*सत्यकाम स्कूल ट्रस्टी के वादों पर उठे सवाल, अभिभावकों में नाराज़गी*

मेरठ।सत्यकाम स्कूल द्वारा दिवाली के मौके पर किए गए बड़े-बड़े दावे अब खोखले साबित होते नजर आ रहे हैं। ट्रस्टी और समाजसेविका द्वारा नवंबर माह के लिए बस किराया व ट्यूशन फीस माफ करने का जो “दीवाली गिफ्ट” बताया गया था, वह अभिभावकों को अब तक जमीन पर उतरता दिखाई नहीं दे रहा। इससे स्कूल प्रबंधन पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

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वादे कहाँ गए? अभिभावकों में गहरी नाराज़गी

सितंबर-अक्टूबर में स्कूल ट्रस्टी की ओर से यह घोषणा की गई थी कि नवंबर माह में—

बच्चों की ट्यूशन फीस नहीं ली जाएगी,

स्कूल बस का किराया पूर्णतया माफ रहेगा,

कोई फॉर्म चार्ज या अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाएगा।

यह घोषणा सोशल मीडिया और स्थानीय स्तर पर बड़े स्तर पर प्रचारित भी की गई। लेकिन नवंबर आधा बीत जाने के बाद भी अभिभावकों को किसी भी प्रकार की छूट का लाभ नहीं मिला।

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“दिवाली गिफ्ट” निकला फुस्स — अभिभावक ठगा महसूस कर रहे

ट्रस्टी और समाजसेविका द्वारा बड़े उत्साह से किया गया “दिवाली गिफ्ट घोषणा” अब गुमराह करने वाली साबित हो रही है।

अभिभावकों का आरोप है कि—

स्कूल अब भी पूरी ट्यूशन फीस मांग रहा है।

नवम्बर माह का बस किराया भी पहले की तरह वसूल किया जा रहा है।

वादों का कहीं कोई लिखित नोटिस स्कूल की ओर से जारी नहीं किया गया।

इससे अभिभावक कह रहे हैं कि ट्रस्टी द्वारा किया गया प्रचार सिर्फ दिखावा था, जिसका उद्देश्य लोगों को प्रभावित करना भर था।

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“बच्चों को नहीं मिली छूट, वादे हुए टूट — अभिभावकों की लूट जारी”

स्थानीय अभिभावकों का कहना है कि जब वादा किया गया था तो उसे पूरा करना चाहिए था। स्कूल की फीस पहले ही कई परिवारों पर आर्थिक बोझ है, और उस पर झूठे वादों ने लोगों को और निराश किया है।

कुछ अभिभावकों ने यह भी कहा कि—

> “अगर ट्रस्टी ने वादा किया था तो उसे निभाना चाहिए। बिना सोचे-समझे प्रचार करना बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ है।”

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कहा जा रहा है कि प्रचार सिर्फ लोकप्रियता बढ़ाने की कोशिश थी

ट्रस्टी की इस घोषणा को कई लोग लोकप्रियता का स्टंट बता रहे हैं।

स्कूल में कोई आधिकारिक मीटिंग नहीं हुई,

न ही किसी नोटिस बोर्ड पर शुल्क माफी का विवरण चस्पा किया गया।

इससे साफ है कि घोषणा सिर्फ शब्दों तक सीमित रह गई और अभिभावकों को इसका कोई वास्तविक लाभ नहीं मिला।

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अभिभावकों की मांग – स्कूल प्रशासन दे स्पष्ट जवाब

अभिभावकों ने प्रशासन से अपील की है कि—

स्कूल ट्रस्ट से इस पर स्पष्ट जवाब तलब किया जाए,

माफी का वादा किया गया था तो लिखित रूप में आदेश जारी किए जाएं,

और यदि यह घोषणा गलत साबित होती है तो ट्रस्टी को जवाबदेह ठहराया जाए।

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निष्कर्ष

सत्यकाम स्कूल का "दिवाली गिफ्ट" फिलहाल संदेह के घेरे में आ गया है। वादे और प्रचार कुछ और कहते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग दिखाई दे रही है। अभिभावकों की नाराज़गी लगातार बढ़ रही है और अब सबकी नजरें स्कूल प्रबंधन की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।

*घरेलू सिलेंडरों पर विभाग की ‘चयनात्मक’ कार्रवाई पर उठ रहे सवाल*, *हलवाई कि दुकानों पर क्यों नहीं जाँच*:

मेरठ। शहर में घरेलू गैस सिलेंडरों के अवैध उपयोग पर विभाग की कार्रवाई अब सवालों के घेरे में है। कुछ चुनिंदा स्थानों पर छापेमारी के बाद ऐसा लग रहा है कि विभाग की सक्रियता एक-दो मामलों तक ही सीमित रह गई है, जबकि पूरे शहर में इस खतरे का दायरा कहीं बड़ा है।

हरिया लस्सी पर कार्रवाई, लेकिन बाकी शहर क्यों सुरक्षित?

