अजमेर में वॉटरशेड महोत्सव आयोजित: पिरामल फाउंडेशन के साथ मिलकर दिया समुदाय आधारित जल संरक्षण पर जोर

अजमेर, राजस्थान: राजस्थान सरकार ने शनिवार को अजमेर के जेएलएन मेडिकल कॉलेज ऑडिटोरियम में वॉटरशेड महोत्सव का आयोजन किया। यह कार्यक्रम मुख्य रूप से मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान (एमजेएसए) और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के जरिए जिले में हुए प्रगति का जश्न मनाने पर आधारित रहा। महोत्सव का मूल विचार यही था कि जल सुरक्षा तभी मजबूत होती है, जब इसे समुदाय खुद आगे बढ़कर लागू करे।

पाँच जिलों की टीमों ने अपने अनुभव साझा किए। पंचायत राज संस्थाओं, स्थानीय नेतृत्व और समुदाय समूहों के प्रतिनिधियों ने बताया कि जमीनी स्तर पर क्या बदलाव आया है और वॉटरशेड कार्यों से लोगों की जिंदगी में कैसे सुधार हुआ। कार्यक्रम में माननीय सांसद श्री भागीरथ चौधरी जी और विधायक वासुदेव देवनानी जी के साथ-साथ अजमेर के अन्य महत्वपूर्ण जिला अधिकारी शामिल रहे।

वॉटरशेड और मृदा संरक्षण विभाग के साझेदार के रूप में पिरामल फाउंडेशन ने कार्यक्रम का संचालन करने में अहम् भूमिका निभाई। समुदाय की भागीदारी से जल स्रोतों को फिर से जीवित करने के प्रयासों पर खास फोकस रहा, ताकि जल सुरक्षा को और मजबूत किया जा सके।

कार्यक्रम में पिरामल फाउंडेशन और ए.टी.ई. चंद्रा फाउंडेशन (एटीईसीएफ) द्वारा साथ मिलकर बनाई गई एक शॉर्ट फिल्म भी दिखाई गई। इस फिल्म में बताया गया कि यदि तालाबों से गाद निकाल दी जाए, तो कैसे उनमें पानी जमा होने की क्षमता साफ तौर पर बढ़ जाती है। और यह काम मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान (एमजेएसए) के तहत कैसे किया जा सकता है। साथ ही यह भी समझाया गया कि इसके लिए फिफ्टींथ फाइनेंस कमीशन (एफएफसी) की राशि का उपयोग किस तरह होता है। फिल्म के जरिए लोगों के सामने एक ऐसा आसान और कम खर्च वाला मॉडल पेश किया गया, जो जन भागीदारी पर आधारित है और जिसमें समुदाय सिर्फ हिस्सा ही नहीं बने, बल्कि उसकी जिम्मेदारी भी खुद ले।

पिछले तीन वर्षों में ए.टी.ई. चंद्रा फाउंडेशन और उसके सहयोगी संगठनों ने राजस्थान के 12 जिलों में करीब 1,200 जलाशयों को पुनर्जीवित करने में मदद की। हाल के चरण में यह काम वित्त आयोग (एफएफसी) की मदद से और पिरामल फाउंडेशन के साथ मिलकर और आगे बढ़ाया गया। इस पूरे काम का करीब 14 प्रतिशत हिस्सा नीति आयोग के आकांक्षी जिलों और ब्लॉक्स में हुआ। इससे लगभग 1,200 करोड़ लीटर अतिरिक्त पानी जमा करने की क्षमता बनी, जो 12 लाख से ज्यादा पानी के टैंकर्स के बराबर है। इस पहल से लगभग 1,800 गाँवों के करीब 18 लाख लोगों को फायदा पहुँचा।

डब्ल्यूआरआईएस के आँकड़ों के मुताबिक राजस्थान में करीब 82 हजार जलाशय हैं, जिनमें से लगभग 49 हजार को पुनर्जीवित किया जा सकता है। यदि जल निकायों के पुनरुद्धार (आरडब्ल्यूबी) को मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान (एमजेएसए) के साथ बड़े स्तर पर जोड़ा जाए, तो करीब 26 हजार गाँवों में जल सुरक्षा मजबूत हो सकती है। इससे करीब 33,210 करोड़ लीटर पानी जमा करने की क्षमता बन सकती है, भूजल रिचार्ज बेहतर होगा और पानी के टैंकरों पर होने वाले खर्च में लगभग 9,963 करोड़ रुपये की बचत संभव है।

इस अवसर पर पिरामल फाउंडेशन की स्कूल ऑफ क्लाइमेट एंड सस्टेनेबिलिटी की प्रमुख संगीता ममगैन ने कहा , "पिछले 17 वर्षों से पिरामल फाउंडेशन राजस्थान सरकार के साथ मिलकर स्कूल नेतृत्व, शिक्षकों की क्षमता और छात्रों की पढ़ाई के नतीजों को बेहतर बनाने पर काम करता रहा है। इसी अनुभव के आधार पर अब फाउंडेशन गांधी फेलोशिप मॉडल को प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन से जोड़ रहा है। अजमेर में एमजेएसए के तहत वॉटरशेड विकास एवं मृदा संरक्षण निदेशालय के साथ मिलकर जल स्रोतों के मशीन आधारित पुनर्जीवन में सहयोग किया गया, ताकि राजस्थान को जलवायु के लिहाज से ज्यादा मजबूत बनाया जा सके।"

