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चीन में एचएमपीवी की रिपोर्ट पर स्वास्थ्य संस्था का बयान: घबराने की कोई बात नहीं

चीन में एचएमपीवी (ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस) के फैलने की अटकलों के बीच, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय ने कहा है कि "घबराने की कोई बात नहीं है", दूरदर्शन ने रिपोर्ट किया । संस्था के महानिदेशक अतुल गोयल ने संवाददाताओं से कहा कि देश में अभी तक श्वसन संबंधी बीमारी एचएमपीवी का कोई मामला सामने नहीं आया है।

चीन में एचएमपीवी के प्रकोप के बारे में खबरें आई हैं और यह गंभीर है। हमें ऐसा नहीं लगता, मैं स्पष्ट कर दूं, यह किसी भी अन्य श्वसन वायरस की तरह है जो ज्यादातर बुजुर्गों और 1 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में फ्लू जैसे लक्षण पैदा करता है," गोयल ने कहा। उन्होंने कहा कि सर्दियों के दौरान श्वसन संबंधी बीमारियां आम हैं और भारत के अस्पताल इनसे निपटने के लिए सुसज्जित हैं। गोयल ने संवाददाताओं से कहा, "विशेष रूप से दवाओं की आवश्यकता नहीं है क्योंकि इसके खिलाफ एंटी-वायरल दवाएं नहीं हैं। अस्पतालों में या आईसीएमआर के आंकड़ों के अनुसार कोई बड़ा मामला नहीं है। घबराने की कोई बात नहीं है।"

इससे पहले एएनआई ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया था कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) देश में श्वसन और मौसमी इन्फ्लूएंजा के मामलों की बारीकी से निगरानी कर रहा है। हालांकि चीन में एचएमपीवी प्रकोप की रिपोर्ट की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन एनसीडीसी ने कथित तौर पर कहा है कि वह इस मामले के लिए अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के संपर्क में है। विशेष रूप से, शीत लहर और वायु गुणवत्ता सूचकांक की स्थिति के कारण, सर्दियों के मौसम में श्वसन संबंधी बीमारियों को लेकर चिंताएं आम तौर पर देश में मौजूद रहती हैं।

चीनी रोग नियंत्रण प्राधिकरण ने दिसंबर के अंत में घोषणा की थी कि वह अज्ञात मूल के निमोनिया के लिए एक निगरानी प्रणाली स्थापित कर रहा है क्योंकि सर्दियों में कुछ श्वसन संबंधी बीमारियों के मामलों में वृद्धि होने की उम्मीद है, रॉयटर्स ने बताया। देश के इस कदम का उद्देश्य अज्ञात रोगजनकों को संभालने के लिए प्रोटोकॉल की पहचान करने और स्थापित करने में अधिकारियों की सहायता करना था। कथित तौर पर इस प्रणाली पर चीन का कदम यह सुनिश्चित करने के लिए है कि इसकी तैयारी का स्तर पांच साल पहले की तुलना में बेहतर है, जब COVID-19 पहली बार सामने आया था।

कोरोना के बाद चीन में नए वायरस ने डराया, तेजी से फैल रहा, कई इलाकों में इमरजेंसी घोषित

#covidlikenewviruscasesrisingin_china

कोरोना महामारी का प्रकोप लोग अभी भूले नहीं है। उस वक्त एक जानलेवा वायरस ने पूरी दुनिया की रफ्तार को रोक दिया था। करोड़ो लोग इसका शिकार हुए और लाखों को अपनी जान से हाथ तक धोना पड़ा। कोरोना वायरस चीन के वुहान से निकला था। अब करीब पांच साल के बाद एक बार फिर चीन में एक और खतरनाक वायरस ने दस्तक दे दी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन दिनों चीन में ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस का प्रकोप देखने को मिल रहा है। बताया जा रहा है कि इस खतरनाक वायरस के कारण चीन के अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ गई है। इतना ही नहीं,ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस के कारण मरीज बड़ी संख्या में मर भी रहे हैं।

ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस से संक्रमित होने वाले लोगों में खांसी-जुकाम और सांस लेने में परेशानी जैसे लक्षण नजर आ रहे है। जिन लोगों को पहले से सांस की कोई बीमारी है उनको ज्यादा खतरा बताया जा रहा है। चूंकि ये वायरस संक्रामक है और एक से दूसरे व्यक्ति में तेजी से फैलता है ऐसे में चीन का स्वास्थ्य विभाग अलर्ट पर है और वायरस की रोकथाम के लिए बड़े पैमाने पर टेस्टिंग भी चल रही है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि चीन में इस वायरस से इमरजेंसी जैसे हालात है।

चीन का यह सच सोशल मीडिया पर अब आग की तरफ फैल रहा है। कई रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया पोस्ट्स में दावा है कि यह नया वायरस तेजी से फैल रहा है। चीन पर नजर रखने वाले कुछ लोगों का तो यह भी दावा है कि अस्पताल और श्मशान घाट भी अब भर चुके हैं। लोग इस वायरस की चपेट में तेजी से आ रहे हैं। ऐसे कई वीडियो को ऑनलाइन शेयर किया गया है। इनमें अस्पतालों में भीड़ दिखाई दे रही है।

ऑनलाइन शेयर किए गए वीडियो में अस्पतालों में भीड़ दिखाई दे रही है। कुछ यूजर्स का कहना है कि चीन में एचएमपीवी, इन्फ्लूएंजा ए, माइकोप्लाज्मा न्यूमोनिया और कोविड-19 समेत कई वायरस एक साथ फैल रहे हैं। चीन पूरी तरह से अलर्ट मोड पर है। हालांकि, अब भी इस वायरस को लेकर बहुत कुछ सही से बता नहीं रहा।

वहीं, रॉयटर्स की एक रिपोर्ट की मानें तो चीन के रोग नियंत्रण प्राधिकरण ने शुक्रवार को कहा कि वह अज्ञात तरीके के निमोनिया के लिए एक निगरानी प्रणाली चला रहा है। सर्दियों में सांस संबंधी रोगों के मामले बढ़ने की आशंका है। एक खास सिस्टम स्थापित करने का मकसद अधिकारियों को अज्ञात रोगजनकों से निपटने के लिए प्रोटोकॉल स्थापित करने में मदद करना है।

क्या है यह एचएमपीवी वायरस

ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) भी कोरोना की ही तरह से श्वसन पथ को संक्रमित करता है, हालांकि कोरोना के इतर इस वायरस के कारण ऊपरी और निचले दोनों श्वसन पथ में संक्रमण का खतरा हो सकता है। यह न्युमोवायरिडे परिवार के मेटापन्यूमोवायरस क्लास से जुड़ा है। इसे सबसे पहले 2001 में डच शोधकर्ताओं ने खोजा था। यह वायरस तब सामने आया था रिसर्चर जब श्वसन संक्रमण यानी सांस संबंधी बीमारी से पीड़ित बच्चों के नमूनों का अध्ययन कर रहे थे। अध्ययनों से पता चला है कि यह वायरस कम से कम छह दशकों से मौजूद है। यह एक सामान्य श्वसन रोगजनक़ के रूप में पूरी दुनिया में फैल गया है। यह मुख्य रूप से खांसने और छींकने से निकलने वाली बूंदों से फैलता है। संक्रमित लोगों के साथ निकट संपर्क और दूषित वातावरण के संपर्क में आने से भी संचरण हो सकता है। चीनी सीडीसी की वेबसाइट के अनुसार, इस वायरस का संक्रमण काल तीन से पांच दिनों का होता है। एचएमपीवी द्वारा प्रेरित प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया बार-बार होने वाले संक्रमणों को रोकने के लिए बहुत कमजोर होती है। हालांकि यह पूरे साल पाया जा सकता है, लेकिन यह सर्दी और वसंत में सबसे अधिक पाया जाता है।

2023 में अमेरिका में भी बढ़े थे मामले

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिका के कई हिस्सों में साल 2023 की शुरुआत में फिर उसी साल के मई-जून के महीनों में एचएमपीवी के कारण संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े थे। जानकारी के अनुसार अमेरिका में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) के लिए लगभग 11 प्रतिशत पीसीआर और 20 प्रतिशत एंटीजन टेस्ट रिपोर्ट सकारात्मक आए थे।

महामारी से पहले के स्तर की तुलना में इसकी पॉजिटीविटी दर में 36 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, सभी लोगों को इस वायरल संक्रमण के जोखिमों को देखते हुए बचाव के लिए उपाय करते रहने की आवश्यकता है।

Anmol Solanki’s Journey: A Tale of Resilience and Stardom

Anmol Solanki’s life is a powerful testament to perseverance and grit. His story, marked by tragedy, sacrifice, and ultimate success, serves as an inspiration to many.  

