झारखंड के युवाओं के सपनों को नई उड़ान: रांची में 'दिशोम गुरु शिबू सोरेन JEE-NEET कोचिंग संस्थान' का उद्घाटन

रांची (हिंदपीढ़ी): मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने आज राज्य के होनहार विद्यार्थियों को बड़ी सौगात देते हुए नि:शुल्क कोचिंग संस्थान का विधिवत उद्घाटन किया। अब राज्य के SC, ST, OBC और अल्पसंख्यक समुदायों के बच्चों को उच्चस्तरीय कोचिंग के लिए कोटा या दिल्ली जैसे शहरों का रुख नहीं करना पड़ेगा।

मुख्यमंत्री के संबोधन की प्रमुख बातें:

राज्य में ही मिलेगी उच्च शिक्षा: मुख्यमंत्री ने कहा कि रांची अब उच्चस्तरीय कोचिंग का हब बनेगा। छात्रों को अब राज्य से बाहर जाने की मजबूरी नहीं होगी।

पुनः अवसर का प्रावधान: एबिलिटी टेस्ट में थोड़े अंतर से पीछे रह गए योग्य अभ्यर्थियों को मुख्यमंत्री ने दोबारा मौका देने का निर्देश दिया है, ताकि कोई भी प्रतिभा पीछे न छूटे।

शिक्षा के साथ खेल भी: संस्थान में केवल पढ़ाई ही नहीं, बल्कि खेल-कूद की व्यवस्था भी सुदृढ़ की जाएगी ताकि छात्रों का सर्वांगीण विकास हो सके।

सांस्कृतिक एकता का केंद्र: यह संस्थान झारखंड की विभिन्न संस्कृतियों और भाषाओं के मेल-जोल का प्रतीक बनेगा।

झारखंड सरकार की शिक्षा क्षेत्र में अन्य बड़ी उपलब्धियां:

गुरुजी क्रेडिट कार्ड योजना: ₹15 लाख तक का शिक्षा ऋण, भुगतान नौकरी लगने के बाद।

मरांग गोमके छात्रवृत्ति: विदेश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा के लिए पूर्ण सरकारी सहायता।

सावित्रीबाई फुले योजना: किशोरियों की शिक्षा और सशक्तिकरण के लिए आर्थिक मदद।

उत्कृष्ट विद्यालय (SOE): 80 स्कूलों में निजी विद्यालयों जैसी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा।

रिम्स में विशेष कोचिंग: मेडिकल प्रवेश परीक्षा के लिए 30 छात्रों को विशेषज्ञ मार्गदर्शन।

मुख्यमंत्री का संकल्प: "हर बच्चे तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, हर युवा तक अवसर की पहुँच।"

जमशेदपुर में सजेगा ओल चिकी लिपि शताब्दी समारोह का मंच: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को मिला आमंत्रण

रांची: मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन से आज कांके रोड स्थित मुख्यमंत्री आवासीय कार्यालय में "ऑल इंडिया संथाली राइटर्स एसोसिएशन" एवं "जाहेरथान कमेटी" के एक प्रतिनिधिमंडल ने शिष्टाचार भेंट की। इस भेंट का मुख्य उद्देश्य मुख्यमंत्री को संथाली भाषा और लिपि के गौरवशाली आयोजनों में आमंत्रित करना था।

मुख्य आकर्षण: 22वां 'पारसी माहा' और शताब्दी समारोह

प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को आगामी 29 दिसंबर 2025 को जमशेदपुर के दिशोम जाहेर (करनडीह) में आयोजित होने वाले निम्नलिखित ऐतिहासिक कार्यक्रमों के लिए सादर आमंत्रित किया है:

22वां संथाली "पारसी माहा" (भाषा दिवस): संथाली भाषा की मान्यता और सम्मान का उत्सव।

ओल चिकी लिपि शताब्दी समारोह का समापन: ओल चिकी लिपि के 100 गौरवशाली वर्षों के उपलक्ष्य में आयोजित विशेष कार्यक्रम।

प्रतिनिधिमंडल में शामिल गणमान्य

भेंट के दौरान "ऑल इंडिया संथाली राइटर्स एसोसिएशन" और "जाहेरथान कमेटी" के प्रमुख सदस्य उपस्थित रहे, जिनमें शामिल थे:

श्री रविंद्र नाथ मुर्मू (महासचिव, ऑल इंडिया संथाली राइटर्स एसोसिएशन)

श्री मानसिंह मांझी (सहायक महासचिव)

