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मुसलमानों के लिए भी खुले आरएसएस के दरवाजे, संघ प्रमुख भागवत ने शाखा में शामिल होने के लिए रखी शर्त

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने 4 दिवसीय दौरे वाराणसी पर हैं। इस दौरान उन्होंने कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया और उन्हें संबोधित किया। इस दौरान संघ प्रमुख का दिया एक बयान काफी चर्चा में है। मोहन भागवत ने मुसलमानों के शाखा में शामिल होने को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि कोई भी मुसलमान शाखा में शामिल हो सकता है बशर्ते वो भारत माता की जय के नारे लगाए और भगवा झंडा की इज्जत करे।

वाराणसी में मोहन भागवत लाजपत नगर कॉलोनी में आरएसएस की एक शाखा पर पहुंचे थे। सत्र के दौरान, एक स्वयंसेवक ने जब संघ प्रमुख से पूछा कि क्या वह अपने पड़ोसियों, जो मुस्लिम हैं, उनको शाखा में आमंत्रित कर सकता है और ला सकता है।

सभी पंथ, समुदाय और जाति के लोगों का संघ में स्वागत-भागवत

स्वयंसेवक के सवाल के जवाब में संघ प्रमुख ने कहा कि भारत माता की जय बोलने वाले और भगवा ध्वज का सम्मान करने वाले सभी लोगों के लिए शाखाओं के दरवाजे खुले हैं। संघ की विचारधारा में पूजा पद्धति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं है। उन्होंने कहा कि खुद को औरंगजेब का वंशज मानने वालों को छोड़कर सभी भारतीयों का संघ की शाखाओं में स्वागत है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के सभी पंथ, समुदाय और जातियों के लोगों का संघ की शाखाओं में स्वागत है।

हिंदू समाज में भारत में रहने वाला हर व्यक्ति शामिल-भागवत

इससे पहले मोहन भागवत ने शनिवार को आईआईटी बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कहा, समाज में मेलजोल और बराबरी होनी चाहिए। जाति या धर्म के आधार पर किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। मंदिर, पानी और दूसरी जरूरी चीजें सभी को बराबर मिलनी चाहिए। हिंदू समाज में भारत में रहने वाला हर व्यक्ति शामिल है, चाहे वह मुस्लिम हो या हिंदू, क्योंकि वे सभी भारत का हिस्सा हैं। इसका मतलब है कि हमें सभी को साथ लेकर चलना है।

आरएसएस नेता जोशी ने औरंगजेब विवाद को बताया अनावश्यक, बोले- जिसकी जहां आस्था, वहीं जाएगा

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मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को हटाने की कुछ दक्षिणपंथी संगठनों की मांग के बीच, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ नेता सुरेश 'भैयाजी' जोशी ने सोमवार को कहा कि इस विषय को अनावश्यक रूप से उठाया गया है। नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान संवाददाताओं से बात करते हुए उन्होंने कहा कि जो भी व्यक्ति आस्था रखता है, वह महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर में स्थित इस ढांचे के दर्शन करेगा। बता दें कि पिछले कुछ दिनों में औरंगजेब को लेकर काफी विवाद देखने को मिला है। नागपुर में मुगल शासक औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग को लेकर हिंसा भी देखने को मिली।

महाराष्ट्र के औरंगजेब की कब्र को लेकर छिड़े विवाद को आरएसएस के वरिष्ठ नेता ने अनावश्यक बताया है।भैयाजी जोशी ने कहा कि औरंगजेब की कब्र का विषय अनावश्यक रूप से उठाया गया है। उनकी मृत्यु भारत में हुई थी, इसलिए उनकी कब्र यहीं बनाई गई है। हमारे पास छत्रपति शिवाजी महाराज का आदर्श (रोल मॉडल) है, उन्होंने अफजल खान की कब्र बनवाई थी। यह भारत की उदारता और समावेशिता का प्रतीक है। कब्र बनी रहेगी, जो भी जाना चाहेगा, जाएगा।

इससे पहले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने रविवार को औरंगजेब की कब्र को लेकर सांप्रदायिक तनाव भड़काने के प्रयासों की निंदा की और कहा कि इतिहास को जाति और धर्म के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए।उन्होंने लोगों से ऐतिहासिक जानकारी के लिए व्हाट्सएप फॉरवर्ड पर निर्भर न रहने को भी कहा। ठाकरे ने यह भी कहा कि मुगल शासक शिवाजी नामक विचार को मारना चाहते थे लेकिन असफल रहे और महाराष्ट्र में उनकी मृत्यु हो गई। मनसे प्रमुख ने कहा कि बीजापुर के सेनापति अफजल खान को प्रतापगढ़ किले के पास दफनाया गया था और छत्रपति शिवाजी महाराज की अनुमति के बिना ऐसा नहीं किया जा सकता था।

‘जहां सेवा वहां स्वयंसेवक’, पीएम मोदी ने जमकर की आरएसएस की तारीफ, बताया-अमर संस्कृति का वट वृक्ष

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प्रधानमंत्री मोदी रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) मुख्यालय केशव कुंज पहुंचे। उन्होंने संघ के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार और दूसरे सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर (गुरुजी) के स्मारक स्मृति मंदिर पहुंचकर श्रद्धांजलि दी। बतौर प्रधानमंत्री मोदी की यह संघ मुख्यालय का पहला दौरा था। यहां प्रधानमंत्री ने संघ के माधव नेत्रालय के एक्सटेंशन बिल्डिंग की आधारशिला रखी। इस दौरान उन्होंने संघ की जमकर तारीफ की। उन्होंने आरएसएस क भारत की अमर संस्कृति का आधुनिक अक्षय वट बताया। साथ ही उन्होंने कहा कि जहां सेवा है वहां स्वयंसेवक है।

प्रधानमंत्री मोदी अपनी स्पीच में देश के इतिहास, भक्ति आंदोलन, इसमें संतों की भूमिका, संघ की नि:स्वार्थ कार्य प्रणाली, देश के विकास, युवाओं में धर्म-संस्कृति, स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार, शिक्षा, भाषा और प्रयागराज महाकुंभ की चर्चा की। कहा कि भारत के इतिहास में नजर डालें तो इसमें कई आक्रमण हुए। इतने आक्रमणों के बावजूद भी भारत की चेतना कभी समाप्त नहीं हुई, उसकी लौ जलती रही। कठिन से कठिन दौर में भी इस चेतना को जाग्रत रखने के लिए नए सामाजिक आंदोलन होते रहे। भक्ति आंदोलन इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण है।

मध्यकाल के उस कठिन कालखंड में हमारे संतों ने भक्ति के विचारों से राष्ट्रीय चेतना को नई ऊर्जा दी। गुरु नानक देव, कबीरदास, तुलसीदास, सूरदास, संत तुकाराम, संत रामदेव, संत ज्ञानेश्वर जैसे महान संतों ने अपने मौलिक विचारों से समाज में प्राण फूंके। उन्होंने भेदभाव के बंधनों को तोड़कर समाज को एकता के सूत्र में बांधा।

बांधे संघ की तारीफों के पुल

स्वामी विवेकानंद से लेकर डॉक्टर साहब तक, किसी ने भी राष्ट्रीय चेतना को बुझने नहीं दिया। राष्ट्रीय चेतना के जिस विचार का बीज 100 वर्ष पहले बोया गया था, वह आज एक महान वटवृक्ष के रूप में खड़ा है। सिद्धांत और आदर्श इस वटवृक्ष को ऊंचाई देते हैं, जबकि लाखों-करोड़ों स्वयंसेवक इसकी टहनियों के रूप में कार्य कर रहे हैं। संघ भारत की अमर संस्कृति का आधुनिक अक्षय वट है, जो निरंतर भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीय चेतना को ऊर्जा प्रदान कर रहा है।