At just one year old, Anmol lost his father, a devastating loss that placed the burden of raising him and his sister solely on his mother’s shoulders. A hardworking Anganwadi worker, she instilled in him the values of strength and determination. However, life dealt another cruel blow in 2014, when his mother suffered a brain hemorrhage. For six months, Anmol cared for her during dialysis treatments, but in May 2016, he lost her too.  

Left to support himself and his sister, Anmol faced harsh realities. To make ends meet, he dropped out of school and took on work as a waiter, earning just ₹500 per day. Despite the financial struggles, his resilience never wavered. The turning point came when his sister secured a job, enabling him to complete his education.  

As life began to stabilize, the COVID-19 pandemic struck, bringing further uncertainty. Yet Anmol refused to let adversity define him. Instead, he saw it as an opportunity to chase his dreams. He stepped into the entertainment industry and landed his breakthrough role in Netflix's Jamtara, a crime drama that put him on the map.  

The success of Jamtara paved the way for more opportunities, including a significant role in Shakti 2 on Colors TV. Sharing the screen with established actors like Rubina Dilaik, Kamya Punjabi, and Sudesh Berry, Anmol proved his talent and cemented his place in the entertainment world.  

Capitalizing on his growing popularity, Anmol entered the realm of social media influencing. With an authentic voice and a compelling personal story, he quickly struck a chord with audiences. Partnering with leading brands, he successfully built his image as a lifestyle influencer, inspiring countless individuals who see in him the embodiment of resilience and determination.  

Now, at just 25 years old, Anmol Solanki’s journey stands as a shining example of how hard work and an unyielding spirit can overcome even the greatest challenges. From working as a waiter to becoming a celebrated actor and influencer, his story is proof that dreams can indeed come true—if one has the courage to pursue them relentlessly.

নস্ত্রাদামুসের ভবিষ্যদ্বাণী – শঙ্কিত ২০২৫ সাল

*ডেস্ক* : ষোড়শ শতকে ফ্রান্সের গণৎকার তথা চিকিৎসক ছিলেন তিনি৷ তাঁর কিছু ভবিষ্যতবানী অক্ষরে অক্ষরে মিলে গিয়েছিলো। তাঁর এমন কিছু ভবিষ্যত বাণী আছে ২০২৫ সাল সম্পর্কে যা মানুষকে আবার ভাবিয়ে তুলছে। শেষের মুখে ২০২৪৷ আসছে ২০২৫৷ নতুন বছরের দোড়াগোড়ায় আরও একবার উঠে এল নস্ত্রাদামুসের ভবিষ্যদ্বাণী৷ ফ্রান্সের নস্ত্রদাম শহরের বাসিন্দা ছিলেন এই গণৎকার মিশেল৷ শহরের নামের সঙ্গে মিশিয়ে তাঁর নাম মিশেল দ্য নস্ত্রদাম৷ অর্থাৎ নস্ত্রদাম শহরের মিশেল। সেই থেকে তাঁর নাম নস্ত্রাদামুস৷ ১৫৫৫ খ্রিস্টাব্দে প্রকাশিত হয়েছিল তাঁর লেখা ‘লে প্রোফেতি’ বা ‘দ্য প্রোফেসিজ’৷ এই বইয়ে ৯৪২ টি পদ্যে আধুনিক পৃথিবীর অনেক কিছুই ভবিষ্যদ্বাণী করা হয়েছে বলে ভক্তদের বিশ্বাস৷

২০২৪ সালের জন্য করা নস্ত্রাদামুসের ভবিষ্যদ্বাণীতে ছিল ভয়াবহ যুদ্ধের কথা৷ মনে করা হয় এটাই ছিল ২০২২ সালের রাশিয়া ইউক্রেন যুদ্ধ৷ ২০২৫-এ এই যুদ্ধ বন্ধ হতে পারে বলে মনে করা হচ্ছে তাঁর ভবিষ্যদ্বাণী থেকে। নস্ত্রাদামুস ভবিষ্যদ্বাণী করেছেন যে নতুন বছর ইংল্যান্ডের ভাল যাবে না৷ ফিরে আসতে পারে “প্রাচীন প্লেগ”-এর মড়ক৷ এই প্রাদুর্ভাব শত্রুদের চেয়েও খারাপ হবে। যেহেতু তার COVID-19 মহামারির ভবিষ্যদ্বাণী সত্য হয়েছে, বিশেষজ্ঞরা প্লেগের সতর্কতাকেও গুরুত্ব দিচ্ছেন৷ নস্ত্রাদামুস ভবিষ্যদ্বাণী করেছেন যে ২০২৫ সালে পৃথিবীর সঙ্গে একটি বিশাল গ্রহাণুর সংঘর্ষ বা গ্রহের বিপজ্জনক সান্নিধ্যে আসতে পারে। গ্রহাণুগুলি গ্রহের কাছাকাছি আসা একটি নতুন ঘটনা নয়। প্রতি বছর কয়েকশো গ্রহাণু পৃথিবীকে অতিক্রম করে এবং তাদের বেশিরভাগই নিরাপদ দূরত্ব বজায় রাখে। বন্যা,আগ্নেয়গিরির অগ্ন্যুৎপাত, জলবায়ুর পরিবর্তনে তছনছ হতে পারে ব্রাজিল৷ লাতিন আমেরিকার এই দেশকে নস্ত্রাদামুস বলেছেন ‘বিশ্বের উদ্যান’ হিসেবে৷ স্বাভাবিক কারণেই শঙ্কিত বিশ্বের অনেক নাগরিক। এখন আমাদের তাকিয়ে থাকতে হবে ভিবিষ্যতের দিকে।
कोरोना महामारी में भारत ने दिया था साथ, अब डोमिनिका प्रधानमंत्री मोदी को देगा सर्वोच्च सम्मान

कोविड 19 महामारी के दौरान मदद के लिए डोमिनिका राष्ट्रमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार डोमिनिका अवार्ड ऑफ ऑनर देने की घोषणा की है.

प्रधानमंत्री मोदी को 19-21 नवंबर को यह अवॉर्ड जॉर्जटाउन, गुयाना में भारत-कैरिकॉम शिखर सम्मेलन के दौरान दिया जाएगा. डोमिनिका राष्ट्रमंडल के राष्ट्रपति सिल्वेनी बर्टन उन्हें सम्मानित करेंगे.

यह सम्मान COVID-19 महामारी के दौरान डोमिनिका में दिए गए उनके योगदान और भारत सरकार की मजबूत साझेदारी दर्शाता है.यह पुरस्कार प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में स्वास्थ्य, शिक्षा और सूचना प्रौद्योगिकी में डोमिनिका के लिए भारत के समर्थन के लिए दिया जा रहा है.

पीएम मोदी हमारे सच्चे शुभचिंतक- डोमिनिका

डोमिनिका सरकार का कहना है पीएम मोदी हमारे सच्चे शुभचिंतक रहे हैं. COVID-19 के दौरान फरवरी 2021 में प्रधानमंत्री मोदी ने डोमिनिका को एस्ट्राजेनेका COVID-19 वैक्सीन की 70,000 खुराक की आपूर्ति की थी. गंभीर स्वास्थ्य संकट के बीच हमारी जरूरत के समय में उन्होंने साथ दिया. हमारी सरकार कृतज्ञता अर्पित करती है.

स्वास्थ्य, शिक्षा, जयवायु परिवर्तन पर सहयोग

डोमिनिका राष्ट्रमंडल का कहना है कि स्वास्थ्य, शिक्षा के साथ-साथ भारत की मोदी सरकार ने वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन को लेकर भी गंभीर चिंता व्यक्त की है और समाधानजनक पहल की है.