श्री सागेन हंसदा (कार्यकारी सदस्य, जाहेरथान कमेटी)

श्री शंकर हेंब्रम (कार्यकारी सदस्य, जाहेरथान कमेटी)

भोगनाडीह में सियासी घमासान: चंपाई सोरेन की सरकार को खुली चुनौती

साहिबगंज जिला प्रशासन की "कठिन शर्तों" के विरोध में शहीद वीर सिदो-कान्हू हूल फाउंडेशन ने 22 दिसंबर का कार्यक्रम रद्द कर दिया है। इस पर भाजपा नेता चंपाई सोरेन ने राज्य सरकार पर दमनकारी नीति अपनाने का आरोप लगाया है।

1. प्रशासन की वो शर्तें जिन पर मचा बवाल

चंपाई सोरेन ने जिला प्रशासन द्वारा लगाई गई शर्तों को "तानाशाही" करार दिया है। उनके अनुसार प्रशासन ने निम्नलिखित मांगें रखी थीं:

वॉलेंटियर्स का डेटा: 30 वॉलेंटियर्स की सूची आधार कार्ड के साथ थाने में जमा करना।

सजावट पर रोक: स्टेडियम के बाहर एक गेट तक लगाने की अनुमति न देना।

प्रशासनिक जिम्मेदारी का बोझ: ट्रैफिक प्रबंधन और नशा मुक्ति की पूरी जिम्मेदारी आयोजकों पर डालना।

भारी सुरक्षा: खेल के मैदान से लेकर आयोजक के घर तक मजिस्ट्रेट की तैनाती।

2. चंपाई सोरेन का 'ओपन चैलेंज'

पूर्व सीएम ने इस स्थिति की तुलना नगड़ी आंदोलन (रिम्स-2) से करते हुए सरकार को सीधी चुनौती दी है:

30 जून 2026 का संकल्प: उन्होंने कहा कि आगामी हूल दिवस पर झारखंड, बंगाल, बिहार और ओडिशा से लाखों आदिवासी रथों के साथ भोगनाडीह पहुंचेंगे।

जेल भरो का संकेत: उन्होंने कहा कि अगर सरकार लाठी और एफआईआर की भाषा समझती है, तो आदिवासी समाज भी पीछे नहीं हटेगा। उन्होंने पूछा कि "इनके जेलों में कितनी जगह है?"

3. 'साहिबगंज में अघोषित प्रतिबंध' का आरोप

चंपाई सोरेन ने सवाल उठाया कि जब उन्हें रांची, जामताड़ा या पाकुड़ जैसे जिलों में कोई दिक्कत नहीं होती, तो साहिबगंज में ही प्रशासन इतना सख्त क्यों हो जाता है? उन्होंने इसे खुद को एक विशेष क्षेत्र में रोकने की साजिश बताया है।

4. शहीद के वंशजों की नाराजगी

शहीद सिदो-कान्हू के वंशज मंडल मुर्मू ने भी प्रशासन की मंशा पर सवाल उठाए हैं। उनके अनुसार, शर्तों को इस तरह तैयार किया गया था कि आयोजक किसी न किसी कानूनी विवाद या रंजिश में फंस जाएं, जिसके कारण अंततः कार्यक्रम स्थगित करना पड़ा।

झारखंड हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: रिम्स की जमीन पर अवैध निर्माण मामले में ACB जांच के आदेश

रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने रिम्स की 9.65 एकड़ अधिग्रहित भूमि पर अवैध कब्जे और बहुमंजिला इमारतों के निर्माण को गंभीरता से लेते हुए बड़ा आदेश सुनाया है। चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस सुजीत नारायण की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि भ्रष्टाचार के इस खेल में निर्दोष खरीदारों को बलि का बकरा नहीं बनाया जा सकता।

फैसले के मुख्य बिंदु:

ACB जांच और FIR: अदालत ने पूरे घोटाले की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) को सौंप दी है। दोषी अधिकारियों और बिल्डरों पर प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने का निर्देश दिया गया है। साथ ही, भविष्य में CBI जांच के विकल्प को भी खुला रखा गया है।

दोषी अफसरों से वसूली: कोर्ट ने एक अभूतपूर्व मिसाल पेश करते हुए कहा कि फ्लैट खरीदारों के मुआवजे की राशि सरकारी कोष से नहीं, बल्कि दोषी अधिकारियों (सेवानिवृत्त या कार्यरत) और बिल्डरों की संपत्ति से वसूली जाएगी।

