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मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन की बढ़ी मुश्किल, क्लासरूम-घोटाले में मामला दर्ज

#casefiledagainstsisodiaandsatyendrajain

आम आदमी पार्टी नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और दिल्ली के पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब इन दोनों आप नेताओं के खिलाफ करप्शन का मामला दर्ज किया गया है। करप्शन का यह मामला क्लासरूम और स्कूल बिल्डिंग के निर्माण से जुड़ा है। सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के खिलाफ 2 हजार करोड़ के बड़े घोटाले का मामला दर्ज हुआ है। एंटी करप्शन ब्रांच (एसीबी) ने एफआईआर दर्ज की गई है।

2000 करोड़ रुपये का घोटाला

भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने आप नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, दिल्ली के पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ अत्यधिक लागत पर कक्षाओं के निर्माण में भ्रष्टाचार के संबंध में मामला दर्ज किया है। 12,748 क्लासरूम और भवनों के निर्माण में कथित 2000 करोड़ रुपये के घोटाले से जुड़ा यह मामला है। एंटी करप्शन ब्रांच की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि दिल्ली में आप सरकार के शासनकाल में 12,748 कक्षाओं और भवनों के निर्माण में 2,000 करोड़ का भारी घोटाला सामने आया है।

एक क्लासरूप बनाने में पांच गुना ज्यादा पैसे दिए गए

एंटी करप्शन ब्रांच का कहना है कि क्लासरूम बनाने के लिए बहुत ज्यादा पैसे दिए गए। एक क्लासरूम बनाने में 24.86 लाख रुपये खर्च किए गए। एसीबी के अनुसार, आमतौर पर दिल्ली में एक क्लासरूम 5 लाख रुपये में बन जाता है। मतलब लगभग पांच गुना ज्यादा पैसे दिए गए। आरोप पत्र के अनुसार, इन कक्षाओं के निर्माण में घटिया गुणवत्ता की सामग्री का उपयोग किया गया, लेकिन इसका पैसा बेहतर आरसीसी निर्माण तकनीकी की दर से वसूल किया गया। एजेंसी का आरोप है कि इस मामले में भारी वित्तीय गड़बड़ी की गई है।

कंसलटेंट-आर्किटेक्ट की नियुक्ति मनमाने ढंग से

एंटी करप्शन ब्रांच की जांच में पता चला है कि क्लासरूम/बिल्डिंग के निर्माण की लागत बढ़ाकर दर्शाई गई थी। इसके अलावा निर्धारित अवधि के भीतर एक भी काम पूरा नहीं हुआ था। निर्माण कार्य के लिए कंसलटेंट और आर्किटेक्ट की नियुक्ति भी मनमाने ढंग से की गई थी। एंटी करप्शन ब्यूरो ने यह भी आरोप लगाया है कि इन कक्षाओं के निर्माण में जिन 34 ठेकेदारों को निर्माण का ठेका दिया गया था, उनमें से ज्यादातर आम आदमी पार्टी से जुड़े हुए लोग शामिल थे। इन्हीं के जरिए निर्माण की लागत बढ़ाई गई।

मनोज तिवारी ने लगाया था आरोप

बता दें कि भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने भी 2019 में जोन 23, 24 और 28 के सरकारी स्कूलों में अतिरिक्त कक्षाओं के निर्माण में करप्शन का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी। बीजेपी सांसद ने अपनी शिकायत में कहा था कि सरकार ने एक क्लासरूम में 28 लाख रुपए खर्च किए, जबकि एक क्लासरूम के निर्माण में 5 लाख रुपए ही लगते हैं।

महादेव सट्टा ऐप से जुड़े नेटवर्क पर रायपुर ED का करारा प्रहार: मनी लॉन्ड्रिंग केस में दिल्ली-मुंबई समेत देश के इन 7 बड़े शहरों में मारा छापा

रायपुर- छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित महादेव ऑनलाइन सट्टा ऐप से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में रायपुर प्रवर्तन निदेशालय ने बड़ी कार्रवाई की है। जांच एजेंसी ने देश के 7 बड़े शहरों दिल्ली, मुंबई, इंदौर, अहमदाबाद, चंडीगढ़, चेन्नई और ओडिशा के संबलपुर में ताबड़तोड़ छापेमारी करते हुए 576.29 करोड़ रुपए की सिक्योरिटीज/बॉन्ड/डीमैट खाते फ्रीज कर दस्तावेज जब्त किए। इसमें 3.29 करोड़ रुपए नकद शामिल हैं।

ईडी की जांच में यह भी सामने आया है कि इस पूरे नेटवर्क का कनेक्शन दिल्ली के कुछ नेताओं से जुड़ा है। हवाला के जरिए छत्तीसगढ़ से दिल्ली तक काली कमाई भेजी गई। यह भी पाया गया कि सट्टेबाजी से कमाए गए पैसों को मॉरीशस और दुबई के फर्जी एफपीआई (फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स) के जरिए विदेशी निवेश और शेयर बाजार में लगाया गया, जिससे स्मॉल और मिडकैप कंपनियों के शेयरों की कीमतों में कृत्रिम उतार-चढ़ाव करके आम निवेशकों को चपत लगाई गई।

कार्रवाई को लेकर ईडी की एक्स पोस्ट


अधिकारियों के अनुसार, यह मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाइयों में से एक है। दिल्ली के जिन नेताओं का कनेक्शन मिला है, ईडी ने उनके खिलाफ जांच शुरू कर दी है।

3002.47 करोड़ रुपए की चल-अचल संपत्ति अटैच

ईडी से मिली जानकारी के अनुसार, जब्त किए गए दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की जांच में मेसर्स महादेव ऑनलाइन बुक बेटिंग ऐप का सिंडिकेट चलाने के इनपुट मिले हैं। इसके लिए सट्टेबाजी वेबसाइटों को नए उपयोगकर्ताओं को नामांकित करने, आईडी को सक्षम बनाने के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की व्यवस्था करता है।

तलाशी के दौरान बड़ी मात्रा में अपराध की आय (POC) मिली है। बता दें कि महादेव सट्टा प्रकरण में अब तक ईडी ने 170 से अधिक परिसरों में छापेमारी कर तलाशी में करीब 3002.47 करोड़ रुपए की चल-अचल संपत्ति अटैच कर चुकी है। साथ ही इस सिंडिकेट से जुड़े 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। वहीं, प्रकरण की जांच कर 5 अभियोजन शिकायतों में 74 संस्थाओं को आरोपी बनाया गया है।

राहुल गांधी भारतीय नागरिक पर हाईकोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब, 10 दिन का समय दिया

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कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा- 'राहुल गांधी भारतीय नागरिक हैं या नहीं, इस पर 10 दिन में जवाब दें।इस मामले की अगली सुनवाई 5 मई को होगी। याचिका में राहुल गांधी की नागरिकता पर सवाल उठाया गया है, जिससे उनकी लोकसभा सदस्यता खतरे में पड़ सकती है।

भाजपा कार्यकर्ता विग्नेश शिशिर की याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने एक स्टेटस रिपोर्ट पेश की। कोर्ट ने इसे अपर्याप्त माना और सरकार को और स्पष्ट जवाब देने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि यह मामला राष्ट्रीय महत्व का है और इसमें देरी स्वीकार्य नहीं होगी। केंद्र सरकार ने इसका जवाब देने के लिए अतिरिक्त समय मांगा। अगली सुनवाई 5 मई को होगी।

क्या है राहुल गांधी की नागरिकता का मामला?

