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बैग पॉलिटिक्सः बीजेपी सांसद ने प्रियंका गांधी को दिया 1984 लिखा बैग, जानें क्या है सियासी मतलब?

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संसद के शीतकालीन सत्र में इस बार बैग पर खूब सियासत देखने को मिली। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी सत्र के दौरान लगातार नए-नए बैग लेकर संसद पहुंच रही थीं। पहले कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने फिलिस्तीन का मुद्दा उठाने के लिए एक बैग पर उसके समर्थन का नारा लिख संसद पहुंची। उसके बाद बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के समर्थन जताते हुए स्लोगन लिखे बैग के साथ संसद पहुंची। इस बीच बीजेपी सांसद अपराजिता सारंगी ने प्रियंका गांधी को एक बैग दिया है। भाजपा ने इस बैग जरिए प्रियंका गांधी और कांग्रेस पार्टी को घेरने की कोशिश की है।

संसद परिसर के अंदर प्रियंका गांधी को बीजेपी सांसद अपराजिता सारंगी ने एक बैग गिफ्ट किया जिसमें 1984 लिखा हुआ था। आज संसद सत्र का आखिरी दिन था। सभी सांसदों की तरह वायनाड सांसद प्रियंका गांधी भी संसद परिसर के अंदर थीं। जैसे ही वह संसद के गलियारे में पहुंचीं, पीछे से भुवनेश्वर सीट से बीजेपी सांसद अपराजिता सांरगी पहुंचीं। उन्होंने आगे चल रहीं प्रिंयका को एक बैग थमाया। उस बैग में खून से 1984 लिखा हुआ था। पहले तो प्रिंयका इसे लेने में हिचकिचाईं, फिर इसे लेकर छिपा लिया।

अपराजिता ने कहा कि वह संसद में नए-नए बैग लेकर आती हैं तो मैंने भी सोचा कि उन्हें एक बैग गिफ्ट करूं।प्रियंका जी को बैग्स का इतना शौक है,इसलिए मैंने उन्हें 1984 के सिख विरोधी दंगों का यह बैग दिया। पहले तो उन्होंने लेने में झिझक दिखाई,लेकिन फिर उन्होंने इसे ले लिया और छिपा लिया। उन्होंने आगे कहा कि हम उन्हें उनकी पार्टी की ओर से की गई ऐतिहासिक गलती की याद दिलाना चाहते थे।

बता दें कि साल 1984 में कांग्रेस के ही राज में सिख दंगे हुए थे,जिसे लेकर अक्सर बीजेपी उसे कटघरे में खड़ी करती रहती है। भाजपा ने इस बैग के जरिए सिख दंगों को याद दिलाने की कोशिश की।

प्रियंका गांधी के दो अलग-अलग बैग, उसपर लिखे 'फिलिस्तीन' और 'बांग्लादेश के हिंदुओं के साथ खड़े रहो' जैसे मैसेज पर भारतीय जनता पार्टी खूब हमलावर है। माना जा रहा है कि यह बीजेपी की ओर से प्रियंका गांधी को कथित बैग पॉलिटिक्स का जवाब था। हालांकि, इससे पहले यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने फिलस्तीन लिखा बैग संसद परिसर में लेकर जाने पर प्रियंका गांधी पर कटाक्ष किया था। आदित्यनाथ ने विधानसभा में शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन कहा था कि कांग्रेस की एक नेता संसद में फिलिस्तीन का बैग लेकर घूम रही थीं और हम उप्र के नौजवानों को इजराइल भेज रहे हैं।

फडणवीस का महाराष्ट्र चुनाव में विदेशी दखल का दावा, सोनिया के सोरोस कनेक्शन के बाद राहुल की भारत जोड़ों यात्रा पर सवाल

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भाजपा ने कांग्रेस की सबसे बड़ी नेता सोनिया गांधी का नाम अमेरिका कारोबारी जॉर्ज सोरोस से जोड़ा है। भाजपा ने आरोप लगाया कि जॉर्ज सोरोस की एक संस्था में सोनिया गांधी को-चेयरपर्सन हैं। जॉर्ज सोरोस वही व्यक्ति हैं जो कश्मीर को भारत से अलग एक स्वतंत्र देश की बात करते हैं। भाजपा ने कहा कि ऐसे में सोनिया गांधी देश विरोधी लोगों के साथ काम करती हैं। अब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' में अर्बन नक्सल का जिक्र करते हुए कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को विधानसभा में बड़ा खुलासा किया। उन्होंने कहा कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में आतंकी फंडिंग का इस्तेमाल हुआ है। इस मामले की जांच एटीएस कर रही है। फडणवीस ने यह भी दावा किया कि भारतीय चुनावों में विदेशी दखलअंदाजी के सबूत मिले हैं। उन्होंने नेपाल में हुई एक बैठक का भी जिक्र किया, जिसमें ईवीएम की जगह बैलेट पेपर लाने की बात हुई थी।

चुनाव में आतंकी फंडिंग?

फडणवीस ने नासिक के मालेगांव जिले में चल रही एक जांच का जिक्र किया। फडणवीस ने बताया कि इस साल मालेगांव में कुछ युवाओं ने पुलिस में शिकायत की कि उनके खातों में 114 करोड़ रुपये बेनामी जमा किए गए हैं। आरोपी सिराज मोहम्मद ने 14 लोगों के आधार और पैन विवरण का इस्तेमाल करके नासिक मर्चेंट्स कोऑपरेटिव बैंक, मालेगांव में 14 खाते खोले। सीएम ने कहा कि इस तरह जमा किए गए 114 करोड़ रुपये को सिराज मोहम्मद और 21 अन्य खातों में भेज दिया गया। यह मामला सिर्फ मालेगांव तक सीमित नहीं है। बल्कि 21 राज्यों में फैला है। 201 खातों में 1000 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ है। इस 1000 करोड़ में से 600 करोड़ रुपये दुबई भेजे गए और 100 करोड़ रुपये महाराष्ट्र चुनाव में अलग-अलग कामों के लिए इस्तेमाल किए गए। फडणवीस ने आगे कहा कि एटीएस आतंकी फंडिंग के तहत इसकी जांच कर रही है।

भारत जोड़ो यात्रा पर सवाल

महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने एक और बड़ा हमला बोला। गंभीर आरोप लगाते हुए फडणवीस ने कहा कि इस साल 15 नवंबर को नेपाल में एक बैठक हुई थी। जिसमें ईवीएम का विरोध करने जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। बैठक में महाराष्ट्र और अन्य बीजेपी शासित राज्यों में बैलेट पेपर से चुनाव कराने के लिए अभियान चलाने का फैसला लिया गया। इस बैठक में 40 अर्बन नक्सन संगठनों ने हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि इससे पहले महाराष्ट्र चुनाव को लेकर 180 संगठनों ने बैठक की थी। इन संगठनों के संबंध भारत जोड़ो अभियान से है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इन 40 संगठनों ने राज्य चुनाव के दौरान कार्यक्रम आयोजित किए और पर्चे भी प्रकाशित किए। फडणवीस ने पूर्व राज्य गृह मंत्री आर. आर. पाटिल का हवाला देते हुए कहा कि इन संगठनों को पहले भी फ्रंटल संगठन के रूप में नामित किया गया था। उन्होंने अपने इस दावे के सबूत होने की भी बात कही।

देवेंद्र फडणवीस ने 72 फ्रंटल संगठनों का किया जिक्र

देवेंद्र फडणवीस ने आगे कहा, 18 फरवरी 2014 को मनमोहन सिंह सरकार के दौरान केंद्र सरकार ने लोकसभा में 72 फ्रंटल संगठनों का जिक्र किया था, जिनमें से 7 संगठन आपके भारत जोड़ो के हैं। एंटी-नक्सल ऑपरेशन में जिन 13 संगठनों के नाम लिए गए, उनका संबंध भारत जोड़ो से है।

धक्का-मुक्की विवाद पर बीजेपी और कांग्रेस आमने सामने, दोनों पार्टियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर क दूसरे पर बोला हमला

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संसद में संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर पर गृह मंत्री अमित शाह के बयान के बाद हंगामा मचा हुआ है। गुरुवार को ये हंगामा धक्का-मुक्की में तब्दील हो गया। सत्ता पक्ष और विपक्ष ने एक-दूसरे पर बदसलूकी के आरोप लगाए हैं।संसद में गुरुवार सुबह हुई धक्कामुक्की की घटना को लेकर कांग्रेस और भाजपा दोनों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। कांग्रेस मुख्यालय में राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि ये उनका अडाणी जैसे जरूरी मुद्दों से ध्यान भटकाने का तरीका है। वहीं, भाजपा मुख्यालय में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि अगर खड़गे-राहुल को माफी नहीं मांगनी थी तो प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों की।

राज्यसभा में धक्का-मुक्की वाले विवाद के बाद कांग्रेस की तरफ से प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई। इसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, जयराम रमेश समेत तमाम नेता मौजूद रहे। इस दौरान संविधान पर बहस के दौरान राज्यसभा में केंद्रीय गृह मंत्री के भाषण पर राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, 'सरकार और खासकर प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह डॉ. बीआर अंबेडकर के बारे में जो बयान दे रहे हैं, वह बहुत दुखद है और उन्होंने (अमित शाह) कल तथ्यों को देखे बिना ही प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। जवाहरलाल नेहरू, डॉ. बीआर अंबेडकर को गाली देने से पहले उन्हें तथ्यों को देखना चाहिए।

गृह मंत्री से इस्तीफे की मांग

खरगे ने आगे कहा कि, आंबेडकर पर बयानबाजी काफी दुखदायक है, गृह मंत्री अमित शाह अपनी गलती मानने को तैयार नहीं है। हमारी मांग है कि गृह मंत्री को इस्तीफा देना चाहिए और देश से माफी मांगनी चहिए।

कांग्रेस करेगी देशव्यापी प्रदर्शन

इस दौरान मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि हम संसद में हर रोज धरना प्रदर्शन करते थे, कभी हिंसा नहीं हुई। आज भी हम लोग शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे। हमें मकर द्वार पर रोका गया। इस दौरान हमारे ऊपर हमला किया गया। भाजपा के सांसदों ने मुझे धक्का दिया। हमारी महिला सांसदों को भी धक्का दिया गया। वो लोग हमारा मजाक उड़ा रहे थे। हम इस मामले में देशव्यापी प्रदर्शन करेंगे।