इस मौके पर ए.टी.ई. चंद्रा फाउंडेशन की सीओओ अमृता कस्तूरी रंगन ने कहा , "राजस्थान पानी की अहमियत को अच्छी तरह समझता है। जब विभाग और फाउंडेशन एक साथ आते हैं, तो काम का असर कई गुना बढ़ जाता है। पिछले कुछ सालों में यह साफ दिखा है कि जब लोग, संस्थान और सिस्टम मिलकर काम करते हैं, तो जल स्रोतों का पुनर्जीवन तेजी से होता है। वॉटरशेड महोत्सव उसी साझी मेहनत को सराहने का एक मौका है। ए.टी.ई. चंद्रा फाउंडेशन आगे भी ऐसे ही काम करता रहेगा, जिनमें लोगों को केंद्र में रखा जाए, पर्यावरण की रक्षा हो और आने वाले समय के लिए जल सुरक्षा मजबूत बने।"

वॉटरशेड विकास एवं मृदा संरक्षण विभाग, राजस्थान सरकार के निदेशक, आईएएस श्री मुहम्मद जुनैद पी. पी. ने कहा , "मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान के पहले चरण में जमीन पर बेहतर नतीजे मिले हैं, लेकिन आगे का सफर अभी लंबा है। सामाजिक संगठनों और सीएसआर साझेदारों के साथ मिलकर हम सबसे असरदार उपाय और नए प्रयोग पेश करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, ताकि अगला चरण सही दिशा में आगे बढ़ सके। उनके अनुसार, मिलकर एक साफ कार्ययोजना तय करने से लंबे समय तक जुड़ाव बना रहेगा और राजस्थान के गाँवों को स्थायी लाभ मिल सकेगा।"

वॉटरशेड महोत्सव का उद्देश्य समाज के लोगों, सरकारी टीमों और साझेदार संगठनों को एक साथ लाना रहा। यहाँ जमीनी स्तर पर हो रहे उत्कृष्ट कार्यों को पहचानने, उनसे सीखने और जल सुरक्षित राजस्थान की ओर और तेजी से बढ़ने पर जोर दिया गया।

“AEL लिया क्या” अदाणी के राइट्स इश्यू पर बाजार में मचा धमाल

AEL लिया क्या” अदाणी के राइट्स इश्यू पर बाजार में मचा धमाल - Parakh Khabar

अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (एईएल) के राइट्स इश्यू, इन दिनों शेयर बाजार में जबरदस्त चर्चा में है। निवेशकों की दिलचस्पी इतनी ज्यादा है कि इसकी राइट्स एंटाइटलमेंट (आरई) की कीमत दो ही ट्रेडिंग सेशंस में 23% बढ़कर सबको हैरान कर चुकी है। 3 दिसंबर को यह ₹349.80 थी जो 5 दिसंबर को बढ़कर ₹430.65 तक पहुंच गई। नए शेयरहोल्डिंग पैटर्न के अनुसार, एईएल में प्रमोटरों की हिस्सेदारी करीब 72% है, जबकि संस्थागत निवेशकों की भागीदारी लगभग 20% और खुदरा निवेशकों की हिस्सेदारी करीब 8% दर्ज की गई है।

इसके साथ ही एईएल के मुख्य शेयर में भी मजबूती देखी गई, जो ₹2,190 से बढ़कर ₹2,265 तक पहुंच गया। यानी निवेशकों की नजर सिर्फ आरई पर नहीं, पूरे स्टॉक पर है। इसका सबसे बड़ा कारण राइट्स इश्यू का ₹1,800 प्रति शेयर का आकर्षक प्राइस है, जो मौजूदा बाजार मूल्य से काफी कम है। यही वजह है कि यह ऑफर आम निवेशकों को भी सस्ता और मजबूत मौका लगता है। निवेशकों की दिलचस्पी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि राइट्स इश्यू शुरू होने के नौ दिनों में जितनी बिड्स आईं, उनमें से लगभग आधी सिर्फ दो दिनों में आ गईं। यह साफ दिखाता है कि बाजार में एईएल के शेयर को लेकर उत्साह एकदम चरम पर है। ₹25,000 करोड़ की यह इश्यू भारत की सबसे बड़ी पेशकशों में से एक मानी जा रही है और इसे पार्टली-पेड मॉडल में लाया गया है, ताकि निवेशकों को पूरी रकम एक साथ न देनी पड़े। पहले थोड़ा, फिर धीरे-धीरे बाकी यह व्यवस्था आम निवेशकों के लिए आसान और आकर्षक बन गई है।