स्वयंसेवकों के नि:स्वार्थ सेवा भाव की सराहना

पीएम मोदी ने कहा कि हमारा शरीर परोपकार और सेवा के लिए ही है। जब सेवा संस्कार बन जाती है, तो साधना बन जाती है। यही साधना हर स्वयंसेवक की प्राणवायु होती है। यह सेवा संस्कार, यह साधना, यह प्राणवायु, पीढ़ी दर पीढ़ी हर स्वयंसेवक को तप और तपस्या के लिए प्रेरित करती है। उसे न थकने देती है और न ही रुकने देती है। हम देव से देश और राम से राग के जीवन मंत्र लेकर चले हैं। अपना कर्तव्य निभाते चलते हैं। इसलिए बड़ा छोटा कैसा भी काम हो, कोई भी क्षेत्र हो, संघ के स्वयंसेवक नि:स्वार्थ भाव से काम करते हैं।

भारत की सबसे बड़ी पूंजी हमारा युवा-पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि भारत की सबसे बड़ी पूंजी हमारा युवा है। देश का युवा आत्मविश्वास से भरा हुआ है। उसकी रिस्क-टेकिंग कैपेसिटी पहले से कई गुना बढ़ चुकी है। वह इनोवेशन कर रहा है, स्टार्टअप की दुनिया में परचम लहरा रहा है। अपनी विरासत और संस्कृति पर गर्व करते हुए आगे बढ़ रहा है।

महाकुंभ में हमने देखा कि लाखों-करोड़ों की संख्या में युवा पीढ़ी पहुंची और सनातन परंपरा से जुड़कर गौरव से भर उठी। भारत का युवा आज देश की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए काम कर रहा है। यही युवा 2047 के विकसित भारत की ध्वजा थामे हुए हैं। मुझे भरोसा है कि संगठन, समर्पण और सेवा की त्रिवेणी विकसित भारत की यात्रा को ऊर्जा और दिशा देती रहेगी।

भारत अब मदद करने का केंद्र है-पीएम मोदी

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि 'वसुधैव कुटुंबकम' का मंत्र आज विश्व के कोने-कोने में गूंज रहा है। जब कोविड जैसी महामारी आती है, तो भारत विश्व को परिवार मानकर वैक्सीन उपलब्ध कराता है। दुनिया में कहीं भी प्राकृतिक आपदा हो, भारत पूरे मनोयोग से सेवा के लिए खड़ा होता है। म्यांमार में इतना बड़ा भूकंप आया है, भारत ऑपरेशन ब्रह्मा के साथ वहां के लोगों की मदद के लिए सबसे पहले पहुंच गया है। जब तुर्किए में भूकंप आया, जब नेपाल में भूकंप आया, जब मॉलदीव्स में पानी का संकट आया, भारत ने मदद करने में घड़ी भर की भी देर नहीं लगाई। युद्ध जैसे हालातों में हम दूसरे देशों के नागरिकों को भी सुरक्षित निकालकर लाते हैं। दुनिया देख रही है भारत आज जब प्रगति कर रहा है, तो पूरे ग्लोबल साउथ की आवाज़ भी बन रहा है। विश्व-बंधु की ये भावना... हमारे ही संस्कारों का विस्तार है।

नागपुर में संघ मुख्यालय पहुंचे पीएम मोदी, आरएसएस के संस्थापक डॉ. हेडगेवार को दी श्रद्धांजलि

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज महाराष्ट्र के दौरे पर हैं। एक दिन के दौरे पर पीएम मोदी नागपुर एयरपोर्ट पर उतरें। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने नागपुर एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत किया। पीएम मोदी आज कई कार्यक्रमों में शामिल होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नागपुर गुढीपाड़वा के मौके पर पहुंचे हैं। गुढीपाड़वा से ही हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। इसके बाद वह छत्तीसगढ़ के लिए रवाना होंगे।

नागपुर एयरपोर्ट से पीएम मोदी सीधे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के रेशम बाग स्थित मुख्यालय पहुंचे। यहां पीएम मोदी ने संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए। हेडगेवार के साथ-साथ पीएम मोदी ने माधव सदाशिव गोलवलकर को भी श्रद्धा सुमन अर्पित की। इस मौके पर संघ प्रमुख मोहन भागवत में भी मौजूद रहे।

प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी पहली बार आरएसएस के मुख्यालय पहुंचे हैं। अटल बिहारी वाजपेयी भी प्रधानमंत्री रहते हुए संघ मुख्यालय आ चुके हैं। इस दौरान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और प्रधानमंत्री एक साथ एक मंच पर रहेंगे, इससे पहले अयोध्या में रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान दोनों एक साथ मौजूद थे। आरएसएस अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है।

संघ के शताब्दी वर्ष में प्रधानमंत्री मोदी के संघ मुख्यालय के दौरे को बेहद अहम माना जा रहा है। सांविधानिक पद पर रहते हुए पीएम मोदी का संघ मुख्यालय में यह पहला दौरा है। महाराष्ट्र भाजपा के अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के नागपुर आगमन पर पूरे विदर्भ में उत्साह है। 47 स्थानों पर उनके स्वागत की तैयारी की गई है।

10वीं पास के लिए खुशखबरी, रोडवेज में कंडक्टर पदों पर निकली भर्तियां, इस डेट तक करें अप्लाई

10वीं पास कर सरकारी नौकरी की तलाश कर रहे अभ्यर्थियों के लिए खुशखबरी है. राजस्थान के अधीनस्थ और मंत्रिस्तरीय सेवा चयन बोर्ड (RSMSSB) ने राजस्थान रोडवेज में कंडक्टर पदों की भर्तियां निकाली हैं. इसके लिए आवेदन की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है. इच्छुक अभ्यर्थी चयन बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट rssb.rajasthan.gov.in पर जाकर 25 अप्रैल तक आवेदन कर सकते हैं. एप्लीकेशन प्रोसेस 27 मार्च से ही शुरू है.

चयन बोर्ड इस भर्ती प्रक्रिया के जरिए रोडवेज कंडक्टर के कुल 500 पदों को भरा जाएगा. कुल पदों में 456 पोस्ट गैर-टीएसपी क्षेत्र के लिए हैं, जबकि 44 पद टीएसपी क्षेत्र के लिए आरक्षित हैं. अभ्यर्थी निर्धारित लास्ट डेट या उससे पहले आवेदन कर सकते हैं. आइए जानते हैं आवेदन करने वाले कैंडिडेट की उम्र कितनी होनी चाहिए और आवेदकों का चयन कैसे किया जाएगा.

क्या मांगी गई योग्यता?

आवेदन करने वाले कैंडिडेट का किसी भी मान्यता बोर्ड से 10वीं पास होना अनिवार्य है.वहीं कैंडिडेट की उम्र 1 जनवरी 2026 तक 18 वर्ष से 40 वर्ष के बीच होनी चाहिए. आरक्षित कैटेगरी के अभ्यर्थियों को अधिकतम उम्र सीमा में सरकार के नियमानुसार छूट भी दी गई है.

कितनी है एप्लीकेशन फीस?

जनरल और ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए आवेदन फीस 600 रुपए निर्धारित की गई है. वहीं एससी, एसटी और दिव्यांग श्रेणी के कैंडिडेट्स को 400 रुपए आवेदन शुल्क का भुगतान करना होगा.

