अमेरिका के दौरे पर पहुंचे अहमद अल शरा, कभी आतंकियों की लिस्ट में थे शुमार

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सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शरा शनिवार को आधिकारिक दौरे पर अमेरिका पहुंचे हैं। शरा सोमवार को वाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात करेंगे। साल 1946 में देश की आजादी के बाद यानी करीब आठ दशक में यह पहली बार हो रहा है, जब कोई सीरियाई राष्ट्रपति अमेरिकी दौरा कर रहा है। सीरियाई राष्ट्रपति का अमेरिका दौरा ऐसे समय हो रहा है, जब अमेरिका ने सीरियाई राष्ट्रपति अहमद अल शरा का नाम आतंकवादी सूची से एक दिन पहले ही हटाया है।

दौरे से पहले आतंकी की ब्लैक लिस्ट से निकाला

सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शरा को अमेरिका ने पहले आतंकवाद की ब्लैक लिस्ट से निकाला। इसी के बाद अब शनिवार को शरा एक ऐतिहासिक आधिकारिक दौरे पर अमेरिका पहुंचे हैं। शरा ने इससे पहले मई में सऊदी अरब में ट्रंप से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद शरा के अमेरिकी दौरे का रास्ता साफ हुआ।

आईएसआईएस के खिलाफ दिख सकती है एकजुटता

शरा के नेतृत्व वाले गुट ने बीते साल बशर अल असद का तख्तापलट करते हुए सीरिया की सत्ता पर कब्जा किया था। सीरिया में अमेरिका के राजदूत टॉम बराक ने उम्मीद जताई कि अहमद अल शरा के इस अमेरिका दौरे पर सीरिया की सरकार, आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट के खिलाफ अमेरिका के नेतृत्व वाले गुट में शामिल होने के समझौते पर हस्ताक्षर कर सकती है। ट्रंप के साथ सोमवार को होने वाली बैठक के दौरान सीरियाई और अमेरिका के राष्ट्रपति सीरिया के पुनर्निर्माण पर भी चर्चा कर सकते हैं।

आतंकी संगठन अल कायदा से रहा है जुड़ाव

अहमद अल शरा के पूर्व के संगठन हयात तहरीर अल-शाम का खूंखार आतंकी संगठन अल-कायदा से जुड़ाव था। यही वजह थी कि अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने शरा का नाम आतंकवादी सूची में डाला हुआ था। हालांकि बाद में शरा सक्रिय राजनीति में उतरे और बीते साल बशर अल असद के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया। सत्ता संभालने के बाद से, शरा और सीरिया के नए नेतृत्व ने खुद को अपने उग्रवादी अतीत से दूर कर सीरियाई लोगों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने एक अधिक उदार छवि पेश करने की कोशिश की है।

कभी अमेरिका के आतंकियों के लिस्ट में था नाम, अब उससे रियाद में मिले राष्ट्रपति ट्रंप

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डोनाल्ड ट्रंप ने जब से अमेरिका के राष्ट्रपति का पद संभाला है, तब से उन्होंने अपने फैसलों से दुनिया को टौंका कर रख दिया है। इस बार अपनी मध्य पूर्व यात्रा के दौरान ट्रंप ने सीरिया पर लगाए गए प्रतिबंधों को हटाने का ऐलान किया। यही नहीं, ट्रंप ने सीरिया के लीडर अहमद अल-शरा से भी मुलाकात की है। सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शरा वही शख्स हैं, जो पिछले साल तक अमेरिकी आतंकी सूची में था।

13 साल पुराने प्रतिबंध हटाने का एलान

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शरा से रियाद में मुलाकात की। उनके साथ सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान भी थे। डोनाल्ड ट्रंप ने सीरिया के राष्ट्रपति अल-शरा से अब्राहम समझौते पर हस्ताक्षर करने और इजरायल को मान्यता देने को कहा है। इसके अलावा ट्रंप ने सीरिया पर लगे 13 साल पुराने प्रतिबंध हटाने का एलान किया। साथ ही कहा कि हमें उम्मीद है कि सीरिया की नई सरकार देश में स्थिरता और शांति लाएगी।