एईएल को लेकर यह उत्साह यूं ही नहीं है। कंपनी एयरपोर्ट, ग्रीन हाइड्रोजन, डेटा सेंटर और डिफेंस जैसे उन सेक्टर्स में तेजी से विस्तार कर रही है, जिन्हें भारत की अगली दशक की ग्रोथ स्टोरी का इंजन माना जा रहा है। निवेशकों का मानना है कि एईएल आने वाले वर्षों में उन बड़े बदलावों के केंद्र में रहेगी, जो भारत की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे। यही भरोसा इस राइट्स इश्यू को निवेशकों के बीच बेहद लोकप्रिय बना रहा है। राइट्स एंटाइटलमेंट लेने की आखिरी तारीख 10 दिसंबर 2025 है और जैसे-जैसे यह समय करीब आ रहा है बाजार में उत्साह और बढ़ता जा रहा है। जिस तरह से आरई की कीमत उछली है और आवेदन की रफ्तार बढ़ी है, उससे एक ही बात साफ दिखाई देती है एईएल के इस ऑफर को लेकर निवेशकों का माहौल गरम है और उनका नारा भी जोर से गूंज रहा है, “मुझे भी चाहिए एईएल!”

भारतीय राजनीति में उपनामों की परंपरा - डॉ अतुल मलिकराम (राजनीतिक रणनीतिकार)

भारत हो या विश्व का कोई भी देश, राजनीति में राजनेताओं को दिए जाने वाले उपनाम केवल संबोधन के लिए नहीं होते, बल्कि जनता के मन में बसे उनके व्यक्तित्व, योगदान और छवि का प्रतिनिधित्व भी करते हैं। आज़ादी के पहले या बाद में, यह परंपरा निरंतर चलती रही है। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को बच्चे प्यार से चाचा नेहरू कहकर पुकारते थे। यह उपनाम उनके बच्चों के प्रति विशेष लगाव और उनकी कोमल, सहृदय छवि का प्रतीक बन गया। दूसरी ओर, देश को एकजुट करने वाले प्रथम उपप्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल को लौह पुरुष कहा गया। यह उपनाम उनके कठोर इरादों और देश को सैकड़ों रियासतों से जोड़ने की अद्वितीय क्षमता का परिणाम था।

राजनीति में महिला नेतृत्व की पहचान भी उपनामों के माध्यम से ही मजबूत हुई है। भारत की पहली और अब तक की एकमात्र महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को उनके दृढ़ फैसलों और निर्णायक नेतृत्व के कारण आयरन लेडी कहा गया। वहीं तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता को जनता अम्मा के रूप में पूजती थी, क्योंकि उन्होंने कई कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से लोगों तक सीधे लाभ पहुंचाया का काम किया था। इसी तरह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को दीदी के नाम से जाना जाता है। यह उपनाम उनकी सादगी और संघर्षशील छवि को दर्शाता है।

बहुजन राजनीति में उपनामों का महत्व और भी अधिक दिखाई देता है। दलित आंदोलन के प्रमुख नेता जगजीवन राम को प्यार से बाबूजी कहा जाता था। उनकी संवेदनशीलता और सिद्धांतवादी राजनीति ने उन्हें देश के सबसे सम्मानित नेताओं में शामिल किया। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती को उनकी पार्टी और समर्थकों के बीच बहनजी के नाम से संबोधित किया जाता है, जो उन्हें एक संरक्षक और मार्गदर्शक के रूप में प्रस्तुत करता है। इसके अतिरिक्त डॉ. सोनेलाल पटेल के संदर्भ में दूसरी आज़ादी के महानायक जैसे उपनाम यह सिद्ध करते हैं कि क्षेत्रीय राजनीति में भी नेता केवल अपने संगठनात्मक कौशल से नहीं, बल्कि अपने वैचारिक संघर्षों से जनता में अमिट छाप छोड़ सकते हैं। सामाजिक न्याय को लेकर उनका संघर्ष उन्हें ऐसे नेताओं की श्रेणी में लाता है, जिन्हें लोग किसी विचारधारा की ताकत के रूप में याद करते हैं।

समाजवादी राजनीति में भी यह संस्कृति स्पष्ट रही है। यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को उनके अनुयायियों और कार्यकर्ताओं ने नेताजी का दर्जा दिया, क्योंकि वे साधारण कार्यकर्ता से बढ़कर एक बड़े जननेता के रूप में उभरे। वर्तमान में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लोग बुलडोजर बाबा कहकर बुलाने लगे हैं, जहां यह उपनाम उनके जीरो-टॉलरेंस मॉडल और माफिया के खिलाफ कार्रवाई के कारण लोकप्रिय हुआ।

यह सभी उदाहरण बताते हैं कि भारत की राजनीतिक संस्कृति में उपनाम केवल संज्ञा नहीं, बल्कि एक प्रतीक होते हैं जो किसी नेता की विचारधारा, कार्यशैली और जनसंपर्क को समझाने का सरल तरीका समझे जा सकते हैं। यह उपनाम कभी जनता देती है, कभी मीडिया, और कई बार विरोधी दल भी व्यंग्यात्मक रूप से फेंकू या पप्पू जैसे नाम गढ़ते हैं जो बाद में लोकप्रिय हो जाते हैं।