बीते दिनों लालकुर्ती स्थित हरिया लस्सी पर घरेलु सिलेंडरों के गलत उपयोग को लेकर विभाग ने कार्रवाई करते हुए सिलेंडर जब्त किए। लेकिन इसके बाद विभाग की गतिविधियां अचानक सुस्त पड़ती दिखाई दे रही हैं। सवाल यह उठ रहा है कि एक दुकान पर कार्रवाई कर देना क्या पूरे शहर को सुरक्षित कर देता है? सेंट्रल मार्किट और गुरुद्वारा रोड पर घरेलू सिलेंडरों का खुलेआम इस्तेमाल :

शास्त्रीनगर सेंट्रल मार्किट और गुरुद्वारा रोड पर अधिकांश फास्ट फूड के ठेले, चाट-स्टॉल और हलवाई की दुकानों में खुलेआम घरेलू सिलेंडरों का उपयोग किया जा रहा है। ये सिलेंडर सिर्फ घरेलू उपयोग के लिए अधिकृत हैं, ऐसे में बाजारों में चल रहा यह प्रयोग न सिर्फ अवैध है बल्कि कभी भी बड़ा हादसा कराने की क्षमता रखता है। साथ हीं सूरजकुंड पार्क के पास लगने वाले ठेलों पर विभाग की नजर क्यों नहीं? ये भी एक सवाल है! सूरजकुंड पार्क के पास शाम होते ही दर्जनों ठेले सजते हैं, जहां खानपान का कारोबार घरेलू सिलेंडरों पर ही चलता है। यहां भी स्थिति कम खतरनाक नहीं है। स्थानीय लोगों का कहना है कि विभागीय अधिकारी कई बार इस रास्ते से गुजरते हैं, लेकिन कार्रवाई शून्य है।

क्या विभाग शिकायत का इंतजार करता है?

सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या विभाग स्वयं सघन जांच करेगा या फिर सिर्फ शिकायत आने पर ही एक्टिव होगा? यदि शिकायत-आधारित कार्रवाई ही होनी है, तो शहर में फैल रहे इस गैस-खतरे को रोकना असंभव हो जाएगा।

लोगों का कहना है कि विभाग को चाहिए कि—

सभी बाजारों में सघन अभियान चलाए,

अवैध सिलेंडर उपयोग करने वालों को चेतावनी के साथ नोटिस जारी करे,

और बार-बार दोहराने वालों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।

घरेलू सिलेंडरों का व्यावसायिक उपयोग सिर्फ अवैध नहीं, बल्कि लोगों की जान से खिलवाड़ है। विभाग को चाहिए कि एक-दो जगह की औपचारिक कार्रवाई के बजाय पूरे शहर में समान रूप से जांच अभियान चलाए, ताकि किसी बड़े हादसे को होने से रोका जा सके।

*सुबह 10 से पहले रात 10 बजे के बाद हो रही ओवर रेट पर शराब कि बिक्री,अधिकारी मौन क्यों:*

मेरठ। शहर में कानून व्यवस्था और प्रशासन के दावों को धत्ता बताते हुए शराब माफियाओं का बोलबाला एक बार फिर खुलकर सामने आ गया है। शहर के कई इलाकों में सुबह 10 से पहले और रात 10 बजे के बाद भी खुलेआम शराब बेची जा रही है, और वह भी ओवर रेट पर। सवाल यह उठता है कि इतनी बड़ी गतिविधि के बावजूद आबकारी विभाग और पुलिस मौन क्यों है?

पहले फूलबाग कॉलोनी फिर केंटोमेंट हॉस्पिटल के सामने और अब कुटी पर सुबह हीं बिकती मिली शराब!

