गहराई से हुई जांच तो खुलेंगे भ्रष्टाचार के दबे राज़
हलिया विकासखंड के मनिगढ़ा गांव में विकास कार्यों में हुआ है लंबा खेल
महिला ग्राम प्रधान को पता ही नहीं कब कहां और कितना हुआ विकास कार्य
*महिला ग्राम प्रधान कहती हैं 'ऊ जाने कउन काम कहां भईल बा...'
(एसडी गोस्वामी)
मीरजापुर। ग्राम पंचायतों का कार्यकाल समाप्ति की ओर धीरे-धीरे बढ़ रहा है, तो वहीं आगामी ग्राम पंचायत चुनाव में पुनः ताल ठोकने को नए चेहरे से लेकर पुराने चेहरे भी उतावले देखें जा सकतें हैं। ऐसे में अब ग्रामीण मतदाताओं में प्रधान द्वारा कराए गए विकास कार्यों को लेकर भी गांव के चट्टी चौराहों पर परिचर्चा तेज़ हो गई है। इनमें ग्राम प्रधान के कार्य व्यवहार से लेकर सबसे अहम मुद्दा वह विकास कार्य है जिसे कितना धरातल पर दिखाया गया है और कितना कागजों में दिखाकर सरकारी धन को हज़म किया गया है उसको लेकर चर्चा कुछ खास हो रही है। इन्हीं चचाओं के केन्द्र बिन्दु में जिले के अति पिछड़े इलाके हलिया विकास खंड क्षेत्र का मनिगढ़ा गांव सुर्खियों में है जहां विकास कार्यों के नाम पर लाखों-करोड़ों का वारा न्यारा कुछ ऐसे किया गया है कि उसे देख कोई भी शरमा उठेगा। अलबत्ता उन्हें शर्म नहीं आएगी जिन्होंने इसे अंजाम तक पहुंचाया है। सर्वप्रथम आपको बताते चलें कि हलिया विकासखंड क्षेत्र का मनिगढ़ा गांव जनपद के आखिरी छोर पर स्थित मध्य प्रदेश की सीमा से लगा हुआ जंगल पहाड़ से घिरा हुआ है। जहां कि ग्राम प्रधान कहने को तो पिछड़ीं जाति की महिला हैं, लेकिन उन्हें खुद नहीं पता कि वह गांव कि प्रधान भी हैं, ग्रामीण भी उन्हें कभी भी गांव के विकास कार्यों की खातिर कहीं देखें नहीं हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिरकार तब गांव के प्रधान के कार्य को कौन अंजाम देता आया है, किसने
विकास कार्यों में सरकारी धन का बंदरबांट किया है? तो आपको बताते चलें कि इसके लिए महिला ग्राम प्रधान देवराजी देवी पहले ही जहां हाथ खड़े कर देती हैं कि वह कुछ नहीं जानती, वहीं ग्रामीण स्वयं-भू ग्राम प्रधान बने बैठे व्यक्ति का नाम लेते हुए सारा ठिकरा उस व्यक्ति पर ठोंक जांच की मांग करते हैं। ग्रामीणों की मानें तो गांव में सड़क खड़ंजा से लेकर बिजली-पानी और कुआं तालाब के जीर्णोद्धार, जगत निर्माण तक लाखों का गमन किया गया है। हद तो यह देखिए धरातल पर विकास कार्य हुआ ही नहीं और कागजों में काम दिखाकर सरकारी धन का बंदरबांट कर लिया गया है। जिसकी ज़मीनी स्तर पर जिम्मेदारी अधिकारियों ने जांच करनी भी मुनासिब नहीं समझा है। ग्रामीण बताते हैं कि कुछ चहेते लोगों को खड़ा कराकर फोटोग्राफी कराकर गांव में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया गया है। हद की बात तो यह है कि मंदिर-मस्जिद के रास्ते और चबूतरा निर्माण के नाम पर भी लाखों का वारा न्यारा कर लिया गया है। मनिगढ़ा गांव के विकास कार्यों के नाम पर प्रतिवर्ष लाखों का बंदरबांट होता आया है। यहां तक की मनरेगा योजना में भी जमकर खेला हुआ है। राज्य सरकार की मंशा और नीतियों पर पानी फेरते हुए पूरी तरह से भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हुए एक नहीं अनगिनत योजनाओं विकास कार्यों के नाम पर मनिगढ़ा गांव सरकारी धन का बंदरबांट करते हुए पूरी तरह से मनमानी की गई है। अलबत्ता गांव में विकास योजनाओं में हुई कागज़ी कोरम बाजी के विरुद्ध जब जब ग्रामीणों ने आवाज उठाने की हिकामत कि है तब-तब गांव में कभी हिन्दू-मुस्लिम तो कभी अन्य मामलों को आगे लाकर शासन-प्रशासन से लगाय स्थानीय पुलिस-प्रशासन और ग्रामीणों का ध्यान भटकाते हुए नये विवादों को बढ़ावा देने का काम किया गया। इससे न केवल प्रशासन की मुश्किलें बढ़ उठी थी बल्कि गांव का शांत वातावरण भी अशांति में तब्दील होते होते बचा है। पिछले दिनों ग्रामीणों ने जिलाधिकारी पवन कुमार गंगवार को पांच वर्षों में हुए भ्रष्टाचार और विकास कार्यों में हुए बंदरबांट की लंबी लिस्ट सौंपते हुए जांच कराकर इसमें संलिप्त लोगों पर कार्रवाई किए जाने की मांग की है। अब देखना यह है कि इस मामले में कब जिलाधिकारी एक्शन लेते हुए कार्रवाई सुनिश्चित करते हैं।















4 hours ago
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