स्कोडा ऑटो इंडिया ने भारत में अपने 25वें साल में 500,000 गाड़ियों की बिक्री का माइलस्टोन हासिल किया ,नवंबर में 90% साल-दर-साल ग्रोथ दर्ज किया

नवंबर 2025 में 5,491 यूनिट्स बेचीं *

स्कोडा ऑटो ने 2025 के पहले दस महीनों में ही अपनी अब तक की सबसे ज़्यादा बिक्री दर्ज कर ली थी
बिलासपुर, दिसंबर 2025* – स्कोडा ऑटो इंडिया भारत में अपनी ग्रोथ जारी रखे हुए है, भारत में अपनी एंट्री के बाद से 5 लाख यूनिट्स की बिक्री का लैंडमार्क पार कर लिया है। अपनी सिल्वर जुबली में, ब्रैंड पहले ही कई मंथली, क्वार्टरली और एनुअल माइलस्टोन हासिल कर चुकी है। और 2025 के आखिरी से पहले महीने में, ब्रैंड ने देश में 5,491 यूनिट्स बेचीं, जो पिछले साल के इसी महीने के मुकाबले 90% साल-दर-साल रिकॉर्ड ग्रोथ रहा। ग्रोथ पर कमेंट करते हुए, स्कोडा ऑटो इंडिया के ब्रैंड डायरेक्टर, आशीष गुप्ता ने कहा, “हमारा बढ़ता नेटवर्क, हमारी वैल्यू-ड्रिवन ओनरशिप ऑफरिंग, और बड़ा प्रोडक्ट पोर्टफोलियो मुख्य ड्राइविंग फोर्स रहे हैं, जिन्होंने हमारी 5 लाख लैंडमार्क सेल्स और हर महीने हमारी लगातार साल-दर-साल सेल्स ग्रोथ को बढ़ाया है। हम अपने प्रोडक्ट्स के साथ और अपने कस्टमर्स और अपने फैंस के करीब जाकर इस मोमेंटम को बनाए रखेंगे।” *सेडान लेगेसी* स्कोडा ऑटो ने भारत में एक मजबूत सेडान लेगेसी के साथ खुद को स्थापित किया। 130 साल की ग्लोबल लेगेसी और भारत में 25 साल के इतिहास के साथ, ऑक्‍टेविया ब्रैंड के लिए एक मजबूत लेगेसी रही है। अपनी 25वीं वर्षगाँठ पर ब्रैंड ने जो कई माइलस्टोन हासिल किए हैं, उनमें ऑक्‍टेविया आरएस की वापसी भी शामिल है, जो भारत की सबसे पसंदीदा गाड़ियों में से एक है। भारत को अलॉट की गई हर ऑक्‍टेविया यूनिट बुकिंग खुलने के 20 मिनट के अंदर बिक गई। और 1.0 टीएसआई और 1.5 टीएसआई फॉर्म में स्लाविआ सेडान के साथ, स्कोडा ऑटो इंडिया भारत में अपनी सेडान लेगेसी को जारी रखे हुए है। *हर हौसले की उड़ान के लिए एक एसयूवी* रुपए 7.5 लाख से लेकर Rs 45.9 लाख तक, स्कोडा ऑटो इंडिया के पास एसयूवी का एक बड़ा पोर्टफोलियो है जो देश में हर ज़रूरत और ख्वाहिश को पूरा करता है। कोडियाक, जिसे पहली बार 2017 में भारत और दुनिया में पेश किया गया था, अपनी नई जेनरेशन में अपनी कीमत पर एक यूनिक लग्ज़री 4एक्स4 ऑफरिंग के तौर पर जारी है। कुषाक, भारत के लिए बने, दुनिया के लिए तैयार एमक्यूबी-ए0-आईएन प्लेटफॉर्म पर आधारित पहली स्कोडा गाड़ी है, जो लग्ज़री, टेक्नोलॉजी और स्कोडा के सिग्नेचर ऑन-रोड डायनामिक्स का मिश्रण देती है और ग्लोबल एनसीएपी के नए, सख्त टेस्टिंग नॉर्म्स के तहत एडल्ट और चाइल्ड ऑक्यूपेंट दोनों के लिए पूरे फाइव स्टार पाने वाली भारत की पहली गाड़ी भी बन गई। इसके अलावा, सेफ्टी की विरासत को आगे बढ़ाते हुए कयलाक एसयूवी ने भारत एनसीएपी के सेफ्टी टेस्ट में बड़ों और बच्चों की सेफ्टी के लिए पूरे पांच स्टार हासिल किए हैं। अपने बड़े प्रोडक्ट पोर्टफोलियो, कस्टमर-सेंट्रिक ऑफरिंग और पैकेज, और 180 शहरों में 320 से ज़्यादा कस्टमर टचपॉइंट तक विस्तार के साथ, स्कोडा ऑटो इंडिया अपने अब तक के सबसे बड़े साल में भी ग्रोथ की अपनी रफ़्तार बनाए रखने के लिए तैयार है।
दलित,जातिवाद समाप्त करने के लिए सवर्ण लड़की की ही मांग क्यों करते हैं : सूरज प्रसाद चौबे