कुटी स्थित पेट्रोल पंप के बराबर मे देशी शराब का ठेका सुबह जल्दी व देर रात के समय नशेड़ियों का अड्डा बन चुका है। जानकारी के अनुसार, यहाँ रात 10 बजे के बाद भी शराब बिक्री जारी रहती है, और ₹ 75 की बोतल ₹90 में बेची जा रही है। स्थानीय लोगों ने कई बार वीडियो साक्ष्यों सहित आबकारी विभाग में शिकायतें दर्ज कराई, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ औपचारिकता निभाई गई। वीडियो सबूतों के बावजूद न तो ओवररेट का चालान हुआ और न ही किसी कर्मचारी पर कार्रवाई। सूत्रों के अनुसार,

ओवर रेट पर चालान की राशि ₹75,000 तय है,

जबकि ओवर टाइम बिक्री पर मात्र ₹5,000 का चालान होता है। ऐसे में अधिकारी ओवररेट को ओवर टाइम बताकर मामूली चालान कर अपनी जिम्मेदारी से बच निकलते हैं। जिसका जीता जागता सबूत केंटमेंट के सामने ठेके कि विडिओ वायरल के बाद हुआ! और यही कारण है कि अवैध बिक्री का खेल अब भी जारी है।

गढ़ अड्डे और कुटी पर खुलेआम शराबखोरी:

फूलबाग ही नहीं, बल्कि गढ़ अड्डा, और शहर के कुछ मुख्य चौराहे भी देर रात शराबियों के अड्डे बन चुके हैं। गढ़ अड्डे के सामने तो खुलेआम सड़क किनारे शराब पी जाती है।

कुछ समय पहले इस मामले में शहर के कप्तान ने सख्ती दिखाते हुए चौकी इंचार्ज को निलंबित किया था, लेकिन कुछ ही दिनों बाद वही हालात दोबारा लौट आए — जो दर्शाता है कि पुलिस की कार्रवाई सिर्फ कागज़ों तक सीमित है।

बाबू डॉन’ और होटल-ढाबों की आड़ में अवैध कारोबार

बस अड्डे के बराबर में चलने वाला ‘बाबू डॉन जूस ठेला’ और गढ़ अड्डे के सामने हिमालय गेस्ट हाउस भी इन दिनों चर्चा में है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह ठेला रात में जूस नहीं, बल्कि शराब परोसने का अड्डा बन जाता है।और होटल गेस्ट हाउस भी अय्याशी के लिए मशहूर है!

इसी तरह हारमोनी होटल के पास और कुटी पेट्रोल पंप के नजदीक भी देर रात शराब की बिक्री होती है। इन स्थानों पर आए दिन लोगों की भीड़ और झगड़े की घटनाएँ होती रहती हैं,

फिर भी प्रशासनिक अमला मानो आँखें मूँदे बैठा है।

प्रशासनिक मिलीभगत या लापरवाही?

शहर के जानकारों का कहना है कि जब इतने वीडियो और शिकायतें प्रशासन के पास पहुँच चुकी हैं, तो कार्रवाई न होने का मतलब है कि कहीं न कहीं अंदरूनी मिलीभगत है।

आबकारी विभाग अधिकारियों की निष्क्रियता ने न केवल कानून व्यवस्था को कमजोर किया है,

बल्कि ईमानदार पुलिसकर्मियों की छवि पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

जनता की माँग – सख्त कार्रवाई हो

स्थानीय नागरिकों और समाजसेवी संगठनों ने आबकारी आयुक्त से तत्काल जांच की माँग की है।

लोगों का कहना है कि—

ओवर रेट और ओवर टाइम में संलिप्त ठेकेदारों पर भारी जुर्माना लगे। संबंधित अधिकारियों की भूमिका की जांच कर निलंबन और विभागीय कार्यवाही की जाए।

रात 10 बजे के बाद शराब बिक्री पर सख्त निगरानी रखी जाए।

मेरठ शहर में शराब का कारोबार अब खुलेआम चुनौती बनता जा रहा है। जहाँ एक ओर जनता सुरक्षा और शांति की उम्मीद करती है, वहीं दूसरी ओर अधिकारी भ्रष्टाचार की चादर ओढ़कर कानून की धज्जियाँ उड़ाने वालों को संरक्षण देते दिख रहे हैं।

> अगर अब भी प्रशासन नहीं जागा, तो मेरठ जल्द ही ‘ओवर रेट और ओवर टाइम के शहर’ के नाम से जाना जाएगा।*