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने जलवायु परिवर्तन और युद्ध जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने में आपसी सहयोग के महत्व पर जोर दिया है. पीएम मोदी ने इन मुद्दों के समाधान में डोमिनिका और कैरेबियन के साथ काम करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दुहराया है.

अफ्रीका और एम पॉक्स का पुराना इतिहास रहा है,अफ्रीका में आउट ऑफ कंट्रोल है एम पॉक्स, सीडीसी ने दी चेतावनी बचाव करना जरूरी


डेस्क:–अफ्रीकी संघ के स्वास्थ्य प्रहरी, अफ्रीका सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (अफ्रीका CDC), ने चेतावनी दी है कि मंकीपॉक्स (Mpox) का प्रकोप अभी भी पूरी तरह से नियंत्रण में नहीं है। अफ्रीका CDC के निदेशक, नगाशी नगोंगो ने गुरुवार को एक ब्रीफिंग में कहा कि इस बीमारी का प्रसार अभी भी ऊपर की ओर बढ़ रहा है और इसे नियंत्रण में लाने के लिए अतिरिक्त संसाधनों की आवश्यकता है। नगोंगो ने इस प्रकोप को COVID-19 की तुलना में अधिक गंभीर महामारी बनने से रोकने के लिए संसाधनों की तत्काल जरूरत बताई है और एक संभावित गंभीर महामारी को रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की अपील की है। उन्होंने स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने, परीक्षण क्षमता बढ़ाने, और अधिक टीके उपलब्ध कराने की अपील की। अफ्रीका में मंकीपॉक्स का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है, और यदि इसे नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह महामारी गंभीर संकट में बदल सकती है।

अफ्रीका CDC ने कहा कि इस बीमारी को नियंत्रित करने के लिए तत्काल संसाधनों की जरूरत है, जिनमें टीकाकरण, परीक्षण क्षमता, और उपचार के साधन शामिल हैं। अफ्रीकी देशों से मिलकर इस पर काम करने और बाहरी सहायता प्राप्त करने की उम्मीद जताई गई है ताकि इस बीमारी पर जल्द नियंत्रण पाया जा सके और एक बड़े स्वास्थ्य संकट को टाला जा सके।

इस स्थिति में, स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि अफ्रीकी देशों के लिए मिलकर काम करना और अंतरराष्ट्रीय सहायता प्राप्त करना आवश्यक है, ताकि इस बीमारी पर जल्दी नियंत्रण पाया जा सके और एक बड़े स्वास्थ्य संकट से बचा जा सके।

अफ्रीका के बाद यूके में भी एम पॉक्स का केस मिला है, जिससे बाद स्वास्थ्य विभाग भी चौकन्ना हो गए हैं। हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो उन्हें इस बात का ज्यादा डर है कि आने वाला ठंड का मौसम कहीं इसके मामलों के बढ़ने का कारण न बन जाए। हालांकि, अभी तक इस बारे में अन्य जानकारियां प्राप्त करने के लिए इस पर रिसर्च की जा रही हैं।
Playboy turned Humanitarian Kamal Muhamed recognised among Top 10 Authors of 2024

Kamal Muhamed is among the list of Top 10 authors recognised for courages efforts and attempt. His maiden book Daring Prince Truth Revaled, in english an autobioraphy which took 6 long years of dedication for its completion. and was released on March 23rd 2024 by Dr.Mohanji his Childhood friend.( Humanitarian , Author & Spiritual Leader)

Kamal Muhamed, was born on September 8, 1964, in Kannur, a go-getter an artistic thinker and marketing enthusiast known for his resiliencec and determination.

Raised in a modest family, he pursued his vision of becoming a Human Rights activist and social worker, for serving underprivileged society, leaving school early to become self-reliant. Starting as a Sales Trainee at 21, with multinational he built a career across India Gulf and Middle East, and Africa overcoming challenges, including surviving Yemen’s war.

Kamal played an important role in OPERATION RAHAT’s mass evacuation in 2015 and during Covid 19 with selfless social activities for the community.

His Daring Prince Truth Revealed, is nominated for the 2025 Sahitya Sparsh Awards. A BOOK fully devoted to serve the needy and poor and Global Noble Causes the list of Top 10 Authors includes Legend Robin Sharma. Founder & Author The 5 am Club

Kamal a proven humble and down to earth Humanitarian & Social Activist attained various accolades naming a few in 2024, Dada Saheb Phalke Motivational Award, for Best Author & Social Activist, JCI Humanitarian Award & NCFC Best Humanitarian for Social Services from Nepal.

Kamal H. Muhamed is associated with AICHLS & NCNB( Member United Nations Global Compact) as Head of State, Wellmed Trip. Com Mauritius, Long Rock Hospitalities, an upcoming project to fulfill his young age dream .

He is also Well Wisher and supporter of Ammucare Charitable Trust.( Mohanji Foundation) He lives with His Arab Wife Leila Nasher and 3 Children Haroon, Maryam & Moosa at outskirts of Kochi.

After Author's recognition news was spread he was given a warm welcome by Surya Vanitha Library at his home town where he donated few books gifted by Dr.Mohanji on my request..

Daring Prince's Malayalam version is getting ready for Publication in early 2025 through renowned Olive Books. His advice always to young and startup entrepreneurs: embrace risk, learn, and never quit.

https://www.amazon.in/Daring-Prince-Revealed-Kamal-Muhamed/dp/8197046433?dplnkId=8d49bdef-7258-4d81-b64a-79bb119acdfd

https://hrcin.org/

https://ammucare.org/

Uniting Bharat: The Grannus Organization Revolutionizes Volunteering Across India

 

Imagine a world where every woman feels protected, every child is safe, the hungry are fed, and citizens unite in times of natural disasters or emergencies to support local authorities. People in India have long desired to contribute to the greater good through volunteering, but a major challenge has been how to unite these efforts on a large scale. Across the country, small social groups form to take on local tasks, but scaling these groups to a national level has been difficult—until now.

A groundbreaking solution has emerged from Ahmedabad, where the Grannus organization, a technology-driven organisation, has designed the Grannus PHPN App to bring people across Bharat together for a common purpose: helping others in need. PHPN, or "People Helping People Network," is exactly what the name suggests—a platform connecting citizens from all parts of India through cutting-edge technology. This app, powered by Grannus’ unique DGBSI SRPP/RTPP model, is particularly effective in mobilizing volunteers during emergencies.

Leadership and Vision

The Grannus PHPN project operates under the guidance of a highly respected figure in Gujarat, Geetha Johri, the former Director General of Police (DGP) of Gujarat, who now serves as the President of Grannus Organization. Alongside her, Mayank Shah, a social entrepreneur and the CEO of Grannus Organization, envisioned this platform as a means to unite people through social-interest-based integration through his unique idea of making DGBSI SRPP/RTPP model for emergency management. The brilliant coding to make this technology live was done by Chirag Patel.

“We are leveraging digitalization to tackle India's most pressing social issues,” says Mayank Shah. “Grannus connects citizens who are committed to societal betterment by organizing them based on their location and social interests. Our app facilitates everything from ensuring women’s safety, locating missing persons, and managing medical emergencies, to responding to national crises and natural disasters. We also support food donation drives and environmental initiatives. Users can register for free, select their areas of interest, and receive real-time alerts when their assistance is needed. Together, we can create a safer, more connected community.”

 A Rising Success in Gujarat

Since its launch, the Grannus PHPN app has gained viral popularity in Gujarat, even trending at number one on the Google Play Store for several days. It is now the highest-rated Indian app focused on social issues. The app has drawn praise from prominent figures, including Gujarat’s Chief Minister, Bhupendra Bhai Patel, and various IAS and IPS officers, who have commended Grannus for its successful projects, particularly during the COVID-19 pandemic.

How It Works

Joining the movement is simple. Volunteers can download the Grannus PHPN app from the Google Play Store, select their social interests—ranging from women's safety and disaster response to environmental work—and receive notifications when their help is needed. Users can choose one or more interests, and the app connects them with nearby volunteering opportunities, whether with local NGOs or during emergencies in their vicinity.

