जल जीवन मिशन में तकनीकी अनियमितता का आरोप: DI Pipe की जगह O-PVC का उपयोग, एक साल से कार्रवाई ठप
रायपुर- जल जीवन मिशन की मल्टी विलेज स्कीम में कथित तकनीकी अनियमितताओं को लेकर छत्तीसगढ़ शासन के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। पूर्व संचालक डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे ने 23 अक्टूबर 2024 को पीएचई विभाग के सचिव मोहम्मद कैसर अब्दुल हक को एक विस्तृत शिकायत-पत्र भेजकर मुख्य अभियंता, परिक्षेत्र रायपुर राजेश गुप्ता के खिलाफ D.I. Pipe की जगह O-PVC Pipe उपयोग करने जैसे गंभीर आरोप लगाते हुए अनियमितता की जांच करने तथा राजेश गुप्ता के खिलाफ तत्काल निलंबन की कार्रवाई करने की बात लिखी गई थी।
पीएचई विभाग के प्रमुख अभियंता रहे टीडी शांडिल्य ने भी विभागीय सचिव को 29 अप्रैल 2025 तथा 18 जुलाई 2025 को राजेश गुप्ता को निलंबित करने पत्र लिखा है। चौंकाने वाली बात यह है कि लगभग एक साल बीतने के बाद भी विभाग स्तर पर किसी प्रकार की ठोस कार्रवाई नहीं की गई, जबकि पत्र में उठाए गए बिंदु पूरी तरह तकनीकी और नीति-विरुद्ध बदलाव से जुड़े हुए हैं।
क्या है मामला?
डॉ.भूरे द्वारा भेजे गए पत्र के अनुसार, जल जीवन मिशन की मल्टी विलेज योजनाओं के DPR में Gravity Main लाइन के लिए DI K-7 Pipe को अनिवार्य रूप से अपनाया गया था। उच्च स्तरीय वित्तीय/तकनीकी स्वीकृति भी इसी पाइप के आधार पर दी गई थी।
लेकिन विभागीय स्तर पर बाद में 250 mm से नीचे Diameter वाले O-PVC Pipe को लेकर डिजाइन बनाया गया और फिर इसी आधार पर PAC की तकनीकी स्वीकृति देकर निविदा प्रक्रिया संचालित की गई।
पत्र में उठाए गए प्रमुख तकनीकी बिंदु
DPR में DI K-7 Pipe की ही स्वीकृति
Bulk Water Supply के लिए DI K-7 Pipe प्रस्तावित थी, जिसकी राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन (SLSSC) से प्रशासकीय स्वीकृति मिल चुकी थी।
यहां डिजाइन बदलकर O-PVC Pipe ले लिया गया। आरोप है कि मुख्य अभियंता राजेश गुप्ता द्वारा अपने स्तर पर डिजाइन बदला गया और O-PVC Pipe को मंजूरी देते हुए PAC स्वीकृति प्रदान कर दी गई।
DPR में प्रस्तावित सामग्री को बदलने के लिए पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति अनिवार्य थी, लेकिन रिकॉर्ड के अनुसार यह स्वीकृति प्राप्त नहीं की गई।
SLSSC से पुनरीक्षित स्वीकृति भी नहीं ली गई। पत्र में साफ उल्लेख है कि O-PVC पाइप के उपयोग को लेकर SLSSC की संशोधित स्वीकृति रिकॉर्ड में उपलब्ध नहीं है।
डॉ. भूरे ने तकनीकी समिति से जांच की अनुशंसा की
पत्र में कहा गया है कि मामला पूरी तरह तकनीकी है, इसलिए जल जीवन मिशन की तकनीकी समिति के माध्यम से मुख्य अभियंता से प्रतिवेदन लिया जाना उचित होगा। यह भी लिखा है कि उपलब्ध दस्तावेज यह स्पष्ट करते हैं कि विभागीय नियमों के अनुसार आवश्यक प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।
O-PVC बनाम DI Pipe – तकनीकी और वित्तीय अंतर
DI (Ductile Iron) Pipe - अधिक मजबूत, टिकाऊ, जंग-प्रतिरोधी, लंबी अवधि की योजनाओं के लिए उपयुक्त,महंगी, लेकिन गुणवत्ता और सुरक्षा अधिक।
O-PVC Pipe - सस्ती, हल्की और आसान इंस्टॉलेशन,हाई-प्रेशर और Gravity Main जैसी लाइनों में मानकों के अनुसार कम उपयुक्त अधिक बार मरम्मत/रिसाव की संभावना।
विशेषज्ञों के अनुसार Bulk Water Supply में DI Pipe का उपयोग अंतरराष्ट्रीय मानकों में दर्ज है, जबकि O-PVC को बिना तकनीकी समिति की स्वीकृति के बदलना गंभीर प्रक्रिया उल्लंघन माना जाता है।
एक साल से कार्रवाई क्यों नहीं? विभाग के भीतर चर्चाएँ तेज
यह पत्र 23 अक्टूबर 2024 को लिखा गया था। अब लगभग 12 महीने बाद भी न तो तकनीकी जांच कमेटी बनी, न मुख्य अभियंता से प्रतिवेदन लिया गया और न किसी प्रकार की निलंबन/जांच कार्रवाई हुई।विभाग के भीतर इस चुप्पी को लेकर कई तरह की चर्चाएँ हैं विभागीय सचिव भी संदेह के दायरे में है।
सवाल उठता है कि क्या फाइल दबा दी गई? क्या जानबूझकर जांच नहीं की जा रही? या फिर यह मामला किसी बड़े ठेकेदार-इंजीनियर गठजोड़ से जुड़ा है?