1 जुलाई, 2024 को कर्नाटक के वकील और भाजपा नेता एस विग्नेश शिशिर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता होने का भी आरोप लगाया था। याचिकाकर्ता ने ब्रिटिश सरकार के 2022 के गोपनीय मेल का हवाला देते हुए यह आरोप लगाया था। विग्नेश शिशिर ने भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 9(2) के तहत राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द करने की मांग की थी।

याचिकाकर्ता ने सबूत होने का दावा किया

याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि उसके पास ब्रिटिश सरकार के सभी दस्तावेज और कुछ ईमेल हैं जो साबित करते हैं कि राहुल गांधी ब्रिटिश नागरिक हैं और इस वजह से वह भारत में चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हैं। लिहाजा वह लोकसभा सदस्य का पद नहीं संभाल सकते। राहुल गांधी ने 2024 में रायबरेली लोकसभा सीट से चुनाव जीता है।

इससे पहले लखनऊ हाईकोर्ट में 24 मार्च को सुनवाई थी। जस्टिस एआर मसूदी और जस्टिस अजय कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने राज्य सरकार को चार सप्ताह में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था। सरकार ने 8 सप्ताह का समय मांगा था। इस पर 21 अप्रैल सुनवाई की तारीख तय हुई थी।

हमारी मंजूरी जरूरी नहीं...', निशिकांत दुबे के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी

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सुप्रीम कोर्ट और सीजेआई के खिलाफ टिप्पणी करने वाले भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही है। अब दुबे के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करने की मांग की गई है, जिसपर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा बयान आया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप इसे दायर करें, याचिका दायर करने के लिए आपको हमारी मंजूरी की जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि इसके लिए हमसे नहीं बल्कि अटॉर्नी जनरल से मांग कीजिए।

अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की मांग

यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के वकील अनस तनवीर ने दायर की है। अनस तनवीर भी वक्फ कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं में से एक का पक्ष सुप्रीम कोर्ट में रख रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद अनस तनवीर ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमाणी को पत्र लिखकर उनकी मंजूरी मांगी है। पत्र में कहा गया है कि दुबे ने सर्वोच्च अदालत की गरिमा को कम किया है। आवेदन में कहा गया है कि दुबे ने सुप्रीम कोर्ट पर तीखा हमला करते हुए कहा था कि अगर कानून सुप्रीम कोर्ट को ही बनाना है, तो संसद और राज्य विधानसभाओं को बंद कर देना चाहिए। उन्होंने भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना पर भी निशाना साधा और उन्हें देश में गृह युद्ध के लिए जिम्मेदार ठहराया

बीजेपी नेता का बयान 'खतरनाक रूप से भड़काऊ'

अधिवक्ता अनस तनवीर ने अटॉर्नी जनरल को लिखे पत्र में कहा है कि निशिकांत दुबे ने सार्वजनिक रूप से जो बयान दिए हैं, वे अत्यंत आपत्तिजनक, भ्रामक और माननीय सुप्रीम कोर्ट की गरिमा एवं अधिकार को कम करने की नीयत से दिए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड के भेजे गए पत्र के अनुसार, दुबे ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के खिलाफ जो आपत्तिजनक टिप्पणियां की है वह कंटेप्ट वाली हैं और बेहद अपत्तिजनक है। पत्र में कहा कि दुबे की टिप्पणी 'गंभीर रूप से अपमानजनक' और 'खतरनाक रूप से भड़काऊ' हैं।

बीजेपी ने खुद को दुबे के बयान से अलग किया

निशिकांत दुबे की यह टिप्पणी वक्फ संशोधन कानून को लेकर आई। वक्फ संशोधन कानून के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून के कुछ प्रावधानों को लेकर सवाल उठाए हैं, जिसके बाद केंद्र सरकार ने अगली सुनवाई तक कानून के कुछ प्रावधानों को लागू करने पर रोक लगा दी है। भाजपा ने भी शनिवार को खुद को निशिकांत दुबे के बयान से अलग कर लिया और दुबे के बयान को उनके निजी विचार बताया। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पार्टी नेताओं से अपील की है कि वे ऐसी टिप्पणियां न करें।

मनी लॉन्ड्रिंग केस में ईडी की बड़ी कार्रवाई, आंध्र के पूर्व सीएम जगन मोहन की 27 करोड़ से अधिक की संपत्ति जब्त

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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी की 27.5 करोड़ रुपये की शेयर संपत्ति को अस्थायी रूप से जब्त कर लिया है। इसके साथ ही, डालमिया सीमेंट्स (भारत) लिमिटेड (डीसीबीएल) की 377.2 करोड़ रुपये की जमीन भी जब्त की गई है। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग मामले से जुड़ी है।

सीबीआई ने इस मामले में 2013 में चार्जशीट लगाई थी। इसके अनुसार जगन मोहन रेड्डी के साथ मिलकर डालमिया सीमेंट्स ने 417 हेक्टेयर के लाइम स्टोन अवैध तरीके से लीज में लिए थे। सीबीआई चार्जशीट के आधार पर मनी लॉर्डिंग के मामले को अब ईडी ने आगे बढ़ाया है।

जगन मोहन रेड्डी के कार्मेल एशिया होल्डिंग्स लिमिटेड, सरस्वती पावर एंड इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड और हर्षा फर्म में शेयर जब्त किए गए हैं। डीसीबीएल को यह जब्ती आदेश 15 अप्रैल, 2025 को मिला। जबकि यह आदेश 31 मार्च को ही जारी कर दिया गया था।

आरोप है आंध्र प्रदेश के कडपा जिले में 417 हेक्टेयर के लाइम स्टोन की खरीदारी में धांधली की गई थी। जगन ने अपने पिता और तत्कालीन मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी पर प्रभाव डालकर डीसीबीएल को कडप्पा जिले में 407 हेक्टेयर क्षेत्र में खनन पट्टा दिलाने में मदद की थी। यह सब 'क्विड प्रो क्वो' डील के तहत हुआ। 'क्विड प्रो क्वो' का मतलब होता है 'कुछ देना और कुछ लेना'।

इस घोटाले के जरिए जगन मोहन रेड्डी को करीब 150 करोड़ अवैध तरीके से लाभ मिलने का आरोप है। आरोप ही कि आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम जगन मोहन रेड्डी तक जो पैसे पहुंचे थे, उनमें से 95 करोड़ रघुराम सीमेंट के शेयर के जरिए मिले थे और 55 करोड़ रुपये हवाला के रूप में जगन तक पहुंचे थे। सीबीआई का कहना है कि जगन मोहन रेड्डी को जो 150 करोड़ रुपये मिले हैं, उनके अलावा उन्हें हावाला के जरिए 85 करोड़ रुपये और मिलने वाले थे, लेकिन सीबीआई ने मामला दर्ज कर लिया इस वजह से ये पैसे जगन मोहन रेड्डी तक नहीं पहुंचे।

ईडी और सीबीआई का आरोप है कि वाईएस जगन मोहन रेड्डी, ऑडिटर और पूर्व सांसद वी विजय साई रेड्डी और डीसीबीएल के पुनीत डालमिया के बीच एक समझौता हुआ था। इसके तहत, उन्होंने रघुराम सीमेंट्स लिमिटेड में अपने शेयर एक फ्रांसीसी कंपनी PARFICIM को 135 करोड़ रुपये में बेच दिए। इसमें से 55 करोड़ रुपये जगन को 16 मई, 2010 और 13 जून, 2011 के बीच हवाला चैनलों के माध्यम से नकद में दिए गए। इन भुगतानों की जानकारी आयकर विभाग, नई दिल्ली द्वारा जब्त किए गए दस्तावेजों में मिली।

क्या है नेशनल हेराल्ड केस? सुब्रमण्यम स्वामी की एक शिकायत और बढ़ गई गांधी परिवार की मुश्किलें

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प्रवर्तन निदेशालय ने नेशनल हेराल्ड केस में कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। ईडी ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी और ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है। इस मामले में 25 अप्रैल को सुनवाई होगी। ईडी के इस एक्शन सवाल उठ रहे हैं कि क्या सोनिया और राहुल गांधी की गिरफ्तारी होगी? इससे पहले आइए जान लेते हैं कि ये मामला कैसे प्रकाश में आया किसकी शिकायत पर मामला आगे बढ़ा और आरोप क्या हैं?

क्या है नेशनल हेराल्ड केस?

बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने 2012 में दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में एक याचिका दाखिल करते हुए सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस के ही मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीज, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे पर घाटे में चल रहे नेशनल हेराल्ड अखबार को धोखाधड़ी और पैसों की हेराफेरी के जरिए हड़पने का आरोप लगाया था।

आरोप के मुताबिक, कांग्रेसी नेताओं ने नेशनल हेराल्ड की संपत्तियों पर कब्जे के लिए यंग इंडियन लिमिटेड ऑर्गेनाइजेशन बनाया और उसके जरिए नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन करने वाली एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (एजेएल) का अवैध अधिग्रहण कर लिया। स्वामी का आरोप था कि ऐसा दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग स्थित हेराल्ड हाउस की 2000 करोड़ रुपए की बिल्डिंग पर कब्जा करने के लिए किया गया था।

जानें क्या है आरोप

साल 2010 में यंग इंडियन नाम से एक और कंपनी बनाई गई। जिसका 76 फीसदी शेयर सोनिया गांधी और राहुल गांधी (38-38 फीसदी) के पास और बाकी का शेयर मोतीलाल बोरा और आस्कर फर्नांडिस के पास था। कांग्रेस पार्टी ने अपना 90 करोड़ का लोन नई कंपनी यंग इंडियन को ट्रांसफर कर दिया। लोन चुकाने में पूरी तरह असमर्थ द एसोसिएट जर्नल ने सारा शेयर यंग इंडियन को ट्रांसफर कर दिया। इसके बदले में यंग इंडियन ने महज 50 लाख रुपये द एसोसिएट जर्नल को दिए। इसी को लेकर बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने एक याचिका दायर कर आरोप लगाया कि यंग इंडियन प्राइवेट ने केवल 50 लाख रुपये में 90 करोड़ वसूलने का उपाय निकाला जो नियमों के खिलाफ है। स्वामी ने 2000 करोड़ रुपए की कंपनी को केवल 50 लाख रुपए में खरीदे जाने को लेकर सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत केस से जुड़े कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने की मांग की थी।

2014 में ईडी ने दर्ज किया केस

जून 2014 ने कोर्ट ने सोनिया, राहुल समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ समन जारी किया। अगस्त 2014 में ईडी ने इस मामले में एक्शन लेते हुए मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया। केस दर्ज होने के बाद अगले साल 19 दिसंबर 2015 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत अन्य आरोपियों को दिल्ली की पटियाला कोर्ट ने नियमित जमानत दी। इसके अगले साल 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेताओं के खिलाफ कार्रवाई रद्द करने से इनकार कर दिया। राहत की बात यह रही कि कोर्ट ने सभी आरोपियों को व्यक्तिगत पेशी से छूट प्रदान कर दी। इस फैसले के दो साल बाद 2018 में दिल्ली हाई कोर्ट ने सोनिया और राहुल गांधी की आयकर विभाग के नोटिस के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी।

ईडी के चार्जशीट ने बढ़ाई गांधी परिवार की मुश्किल

हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ कांग्रेस की ओर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया। हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया और कहा कि आयकर की जांच चलती रहेगी। अब इसी नेशनल हेराल्ड केस में गांधी परिवार की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दिया है।

नेशनल हेराल्ड केसः ईडी ने दाखिल की पहली चार्जशीट, सोनिया-राहुल पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप

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प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने कांग्रेस के नेशनल हेराल्ड अखबार और एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड से जुडे मनी लॉन्ड्रिंग केस में मंगलवार को पहली चार्जशीट दाखिल कर दी। इसमें सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे के नाम शामिल हैं। चार्जशीट के बाद कांग्रेस केंद्र सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई के मूड में है। बुधवार को कांग्रेस पार्टी राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन करने सड़क पर उतरेगी। संगठन महासचिव के. सी. वेणुगोपाल की ओर से जारी एक बयान में सरकार के इस कदम की कड़ी आलोचना की गई है। पार्टी इस कदम को लेकर कड़ा विरोध जताने के लिए देशभर में ईडी ऑफिस के बाहर प्रदर्शन करेगी।

ईडी ने नेशनल हेराल्ड केस में दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सैम पित्रोदा, सुमन दुबे और कई कंपनियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। ईडी के आरोपपत्र में दावा किया गया है कि कांग्रेस नेताओं ने इसकी मूल कंपनी एजेएल की 2,000 करोड़ रुपये की संपत्ति ‘हड़पने’ के लिए ‘आपराधिक साजिश’ रची थी और इसके लिए उन्होंने 99 प्रतिशत शेयर महज 50 लाख रुपये में अपनी उस निजी कंपनी ‘यंग इंडियन’ को ट्रांसफर कर दिए। इस कंपनी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के सबसे अधिक शेयर हैं।

कांग्रेस ने कहा बदले की राजनीति

ईडी के इस एक्शन को लेकर कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है और इसे प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की बदले की राजनीति करार दिया है। साथ ही कहा है कि इसके खिलाफ कांग्रेस चुप नहीं बैठेगी। एक पोस्ट में कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा, नेशनल हेराल्ड की संपत्तियों को जब्त करना कानून के शासन का मुखौटा ओढ़कर एक राज्य प्रायोजित अपराध है। सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करना, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री द्वारा की गई बदले की राजनीति और डराने-धमकाने की कोशिश के अलावा कुछ नहीं है। कांग्रेस और उसका नेतृत्व चुप नहीं बैठेगा।

राज्यों के ईडी दफ्तरों के बाहर कांग्रेस का प्रदर्शन

पार्टी ने बुधवार को सभी प्रदेश कांग्रेस कमिटियों को राज्यों के ईडी हेडक्वॉर्टर के सामने विरोध प्रदर्शन आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। सभी राज्यों में कांग्रेस के सीनियर नेता, विधायक, सांसद, पार्टी पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं को मिलकर केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर विरोध जताने को कहा गया है। पार्टी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि नेशनल हेराल्ड की संपत्ति जब्त करना और पार्टी नेतृत्व के खिलाफ चार्जशीट सरकार का अन्यायपूर्ण और मनमाना कदम है। पार्टी ने भारत की आत्मा के लिए लड़ाई लड़ी है और फिर से लड़ेंगे।

बीजेपी नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने की थी शिकायत

2012 में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने सोनिया, राहुल और उनकी सहयोगी कंपनियों से जुड़े लोगों के खिलाफ इस मामले की शिकायत की थी। शिकायत में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, कांग्रेस के ही दिवंगत नेता मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडिस, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे पर घाटे में चल रहे नैशनल हेरल्ड अखबार और इसकी प्रकाशन कंपनी असोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की 2000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति को यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के जरिए धोखाधड़ी और हेराफेरी के जरिए हड़पने का आरोप लगाया था। सोनिया और राहुल के पास यंग इंडियन के सबसे ज्यादा शेयर हैं, जिनमें से प्रत्येक के पास 38% शेयर हैं।

2021 में शुरू हुई थी जांच

ईडी ने 2021 में जांच शुरू की और कहा कि शिकायत में कई प्रमुख राजनीतिक हस्तियों की ‘आपराधिक साजिश’ को उजागर किया गया है। कुछ साल पहले इस मामले में ईडी ने सोनिया और राहुल से घंटों पूछताछ की थी। कुछ दिन पहले ही ईडी ने इस मामले से जुड़ी दिल्ली, लखनऊ और मुंबई में 661 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियों को कब्जे में लेने का नोटिस जारी किया था।

प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा को ईडी ने आज पूछताछ के लिए बुलाया,जमीन सौदे मामले में दूसरा बार समन


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कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी के पति और बिजनेसमैन रॉबर्ट वाड्रा को प्रवर्तन निदेशालय ने समन भेजा है। रॉबर्ट वाड्रा को लैंड डील मामले में पीएमएलए के तहत ईडी का समन भेजा गया है। इससे पहले 8 अप्रैल को भी बुलाया था पर वाड्रा पहुंचे नहीं थे। ईडी की तरफ से जारी नए समन में आज यानी की 15 अप्रैल को हाजिर होने के आदेश दिए गए हैं।

ईडी के दूसरे समन के बाद वाड्रा ने प्रवर्तन निदेशालय दफ्तर के लिए रवाना होने से पहले मीडिया से बातचीत की। इस दौरान सरकार पर हमला बोला है और कहा कि सरकार बदले के तहत कारवाई कर रही है। मुझे नहीं पता कि दोष क्या है। जांच एजेंसियों का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुझे कुछ भी छिपाने की जरुरत नहीं है। उन्होंने कहा कि 20 साल से अब तक उन्हें कुछ भी नहीं मिला है, अगर कुछ है तो सामने लाया जाए।

इससे पहले ईडी ने मंगलवार को हरियाणा के शिकोहपुर भूमि सौदे से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में रॉबर्ट वाड्रा को समन भेजा है। वाड्रा पहले समन पर उपस्थित नहीं हुए थे, जो 8 अप्रैल को जारी किया गया था। उन्हें पूछताछ के लिए ईडी के सामने उपस्थित होने के लिए कहा गया, क्योंकि केंद्रीय जांच एजेंसी उनकी फर्म स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी से संबंधित कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच कर रही है।