A Vision for National Impact

“Our population, often seen as a challenge, can become our greatest asset,” explains Shah. “The government is working tirelessly to address social issues, but by connecting people and empowering them with volunteering opportunities, we can solve many of our country's problems together.”

Under the administrative leadership of Geetha Johri, the project is poised to expand beyond Gujarat and make a significant impact across the nation. The Grannus PHPN app has the potential to transform India’s social landscape, bringing together communities and creating a brighter, safer future for all.


JEE  Main परीक्षा पैटर्न में बदलाव
डेस्क :– राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) ने संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE) मेन 2025 के प्रारूप में एक महत्वपूर्ण बदलाव की घोषणा की है, जिसमें परीक्षा के सेक्शन बी में प्रश्नों का चयन करने का विकल्प बंद कर दिया गया है।

NTA ने गुरुवार को एक अधिसूचना जारी की, जिसमें जेईई मेन 2025 परीक्षा के लिए आधिकारिक वेबसाइट जारी की गई। एक अन्य अधिसूचना में, NTA ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान शुरू किए गए सेक्शन बी में प्रश्नों का चयन करने का विकल्प अब उपलब्ध नहीं होगा। इसका मतलब है कि जेईई मेन 2025 के लिए उपस्थित होने वाले उम्मीदवारों को बिना किसी विकल्प के सेक्शन बी के सभी पाँच प्रश्नों का प्रयास करना होगा।

NTA ने एक बयान में कहा, "अभूतपूर्व चुनौतियों के बीच छात्रों पर दबाव कम करने के लिए कोविड-19 महामारी के दौरान प्रश्नों का वैकल्पिक चयन शुरू किया गया था।" "डब्ल्यूएचओ द्वारा 5 मई, 2023 को कोविड-19 को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल के रूप में समाप्त करने की घोषणा के साथ, हम मूल परीक्षा संरचना पर वापस लौट रहे हैं।"

JEE Main 2025 से उम्मीदवारों को सेक्शन B में प्रश्नों का चयन करने की सुविधा नहीं मिलेगी। NTA ने कहा, "अब सभी छात्रों को प्रत्येक विषय के लिए सेक्शन B में सभी पाँच प्रश्नों को हल करना होगा।" यह परिवर्तन 2021 में शुरू किए गए लचीले विकल्प को समाप्त करता है, जिसके तहत छात्रों को COVID-19 की चुनौतियों के कारण 10 में से किसी भी 5 संख्यात्मक प्रश्नों को हल करने की अनुमति दी गई थी। इसके अतिरिक्त, NTA ने पुष्टि की कि JEE Main 2025 के पहले चरण के लिए आवेदन प्रक्रिया जल्द ही शुरू होगी, जिसका विवरण इसकी आधिकारिक वेबसाइट पर जारी किया जाएगा। JEE Main 2025 से शुरू होकर, सेक्शन B में पेपर 1 (B.E./B.Tech), पेपर 2A (B. Arch) और पेपर 2B (B. Planning) में प्रति विषय केवल पाँच अनिवार्य प्रश्न होंगे। उम्मीदवारों को चयन के लिए किसी भी विकल्प के बिना सभी पाँच प्रश्नों को हल करना होगा।
चीन से ही पूरा दुनिया में फैला कोरोना, COVID-19 की उत्पत्ति इस शहर से हुई, मिले सबूत

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कोविड-19 महामारी की शुरुआत कैसे हुई, यह रहस्य बना हुआ है। कोरोना वायरस का कहर साल 2019 से चीन में शुरू हुआ था, जिसके बाद धीरे-धीरे यह पूरी दुनिया में फैल गया। इस महामारी के फैलने के बाद तरह-तरह की बातें कहीं गई। कई तरह की परिकल्पनाएं सामने आई, लेकिन इसे स्पष्ट करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं। कई वैज्ञानिकों का मानना है कि SARS-CoV-2, कोरोनावायरस जो COVID-19 का कारण बनता है, जानवरों से मनुष्यों में फैला, जिसे जूनोटिक ट्रांसमिशन के रूप में जाना जाता है। कुछ शोधकर्ताओं ने कहा है कि वायरस चमगादड़ों में उत्पन्न हुआ। किसी ने कहा एक स्वाभाविक रूप से उभरने वाला वायरस जिसका प्रयोगशाला के अंदर अध्ययन किया गया और लीक हो गया। इनमें से किसी भी परिकल्पना के लिए अभी तक कोई निश्चित सबूत नहीं है।

वहीं, तमाम एक्सपर्ट्स ने दावा किया था कि कोरोना वायरस चीन की वुहान लैब से फैला था, लेकिन इसे लेकर विवाद चलता रहा। अमेरिका समेत कई देशों ने चीन पर वायरस फैलाने के आरोप लगाए थे, जबकि चीन इससे इनकार करता रहा। इस बीच, एक नए अध्ययन से पता चला है कि कोविड-19 संभवतः चीनी बाजार में संक्रमित जानवरों से उत्पन्न हुआ है। सेल जर्नल (पीयर-रिव्यू) में प्रकाशित, अध्ययन में मजबूत साक्ष्य का हवाला दिया गया है, जो कि वुहान के हुआनान सीफूड मार्केट से एकत्र किए गए 800 नमूनों पर आधारित है। नमूने चीनी अधिकारियों द्वारा जनवरी 2020 में एकत्र किए गए थे जब बाजार बंद था।

ये सैंपल जनवरी 2020 में बाजार बंद होने के बाद सीधे जानवरों या लोगों से नहीं, बल्कि जंगली जानवरों को बेचने वाले स्टॉल और नालियों की सतहों से लिए गए थे। इसके आधार पर शोधकर्ताओं ने कहा है कि कोरोना वायरस यहीं से फैला था।

जर्नल में प्रकाशित इस स्टडी की को-ऑथर फ्लोरेंस डेबेर ने न्यूज एजेंसी एएफपी को बताया कि वे निश्चित रूप से यह नहीं कह सकती हैं कि बाजार में मौजूद जानवर संक्रमित थे या नहीं। हालांकि फ्रांस के CNRS रिसर्च एजेंसी की बायोलॉजिस्ट ने कहा कि हमारा अध्ययन पुष्टि करता है कि 2019 के अंत में इस बाजार में जंगली जानवर थे। इनमें रैकून कुत्ते और सिवेट्स जैसी प्रजातियों वाले जानवर थे। ये जानवर बाजार के दक्षिण-पश्चिम कोने में थे, जो उसी क्षेत्र में है जहां SARS-CoV-2 वायरस का पता लगाया गया था। यही कोविड-19 का कारण है।

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ये जानवर इंसानों की तरह वायरस पकड़ सकते हैं। इसकी वजह से ये इंसानों और चमगादड़ों के बीच एक इंटरमीडिएट होस्ट के रूप में संदेह के घेरे में हैं, जिनसे SARS-CoV-2 की उत्पत्ति होने की आशंका है। हुआनान मार्केट में इन जानवरों की उपस्थिति पहले विवादित रही थी, हालांकि कुछ फोटोग्राफिक सबूत और 2021 का एक अध्ययन मौजूद था। अध्ययन के अनुसार कोविड वायरस के लिए एक स्टॉल के कई हिस्से टेस्ट में वायरस से पॉजिटिव मिले, जिसमें जानवरों की गाड़ियां, एक पिंजरा, एक कचरा गाड़ी और एक बाल/पंख हटाने की मशीन शामिल थी।

अब, हाल के साक्ष्यों के आधार पर, वैज्ञानिक दो संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं जिनके कारण अतिव्यापी आनुवंशिक साक्ष्य सामने आए। पहली ये कि 19 से संक्रमित जानवरों को पहले वुहान बाजार में लाया गया था, और फिर वायरस मनुष्यों में फैल गया। दूसरी संभावना यह है कि एक संक्रमित मानव, जिसे किसी अन्य स्रोत से वायरस मिला हो, उसने वुहान बाजार का दौरा किया और उसमें से कुछ को पीछे छोड़ दिया। फिर, यह स्तनधारियों के साथ-साथ मनुष्यों तक भी पहुंच गया होगा।