लखनऊ। राष्ट्रीय सवर्ण आर्मी भारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरज प्रसाद चौबे ने कहा कि दलित , जातिवाद समाप्त करने के लिए सवर्ण लड़की की ही मांग क्यों करते है किसी दूसरे दलित जातियों या जनजातियों के साथ अपनी लड़की का संबंध क्यों नहीं करते अथवा अपनी लड़की का विवाह किसी बेरोजगार ब्राह्मण लड़के के साथ करके जातिवाद खत्म करने की बात बात क्यों नहीं करते,लाखों बेरोजगार ब्राह्मण लड़के है जो किसी दलित उच्च अधिकारी,सांसद , विधायक,मंत्री की बेटी से सहर्ष विवाह के लिए बैठे हैं,दरअसल बात न तो जातीय भेदभाव की है और न विवाह संबंध की है।

 पांच पीढ़ियों से हराम का आरक्षण खाकर इनकी मानसिकता कुंठित हो गई है। ये कुंठित लोग किसी न किसी बहाने दिन रात सिर्फ सवर्ण की अपमानित करके,जातिवादी नफ़रत फैलाने का काम करते है इन्हें पता है कि एससीएसटी एक्ट जैसे जातिवादी इन्हें पूरी तरह कानूनी सुरक्षा दे रहा है,जातीय संगठन इनका अंध समर्थन करते हैं इसलिए बेखौफ होकर जातिवादी नफ़रत फैलाते हैं । अंतर्जातीय विवाह से जाती समाप्त करने की बात चरम मूर्खतापूर्ण विचार है । हर साल लाखों की संख्या में अंतर्जातीय विवाह होते स्वांग अम्बेडकर ने भी अंतरजातीय विवाह किया था परन्तु आज तक किसी कि भी जाति समाप्त नहीं हुई । अंतरजातीय विवाह करने के बाद भी उनकी संताने सरकारी जाति प्रमाण पत्र बनवा कर पीढ़ी दर पीढ़ी आरक्षण का लाभ उठा रहे हैं । अंतर्जातीय विवाह की बात सिर्फ सवर्ण के साथ क्यों दलित जनजातियों और ओबीसी की हजारों जातियां आपस में विवाह संबंध बनाकर जातिवाद समाप्त करने का प्रयास क्यों नहीं करते क्या दलित पिछड़ो को आपस में विवाह से कोई ब्राह्मण रोका है।

इस वर्ष की तीसरी तिमाही में एसुस, भारत में दूसरी सबसे बड़ी कंज्यूमर नोटबुक कंपनी; सालाना 7% बढ़त

नई दिल्ली, नवंबर 2025 : ताइवान की प्रमुख टेक्नोलॉजी कंपनी, एसुस इंडिया ने वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही के लिए भारत में कंज्यूमर नोटबुक कंपनी के रूप में दूसरा स्थान हासिल कर अपनी स्थिति मजबूत कर ली है। यह रैंकिंग आईडीसी क्वार्टरली पर्सनल कम्प्यूटिंग डिवाइस ट्रैकर, 2025 क्यू3 के अनुसार है।

यह उपलब्धि इस बात को उजागर करती है कि एसुस हर साल उल्लेखनीय वृद्धि कर रहा है। यह वृद्धि ब्रांड के प्रति ग्राहकों के भरोसे को बनाए रखने, प्रोडक्ट पोर्टफोलियो के विस्तार और भारत के 600 से अधिक जिलों में रिटेल टचपॉइंट्स बढ़ाने के प्रयासों का परिणाम है।

एसुस इंडिया ने बिज़नेस के विस्तार से लेकर नए पार्टनर्स को जोड़ने और विभिन्न बाजारों में अपनी उपस्थिति मजबूत करने तक महत्वपूर्ण भूमिका बनाई है। इसके अतिरिक्त, ब्रांड ने एसुस एआई पीसी, कंज्यूमर और गेमिंग नोटबुक्स के साथ-साथ एआईओ, डेस्कटॉप और एक्सेसरीज़ सेग्मेंट्स में महत्वपूर्ण नवाचार भी पेश किए हैं। 

इस साल एसुस ने मल्टी-कलर विवोबुक, आरओजी एली एक्स और कई सफल कैम्पेन्स लॉन्च किए, जो दर्शकों के बीच काफी लोकप्रिय हुए। एआईओ सेग्मेंट ने भी इसने बाजार में दबदबा बनाए रखा और प्रमुख ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर सबसे ज्यादा बिकने वाले प्रोडक्ट्स में शामिल रहा।

एसुस इंडिया ने सबसे हल्का कोपायलट + पीसी, आरओजी एली ज़ेनबुक ए14 लॉन्च किया और भारत में एनवीडिया आरटीएक्स 5000 सीरीज़ में नंबर 1 मार्केट शेयर हासिल किया। एसुस ने अपने डेस्कटॉप और एआईओ लाइन-अप के जरिए भारत के लिए कई नए डिवाइसेस और सॉल्यूशंस भी पेश किए। 