उनका अहंकार उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस में झलक रहा था- शिवराज सिंह

वहीं, राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद बीजेपी की ओर से केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और पीयूष गोयल ने पार्टी मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। शिवराज सिंह ने कहा कि राहुल गांधी हमारे सांसदों के बीच पहुंच गए। उन्होंने ऐसा व्यवहार किया, जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती है। खरगे और राहुल की प्रेस कॉन्फ्रेंस देखी। इन्होंने संसद में किए कुकृत्य की क्षमा नहीं मांगी। मुझे समझ नहीं आ रहा कि फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों की।शिवराज सिंह ने कहा, उनका अहंकार उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस में झलक रहा था।

अशोभनीय और गुंडागर्दी से भरा व्यवहार हुआ

शिवराज सिंह ने आगे कहा कि आज जो कुछ उसकी कल्पना नहीं की जा सकती। अशोभनीय और गुंडागर्दी से भरा व्यवहार हुआ। विचार से विरोध करना सबका अधिकार है। वो लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, तब द्वार बदल लेते थे। आज सुरक्षा कर्मियों ने राहुल से कहा कि आप साइड से निकल सकते हैं लेकिन जानबूझकर राहुल गांधी हमारे सांसदों के बीच पहुंच गए। वहां जाकर हमारे सांसदों को धमकाने लगे। शिवराज सिंह ने कहा, हमारे बुजुर्ग और गरीब सांसद प्रताप सारंगी गिर गए, उन्हें गंभीर चोट आई। मुझे कहते हुए शर्म आती है, हमारी एक बहन सांसद कन्याल के साथ अशालीन, असभ्य अमर्यादित व्यवहार किया गया। क्या महिला आदिवासी संसद के साथ ऐसा व्यवहार किया जाएगा।

डेमोक्रेसी को कलंकित करने का पाप किया

कांग्रेस और राहुल गांधी पर हमला बोलते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा, 2 बजे संसद शुरू हुई तो अध्यक्ष की टेबल पर चढ़ गए। उन्होंने डेमोक्रेसी को कलंकित करने का पाप किया है। लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाई गईं। मैं राहुल गांधी से पूछना चाहता हूं कि क्या भारत की ये सोच और व्यवहार है। ये गैर भारतीय आचरण है। अभी तक संसद में ये चल रहा था कि कौन अच्छे से बात रखेगा। कांग्रेस अब धारा बदलने का काम कर रही है। अब वहां पहलवान और गुंडे जाएं।

संसद परिसर में धक्का मुक्की, पीएम नरेंद्र मोदी ने फोन पर घायल सांसदों से की बात

डेस्क: संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान संसद परिसर में बड़ा हंगामा हुआ है। भाजपा ने राहुल गांधी पर दो सांसदों को धक्का देकर घायल करने का आरोप लगाया है। भाजपा सांसद प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत को घायल अवस्था में अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां उनका उपचार जारी है। भाजपा ने पार्लियामेंट थाने में इस घटना को लेकर शिकायत भी दर्ज करवाई है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज संसद में चोट लगने के बाद भाजपा सांसद प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत को फोन कर उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली है।

बीजेपी सांसद प्रताप चंद्र सारंगी ने कहा, "राहुल गांधी ने एक सांसद को धक्का दिया जो मेरे ऊपर गिर गया जिसके बाद मैं नीचे गिर गया। मैं सीढ़ियों के पास खड़ा था जब राहुल गांधी आए और एक सांसद को धक्का दिया जो मेरे ऊपर गिर गया। RML अस्पतपाल के अधिकारी संजय शुक्ला ने कहा है- "हमारे यहाँ दो सांसद आए थे। दोनों को सर में चोट लगी थी और उनका बीपी हाई था। प्रताप सारंगी की उम्र ज्यादा है। उनको इस उम्र में ये चोट ठीक नहीं।"

भाजपा सांसद शिवराज सिंह चौहान ने भी अस्पताल में घायल सासंदों से मुलाकात की है। उन्होंने कहा, "...प्रताप चंद्र सारंगी जी को देखकर मन पीढ़ा से भर गया है। संसद के इतिहास का ये काला दिन है। मर्यादाओं की धज्जियां उड़ा दी गई। राहुल गांधी और कांग्रेस ने जो गुंडागर्दी की है उसका कोई दूसरा उदाहरण नहीं मिलता..अब वे ऐसी गुंडागर्दी करेंगे...ऐसा आचरण आज तक भारत की संस्कृति इतिहास में देखा नहीं गया..उनके लिए एक पाठशाला में ट्रेनिंग देनी चाहिए कि लोकतंत्र में आचरण कैसा होता है...हम इस गुंडागर्दी की निंदा करते हैं।"

राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री जे.पी. नड्डा ने कहा, "मैं विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा आज किए गए कृत्य की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पेश करना चाहता हूं। केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा, "हमारे 2 सांसदों को गंभीर चोटें लगी हैं। 4-5 सांसदों ने आकर शिकायत दर्ज कराई है। मकर द्वार पर आज BJP-NDA सांसदों ने पहली बार प्रदर्शन किया। इनको(विपक्ष) लगा ये उनकी जागीर है... वे भीड़ को चीरते हुए आए। विपक्ष के नेता को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए।"केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजीजू ने कहा, "आज संसद के मुख्य द्वार में भाजपा-NDA सांसदों का प्रदर्शन चल रहा था...राहुल गांधी और उनके सांसदों ने जबरदस्ती घुसकर अपना जो शारीरिक प्रदर्शन किया है, वो बहुत गलत है। संसद कोई शारीरिक ताकत दिखाने का प्लैटफ़ॉर्म नहीं है।
रवीद्रनाथ महतो फिर बने झारखंड विधानसभा अध्यक्ष


रांची : सर्वसम्मति से हुआ निर्वाचन अध्यक्ष पद के लिए प्रस्ताव मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रखा, जिसका समर्थन टुंडी के विधायक मथुरा प्रसाद महतो ने किया।

झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक रविन्द्र नाथ महतो एक बार फिर झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष चुने गए हैं।

आज मंगलवार को विधानसभा सत्र के दूसरे दिन उन्हें सर्वसम्मति से अध्यक्ष पद के लिए निर्वाचित किया गया।

अध्यक्ष पद के लिए प्रस्ताव मुख्यमंत्री Hemant Soren ने रखा, जिसका समर्थन टुंडी के विधायक मथुरा प्रसाद महतो ने किया।

कुल सात प्रस्ताव रबींद्रनाथ महतो को निर्वाचित करने के लिए आए। अन्य प्रस्तावों में मंत्री राधा कृष्ण किशोर, सुरेश पासवान, अरूप चटर्जी, बाबूलाल मरांडी, सरयू राय और जयराम कुमार महतो द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव शामिल थे, जिनका समर्थन विभिन्न विधायकों ने किया।

सर्वसम्मति से चुने जाने के बाद BJP के प्रदेश अध्यक्ष और धनवार के विधायक Babulal Marandi और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रबींद्रनाथ महतो को अध्यक्ष की कुर्सी तक लेकर गए और उन्हें पदभार ग्रहण कराया।

बताते चलें यह लगातार दूसरी बार है जब रबींद्रनाथ महतो झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष बने हैं।

धान खरीदी को लेकर BJP का कांग्रेस पर तीखा हमला, शिव रतन शर्मा बोले- छत्तीसगढ़ में हो रही रिकॉर्ड धान खरीदी, कांग्रेसी कर रहे झूठी बयानबाजी
रायपुर-  राजधानी रायपुर के रजबंधा मैदान स्थित भारतीय जनता पार्टी (BJP) जिला कार्यालय एकात्म परिसर में आज प्रथम चरण की संगठन बैठक सफलतापूर्वक संपन्न हुई। भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष शिव रतन शर्मा ने मीडिया से चर्चा के दौरान बैठक से जुड़ी जानकारी साझा की, इसके साथ ही कांग्रेस नेताओं के द्वारा धान खरीदी को लेकर दिए जा रहे बयानों पर तीखा हमला किया।
बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष शिव रतन शर्मा ने कहा कि कांग्रेस नेता झूठी बयानबाजी कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “कांग्रेस के नेताओं द्वारा धान खरीदी में गड़बड़ी और बारदाना की कमी को लेकर जो आरोप लगाए जा रहे हैं, वे निराधार हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने भी शुरू में बारदाना की कमी की बात कही थी, लेकिन अब वह कह रहे है कि स्थिति में सुधार हो चुका है।” शर्मा ने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ में रिकॉर्ड धान खरीदी की जा रही है, और विपक्षी दलों का काम सिर्फ भ्रम फैलाना है।
रायपुर में पहले 16 मंडल थे, अब होंगे 20
रायपुर में बीजेपी की प्रथम चरण की संगठन बैठक को प्रदेश उपाध्यक्ष शिव रतन शर्मा ने बताया कि आज की बैठक में सैकड़ों भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं ने भाग लिया। शिव रतन शर्मा ने बताया कि संगठन पर्व के तहत रायपुर में 2 लाख की जगह 3 लाख सदस्य बनाए गए हैं और 3600 सक्रिय सदस्य बने हैं। उन्होंने कहा, “रायपुर में 16 मंडल थे, अब 20 मंडल होंगे। सभी मंडल के चुनाव प्रक्रिया पूरी की जाएगी।”
PWD विभाग के निर्माण कार्य पर ग्रामीणों का फूटा आक्रोश, ग्रामवासियों को मिला कांग्रेस का समर्थन
रायपुर-   राजधानी के ग्राम सांकरा में मनमाने तरीके से निर्माण करने के खिलाफ जनाक्रोश का मामला सामने आया है. ग्रामवासियों ने गांव से लगे हाईवे के डिवाइडर को रातों-रात बंद करने के कारण आज PWD विभाग के खिलाफ जमकर आक्रोश व्यक्त किया है. आज दोपहर 12 बजे से गांव और रोड के किनारे व्यवसाय करने वाले लोगों ने रिंग रोड नंबर-3 को बंद कर जमकर विरोध प्रदर्शन किया. विरोध के समर्थन में पूर्व विधायक विकास उपाध्याय और अनीता योगेंद्र शर्मा भी पहुंची. दोनों ने राजनीतिक कारणों से षड्यंत्रपूर्वक रास्ते को बंद करने का आरोप लगाया ताकि जनता को परेशानी झेलनी पड़े. विरोध के दौरान मौके पर अधिकारियों को जानकारी देकर बुलाया गया. सभी ने मिलकर कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपकर रास्ता खोलने की मांग की और जल्द डिवाइडर नहीं तोड़ने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है. वहीं क्षेत्र के विधायक अनुज शर्मा ने ग्रामीणों को समस्या के निराकरण का आश्वासन दिया है.

