम्मान?

बाल ठाकरे की जयंती के अवसर पर बोलते हुए संजय राउत ने कहा कि बाल ठाकरे को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने हिंदुत्व के बीज इस देश में बोए। उन्होंने कहा कि ठाकरे की जन्म शताब्दी एक साल दूर है और इस शताब्दी से पहले उन्हें भारत रत्न मिलना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि अगर बाल ठाकरे को भारत रत्न मिलेगा, तो इससे वीर सावरकर को भी सम्मान मिलेगा।

पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि

इधर, बालासाहेब ठाकरे की जयंती पर प्रधानमंत्री मोदी ने श्रद्धांजलि दी। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखा है। पीएम ने अपने पोस्ट में लिखा- मैं बालासाहेब ठाकरे जी को उनके जन्मदिन पर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। उन्हें जन कल्याण और महाराष्ट्र के विकास के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिए व्यापक रूप से सम्मान दिया जाता है और याद किया जाता है। उन्होंने अपनी मूल मान्यताओं से कभी समझौता नहीं किया और हमेशा भारतीय संस्कृति के गौरव को बढ़ाने में अपना योगदान दिया।

क्या फिर एक होंगे उद्धव-फडणवीस? शिवसेना को भाने लगी भाजपा

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महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में उद्धव ठाकरे के सियासी स्टैंड को लेकर चर्चा है। सवाल उठ रहा है कि 5 साल से बीजेपी पर सियासी तौर पर मुखर उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के करीब आ रहे हैं। ऐसे सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि कुछ दिन पहले उद्धव ठाकरे ने अपने मुखपत्र सामना में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की जमकर तारीफ की थी। जिसके बाद उनकी पर्टी के सांसद और प्रवक्ता संजय राउत ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रशंसा की। इधर देवेंद्र फडणवीस के पांच दिसंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद 35 दिनों के बीच शिवसेना उद्धव गुट के नेता आदित्य ठाकरे सीएम फडणवीस से तीन बार मुलाकात कर चुके हैं। ठाकरे ने गुरुवार को एक बार फिर सीएम से मुलाकात की। उनकी इस मुलाकात ने कई राजनीतिक चर्चाओं को जन्म दिया है।

देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में महायुति की सरकार बन जाने के बावजूद महाराष्ट्र की राजनीति में चीजें शांत नहीं हुई हैं। महायुति की सरकार में देवेंद्र फडणवीस अपने दोनों उप मुख्यमंत्रियों अजित पवार और एकनाथ शिंदे के साथ बहुत सहज नहीं हैं। उनके सरकार में रहने की वजह से उनके पास फ्री हैंड नहीं है। इसकी झलक सरकार गठन और उसके बाद विभागों के बंटवारे के वक्त दिख चुकी है। ऐसे में राज्य में नए राजनीतिक समीकरण की संभावना से इनकार नहीं किया जा रहा है। इस बीच हालात भी इस तरह के उत्पन्न हो रहे हैं कि कयासों का सिलसिला शुरू है।

भाजपा और उद्धव की शिवसेना के संबंध

कभी भाजपा और उद्धव की शिवसेना साथ-साथ थे। अच्छे दोस्त थे। मगर सियासत का पहिया ऐसा घूमा कि आज दुश्मन हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और शिवसेना (संयुक्त) गठबंधन ने बड़ी जीत दर्ज की। इस चुनाव में बीजेपी को 105 और शिवसेना को 56 सीटों पर जीत मिली। बीजेपी ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया, लेकिन इसी बीच उद्धव की पार्टी ने सीएम पद पर पेच फंसा दिया।

उद्धव ठाकरे ने सीएम पद की डिमांड रख दी, जिसके बाद दोनों का गठबंधन टूट गया। फडणवीस 5 दिन के लिए मुख्यमंत्री जरूर बने, लेकिन बहुमत न होने की वजह से उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ गई. इसके बाद उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बनाए गए।