प्रशासनिक मिलीभगत पर प्रहार: 1964-65 में अधिग्रहित जमीन पर नक्शा पास करने, रजिस्ट्री करने, म्यूटेशन करने और RERA की मंजूरी देने वाले अधिकारियों की भूमिका की जांच होगी।

अतिक्रमण हटाओ अभियान: 3 दिसंबर के आदेश के बाद प्रशासन ने DIG ग्राउंड के पास बुलडोजर चलाकर अवैध इमारतों को गिराना शुरू कर दिया है। कोर्ट ने इस अभियान की धीमी रफ्तार पर नाराजगी जाहिर की और तेजी लाने का निर्देश दिया।

मामले की पृष्ठभूमि:

रांची के मोरहाबादी और कोकर मौजा में रिम्स की विस्तार के लिए रखी गई करीब 9.65 एकड़ जमीन को मिलीभगत से निजी बताकर बेच दिया गया था। इस पर अपार्टमेंट, मंदिर और बाजार बन गए थे। अब हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद इन अवैध ढांचों को गिराया जा रहा है।

अदालत की टिप्पणी: "यदि अधिकारी शुरू से सतर्क रहते, तो न सरकारी जमीन बिकती और न ही आम लोगों के घर उजड़ने की नौबत आती।"

प्रमुख जानकारी (Summarized Table)

विवरण जानकारी

संबंधित संस्थान रिम्स (RIMS), रांची

भूमि का विवरण 9.65 एकड़ (मोरहाबादी और कोकर मौजा)

अधिग्रहण वर्ष 1964-65

माननीय न्यायाधीश चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस सुजीत नारायण

जांच एजेंसी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB)

अगली सुनवाई 6 जनवरी, 2026

प्रभावित खरीदारों के लिए क्या है खास?

उनका आर्थिक नुकसान सुरक्षित करने के लिए मुआवजा सुनिश्चित किया गया है।

न्याय के लिए दोषी बिल्डरों और अफसरों की जिम्मेदारी तय कर दी गई है।

यह आदेश अन्य सरकारी जमीनों पर कब्जा करने वाले भू-माफियाओं के लिए एक बड़ी चेतावनी है।

गढ़वा में श्री रुद्र महायज्ञ की तैयारियां तेज, श्रमदान से किया गया 'कुश' का संग्रह

गढ़वा: जिला मुख्यालय के जोबरईया स्थित बंडा पहाड़ श्री नीलकंठ महादेव मंदिर परिसर में आगामी मार्च 2026 में आयोजित होने वाले नौ दिवसीय श्री रुद्र महायज्ञ की तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो गई हैं। इसी कड़ी में आज यज्ञशाला निर्माण हेतु अत्यंत महत्वपूर्ण 'कुश' के संग्रह के लिए जागृति युवा क्लब और यज्ञ आयोजन समिति के सदस्यों ने कोयल नदी तट पर श्रमदान किया।

धार्मिक विधि-विधान से शुरुआत

यज्ञाधीश श्री श्री आचार्य आशीष वैद्य जी महाराज और समिति के अध्यक्ष जितेंद्र कुमार पाल के नेतृत्व में सदस्यों की टीम प्रातः 8 बजे नवगढ़ गांव (सतबहिनी स्टेशन के समीप) पहुंची। कोयल नदी के तट पर विधिवत पूजा-अर्चना के बाद कुश की कटाई का कार्य प्रारंभ हुआ। आचार्य जी ने इस दौरान सनातन धर्म में कुश के महत्व को बताते हुए युवाओं के समर्पण की सराहना की।

यज्ञ की महत्वपूर्ण तिथियां

विदित हो कि नीलकंठ महादेव मंदिर परिसर में 08 मार्च 2026 से 16 मार्च 2026 तक नौ दिवसीय श्री रुद्र महायज्ञ का भव्य आयोजन सुनिश्चित हुआ है। इसके लिए 'श्री हनुमत ध्वज' के अधिष्ठापन का कार्य पहले ही संपन्न किया जा चुका है।

श्रमदान में प्रमुख सहभागिता

यज्ञ के प्रधान संयोजक एवं युवा समाजसेवी राकेश कुमार पाल ने श्रमदान करने वाले सभी सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त किया। इस कार्य में मुख्य रूप से:

कार्यकारी टीम: सत्येंद्र पाल (उपाध्यक्ष), विनय पाल (सचिव), विवेकानंद पाल (कोषाध्यक्ष), चैतू कुमार भुईयां (उपकोषाध्यक्ष)।