क्राउन प्रिंस और एर्दोआन भी बैठक में हुए शामिल

डोनाल्ड ट्रंप और सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शरा के बीच बैठक लगभग 33 मिनट तक चली, जिसमें सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान भी मौजूद रहे और तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन ने वीडियो कॉल के जरिए हिस्सा लिया। बैठक के बाद ट्रंप ने बताया कि उन्हें अल-शरा से मिलने के लिए सऊदी और तुर्की नेताओं ने प्रेरित किया। साथ ही इस बैठक के बाद ट्रंप ने ऐलान किया कि सीरिया पर 2011 से लगे आर्थिक प्रतिबंध हटा लिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सीरिया में अब एक नई सरकार है जो देश में शांति और स्थिरता ला सकती है। यही हम देखना चाहते हैं।

ट्रंप की इस मुलाकात पर उठ रहे सवाल

अल-शरा सीरिया के चरमपंथी संगठन हयात तहरीर अल-शाम के प्रमुख है। इसी संगठन ने सीरिया से बशर अल-असद के तख्तापलट में अहम भूमिका निभाई है और अल-कायदा से जुड़े रहे हैं। ये संगठन भी अमेरिका की प्रतिबंधित सूची में शामिल है। ट्रंप की इस मुलाकात के बाद उनके ऊपर कई सवाल उठाए जा रहे हैं, जिस अमेरिका ने आतंकवाद को खत्म करने के नाम पर मध्य पूर्व के कई देशों में बम गिराए उसका नेता आज एक ‘आतंकवादी’ से मिल रहा है।

अल-शरा ने उखाड़ फेंका असद की सरकार

सीरिया में बशर अल-असद ने लगभग 25 सालों तक सख़्ती के साथ शासन किया था और अक्सर पश्चिमी देशों सहित कई अन्य देश इसकी निंदा भी करते रहे हैं। लेकिन पिछले साल नवंबर में हयात तहरीर अल-शाम या एचटीएस के नेतृत्व वाले विद्रोहियों ने असद सरकार को उखाड़ फेंका और देश पर कब्जा कर लिया। बशर अल-असद के सत्ता से बेदख़ल होने के बाद एचटीएस के प्रमुख अहमद अल-शरा उर्फ अबू मोहम्मद अल जुलानी देश की कमान संभाल रहे हैं।

अहमद अल-शरा बने सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति, बशर असद को सत्ता से किया था बेदखल

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सीरिया में 50 वर्षों के असद शासन का अंत हो चुका है। पिछले साल दिसंबर में विद्रोहियों ने सीरिया में तख्तापलट कर दिया। इसके बाद यहां बशर अल-असल की सरकार गिर गई। जिसके बाद विद्रोही गुट हयात तहरीर-अल-शाम ने यहां सत्ता संभाली। इस गुट के नेता अहमद अल-शरा हैं। जिन्हें 29 जनवरी को देश का अंतरिम राष्ट्रपति नियुक्त किया गया और उन्हें विधायिका बनाने का दायित्व सौंपा गया।

बुधवार को देश के अंतरिम राष्ट्रपति की नियुक्त के संबंध में सीरिया की नयी सरकार के सैन्य संचालन क्षेत्र के प्रवक्ता ने जानकारी दी। सीरिया की नयी सरकार के सैन्य संचालन क्षेत्र के प्रवक्ता कर्नल हसन अब्दुल गनी ने कहा कि अहमद अल-शरा इस्लामी पूर्व विद्रोही गुट हयात तहरीर अल-शाम के नेता हैं। उन्हें देश के अंतरिम राष्ट्रपति के रूप में नियुक्त किया गया है। शरा के इसी गुट ने पिछले महीने असद को सत्ता से बेदखल करने में मुख्य भूमिका निभाई थी।

बता दें कि अहमद अल-शरा के सत्ता में आने के बाद देश में 2012 के संविधान को निलंबित कर दिया गया है। इसके अलावा असद सरकार की संसद को भंग कर दिया गया है। नई अस्थायी विधान परिषद का गठन किया जाएगा। शरा ने कहा कि उनकी प्राथमिकता देश में शांति स्थापित करना, संस्थानों का पुनर्निर्माण करना और एक स्थिर अर्थव्यवस्था का निर्माण करना होगा।