2022 में उद्धव की पार्टी में टूट हो गई. एकनाथ शिंदे 40 विधायकों को लेकर एनडीए में चले गए। नई सरकार में शिंदे मुख्यमंत्री बने और फडणवीस उपमुख्यमंत्री। उस वक्त शिवेसना तोड़ने का आरोप भी फडणवीस पर ही लगा। कहा गया कि महाराष्ट्र में शिंदे के साथ कॉर्डिनेट करने में फडणवीस ने बड़ी भूमिका निभाई।

2023 में शरद पवार की पार्टी में भी टूट हुई। 2024 के लोकसभा चुनाव में इन सब बगावत के बावजूद शरद पवार और उद्धव के साथ कांग्रेस गठबंधन ने बेहतरीन परफॉर्मेंस किया, लेकिन विधानसभा के चुनाव में बीजेपी गठबंधन ने बड़ी बढ़त बना ली। फडणवीस इसके बाद फिर मुख्यमंत्री बनाए गए।

क्या बदलेगी महाराष्ट्र का सियासी तस्वीर?

महाराष्ट्र में कॉर्पोरेशन, नगर निगम और स्थानीय स्वराज संस्थाओं के चुनाव पास हैं और भाजपा-शिवसेना के बीच संबंध सुधरने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। सामना में फडणवीस की तारीफ उद्धव की एक रणनीतिक चाल है या महाराष्ट्र की राजनीति में किसी बड़े बदलाव का संकेत, यह तो आने वाला वक्त बताएगा। मगर इसकी पूरी संभावना है कि महाराष्ट्र की राजनीति में कुछ दिलचस्प होने वाला है।

क्या महाविकास अघाड़ी छोड़ देंगे उद्धव ठाकरे? अपने बना रहे प्रेशर

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महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव खत्म हो चुके हैं, लेकिन अब तक प्रदेश की नई सरकार को संशय का दौर बना हुआ है। चुनाव में जीत हासिल करने वाला महायुति गठबंधन अभी सीएम के पद पर मंथन ही कर रहा है तो शिकस्त का सामना करने वाले महा विका आघाड़ी हार से उबर नहीं सका है। आघाड़ी में अब आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है। महायुति की प्रचंड जीत के बाद अब विपक्षी गठबंधन एमवीए पर बड़ा खतरा मंडराने लगा है। अंदरखाने खबरें मिल रही हैं कि विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद उद्धव ठाकरे महाविकास अघाड़ी से बाहर हो सकते हैं।

अपमानजनक हार के बाद एमवीए के प्रमुख दल शिवसेना(यूबीटी) के भीतर कलह का दौर तेज हो गया है। कहा जा रहा है कि ये वो लोग हैं, जिन्होंने पहले भी आवाज उठाई थी, लेकिन तब उनकी आवाज दबा दी गई। इन लोगों को कांग्रेस का साथ पहले भी पसंद नहीं था लेकिन उद्धव के आगे तब किसी की नहीं चली और मजबूरी में नाम जपते हुए मुंह बंद करके बैठे रहे। महाराष्ट्र में बीजेपी की अगुवाई वाले महायुति गठबंधन ने महा विकास अघाड़ी का सूपड़ा साफ कर दिया तो उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी के नेताओं को मुंह खोलने का मौका मिल गया। सूत्रों के मुताबिक अब यही नेतागण उद्धव ठाकरे पर अघाड़ी छोड़ने का दबाव बना रहे हैं। कहा जा रहा है कि उद्धव ठाकरे जल्द ही एमवीए छोड़ने का यह फैसला ले सकते हैं।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उद्धव ठाकरे द्वारा आयोजित एक बैठक में शिव सेना (यूबीटी) के 20 विधायकों में से अधिकांश ने कथित तौर पर उद्धव ठाकरे से जल्द से जल्द महाविकास अघाड़ी का साथ छोड़ने की अपील की। शिवसेना (यूबीटी) आगामी नगर निगम और स्थानीय निकाय चुनाव अपने दम पर लड़ने की तैयारी कर रही है। उद्धव ठाकरे गुट के एक नेता ने कहा है कि वह महानगरपालिका के चुनाव अलग लड़ने पर सोच रही है। शिवसेना भविष्य में सभी चुनाव अपने दम पर लड़ सकती है।