 

ईडी के अनुसार, वाड्रा की कंपनी ने फरवरी 2008 में ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से गुड़गांव के शिकोहपुर में 3.5 एकड़ का प्लॉट 7.5 करोड़ रुपये में खरीदा था। वाड्रा की कंपनी ने इसके बाद, इस जमीन को रियल एस्टेट दिग्गज डीएलएफ को 58 करोड़ रुपये में बेच दिया। इससे हुई इनकम से मनी लॉन्ड्रिंग का शक है। केंद्रीय एजेंसी इस अप्रत्याशित प्रोफिट के पीछे की जांच कर रही है।

दयान कृष्णन…निर्भया के गुनहगारों को भेजा “नर्क”, अब राणा को दिलाएंगे “फांसी”

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मुंबई हमलों के मास्‍टरमाइंड तहव्‍वुर हुसैन राणा को सफलतापूर्वक अमेरिका से भारत लाया जा चुका है। अब उसके खिलाफ भारतीय कानून के मुताबिक मुकदमा चलाया जाएगा। ऐसे में अब सवाल यह है कि तहव्‍वुर राणा के खिलाफ कोर्ट में एनआईए का पक्ष रखने की जिम्‍मेदारी किस वकील को दी गई। इस हाई-प्रोफाइल केस में अब एनआईए की तरफ से वरिष्ठ वकील दयान कृष्णन मुख्य वकील होंगे। बता दें कि कृष्णन ने कई हाई-प्रोफाइल मामलों जैसे 2001 के संसद हमले, कावेरी नदी जल विवाद, दूरसंचार मामलों आदि पर काम किया है।

कौन हैं दयान कृष्णन?

दयान कृष्णन वो अनुभवी अधिवक्ता हैं जो कई ऐसे बड़े आपराधिक केस लड़ चुके हैं, जिन्होंने भारत की नींव हिलाने की कोशिश की है। अब वो 26/11 के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा के खिलाफ एनआईए के अभियोजन का नेतृत्व करेंगे। कृष्णन को विशेष अभियोजक नरेंद्र मान सहित एक टीम द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी, जिन्होंने पहले दिल्ली हाईकोर्ट में सीबीआई का प्रतिनिधित्व किया था। बता दें कि मान एक अनुभवी क्रिमिनल वकील हैं।

राणा के प्रत्‍यर्पण में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका

बताया जा रहा है कि दयान कृष्णन ने राणा के प्रत्यर्पण की कार्यवाही में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनकी टीम ने अमेरिकी कोर्ट के समक्ष जबरदस्‍त साक्ष्य प्रस्तुत किए, जिसके चलते राणा की सभी दलीलों और अपीलों को खारिज कर दिया गया। साल 2019-20 में प्रत्यर्पण प्रक्रिया शुरू होने पर कृष्णन एनआईए के साथ मिलकर काम कर रहे थे। वे और उनकी टीम भारत का मामला पेश करने के लिए एनआईए के साथ अमेरिका भी गए थे। राणा ने अमेरिका में प्रत्यर्पण से बचने के लिए ‘डबल जेपर्डी’ का तर्क दिया लेकिन कृष्णन ने अदालत में यह साबित कर दिया कि भारत के आरोप अलग प्रकृति के हैं। इसी मजबूत दलील के चलते अमेरिकी कोर्ट ने उसकी सारी याचिकाएं खारिज कर दीं और भारत के प्रत्यर्पण का रास्ता साफ हो गया।

हेडली से भी है कनेक्शन

हालांकि, दयान कृष्णन की राणा केस से कनेक्शन नया नहीं है। 2010 में वे शिकागो में डेविड हेडली से पूछताछ करने वाली एनआईए टीम का हिस्सा थे। इसके बाद 2014 में उन्हें हेडली और राणा दोनों के प्रत्यर्पण मामलों के लिए विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया गया।

निर्भया केस बिना फीस लिए लड़ा

दयान कृष्णन वही वकील हैं जिन्होंने निर्भया केस में बिना फीस लिए मुकदमा लड़ा था। दयान कृष्‍णन ने निर्भया मामले में आरोपियों को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद कहा था, ‘घटना के बाद मुझे लगा कि समाज के प्रति मेरा कर्तव्य है। जब मैं समाज के प्रति अपना कर्तव्य निभाऊंगा, तो निश्चित रूप से मैं पैसा नहीं कमा पाऊंगा। ‘टाइम्‍स ऑफ इंडिया’ की रिपोर्ट के अनुसार, कृष्णन नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी बेंगलुरु के छात्र रहे हैं। जिनका करियर लगभग तीन दशकों का है। उन्होंने साल 2001 के संसद हमले, कावेरी नदी जल विवाद, दूरसंचार मामलों, गोवा बाल शोषण कांड, नीतीश कटारा हत्या मामले और उपहार मामले सहित कई हाई-प्रोफाइल मामलों पर काम किया है।

पीसीसी चीफ दीपक बैज ने पुलिस कार्रवाई पर उठाए सवाल, कहा- प्रदेश में अब सुशासन नहीं “गुंडाराज” है, निर्भया कांड से की तुलना

दुर्ग- मोहन नगर थाना क्षेत्र में 6 साल की मासूम बच्ची के साथ हुई दरिंदगी और हत्या (Rape and Murder Case) के बाद प्रदेश की सियासत में उबाल आ चुका है। गुरुवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने पीड़ित परिवार से मुलाकात की और उन्हें न्याय का भरोसा दिलाया। उन्होंने इस घटना को “निर्भया कांड से कम नहीं” बताया और कहा कि प्रदेश में अब सुशासन नहीं बल्कि “गुंडाराज” चल रहा है।

पीड़ित परिवार से मुलाकात के बाद दीपक बैज ने पत्रकारों से कहा कि 6 अप्रैल, दुर्गा अष्टमी और राम नवमी के शुभ दिन, हमारी छह साल की बच्ची जो कन्या भोज में शामिल होने के लिए सुबह घर से निकली थी, वह शाम और देर रात तक घर नहीं लौटी। मासूम बच्ची का शव एक कार में मिला, जिसके शरीर पर गंभीर चोटों के निशान थे। प्राइवेट पार्ट पर भी गंभीर चोट पहुंचाई गई थी और शरीर पर एसिड अटैक के भी प्रमाण मिले हैं। यह घटना पूरी तरह से निर्भया कांड जैसी ही बर्बर और अमानवीय है।

दीपक बैज ने उठाएं सवाल

दीपक बैज ने कहा कि घटना दिन के समय हुई, फिर बच्ची की लाश रात के वक्त कार में कैसे मिली? इस घटनाक्रम के दौरान किसी ने कुछ देखा क्यों नहीं? जिस स्थान पर यह कार खड़ी थी, वहाँ तो दरवाजा तक नहीं है। ऐसे कई सवाल हैं जो परिवारवालों और आम जनमानस के मन में उठ रहे हैं। परिजनों का कहना है कि उन्हें स्थानीय पुलिस पर बिल्कुल भरोसा नहीं है। इस प्रकार की घटना को कोई अकेला व्यक्ति अंजाम नहीं दे सकता, इसमें कई लोग शामिल हो सकते हैं। परिजनों ने मामले की CBI जांच की मांग की है।

छोटी बच्ची से पूछताछ के नाम पर की मारपीट

दीपक बैज ने बताया कि परिवार का यह भी आरोप है कि पुलिस प्रशासन ने घर की छोटी बच्ची को पूछताछ के नाम पर रात ढाई बजे उठा लिया और उसके साथ मारपीट की। घर के अन्य सदस्यों के साथ भी दुर्व्यवहार किया गया है। पूरे प्रदेश में पुलिस प्रताड़ना का दौर चल रहा है। बलरामपुर, धमतरी और लोहारीडीह जैसी घटनाओं के बाद पुलिस ने यहाँ भी ऐसी ही अमानवीयता को दोहराने की कोशिश की है। इस प्रदेश में अब सुशासन नहीं, बल्कि गुंडाराज का माहौल बन चुका है। सरकार का कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति अब तक इस संवेदनशील मामले को संज्ञान में लेने नहीं आया है। कांग्रेस पार्टी ने इस जघन्य घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि इस सरकार में कोई भी सुरक्षित नहीं है।

मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन की बढ़ी मुश्किल, क्लासरूम-घोटाले में मामला दर्ज

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आम आदमी पार्टी नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और दिल्ली के पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब इन दोनों आप नेताओं के खिलाफ करप्शन का मामला दर्ज किया गया है। करप्शन का यह मामला क्लासरूम और स्कूल बिल्डिंग के निर्माण से जुड़ा है। सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के खिलाफ 2 हजार करोड़ के बड़े घोटाले का मामला दर्ज हुआ है। एंटी करप्शन ब्रांच (एसीबी) ने एफआईआर दर्ज की गई है।

2000 करोड़ रुपये का घोटाला

भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने आप नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, दिल्ली के पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ अत्यधिक लागत पर कक्षाओं के निर्माण में भ्रष्टाचार के संबंध में मामला दर्ज किया है। 12,748 क्लासरूम और भवनों के निर्माण में कथित 2000 करोड़ रुपये के घोटाले से जुड़ा यह मामला है। एंटी करप्शन ब्रांच की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि दिल्ली में आप सरकार के शासनकाल में 12,748 कक्षाओं और भवनों के निर्माण में 2,000 करोड़ का भारी घोटाला सामने आया है।

एक क्लासरूप बनाने में पांच गुना ज्यादा पैसे दिए गए

एंटी करप्शन ब्रांच का कहना है कि क्लासरूम बनाने के लिए बहुत ज्यादा पैसे दिए गए। एक क्लासरूम बनाने में 24.86 लाख रुपये खर्च किए गए। एसीबी के अनुसार, आमतौर पर दिल्ली में एक क्लासरूम 5 लाख रुपये में बन जाता है। मतलब लगभग पांच गुना ज्यादा पैसे दिए गए। आरोप पत्र के अनुसार, इन कक्षाओं के निर्माण में घटिया गुणवत्ता की सामग्री का उपयोग किया गया, लेकिन इसका पैसा बेहतर आरसीसी निर्माण तकनीकी की दर से वसूल किया गया। एजेंसी का आरोप है कि इस मामले में भारी वित्तीय गड़बड़ी की गई है।

कंसलटेंट-आर्किटेक्ट की नियुक्ति मनमाने ढंग से

एंटी करप्शन ब्रांच की जांच में पता चला है कि क्लासरूम/बिल्डिंग के निर्माण की लागत बढ़ाकर दर्शाई गई थी। इसके अलावा निर्धारित अवधि के भीतर एक भी काम पूरा नहीं हुआ था। निर्माण कार्य के लिए कंसलटेंट और आर्किटेक्ट की नियुक्ति भी मनमाने ढंग से की गई थी। एंटी करप्शन ब्यूरो ने यह भी आरोप लगाया है कि इन कक्षाओं के निर्माण में जिन 34 ठेकेदारों को निर्माण का ठेका दिया गया था, उनमें से ज्यादातर आम आदमी पार्टी से जुड़े हुए लोग शामिल थे। इन्हीं के जरिए निर्माण की लागत बढ़ाई गई।

मनोज तिवारी ने लगाया था आरोप

बता दें कि भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने भी 2019 में जोन 23, 24 और 28 के सरकारी स्कूलों में अतिरिक्त कक्षाओं के निर्माण में करप्शन का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी। बीजेपी सांसद ने अपनी शिकायत में कहा था कि सरकार ने एक क्लासरूम में 28 लाख रुपए खर्च किए, जबकि एक क्लासरूम के निर्माण में 5 लाख रुपए ही लगते हैं।

महादेव सट्टा ऐप से जुड़े नेटवर्क पर रायपुर ED का करारा प्रहार: मनी लॉन्ड्रिंग केस में दिल्ली-मुंबई समेत देश के इन 7 बड़े शहरों में मारा छापा

रायपुर- छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित महादेव ऑनलाइन सट्टा ऐप से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में रायपुर प्रवर्तन निदेशालय ने बड़ी कार्रवाई की है। जांच एजेंसी ने देश के 7 बड़े शहरों दिल्ली, मुंबई, इंदौर, अहमदाबाद, चंडीगढ़, चेन्नई और ओडिशा के संबलपुर में ताबड़तोड़ छापेमारी करते हुए 576.29 करोड़ रुपए की सिक्योरिटीज/बॉन्ड/डीमैट खाते फ्रीज कर दस्तावेज जब्त किए। इसमें 3.29 करोड़ रुपए नकद शामिल हैं।

ईडी की जांच में यह भी सामने आया है कि इस पूरे नेटवर्क का कनेक्शन दिल्ली के कुछ नेताओं से जुड़ा है। हवाला के जरिए छत्तीसगढ़ से दिल्ली तक काली कमाई भेजी गई। यह भी पाया गया कि सट्टेबाजी से कमाए गए पैसों को मॉरीशस और दुबई के फर्जी एफपीआई (फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स) के जरिए विदेशी निवेश और शेयर बाजार में लगाया गया, जिससे स्मॉल और मिडकैप कंपनियों के शेयरों की कीमतों में कृत्रिम उतार-चढ़ाव करके आम निवेशकों को चपत लगाई गई।

कार्रवाई को लेकर ईडी की एक्स पोस्ट


अधिकारियों के अनुसार, यह मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाइयों में से एक है। दिल्ली के जिन नेताओं का कनेक्शन मिला है, ईडी ने उनके खिलाफ जांच शुरू कर दी है।

3002.47 करोड़ रुपए की चल-अचल संपत्ति अटैच

ईडी से मिली जानकारी के अनुसार, जब्त किए गए दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की जांच में मेसर्स महादेव ऑनलाइन बुक बेटिंग ऐप का सिंडिकेट चलाने के इनपुट मिले हैं। इसके लिए सट्टेबाजी वेबसाइटों को नए उपयोगकर्ताओं को नामांकित करने, आईडी को सक्षम बनाने के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की व्यवस्था करता है।

तलाशी के दौरान बड़ी मात्रा में अपराध की आय (POC) मिली है। बता दें कि महादेव सट्टा प्रकरण में अब तक ईडी ने 170 से अधिक परिसरों में छापेमारी कर तलाशी में करीब 3002.47 करोड़ रुपए की चल-अचल संपत्ति अटैच कर चुकी है। साथ ही इस सिंडिकेट से जुड़े 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। वहीं, प्रकरण की जांच कर 5 अभियोजन शिकायतों में 74 संस्थाओं को आरोपी बनाया गया है।

राहुल गांधी भारतीय नागरिक पर हाईकोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब, 10 दिन का समय दिया

#rahulgandhidualcitizenshipcase

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा- 'राहुल गांधी भारतीय नागरिक हैं या नहीं, इस पर 10 दिन में जवाब दें।इस मामले की अगली सुनवाई 5 मई को होगी। याचिका में राहुल गांधी की नागरिकता पर सवाल उठाया गया है, जिससे उनकी लोकसभा सदस्यता खतरे में पड़ सकती है।

भाजपा कार्यकर्ता विग्नेश शिशिर की याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने एक स्टेटस रिपोर्ट पेश की। कोर्ट ने इसे अपर्याप्त माना और सरकार को और स्पष्ट जवाब देने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि यह मामला राष्ट्रीय महत्व का है और इसमें देरी स्वीकार्य नहीं होगी। केंद्र सरकार ने इसका जवाब देने के लिए अतिरिक्त समय मांगा। अगली सुनवाई 5 मई को होगी।

क्या है राहुल गांधी की नागरिकता का मामला?