ऐसे करें अप्लाई

चयन बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट

rssb.rajasthan.gov.in पर जाएं.

होम पेज पर दिए गए अप्लाई टैब पर क्लिक करें.

डिटेल दर्ज कर रजिस्ट्रेशन करें और फाॅर्म भरें.

मांगे गए डाक्यूुमेंट्स को अपलोड करें.

फीस जमा करें और सबमिट करें.

कैसे होगा चयन?

रोडवेज परिचालक पदों पर आवेदकों का चयन लिखित परीक्षा के माध्यम से किया जाएगा. एग्जाम का आयोजन 55 नवंबर 2025 के लिए निर्धारित है और नतीजे 23 फरवरी 2026 को जारी किए जाएंगे. इस भर्ती से संबंधित अधिक जानकारी के लिए चयन बोर्ड की ओर से आधिकारिक भर्ती विज्ञापन को चेक कर सकते हैं.

NSUI ने दिल्ली में किया प्रदर्शन, पेपर लीक, बेरोजगारी समेत कई मुद्दों को लेकर उठाई आवाज, राष्ट्रीय सचिव ने कहा –

नई दिल्ली/रायपुर- देश में बढ़ती बेरोजगारी समेत कई मुद्दों को लेकर नई दिल्ली में NSUI ने संसद घेराव आंदोलन किया, जिसमें छत्तीसगढ़ समेत देशभर के हजारों NSUI कार्यकर्ता शामिल हुए. इस आंदोलन में लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी शामिल हुए और आएसएस के खिलाफ खुलकर अपनी बात रखी. NSUI नेताओं ने भी NEP 2020, पेपर लीक की समस्या, बढ़ती बेरोजगारी, शिक्षा का भगवाकरण और UGC के नए नियमों के खिलाफ आवाज उठाया. प्रदर्शन के दौरान एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष वरुण चौधरी एवं दिल्ली प्रभारी हनी बग्गा पर दिल्ली पुलिस ने गैर जमानती धाराएं लगाकर FIR दर्ज किया और दोनों नेताओं को पुलिस ने कल रात ही गिरफ्तार कर लिया, जिनकी आज जमानत पर रिहाई की गई.

राष्ट्रीय सचिव दिल्ली प्रभारी हनी बग्गा ने रिहाई के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि कल हमने छात्रों के हित पर देशव्यापी संसद घेराव आंदोलन दिल्ली की जंतर मंतर में किया था. हमारे नेता राहुल गांधी एवं हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष वरुण चौधरी के नेतृत्व में इस आंदोलन को किया गया. जिस प्रकार केंद्र की मोदी सरकार छात्रों के साथ अन्याय कर रही है उन्हें शिक्षा से वंचित करने का कार्य कर रही है, इसे लेकर राहुल गांधी ने भी कहा कि अब विश्वविद्यालय में लोकतंत्र खत्म हो गया है. RSS की विचारधारा वाली केंद्र की सरकार लोगों को ना शिक्षा दे पा रही है, ना रोजगार. इन्हीं सभी बातों को हमारे नेताओं ने कार्यक्रम में दोहराया.

आने वाले समय में करेंगे उग्र आंदोलन : बग्गा

बग्गा ने कहा, आंदोलन में हजारों छात्रों की संख्या देखकर केंद्र की सरकार और दिल्ली पुलिस डर गई, जिस कारण पुलिस ने राष्ट्रीय अध्यक्ष वरुण चौधरी और मेरे ऊपर गैर जमानती धारा लगाकर हमारी आवाज को कुचलने का काम किया है. केंद्र की सरकार एवं दिल्ली पुलिस कितने भी मुकदमे दर्ज करना है कर लीजिए पर यह आंदोलन और यह आवाज नहीं रुकेगी. आने वाले समय में हम और उग्र तरीके के साथ आंदोलन करेंगे.

बेंगलुरु में आरएसएस की तीन दिवसीय बैठक शुरू, कई अहम मुद्दों पर होगी चर्चा

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में निर्णय लेने की सर्वोच्च संस्था अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की तीन दिवसीय बैठक आज 21 मार्च से बेंगलुरु में शुरी हो गई है।संघ प्रमुख मोहन भागवत ने इस बैठक का उदघाटन किया। इस बैठक में 1482 प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। 23 मार्च तक चलने वाली इस बैठक में आरएसएस से जुड़े 32 संगठनों के महासचिव भी शामिल होंगे, जिनमें भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और महासचिव बीएल संतोष भी शामिल होंगे।

संघ की प्रतिनिधि सभा की शुरूआत में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, तबलावादक जाकिर हुसैन, प्रीतीश नंदी सहित कई जानी मानी हस्तियों और संघ के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को श्रद्धांजलि दी गई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह मुकुंद सीआर ने कहा कि हम जब भी इस तरह बैठक करते हैं तो शुरुआत उन लोगों को श्रद्धांजलि देते हैं, जो इस दुनिया में नहीं रहे।

सह सरकार्यवाह मुकुंद ने कहा कि इस साल संघ की स्थापना के 100 साल पूरे हो जाएंगे, इसलिए बैठक में संघ के विस्तार पर बातचीत होगी साथ ही अब तक संघ ने कितना काम किया इस पर चर्चा होगी। इसका मूल्यांकन होगा कि जो सामाजिक बदलाव हम लाने की कोशिश कर रहे हैं, उसमें कितना सफल रहे।

संघ के मुख्य प्रवक्ता सुनील आंबेकर ने बताया कि बैठक के दौरान बांग्लादेश और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी समारोह को लेकर प्रस्ताव पारित किया जाएगा। आंबेकर ने बताया कि संघ के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले, संघ द्वारा किए गए कार्यों और उसके भविष्य की रूपरेखा का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करेंगे। क्षेत्रीय प्रमुख भी अपने कार्यों, कार्यक्रमों, भूमिका और भविष्य की योजनाओं को प्रस्तुत करेंगे, जिनकी समीक्षा की जाएगी।

क्या औरंगजेब की कब्र हटानी चाहिए? विवाद के बीच आया राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का बयान

महाराष्ट्र के नागपुर में इस समय मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है. इसी बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की 3 दिवसीय बैठक के चलते अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस पीसी के दौरान सुनील आंबेकर से औरंगजेब को लेकर सवाल पूछा गया. उन से पूछा गया कि क्या अभी भी औरंगजेब प्रासंगिक है?

जहां इस वक्त औरंगजेब की कब्र को हटाने को लेकर बवाल मचा हुआ है. इसी बीच सुनील आंबेकर से जब नागपुर में हुई हिंसा और औरंगजेब की कब्र को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, किसी भी तरह की हिंसा समाज के लिए अच्छी नहीं है. पुलिस ने इस पर एक्शन लिया है. पुलिस इसकी जांच कर रही है. साथ ही मुगल बादशाह को लेकर उन्होंने कहा, औरंगजेब प्रासंगिक नहीं है.

संघ की तीन दिवसीय बैठक

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की 3 दिवसीय बैठक 21 से 23 मार्च तक कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में शुरू होने जा रही है, 19 मार्च को इस बैठक को लेकर अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान प्रचार प्रमुख ने 3 दिवसीय होने वाली बैठक को लेकर जानकारी दी. उन्होंने कहा, बैठक में देश भर से प्रतिनिधि शामिल होंगे. संघ के पदाधिकारी और कार्यकर्ता भी हिस्सा बनेंगे. उन्होंने जानकारी दी कि बैठक की शुरुआत 21 मार्च को सुबह 9 बजे होगी और 23 तारीख की शाम तक बैठक होगी. यह संघ की रचना में सबसे महत्वपूर्ण बैठक है.

