भोगनाडीह में सियासी घमासान: चंपाई सोरेन की सरकार को खुली चुनौती
साहिबगंज जिला प्रशासन की "कठिन शर्तों" के विरोध में शहीद वीर सिदो-कान्हू हूल फाउंडेशन ने 22 दिसंबर का कार्यक्रम रद्द कर दिया है। इस पर भाजपा नेता चंपाई सोरेन ने राज्य सरकार पर दमनकारी नीति अपनाने का आरोप लगाया है।
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1. प्रशासन की वो शर्तें जिन पर मचा बवाल
चंपाई सोरेन ने जिला प्रशासन द्वारा लगाई गई शर्तों को "तानाशाही" करार दिया है। उनके अनुसार प्रशासन ने निम्नलिखित मांगें रखी थीं:
वॉलेंटियर्स का डेटा: 30 वॉलेंटियर्स की सूची आधार कार्ड के साथ थाने में जमा करना।
सजावट पर रोक: स्टेडियम के बाहर एक गेट तक लगाने की अनुमति न देना।
प्रशासनिक जिम्मेदारी का बोझ: ट्रैफिक प्रबंधन और नशा मुक्ति की पूरी जिम्मेदारी आयोजकों पर डालना।
भारी सुरक्षा: खेल के मैदान से लेकर आयोजक के घर तक मजिस्ट्रेट की तैनाती।
2. चंपाई सोरेन का 'ओपन चैलेंज'
पूर्व सीएम ने इस स्थिति की तुलना नगड़ी आंदोलन (रिम्स-2) से करते हुए सरकार को सीधी चुनौती दी है:
30 जून 2026 का संकल्प: उन्होंने कहा कि आगामी हूल दिवस पर झारखंड, बंगाल, बिहार और ओडिशा से लाखों आदिवासी रथों के साथ भोगनाडीह पहुंचेंगे।
जेल भरो का संकेत: उन्होंने कहा कि अगर सरकार लाठी और एफआईआर की भाषा समझती है, तो आदिवासी समाज भी पीछे नहीं हटेगा। उन्होंने पूछा कि "इनके जेलों में कितनी जगह है?"
3. 'साहिबगंज में अघोषित प्रतिबंध' का आरोप
चंपाई सोरेन ने सवाल उठाया कि जब उन्हें रांची, जामताड़ा या पाकुड़ जैसे जिलों में कोई दिक्कत नहीं होती, तो साहिबगंज में ही प्रशासन इतना सख्त क्यों हो जाता है? उन्होंने इसे खुद को एक विशेष क्षेत्र में रोकने की साजिश बताया है।
4. शहीद के वंशजों की नाराजगी
शहीद सिदो-कान्हू के वंशज मंडल मुर्मू ने भी प्रशासन की मंशा पर सवाल उठाए हैं। उनके अनुसार, शर्तों को इस तरह तैयार किया गया था कि आयोजक किसी न किसी कानूनी विवाद या रंजिश में फंस जाएं, जिसके कारण अंततः कार्यक्रम स्थगित करना पड़ा।










2 hours and 53 min ago
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