1 जुलाई, 2024 को कर्नाटक के वकील और भाजपा नेता एस विग्नेश शिशिर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता होने का भी आरोप लगाया था। याचिकाकर्ता ने ब्रिटिश सरकार के 2022 के गोपनीय मेल का हवाला देते हुए यह आरोप लगाया था। विग्नेश शिशिर ने भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 9(2) के तहत राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द करने की मांग की थी।

याचिकाकर्ता ने सबूत होने का दावा किया

याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि उसके पास ब्रिटिश सरकार के सभी दस्तावेज और कुछ ईमेल हैं जो साबित करते हैं कि राहुल गांधी ब्रिटिश नागरिक हैं और इस वजह से वह भारत में चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हैं। लिहाजा वह लोकसभा सदस्य का पद नहीं संभाल सकते। राहुल गांधी ने 2024 में रायबरेली लोकसभा सीट से चुनाव जीता है।

इससे पहले लखनऊ हाईकोर्ट में 24 मार्च को सुनवाई थी। जस्टिस एआर मसूदी और जस्टिस अजय कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने राज्य सरकार को चार सप्ताह में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था। सरकार ने 8 सप्ताह का समय मांगा था। इस पर 21 अप्रैल सुनवाई की तारीख तय हुई थी।

हमारी मंजूरी जरूरी नहीं...', निशिकांत दुबे के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी

#nishikantdubeycasesupremecourt

सुप्रीम कोर्ट और सीजेआई के खिलाफ टिप्पणी करने वाले भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही है। अब दुबे के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करने की मांग की गई है, जिसपर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा बयान आया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप इसे दायर करें, याचिका दायर करने के लिए आपको हमारी मंजूरी की जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि इसके लिए हमसे नहीं बल्कि अटॉर्नी जनरल से मांग कीजिए।

अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की मांग

यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के वकील अनस तनवीर ने दायर की है। अनस तनवीर भी वक्फ कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं में से एक का पक्ष सुप्रीम कोर्ट में रख रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद अनस तनवीर ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमाणी को पत्र लिखकर उनकी मंजूरी मांगी है। पत्र में कहा गया है कि दुबे ने सर्वोच्च अदालत की गरिमा को कम किया है। आवेदन में कहा गया है कि दुबे ने सुप्रीम कोर्ट पर तीखा हमला करते हुए कहा था कि अगर कानून सुप्रीम कोर्ट को ही बनाना है, तो संसद और राज्य विधानसभाओं को बंद कर देना चाहिए। उन्होंने भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना पर भी निशाना साधा और उन्हें देश में गृह युद्ध के लिए जिम्मेदार ठहराया

बीजेपी नेता का बयान 'खतरनाक रूप से भड़काऊ'

अधिवक्ता अनस तनवीर ने अटॉर्नी जनरल को लिखे पत्र में कहा है कि निशिकांत दुबे ने सार्वजनिक रूप से जो बयान दिए हैं, वे अत्यंत आपत्तिजनक, भ्रामक और माननीय सुप्रीम कोर्ट की गरिमा एवं अधिकार को कम करने की नीयत से दिए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड के भेजे गए पत्र के अनुसार, दुबे ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के खिलाफ जो आपत्तिजनक टिप्पणियां की है वह कंटेप्ट वाली हैं और बेहद अपत्तिजनक है। पत्र में कहा कि दुबे की टिप्पणी 'गंभीर रूप से अपमानजनक' और 'खतरनाक रूप से भड़काऊ' हैं।

बीजेपी ने खुद को दुबे के बयान से अलग किया

निशिकांत दुबे की यह टिप्पणी वक्फ संशोधन कानून को लेकर आई। वक्फ संशोधन कानून के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून के कुछ प्रावधानों को लेकर सवाल उठाए हैं, जिसके बाद केंद्र सरकार ने अगली सुनवाई तक कानून के कुछ प्रावधानों को लागू करने पर रोक लगा दी है। भाजपा ने भी शनिवार को खुद को निशिकांत दुबे के बयान से अलग कर लिया और दुबे के बयान को उनके निजी विचार बताया। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पार्टी नेताओं से अपील की है कि वे ऐसी टिप्पणियां न करें।

मनी लॉन्ड्रिंग केस में ईडी की बड़ी कार्रवाई, आंध्र के पूर्व सीएम जगन मोहन की 27 करोड़ से अधिक की संपत्ति जब्त

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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी की 27.5 करोड़ रुपये की शेयर संपत्ति को अस्थायी रूप से जब्त कर लिया है। इसके साथ ही, डालमिया सीमेंट्स (भारत) लिमिटेड (डीसीबीएल) की 377.2 करोड़ रुपये की जमीन भी जब्त की गई है। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग मामले से जुड़ी है।

सीबीआई ने इस मामले में 2013 में चार्जशीट लगाई थी। इसके अनुसार जगन मोहन रेड्डी के साथ मिलकर डालमिया सीमेंट्स ने 417 हेक्टेयर के लाइम स्टोन अवैध तरीके से लीज में लिए थे। सीबीआई चार्जशीट के आधार पर मनी लॉर्डिंग के मामले को अब ईडी ने आगे बढ़ाया है।

जगन मोहन रेड्डी के कार्मेल एशिया होल्डिंग्स लिमिटेड, सरस्वती पावर एंड इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड और हर्षा फर्म में शेयर जब्त किए गए हैं। डीसीबीएल को यह जब्ती आदेश 15 अप्रैल, 2025 को मिला। जबकि यह आदेश 31 मार्च को ही जारी कर दिया गया था।

आरोप है आंध्र प्रदेश के कडपा जिले में 417 हेक्टेयर के लाइम स्टोन की खरीदारी में धांधली की गई थी। जगन ने अपने पिता और तत्कालीन मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी पर प्रभाव डालकर डीसीबीएल को कडप्पा जिले में 407 हेक्टेयर क्षेत्र में खनन पट्टा दिलाने में मदद की थी। यह सब 'क्विड प्रो क्वो' डील के तहत हुआ। 'क्विड प्रो क्वो' का मतलब होता है 'कुछ देना और कुछ लेना'।

इस घोटाले के जरिए जगन मोहन रेड्डी को करीब 150 करोड़ अवैध तरीके से लाभ मिलने का आरोप है। आरोप ही कि आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम जगन मोहन रेड्डी तक जो पैसे पहुंचे थे, उनमें से 95 करोड़ रघुराम सीमेंट के शेयर के जरिए मिले थे और 55 करोड़ रुपये हवाला के रूप में जगन तक पहुंचे थे। सीबीआई का कहना है कि जगन मोहन रेड्डी को जो 150 करोड़ रुपये मिले हैं, उनके अलावा उन्हें हावाला के जरिए 85 करोड़ रुपये और मिलने वाले थे, लेकिन सीबीआई ने मामला दर्ज कर लिया इस वजह से ये पैसे जगन मोहन रेड्डी तक नहीं पहुंचे।

ईडी और सीबीआई का आरोप है कि वाईएस जगन मोहन रेड्डी, ऑडिटर और पूर्व सांसद वी विजय साई रेड्डी और डीसीबीएल के पुनीत डालमिया के बीच एक समझौता हुआ था। इसके तहत, उन्होंने रघुराम सीमेंट्स लिमिटेड में अपने शेयर एक फ्रांसीसी कंपनी PARFICIM को 135 करोड़ रुपये में बेच दिए। इसमें से 55 करोड़ रुपये जगन को 16 मई, 2010 और 13 जून, 2011 के बीच हवाला चैनलों के माध्यम से नकद में दिए गए। इन भुगतानों की जानकारी आयकर विभाग, नई दिल्ली द्वारा जब्त किए गए दस्तावेजों में मिली।

क्या है नेशनल हेराल्ड केस? सुब्रमण्यम स्वामी की एक शिकायत और बढ़ गई गांधी परिवार की मुश्किलें

#nationalheraldcase

प्रवर्तन निदेशालय ने नेशनल हेराल्ड केस में कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। ईडी ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी और ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है। इस मामले में 25 अप्रैल को सुनवाई होगी। ईडी के इस एक्शन सवाल उठ रहे हैं कि क्या सोनिया और राहुल गांधी की गिरफ्तारी होगी? इससे पहले आइए जान लेते हैं कि ये मामला कैसे प्रकाश में आया किसकी शिकायत पर मामला आगे बढ़ा और आरोप क्या हैं?

क्या है नेशनल हेराल्ड केस?

बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने 2012 में दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में एक याचिका दाखिल करते हुए सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस के ही मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीज, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे पर घाटे में चल रहे नेशनल हेराल्ड अखबार को धोखाधड़ी और पैसों की हेराफेरी के जरिए हड़पने का आरोप लगाया था।

आरोप के मुताबिक, कांग्रेसी नेताओं ने नेशनल हेराल्ड की संपत्तियों पर कब्जे के लिए यंग इंडियन लिमिटेड ऑर्गेनाइजेशन बनाया और उसके जरिए नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन करने वाली एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (एजेएल) का अवैध अधिग्रहण कर लिया। स्वामी का आरोप था कि ऐसा दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग स्थित हेराल्ड हाउस की 2000 करोड़ रुपए की बिल्डिंग पर कब्जा करने के लिए किया गया था।

जानें क्या है आरोप

साल 2010 में यंग इंडियन नाम से एक और कंपनी बनाई गई। जिसका 76 फीसदी शेयर सोनिया गांधी और राहुल गांधी (38-38 फीसदी) के पास और बाकी का शेयर मोतीलाल बोरा और आस्कर फर्नांडिस के पास था। कांग्रेस पार्टी ने अपना 90 करोड़ का लोन नई कंपनी यंग इंडियन को ट्रांसफर कर दिया। लोन चुकाने में पूरी तरह असमर्थ द एसोसिएट जर्नल ने सारा शेयर यंग इंडियन को ट्रांसफर कर दिया। इसके बदले में यंग इंडियन ने महज 50 लाख रुपये द एसोसिएट जर्नल को दिए। इसी को लेकर बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने एक याचिका दायर कर आरोप लगाया कि यंग इंडियन प्राइवेट ने केवल 50 लाख रुपये में 90 करोड़ वसूलने का उपाय निकाला जो नियमों के खिलाफ है। स्वामी ने 2000 करोड़ रुपए की कंपनी को केवल 50 लाख रुपए में खरीदे जाने को लेकर सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत केस से जुड़े कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने की मांग की थी।

2014 में ईडी ने दर्ज किया केस

जून 2014 ने कोर्ट ने सोनिया, राहुल समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ समन जारी किया। अगस्त 2014 में ईडी ने इस मामले में एक्शन लेते हुए मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया। केस दर्ज होने के बाद अगले साल 19 दिसंबर 2015 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत अन्य आरोपियों को दिल्ली की पटियाला कोर्ट ने नियमित जमानत दी। इसके अगले साल 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेताओं के खिलाफ कार्रवाई रद्द करने से इनकार कर दिया। राहत की बात यह रही कि कोर्ट ने सभी आरोपियों को व्यक्तिगत पेशी से छूट प्रदान कर दी। इस फैसले के दो साल बाद 2018 में दिल्ली हाई कोर्ट ने सोनिया और राहुल गांधी की आयकर विभाग के नोटिस के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी।

ईडी के चार्जशीट ने बढ़ाई गांधी परिवार की मुश्किल

हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ कांग्रेस की ओर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया। हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया और कहा कि आयकर की जांच चलती रहेगी। अब इसी नेशनल हेराल्ड केस में गांधी परिवार की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दिया है।

नेशनल हेराल्ड केसः ईडी ने दाखिल की पहली चार्जशीट, सोनिया-राहुल पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप

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प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने कांग्रेस के नेशनल हेराल्ड अखबार और एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड से जुडे मनी लॉन्ड्रिंग केस में मंगलवार को पहली चार्जशीट दाखिल कर दी। इसमें सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे के नाम शामिल हैं। चार्जशीट के बाद कांग्रेस केंद्र सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई के मूड में है। बुधवार को कांग्रेस पार्टी राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन करने सड़क पर उतरेगी। संगठन महासचिव के. सी. वेणुगोपाल की ओर से जारी एक बयान में सरकार के इस कदम की कड़ी आलोचना की गई है। पार्टी इस कदम को लेकर कड़ा विरोध जताने के लिए देशभर में ईडी ऑफिस के बाहर प्रदर्शन करेगी।

ईडी ने नेशनल हेराल्ड केस में दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सैम पित्रोदा, सुमन दुबे और कई कंपनियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। ईडी के आरोपपत्र में दावा किया गया है कि कांग्रेस नेताओं ने इसकी मूल कंपनी एजेएल की 2,000 करोड़ रुपये की संपत्ति ‘हड़पने’ के लिए ‘आपराधिक साजिश’ रची थी और इसके लिए उन्होंने 99 प्रतिशत शेयर महज 50 लाख रुपये में अपनी उस निजी कंपनी ‘यंग इंडियन’ को ट्रांसफर कर दिए। इस कंपनी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के सबसे अधिक शेयर हैं।

कांग्रेस ने कहा बदले की राजनीति

ईडी के इस एक्शन को लेकर कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है और इसे प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की बदले की राजनीति करार दिया है। साथ ही कहा है कि इसके खिलाफ कांग्रेस चुप नहीं बैठेगी। एक पोस्ट में कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा, नेशनल हेराल्ड की संपत्तियों को जब्त करना कानून के शासन का मुखौटा ओढ़कर एक राज्य प्रायोजित अपराध है। सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करना, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री द्वारा की गई बदले की राजनीति और डराने-धमकाने की कोशिश के अलावा कुछ नहीं है। कांग्रेस और उसका नेतृत्व चुप नहीं बैठेगा।

राज्यों के ईडी दफ्तरों के बाहर कांग्रेस का प्रदर्शन

पार्टी ने बुधवार को सभी प्रदेश कांग्रेस कमिटियों को राज्यों के ईडी हेडक्वॉर्टर के सामने विरोध प्रदर्शन आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। सभी राज्यों में कांग्रेस के सीनियर नेता, विधायक, सांसद, पार्टी पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं को मिलकर केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर विरोध जताने को कहा गया है। पार्टी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि नेशनल हेराल्ड की संपत्ति जब्त करना और पार्टी नेतृत्व के खिलाफ चार्जशीट सरकार का अन्यायपूर्ण और मनमाना कदम है। पार्टी ने भारत की आत्मा के लिए लड़ाई लड़ी है और फिर से लड़ेंगे।

बीजेपी नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने की थी शिकायत

2012 में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने सोनिया, राहुल और उनकी सहयोगी कंपनियों से जुड़े लोगों के खिलाफ इस मामले की शिकायत की थी। शिकायत में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, कांग्रेस के ही दिवंगत नेता मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडिस, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे पर घाटे में चल रहे नैशनल हेरल्ड अखबार और इसकी प्रकाशन कंपनी असोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की 2000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति को यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के जरिए धोखाधड़ी और हेराफेरी के जरिए हड़पने का आरोप लगाया था। सोनिया और राहुल के पास यंग इंडियन के सबसे ज्यादा शेयर हैं, जिनमें से प्रत्येक के पास 38% शेयर हैं।

2021 में शुरू हुई थी जांच

ईडी ने 2021 में जांच शुरू की और कहा कि शिकायत में कई प्रमुख राजनीतिक हस्तियों की ‘आपराधिक साजिश’ को उजागर किया गया है। कुछ साल पहले इस मामले में ईडी ने सोनिया और राहुल से घंटों पूछताछ की थी। कुछ दिन पहले ही ईडी ने इस मामले से जुड़ी दिल्ली, लखनऊ और मुंबई में 661 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियों को कब्जे में लेने का नोटिस जारी किया था।

प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा को ईडी ने आज पूछताछ के लिए बुलाया,जमीन सौदे मामले में दूसरा बार समन


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कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी के पति और बिजनेसमैन रॉबर्ट वाड्रा को प्रवर्तन निदेशालय ने समन भेजा है। रॉबर्ट वाड्रा को लैंड डील मामले में पीएमएलए के तहत ईडी का समन भेजा गया है। इससे पहले 8 अप्रैल को भी बुलाया था पर वाड्रा पहुंचे नहीं थे। ईडी की तरफ से जारी नए समन में आज यानी की 15 अप्रैल को हाजिर होने के आदेश दिए गए हैं।

ईडी के दूसरे समन के बाद वाड्रा ने प्रवर्तन निदेशालय दफ्तर के लिए रवाना होने से पहले मीडिया से बातचीत की। इस दौरान सरकार पर हमला बोला है और कहा कि सरकार बदले के तहत कारवाई कर रही है। मुझे नहीं पता कि दोष क्या है। जांच एजेंसियों का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुझे कुछ भी छिपाने की जरुरत नहीं है। उन्होंने कहा कि 20 साल से अब तक उन्हें कुछ भी नहीं मिला है, अगर कुछ है तो सामने लाया जाए।

इससे पहले ईडी ने मंगलवार को हरियाणा के शिकोहपुर भूमि सौदे से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में रॉबर्ट वाड्रा को समन भेजा है। वाड्रा पहले समन पर उपस्थित नहीं हुए थे, जो 8 अप्रैल को जारी किया गया था। उन्हें पूछताछ के लिए ईडी के सामने उपस्थित होने के लिए कहा गया, क्योंकि केंद्रीय जांच एजेंसी उनकी फर्म स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी से संबंधित कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच कर रही है।