देव नागरी महाविद्यालय में फॉरेंसिक साइंस विषय पर रोचक कार्यशाला आयोजित

मेरठ।19 नवम्बर 2025। देव नागरी महाविद्यालय के प्राणीशास्त्र (Zoology) विभाग द्वारा आज “फॉरेंसिक साइंस एवं उसके प्रकार : डीएनए परीक्षण तथा नारकोटिक्स ड्रग्स” विषय पर एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता रहे फॉरेंसिक साइंस लेबोरेट्री, लखनऊ (उत्तर प्रदेश) के उपनिदेशक डॉ. राजेन्द्र सिंह, जिनका प्रमुख कार्यक्षेत्र सेरोलॉजी, बायोलॉजी, नारकोटिक्स तथा क्राइम सीन इन्वेस्टिगेशन रहा है।

दीप प्रज्वलन एवं स्वागत समारोह

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ हुई। महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. बी.एस. यादव ने पुष्पगुच्छ भेंटकर मुख्य अतिथि का स्वागत किया। कार्यक्रम का मंच संचालन Zoology विभाग के डॉ. प्रवीण कुमार ने किया।

फॉरेंसिक साइंस के बहुआयामी पहलुओं पर विस्तृत चर्चा

अपने व्याख्यान में डॉ. राजेन्द्र सिंह ने फॉरेंसिक साइंस के महत्व, कार्यप्रणाली एवं विभिन्न शाखाओं पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि—

फॉरेंसिक साइंस अपराध स्थल की वैज्ञानिक जाँच का विज्ञान है।

फॉरेंसिक को अनेक भागों में विभाजित किया गया है—

केमिस्ट्री, टॉक्सिकोलॉजी, फायर एवं विस्फोट परीक्षण

बायोलॉजिकल एग्ज़ामिनेशन, जिसमें DNA एवं सेरोलॉजी के मामले शामिल होते हैं

फिजिकल एग्ज़ामिनेशन, जिसमें फिजिक्स, बैलिस्टिक रिपोर्ट व अन्य भौतिक जाँचें आती हैं

डॉक्यूमेंट एग्ज़ामिनेशन, जिसमें हस्ताक्षर मिलान, लिखावट जाँच, दस्तावेज़ों की सत्यता जाँच शामिल है

उन्होंने बताया कि फॉरेंसिक का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत लोकार्ड का सिद्धांत है, जिसके अनुसार अपराधी अपराध स्थल पर कुछ न कुछ अवश्य छोड़ता है या वहाँ से कुछ लेकर जाता है।

DNA परीक्षण और साइबर फॉरेंसिक पर रोशनी

डॉ. सिंह ने स्पष्ट किया कि DNA परीक्षण उम्र से प्रभावित नहीं होता और यह हमेशा स्थायी रहता है। DNA जाँच के लिए वीर्य, रक्त, बाल, त्वचा, हड्डियाँ, दाँत, भ्रूण, मांसपेशियाँ आदि नमूने लिए जा सकते हैं।

साइबर फॉरेंसिक के अंतर्गत—

ऑडियो–वीडियो जांच

डेटा रिकवरी (चाहे 10 वर्ष पुराना और डिलीटेड ही क्यों न हो)

जैसी तकनीकों का उपयोग किया जाता है।

उन्होंने नार्को टेस्ट, ब्रेन मैपिंग एवं लाई डिटेक्टर जैसे बिहेवियर साइंस के आधुनिक परीक्षणों के बारे में भी विस्तार से बताया। फोटो व वीडियो एविडेंस के संदर्भ में स्केल फोटोग्राफी को आवश्यक बताया।

कार्यक्रम में भारी संख्या में शिक्षकों व विद्यार्थियों की उपस्थिति

कार्यक्रम में प्राचार्य प्रो. बी.एस. यादव, प्रो. हिमांशु अग्रवाल, प्रो. सविता रानी, महाविद्यालय के चीफ डॉक्टर डॉ. दीपक कुमार, प्रो. वंदना गर्ग, प्रो. शेफाली, प्रो. अंशु ढाका, डॉ. अंजू चौहान, डॉ. जिनेन्द्र बोध, डॉ. प्रवीण कुमार, डॉ. दीपक कुमार, डॉ. विश्वत चौधरी, डॉ. अनिल कुमार, डॉ. चंदन सिंह, डॉ. जयन्त तेवतिया, डॉ. शशांक बघेल, डॉ. अनीता चौधरी, डॉ. अनुज बावरा, शशिकांत, डॉ. भारती, डॉ. अनीता कौशल, हरेंद्र, विशाल सहित Zoology एवं Botany विभाग के सभी विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