सक्रिय सदस्य: शिवपूजन पाल, कृष्णा राम, राजकिशोर पाल, रोहित कुमार चंद्रवंशी, कौशल कुशवाहा, रामाशीष कुशवाहा, मदन कुशवाहा, उदित पाल एवं अन्य ग्रामीण उपस्थित रहे।

गोविंदपुर ग्लोबल स्कूल ऑफ़ इंडिया में GSI शाहीन' का भव्य शुभारंभ: ग्रामीण छात्रों के लिए NEET-JEE की राह हुई आसान

​धनबाद, कोयलांचल की शैक्षणिक धरती धनबाद के गोविंदपुर में आज शिक्षा के एक नए अध्याय की शुरुआत हुई। ग्लोबल स्कूल ऑफ़ इंडिया इंडिया परिसर में, ग्लोबल स्कूल ऑफ करियर इंस्टीच्यूट (GSI) शाहीन का विधिवत उद्घाटन हुआ. यह संस्थान ग्रामीण क्षेत्र के मेधावी छात्रों के लिए NEET और JEE की तैयारी हेतु एक मील का पत्थर साबित होगा। ALLEN के सहयोग और शाहीन संस्थान समूह की संयुक्त पहल से यह संचालित होगा।

​कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि सिंदरी विधायक चंद्रदेव महतो और शाहीन ग्रुप के चेयर मैंन (इंजीनियर) अब्दुल कादिर के कर-कमलों द्वारा संपन्न हुआ।

 इस गरिमामयी अवसर पर शिक्षा जगत की कई बड़ी हस्तियां मौजूद रहीं, जिनमें डॉ. दिनेश गरिंदोरिया, प्रो. एस. के. एल. दास और जिला परिषद सदस्य सोहराब अंसारी ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

​संस्थान के निदेशक डॉ. एस खालिद ने विजन स्पष्ट करते हुए कहा कि GSI शाहीन का मुख्य उद्देश्य आर्थिक और भौगोलिक बाधाओं को दूर करना है। यहाँ कोटा- की तर्ज पर नींट औऱ औऱ इंजिनियरिंग कॉलेज के लिए तैयारी की आवासीय व्यवस्था के साथ-साथ ऑनलाइन और ऑफलाइन कोचिंग की सुविधा दी जाएगी, ताकि ग्रामीण छात्र भी डॉक्टर, इंजीनियर और IPS जैसे शीर्ष पदों तक पहुँच सकें।

 इस अवसर पर ​विधायक चंद्रदेव महतो ने अपने संबोधन में कहा कि

​"यह पहल विशेष रूप से हमारी ग्रामीण बेटियों के लिए वरदान साबित होगी। अब उन्हें उच्च शिक्षा के लिए दूर नहीं जाना पड़ेगा, जिससे वे आत्मनिर्भर बनेंगी और क्षेत्र का नाम रोशन करेंगी।"

​समारोह में वक्ताओं ने GSI शाहीन और अलीगढ़ कॉलेज के समन्वय को धनबाद के लिए एक बड़ी उपलब्धि बताया। जिला परिषद सदस्य सोहराब अंसारी ने इसे क्षेत्र के लिए गर्व का विषय बताते हुए कहा कि बेहतर मार्गदर्शन से अब यहाँ के छात्रों का भविष्य और भी उज्ज्वल होगा।

देवदूत बनी आरपीएफ: रांची स्टेशन पर कड़ाके की ठंड में लावारिस मिला 3 माह का मासूम, महिला कांस्टेबल ने ममता की छांव में बचाया।

आरपीएफ की तत्परता और रेल पुलिस की मानवीय संवेदनशीलता का एक प्रेरणादायक उदाहरण रांची रेलवे स्टेशन पर सामने आया है. कड़ाके की ठंड में किसी ने एक तीन माह के नवजात को रांची रेलवे स्टेशन पर छोड़ दिया था, लेकिन आरपीएफ ने उस मासूम को बचा लिया.

क्या है पूरा मामला

रांची रेलवे स्टेशन पर ड्यूटी के दौरान सतर्कता बरतते हुए आरपीएफ कर्मियों ने एक लावारिस पड़े नवजात शिशु को सुरक्षित बचाकर उसकी जिंदगी बचा ली. आरपीएफ कमांडेंट पवन कुमार ने बताया कि आरपीएफ रांची द्वारा रेलवे परिसर में लगातार सुरक्षा और निगरानी की मुहिम चलाई जा रही है. शनिवार देर रात ड्यूटी पर तैनात एएसआई अरुण कुमार और महिला कांस्टेबल राखी कुमारी प्लेटफॉर्म संख्या 01 पर रूटीन जांच और गश्त में थे.