कैंसर फैला रहा संघ परिवार...' महात्मा गांधी के पोते के बयान से बवाल

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महात्मा गांधी के पोते तुषार गांधी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को लेकर विवादास्पद बयान दिया है। तुषार गांधी ने देश की आत्मा को कैंसर से पीड़ित करने जौसा गंभीर आरप संघ परिवार पर लगाया है। तुषार गांधी के इस बयान के बाद बवाल मच गया। आरएसएस और बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने बुधवार को केरल के नेय्याट्टिनकारा में तुषार गांधी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। यह विरोध उस समय किया गया जब तुषार गांधी टीबी जंक्शन स्थित उनके आवास पर गांधीवादी नेता गोपीनाथन नायर की प्रतिमा का अनावरण कर रहे थे।

केरल के तिरुवनंतपुरम ज़िले के नेय्याट्टिंकारा में बुधवार शाम को महात्मा गांधी के पोते तुषार गांधी टीबी जंक्शन पर गांधीवादी प्रतिनिधि गोपीनाथ नायर की प्रतिमा का अनावरण करने गए थे। इस दौरान तुषार गांधी ने एक स्पीच दी। उन्होंने कहा, देश की आत्मा कैंसर से पीड़ित है और संघ परिवार इसे फैला रहा है।आरएसएस और बीजेपी कार्यकर्ताओं ने तुषार गांधी से माफ़ी मांगने को कहा। लेकिन तुषार गांधी अपने बयान पर अड़े रहे। उन्होंने 'गांधी की जय' के नारे लगाए और वहां से जाने लगे।

विरोध करने वालों ने नारेबाज़ी की और उनकी गाड़ी रोकने की कोशिश की, लेकिन तुषार गांधी माफी नहीं मांगी। वो 'आरएसएस मुर्दाबाद' और 'गांधी की जय' के नारे लगाते हुए वहां से चले गए। इस घटना के बाद कांग्रेस ने आरएसएस-बीजेपी कार्यकर्ताओं की निंदा की है।

आरएसएस में होगा NRC पर मंथन, पांच साल से मोदी सरकार की चुप्पी का क्या?

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की कर्नाटक के बेंगलुरु में बड़ी बैठक होली के बाद होने जा रही है। आरएसएस की सर्वोच्च निर्णायक संस्था अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (एबीपीएस) की वार्षिक बैठक तीन दिनों तक चलेगी। इस बैठक में आरएसएस के 100 साल के कार्य विस्तार की समीक्षा के साथ-साथ आगामी 100 सालों के लिए विभिन्न कार्यक्रमों, आयोजन और अभियानों की रूपरेखा तैयार की जाएगी। यही नहीं संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में आगामी राज्यों के चुनाव का फुलप्रूफ प्लान तैयार किया जा सकता है। इसके अलावा मुख्य एजेंडे में एनआरसी शामिल होने की संभावना है। सूत्रों ने बताया कि एबीपीएस पूरे भारत में एनआरसी के लागू करने पर चर्चा कर सकती है। साथ ही, कुछ राज्यों में इसे कैसे लागू किया जाए, इस पर भी विचार-विमर्श हो सकता है।

2019 में केन्द्र की मोदी सरकार ने संसद के दोनों सदनों से नागरिकता संशोधन बिल पास करवाया था। जिसके बाद पूरे देश में एनआरसी को लेकर विरोध शुरू हो गया था। इसके बाद विरोध को थामने के लिए खुद प्रधानमंत्री मोदी को आगे आना पड़ा था।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 दिसंबर, 2019 को दिल्ली की एक जनसभा में कहा था कि उनकी सरकार ने सत्ता में वापसी के बाद से राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) पर कोई चर्चा नहीं की है। तब से लेकर अब तक इस मुद्दे पर बात नहीं हुई है। हालांकि, यह मुद्दा अब राष्ट्रीय राजनीतिक चर्चा में फिर से उभरता दिख रहा है।

संघ के एक पदाधिकारी ने कहा, 'घुसपैठ के कारण देश के कई राज्यों की जनसांख्यिकी बदल गई है। झारखंड में मुसलमानों की तुलना में ईसाई आबादी भी घट रही है। बांग्लादेश से आने वाले लोगों के कारण अरुणाचल प्रदेश जैसे रणनीतिक रूप से संवेदनशील राज्यों की जनसांख्यिकी भी तेजी से बदल रही है। हम सभी जानते हैं कि असम और पश्चिम बंगाल में क्या हुआ है। गैरकानूनी अप्रवासियों की पहचान करना और उन्हें वापस भेजना केंद्र सरकार का कर्तव्य है।'संघ पदाधिकारी के अनुसार, एबीपीएस इस बात पर चर्चा करेगा कि एनआरसी को कैसे लागू किया जाए ताकि किसी भी 'भारतीय नागरिक' को खतरा महसूस न हो।

अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का शिखर सम्मेलन आरएसएस की सबसे महत्वपूर्ण बैठक है। इसमें सरसंघचालक मोहन भागवत और दूसरे नंबर के नेता दत्तात्रेय होसबले समेत सभी शीर्ष नेता उपस्थित रहेंगे। साथ ही, भाजपा अध्यक्ष और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता भी बैठक में शामिल हो सकते हैं। चर्चा किए गए मुद्दे और लिए गए फैसले न केवल अगले वर्ष के लिए संघ को दिशा देते हैं बल्कि सरकार को यह भी संकेत देते हैं कि वह नीतिगत स्तर पर क्या लागू करना चाहता है।

भाजपा समेत ये संगठन होंगे शामिल

आरएसएस के अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में संघ के 45 प्रांत के साथ-साथ सभी क्षेत्र के क्षेत्र प्रमुख, प्रांत प्रमुख मौजूद रहते हैं। इसके अतिरिक्त संघ के सभी 32 सहयोगी संगठनों के पदाधिकारी भी मौजूद रहेंगे, जिसमें विश्व हिंदू परिषद, भारतीय मजदूर संघ, भारतीय किसान संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, भारतीय जनता पार्टी, राष्ट्र सेविका समिति, जैसे सभी संगठन के पदाधिकारी मौजूद रहेंगे। प्रतिवर्ष ये बैठक मार्च में होती है और हर 3 साल बाद यह बैठक चुनावी वर्ष के रूप में मानी जाती है। हर तीसरे वर्ष नागपुर में बैठक संपन्न होती है। पिछले वर्ष यह बैठक नागपुर में हुई थी और इस वर्ष यह बैठक बेंगलुरु में हो रही है।

बिहार-बंगाल चुनाव पर होगी चर्चा

इस बैठक से पहले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का बिहार दौरा काफी अहम माना जा रहा है। आरएसएस के विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस बैठक में बिहार चुनाव के संबंध में भी चर्चा होगी। बिहार चुनाव से संबंधित सभी सहयोगी संगठनों को कार्य करने का दिशा निर्देश भी तय किया जाएगा। बिहार प्रवास से पहले आरएसएस के सरसंचालक मोहन भागवत पूर्वी भारत के प्रवास पर थे। 10 दिन का बंगाल प्रवास, 5 दिन का असम प्रवास, चार दिन का अरुणाचल का प्रवास, अब बिहार का प्रवास। 2026 के मार्च-अप्रैल के महीने में बंगाल का भी चुनाव होने की संभावना है। उस संबंध में भी इस बैठक में चर्चा होने की पूरी संभावना बताई जा रही है।