इस मौके पर पूर्व विधायक अनीता योगेंद्र शर्मा और विकास उपाध्याय भी पहुंचे. पूर्व संसद ने शासन प्रशासन पर चोरी छिपे निर्माण कर जनता की जान जोखिम में डालने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि गांव वाले निर्माण से भयभीत भी है और आक्रोशित भी. न सिर्फ डिवाइडर को बंद किया गया बल्कि ढाई फीट के नाली के किनारे भी दीवार बनाया जा रहा है. तीन किमी का रास्ता तय करने के बजाय लोग दीवार कूदकर आने की कोशिश करेंगे और सड़क हादसे का शिकार होंगे.

वहीं पूर्व विधायक उपाध्याय ने पूरे मामले में बीजेपी को आरोपी ठहराया है. उन्होंने कहा कि कैटल कैचर के नाम पर ये पूरा निर्माण अधिकारी कर रहे है. 12 साल से यह रास्ता बना हुआ है, लोगों को कोई परेशानी नहीं हुई. लेकिन BJP के नेता अपनी हिस्सेदारी और आपसी दुश्मनी में गांव और यहां व्यापार करने वाले लोगों का नुकसान कर रहे है. इन्होंने गौठानों को बंद कर दिया, गायों की व्यवस्था नहीं कर सके और अब कैटल कैचर के नाम पर जनता की सहूलियत के साथ खिलवाड़ कर रहे.

क्या कह रहे अधिकारी

पूर्व विधायक ने बताया कि हाईकोर्ट का आदेश इसे बनाने के लिए बताया जा रहा है, लेकिन आदेश की कॉपी अधिकारी अब तक प्रस्तुत नहीं कर सके हैं. वहीं अधिकारियों का कहना था कि हाल ही में निर्माण हुए डिवाइडर का ग्रामवासी विरोध कर रहे हैं, काम बंद करने की मांग कर रहे है. कलेक्टर को जानकारी दी जाएगी फिर आगे की कार्रवाई होगी.

धरसींवा विधायक अनुज शर्मा ने लोगों को दिया आश्वासन

इस पूरे विरोध के दौरान हाईवे से गुजर रहे विधायक अनुज शर्मा ने भी मौजूद लोगों से मुलाक़ात की. उन्होंने सभी की मांग सुनकर अधिकारियों को निर्माण रोक जानकारी इकट्ठे करके कलेक्टर को देने कहा.

जेसीबी से तोड़ेंगे दीवार, पीडब्ल्यूडी ऑफिस का करेंगे घेराव

वहीं पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने कहा है, यदि जल्द से जल्द डिवाइडर तोड़ा नहीं गया तो पूर्व सांसद योगेन्द्र अनीता शर्मा के नेतृत्व में जेसीबी से इस दीवार को तोड़ दिया जाएगा, चक्का जाम किया जाएगा और PWD कार्यालय का घेराव भी किया जाएगा.

संसद में पहले भी मिल चुकी है नोटों की गड्डी, कभी 1 करोड़ कैश लेकर सदन में पहुंचे थे तीन सांसद

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राज्यसभा में 5 दिसंबर 2024 को कांग्रेस सांसद की बेंच से नोटों के बंडल मिलने का मामला सामने आया। गुरुवार को कार्यवाही के बाद सदन की जांच के दौरान ये गड्डी बरामद हुई। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने इसे गंभीर मामला बताया। साथ ही इसकी जांच कराने की बात कही है।फिलहाल नोटों की गड्डी मिलने की जांच की मांग की जा रही है। संदन में पैसे से जुड़ा ये कोई पहला विवाद नहीं है। पहले भी इस पैसे जुड़े अलग-अलग मामले आते रहे हैं। कभी सांसदों पर पैसे लेकर वोट देने का आरोप लगा तो कभी पैसे लेकर सवाल पूछने का आरोप लगा। कभी खुद सांसदों ने ही सदन में नोटों की गड्डियां लहराईं तो कभी पैसे लेकर राज्यसभा चुनाव में वोट डालने का आरोप किसी विधायक पर लगा।

22 जुलाई 2008 का वो दिन जब एक करोड़ कैश लेकर पहुंचे तीन सांसद

राज्यसभा हो या लोकसभा, सदन में सत्र की कार्यवाही के दौरान असहज कर देने वाली घटनाओं का पुराना इतिहास रहा है। ऐसा ही एक वाक्या है 22 जुलाई 2008 का, जब संसद का मानसून सत्र चल रहा था। 2008 में अमेरिका के साथ मनमोहन सिंह की सरकार ने न्यूक्लियर डील किया। इस समझौते के खिलाफ सीपीएम ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया, जिसके तुरंत बाद बीजेपी ने अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे दिया। संसद में इस अविश्वास प्रस्ताव पर खूब बहस हुई, लेकिन जब बारी वोटिंग की आई तो बीजेपी के 3 सांसदों ने नोट लहरा दिए। यह नोट तत्कालीन लोकसभा के स्पीकर सोमनाथ चटर्जी के टेबल पर लहराए गए।

बीजेपी के उन तीन सांसदों के नाम थे अशोक अर्गल, फग्गन सिंह कुलस्ते और महावीर भगोरा, जिन्होंने लोकसभा में एक करोड़ रुपए नकदी के बंडल टेबल पर रखकर दावा किया कि उन्हें यूपीए सरकार के सदस्यों द्वारा रिश्वत दी गई थी ताकि वो सरकार के विश्वास मत में उनका साथ दें। ये एक करोड़ रुपए उन्हें एडवांस के बतौर दिए गए जबकि 9 करोड़ रुपए और देने की बात कही गई। बस इतना सुनते ही सदन में भारी हंगामा शुरू हो गई. कार्यवाही बाधित हो गई। विपक्ष ने इसे लोकतंत्र पर “काला धब्बा” कहा। सरकार ने आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। इसे विपक्ष की साजिश बताया।

संसद की विशेष समिति ने इस मामले की जांच शुरू की। सीबीआई ने भी मामले की जांच की। भाजपा सांसदों, कांग्रेस नेताओं, और अन्य दलों के नेताओं से पूछताछ की गई। 2011 में सीबीआई ने अमर सिंह और अन्य पर आरोप लगाए, लेकिन ठोस सबूतों के अभाव में मामला ज्यादा आगे नहीं बढ़ सका। 2013 में, दिल्ली की एक अदालत ने अमर सिंह, भाजपा सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते और अन्य आरोपियों को जमानत दी। केस की लंबी प्रक्रिया के कारण इसमें कोई निर्णायक निष्कर्ष नहीं निकला।

जब शिबू सोरेन और उनके चार सांसदों पर लगे रिश्वत लेने के आरोप

इससे पहले 1991 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी और पीवी नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री बनाए गए थे। चुनाव के करीब दो साल बाद जुलाई 1993 में नरसिम्हा राव सरकार को अविश्वास मत का सामना करना पड़ा। हालांकि, सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव 14 वोटों से गिर गया जब पक्ष में 251 वोट और विरोध में 265 वोट पड़े।

996 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के सांसद सूरज मंडल ने एक खुलासा किया। मंडल के मुताबिक 1993 में पैसे बंटने की वजह से राव की सरकार बच पाई। मंडल का कहना था कि सरकार बचाने के लिए एक-एक सांसदों को 40 लाख रुपए दिए गए थे। शिबू सोरेन और उनके चार सांसदों पर तत्कालीन पीवी नरसिम्हा राव सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ वोट देने के लिए रिश्वत लेने का आरोप लगा था। अल्पमत में रही नरसिम्हा राव सरकार उनके समर्थन से अविश्वास प्रस्ताव से बच गई। इसके बाद भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (पीसीए) के तहत एक शिकायत दर्ज की गई जिसमें आरोप लगाया गया कि अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ वोट करने के लिए कुछ सांसदों को रिश्वत दी गई थी।आगे चलकर यह मामला देश की सर्वोच्च अदालत पहुंच गया, लेकिन केस में सभी आरोपी बरी हो गए

महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस का मुख्यमंत्री चुना जाना: बीजेपी के लिए एक रणनीतिक मास्टरस्ट्रोक
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भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री (CM) के रूप में *देवेंद्र फडणवीस* को चुनने का निर्णय कई रणनीतिक और राजनीतिक कारणों से लिया गया है। यहां वे मुख्य कारण हैं, जो उनके चयन को प्रभावित करते हैं:

1.*सिद्ध नेतृत्व और अनुभव*

देवेंद्र फडणवीस पहले भी 2014 से 2019 तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, और उनके कार्यकाल को प्रशासन और अवसंरचना विकास के कई पहलों के लिए सराहा गया था। उनकी नेतृत्व क्षमता और राज्य के राजनीतिक और प्रशासनिक ढांचे के प्रति गहरी समझ ने उन्हें बीजेपी के लिए एक भरोसेमंद विकल्प बना दिया। उनका अनुभव पार्टी के लिए निरंतरता की प्रतीक था।

2. *मजबूत चुनावी समर्थन*

फडणवीस को शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में मजबूत समर्थन प्राप्त है, खासकर विदर्भ (उनका गृह क्षेत्र) में, जो बीजेपी के लिए एक महत्वपूर्ण चुनावी क्षेत्र है। उनकी लोकप्रियता, विशेष रूप से युवाओं में, और एक विकासशील नेता के रूप में उनकी छवि ने उन्हें बीजेपी के लिए आकर्षक उम्मीदवार बना दिया, ताकि राज्य में पार्टी का प्रभाव बनाए रखा जा सके।