इसी दौरान ओवरब्रिज के नीचे एक लगभग तीन माह के नवजात बालक को लावारिस हालत में देखकर चौंक गए. ठंड और असुरक्षित माहौल को देखते हुए आरपीएफ कर्मियों ने तत्काल पहल करते हुए शिशु को सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया. घटना की सूचना तुरंत जीआरपी रांची को दी गई और महिला कांस्टेबल राखी कुमारी ने शिशु को जीआरपी पोस्ट लाया. जहां प्रारंभिक जांच के बाद उसे सुरक्षित रखा गया.

आरपीएफ और जीआरपी की संयुक्त टीम ने यात्रियों और स्थानीय लोगों से शिशु के परिजनों के बारे में काफी पूछताछ की, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिल सकी. बाद में सीसीटीवी फुटेज की जांच में एक अज्ञात व्यक्ति शिशु को ले जाते हुए देखा गया, लेकिन उसकी पहचान स्पष्ट नहीं हो पाई. सभी कानूनी प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद शिशु को जीआरपी और आरपीएफ की मौजूदगी में चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (CWC) रांची को सौंप दिया गया, ताकि उसकी देखभाल और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.

राष्ट्रपति का जमशेदपुर दौरा: पहली बार शहर आएंगी द्रौपदी मुर्मू, सुरक्षा एजेंसियों ने तैयार किया 'ब्लू प्रिंट'।

भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के आगमन को लेकर जिला प्रशासन पूरी तरह अलर्ट मोड पर है. विशेषकर सड़क मार्ग पर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर ब्लू प्रिंट तैयार किया गया है. जमशेदपुर के एसएसपी ने बताया कि राष्ट्रपति के आगमन को लेकर सुरक्षा की सभी एजेंसियां अलर्ट हैं और सड़क किनारे भवनों की स्क्रीनिंग की जा रही है.

जमशेदपुर और सरायकेला का दौरा करेंगी राष्ट्रपति

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का जमशेदपुर में पहली बार आगमन हो रहा है. राष्ट्रपति के आगमन को लेकर जिला प्रशासन पूरी तरह अलर्ट मोड पर है. आपको बता दें कि राष्ट्रपति 29 दिसंबर 2025 को झारखंड दौरे पर हैं. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पूर्वी सिंहभूम जिले के जमशेदपुर के करनडीह जाहेर स्थान के अलावा सरायकेला खरसावां जिला के आदित्यपुर NIT में भी जाएंगी.

सुरक्षा व्यवस्था को लेकर की जा रही हैं व्यापक तैयारियां

जमशेदपुर सोनारी एयरपोर्ट पर राष्ट्रपति पहुंचेंगी. उसके बाद निर्धारित कार्यक्रम के लिए प्रस्थान करेंगी. राष्ट्रपति के आगमन को लेकर सोनारी एयरपोर्ट से करनडीह जाहेर स्थान और करनडीह से आदित्यपुर NIT तक मार्ग को पूरी तरह दुरुस्त किया जा रहा है. राष्ट्रपति के आगमन से प्रस्थान तक सुरक्षा व्यवस्था में कोई चूक ना हो, इसे लेकर व्यापक तैयारियां की जा रही हैं.

भवन, फ्लैट्स और अन्य स्थानों की चल रही स्क्रीनिंग

पूर्वी सिंहभूम जिला के एसएसपी पीयूष पांडेय ने बताया कि राष्ट्रपति के आगमन पर प्रोटोकॉल का पूरी तरह पालन किया जाएगा. राज्य पुलिस मुख्यालय से अतिरिक्त बल की मांग की गई है. सोनारी से करनडीह तक चप्पे-चप्पे तक फोर्स की तैनाती रहेगी. यातायात में कोई परेशानी न हो इसे लेकर रूट चार्ट बनाया गया है. सोनारी से कार्यक्रम स्थल तक रूट में जितने भी भवन, फ्लैट्स या अन्य व्यवस्था है, सभी की स्क्रीनिंग की जा रही है. सुरक्षा की सभी एजेंसियां अलर्ट पर हैं.