अर्नोल्ड सू, वाइस प्रेसिडेंट, कंज्यूमर एंड गेमिंग पीसी, सिस्टम बिज़नेस ग्रुप, एसुस इंडिया, ने कहा, "वर्ष 2025 की शुरुआत से ही हम एक ही लक्ष्य को हासिल करने पर काम कर रहे हैं- भारत में खुद को ऐसे पीसी ब्रांड के रूप में स्थापित करना, जो टेक्नोलॉजी के जरिए ग्राहकों के लिए सुविधा लाए। हमें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि कंज्यूमर नोटबुक पीसी कैटेगरी में हमने सालाना 7% की वृद्धि दर्ज की है, और अब हम इस कैटेगरी में दूसरे सबसे बड़े ब्रांड बन गए हैं। भविष्य में, हम अलग-अलग ग्राहक समूहों के लिए अत्याधुनिक सॉल्यूशंस देने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिससे यूज़र्स को और भी बेहतर अनुभव मिल सके।"

एसुस ने सम्पूर्ण भारत में अपने रिटेल नेटवर्क को मजबूत किया है। कंपनी के पास वर्तमान में 624 जिलों में 320 से अधिक एक्सक्लूसिव स्टोर्स, 20 आरओजी स्टोर्स और 5000 से अधिक मल्टी-ब्रांड आउटलेट्स का व्यापक नेटवर्क है। ई-कॉमर्स चैनल्स पर भी कंपनी की मजबूत पकड़ है, यानि क्विक कॉमर्स चॅनेल्स के जरिए अब एसुस लैपटॉप्स और एक्सेसरीज़ की डिलीवरी करता है। इसके अलावा, एसुस ने रिटेल टचपॉइंट्स को डिजिटल लर्निंग और गेमिंग अनुभव के केंद्र में बदल दिया है और लोकल इकोसिस्टम के साथ मिलकर वर्कशॉप्स और इवेंट्स आयोजित कर रहा है। यह स्ट्रेटेजी ब्रांड के प्रति निष्ठा बढ़ाती है और टियर 2 और 3 शहरों में नए क्रिएटर्स का समर्थन करती है।

वर्ष 2025 से आगे बढ़ते हुए, एसुस इंडिया वर्ष 2026 में और भी बड़े कदम उठाने के लिए तैयार है, जिसमें एआई पीसी और प्रीमियम प्रोडक्ट पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाएगा, ताकि बदलते पीसी मार्केट में नेतृत्व हासिल किया जा सके। कंपनी का लक्ष्य वर्ष 2026 में पहली पोज़िशन हासिल करना है।

आईडीसी के अनुसार, भारत के पारंपरिक पीसी मार्केट (डेस्कटॉप, नोटबुक और वर्कस्टेशन) ने 2025 की तीसरी तिमाही में अब तक का सबसे मजबूत प्रदर्शन दर्ज किया, जिसमें शिपमेंट्स 4.9 मिलियन यूनिट्स तक पहुँचे। यह सालाना 10.1% की मजबूत वृद्धि दर्शाता है। इसके अतिरिक्त, वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही में रिकॉर्ड की गई 4.5 मिलियन यूनिट्स की पिछली उच्चतम संख्या को आसानी से पार करना भी महत्वपूर्ण उपलब्धि में शामिल है।

अदाणी कॉन्क्लेव में राम और कृष्ण ने बताया- समय बदला है आदर्श नहीं

अदाणी कॉर्पोरेट हाउस में आयोजित ग्लोबल इंडोलॉजी कॉन्क्लेव में दुनिया भर से आए विद्वान इंडोलॉजी, भारतीय दर्शन और सांस्कृतिक अध्ययन पर अपने शोध और अनुभव साझा कर रहे हैं। कार्यक्रम का उद्देश्य वैश्विक अकादमिक जगत में भारतीय ज्ञान परंपरा को नई ऊर्जा देना है। राम की शांति और कृष्ण की बुद्धि ने अदाणी कॉन्क्लेव को खास बना दिया। अदाणी ने शिक्षा मंत्रालय के इंडियन नॉलेज सिस्टम के साथ मिलकर आयोजित तीन दिवसीय ग्लोबल इंडोलॉजी कॉन्क्लेव में भारतीय सभ्यता, भाषा, दर्शन और सांस्कृतिक विरासत पर केंद्रित खास चर्चा की। एक विशेष सत्र में टीवी धारावाहिकों में राम और कृष्ण की भूमिका निभाने वाले प्रमुख कलाकार अरुण गोविल और नीतीश भारद्धाज ने समकालीन जीवन में इन दोनों पात्रों की प्रासंगिकता पर विस्तार से विचार रखे।