3. *स्थिरता और रणनीतिक गठबंधन*

महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति अक्सर उतार-चढ़ाव वाली रही है, और 2019 विधानसभा चुनावों के बाद एक जटिल शक्ति-साझाकरण व्यवस्था की आवश्यकता थी। जबकि शिवसेना पहले बीजेपी के साथ गठबंधन में थी, दोनों के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर असहमति के कारण गठबंधन टूट गया। इसके बाद बीजेपी को छोटे दलों जैसे एनसीपी और शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) के साथ मिलकर सरकार बनाने की आवश्यकता पड़ी। इस स्थिति में, फडणवीस का नेतृत्व राज्य में स्थिरता बनाए रखने और गठबंधन सरकार की विश्वसनीयता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण माना गया।

4. *पार्टी के मूल वोट बैंक को आकर्षित करना*

फडणवीस का मुख्यमंत्री के रूप में चयन बीजेपी के प्रयासों के साथ मेल खाता था, जो अपने पारंपरिक वोट बैंक को बनाए रखना चाहती थी, जिसमें शहरी मध्यवर्ग, व्यवसायी समुदाय और मराठा और ओबीसी समुदाय शामिल हैं। महाराष्ट्र के सामाजिक और राजनीतिक समीकरणों में ब्राह्मण समुदाय की भूमिका को देखते हुए फडणवीस का चयन बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण था, ताकि वह जातीय समीकरणों को संतुलित कर सके और व्यापक समर्थन सुनिश्चित कर सके।

5. *महाराष्ट्र के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण*

फडणवीस को एक ऐसे नेता के रूप में देखा जाता है, जिनके पास महाराष्ट्र के भविष्य के लिए स्पष्ट दृष्टिकोण है, खासकर अवसंरचना, औद्योगिक विकास और कृषि सुधारों के क्षेत्रों में। मुंबई मेट्रो, मुंबई कोस्टल रोड प्रोजेक्ट और समृद्धि महामार्ग (एक्सप्रेसवे) जैसी मेगा परियोजनाओं के लिए उनका उत्साह उन्हें शहरी और ग्रामीण विकास दोनों के लिए एक पहचाना हुआ चेहरा बनाता है। अवसंरचना और विकास पर उनका जोर बीजेपी के व्यापक राष्ट्रीय एजेंडे के अनुरूप था।
फडणवीस को बीजेपी के प्रति निष्ठावान और मजबूत संगठनात्मक पृष्ठभूमि वाला नेता माना जाता है। पार्टी और उसके विचारधारा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने उन्हें पार्टी नेतृत्व के लिए एक स्थिर विकल्प बना दिया, खासकर उस राज्य में जहां बीजेपी को गठबंधन की गतिशीलताओं के बीच अपनी स्थिति मजबूत करनी थी। पार्टी के भीतर संघर्षों को सुलझाने और पार्टी कार्यों को संभालने में उनकी दक्षता ने उन्हें बीजेपी के लिए एक भरोसेमंद नेता बना दिया।

7. *केंद्रीय नेतृत्व का समर्थन*

फडणवीस को बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व से मजबूत समर्थन प्राप्त है, विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से। उनके महाराष्ट्र में जटिल राजनीतिक स्थितियों को संभालने और गठबंधनों को प्रबंधित करने की क्षमता ने यह सुनिश्चित किया कि फडणवीस बीजेपी के लिए शीर्ष पद के लिए प्राथमिक उम्मीदवार बने रहें।

8. *राष्ट्रीय दृष्टिकोण*

राष्ट्रीय स्तर पर, फडणवीस का चयन बीजेपी के लिए एक मजबूत राजनीतिक संदेश देने का तरीका था। महाराष्ट्र में एक प्रमुख नेता के रूप में, फडणवीस को ऐसे नेता के रूप में देखा गया जो राज्य में क्षेत्रीय दलों द्वारा उत्पन्न की गई चुनौतियों का सामना कर सकते हैं, विशेष रूप से शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस द्वारा। उनका चयन पार्टी की व्यापक रणनीति के तहत किया गया था, जो महत्वपूर्ण राज्यों में अपनी स्थिति को मजबूत करना और मोदी-शाह की जोड़ी के तहत मजबूत क्षेत्रीय नेतृत्व को प्रस्तुत करना चाहती थी।

कुल मिलाकर, देवेंद्र फडणवीस को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री चुने जाने का कारण उनका अनुभव, नेतृत्व क्षमता, चुनावी समर्थन, और बीजेपी के राजनीतिक और रणनीतिक लक्ष्यों के साथ उनका मेल था। उनका चयन पार्टी को एक जटिल राजनीतिक माहौल में स्थिरता बनाए रखने में मदद करने के साथ-साथ राज्य में अपनी शासन नीति जारी रखने में सहायक साबित हुआ।
ప్రధాని మోదీ సమక్షంలో మహారాష్ట్ర సీఎంగా ఫడ్నవీస్ ప్రమాణ స్వీకారం

ఎట్టకేలకు, మహారాష్ట్ర ముఖ్యమంత్రిగా బీజేపీ సీనియర్ నేత దేవేంద్ర ఫడ్నవీస్ గురువారం సాయంత్రం ప్రమాణ స్వీకారం చేశారు. ఈ కార్యక్రమానికి ప్రధాని మోదీ, ఆంధ్రప్రదేశ్ సీఎం చంద్రబాబు నాయుడు తదితర నాయకులు హాజరయ్యారు. బాలీవుడ్ స్టార్స్, బిజినెస్ టైకూన్స్ కూడా ఈ కార్యక్రమానికి హాజరయ్యారు.

ముంబైలోని ఆజాద్ మైదానంలో గురువారం జరిగిన భారీ కార్యక్రమంలో దేవేంద్ర ఫడ్నవీస్ మూడోసారి మహారాష్ట్ర ముఖ్యమంత్రిగా ప్రమాణ స్వీకారం చేశారు. ఈ కార్యక్రమానికి ప్రధాని నరేంద్ర మోదీ తో పాటు పలువురు ప్రముఖులు హాజరయ్యారు. మహారాష్ట్ర ముఖ్యమంత్రిగా బాధ్యతలు చేపట్టడం ఫడ్నవీస్ కు ఇది మూడోసారి.

ఆజాద్ మైదానంలో జరిగిన కార్యక్రమంలో దేవేంద్ర ఫడ్నవీస్ ముఖ్యమంత్రిగా శివసేన చీఫ్ ఏక్ నాథ్ షిండే, ఎన్సీపీ నేత అజిత్ పవార్ కూడా మహారాష్ట్ర ఉప ముఖ్యమంత్రులుగా ప్రమాణ స్వీకారం చేశారు. ఇతర మంత్రులు ఎప్పుడు ప్రమాణ స్వీకారం చేస్తారనే ప్రశ్నకు బీజేపీ (bjp) నేత సుధీర్ ముంగంటివార్ సమాధానమిస్తూ.. అసెంబ్లీ శీతాకాల సమావేశాలు ప్రారంభానికి ముందే కొత్త మంత్రివర్గం ఏర్పాటు అవుతుందన్నారు. మహారాష్ట్ర అసెంబ్లీ ఎన్నికల్లో ఘన విజయం సాధించిన మహాయుతి కూటమిలోని పార్టీల మధ్య రెండు వారాల తీవ్ర చర్చల తర్వాత కొత్త ప్రభుత్వ ఏర్పాటు జరిగింది. ఇటీవలి మహారాష్ట్ర అసెంబ్లీ ఎన్నికల్లో మిత్రపక్షాలైన శివసేన, ఎన్సీపీలతో కలిసి బీజేపీ నేతృత్వంలోని మహాకూటమికి 230 సీట్లు సాధించింది. బీజేపీ ఒంటరిగా 132 సీట్లు గెలుచుకుంది.

మహారాష్ట్ర ముఖ్యమంత్రిగా దేవేంద్ర ఫడణవీస్ ప్రమాణ స్వీకారానికి పలువురు సినీ, రాజకీయ, వ్యాపార, క్రీడా రంగ ప్రముఖులు హాజరయ్యారు. వారిలో పలువరు కేంద్ర మంత్రులు, ఏపీ సీఎం చంద్రబాబు నాయుడు, బిహార్ సీఎం నితీశ్ కుమార్, పలువురు బీజేపీ పాలిత రాష్ట్రాల ముఖ్యమంత్రులు ఉన్నారు. అలాగే, బాలీవుడ్ నుంచి షారూఖ్ ఖాన్, సల్మాన్ ఖాన్, సంజయ్ దత్, మాధురి దీక్షిత్, క్రికెటర్ సచిన్ టెండూల్కర్, ప్రముఖ వ్యాపారవేత్త కుమార మంగళం బిర్లా కూడా ఈ కార్యక్రమానికి హాజరయ్యారు. ప్రముఖ వ్యాపారవేత్త, రిలయన్స్ అధినేత ముకేశ్ అంబానీ సకుటుంబ సపరివారంగా హాజరయ్యారు. అలాగే, ఈ కార్యక్రమానికి సుమారు 40 వేల మంది బీజేపీ మద్దతుదారులు, మతపెద్దలు హాజరయ్యారు.

రెండుసార్లు ముఖ్యమంత్రిగా పనిచేసిన ఫడ్నవీస్ రెండోసారి 2014 నుంచి 2019 వరకు బీజేపీ-శివసేన ప్రభుత్వానికి నాయకత్వం వహించారు. 2019 ఎన్నికల తరువాత, ఉద్ధవ్ ఠాక్రే నేతృత్వంలోని శివసేన సిఎం పదవి కోసం బిజెపితో సంబంధాలు తెంచుకున్నప్పుడు, ఫడ్నవీస్ తిరిగి అజిత్ పవార్ మద్ధతుతో సీఎంగా ప్రమాణ స్వీకారం చేశారు. అయితే ఎన్సీపీ ఎమ్మెల్యేల నుంచి తగినంత మద్దతు పొందడంలో అజిత్ పవార్ విఫలం కావడంతో ఈ ప్రభుత్వం కేవలం 72 గంటలు మాత్రమే కొనసాగింది. అనంతరం, శివసేనలో చీలిక రావడంతో షిండే నేతృత్వంలోని మహాయుతి ప్రభుత్వంలో ఫడ్నవీస్ డిప్యూటీ సీఎం అయ్యారు.