सिस्टम शर्मसार: चाईबासा में पिता को नसीब नहीं हुआ शव वाहन, 4 माह के मासूम का शव थैले में भरकर बस से ले जाने को मजबूर।

मानवता को झकझोर देने वाली एक बेहद दुःखद और शर्मनाक घटना पश्चिमी सिंहभूम जिले से सामने आई है. इस घटना ने स्वास्थ्य सिस्टम को सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया है. एक पिता अपने बच्चे का इलाज कराने सदर अस्पताल पहुंचा. जहां बच्चे की जान तो नहीं बच सकी लेकिन मासूम को शव वाहन तक भी नसीब नहीं हुआ. जिसके चलते पिता को अपने बच्चे का शव एक थैले में डालकर गांव ले जाना पड़ा.

दरअसल, नोवामुंडी प्रखंड के बालजोड़ी गांव निवासी डिम्बा चतोम्बा को अपने 4 माह के मासूम बच्चे के शव को सम्मान के साथ घर ले जाना था, जिसके लिए शव वाहन नसीब नहीं हुआ. मजबूरन असहाय पिता ने बच्चे के शव को थैले में रखकर बस से गांव ले जाने का फैसला किया.

इलाज के दौरान मासूम की मौत

प्राप्त जानकारी के अनुसार, डिम्बा चतोम्बा अपने बच्चे की तबीयत अचानक बिगड़ने पर उसे इलाज के लिए चाईबासा सदर अस्पताल लेकर पहुंचे थे. उन्हें उम्मीद थी कि अस्पताल में बेहतर इलाज मिलेगा, लेकिन इलाज के दौरान बच्चे की मौत हो गई. मासूम की मौत के बाद पूरा परिवार गहरे सदमे में चला गया.

शव वाहन के लिए घंटों की गुहार, नहीं मिली मदद

बच्चे की मौत के बाद परिजनों ने शव को गांव ले जाने के लिए अस्पताल प्रबंधन से शव वाहन उपलब्ध कराने की मांग की. परिजनों ने बताया कि वे घंटों तक अस्पताल परिसर में शव वाहन का इंतजार करते रहे, लेकिन कोई व्यवस्था नहीं मिली. इस मामले में अस्पताल प्रशासन ने न कोई वैकल्पिक व्यवस्था की और न ही किसी जिम्मेदार अधिकारी ने संवेदनशीलता दिखाई.

गरीबी और व्यवस्था की बेरुखी ने तोड़ा पिता का हौसला

गरीब और असहाय पिता डिम्बा चतोम्बा के पास निजी वाहन किराए पर लेने तक के साधन नहीं थे. प्रशासनिक संवेदनहीनता और स्वास्थ्य व्यवस्था की लापरवाही से परिजन पूरी तरह टूट गए. आखिरकार उन्हें बच्चे के शव को एक थैले में डालकर बस से बालजोड़ी गांव ले जाने को विवश होना पड़ा. यह देखकर वहां मौजूद लोगों की आंखें नम हो गई.

स्वास्थ्य व्यवस्था पर फिर उठे गंभीर सवाल

इस हृदयविदारक घटना ने एक बार फिर सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था और नि:शुल्क शव वाहन सेवा की पोल खोल दी है. सरकार गरीबों के लिए 108 एम्बुलेंस सेवा और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है.

ऊर्जा क्षेत्र में बड़ी छलांग: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिले PVNL के अधिकारी, राज्य को बिजली संकट से मिलेगी मुक्ति।

झारखंड के मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन से आज पतरातु विद्युत निगम लिमिटेड (PVNL) के एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की। बैठक के दौरान पीवीएनएल के सीईओ श्री अशोक कुमार सहगल ने मुख्यमंत्री को जानकारी दी कि 5 नवंबर 2025 से 800 मेगावाट की पहली यूनिट से बिजली का व्यावसायिक उत्पादन सफलतापूर्वक शुरू हो चुका है।

मुख्यमंत्री का आभार और विजन: सीईओ ने राज्य सरकार और मुख्यमंत्री द्वारा मिले निरंतर सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि झारखंड अब बिजली उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ चुका है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि राज्य का बिजली इंफ्रास्ट्रक्चर आधुनिक और सुदृढ़ करना उनकी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।

कौशल विकास पर निर्देश: बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने केवल ऊर्जा उत्पादन तक सीमित न रहकर सामाजिक जिम्मेदारी निभाने पर भी जोर दिया। उन्होंने PVNL के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे स्थानीय युवाओं के कौशल विकास (Skill Development) के लिए ठोस पहल करें, ताकि उन्हें रोजगार के बेहतर अवसर मिल सकें।