हालांकि, उद्धव ठाकरे ने अभी तक कोई फ़ैसला नहीं किया है। कांग्रेस के साथ सरकार बनाने के कारण एकनाथ शिंदे और उनके साथ चालीस विधायक बग़ावत कर उद्धव को झटका दे चुके है ऐसे में अब उद्धव क्या फ़ैसला लेते है यह देखना होगा।

महाराष्ट्र कैश कांड: उद्धव ठाकरे ने भाजपा को घेरा, कांग्रेस बोली- नोट जिहाद में जुटी बीजेपी*
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महाराष्ट्र चुनाव से ठीक पहले वोट के बदले कैश कांड की एंट्री हो गई है। महाराष्ट्र में भाजपा नेता विनोद तावड़े पर पैसे बांटने का आरोप लगा है।बहुजन विकास अघाड़ी ने विनोद तावड़े पर पैसे बांटने का आरोप लगाया है। हालांकि, भाजपा नेता तावड़े ने इन आरोपों को खारिज किया है। यह घटना ऐसे वक्त में सामने आई है, जब 20 नवंबर को वोटिंग है। इस तरह महाराष्ट्र की सियासी लड़ाई अब कैश कांड पर आ गई है। विपक्षी दलों को मौका मिल गया है। *उनके बीच में शायद आपसी गैंगवार- उद्धव ठाकरे* भाजपा नेता विनोद तावड़े पर पैसा बांटने का आरोप लगने के बाद शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सभी सबूतों के आधार पर कार्रवाई होनी चाहिए। अन्यथा मुझे पूरा भरोसा है कि महाराष्ट्र अपनी तरफ से कार्रवाई करेगा। उद्धव ठाकरे ने भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह उनके बीच में शायद आपसी गैंगवार भी हो सकती है। *चुनाव में बीजेपी का खेल खत्म हुआ समझें-संजय राउत* इस मामले में प्रतिक्रिया देते हुए उद्धव सेना के नेता संजय रावत ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि विनोद तावड़े पैसे बांट रहे थे, बहुजन विकास आघाड़ी के लोग वहां घुसे और उन्होंने पैसा जप्त किया है। नालासोपारा में जो हुआ है, वह कैमरे के सामने हुआ है। अब बीजेपी के लोग कह रहे हैं कि वे इसका खुलासा करेंगे, लेकिन इसमें खुलासा करने जैसा क्या है? बीजेपी का असली चेहरा अब जनता के सामने आ गया है। इस घटना के बाद चुनाव में बीजेपी का खेल खत्म हुआ समझें। *कांग्रेस ने भाजपा के साथ चुनाव आयोग को भी लपेटा* महाराष्ट्र कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा, हमें बताया गया है कि विनोद तावड़े के पास से एक डायरी मिली है। इसमें पता चला है कि 10 करोड़ रुपये पहले ही बांटे जा चुके हैं। कल भी उनके पास से पांच करोड़ रुपये नकद बरामद किए गए थे। मुझे उम्मीद है कि चुनाव आयोग ने भाजपा नेताओं के लिए कोई नया नियम नहीं बनाया है। उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
महाराष्ट्र चुनाव: वर्ली में जोरदार होगा “वॉर”, आदित्य ठाकरे को घेरने का है जोरदार प्लान