चीन में एचएमपीवी की रिपोर्ट पर स्वास्थ्य संस्था का बयान: घबराने की कोई बात नहीं

चीन में एचएमपीवी (ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस) के फैलने की अटकलों के बीच, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय ने कहा है कि "घबराने की कोई बात नहीं है", दूरदर्शन ने रिपोर्ट किया । संस्था के महानिदेशक अतुल गोयल ने संवाददाताओं से कहा कि देश में अभी तक श्वसन संबंधी बीमारी एचएमपीवी का कोई मामला सामने नहीं आया है।

चीन में एचएमपीवी के प्रकोप के बारे में खबरें आई हैं और यह गंभीर है। हमें ऐसा नहीं लगता, मैं स्पष्ट कर दूं, यह किसी भी अन्य श्वसन वायरस की तरह है जो ज्यादातर बुजुर्गों और 1 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में फ्लू जैसे लक्षण पैदा करता है," गोयल ने कहा। उन्होंने कहा कि सर्दियों के दौरान श्वसन संबंधी बीमारियां आम हैं और भारत के अस्पताल इनसे निपटने के लिए सुसज्जित हैं। गोयल ने संवाददाताओं से कहा, "विशेष रूप से दवाओं की आवश्यकता नहीं है क्योंकि इसके खिलाफ एंटी-वायरल दवाएं नहीं हैं। अस्पतालों में या आईसीएमआर के आंकड़ों के अनुसार कोई बड़ा मामला नहीं है। घबराने की कोई बात नहीं है।"

इससे पहले एएनआई ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया था कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) देश में श्वसन और मौसमी इन्फ्लूएंजा के मामलों की बारीकी से निगरानी कर रहा है। हालांकि चीन में एचएमपीवी प्रकोप की रिपोर्ट की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन एनसीडीसी ने कथित तौर पर कहा है कि वह इस मामले के लिए अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के संपर्क में है। विशेष रूप से, शीत लहर और वायु गुणवत्ता सूचकांक की स्थिति के कारण, सर्दियों के मौसम में श्वसन संबंधी बीमारियों को लेकर चिंताएं आम तौर पर देश में मौजूद रहती हैं।

चीनी रोग नियंत्रण प्राधिकरण ने दिसंबर के अंत में घोषणा की थी कि वह अज्ञात मूल के निमोनिया के लिए एक निगरानी प्रणाली स्थापित कर रहा है क्योंकि सर्दियों में कुछ श्वसन संबंधी बीमारियों के मामलों में वृद्धि होने की उम्मीद है, रॉयटर्स ने बताया। देश के इस कदम का उद्देश्य अज्ञात रोगजनकों को संभालने के लिए प्रोटोकॉल की पहचान करने और स्थापित करने में अधिकारियों की सहायता करना था। कथित तौर पर इस प्रणाली पर चीन का कदम यह सुनिश्चित करने के लिए है कि इसकी तैयारी का स्तर पांच साल पहले की तुलना में बेहतर है, जब COVID-19 पहली बार सामने आया था।

कोरोना के बाद चीन में नए वायरस ने डराया, तेजी से फैल रहा, कई इलाकों में इमरजेंसी घोषित

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कोरोना महामारी का प्रकोप लोग अभी भूले नहीं है। उस वक्त एक जानलेवा वायरस ने पूरी दुनिया की रफ्तार को रोक दिया था। करोड़ो लोग इसका शिकार हुए और लाखों को अपनी जान से हाथ तक धोना पड़ा। कोरोना वायरस चीन के वुहान से निकला था। अब करीब पांच साल के बाद एक बार फिर चीन में एक और खतरनाक वायरस ने दस्तक दे दी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन दिनों चीन में ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस का प्रकोप देखने को मिल रहा है। बताया जा रहा है कि इस खतरनाक वायरस के कारण चीन के अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ गई है। इतना ही नहीं,ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस के कारण मरीज बड़ी संख्या में मर भी रहे हैं।

ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस से संक्रमित होने वाले लोगों में खांसी-जुकाम और सांस लेने में परेशानी जैसे लक्षण नजर आ रहे है। जिन लोगों को पहले से सांस की कोई बीमारी है उनको ज्यादा खतरा बताया जा रहा है। चूंकि ये वायरस संक्रामक है और एक से दूसरे व्यक्ति में तेजी से फैलता है ऐसे में चीन का स्वास्थ्य विभाग अलर्ट पर है और वायरस की रोकथाम के लिए बड़े पैमाने पर टेस्टिंग भी चल रही है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि चीन में इस वायरस से इमरजेंसी जैसे हालात है।

चीन का यह सच सोशल मीडिया पर अब आग की तरफ फैल रहा है। कई रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया पोस्ट्स में दावा है कि यह नया वायरस तेजी से फैल रहा है। चीन पर नजर रखने वाले कुछ लोगों का तो यह भी दावा है कि अस्पताल और श्मशान घाट भी अब भर चुके हैं। लोग इस वायरस की चपेट में तेजी से आ रहे हैं। ऐसे कई वीडियो को ऑनलाइन शेयर किया गया है। इनमें अस्पतालों में भीड़ दिखाई दे रही है।

ऑनलाइन शेयर किए गए वीडियो में अस्पतालों में भीड़ दिखाई दे रही है। कुछ यूजर्स का कहना है कि चीन में एचएमपीवी, इन्फ्लूएंजा ए, माइकोप्लाज्मा न्यूमोनिया और कोविड-19 समेत कई वायरस एक साथ फैल रहे हैं। चीन पूरी तरह से अलर्ट मोड पर है। हालांकि, अब भी इस वायरस को लेकर बहुत कुछ सही से बता नहीं रहा।

वहीं, रॉयटर्स की एक रिपोर्ट की मानें तो चीन के रोग नियंत्रण प्राधिकरण ने शुक्रवार को कहा कि वह अज्ञात तरीके के निमोनिया के लिए एक निगरानी प्रणाली चला रहा है। सर्दियों में सांस संबंधी रोगों के मामले बढ़ने की आशंका है। एक खास सिस्टम स्थापित करने का मकसद अधिकारियों को अज्ञात रोगजनकों से निपटने के लिए प्रोटोकॉल स्थापित करने में मदद करना है।

क्या है यह एचएमपीवी वायरस

ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) भी कोरोना की ही तरह से श्वसन पथ को संक्रमित करता है, हालांकि कोरोना के इतर इस वायरस के कारण ऊपरी और निचले दोनों श्वसन पथ में संक्रमण का खतरा हो सकता है। यह न्युमोवायरिडे परिवार के मेटापन्यूमोवायरस क्लास से जुड़ा है। इसे सबसे पहले 2001 में डच शोधकर्ताओं ने खोजा था। यह वायरस तब सामने आया था रिसर्चर जब श्वसन संक्रमण यानी सांस संबंधी बीमारी से पीड़ित बच्चों के नमूनों का अध्ययन कर रहे थे। अध्ययनों से पता चला है कि यह वायरस कम से कम छह दशकों से मौजूद है। यह एक सामान्य श्वसन रोगजनक़ के रूप में पूरी दुनिया में फैल गया है। यह मुख्य रूप से खांसने और छींकने से निकलने वाली बूंदों से फैलता है। संक्रमित लोगों के साथ निकट संपर्क और दूषित वातावरण के संपर्क में आने से भी संचरण हो सकता है। चीनी सीडीसी की वेबसाइट के अनुसार, इस वायरस का संक्रमण काल तीन से पांच दिनों का होता है। एचएमपीवी द्वारा प्रेरित प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया बार-बार होने वाले संक्रमणों को रोकने के लिए बहुत कमजोर होती है। हालांकि यह पूरे साल पाया जा सकता है, लेकिन यह सर्दी और वसंत में सबसे अधिक पाया जाता है।

2023 में अमेरिका में भी बढ़े थे मामले

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिका के कई हिस्सों में साल 2023 की शुरुआत में फिर उसी साल के मई-जून के महीनों में एचएमपीवी के कारण संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े थे। जानकारी के अनुसार अमेरिका में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) के लिए लगभग 11 प्रतिशत पीसीआर और 20 प्रतिशत एंटीजन टेस्ट रिपोर्ट सकारात्मक आए थे।

महामारी से पहले के स्तर की तुलना में इसकी पॉजिटीविटी दर में 36 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, सभी लोगों को इस वायरल संक्रमण के जोखिमों को देखते हुए बचाव के लिए उपाय करते रहने की आवश्यकता है।

Anmol Solanki’s Journey: A Tale of Resilience and Stardom

Anmol Solanki’s life is a powerful testament to perseverance and grit. His story, marked by tragedy, sacrifice, and ultimate success, serves as an inspiration to many.  

