झारखंड हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: रिम्स की जमीन पर अवैध निर्माण मामले में ACB जांच के आदेश
रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने रिम्स की 9.65 एकड़ अधिग्रहित भूमि पर अवैध कब्जे और बहुमंजिला इमारतों के निर्माण को गंभीरता से लेते हुए बड़ा आदेश सुनाया है। चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस सुजीत नारायण की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि भ्रष्टाचार के इस खेल में निर्दोष खरीदारों को बलि का बकरा नहीं बनाया जा सकता।
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फैसले के मुख्य बिंदु:
ACB जांच और FIR: अदालत ने पूरे घोटाले की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) को सौंप दी है। दोषी अधिकारियों और बिल्डरों पर प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने का निर्देश दिया गया है। साथ ही, भविष्य में CBI जांच के विकल्प को भी खुला रखा गया है।
दोषी अफसरों से वसूली: कोर्ट ने एक अभूतपूर्व मिसाल पेश करते हुए कहा कि फ्लैट खरीदारों के मुआवजे की राशि सरकारी कोष से नहीं, बल्कि दोषी अधिकारियों (सेवानिवृत्त या कार्यरत) और बिल्डरों की संपत्ति से वसूली जाएगी।
प्रशासनिक मिलीभगत पर प्रहार: 1964-65 में अधिग्रहित जमीन पर नक्शा पास करने, रजिस्ट्री करने, म्यूटेशन करने और RERA की मंजूरी देने वाले अधिकारियों की भूमिका की जांच होगी।
अतिक्रमण हटाओ अभियान: 3 दिसंबर के आदेश के बाद प्रशासन ने DIG ग्राउंड के पास बुलडोजर चलाकर अवैध इमारतों को गिराना शुरू कर दिया है। कोर्ट ने इस अभियान की धीमी रफ्तार पर नाराजगी जाहिर की और तेजी लाने का निर्देश दिया।
मामले की पृष्ठभूमि:
रांची के मोरहाबादी और कोकर मौजा में रिम्स की विस्तार के लिए रखी गई करीब 9.65 एकड़ जमीन को मिलीभगत से निजी बताकर बेच दिया गया था। इस पर अपार्टमेंट, मंदिर और बाजार बन गए थे। अब हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद इन अवैध ढांचों को गिराया जा रहा है।
अदालत की टिप्पणी: "यदि अधिकारी शुरू से सतर्क रहते, तो न सरकारी जमीन बिकती और न ही आम लोगों के घर उजड़ने की नौबत आती।"
प्रमुख जानकारी (Summarized Table)
विवरण जानकारी
संबंधित संस्थान रिम्स (RIMS), रांची
भूमि का विवरण 9.65 एकड़ (मोरहाबादी और कोकर मौजा)
अधिग्रहण वर्ष 1964-65
माननीय न्यायाधीश चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस सुजीत नारायण
जांच एजेंसी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB)
अगली सुनवाई 6 जनवरी, 2026
प्रभावित खरीदारों के लिए क्या है खास?
उनका आर्थिक नुकसान सुरक्षित करने के लिए मुआवजा सुनिश्चित किया गया है।
न्याय के लिए दोषी बिल्डरों और अफसरों की जिम्मेदारी तय कर दी गई है।
यह आदेश अन्य सरकारी जमीनों पर कब्जा करने वाले भू-माफियाओं के लिए एक बड़ी चेतावनी है।









7 hours ago
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