#maharashtra_election_milind_deora_may_worli_against_aditya_thackeray

महाराष्ट्र में एक चरण यानी 20 नवंबर को विधानसभा के चुनाव हैं। यहां वोटों की गिनती 23 नवंबर को की जाएगी। इस दिन तय हो जाएगा की आखिर महाराष्ट्र के सत्ता की कुर्सी कौन संभालेगा? महाराष्ट्र में मुख्य लड़ाई दो गठबंधन के बीच है। ये गठबधंन महायुति और महाविकास अघाड़ी हैं। महायुति में बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट) एनसीपी (अजित गुट) हैं। इसके साथ ही महाविकास अघाड़ी गठबंधन में शिवसेना (उद्धव गुट), एनसीपी (शरद पवार गुट) और कांग्रेस पार्टी शामिल है। महाराष्ट्र की वीआईपी सीटों की बात करें वर्ली विधानसभा सीट उनमें से एक है।

मुंबई की हाई प्रोफाइल सीटों में एक सीट है वर्ली विधानसभा सीट से शिवसेना (UBT) ने आदित्य ठाकरे को मैदान में उतारा है। शिवसेना (एकनाथ शिंदे) भी कड़ी चुनौती देने की तैयारी में जुटी है।उद्धव ठाकरे के बेटे और पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे आदित्य ठाकरे को वर्ली सीट से घेरने को शिंदे वाली शिवसेना राज्यसभा सांसद मिलिंद देवड़ा को मैदान में उतार सकती है।

दरअसल, वर्ली सीट पर एकनाथ शिंदे आदित्यनाथ को वॉकओवर नहीं देना चाहते हैं। पार्टी में इस संबंध में गंभीर मंथन भी हुआ है। इसी सिलसिले में मिलिंद देवड़ा से भी सीएम शिंदे सहित तमाम बड़े नेताओं ने बातचीत की है और विचार किया जा रहा है आदित्य के सामने मजबूत युवा चेहरे के तौर पर मिलिंद देवड़ा को ही उतारा जाए। हालांकि इस पर अभी तक अंतिम फैसला नहीं लिया जा सका है।

बता दें कि मिलिंद देवड़ा को राजनीति विरासत में मिली है और उनके पिता मुरली देवड़ा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे और कांग्रेस सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे। मिलिंद देवड़ा इस समय राज्यसभा सदस्य हैं और दक्षिण मुंबई से तीन बार सांसद रह चुके हैं। मिलिंद देवड़ा ने जनवरी में ही कांग्रेस छोड़कर एकनाथ शिंदे की शिवसेना का दामन थामा था। लोकसभा चुनाव के दौरान मिलिंद देवड़ा को ही वर्ली की कमान दी गई थी। वर्ली सीट शिवसेना यूबीटी के प्रभाव वाली मानी जाती है और इसके बावजूद वर्ली से शिवसेना यूबीटी को महज 6500 वोट की ही बढ़त हासिल हुई थी।

हालांकि वर्ली सीट महायुति में बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट) एनसीपी (अजित गुट) में से किसके कोटे में जाएगी, ये स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है। लेकिन कयास यही लगाए जा रहे हैं कि महायुति गठबंधन में शिंदे गुट को कोटे के तहत यह सीट मिल जाए। ऐसे में उनके पास मजबूत चेहरे के रूप में मिलिंद देवड़ा हैं लेकिन वर्ली सीट पर बहुतायत में मराठी वोटर्स जीत तय करते हैं, ऐसे में पार्टियों के लिए इसका भी ध्यान रखना अनिवार्य है।

अगर मिलिंद देवड़ा चुनाव नहीं लड़ते हैं तो बीजेपी शायना एनसी को शिंदे गुट ज्वाइन कराकर मैदान में उतार सकती है। इससे पहले बीजेपी अपने 2 पूर्व सांसदों समेत कुल 3 नेताओं को एनसीपी (अजीत पवार गुट) ज्वाइन कराकर वहां से टिकट दिला दिया है।