At just one year old, Anmol lost his father, a devastating loss that placed the burden of raising him and his sister solely on his mother’s shoulders. A hardworking Anganwadi worker, she instilled in him the values of strength and determination. However, life dealt another cruel blow in 2014, when his mother suffered a brain hemorrhage. For six months, Anmol cared for her during dialysis treatments, but in May 2016, he lost her too.  

Left to support himself and his sister, Anmol faced harsh realities. To make ends meet, he dropped out of school and took on work as a waiter, earning just ₹500 per day. Despite the financial struggles, his resilience never wavered. The turning point came when his sister secured a job, enabling him to complete his education.  

As life began to stabilize, the COVID-19 pandemic struck, bringing further uncertainty. Yet Anmol refused to let adversity define him. Instead, he saw it as an opportunity to chase his dreams. He stepped into the entertainment industry and landed his breakthrough role in Netflix's Jamtara, a crime drama that put him on the map.  

The success of Jamtara paved the way for more opportunities, including a significant role in Shakti 2 on Colors TV. Sharing the screen with established actors like Rubina Dilaik, Kamya Punjabi, and Sudesh Berry, Anmol proved his talent and cemented his place in the entertainment world.  

Capitalizing on his growing popularity, Anmol entered the realm of social media influencing. With an authentic voice and a compelling personal story, he quickly struck a chord with audiences. Partnering with leading brands, he successfully built his image as a lifestyle influencer, inspiring countless individuals who see in him the embodiment of resilience and determination.  

Now, at just 25 years old, Anmol Solanki’s journey stands as a shining example of how hard work and an unyielding spirit can overcome even the greatest challenges. From working as a waiter to becoming a celebrated actor and influencer, his story is proof that dreams can indeed come true—if one has the courage to pursue them relentlessly.

নস্ত্রাদামুসের ভবিষ্যদ্বাণী – শঙ্কিত ২০২৫ সাল

*ডেস্ক* : ষোড়শ শতকে ফ্রান্সের গণৎকার তথা চিকিৎসক ছিলেন তিনি৷ তাঁর কিছু ভবিষ্যতবানী অক্ষরে অক্ষরে মিলে গিয়েছিলো। তাঁর এমন কিছু ভবিষ্যত বাণী আছে ২০২৫ সাল সম্পর্কে যা মানুষকে আবার ভাবিয়ে তুলছে। শেষের মুখে ২০২৪৷ আসছে ২০২৫৷ নতুন বছরের দোড়াগোড়ায় আরও একবার উঠে এল নস্ত্রাদামুসের ভবিষ্যদ্বাণী৷ ফ্রান্সের নস্ত্রদাম শহরের বাসিন্দা ছিলেন এই গণৎকার মিশেল৷ শহরের নামের সঙ্গে মিশিয়ে তাঁর নাম মিশেল দ্য নস্ত্রদাম৷ অর্থাৎ নস্ত্রদাম শহরের মিশেল। সেই থেকে তাঁর নাম নস্ত্রাদামুস৷ ১৫৫৫ খ্রিস্টাব্দে প্রকাশিত হয়েছিল তাঁর লেখা ‘লে প্রোফেতি’ বা ‘দ্য প্রোফেসিজ’৷ এই বইয়ে ৯৪২ টি পদ্যে আধুনিক পৃথিবীর অনেক কিছুই ভবিষ্যদ্বাণী করা হয়েছে বলে ভক্তদের বিশ্বাস৷

২০২৪ সালের জন্য করা নস্ত্রাদামুসের ভবিষ্যদ্বাণীতে ছিল ভয়াবহ যুদ্ধের কথা৷ মনে করা হয় এটাই ছিল ২০২২ সালের রাশিয়া ইউক্রেন যুদ্ধ৷ ২০২৫-এ এই যুদ্ধ বন্ধ হতে পারে বলে মনে করা হচ্ছে তাঁর ভবিষ্যদ্বাণী থেকে। নস্ত্রাদামুস ভবিষ্যদ্বাণী করেছেন যে নতুন বছর ইংল্যান্ডের ভাল যাবে না৷ ফিরে আসতে পারে “প্রাচীন প্লেগ”-এর মড়ক৷ এই প্রাদুর্ভাব শত্রুদের চেয়েও খারাপ হবে। যেহেতু তার COVID-19 মহামারির ভবিষ্যদ্বাণী সত্য হয়েছে, বিশেষজ্ঞরা প্লেগের সতর্কতাকেও গুরুত্ব দিচ্ছেন৷ নস্ত্রাদামুস ভবিষ্যদ্বাণী করেছেন যে ২০২৫ সালে পৃথিবীর সঙ্গে একটি বিশাল গ্রহাণুর সংঘর্ষ বা গ্রহের বিপজ্জনক সান্নিধ্যে আসতে পারে। গ্রহাণুগুলি গ্রহের কাছাকাছি আসা একটি নতুন ঘটনা নয়। প্রতি বছর কয়েকশো গ্রহাণু পৃথিবীকে অতিক্রম করে এবং তাদের বেশিরভাগই নিরাপদ দূরত্ব বজায় রাখে। বন্যা,আগ্নেয়গিরির অগ্ন্যুৎপাত, জলবায়ুর পরিবর্তনে তছনছ হতে পারে ব্রাজিল৷ লাতিন আমেরিকার এই দেশকে নস্ত্রাদামুস বলেছেন ‘বিশ্বের উদ্যান’ হিসেবে৷ স্বাভাবিক কারণেই শঙ্কিত বিশ্বের অনেক নাগরিক। এখন আমাদের তাকিয়ে থাকতে হবে ভিবিষ্যতের দিকে।
कोरोना महामारी में भारत ने दिया था साथ, अब डोमिनिका प्रधानमंत्री मोदी को देगा सर्वोच्च सम्मान

कोविड 19 महामारी के दौरान मदद के लिए डोमिनिका राष्ट्रमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार डोमिनिका अवार्ड ऑफ ऑनर देने की घोषणा की है.

प्रधानमंत्री मोदी को 19-21 नवंबर को यह अवॉर्ड जॉर्जटाउन, गुयाना में भारत-कैरिकॉम शिखर सम्मेलन के दौरान दिया जाएगा. डोमिनिका राष्ट्रमंडल के राष्ट्रपति सिल्वेनी बर्टन उन्हें सम्मानित करेंगे.

यह सम्मान COVID-19 महामारी के दौरान डोमिनिका में दिए गए उनके योगदान और भारत सरकार की मजबूत साझेदारी दर्शाता है.यह पुरस्कार प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में स्वास्थ्य, शिक्षा और सूचना प्रौद्योगिकी में डोमिनिका के लिए भारत के समर्थन के लिए दिया जा रहा है.

पीएम मोदी हमारे सच्चे शुभचिंतक- डोमिनिका

डोमिनिका सरकार का कहना है पीएम मोदी हमारे सच्चे शुभचिंतक रहे हैं. COVID-19 के दौरान फरवरी 2021 में प्रधानमंत्री मोदी ने डोमिनिका को एस्ट्राजेनेका COVID-19 वैक्सीन की 70,000 खुराक की आपूर्ति की थी. गंभीर स्वास्थ्य संकट के बीच हमारी जरूरत के समय में उन्होंने साथ दिया. हमारी सरकार कृतज्ञता अर्पित करती है.

स्वास्थ्य, शिक्षा, जयवायु परिवर्तन पर सहयोग

डोमिनिका राष्ट्रमंडल का कहना है कि स्वास्थ्य, शिक्षा के साथ-साथ भारत की मोदी सरकार ने वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन को लेकर भी गंभीर चिंता व्यक्त की है और समाधानजनक पहल की है.