बैग पॉलिटिक्सः बीजेपी सांसद ने प्रियंका गांधी को दिया 1984 लिखा बैग, जानें क्या है सियासी मतलब?

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संसद के शीतकालीन सत्र में इस बार बैग पर खूब सियासत देखने को मिली। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी सत्र के दौरान लगातार नए-नए बैग लेकर संसद पहुंच रही थीं। पहले कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने फिलिस्तीन का मुद्दा उठाने के लिए एक बैग पर उसके समर्थन का नारा लिख संसद पहुंची। उसके बाद बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के समर्थन जताते हुए स्लोगन लिखे बैग के साथ संसद पहुंची। इस बीच बीजेपी सांसद अपराजिता सारंगी ने प्रियंका गांधी को एक बैग दिया है। भाजपा ने इस बैग जरिए प्रियंका गांधी और कांग्रेस पार्टी को घेरने की कोशिश की है।

संसद परिसर के अंदर प्रियंका गांधी को बीजेपी सांसद अपराजिता सारंगी ने एक बैग गिफ्ट किया जिसमें 1984 लिखा हुआ था। आज संसद सत्र का आखिरी दिन था। सभी सांसदों की तरह वायनाड सांसद प्रियंका गांधी भी संसद परिसर के अंदर थीं। जैसे ही वह संसद के गलियारे में पहुंचीं, पीछे से भुवनेश्वर सीट से बीजेपी सांसद अपराजिता सांरगी पहुंचीं। उन्होंने आगे चल रहीं प्रिंयका को एक बैग थमाया। उस बैग में खून से 1984 लिखा हुआ था। पहले तो प्रिंयका इसे लेने में हिचकिचाईं, फिर इसे लेकर छिपा लिया।

अपराजिता ने कहा कि वह संसद में नए-नए बैग लेकर आती हैं तो मैंने भी सोचा कि उन्हें एक बैग गिफ्ट करूं।प्रियंका जी को बैग्स का इतना शौक है,इसलिए मैंने उन्हें 1984 के सिख विरोधी दंगों का यह बैग दिया। पहले तो उन्होंने लेने में झिझक दिखाई,लेकिन फिर उन्होंने इसे ले लिया और छिपा लिया। उन्होंने आगे कहा कि हम उन्हें उनकी पार्टी की ओर से की गई ऐतिहासिक गलती की याद दिलाना चाहते थे।

बता दें कि साल 1984 में कांग्रेस के ही राज में सिख दंगे हुए थे,जिसे लेकर अक्सर बीजेपी उसे कटघरे में खड़ी करती रहती है। भाजपा ने इस बैग के जरिए सिख दंगों को याद दिलाने की कोशिश की।

प्रियंका गांधी के दो अलग-अलग बैग, उसपर लिखे 'फिलिस्तीन' और 'बांग्लादेश के हिंदुओं के साथ खड़े रहो' जैसे मैसेज पर भारतीय जनता पार्टी खूब हमलावर है। माना जा रहा है कि यह बीजेपी की ओर से प्रियंका गांधी को कथित बैग पॉलिटिक्स का जवाब था। हालांकि, इससे पहले यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने फिलस्तीन लिखा बैग संसद परिसर में लेकर जाने पर प्रियंका गांधी पर कटाक्ष किया था। आदित्यनाथ ने विधानसभा में शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन कहा था कि कांग्रेस की एक नेता संसद में फिलिस्तीन का बैग लेकर घूम रही थीं और हम उप्र के नौजवानों को इजराइल भेज रहे हैं।

फडणवीस का महाराष्ट्र चुनाव में विदेशी दखल का दावा, सोनिया के सोरोस कनेक्शन के बाद राहुल की भारत जोड़ों यात्रा पर सवाल

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भाजपा ने कांग्रेस की सबसे बड़ी नेता सोनिया गांधी का नाम अमेरिका कारोबारी जॉर्ज सोरोस से जोड़ा है। भाजपा ने आरोप लगाया कि जॉर्ज सोरोस की एक संस्था में सोनिया गांधी को-चेयरपर्सन हैं। जॉर्ज सोरोस वही व्यक्ति हैं जो कश्मीर को भारत से अलग एक स्वतंत्र देश की बात करते हैं। भाजपा ने कहा कि ऐसे में सोनिया गांधी देश विरोधी लोगों के साथ काम करती हैं। अब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' में अर्बन नक्सल का जिक्र करते हुए कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को विधानसभा में बड़ा खुलासा किया। उन्होंने कहा कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में आतंकी फंडिंग का इस्तेमाल हुआ है। इस मामले की जांच एटीएस कर रही है। फडणवीस ने यह भी दावा किया कि भारतीय चुनावों में विदेशी दखलअंदाजी के सबूत मिले हैं। उन्होंने नेपाल में हुई एक बैठक का भी जिक्र किया, जिसमें ईवीएम की जगह बैलेट पेपर लाने की बात हुई थी।

चुनाव में आतंकी फंडिंग?

फडणवीस ने नासिक के मालेगांव जिले में चल रही एक जांच का जिक्र किया। फडणवीस ने बताया कि इस साल मालेगांव में कुछ युवाओं ने पुलिस में शिकायत की कि उनके खातों में 114 करोड़ रुपये बेनामी जमा किए गए हैं। आरोपी सिराज मोहम्मद ने 14 लोगों के आधार और पैन विवरण का इस्तेमाल करके नासिक मर्चेंट्स कोऑपरेटिव बैंक, मालेगांव में 14 खाते खोले। सीएम ने कहा कि इस तरह जमा किए गए 114 करोड़ रुपये को सिराज मोहम्मद और 21 अन्य खातों में भेज दिया गया। यह मामला सिर्फ मालेगांव तक सीमित नहीं है। बल्कि 21 राज्यों में फैला है। 201 खातों में 1000 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ है। इस 1000 करोड़ में से 600 करोड़ रुपये दुबई भेजे गए और 100 करोड़ रुपये महाराष्ट्र चुनाव में अलग-अलग कामों के लिए इस्तेमाल किए गए। फडणवीस ने आगे कहा कि एटीएस आतंकी फंडिंग के तहत इसकी जांच कर रही है।

भारत जोड़ो यात्रा पर सवाल

महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने एक और बड़ा हमला बोला। गंभीर आरोप लगाते हुए फडणवीस ने कहा कि इस साल 15 नवंबर को नेपाल में एक बैठक हुई थी। जिसमें ईवीएम का विरोध करने जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। बैठक में महाराष्ट्र और अन्य बीजेपी शासित राज्यों में बैलेट पेपर से चुनाव कराने के लिए अभियान चलाने का फैसला लिया गया। इस बैठक में 40 अर्बन नक्सन संगठनों ने हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि इससे पहले महाराष्ट्र चुनाव को लेकर 180 संगठनों ने बैठक की थी। इन संगठनों के संबंध भारत जोड़ो अभियान से है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इन 40 संगठनों ने राज्य चुनाव के दौरान कार्यक्रम आयोजित किए और पर्चे भी प्रकाशित किए। फडणवीस ने पूर्व राज्य गृह मंत्री आर. आर. पाटिल का हवाला देते हुए कहा कि इन संगठनों को पहले भी फ्रंटल संगठन के रूप में नामित किया गया था। उन्होंने अपने इस दावे के सबूत होने की भी बात कही।

देवेंद्र फडणवीस ने 72 फ्रंटल संगठनों का किया जिक्र

देवेंद्र फडणवीस ने आगे कहा, 18 फरवरी 2014 को मनमोहन सिंह सरकार के दौरान केंद्र सरकार ने लोकसभा में 72 फ्रंटल संगठनों का जिक्र किया था, जिनमें से 7 संगठन आपके भारत जोड़ो के हैं। एंटी-नक्सल ऑपरेशन में जिन 13 संगठनों के नाम लिए गए, उनका संबंध भारत जोड़ो से है।

धक्का-मुक्की विवाद पर बीजेपी और कांग्रेस आमने सामने, दोनों पार्टियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर क दूसरे पर बोला हमला

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संसद में संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर पर गृह मंत्री अमित शाह के बयान के बाद हंगामा मचा हुआ है। गुरुवार को ये हंगामा धक्का-मुक्की में तब्दील हो गया। सत्ता पक्ष और विपक्ष ने एक-दूसरे पर बदसलूकी के आरोप लगाए हैं।संसद में गुरुवार सुबह हुई धक्कामुक्की की घटना को लेकर कांग्रेस और भाजपा दोनों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। कांग्रेस मुख्यालय में राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि ये उनका अडाणी जैसे जरूरी मुद्दों से ध्यान भटकाने का तरीका है। वहीं, भाजपा मुख्यालय में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि अगर खड़गे-राहुल को माफी नहीं मांगनी थी तो प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों की।

राज्यसभा में धक्का-मुक्की वाले विवाद के बाद कांग्रेस की तरफ से प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई। इसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, जयराम रमेश समेत तमाम नेता मौजूद रहे। इस दौरान संविधान पर बहस के दौरान राज्यसभा में केंद्रीय गृह मंत्री के भाषण पर राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, 'सरकार और खासकर प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह डॉ. बीआर अंबेडकर के बारे में जो बयान दे रहे हैं, वह बहुत दुखद है और उन्होंने (अमित शाह) कल तथ्यों को देखे बिना ही प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। जवाहरलाल नेहरू, डॉ. बीआर अंबेडकर को गाली देने से पहले उन्हें तथ्यों को देखना चाहिए।

गृह मंत्री से इस्तीफे की मांग

खरगे ने आगे कहा कि, आंबेडकर पर बयानबाजी काफी दुखदायक है, गृह मंत्री अमित शाह अपनी गलती मानने को तैयार नहीं है। हमारी मांग है कि गृह मंत्री को इस्तीफा देना चाहिए और देश से माफी मांगनी चहिए।

कांग्रेस करेगी देशव्यापी प्रदर्शन

इस दौरान मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि हम संसद में हर रोज धरना प्रदर्शन करते थे, कभी हिंसा नहीं हुई। आज भी हम लोग शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे। हमें मकर द्वार पर रोका गया। इस दौरान हमारे ऊपर हमला किया गया। भाजपा के सांसदों ने मुझे धक्का दिया। हमारी महिला सांसदों को भी धक्का दिया गया। वो लोग हमारा मजाक उड़ा रहे थे। हम इस मामले में देशव्यापी प्रदर्शन करेंगे।