मुसलमानों के लिए भी खुले आरएसएस के दरवाजे, संघ प्रमुख भागवत ने शाखा में शामिल होने के लिए रखी शर्त

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने 4 दिवसीय दौरे वाराणसी पर हैं। इस दौरान उन्होंने कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया और उन्हें संबोधित किया। इस दौरान संघ प्रमुख का दिया एक बयान काफी चर्चा में है। मोहन भागवत ने मुसलमानों के शाखा में शामिल होने को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि कोई भी मुसलमान शाखा में शामिल हो सकता है बशर्ते वो भारत माता की जय के नारे लगाए और भगवा झंडा की इज्जत करे।

वाराणसी में मोहन भागवत लाजपत नगर कॉलोनी में आरएसएस की एक शाखा पर पहुंचे थे। सत्र के दौरान, एक स्वयंसेवक ने जब संघ प्रमुख से पूछा कि क्या वह अपने पड़ोसियों, जो मुस्लिम हैं, उनको शाखा में आमंत्रित कर सकता है और ला सकता है।

सभी पंथ, समुदाय और जाति के लोगों का संघ में स्वागत-भागवत

स्वयंसेवक के सवाल के जवाब में संघ प्रमुख ने कहा कि भारत माता की जय बोलने वाले और भगवा ध्वज का सम्मान करने वाले सभी लोगों के लिए शाखाओं के दरवाजे खुले हैं। संघ की विचारधारा में पूजा पद्धति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं है। उन्होंने कहा कि खुद को औरंगजेब का वंशज मानने वालों को छोड़कर सभी भारतीयों का संघ की शाखाओं में स्वागत है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के सभी पंथ, समुदाय और जातियों के लोगों का संघ की शाखाओं में स्वागत है।

हिंदू समाज में भारत में रहने वाला हर व्यक्ति शामिल-भागवत

इससे पहले मोहन भागवत ने शनिवार को आईआईटी बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कहा, समाज में मेलजोल और बराबरी होनी चाहिए। जाति या धर्म के आधार पर किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। मंदिर, पानी और दूसरी जरूरी चीजें सभी को बराबर मिलनी चाहिए। हिंदू समाज में भारत में रहने वाला हर व्यक्ति शामिल है, चाहे वह मुस्लिम हो या हिंदू, क्योंकि वे सभी भारत का हिस्सा हैं। इसका मतलब है कि हमें सभी को साथ लेकर चलना है।

आरएसएस नेता जोशी ने औरंगजेब विवाद को बताया अनावश्यक, बोले- जिसकी जहां आस्था, वहीं जाएगा

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मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को हटाने की कुछ दक्षिणपंथी संगठनों की मांग के बीच, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ नेता सुरेश 'भैयाजी' जोशी ने सोमवार को कहा कि इस विषय को अनावश्यक रूप से उठाया गया है। नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान संवाददाताओं से बात करते हुए उन्होंने कहा कि जो भी व्यक्ति आस्था रखता है, वह महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर में स्थित इस ढांचे के दर्शन करेगा। बता दें कि पिछले कुछ दिनों में औरंगजेब को लेकर काफी विवाद देखने को मिला है। नागपुर में मुगल शासक औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग को लेकर हिंसा भी देखने को मिली।

महाराष्ट्र के औरंगजेब की कब्र को लेकर छिड़े विवाद को आरएसएस के वरिष्ठ नेता ने अनावश्यक बताया है।भैयाजी जोशी ने कहा कि औरंगजेब की कब्र का विषय अनावश्यक रूप से उठाया गया है। उनकी मृत्यु भारत में हुई थी, इसलिए उनकी कब्र यहीं बनाई गई है। हमारे पास छत्रपति शिवाजी महाराज का आदर्श (रोल मॉडल) है, उन्होंने अफजल खान की कब्र बनवाई थी। यह भारत की उदारता और समावेशिता का प्रतीक है। कब्र बनी रहेगी, जो भी जाना चाहेगा, जाएगा।

इससे पहले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने रविवार को औरंगजेब की कब्र को लेकर सांप्रदायिक तनाव भड़काने के प्रयासों की निंदा की और कहा कि इतिहास को जाति और धर्म के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए।उन्होंने लोगों से ऐतिहासिक जानकारी के लिए व्हाट्सएप फॉरवर्ड पर निर्भर न रहने को भी कहा। ठाकरे ने यह भी कहा कि मुगल शासक शिवाजी नामक विचार को मारना चाहते थे लेकिन असफल रहे और महाराष्ट्र में उनकी मृत्यु हो गई। मनसे प्रमुख ने कहा कि बीजापुर के सेनापति अफजल खान को प्रतापगढ़ किले के पास दफनाया गया था और छत्रपति शिवाजी महाराज की अनुमति के बिना ऐसा नहीं किया जा सकता था।

‘जहां सेवा वहां स्वयंसेवक’, पीएम मोदी ने जमकर की आरएसएस की तारीफ, बताया-अमर संस्कृति का वट वृक्ष

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प्रधानमंत्री मोदी रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) मुख्यालय केशव कुंज पहुंचे। उन्होंने संघ के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार और दूसरे सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर (गुरुजी) के स्मारक स्मृति मंदिर पहुंचकर श्रद्धांजलि दी। बतौर प्रधानमंत्री मोदी की यह संघ मुख्यालय का पहला दौरा था। यहां प्रधानमंत्री ने संघ के माधव नेत्रालय के एक्सटेंशन बिल्डिंग की आधारशिला रखी। इस दौरान उन्होंने संघ की जमकर तारीफ की। उन्होंने आरएसएस क भारत की अमर संस्कृति का आधुनिक अक्षय वट बताया। साथ ही उन्होंने कहा कि जहां सेवा है वहां स्वयंसेवक है।

प्रधानमंत्री मोदी अपनी स्पीच में देश के इतिहास, भक्ति आंदोलन, इसमें संतों की भूमिका, संघ की नि:स्वार्थ कार्य प्रणाली, देश के विकास, युवाओं में धर्म-संस्कृति, स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार, शिक्षा, भाषा और प्रयागराज महाकुंभ की चर्चा की। कहा कि भारत के इतिहास में नजर डालें तो इसमें कई आक्रमण हुए। इतने आक्रमणों के बावजूद भी भारत की चेतना कभी समाप्त नहीं हुई, उसकी लौ जलती रही। कठिन से कठिन दौर में भी इस चेतना को जाग्रत रखने के लिए नए सामाजिक आंदोलन होते रहे। भक्ति आंदोलन इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण है।

मध्यकाल के उस कठिन कालखंड में हमारे संतों ने भक्ति के विचारों से राष्ट्रीय चेतना को नई ऊर्जा दी। गुरु नानक देव, कबीरदास, तुलसीदास, सूरदास, संत तुकाराम, संत रामदेव, संत ज्ञानेश्वर जैसे महान संतों ने अपने मौलिक विचारों से समाज में प्राण फूंके। उन्होंने भेदभाव के बंधनों को तोड़कर समाज को एकता के सूत्र में बांधा।

बांधे संघ की तारीफों के पुल

स्वामी विवेकानंद से लेकर डॉक्टर साहब तक, किसी ने भी राष्ट्रीय चेतना को बुझने नहीं दिया। राष्ट्रीय चेतना के जिस विचार का बीज 100 वर्ष पहले बोया गया था, वह आज एक महान वटवृक्ष के रूप में खड़ा है। सिद्धांत और आदर्श इस वटवृक्ष को ऊंचाई देते हैं, जबकि लाखों-करोड़ों स्वयंसेवक इसकी टहनियों के रूप में कार्य कर रहे हैं। संघ भारत की अमर संस्कृति का आधुनिक अक्षय वट है, जो निरंतर भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीय चेतना को ऊर्जा प्रदान कर रहा है।