 

ईडी के अनुसार, वाड्रा की कंपनी ने फरवरी 2008 में ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से गुड़गांव के शिकोहपुर में 3.5 एकड़ का प्लॉट 7.5 करोड़ रुपये में खरीदा था। वाड्रा की कंपनी ने इसके बाद, इस जमीन को रियल एस्टेट दिग्गज डीएलएफ को 58 करोड़ रुपये में बेच दिया। इससे हुई इनकम से मनी लॉन्ड्रिंग का शक है। केंद्रीय एजेंसी इस अप्रत्याशित प्रोफिट के पीछे की जांच कर रही है।

दयान कृष्णन…निर्भया के गुनहगारों को भेजा “नर्क”, अब राणा को दिलाएंगे “फांसी”

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मुंबई हमलों के मास्‍टरमाइंड तहव्‍वुर हुसैन राणा को सफलतापूर्वक अमेरिका से भारत लाया जा चुका है। अब उसके खिलाफ भारतीय कानून के मुताबिक मुकदमा चलाया जाएगा। ऐसे में अब सवाल यह है कि तहव्‍वुर राणा के खिलाफ कोर्ट में एनआईए का पक्ष रखने की जिम्‍मेदारी किस वकील को दी गई। इस हाई-प्रोफाइल केस में अब एनआईए की तरफ से वरिष्ठ वकील दयान कृष्णन मुख्य वकील होंगे। बता दें कि कृष्णन ने कई हाई-प्रोफाइल मामलों जैसे 2001 के संसद हमले, कावेरी नदी जल विवाद, दूरसंचार मामलों आदि पर काम किया है।

कौन हैं दयान कृष्णन?

दयान कृष्णन वो अनुभवी अधिवक्ता हैं जो कई ऐसे बड़े आपराधिक केस लड़ चुके हैं, जिन्होंने भारत की नींव हिलाने की कोशिश की है। अब वो 26/11 के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा के खिलाफ एनआईए के अभियोजन का नेतृत्व करेंगे। कृष्णन को विशेष अभियोजक नरेंद्र मान सहित एक टीम द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी, जिन्होंने पहले दिल्ली हाईकोर्ट में सीबीआई का प्रतिनिधित्व किया था। बता दें कि मान एक अनुभवी क्रिमिनल वकील हैं।

राणा के प्रत्‍यर्पण में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका

बताया जा रहा है कि दयान कृष्णन ने राणा के प्रत्यर्पण की कार्यवाही में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनकी टीम ने अमेरिकी कोर्ट के समक्ष जबरदस्‍त साक्ष्य प्रस्तुत किए, जिसके चलते राणा की सभी दलीलों और अपीलों को खारिज कर दिया गया। साल 2019-20 में प्रत्यर्पण प्रक्रिया शुरू होने पर कृष्णन एनआईए के साथ मिलकर काम कर रहे थे। वे और उनकी टीम भारत का मामला पेश करने के लिए एनआईए के साथ अमेरिका भी गए थे। राणा ने अमेरिका में प्रत्यर्पण से बचने के लिए ‘डबल जेपर्डी’ का तर्क दिया लेकिन कृष्णन ने अदालत में यह साबित कर दिया कि भारत के आरोप अलग प्रकृति के हैं। इसी मजबूत दलील के चलते अमेरिकी कोर्ट ने उसकी सारी याचिकाएं खारिज कर दीं और भारत के प्रत्यर्पण का रास्ता साफ हो गया।

हेडली से भी है कनेक्शन

हालांकि, दयान कृष्णन की राणा केस से कनेक्शन नया नहीं है। 2010 में वे शिकागो में डेविड हेडली से पूछताछ करने वाली एनआईए टीम का हिस्सा थे। इसके बाद 2014 में उन्हें हेडली और राणा दोनों के प्रत्यर्पण मामलों के लिए विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया गया।

निर्भया केस बिना फीस लिए लड़ा

दयान कृष्णन वही वकील हैं जिन्होंने निर्भया केस में बिना फीस लिए मुकदमा लड़ा था। दयान कृष्‍णन ने निर्भया मामले में आरोपियों को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद कहा था, ‘घटना के बाद मुझे लगा कि समाज के प्रति मेरा कर्तव्य है। जब मैं समाज के प्रति अपना कर्तव्य निभाऊंगा, तो निश्चित रूप से मैं पैसा नहीं कमा पाऊंगा। ‘टाइम्‍स ऑफ इंडिया’ की रिपोर्ट के अनुसार, कृष्णन नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी बेंगलुरु के छात्र रहे हैं। जिनका करियर लगभग तीन दशकों का है। उन्होंने साल 2001 के संसद हमले, कावेरी नदी जल विवाद, दूरसंचार मामलों, गोवा बाल शोषण कांड, नीतीश कटारा हत्या मामले और उपहार मामले सहित कई हाई-प्रोफाइल मामलों पर काम किया है।

पीसीसी चीफ दीपक बैज ने पुलिस कार्रवाई पर उठाए सवाल, कहा- प्रदेश में अब सुशासन नहीं “गुंडाराज” है, निर्भया कांड से की तुलना

दुर्ग- मोहन नगर थाना क्षेत्र में 6 साल की मासूम बच्ची के साथ हुई दरिंदगी और हत्या (Rape and Murder Case) के बाद प्रदेश की सियासत में उबाल आ चुका है। गुरुवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने पीड़ित परिवार से मुलाकात की और उन्हें न्याय का भरोसा दिलाया। उन्होंने इस घटना को “निर्भया कांड से कम नहीं” बताया और कहा कि प्रदेश में अब सुशासन नहीं बल्कि “गुंडाराज” चल रहा है।

पीड़ित परिवार से मुलाकात के बाद दीपक बैज ने पत्रकारों से कहा कि 6 अप्रैल, दुर्गा अष्टमी और राम नवमी के शुभ दिन, हमारी छह साल की बच्ची जो कन्या भोज में शामिल होने के लिए सुबह घर से निकली थी, वह शाम और देर रात तक घर नहीं लौटी। मासूम बच्ची का शव एक कार में मिला, जिसके शरीर पर गंभीर चोटों के निशान थे। प्राइवेट पार्ट पर भी गंभीर चोट पहुंचाई गई थी और शरीर पर एसिड अटैक के भी प्रमाण मिले हैं। यह घटना पूरी तरह से निर्भया कांड जैसी ही बर्बर और अमानवीय है।

दीपक बैज ने उठाएं सवाल

दीपक बैज ने कहा कि घटना दिन के समय हुई, फिर बच्ची की लाश रात के वक्त कार में कैसे मिली? इस घटनाक्रम के दौरान किसी ने कुछ देखा क्यों नहीं? जिस स्थान पर यह कार खड़ी थी, वहाँ तो दरवाजा तक नहीं है। ऐसे कई सवाल हैं जो परिवारवालों और आम जनमानस के मन में उठ रहे हैं। परिजनों का कहना है कि उन्हें स्थानीय पुलिस पर बिल्कुल भरोसा नहीं है। इस प्रकार की घटना को कोई अकेला व्यक्ति अंजाम नहीं दे सकता, इसमें कई लोग शामिल हो सकते हैं। परिजनों ने मामले की CBI जांच की मांग की है।

छोटी बच्ची से पूछताछ के नाम पर की मारपीट

दीपक बैज ने बताया कि परिवार का यह भी आरोप है कि पुलिस प्रशासन ने घर की छोटी बच्ची को पूछताछ के नाम पर रात ढाई बजे उठा लिया और उसके साथ मारपीट की। घर के अन्य सदस्यों के साथ भी दुर्व्यवहार किया गया है। पूरे प्रदेश में पुलिस प्रताड़ना का दौर चल रहा है। बलरामपुर, धमतरी और लोहारीडीह जैसी घटनाओं के बाद पुलिस ने यहाँ भी ऐसी ही अमानवीयता को दोहराने की कोशिश की है। इस प्रदेश में अब सुशासन नहीं, बल्कि गुंडाराज का माहौल बन चुका है। सरकार का कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति अब तक इस संवेदनशील मामले को संज्ञान में लेने नहीं आया है। कांग्रेस पार्टी ने इस जघन्य घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि इस सरकार में कोई भी सुरक्षित नहीं है।