उनका अहंकार उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस में झलक रहा था- शिवराज सिंह

वहीं, राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद बीजेपी की ओर से केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और पीयूष गोयल ने पार्टी मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। शिवराज सिंह ने कहा कि राहुल गांधी हमारे सांसदों के बीच पहुंच गए। उन्होंने ऐसा व्यवहार किया, जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती है। खरगे और राहुल की प्रेस कॉन्फ्रेंस देखी। इन्होंने संसद में किए कुकृत्य की क्षमा नहीं मांगी। मुझे समझ नहीं आ रहा कि फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों की।शिवराज सिंह ने कहा, उनका अहंकार उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस में झलक रहा था।

अशोभनीय और गुंडागर्दी से भरा व्यवहार हुआ

शिवराज सिंह ने आगे कहा कि आज जो कुछ उसकी कल्पना नहीं की जा सकती। अशोभनीय और गुंडागर्दी से भरा व्यवहार हुआ। विचार से विरोध करना सबका अधिकार है। वो लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, तब द्वार बदल लेते थे। आज सुरक्षा कर्मियों ने राहुल से कहा कि आप साइड से निकल सकते हैं लेकिन जानबूझकर राहुल गांधी हमारे सांसदों के बीच पहुंच गए। वहां जाकर हमारे सांसदों को धमकाने लगे। शिवराज सिंह ने कहा, हमारे बुजुर्ग और गरीब सांसद प्रताप सारंगी गिर गए, उन्हें गंभीर चोट आई। मुझे कहते हुए शर्म आती है, हमारी एक बहन सांसद कन्याल के साथ अशालीन, असभ्य अमर्यादित व्यवहार किया गया। क्या महिला आदिवासी संसद के साथ ऐसा व्यवहार किया जाएगा।

डेमोक्रेसी को कलंकित करने का पाप किया

कांग्रेस और राहुल गांधी पर हमला बोलते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा, 2 बजे संसद शुरू हुई तो अध्यक्ष की टेबल पर चढ़ गए। उन्होंने डेमोक्रेसी को कलंकित करने का पाप किया है। लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाई गईं। मैं राहुल गांधी से पूछना चाहता हूं कि क्या भारत की ये सोच और व्यवहार है। ये गैर भारतीय आचरण है। अभी तक संसद में ये चल रहा था कि कौन अच्छे से बात रखेगा। कांग्रेस अब धारा बदलने का काम कर रही है। अब वहां पहलवान और गुंडे जाएं।

संसद परिसर में धक्का मुक्की, पीएम नरेंद्र मोदी ने फोन पर घायल सांसदों से की बात

डेस्क: संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान संसद परिसर में बड़ा हंगामा हुआ है। भाजपा ने राहुल गांधी पर दो सांसदों को धक्का देकर घायल करने का आरोप लगाया है। भाजपा सांसद प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत को घायल अवस्था में अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां उनका उपचार जारी है। भाजपा ने पार्लियामेंट थाने में इस घटना को लेकर शिकायत भी दर्ज करवाई है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज संसद में चोट लगने के बाद भाजपा सांसद प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत को फोन कर उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली है।

बीजेपी सांसद प्रताप चंद्र सारंगी ने कहा, "राहुल गांधी ने एक सांसद को धक्का दिया जो मेरे ऊपर गिर गया जिसके बाद मैं नीचे गिर गया। मैं सीढ़ियों के पास खड़ा था जब राहुल गांधी आए और एक सांसद को धक्का दिया जो मेरे ऊपर गिर गया। RML अस्पतपाल के अधिकारी संजय शुक्ला ने कहा है- "हमारे यहाँ दो सांसद आए थे। दोनों को सर में चोट लगी थी और उनका बीपी हाई था। प्रताप सारंगी की उम्र ज्यादा है। उनको इस उम्र में ये चोट ठीक नहीं।"

भाजपा सांसद शिवराज सिंह चौहान ने भी अस्पताल में घायल सासंदों से मुलाकात की है। उन्होंने कहा, "...प्रताप चंद्र सारंगी जी को देखकर मन पीढ़ा से भर गया है। संसद के इतिहास का ये काला दिन है। मर्यादाओं की धज्जियां उड़ा दी गई। राहुल गांधी और कांग्रेस ने जो गुंडागर्दी की है उसका कोई दूसरा उदाहरण नहीं मिलता..अब वे ऐसी गुंडागर्दी करेंगे...ऐसा आचरण आज तक भारत की संस्कृति इतिहास में देखा नहीं गया..उनके लिए एक पाठशाला में ट्रेनिंग देनी चाहिए कि लोकतंत्र में आचरण कैसा होता है...हम इस गुंडागर्दी की निंदा करते हैं।"

राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री जे.पी. नड्डा ने कहा, "मैं विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा आज किए गए कृत्य की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पेश करना चाहता हूं। केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा, "हमारे 2 सांसदों को गंभीर चोटें लगी हैं। 4-5 सांसदों ने आकर शिकायत दर्ज कराई है। मकर द्वार पर आज BJP-NDA सांसदों ने पहली बार प्रदर्शन किया। इनको(विपक्ष) लगा ये उनकी जागीर है... वे भीड़ को चीरते हुए आए। विपक्ष के नेता को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए।"केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजीजू ने कहा, "आज संसद के मुख्य द्वार में भाजपा-NDA सांसदों का प्रदर्शन चल रहा था...राहुल गांधी और उनके सांसदों ने जबरदस्ती घुसकर अपना जो शारीरिक प्रदर्शन किया है, वो बहुत गलत है। संसद कोई शारीरिक ताकत दिखाने का प्लैटफ़ॉर्म नहीं है।
रवीद्रनाथ महतो फिर बने झारखंड विधानसभा अध्यक्ष


रांची : सर्वसम्मति से हुआ निर्वाचन अध्यक्ष पद के लिए प्रस्ताव मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रखा, जिसका समर्थन टुंडी के विधायक मथुरा प्रसाद महतो ने किया।

झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक रविन्द्र नाथ महतो एक बार फिर झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष चुने गए हैं।

आज मंगलवार को विधानसभा सत्र के दूसरे दिन उन्हें सर्वसम्मति से अध्यक्ष पद के लिए निर्वाचित किया गया।

अध्यक्ष पद के लिए प्रस्ताव मुख्यमंत्री Hemant Soren ने रखा, जिसका समर्थन टुंडी के विधायक मथुरा प्रसाद महतो ने किया।

कुल सात प्रस्ताव रबींद्रनाथ महतो को निर्वाचित करने के लिए आए। अन्य प्रस्तावों में मंत्री राधा कृष्ण किशोर, सुरेश पासवान, अरूप चटर्जी, बाबूलाल मरांडी, सरयू राय और जयराम कुमार महतो द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव शामिल थे, जिनका समर्थन विभिन्न विधायकों ने किया।

सर्वसम्मति से चुने जाने के बाद BJP के प्रदेश अध्यक्ष और धनवार के विधायक Babulal Marandi और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रबींद्रनाथ महतो को अध्यक्ष की कुर्सी तक लेकर गए और उन्हें पदभार ग्रहण कराया।

बताते चलें यह लगातार दूसरी बार है जब रबींद्रनाथ महतो झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष बने हैं।

धान खरीदी को लेकर BJP का कांग्रेस पर तीखा हमला, शिव रतन शर्मा बोले- छत्तीसगढ़ में हो रही रिकॉर्ड धान खरीदी, कांग्रेसी कर रहे झूठी बयानबाजी
रायपुर-  राजधानी रायपुर के रजबंधा मैदान स्थित भारतीय जनता पार्टी (BJP) जिला कार्यालय एकात्म परिसर में आज प्रथम चरण की संगठन बैठक सफलतापूर्वक संपन्न हुई। भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष शिव रतन शर्मा ने मीडिया से चर्चा के दौरान बैठक से जुड़ी जानकारी साझा की, इसके साथ ही कांग्रेस नेताओं के द्वारा धान खरीदी को लेकर दिए जा रहे बयानों पर तीखा हमला किया।
बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष शिव रतन शर्मा ने कहा कि कांग्रेस नेता झूठी बयानबाजी कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “कांग्रेस के नेताओं द्वारा धान खरीदी में गड़बड़ी और बारदाना की कमी को लेकर जो आरोप लगाए जा रहे हैं, वे निराधार हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने भी शुरू में बारदाना की कमी की बात कही थी, लेकिन अब वह कह रहे है कि स्थिति में सुधार हो चुका है।” शर्मा ने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ में रिकॉर्ड धान खरीदी की जा रही है, और विपक्षी दलों का काम सिर्फ भ्रम फैलाना है।
रायपुर में पहले 16 मंडल थे, अब होंगे 20
रायपुर में बीजेपी की प्रथम चरण की संगठन बैठक को प्रदेश उपाध्यक्ष शिव रतन शर्मा ने बताया कि आज की बैठक में सैकड़ों भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं ने भाग लिया। शिव रतन शर्मा ने बताया कि संगठन पर्व के तहत रायपुर में 2 लाख की जगह 3 लाख सदस्य बनाए गए हैं और 3600 सक्रिय सदस्य बने हैं। उन्होंने कहा, “रायपुर में 16 मंडल थे, अब 20 मंडल होंगे। सभी मंडल के चुनाव प्रक्रिया पूरी की जाएगी।”
PWD विभाग के निर्माण कार्य पर ग्रामीणों का फूटा आक्रोश, ग्रामवासियों को मिला कांग्रेस का समर्थन
रायपुर-   राजधानी के ग्राम सांकरा में मनमाने तरीके से निर्माण करने के खिलाफ जनाक्रोश का मामला सामने आया है. ग्रामवासियों ने गांव से लगे हाईवे के डिवाइडर को रातों-रात बंद करने के कारण आज PWD विभाग के खिलाफ जमकर आक्रोश व्यक्त किया है. आज दोपहर 12 बजे से गांव और रोड के किनारे व्यवसाय करने वाले लोगों ने रिंग रोड नंबर-3 को बंद कर जमकर विरोध प्रदर्शन किया. विरोध के समर्थन में पूर्व विधायक विकास उपाध्याय और अनीता योगेंद्र शर्मा भी पहुंची. दोनों ने राजनीतिक कारणों से षड्यंत्रपूर्वक रास्ते को बंद करने का आरोप लगाया ताकि जनता को परेशानी झेलनी पड़े. विरोध के दौरान मौके पर अधिकारियों को जानकारी देकर बुलाया गया. सभी ने मिलकर कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपकर रास्ता खोलने की मांग की और जल्द डिवाइडर नहीं तोड़ने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है. वहीं क्षेत्र के विधायक अनुज शर्मा ने ग्रामीणों को समस्या के निराकरण का आश्वासन दिया है.