स्वयंसेवकों के नि:स्वार्थ सेवा भाव की सराहना

पीएम मोदी ने कहा कि हमारा शरीर परोपकार और सेवा के लिए ही है। जब सेवा संस्कार बन जाती है, तो साधना बन जाती है। यही साधना हर स्वयंसेवक की प्राणवायु होती है। यह सेवा संस्कार, यह साधना, यह प्राणवायु, पीढ़ी दर पीढ़ी हर स्वयंसेवक को तप और तपस्या के लिए प्रेरित करती है। उसे न थकने देती है और न ही रुकने देती है। हम देव से देश और राम से राग के जीवन मंत्र लेकर चले हैं। अपना कर्तव्य निभाते चलते हैं। इसलिए बड़ा छोटा कैसा भी काम हो, कोई भी क्षेत्र हो, संघ के स्वयंसेवक नि:स्वार्थ भाव से काम करते हैं।

भारत की सबसे बड़ी पूंजी हमारा युवा-पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि भारत की सबसे बड़ी पूंजी हमारा युवा है। देश का युवा आत्मविश्वास से भरा हुआ है। उसकी रिस्क-टेकिंग कैपेसिटी पहले से कई गुना बढ़ चुकी है। वह इनोवेशन कर रहा है, स्टार्टअप की दुनिया में परचम लहरा रहा है। अपनी विरासत और संस्कृति पर गर्व करते हुए आगे बढ़ रहा है।

महाकुंभ में हमने देखा कि लाखों-करोड़ों की संख्या में युवा पीढ़ी पहुंची और सनातन परंपरा से जुड़कर गौरव से भर उठी। भारत का युवा आज देश की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए काम कर रहा है। यही युवा 2047 के विकसित भारत की ध्वजा थामे हुए हैं। मुझे भरोसा है कि संगठन, समर्पण और सेवा की त्रिवेणी विकसित भारत की यात्रा को ऊर्जा और दिशा देती रहेगी।

भारत अब मदद करने का केंद्र है-पीएम मोदी

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि 'वसुधैव कुटुंबकम' का मंत्र आज विश्व के कोने-कोने में गूंज रहा है। जब कोविड जैसी महामारी आती है, तो भारत विश्व को परिवार मानकर वैक्सीन उपलब्ध कराता है। दुनिया में कहीं भी प्राकृतिक आपदा हो, भारत पूरे मनोयोग से सेवा के लिए खड़ा होता है। म्यांमार में इतना बड़ा भूकंप आया है, भारत ऑपरेशन ब्रह्मा के साथ वहां के लोगों की मदद के लिए सबसे पहले पहुंच गया है। जब तुर्किए में भूकंप आया, जब नेपाल में भूकंप आया, जब मॉलदीव्स में पानी का संकट आया, भारत ने मदद करने में घड़ी भर की भी देर नहीं लगाई। युद्ध जैसे हालातों में हम दूसरे देशों के नागरिकों को भी सुरक्षित निकालकर लाते हैं। दुनिया देख रही है भारत आज जब प्रगति कर रहा है, तो पूरे ग्लोबल साउथ की आवाज़ भी बन रहा है। विश्व-बंधु की ये भावना... हमारे ही संस्कारों का विस्तार है।

नागपुर में संघ मुख्यालय पहुंचे पीएम मोदी, आरएसएस के संस्थापक डॉ. हेडगेवार को दी श्रद्धांजलि

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज महाराष्ट्र के दौरे पर हैं। एक दिन के दौरे पर पीएम मोदी नागपुर एयरपोर्ट पर उतरें। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने नागपुर एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत किया। पीएम मोदी आज कई कार्यक्रमों में शामिल होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नागपुर गुढीपाड़वा के मौके पर पहुंचे हैं। गुढीपाड़वा से ही हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। इसके बाद वह छत्तीसगढ़ के लिए रवाना होंगे।

नागपुर एयरपोर्ट से पीएम मोदी सीधे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के रेशम बाग स्थित मुख्यालय पहुंचे। यहां पीएम मोदी ने संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए। हेडगेवार के साथ-साथ पीएम मोदी ने माधव सदाशिव गोलवलकर को भी श्रद्धा सुमन अर्पित की। इस मौके पर संघ प्रमुख मोहन भागवत में भी मौजूद रहे।

प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी पहली बार आरएसएस के मुख्यालय पहुंचे हैं। अटल बिहारी वाजपेयी भी प्रधानमंत्री रहते हुए संघ मुख्यालय आ चुके हैं। इस दौरान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और प्रधानमंत्री एक साथ एक मंच पर रहेंगे, इससे पहले अयोध्या में रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान दोनों एक साथ मौजूद थे। आरएसएस अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है।

संघ के शताब्दी वर्ष में प्रधानमंत्री मोदी के संघ मुख्यालय के दौरे को बेहद अहम माना जा रहा है। सांविधानिक पद पर रहते हुए पीएम मोदी का संघ मुख्यालय में यह पहला दौरा है। महाराष्ट्र भाजपा के अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के नागपुर आगमन पर पूरे विदर्भ में उत्साह है। 47 स्थानों पर उनके स्वागत की तैयारी की गई है।

10वीं पास के लिए खुशखबरी, रोडवेज में कंडक्टर पदों पर निकली भर्तियां, इस डेट तक करें अप्लाई

10वीं पास कर सरकारी नौकरी की तलाश कर रहे अभ्यर्थियों के लिए खुशखबरी है. राजस्थान के अधीनस्थ और मंत्रिस्तरीय सेवा चयन बोर्ड (RSMSSB) ने राजस्थान रोडवेज में कंडक्टर पदों की भर्तियां निकाली हैं. इसके लिए आवेदन की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है. इच्छुक अभ्यर्थी चयन बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट rssb.rajasthan.gov.in पर जाकर 25 अप्रैल तक आवेदन कर सकते हैं. एप्लीकेशन प्रोसेस 27 मार्च से ही शुरू है.

चयन बोर्ड इस भर्ती प्रक्रिया के जरिए रोडवेज कंडक्टर के कुल 500 पदों को भरा जाएगा. कुल पदों में 456 पोस्ट गैर-टीएसपी क्षेत्र के लिए हैं, जबकि 44 पद टीएसपी क्षेत्र के लिए आरक्षित हैं. अभ्यर्थी निर्धारित लास्ट डेट या उससे पहले आवेदन कर सकते हैं. आइए जानते हैं आवेदन करने वाले कैंडिडेट की उम्र कितनी होनी चाहिए और आवेदकों का चयन कैसे किया जाएगा.

क्या मांगी गई योग्यता?

आवेदन करने वाले कैंडिडेट का किसी भी मान्यता बोर्ड से 10वीं पास होना अनिवार्य है.वहीं कैंडिडेट की उम्र 1 जनवरी 2026 तक 18 वर्ष से 40 वर्ष के बीच होनी चाहिए. आरक्षित कैटेगरी के अभ्यर्थियों को अधिकतम उम्र सीमा में सरकार के नियमानुसार छूट भी दी गई है.

कितनी है एप्लीकेशन फीस?

जनरल और ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए आवेदन फीस 600 रुपए निर्धारित की गई है. वहीं एससी, एसटी और दिव्यांग श्रेणी के कैंडिडेट्स को 400 रुपए आवेदन शुल्क का भुगतान करना होगा.