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने जलवायु परिवर्तन और युद्ध जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने में आपसी सहयोग के महत्व पर जोर दिया है. पीएम मोदी ने इन मुद्दों के समाधान में डोमिनिका और कैरेबियन के साथ काम करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दुहराया है.

अफ्रीका और एम पॉक्स का पुराना इतिहास रहा है,अफ्रीका में आउट ऑफ कंट्रोल है एम पॉक्स, सीडीसी ने दी चेतावनी बचाव करना जरूरी


डेस्क:–अफ्रीकी संघ के स्वास्थ्य प्रहरी, अफ्रीका सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (अफ्रीका CDC), ने चेतावनी दी है कि मंकीपॉक्स (Mpox) का प्रकोप अभी भी पूरी तरह से नियंत्रण में नहीं है। अफ्रीका CDC के निदेशक, नगाशी नगोंगो ने गुरुवार को एक ब्रीफिंग में कहा कि इस बीमारी का प्रसार अभी भी ऊपर की ओर बढ़ रहा है और इसे नियंत्रण में लाने के लिए अतिरिक्त संसाधनों की आवश्यकता है। नगोंगो ने इस प्रकोप को COVID-19 की तुलना में अधिक गंभीर महामारी बनने से रोकने के लिए संसाधनों की तत्काल जरूरत बताई है और एक संभावित गंभीर महामारी को रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की अपील की है। उन्होंने स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने, परीक्षण क्षमता बढ़ाने, और अधिक टीके उपलब्ध कराने की अपील की। अफ्रीका में मंकीपॉक्स का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है, और यदि इसे नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह महामारी गंभीर संकट में बदल सकती है।

अफ्रीका CDC ने कहा कि इस बीमारी को नियंत्रित करने के लिए तत्काल संसाधनों की जरूरत है, जिनमें टीकाकरण, परीक्षण क्षमता, और उपचार के साधन शामिल हैं। अफ्रीकी देशों से मिलकर इस पर काम करने और बाहरी सहायता प्राप्त करने की उम्मीद जताई गई है ताकि इस बीमारी पर जल्द नियंत्रण पाया जा सके और एक बड़े स्वास्थ्य संकट को टाला जा सके।

इस स्थिति में, स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि अफ्रीकी देशों के लिए मिलकर काम करना और अंतरराष्ट्रीय सहायता प्राप्त करना आवश्यक है, ताकि इस बीमारी पर जल्दी नियंत्रण पाया जा सके और एक बड़े स्वास्थ्य संकट से बचा जा सके।

अफ्रीका के बाद यूके में भी एम पॉक्स का केस मिला है, जिससे बाद स्वास्थ्य विभाग भी चौकन्ना हो गए हैं। हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो उन्हें इस बात का ज्यादा डर है कि आने वाला ठंड का मौसम कहीं इसके मामलों के बढ़ने का कारण न बन जाए। हालांकि, अभी तक इस बारे में अन्य जानकारियां प्राप्त करने के लिए इस पर रिसर्च की जा रही हैं।
Playboy turned Humanitarian Kamal Muhamed recognised among Top 10 Authors of 2024

Kamal Muhamed is among the list of Top 10 authors recognised for courages efforts and attempt. His maiden book Daring Prince Truth Revaled, in english an autobioraphy which took 6 long years of dedication for its completion. and was released on March 23rd 2024 by Dr.Mohanji his Childhood friend.( Humanitarian , Author & Spiritual Leader)

Kamal Muhamed, was born on September 8, 1964, in Kannur, a go-getter an artistic thinker and marketing enthusiast known for his resiliencec and determination.

Raised in a modest family, he pursued his vision of becoming a Human Rights activist and social worker, for serving underprivileged society, leaving school early to become self-reliant. Starting as a Sales Trainee at 21, with multinational he built a career across India Gulf and Middle East, and Africa overcoming challenges, including surviving Yemen’s war.

Kamal played an important role in OPERATION RAHAT’s mass evacuation in 2015 and during Covid 19 with selfless social activities for the community.

His Daring Prince Truth Revealed, is nominated for the 2025 Sahitya Sparsh Awards. A BOOK fully devoted to serve the needy and poor and Global Noble Causes the list of Top 10 Authors includes Legend Robin Sharma. Founder & Author The 5 am Club

Kamal a proven humble and down to earth Humanitarian & Social Activist attained various accolades naming a few in 2024, Dada Saheb Phalke Motivational Award, for Best Author & Social Activist, JCI Humanitarian Award & NCFC Best Humanitarian for Social Services from Nepal.

Kamal H. Muhamed is associated with AICHLS & NCNB( Member United Nations Global Compact) as Head of State, Wellmed Trip. Com Mauritius, Long Rock Hospitalities, an upcoming project to fulfill his young age dream .

He is also Well Wisher and supporter of Ammucare Charitable Trust.( Mohanji Foundation) He lives with His Arab Wife Leila Nasher and 3 Children Haroon, Maryam & Moosa at outskirts of Kochi.

After Author's recognition news was spread he was given a warm welcome by Surya Vanitha Library at his home town where he donated few books gifted by Dr.Mohanji on my request..

Daring Prince's Malayalam version is getting ready for Publication in early 2025 through renowned Olive Books. His advice always to young and startup entrepreneurs: embrace risk, learn, and never quit.

https://www.amazon.in/Daring-Prince-Revealed-Kamal-Muhamed/dp/8197046433?dplnkId=8d49bdef-7258-4d81-b64a-79bb119acdfd

https://hrcin.org/

https://ammucare.org/

Uniting Bharat: The Grannus Organization Revolutionizes Volunteering Across India

 

Imagine a world where every woman feels protected, every child is safe, the hungry are fed, and citizens unite in times of natural disasters or emergencies to support local authorities. People in India have long desired to contribute to the greater good through volunteering, but a major challenge has been how to unite these efforts on a large scale. Across the country, small social groups form to take on local tasks, but scaling these groups to a national level has been difficult—until now.

A groundbreaking solution has emerged from Ahmedabad, where the Grannus organization, a technology-driven organisation, has designed the Grannus PHPN App to bring people across Bharat together for a common purpose: helping others in need. PHPN, or "People Helping People Network," is exactly what the name suggests—a platform connecting citizens from all parts of India through cutting-edge technology. This app, powered by Grannus’ unique DGBSI SRPP/RTPP model, is particularly effective in mobilizing volunteers during emergencies.

Leadership and Vision

The Grannus PHPN project operates under the guidance of a highly respected figure in Gujarat, Geetha Johri, the former Director General of Police (DGP) of Gujarat, who now serves as the President of Grannus Organization. Alongside her, Mayank Shah, a social entrepreneur and the CEO of Grannus Organization, envisioned this platform as a means to unite people through social-interest-based integration through his unique idea of making DGBSI SRPP/RTPP model for emergency management. The brilliant coding to make this technology live was done by Chirag Patel.

“We are leveraging digitalization to tackle India's most pressing social issues,” says Mayank Shah. “Grannus connects citizens who are committed to societal betterment by organizing them based on their location and social interests. Our app facilitates everything from ensuring women’s safety, locating missing persons, and managing medical emergencies, to responding to national crises and natural disasters. We also support food donation drives and environmental initiatives. Users can register for free, select their areas of interest, and receive real-time alerts when their assistance is needed. Together, we can create a safer, more connected community.”

 A Rising Success in Gujarat

Since its launch, the Grannus PHPN app has gained viral popularity in Gujarat, even trending at number one on the Google Play Store for several days. It is now the highest-rated Indian app focused on social issues. The app has drawn praise from prominent figures, including Gujarat’s Chief Minister, Bhupendra Bhai Patel, and various IAS and IPS officers, who have commended Grannus for its successful projects, particularly during the COVID-19 pandemic.

How It Works

Joining the movement is simple. Volunteers can download the Grannus PHPN app from the Google Play Store, select their social interests—ranging from women's safety and disaster response to environmental work—and receive notifications when their help is needed. Users can choose one or more interests, and the app connects them with nearby volunteering opportunities, whether with local NGOs or during emergencies in their vicinity.