अंत में प्राणीशास्त्र विभाग ने मुख्य अतिथि का आभार व्यक्त करते हुए बताया कि ऐसी कार्यशालाएँ विद्यार्थियों के वैज्ञानिक दृष्टिकोण को विकसित करने में अत्यंत उपयोगी सिद्ध होती हैं।

आवास विकास की ‘खाना-पूर्ति’ कार्रवाई पर उठ रहे सवाल, शास्त्रीनगर में अवैध निर्माण बेलगाम

मेरठ।शास्त्रीनगर और आसपास के सेक्टरों में अवैध निर्माण पर आवास विकास की कार्रवाई एक बार फिर सवालों के घेरे में है। नोटिस चस्पा करने तक तो विभाग सक्रिय दिखाई देता है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर कार्रवाई सिर्फ औपचारिकता बनकर रह गई है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि विभाग ‘खाना-पूर्ति’ कर रहा है — न तो अवैध निर्माण रुक रहे हैं, न ही बड़े मामलों पर कोई ठोस कार्यवाही हो रही है।

नोटिस भी कही कही चस्पा…लेकिन कार्रवाई गायब!

शास्त्रीनगर में कई ऐसे निर्माण तेजी से खड़े हो रहे हैं जिन्हें अवैध मानते हुए विभाग ने नोटिस तो जरूर जारी किए हैं।लेकिन— न निर्माण रोका गया,न सील की कार्रवाई आगे बढ़ी,और न ही विभाग की ओर से कोई सख्त निर्देश जारी किया गया इसी कारण लोग सवाल उठा रहे हैं कि नोटिसों का उद्देश्य सिर्फ “कागजी काम पूरा करना” तो नहीं?

कई सेक्टरों में अवैध निर्माण धड़ल्ले से जारी

शहर के कई सेक्टरों में अवैध निर्माण खुलेआम तेज़ी से चल रहा है—

सेक्टर 2 — प्लॉट 20/2

सेक्टर 6 — प्लॉट 533/6

सेक्टर 7,सेक्टर 9,सेक्टर 10

सेक्टर 11 इन जगहों पर नोटिस चस्पा होने के बावजूद निर्माणकर्ता धड़ल्ले से काम जारी रखे हुए हैं। यह संकेत देता है कि विभागीय स्तर पर कहीं न कहीं मिलीभगत, ढिलाई या लापरवाही मौजूद है।

सेक्टर 11 का सबसे बड़ा मामला — 14/11 प्लॉट पर सड़क तक अतिक्रमण:

सेक्टर 11 में आरटीओ पुल के पास स्थित प्लॉट 14/11 पर तो हालात और भी गंभीर हैं।यहां निर्माण सड़क तक फैल चुका है,अतिक्रमण से स्थानीय राहगीरों को परेशानी हो रही है, और इसके बावजूद विभाग की कार्रवाई सिर्फ नोटिस चस्पा करने तक सीमित है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मामला आवास विकास की लापरवाही का सबसे बड़ा उदाहरण बन गया है।

कार्रवाई के नाम पर सिर्फ “दिखावा”?

लोगों का कहना है कि विभाग पहले नोटिस देकर “एक्शन मोड” दिखा देता है, जिससे यह महसूस हो कि काम हो रहा है,लेकिन हकीकत यह है कि निर्माण रुकता नहीं, अवैध कब्जे हटते नहीं, और निर्माणकर्ताओं को किसी भी तरह का डर नहीं दिखता। स्थानीय निवासियों की मांग ईमानदार कार्रवाई हो

क्षेत्रवासियों का कहना है कि विभाग को चाहिए—

जहां नोटिस जारी किए गए हैं, वहां समय से सीलिंग या ध्वस्तीकरण की कार्रवाई हो, सड़क पर किए गए अतिक्रमण तुरंत हटाए जाएं, और जो अधिकारी लापरवाह हैं, उन पर भी जवाबदेही तय की जाए।