ऐसे में जल जीवन मिशन जैसी राष्ट्रीय प्राथमिकता वाली योजनाओं में इस प्रकार की तकनीकी अनियमितताओं का आरोप गंभीर है। पूर्व संचालक का पत्र स्वयं विभाग के उच्च अधिकारियों को संबोधित था, फिर भी एक वर्ष तक कार्रवाई का अभाव शासन-प्रशासन पर सवाल खड़ा करता है। अब देखना यह है कि इस खुलासे के बाद बाद विभाग मंत्री उप मुख्यमंत्री अरुण साव इस मामले पर कब और कैसी कार्रवाई करते है।






रायपुर- स्टेट वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन छत्तीसगढ़ द्वारा 6 दिसंबर 2025, शनिवार को रायपुर में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी पत्रकारिता के बदलते परिवेश और चुनौतियों पर केंद्रित रही। विभिन्न राज्यों से आए वरिष्ठ पत्रकारों और प्रतिनिधियों ने इस मंच को संवाद, समीक्षा और सुझाव का महत्वपूर्ण अवसर बताया। संगोष्ठी में मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार राजेश बादल ने वर्तमान मीडिया जगत की परिस्थितियों पर बात रखते हुए कहा कि डिजिटल क्रांति के बीच पत्रकारिता का मूल मूल्य, सत्य, निष्पक्षता और जनपक्ष कभी भी कमजोर नहीं होना चाहिए। उन्होंने फील्ड रिपोर्टिंग में बढ़ती जोखिम, संसाधनों की कमी और व्यावसायिक दबावों को पत्रकारों के सामने बड़ी चुनौती बताया। विशेष अतिथि बलविंदर सिंह जम्मू, राष्ट्रीय महासचिव(इंडियन जर्नलिस्ट यूनियन) ने कहा कि पत्रकार यदि संगठित रहेंगे, तभी उनके अधिकार, सुरक्षा और सम्मान को संरक्षित किया जा सकेगा। उन्होंने दोहराया कि डेटा प्रोटेक्शन एक्ट और श्रम कानूनों में आए बदलावों के मद्देनज़र पत्रकारों को जागरूक होने और संगठन के साथ खड़े रहने की आवश्यकता है। वही इस अवसर पर यूनियन ने प्रतिष्ठित बाबूराव विष्णु पराड़कर सम्मान-2025 की घोषणा भी की। यह सम्मान इस वर्ष बस्तर संभाग के भोपालपट्टनम में कार्यरत जमीनी पत्रकार मो. इरशाद ख़ान को दिया जाएगा। संगठन ने उनके निडर और जनपक्षीय पत्रकारिता को सराहा।
तृतीय राज्य सम्मेलन में संगठन की नई प्रदेश कार्यकारिणी का गठन किया गया, जिसमें दिलीप कुमार साहू (राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य), पी.सी. रथ (प्रदेश अध्यक्ष), सुधीर आजाद तंबोली (महासचिव), रेणु नंदी, कृष्णा गोस्वामी, अजीत शर्मा (उपाध्यक्ष), शुभम वर्मा (कोषाध्यक्ष), सैयद सलमा (उप कोषाध्यक्ष), रूमा सेन गुप्ता और संतोष राजपूत (संयुक्त सचिव), राकेश दत्ता (प्रदेश संगठन सचिव), तथा जयदास मानिकपुरी (प्रदेश मीडिया प्रभारी) शामिल हैं। वरिष्ठ पत्रकार वीरेंद्र कुमार शर्मा, घनश्याम गुप्ता, मो. शाह, संजय चंदेल के साथ जितेंद्र साहू, शिवशंकर पांडेय व हरिमोहन तिवारी को प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य की जिम्मेदारी मिली। राज्य सम्मेलन में संगठन के रायपुर जिला पदाधिकारियों ने अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी निभाई। संगोष्ठी का समापन पत्रकारिता की मजबूती, संगठनात्मक एकता और भविष्य की कार्ययोजना को नए संकल्प के साथ किया गया।





















1 hour and 36 min ago
- Whatsapp
- Facebook
- Linkedin
- Google Plus
1