ऐसे करें अप्लाई

चयन बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट

rssb.rajasthan.gov.in पर जाएं.

होम पेज पर दिए गए अप्लाई टैब पर क्लिक करें.

डिटेल दर्ज कर रजिस्ट्रेशन करें और फाॅर्म भरें.

मांगे गए डाक्यूुमेंट्स को अपलोड करें.

फीस जमा करें और सबमिट करें.

कैसे होगा चयन?

रोडवेज परिचालक पदों पर आवेदकों का चयन लिखित परीक्षा के माध्यम से किया जाएगा. एग्जाम का आयोजन 55 नवंबर 2025 के लिए निर्धारित है और नतीजे 23 फरवरी 2026 को जारी किए जाएंगे. इस भर्ती से संबंधित अधिक जानकारी के लिए चयन बोर्ड की ओर से आधिकारिक भर्ती विज्ञापन को चेक कर सकते हैं.

NSUI ने दिल्ली में किया प्रदर्शन, पेपर लीक, बेरोजगारी समेत कई मुद्दों को लेकर उठाई आवाज, राष्ट्रीय सचिव ने कहा –

नई दिल्ली/रायपुर- देश में बढ़ती बेरोजगारी समेत कई मुद्दों को लेकर नई दिल्ली में NSUI ने संसद घेराव आंदोलन किया, जिसमें छत्तीसगढ़ समेत देशभर के हजारों NSUI कार्यकर्ता शामिल हुए. इस आंदोलन में लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी शामिल हुए और आएसएस के खिलाफ खुलकर अपनी बात रखी. NSUI नेताओं ने भी NEP 2020, पेपर लीक की समस्या, बढ़ती बेरोजगारी, शिक्षा का भगवाकरण और UGC के नए नियमों के खिलाफ आवाज उठाया. प्रदर्शन के दौरान एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष वरुण चौधरी एवं दिल्ली प्रभारी हनी बग्गा पर दिल्ली पुलिस ने गैर जमानती धाराएं लगाकर FIR दर्ज किया और दोनों नेताओं को पुलिस ने कल रात ही गिरफ्तार कर लिया, जिनकी आज जमानत पर रिहाई की गई.

राष्ट्रीय सचिव दिल्ली प्रभारी हनी बग्गा ने रिहाई के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि कल हमने छात्रों के हित पर देशव्यापी संसद घेराव आंदोलन दिल्ली की जंतर मंतर में किया था. हमारे नेता राहुल गांधी एवं हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष वरुण चौधरी के नेतृत्व में इस आंदोलन को किया गया. जिस प्रकार केंद्र की मोदी सरकार छात्रों के साथ अन्याय कर रही है उन्हें शिक्षा से वंचित करने का कार्य कर रही है, इसे लेकर राहुल गांधी ने भी कहा कि अब विश्वविद्यालय में लोकतंत्र खत्म हो गया है. RSS की विचारधारा वाली केंद्र की सरकार लोगों को ना शिक्षा दे पा रही है, ना रोजगार. इन्हीं सभी बातों को हमारे नेताओं ने कार्यक्रम में दोहराया.

आने वाले समय में करेंगे उग्र आंदोलन : बग्गा

बग्गा ने कहा, आंदोलन में हजारों छात्रों की संख्या देखकर केंद्र की सरकार और दिल्ली पुलिस डर गई, जिस कारण पुलिस ने राष्ट्रीय अध्यक्ष वरुण चौधरी और मेरे ऊपर गैर जमानती धारा लगाकर हमारी आवाज को कुचलने का काम किया है. केंद्र की सरकार एवं दिल्ली पुलिस कितने भी मुकदमे दर्ज करना है कर लीजिए पर यह आंदोलन और यह आवाज नहीं रुकेगी. आने वाले समय में हम और उग्र तरीके के साथ आंदोलन करेंगे.

बेंगलुरु में आरएसएस की तीन दिवसीय बैठक शुरू, कई अहम मुद्दों पर होगी चर्चा

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में निर्णय लेने की सर्वोच्च संस्था अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की तीन दिवसीय बैठक आज 21 मार्च से बेंगलुरु में शुरी हो गई है।संघ प्रमुख मोहन भागवत ने इस बैठक का उदघाटन किया। इस बैठक में 1482 प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। 23 मार्च तक चलने वाली इस बैठक में आरएसएस से जुड़े 32 संगठनों के महासचिव भी शामिल होंगे, जिनमें भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और महासचिव बीएल संतोष भी शामिल होंगे।

संघ की प्रतिनिधि सभा की शुरूआत में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, तबलावादक जाकिर हुसैन, प्रीतीश नंदी सहित कई जानी मानी हस्तियों और संघ के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को श्रद्धांजलि दी गई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह मुकुंद सीआर ने कहा कि हम जब भी इस तरह बैठक करते हैं तो शुरुआत उन लोगों को श्रद्धांजलि देते हैं, जो इस दुनिया में नहीं रहे।

सह सरकार्यवाह मुकुंद ने कहा कि इस साल संघ की स्थापना के 100 साल पूरे हो जाएंगे, इसलिए बैठक में संघ के विस्तार पर बातचीत होगी साथ ही अब तक संघ ने कितना काम किया इस पर चर्चा होगी। इसका मूल्यांकन होगा कि जो सामाजिक बदलाव हम लाने की कोशिश कर रहे हैं, उसमें कितना सफल रहे।

संघ के मुख्य प्रवक्ता सुनील आंबेकर ने बताया कि बैठक के दौरान बांग्लादेश और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी समारोह को लेकर प्रस्ताव पारित किया जाएगा। आंबेकर ने बताया कि संघ के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले, संघ द्वारा किए गए कार्यों और उसके भविष्य की रूपरेखा का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करेंगे। क्षेत्रीय प्रमुख भी अपने कार्यों, कार्यक्रमों, भूमिका और भविष्य की योजनाओं को प्रस्तुत करेंगे, जिनकी समीक्षा की जाएगी।

क्या औरंगजेब की कब्र हटानी चाहिए? विवाद के बीच आया राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का बयान

महाराष्ट्र के नागपुर में इस समय मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है. इसी बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की 3 दिवसीय बैठक के चलते अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस पीसी के दौरान सुनील आंबेकर से औरंगजेब को लेकर सवाल पूछा गया. उन से पूछा गया कि क्या अभी भी औरंगजेब प्रासंगिक है?

जहां इस वक्त औरंगजेब की कब्र को हटाने को लेकर बवाल मचा हुआ है. इसी बीच सुनील आंबेकर से जब नागपुर में हुई हिंसा और औरंगजेब की कब्र को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, किसी भी तरह की हिंसा समाज के लिए अच्छी नहीं है. पुलिस ने इस पर एक्शन लिया है. पुलिस इसकी जांच कर रही है. साथ ही मुगल बादशाह को लेकर उन्होंने कहा, औरंगजेब प्रासंगिक नहीं है.

संघ की तीन दिवसीय बैठक

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की 3 दिवसीय बैठक 21 से 23 मार्च तक कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में शुरू होने जा रही है, 19 मार्च को इस बैठक को लेकर अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान प्रचार प्रमुख ने 3 दिवसीय होने वाली बैठक को लेकर जानकारी दी. उन्होंने कहा, बैठक में देश भर से प्रतिनिधि शामिल होंगे. संघ के पदाधिकारी और कार्यकर्ता भी हिस्सा बनेंगे. उन्होंने जानकारी दी कि बैठक की शुरुआत 21 मार्च को सुबह 9 बजे होगी और 23 तारीख की शाम तक बैठक होगी. यह संघ की रचना में सबसे महत्वपूर्ण बैठक है.