शास्त्रीनगर सहित कई सेक्टरों में अवैध निर्माण लगातार बढ़ रहा है और विभागीय कार्रवाई का ढांचा कमजोर पड़ता दिख रहा है। केवल नोटिस लगाने से अवैध निर्माण नहीं रुकेंगे। यदि आवास विकास ने समय रहते सख्ती नहीं दिखाई, तो यह अव्यवस्था और अधिक बढ़ती जाएगी।

मवाना पुलिस ने फर्जी बीमा पॉलिसी गिरोह का किया पर्दाफाश, पाँच अभियुक्त गिरफ्तार

 

मवाना/मेरठ। संवाददाता

मोनू भाटी

मेरठ जनपद की मवाना थाना पुलिस ने वाहनों के फर्जी बीमा तैयार करने वाले अंतरजनपदीय गिरोह का भंडाफोड़ कर पाँच आरोपियों को गिरफ्तार किया है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मेरठ के निर्देशन में चलाए जा रहे विशेष अभियान के तहत, पुलिस अधीक्षक ग्रामीण और क्षेत्राधिकारी मवाना के मार्गदर्शन तथा थाना प्रभारी निरीक्षक श्रीमती पूनम जादौन के नेतृत्व में यह बड़ी कार्रवाई की गई।

प्राप्त जानकारी के अनुसार वादी अंकुर शर्मा निवासी ग्राम मीवा की तहरीर पर 8 अक्टूबर 2025 को थाना मवाना में मुकदमा संख्या 414/25 पंजीकृत किया गया था। इसी क्रम में व0उ0नि0 भूपेन्द्र कुमार व पुलिस टीम ने नामित अभियुक्त शिवकुमार पुत्र कालीचरण निवासी ग्राम मटौरा को गिरफ्तार किया। कठोर पूछताछ में शिवकुमार ने अपने साथियों का खुलासा किया, जिसके आधार पर पुलिस ने गिरोह के अन्य सदस्यों हितेश कालरा, जतिन राजवंशी, देवेन्द्र सोनी और हिमांशु छाबड़ा के नाम सामने आने की पुष्टि की।

गिरोह के कब्जे से पुलिस ने एक लैपटॉप, पाँच मोबाइल फोन, सात फर्जी मोहरें, चार बीमा कंपनियों के जाली दस्तावेज और तेरह फर्जी बीमा पॉलिसियाँ बरामद कीं। पूछताछ में अभियुक्तों ने बताया कि वे दुर्घटना के समय बीमा रहित वाहनों को निशाना बनाते थे। उसी मॉडल के किसी अन्य वाहन की एक्टिव पॉलिसी की जानकारी लेकर उसमें जालसाजी के जरिए एनडोर्समेंट कर वाहन की आरसी, चेसिस नंबर, इंजन नंबर आदि को एडिट कर देते थे। इसके बाद वाहन स्वामी से मोटी रकम वसूलकर फर्जी मेल आईडी बनाकर कुछ निजी बीमा कंपनियों को परिवर्तन हेतु मेल करते थे, जिससे फर्जी पॉलिसी पोर्टल पर दिखने लगती थी और वाहन मालिक अदालत से वाहन रिलीज करा लेते थे।

पुलिस के अनुसार गिरफ्तार आरोपियों में शिवकुमार और जतिन राजवंशी के खिलाफ पूर्व में भी कई आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। गिरोह मेरठ से लेकर हरियाणा तक सक्रिय था और लंबे समय से फर्जी बीमा प्रपत्र तैयार कर वाहन स्वामियों से ठगी कर रहा था।

गिरफ्तारी करने वाली पुलिस टीम में प्रभारी निरीक्षक पूनम जादौन, व0उ0नि0 भूपेन्द्र कुमार, उ0नि0 सत्येन्द्र कुमार, कांस्टेबल संजय लौर और कांस्टेबल सुधीर कुमार शामिल रहे। पुलिस ने बताया कि गिरोह के नेटवर्क की गहन जांच की जा रही है और अन्य संभावित सहयोगियों की तलाश जारी है।

मवाना पुलिस की इस कार्रवाई से क्षेत्र में फर्जी बीमा कर धोखाधड़ी करने वालों में हड़कंप मचा हुआ है।

टिकोला शुगर मिल ने किया 2025–26 सीज़न का गन्ना मूल्य भुगतान, किसानों में खुशी की लहर