इस मौके पर पूर्व विधायक अनीता योगेंद्र शर्मा और विकास उपाध्याय भी पहुंचे. पूर्व संसद ने शासन प्रशासन पर चोरी छिपे निर्माण कर जनता की जान जोखिम में डालने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि गांव वाले निर्माण से भयभीत भी है और आक्रोशित भी. न सिर्फ डिवाइडर को बंद किया गया बल्कि ढाई फीट के नाली के किनारे भी दीवार बनाया जा रहा है. तीन किमी का रास्ता तय करने के बजाय लोग दीवार कूदकर आने की कोशिश करेंगे और सड़क हादसे का शिकार होंगे.

वहीं पूर्व विधायक उपाध्याय ने पूरे मामले में बीजेपी को आरोपी ठहराया है. उन्होंने कहा कि कैटल कैचर के नाम पर ये पूरा निर्माण अधिकारी कर रहे है. 12 साल से यह रास्ता बना हुआ है, लोगों को कोई परेशानी नहीं हुई. लेकिन BJP के नेता अपनी हिस्सेदारी और आपसी दुश्मनी में गांव और यहां व्यापार करने वाले लोगों का नुकसान कर रहे है. इन्होंने गौठानों को बंद कर दिया, गायों की व्यवस्था नहीं कर सके और अब कैटल कैचर के नाम पर जनता की सहूलियत के साथ खिलवाड़ कर रहे.

क्या कह रहे अधिकारी

पूर्व विधायक ने बताया कि हाईकोर्ट का आदेश इसे बनाने के लिए बताया जा रहा है, लेकिन आदेश की कॉपी अधिकारी अब तक प्रस्तुत नहीं कर सके हैं. वहीं अधिकारियों का कहना था कि हाल ही में निर्माण हुए डिवाइडर का ग्रामवासी विरोध कर रहे हैं, काम बंद करने की मांग कर रहे है. कलेक्टर को जानकारी दी जाएगी फिर आगे की कार्रवाई होगी.

धरसींवा विधायक अनुज शर्मा ने लोगों को दिया आश्वासन

इस पूरे विरोध के दौरान हाईवे से गुजर रहे विधायक अनुज शर्मा ने भी मौजूद लोगों से मुलाक़ात की. उन्होंने सभी की मांग सुनकर अधिकारियों को निर्माण रोक जानकारी इकट्ठे करके कलेक्टर को देने कहा.

जेसीबी से तोड़ेंगे दीवार, पीडब्ल्यूडी ऑफिस का करेंगे घेराव

वहीं पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने कहा है, यदि जल्द से जल्द डिवाइडर तोड़ा नहीं गया तो पूर्व सांसद योगेन्द्र अनीता शर्मा के नेतृत्व में जेसीबी से इस दीवार को तोड़ दिया जाएगा, चक्का जाम किया जाएगा और PWD कार्यालय का घेराव भी किया जाएगा.

संसद में पहले भी मिल चुकी है नोटों की गड्डी, कभी 1 करोड़ कैश लेकर सदन में पहुंचे थे तीन सांसद

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राज्यसभा में 5 दिसंबर 2024 को कांग्रेस सांसद की बेंच से नोटों के बंडल मिलने का मामला सामने आया। गुरुवार को कार्यवाही के बाद सदन की जांच के दौरान ये गड्डी बरामद हुई। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने इसे गंभीर मामला बताया। साथ ही इसकी जांच कराने की बात कही है।फिलहाल नोटों की गड्डी मिलने की जांच की मांग की जा रही है। संदन में पैसे से जुड़ा ये कोई पहला विवाद नहीं है। पहले भी इस पैसे जुड़े अलग-अलग मामले आते रहे हैं। कभी सांसदों पर पैसे लेकर वोट देने का आरोप लगा तो कभी पैसे लेकर सवाल पूछने का आरोप लगा। कभी खुद सांसदों ने ही सदन में नोटों की गड्डियां लहराईं तो कभी पैसे लेकर राज्यसभा चुनाव में वोट डालने का आरोप किसी विधायक पर लगा।

22 जुलाई 2008 का वो दिन जब एक करोड़ कैश लेकर पहुंचे तीन सांसद

राज्यसभा हो या लोकसभा, सदन में सत्र की कार्यवाही के दौरान असहज कर देने वाली घटनाओं का पुराना इतिहास रहा है। ऐसा ही एक वाक्या है 22 जुलाई 2008 का, जब संसद का मानसून सत्र चल रहा था। 2008 में अमेरिका के साथ मनमोहन सिंह की सरकार ने न्यूक्लियर डील किया। इस समझौते के खिलाफ सीपीएम ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया, जिसके तुरंत बाद बीजेपी ने अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे दिया। संसद में इस अविश्वास प्रस्ताव पर खूब बहस हुई, लेकिन जब बारी वोटिंग की आई तो बीजेपी के 3 सांसदों ने नोट लहरा दिए। यह नोट तत्कालीन लोकसभा के स्पीकर सोमनाथ चटर्जी के टेबल पर लहराए गए।

बीजेपी के उन तीन सांसदों के नाम थे अशोक अर्गल, फग्गन सिंह कुलस्ते और महावीर भगोरा, जिन्होंने लोकसभा में एक करोड़ रुपए नकदी के बंडल टेबल पर रखकर दावा किया कि उन्हें यूपीए सरकार के सदस्यों द्वारा रिश्वत दी गई थी ताकि वो सरकार के विश्वास मत में उनका साथ दें। ये एक करोड़ रुपए उन्हें एडवांस के बतौर दिए गए जबकि 9 करोड़ रुपए और देने की बात कही गई। बस इतना सुनते ही सदन में भारी हंगामा शुरू हो गई. कार्यवाही बाधित हो गई। विपक्ष ने इसे लोकतंत्र पर “काला धब्बा” कहा। सरकार ने आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। इसे विपक्ष की साजिश बताया।

संसद की विशेष समिति ने इस मामले की जांच शुरू की। सीबीआई ने भी मामले की जांच की। भाजपा सांसदों, कांग्रेस नेताओं, और अन्य दलों के नेताओं से पूछताछ की गई। 2011 में सीबीआई ने अमर सिंह और अन्य पर आरोप लगाए, लेकिन ठोस सबूतों के अभाव में मामला ज्यादा आगे नहीं बढ़ सका। 2013 में, दिल्ली की एक अदालत ने अमर सिंह, भाजपा सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते और अन्य आरोपियों को जमानत दी। केस की लंबी प्रक्रिया के कारण इसमें कोई निर्णायक निष्कर्ष नहीं निकला।

जब शिबू सोरेन और उनके चार सांसदों पर लगे रिश्वत लेने के आरोप

इससे पहले 1991 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी और पीवी नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री बनाए गए थे। चुनाव के करीब दो साल बाद जुलाई 1993 में नरसिम्हा राव सरकार को अविश्वास मत का सामना करना पड़ा। हालांकि, सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव 14 वोटों से गिर गया जब पक्ष में 251 वोट और विरोध में 265 वोट पड़े।

996 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के सांसद सूरज मंडल ने एक खुलासा किया। मंडल के मुताबिक 1993 में पैसे बंटने की वजह से राव की सरकार बच पाई। मंडल का कहना था कि सरकार बचाने के लिए एक-एक सांसदों को 40 लाख रुपए दिए गए थे। शिबू सोरेन और उनके चार सांसदों पर तत्कालीन पीवी नरसिम्हा राव सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ वोट देने के लिए रिश्वत लेने का आरोप लगा था। अल्पमत में रही नरसिम्हा राव सरकार उनके समर्थन से अविश्वास प्रस्ताव से बच गई। इसके बाद भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (पीसीए) के तहत एक शिकायत दर्ज की गई जिसमें आरोप लगाया गया कि अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ वोट करने के लिए कुछ सांसदों को रिश्वत दी गई थी।आगे चलकर यह मामला देश की सर्वोच्च अदालत पहुंच गया, लेकिन केस में सभी आरोपी बरी हो गए

महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस का मुख्यमंत्री चुना जाना: बीजेपी के लिए एक रणनीतिक मास्टरस्ट्रोक
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भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री (CM) के रूप में *देवेंद्र फडणवीस* को चुनने का निर्णय कई रणनीतिक और राजनीतिक कारणों से लिया गया है। यहां वे मुख्य कारण हैं, जो उनके चयन को प्रभावित करते हैं:

1.*सिद्ध नेतृत्व और अनुभव*

देवेंद्र फडणवीस पहले भी 2014 से 2019 तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, और उनके कार्यकाल को प्रशासन और अवसंरचना विकास के कई पहलों के लिए सराहा गया था। उनकी नेतृत्व क्षमता और राज्य के राजनीतिक और प्रशासनिक ढांचे के प्रति गहरी समझ ने उन्हें बीजेपी के लिए एक भरोसेमंद विकल्प बना दिया। उनका अनुभव पार्टी के लिए निरंतरता की प्रतीक था।

2. *मजबूत चुनावी समर्थन*

फडणवीस को शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में मजबूत समर्थन प्राप्त है, खासकर विदर्भ (उनका गृह क्षेत्र) में, जो बीजेपी के लिए एक महत्वपूर्ण चुनावी क्षेत्र है। उनकी लोकप्रियता, विशेष रूप से युवाओं में, और एक विकासशील नेता के रूप में उनकी छवि ने उन्हें बीजेपी के लिए आकर्षक उम्मीदवार बना दिया, ताकि राज्य में पार्टी का प्रभाव बनाए रखा जा सके।