A Vision for National Impact

“Our population, often seen as a challenge, can become our greatest asset,” explains Shah. “The government is working tirelessly to address social issues, but by connecting people and empowering them with volunteering opportunities, we can solve many of our country's problems together.”

Under the administrative leadership of Geetha Johri, the project is poised to expand beyond Gujarat and make a significant impact across the nation. The Grannus PHPN app has the potential to transform India’s social landscape, bringing together communities and creating a brighter, safer future for all.


JEE  Main परीक्षा पैटर्न में बदलाव
डेस्क :– राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) ने संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE) मेन 2025 के प्रारूप में एक महत्वपूर्ण बदलाव की घोषणा की है, जिसमें परीक्षा के सेक्शन बी में प्रश्नों का चयन करने का विकल्प बंद कर दिया गया है।

NTA ने गुरुवार को एक अधिसूचना जारी की, जिसमें जेईई मेन 2025 परीक्षा के लिए आधिकारिक वेबसाइट जारी की गई। एक अन्य अधिसूचना में, NTA ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान शुरू किए गए सेक्शन बी में प्रश्नों का चयन करने का विकल्प अब उपलब्ध नहीं होगा। इसका मतलब है कि जेईई मेन 2025 के लिए उपस्थित होने वाले उम्मीदवारों को बिना किसी विकल्प के सेक्शन बी के सभी पाँच प्रश्नों का प्रयास करना होगा।

NTA ने एक बयान में कहा, "अभूतपूर्व चुनौतियों के बीच छात्रों पर दबाव कम करने के लिए कोविड-19 महामारी के दौरान प्रश्नों का वैकल्पिक चयन शुरू किया गया था।" "डब्ल्यूएचओ द्वारा 5 मई, 2023 को कोविड-19 को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल के रूप में समाप्त करने की घोषणा के साथ, हम मूल परीक्षा संरचना पर वापस लौट रहे हैं।"

JEE Main 2025 से उम्मीदवारों को सेक्शन B में प्रश्नों का चयन करने की सुविधा नहीं मिलेगी। NTA ने कहा, "अब सभी छात्रों को प्रत्येक विषय के लिए सेक्शन B में सभी पाँच प्रश्नों को हल करना होगा।" यह परिवर्तन 2021 में शुरू किए गए लचीले विकल्प को समाप्त करता है, जिसके तहत छात्रों को COVID-19 की चुनौतियों के कारण 10 में से किसी भी 5 संख्यात्मक प्रश्नों को हल करने की अनुमति दी गई थी। इसके अतिरिक्त, NTA ने पुष्टि की कि JEE Main 2025 के पहले चरण के लिए आवेदन प्रक्रिया जल्द ही शुरू होगी, जिसका विवरण इसकी आधिकारिक वेबसाइट पर जारी किया जाएगा। JEE Main 2025 से शुरू होकर, सेक्शन B में पेपर 1 (B.E./B.Tech), पेपर 2A (B. Arch) और पेपर 2B (B. Planning) में प्रति विषय केवल पाँच अनिवार्य प्रश्न होंगे। उम्मीदवारों को चयन के लिए किसी भी विकल्प के बिना सभी पाँच प्रश्नों को हल करना होगा।
चीन से ही पूरा दुनिया में फैला कोरोना, COVID-19 की उत्पत्ति इस शहर से हुई, मिले सबूत

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कोविड-19 महामारी की शुरुआत कैसे हुई, यह रहस्य बना हुआ है। कोरोना वायरस का कहर साल 2019 से चीन में शुरू हुआ था, जिसके बाद धीरे-धीरे यह पूरी दुनिया में फैल गया। इस महामारी के फैलने के बाद तरह-तरह की बातें कहीं गई। कई तरह की परिकल्पनाएं सामने आई, लेकिन इसे स्पष्ट करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं। कई वैज्ञानिकों का मानना है कि SARS-CoV-2, कोरोनावायरस जो COVID-19 का कारण बनता है, जानवरों से मनुष्यों में फैला, जिसे जूनोटिक ट्रांसमिशन के रूप में जाना जाता है। कुछ शोधकर्ताओं ने कहा है कि वायरस चमगादड़ों में उत्पन्न हुआ। किसी ने कहा एक स्वाभाविक रूप से उभरने वाला वायरस जिसका प्रयोगशाला के अंदर अध्ययन किया गया और लीक हो गया। इनमें से किसी भी परिकल्पना के लिए अभी तक कोई निश्चित सबूत नहीं है।

वहीं, तमाम एक्सपर्ट्स ने दावा किया था कि कोरोना वायरस चीन की वुहान लैब से फैला था, लेकिन इसे लेकर विवाद चलता रहा। अमेरिका समेत कई देशों ने चीन पर वायरस फैलाने के आरोप लगाए थे, जबकि चीन इससे इनकार करता रहा। इस बीच, एक नए अध्ययन से पता चला है कि कोविड-19 संभवतः चीनी बाजार में संक्रमित जानवरों से उत्पन्न हुआ है। सेल जर्नल (पीयर-रिव्यू) में प्रकाशित, अध्ययन में मजबूत साक्ष्य का हवाला दिया गया है, जो कि वुहान के हुआनान सीफूड मार्केट से एकत्र किए गए 800 नमूनों पर आधारित है। नमूने चीनी अधिकारियों द्वारा जनवरी 2020 में एकत्र किए गए थे जब बाजार बंद था।

ये सैंपल जनवरी 2020 में बाजार बंद होने के बाद सीधे जानवरों या लोगों से नहीं, बल्कि जंगली जानवरों को बेचने वाले स्टॉल और नालियों की सतहों से लिए गए थे। इसके आधार पर शोधकर्ताओं ने कहा है कि कोरोना वायरस यहीं से फैला था।

जर्नल में प्रकाशित इस स्टडी की को-ऑथर फ्लोरेंस डेबेर ने न्यूज एजेंसी एएफपी को बताया कि वे निश्चित रूप से यह नहीं कह सकती हैं कि बाजार में मौजूद जानवर संक्रमित थे या नहीं। हालांकि फ्रांस के CNRS रिसर्च एजेंसी की बायोलॉजिस्ट ने कहा कि हमारा अध्ययन पुष्टि करता है कि 2019 के अंत में इस बाजार में जंगली जानवर थे। इनमें रैकून कुत्ते और सिवेट्स जैसी प्रजातियों वाले जानवर थे। ये जानवर बाजार के दक्षिण-पश्चिम कोने में थे, जो उसी क्षेत्र में है जहां SARS-CoV-2 वायरस का पता लगाया गया था। यही कोविड-19 का कारण है।

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ये जानवर इंसानों की तरह वायरस पकड़ सकते हैं। इसकी वजह से ये इंसानों और चमगादड़ों के बीच एक इंटरमीडिएट होस्ट के रूप में संदेह के घेरे में हैं, जिनसे SARS-CoV-2 की उत्पत्ति होने की आशंका है। हुआनान मार्केट में इन जानवरों की उपस्थिति पहले विवादित रही थी, हालांकि कुछ फोटोग्राफिक सबूत और 2021 का एक अध्ययन मौजूद था। अध्ययन के अनुसार कोविड वायरस के लिए एक स्टॉल के कई हिस्से टेस्ट में वायरस से पॉजिटिव मिले, जिसमें जानवरों की गाड़ियां, एक पिंजरा, एक कचरा गाड़ी और एक बाल/पंख हटाने की मशीन शामिल थी।

अब, हाल के साक्ष्यों के आधार पर, वैज्ञानिक दो संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं जिनके कारण अतिव्यापी आनुवंशिक साक्ष्य सामने आए। पहली ये कि 19 से संक्रमित जानवरों को पहले वुहान बाजार में लाया गया था, और फिर वायरस मनुष्यों में फैल गया। दूसरी संभावना यह है कि एक संक्रमित मानव, जिसे किसी अन्य स्रोत से वायरस मिला हो, उसने वुहान बाजार का दौरा किया और उसमें से कुछ को पीछे छोड़ दिया। फिर, यह स्तनधारियों के साथ-साथ मनुष्यों तक भी पहुंच गया होगा।