मेरठ में दवा व्यवसायियों का प्रदेश स्तरीय महासंगम, आंदोलन का ऐलान,कंपनियों की मनमानी और छापेमारी के नाम पर उत्पीड़न के खिलाफ आरसीडीए सख्त
मेरठ। रिटेल केमिस्ट एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स एसोसिएशन (आरसीडीए) की प्रदेश स्तरीय बैठक, अधिवेशन एवं कार्यशाला का आयोजन 15 दिसंबर को मेरठ में किया गया। इस महासंगम में प्रदेश के 42 जनपदों से आए दवा व्यवसायियों और प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक में दवा व्यापार से जुड़ी जमीनी समस्याओं, कंपनियों की मनमानी, पुलिस-प्रशासन की कार्रवाई और भविष्य की रणनीति पर गहन मंथन हु बैठक की अध्यक्षता करते हुए प्रदेश अध्यक्ष गोपाल अग्रवाल ने कहा कि वर्तमान समय में दवा कंपनियों की मनमानी चरम पर है। उन्होंने कहा कि “इतने वर्षों के अनुभव में पहली बार देखा जा रहा है कि कंपनियां थोक और फुटकर दवा व्यापारियों पर दबाव बनाकर नियमों के विपरीत फैसले थोप रही हैं।”प्रदेश महामंत्री राजेंद्र सैनी ने बोरिंगम कंपनी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि कंपनी ने नियमों के विरुद्ध थोक और फुटकर दवा विक्रेताओं का मार्जिन व कमीशन घटा दिया है। इसे तानाशाही करार देते हुए उन्होंने प्रदेशभर में बोरिंगम कंपनी के बहिष्कार (बायकॉट) का आह्वान किया। बैठक में प्रदेश वरिष्ठ मंत्री लालू मित्तल ने कोडीन सिरप और नारकोटिक दवाओं के नाम पर की जा रही छापेमारी को लेकर कड़ा विरोध दर्ज कराया। उन्होंने कहा कि देशभर में चल रही कार्रवाई के कारण ईमानदारी से दवा कारोबार करने वाले निर्दोष व्यापारी भयभीत हैं।उन्होंने स्पष्ट किया कि “प्रदेश का कोई भी जिम्मेदार दवा व्यवसायी न तो नकली दवाएं बेचता है और न ही नशे की दवाओं का अवैध कारोबार करता है। हम ड्रग एक्ट और कानून के तहत डॉक्टर के पर्चे पर ही दवाएं बेचते हैं।” लालू मित्तल ने आरोप लगाया कि कुछ गिने-चुने तथाकथित संगठनों से जुड़े लोग ही कोडीन सिरप का अवैध व्यापार कर उसे नेपाल और बांग्लादेश भेजते हैं, लेकिन उनकी वजह से पूरे दवा व्यापार समुदाय को शोषण और उत्पीड़न झेलना पड़ रहा है।उन्होंने छापेमारी के दौरान पुलिस के हस्तक्षेप को दवा व्यवसायियों की सामाजिक प्रतिष्ठा पर आघात बताया और कहा कि कई बार पुलिस बिना पूरी जानकारी के एनडीपीएस एक्ट की गंभीर धाराएं लगा देती है। उन्होंने धारा 37 का उल्लेख करते हुए कहा कि यह धारा कोकीन, गांजा, स्मैक और हीरोइन जैसे नशीले पदार्थों के मामलों में लगती है, जिसमें न्यूनतम 10 साल की सजा और आजीवन कारावास तक का प्रावधान है, जबकि चिकित्सकीय उपयोग में आने वाली दवाओं पर इसका अंधाधुंध प्रयोग अनुचित है।उन्होंने ट्रामाडोल, अल्प्राजोलाम जैसी दवाओं का उदाहरण देते हुए बताया कि ये कैंसर, हृदय रोग, मानसिक अवसाद जैसी गंभीर बीमारियों में डॉक्टरों द्वारा लिखी जाने वाली आवश्यक दवाएं हैं। कार्यक्रम का संचालन, बैठक का एजेंडा, पिछली रिपोर्ट की समीक्षा, क्रियान्वयन और भविष्य की योजनाओं का प्रस्तुतीकरण प्रदेश कोषाध्यक्ष प्रवीण बाजपेयी ने किया।बैठक में यह निर्णय लिया गया कि अगले तीन माह में विभिन्न मुद्दों को लेकर प्रदेशव्यापी आंदोलन चलाया जाएगा। साथ ही मार्च के दूसरे या तीसरे सप्ताह में अगली प्रदेश स्तरीय बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया गया।प्रत्येक जिले को निर्देश दिए गए कि आगामी तीन महीनों में कम से कम पांच जिलों का दौरा कर संगठन को मजबूत करने और अगली बैठक की तैयारी की जाए। इस अधिवेशन में प्रदेश अध्यक्ष गोपाल अग्रवाल (मेरठ), महामंत्री राजेंद्र सैनी (कानपुर), कोषाध्यक्ष प्रवीण बाजपेयी (कानपुर), वरिष्ठ मंत्री लालू मित्तल (प्रयागराज), संगठन मंत्री पुनीत सिंघल (गाजीपुर) सहित कानपुर, गाजीपुर, जौनपुर, इटावा, मेरठ, बरेली, बाराबंकी, रायबरेली, वाराणसी, फतेहपुर, गाजियाबाद, नोएडा, गोरखपुर, लखनऊ और प्रयागराज से आए सैकड़ों दवा व्यवसायियों ने अपने सुझाव रखे।कार्यक्रम के अंत में मेरठ दवा व्यापार मंडल की पूरी टीम का अंगवस्त्र और माल्यार्पण कर सम्मान किया गया। बैठक में संगठन को और सशक्त बनाने का संकल्प लिया गया।
11 hours ago
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