3. *स्थिरता और रणनीतिक गठबंधन*

महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति अक्सर उतार-चढ़ाव वाली रही है, और 2019 विधानसभा चुनावों के बाद एक जटिल शक्ति-साझाकरण व्यवस्था की आवश्यकता थी। जबकि शिवसेना पहले बीजेपी के साथ गठबंधन में थी, दोनों के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर असहमति के कारण गठबंधन टूट गया। इसके बाद बीजेपी को छोटे दलों जैसे एनसीपी और शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) के साथ मिलकर सरकार बनाने की आवश्यकता पड़ी। इस स्थिति में, फडणवीस का नेतृत्व राज्य में स्थिरता बनाए रखने और गठबंधन सरकार की विश्वसनीयता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण माना गया।

4. *पार्टी के मूल वोट बैंक को आकर्षित करना*

फडणवीस का मुख्यमंत्री के रूप में चयन बीजेपी के प्रयासों के साथ मेल खाता था, जो अपने पारंपरिक वोट बैंक को बनाए रखना चाहती थी, जिसमें शहरी मध्यवर्ग, व्यवसायी समुदाय और मराठा और ओबीसी समुदाय शामिल हैं। महाराष्ट्र के सामाजिक और राजनीतिक समीकरणों में ब्राह्मण समुदाय की भूमिका को देखते हुए फडणवीस का चयन बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण था, ताकि वह जातीय समीकरणों को संतुलित कर सके और व्यापक समर्थन सुनिश्चित कर सके।

5. *महाराष्ट्र के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण*

फडणवीस को एक ऐसे नेता के रूप में देखा जाता है, जिनके पास महाराष्ट्र के भविष्य के लिए स्पष्ट दृष्टिकोण है, खासकर अवसंरचना, औद्योगिक विकास और कृषि सुधारों के क्षेत्रों में। मुंबई मेट्रो, मुंबई कोस्टल रोड प्रोजेक्ट और समृद्धि महामार्ग (एक्सप्रेसवे) जैसी मेगा परियोजनाओं के लिए उनका उत्साह उन्हें शहरी और ग्रामीण विकास दोनों के लिए एक पहचाना हुआ चेहरा बनाता है। अवसंरचना और विकास पर उनका जोर बीजेपी के व्यापक राष्ट्रीय एजेंडे के अनुरूप था।
फडणवीस को बीजेपी के प्रति निष्ठावान और मजबूत संगठनात्मक पृष्ठभूमि वाला नेता माना जाता है। पार्टी और उसके विचारधारा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने उन्हें पार्टी नेतृत्व के लिए एक स्थिर विकल्प बना दिया, खासकर उस राज्य में जहां बीजेपी को गठबंधन की गतिशीलताओं के बीच अपनी स्थिति मजबूत करनी थी। पार्टी के भीतर संघर्षों को सुलझाने और पार्टी कार्यों को संभालने में उनकी दक्षता ने उन्हें बीजेपी के लिए एक भरोसेमंद नेता बना दिया।

7. *केंद्रीय नेतृत्व का समर्थन*

फडणवीस को बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व से मजबूत समर्थन प्राप्त है, विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से। उनके महाराष्ट्र में जटिल राजनीतिक स्थितियों को संभालने और गठबंधनों को प्रबंधित करने की क्षमता ने यह सुनिश्चित किया कि फडणवीस बीजेपी के लिए शीर्ष पद के लिए प्राथमिक उम्मीदवार बने रहें।

8. *राष्ट्रीय दृष्टिकोण*

राष्ट्रीय स्तर पर, फडणवीस का चयन बीजेपी के लिए एक मजबूत राजनीतिक संदेश देने का तरीका था। महाराष्ट्र में एक प्रमुख नेता के रूप में, फडणवीस को ऐसे नेता के रूप में देखा गया जो राज्य में क्षेत्रीय दलों द्वारा उत्पन्न की गई चुनौतियों का सामना कर सकते हैं, विशेष रूप से शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस द्वारा। उनका चयन पार्टी की व्यापक रणनीति के तहत किया गया था, जो महत्वपूर्ण राज्यों में अपनी स्थिति को मजबूत करना और मोदी-शाह की जोड़ी के तहत मजबूत क्षेत्रीय नेतृत्व को प्रस्तुत करना चाहती थी।

कुल मिलाकर, देवेंद्र फडणवीस को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री चुने जाने का कारण उनका अनुभव, नेतृत्व क्षमता, चुनावी समर्थन, और बीजेपी के राजनीतिक और रणनीतिक लक्ष्यों के साथ उनका मेल था। उनका चयन पार्टी को एक जटिल राजनीतिक माहौल में स्थिरता बनाए रखने में मदद करने के साथ-साथ राज्य में अपनी शासन नीति जारी रखने में सहायक साबित हुआ।
ప్రధాని మోదీ సమక్షంలో మహారాష్ట్ర సీఎంగా ఫడ్నవీస్ ప్రమాణ స్వీకారం

ఎట్టకేలకు, మహారాష్ట్ర ముఖ్యమంత్రిగా బీజేపీ సీనియర్ నేత దేవేంద్ర ఫడ్నవీస్ గురువారం సాయంత్రం ప్రమాణ స్వీకారం చేశారు. ఈ కార్యక్రమానికి ప్రధాని మోదీ, ఆంధ్రప్రదేశ్ సీఎం చంద్రబాబు నాయుడు తదితర నాయకులు హాజరయ్యారు. బాలీవుడ్ స్టార్స్, బిజినెస్ టైకూన్స్ కూడా ఈ కార్యక్రమానికి హాజరయ్యారు.

ముంబైలోని ఆజాద్ మైదానంలో గురువారం జరిగిన భారీ కార్యక్రమంలో దేవేంద్ర ఫడ్నవీస్ మూడోసారి మహారాష్ట్ర ముఖ్యమంత్రిగా ప్రమాణ స్వీకారం చేశారు. ఈ కార్యక్రమానికి ప్రధాని నరేంద్ర మోదీ తో పాటు పలువురు ప్రముఖులు హాజరయ్యారు. మహారాష్ట్ర ముఖ్యమంత్రిగా బాధ్యతలు చేపట్టడం ఫడ్నవీస్ కు ఇది మూడోసారి.

ఆజాద్ మైదానంలో జరిగిన కార్యక్రమంలో దేవేంద్ర ఫడ్నవీస్ ముఖ్యమంత్రిగా శివసేన చీఫ్ ఏక్ నాథ్ షిండే, ఎన్సీపీ నేత అజిత్ పవార్ కూడా మహారాష్ట్ర ఉప ముఖ్యమంత్రులుగా ప్రమాణ స్వీకారం చేశారు. ఇతర మంత్రులు ఎప్పుడు ప్రమాణ స్వీకారం చేస్తారనే ప్రశ్నకు బీజేపీ (bjp) నేత సుధీర్ ముంగంటివార్ సమాధానమిస్తూ.. అసెంబ్లీ శీతాకాల సమావేశాలు ప్రారంభానికి ముందే కొత్త మంత్రివర్గం ఏర్పాటు అవుతుందన్నారు. మహారాష్ట్ర అసెంబ్లీ ఎన్నికల్లో ఘన విజయం సాధించిన మహాయుతి కూటమిలోని పార్టీల మధ్య రెండు వారాల తీవ్ర చర్చల తర్వాత కొత్త ప్రభుత్వ ఏర్పాటు జరిగింది. ఇటీవలి మహారాష్ట్ర అసెంబ్లీ ఎన్నికల్లో మిత్రపక్షాలైన శివసేన, ఎన్సీపీలతో కలిసి బీజేపీ నేతృత్వంలోని మహాకూటమికి 230 సీట్లు సాధించింది. బీజేపీ ఒంటరిగా 132 సీట్లు గెలుచుకుంది.

మహారాష్ట్ర ముఖ్యమంత్రిగా దేవేంద్ర ఫడణవీస్ ప్రమాణ స్వీకారానికి పలువురు సినీ, రాజకీయ, వ్యాపార, క్రీడా రంగ ప్రముఖులు హాజరయ్యారు. వారిలో పలువరు కేంద్ర మంత్రులు, ఏపీ సీఎం చంద్రబాబు నాయుడు, బిహార్ సీఎం నితీశ్ కుమార్, పలువురు బీజేపీ పాలిత రాష్ట్రాల ముఖ్యమంత్రులు ఉన్నారు. అలాగే, బాలీవుడ్ నుంచి షారూఖ్ ఖాన్, సల్మాన్ ఖాన్, సంజయ్ దత్, మాధురి దీక్షిత్, క్రికెటర్ సచిన్ టెండూల్కర్, ప్రముఖ వ్యాపారవేత్త కుమార మంగళం బిర్లా కూడా ఈ కార్యక్రమానికి హాజరయ్యారు. ప్రముఖ వ్యాపారవేత్త, రిలయన్స్ అధినేత ముకేశ్ అంబానీ సకుటుంబ సపరివారంగా హాజరయ్యారు. అలాగే, ఈ కార్యక్రమానికి సుమారు 40 వేల మంది బీజేపీ మద్దతుదారులు, మతపెద్దలు హాజరయ్యారు.

రెండుసార్లు ముఖ్యమంత్రిగా పనిచేసిన ఫడ్నవీస్ రెండోసారి 2014 నుంచి 2019 వరకు బీజేపీ-శివసేన ప్రభుత్వానికి నాయకత్వం వహించారు. 2019 ఎన్నికల తరువాత, ఉద్ధవ్ ఠాక్రే నేతృత్వంలోని శివసేన సిఎం పదవి కోసం బిజెపితో సంబంధాలు తెంచుకున్నప్పుడు, ఫడ్నవీస్ తిరిగి అజిత్ పవార్ మద్ధతుతో సీఎంగా ప్రమాణ స్వీకారం చేశారు. అయితే ఎన్సీపీ ఎమ్మెల్యేల నుంచి తగినంత మద్దతు పొందడంలో అజిత్ పవార్ విఫలం కావడంతో ఈ ప్రభుత్వం కేవలం 72 గంటలు మాత్రమే కొనసాగింది. అనంతరం, శివసేనలో చీలిక రావడంతో షిండే నేతృత్వంలోని మహాయుతి ప్రభుత్వంలో ఫడ్నవీస్ డిప్యూటీ సీఎం అయ్యారు.