बहसुमा। टिकोला शुगर मिल द्वारा गन्ना किसानों को भुगतान को लेकर एक बड़ी घोषणा की गई है। मिल के अधिशासी अध्यक्ष हिमांशु कुमार मंगलम ने बताया कि सत्र 2025–26 के दौरान 02 नवंबर 2025 से 14 नवंबर 2025 तक किसानों से खरीदे गए गन्ने का पूरा भुगतान कर दिया गया है।

मिल द्वारा कुल 46,50,20,506.18 रुपये (छियालिस करोड़ पचास लाख बीस हजार पाँच सौ छः रुपये अठारह पैसे) की राशि सीधे किसानों के खातों में भेजी गई है। यह भुगतान चीनी मिल के माध्यम से पारदर्शी तरीके से किया गया, जिससे क्षेत्र के हजारों किसानों को राहत मिली है।

मिल प्रशासन ने बताया कि सभी किसान अपनी–अपनी संबंधित बैंकों के माध्यम से भुगतान की पुष्टि अवश्य कर लें। इसके साथ ही किसानों से अनुरोध किया गया है कि वे अपने-अपने वैसिक कोटा को समय पर पूरा करें, ताकि गन्ना आपूर्ति सुचारू रूप से जारी रह सके।

शुगर मिल की ओर से यह भी स्पष्ट किया गया है कि मिल में साफ-सुथरा, ताज़ा और मिट्टी–पत्ती रहित गन्ना लाया जाए। ऐसा गन्ना चीनी उत्पादन के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। मिल प्रशासन ने किसानों को यह भी सुझाव दिया कि यदि गन्ने की आपूर्ति में कोई समस्या या परिवर्तन हो तो वह तुरंत गन्ना विकास परिषद से संपर्क करें।

मिल प्रबंधन ने कहा कि समय पर गन्ना आपूर्ति बढ़ाकर किसान भाई ईनाम/उपहार योजनाओं का भी पूरा लाभ उठा सकते हैं।

इस भुगतान से किसानों में खुशी की लहर है और वे उम्मीद कर रहे हैं कि आने वाले समय में भी इसी तरह पारदर्शी और समयबद्ध भुगतान मिलता रहे।

थाना प्रभारी प्रतिभा सिंह ने गश्त अभियान के तहत की चेकिंग

बहसूमा।मेरठ।थाना क्षेत्र में थाना प्रभारी प्रतिभा सिंह के नेतृत्व में गश्त और चेकिंग अभियान चलाया गया।

इस अभियान में कस्बा इंचार्ज उप निरीक्षक राकेश, उप निरीक्षक अभिषेक तथा कांस्टेबल विकास शामिल रहे। पुलिस टीम ने कस्बे के प्रमुख स्थानों और संदिग्ध क्षेत्रों में गश्त कर सुरक्षा व्यवस्था का जायज़ा लिया।

कानून-व्यवस्था को मजबूत बनाने और अपराध पर नियंत्रण के लिए यह अभियान लगातार जारी रहेगा। थाना प्रभारी प्रतिभा सिंह ने मुख्य चौराहा वह भीड़भाड़ वाले इलाकों में गस्त बढ़ा दी है स्थानीय लोगों को को सतकॅ रहने और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत पुलिस को देने की अपील की गई है थाना प्रभारी प्रतिभा सिंह उप निरीक्षक अभिषेक व उप निरीक्षक सोनू कुमार व उप निरीक्षक उदयपाल सिंह आदि मौजूद रहे।

मोहम्मदपुर सकिस्त में सफाई के नाम पर खानापूर्ति, गांव में भारी आक्रोश

बहसुमा।मेरठ। मोहम्मदपुर सकिस्त गांव में सफाई व्यवस्था पूरी तरह से चरमराई हुई है। ग्राम पंचायत द्वारा सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है। गलियों में कूड़े के ढेर लगे हुए हैं और नालियां जाम पड़ी हैं, जिससे बदबू फैल रही है। ग्रामीणों का कहना है कि शिकायत करने के बावजूद जिम्मेदार अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे।

इस लापरवाही से गांव में आक्रोश व्याप्त है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द सफाई नहीं कराई गई तो वे विरोध मैं विरोध प्रदर्शन करेंगे ग्राम सचिव को फोन मिलाया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया फिर एडियो पंचायत धीर सिंह से बात हुई तो उन्होंने बताया की मोहम्मदपुर सकिश्त गांव में सफाई कर्मी लगा हुआ है।