महाराष्ट्र चुनाव: वर्ली में जोरदार होगा “वॉर”, आदित्य ठाकरे को घेरने का है जोरदार प्लान
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* महाराष्ट्र में एक चरण यानी 20 नवंबर को विधानसभा के चुनाव हैं। यहां वोटों की गिनती 23 नवंबर को की जाएगी। इस दिन तय हो जाएगा की आखिर महाराष्ट्र के सत्ता की कुर्सी कौन संभालेगा? महाराष्ट्र में मुख्य लड़ाई दो गठबंधन के बीच है। ये गठबधंन महायुति और महाविकास अघाड़ी हैं। महायुति में बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट) एनसीपी (अजित गुट) हैं। इसके साथ ही महाविकास अघाड़ी गठबंधन में शिवसेना (उद्धव गुट), एनसीपी (शरद पवार गुट) और कांग्रेस पार्टी शामिल है। महाराष्ट्र की वीआईपी सीटों की बात करें वर्ली विधानसभा सीट उनमें से एक है। मुंबई की हाई प्रोफाइल सीटों में एक सीट है वर्ली विधानसभा सीट से शिवसेना (UBT) ने आदित्य ठाकरे को मैदान में उतारा है। शिवसेना (एकनाथ शिंदे) भी कड़ी चुनौती देने की तैयारी में जुटी है।उद्धव ठाकरे के बेटे और पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे आदित्य ठाकरे को वर्ली सीट से घेरने को शिंदे वाली शिवसेना राज्यसभा सांसद मिलिंद देवड़ा को मैदान में उतार सकती है। दरअसल, वर्ली सीट पर एकनाथ शिंदे आदित्यनाथ को वॉकओवर नहीं देना चाहते हैं। पार्टी में इस संबंध में गंभीर मंथन भी हुआ है। इसी सिलसिले में मिलिंद देवड़ा से भी सीएम शिंदे सहित तमाम बड़े नेताओं ने बातचीत की है और विचार किया जा रहा है आदित्य के सामने मजबूत युवा चेहरे के तौर पर मिलिंद देवड़ा को ही उतारा जाए। हालांकि इस पर अभी तक अंतिम फैसला नहीं लिया जा सका है। बता दें कि मिलिंद देवड़ा को राजनीति विरासत में मिली है और उनके पिता मुरली देवड़ा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे और कांग्रेस सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे। मिलिंद देवड़ा इस समय राज्यसभा सदस्य हैं और दक्षिण मुंबई से तीन बार सांसद रह चुके हैं। मिलिंद देवड़ा ने जनवरी में ही कांग्रेस छोड़कर एकनाथ शिंदे की शिवसेना का दामन थामा था। लोकसभा चुनाव के दौरान मिलिंद देवड़ा को ही वर्ली की कमान दी गई थी। वर्ली सीट शिवसेना यूबीटी के प्रभाव वाली मानी जाती है और इसके बावजूद वर्ली से शिवसेना यूबीटी को महज 6500 वोट की ही बढ़त हासिल हुई थी। हालांकि वर्ली सीट महायुति में बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट) एनसीपी (अजित गुट) में से किसके कोटे में जाएगी, ये स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है। लेकिन कयास यही लगाए जा रहे हैं कि महायुति गठबंधन में शिंदे गुट को कोटे के तहत यह सीट मिल जाए। ऐसे में उनके पास मजबूत चेहरे के रूप में मिलिंद देवड़ा हैं लेकिन वर्ली सीट पर बहुतायत में मराठी वोटर्स जीत तय करते हैं, ऐसे में पार्टियों के लिए इसका भी ध्यान रखना अनिवार्य है। अगर मिलिंद देवड़ा चुनाव नहीं लड़ते हैं तो बीजेपी शायना एनसी को शिंदे गुट ज्वाइन कराकर मैदान में उतार सकती है। इससे पहले बीजेपी अपने 2 पूर्व सांसदों समेत कुल 3 नेताओं को एनसीपी (अजीत पवार गुट) ज्वाइन कराकर वहां से टिकट दिला दिया है।