अदाणी ग्लोबल इंडोलॉजी कॉन्क्लेव के समारोह में अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी ने भारत नॉलेज ग्राफ निर्माण के लिए एक ऐतिहासिक प्रतिबद्धता की घोषणा की, उन्होनें कहा, “एक शुरुआत के तौर पर मैं भारत नॉलेज ग्राफ के निर्माण और इस इंडोलॉजी मिशन में योगदान देने वाले विद्वानों और तकनीकी विशेषज्ञों के समर्थन के लिए 100 करोड़ रुपये के संस्थापक योगदान की घोषणा करते हुए विनम्र महसूस कर रहा हूँ। यह एक सभ्यतागत ऋण की अदायगी है।”

इस सत्र में भाग लेते हुए मेरठ से सांसद और रामायण में ‘राम’ की भूमिका निभा चुके अरुण गोविल ने कहा कि राम केवल एक धार्मिक पात्र नहीं बल्कि “मूर्तिमंत्र” हैं एक ऐसा आदर्श जो व्यक्ति और समाज दोनों को मार्ग दिखाता है। उन्होंने कहा कि रामायण केवल धर्मग्रंथ नहीं बल्कि पारिवारिक और सामाजिक रिश्तों का विस्तृत तानाबाना है, जो हर युग में प्रासंगिक रहता है। गोविल ने बताया कि राम का जीवन इसलिए प्रेरक है क्योंकि उन्होंने पुत्रधर्म और राजधर्म दोनों को समान संतुलन के साथ निभाया। उनके अनुसार, राम नैतिकता, मानवीय मूल्यों और सकारात्मकता के प्रतीक हैं और उनकी जीवन यात्रा अपने-आप में एक शिक्षावली सूत्र है।

महाभारत में ‘कृष्ण’ का किरदार निभाने वाले नीतीश भारद्धाज ने कहा कि कृष्ण ने त्रेता युग में स्थापित राम के आदर्शों को द्वापर युग में आगे बढ़ाया और उन्हें व्यावहारिक धरातल पर लागू किया। उन्होंने कहा, “सनातन हिंदू सभ्यता को विकसित करना ही धर्म है। कृष्ण ने परिवार, समाज और राष्ट्र के हित में निर्णय लेकर धर्म के व्यावहारिक स्वरूप को स्थापित किया।” भारद्धाज ने स्पष्ट किया कि राम और कृष्ण का चरित्र केवल पौराणिक संदर्भों तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज और परिवार के कल्याण के लिए समयानुसार उचित निर्णय लेने की प्रेरणा देता है।

कॉन्टिनेंटल टायर्स ने इंदौर, मध्य प्रदेश में अपने रिटेल नेटवर्क का विस्तार किया

● इंदौर में नए कॉन्टी प्रीमियम ड्राइव स्टोर का उद्घाटन किया गया

● नए स्टोर में प्रीमियम उत्पादों के साथ कंप्यूटर द्वारा व्हील एलाइनमेंट, सटीक व्हील बैलेंसिंग, टायरों में नाइट्रोजन गैस भरने की सुविधा और प्रीमियम अलॉय व्हील जैसी सेवाएँ भी उपलब्ध हैं

इंदौर ।प्रमुख प्रीमियम टायर निर्माता कॉन्टिनेंटल टायर्स ने इंदौर, मध्य प्रदेश में अपनी नई कॉन्टिनेंटल प्रीमियम ड्राइव (सीडीपी) डीलरशिप का शुभारंभ किया है। यह नया आउटलेट टायर ट्यून अप द्वारा संचालित है, जो मध्य भारत में कॉन्टिनेंटल की उपस्थिति को अधिक सुदृढ़ता प्रदान करता है। साथ ही यह पूरे देश में प्रीमियम टायर आसानी से उपलब्ध कराने के लिए कंपनी की प्राथमिकता को दर्शाता है।

यह नव उद्घाटित स्टोर 3,000 वर्ग फुट के क्षेत्रफल में निर्मित है, जो 64, मैकेनिक नगर, वॉउ होटल के पास, सीएनजी पेट्रोल पंप के सामने, विजय नगर, भमोरी, इंदौर- 452010 पर स्थित है। इसे एक ऐसे सुविधा केंद्र के रूप में तैयार किया गया है, जहाँ ग्राहकों को कॉन्टिनेंटल की सभी प्रीमियम टायर और आधुनिक सुविधाएँ, जैसे- कंप्यूटर द्वारा व्हील का एलाइनमेंट, सटीक व्हील बैलेंसिंग, नाइट्रोजन गैस भरने की सुविधा और प्रीमियम अलॉय व्हील एक ही स्थान पर उपलब्ध होंगे।

एक व्यावसायिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में तेजी से विकसित हो रहे इंदौर में वाहनों की संख्या भी निरंतर बढ़ रही है, जो इसे कॉन्टिनेंटल की विस्तार योजनाओं के लिए एक आदर्श बाज़ार बनाता है। इस नए सीडीपी स्टोर में ग्राहक कॉन्टिनेंटल के उच्च गुणवत्ता वाले टायरों और टायर ट्यून अप की विशेषज्ञता दोनों का अनुभव एक ऐसी डीलरशिप के जरिए कर सकते हैं, जो पिछले छह दशकों से भरोसेमंद सेवाएँ उपलब्ध करा रही है।