कैंसर फैला रहा संघ परिवार...' महात्मा गांधी के पोते के बयान से बवाल

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महात्मा गांधी के पोते तुषार गांधी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को लेकर विवादास्पद बयान दिया है। तुषार गांधी ने देश की आत्मा को कैंसर से पीड़ित करने जौसा गंभीर आरप संघ परिवार पर लगाया है। तुषार गांधी के इस बयान के बाद बवाल मच गया। आरएसएस और बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने बुधवार को केरल के नेय्याट्टिनकारा में तुषार गांधी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। यह विरोध उस समय किया गया जब तुषार गांधी टीबी जंक्शन स्थित उनके आवास पर गांधीवादी नेता गोपीनाथन नायर की प्रतिमा का अनावरण कर रहे थे।

केरल के तिरुवनंतपुरम ज़िले के नेय्याट्टिंकारा में बुधवार शाम को महात्मा गांधी के पोते तुषार गांधी टीबी जंक्शन पर गांधीवादी प्रतिनिधि गोपीनाथ नायर की प्रतिमा का अनावरण करने गए थे। इस दौरान तुषार गांधी ने एक स्पीच दी। उन्होंने कहा, देश की आत्मा कैंसर से पीड़ित है और संघ परिवार इसे फैला रहा है।आरएसएस और बीजेपी कार्यकर्ताओं ने तुषार गांधी से माफ़ी मांगने को कहा। लेकिन तुषार गांधी अपने बयान पर अड़े रहे। उन्होंने 'गांधी की जय' के नारे लगाए और वहां से जाने लगे।

विरोध करने वालों ने नारेबाज़ी की और उनकी गाड़ी रोकने की कोशिश की, लेकिन तुषार गांधी माफी नहीं मांगी। वो 'आरएसएस मुर्दाबाद' और 'गांधी की जय' के नारे लगाते हुए वहां से चले गए। इस घटना के बाद कांग्रेस ने आरएसएस-बीजेपी कार्यकर्ताओं की निंदा की है।

आरएसएस में होगा NRC पर मंथन, पांच साल से मोदी सरकार की चुप्पी का क्या?

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की कर्नाटक के बेंगलुरु में बड़ी बैठक होली के बाद होने जा रही है। आरएसएस की सर्वोच्च निर्णायक संस्था अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (एबीपीएस) की वार्षिक बैठक तीन दिनों तक चलेगी। इस बैठक में आरएसएस के 100 साल के कार्य विस्तार की समीक्षा के साथ-साथ आगामी 100 सालों के लिए विभिन्न कार्यक्रमों, आयोजन और अभियानों की रूपरेखा तैयार की जाएगी। यही नहीं संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में आगामी राज्यों के चुनाव का फुलप्रूफ प्लान तैयार किया जा सकता है। इसके अलावा मुख्य एजेंडे में एनआरसी शामिल होने की संभावना है। सूत्रों ने बताया कि एबीपीएस पूरे भारत में एनआरसी के लागू करने पर चर्चा कर सकती है। साथ ही, कुछ राज्यों में इसे कैसे लागू किया जाए, इस पर भी विचार-विमर्श हो सकता है।

2019 में केन्द्र की मोदी सरकार ने संसद के दोनों सदनों से नागरिकता संशोधन बिल पास करवाया था। जिसके बाद पूरे देश में एनआरसी को लेकर विरोध शुरू हो गया था। इसके बाद विरोध को थामने के लिए खुद प्रधानमंत्री मोदी को आगे आना पड़ा था।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 दिसंबर, 2019 को दिल्ली की एक जनसभा में कहा था कि उनकी सरकार ने सत्ता में वापसी के बाद से राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) पर कोई चर्चा नहीं की है। तब से लेकर अब तक इस मुद्दे पर बात नहीं हुई है। हालांकि, यह मुद्दा अब राष्ट्रीय राजनीतिक चर्चा में फिर से उभरता दिख रहा है।

संघ के एक पदाधिकारी ने कहा, 'घुसपैठ के कारण देश के कई राज्यों की जनसांख्यिकी बदल गई है। झारखंड में मुसलमानों की तुलना में ईसाई आबादी भी घट रही है। बांग्लादेश से आने वाले लोगों के कारण अरुणाचल प्रदेश जैसे रणनीतिक रूप से संवेदनशील राज्यों की जनसांख्यिकी भी तेजी से बदल रही है। हम सभी जानते हैं कि असम और पश्चिम बंगाल में क्या हुआ है। गैरकानूनी अप्रवासियों की पहचान करना और उन्हें वापस भेजना केंद्र सरकार का कर्तव्य है।'संघ पदाधिकारी के अनुसार, एबीपीएस इस बात पर चर्चा करेगा कि एनआरसी को कैसे लागू किया जाए ताकि किसी भी 'भारतीय नागरिक' को खतरा महसूस न हो।

अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का शिखर सम्मेलन आरएसएस की सबसे महत्वपूर्ण बैठक है। इसमें सरसंघचालक मोहन भागवत और दूसरे नंबर के नेता दत्तात्रेय होसबले समेत सभी शीर्ष नेता उपस्थित रहेंगे। साथ ही, भाजपा अध्यक्ष और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता भी बैठक में शामिल हो सकते हैं। चर्चा किए गए मुद्दे और लिए गए फैसले न केवल अगले वर्ष के लिए संघ को दिशा देते हैं बल्कि सरकार को यह भी संकेत देते हैं कि वह नीतिगत स्तर पर क्या लागू करना चाहता है।

भाजपा समेत ये संगठन होंगे शामिल

आरएसएस के अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में संघ के 45 प्रांत के साथ-साथ सभी क्षेत्र के क्षेत्र प्रमुख, प्रांत प्रमुख मौजूद रहते हैं। इसके अतिरिक्त संघ के सभी 32 सहयोगी संगठनों के पदाधिकारी भी मौजूद रहेंगे, जिसमें विश्व हिंदू परिषद, भारतीय मजदूर संघ, भारतीय किसान संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, भारतीय जनता पार्टी, राष्ट्र सेविका समिति, जैसे सभी संगठन के पदाधिकारी मौजूद रहेंगे। प्रतिवर्ष ये बैठक मार्च में होती है और हर 3 साल बाद यह बैठक चुनावी वर्ष के रूप में मानी जाती है। हर तीसरे वर्ष नागपुर में बैठक संपन्न होती है। पिछले वर्ष यह बैठक नागपुर में हुई थी और इस वर्ष यह बैठक बेंगलुरु में हो रही है।

बिहार-बंगाल चुनाव पर होगी चर्चा

इस बैठक से पहले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का बिहार दौरा काफी अहम माना जा रहा है। आरएसएस के विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस बैठक में बिहार चुनाव के संबंध में भी चर्चा होगी। बिहार चुनाव से संबंधित सभी सहयोगी संगठनों को कार्य करने का दिशा निर्देश भी तय किया जाएगा। बिहार प्रवास से पहले आरएसएस के सरसंचालक मोहन भागवत पूर्वी भारत के प्रवास पर थे। 10 दिन का बंगाल प्रवास, 5 दिन का असम प्रवास, चार दिन का अरुणाचल का प्रवास, अब बिहार का प्रवास। 2026 के मार्च-अप्रैल के महीने में बंगाल का भी चुनाव होने की संभावना है। उस संबंध में भी इस बैठक में चर्चा होने की पूरी संभावना बताई जा रही है।