कॉन्टिनेंटल टायर्स इंडिया के प्रबंध निदेशक समीर गुप्ता ने कहा, “इंदौर में इस नए सीडीपी स्टोर के साथ, हम कॉन्टिनेंटल के माध्यम से मध्य प्रदेश के ग्राहकों तक सुरक्षा, नई तकनीक और आरामदायक ड्राइविंग के अनुभव को सहज रूप से पहुँचाने की

अपनी प्रतिबद्धता को पूरा कर रहे हैं। भारत हमारे लिए एक महत्वपूर्ण विकासशील बाज़ार है। ‘इन द मार्केट, फॉर द मार्केट’ के सिद्धांत के तहत हम लगातार अपने रिटेल नेटवर्क का विस्तार कर रहे हैं और देशभर में ग्राहकों से अपने रिश्ते को मजबूत बना रहे हैं।"

टायर ट्यून अप के मालिक रफ़ीक़ खान ने कहा , “टायर ट्यून अप 1956 से ही इंदौर की ऑटोमोबाइल यात्रा का हिस्सा रहा है। कॉन्टिनेंटल के साथ हमारी साझेदारी हमें अंतर्राष्ट्रीय गुणवत्ता वाले उत्पाद और सेवाएँ इंदौर के ग्राहकों तक पहुँचाने में मदद करती है। सीडीपी का यह आउटलेट न केवल प्रीमियम उत्पाद उपलब्ध कराएगा, बल्कि ग्राहकों को सेवा का वही बेहतरीन अनुभव भी प्रदान करेगा, जिसकी उम्मीद वे पिछले कई दशकों से हमसे करते आए हैं।"

अदाणी ग्रुप की पहल से गोंडखैरी साइट के ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों को मिले स्कूल बैग्स और वॉटर बॉटल्स

नागपुर: बाल दिवस के अवसर पर अदाणी ग्रुप की गोंडखैरी साइट की सीएसआर टीम ने ग्रामीण विद्यार्थियों के लिए 'स्कूल बैग और वॉटर बॉटल वितरण कार्यक्रम' आयोजित किया। इस दौरान, गोंडखैरी साइट के आसपास के चार गाँवों- सुराबर्डी, आलेसुर, कलंबी और गोंडखैरी के 6 शासकीय विद्यालयों के कुल 82 विद्यार्थियों को स्कूल बैग्स और 73 विद्यार्थियों को वॉटर बॉटल्स वितरित की गईं। कार्यक्रम के सफल आयोजन में स्थानीय स्वयंसेवकों, शिक्षकों और समुदाय के सदस्यों ने सक्रिय सहयोग दिया। स्कूल के शिक्षकों और ग्रामवासियों ने अदाणी ग्रुप की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि ऐसी पहलें न सिर्फ विद्यार्थियों की मदद करती हैं, बल्कि पूरे गाँव में शिक्षा के प्रति सकारात्मक माहौल भी बनाती हैं।

सवर्ण समाज के विखंडन लाभ उठाते हैं राजनेता : कविता तिवारी

लखनऊ । राष्ट्रीय सवर्ण आर्मी भारत की राष्ट्रीय प्रचारक कविता तिवारी ने समाचार पत्रों बातचीत में सवर्ण समाज की अनेकता सवाल उठाते हुए कहा कि वर्तमान समय में राजनेता सवर्ण की अनेकता का लाभ उठा रहे हैं अन्य समाज एक होकर अपना राजनैतिक दल बनाकर रखें हैं और उसी का समर्थन करते हैं जबकि सवर्ण समाज विभिन्न दलों में बिखरा हुआ नज़र आता है सवर्ण की कोई एक राजनैतिक पार्टी नहीं है सवर्ण समाज भिन्न भिन्न दलों को समर्थन देता है जिससे कोई भी राजनैतिक दल सवर्ण समाज का समर्थन नहीं करते हैं या यह कह लीजिए कि सवर्ण समाज की कोई सरकार नहीं है ।

सरकार चाहे जिस पार्टी की हो सवर्ण समाज के लिए कोई भी सार्थक कार्य नहीं करती है किसी भी पार्टी को सवर्ण समाज की आवाज उठाने में पीड़ा महसूस होती है क्योंकि सभी वोट बैंक की राजनीति करते हैं कोई भी दल सवर्णों का नाम नहीं लेता है केवल चुनाव के समय सवर्णों की याद आती है सभी राजनैतिक दलों को।मै तो यही कहना चाहती हूं कि सवर्ण की अनेकता के कारण ही राजनैतिक दल लाभ उठाते हैं अन्य समाज की तरह अगर सर्वण समाज भी एक होकर वोट या एक ही दल का समर्थन करे तो किसी भी सरकार को झुका सकता है।इसलिए सवर्णों को एक जुट होकर उसी दल का समर्थन करें जो सवर्णों के लिए आवाज उठाए ।