अहमद अल-शरा पहले अबू मोहम्मद अल-जुलानी के नाम से जाने जाते थे। अल-शरा का जन्म 1982 में दमिश्क में हुआ। वह कुछ वक्त सऊदी अरब में रहे। यहां उनके पिता काम करते थे। इसके बाद उनकी परवरिश सीरिया में ही हुई। विद्रोही गुट में शामिल होने से पहले अहमद अल-शरा ने डॉक्टरी की पढ़ाई पढ़ी। साल 2011 में सीरिया में गृहयुद्ध शुरू हुआ। उन्होंने अल नुसरा फ्रंट बनाई. ये अल कायदा की ब्रांच है। इसी को बाद में हयात तहरीर अल-शाम नाम पड़ा। अमेरिका ने अल-शरा को कई सालों तक आतंकवादी करार दिया। उन पर उसने 10 मिलियन डॉलर का इनाम भी रखा। उन्होंने साल 2016 में अलकायदा से अपने आपको अलग कर लिया और एचटीएस को बढ़ाया। उन्होंने इसे राष्ट्रवादी फोर्स करार दिया। हाल के सालों में अल-शरा ने अपनी पगड़ी बदलकर सैनिक वर्दी पहन ली और अल्पसंख्यकों के साथ औरतों के हकों को महफूज करने की बात कही।

असद परिवार के करीब 50 वर्षीय शासन को सिर्फ 10 दिनों में विद्रोहियों ने हमला बोलकर खत्म कर दिया और अब राजनीतिक कैदियों को आजाद कराने के लिए जेलों व सुरक्षा सुविधाओं में तोड़फोड़ की। असद के पांच दशकों के कार्यकाल में सीरिया को अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, तुर्किये और सऊदी अरब जैसे कई बड़े देशों से विरोध झेलना पड़ा। जबकि रूस, इराक, मिस्र, लेबनान और ईरान ने असद का भरपूर साथ दिया।

भारत ने सीरिया से 75 लोगों को किया एयरलिफ्ट, जम्मू कश्मीर के 44 जायरीन शामिल

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सीरिया में तख्त पलट हो गया है। विरोधी ग्रुप हयात तहरीर अल शाम ने सीरिया पर कब्जा कर लिया है और अब देश की बागडोर उसके हाथों में आ गई है। विद्रोहियों के कब्जे के बावजूद जगह-जगह विस्फोट हो रहे हैं। हमले हो रहे हैं। सरकारी इमारतें जलाई जा रही हैं। लूटपाट की जा रही है। सीरिया के हालात को खराब होता देख सभी देश अपने-अपने नागरिकों की सुरक्षा में लगे हुए हैं। भारत ने भी अपने 75 नागरिकों को सीरिया से बाहर निकाला है।

भारत ने सीरिया में विद्रोही बलों द्वारा बशर अल असद की सरकार को अपदस्थ किए जाने के दो दिन बाद मंगलवार को वहां से 75 भारतीय नागरिकों को बाहर निकाला। वि0श मंत्रालय ने इस बात की जानकारी दी। विदेश मंत्रालय ने कहा कि सुरक्षा स्थिति के आकलन के बाद दमिश्क और बेरूत स्थित भारतीय दूतावासों ने निकासी की प्रक्रिया की। देर रात जारी बयान में कहा गया, ‘भारत सरकार ने सीरिया में हाल में हुए घटनाक्रम के बाद आज 75 भारतीय नागरिकों को वहां से निकाला।’ इसमें कहा गया, ‘निकाले गए लोगों में जम्मू कश्मीर के 44 जायरीन शामिल हैं, जो सईदा जैनब(सीरिया में शिया मुस्लिमों का एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल) में फंसे हुए थे। सभी भारतीय नागरिक सुरक्षित रूप से लेबनान पहुंच गए हैं और वे उपलब्ध कमर्शियल उड़ानों से भारत लौटेंगे।’

विदेश मंत्रालय ने कहा कि विदेशों में रह रहे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता है। विदेश मंत्रालय के बयान के मुताबिक, यह अभियान दमिश्क और बेरूत में मौजूद भारतीय दूतावास की देखरेख में चलाया गया। विदेश मंत्रालय ने बताया कि सीरिया में सुरक्षा स्थिति का आकलन करने के बाद यह कदम उठाया गया है।

सेना से जुड़े लोगों को ढूंढ रहे विद्रोही

बता दें कि सीरिया की सत्ता पर अब हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) का कब्जा है। एचटीएस के लड़ाके बशर अल-असद सरकार और सेना से जुड़े लोगों को ढूंढ रही है। उन्हें पकड़कर कत्ल कर रही है। राष्ट्रपति रहे असद के भतीजे को पहले बीच चौराहे पर मारा-पीटा फिर फांसी दे दी। जिसको लटकाया गया, उसका नाम सुलेमान असद है। सुलेमान असद, सीरियाई सेना में बड़ा अफसर था। एचटीएस का खौफ इस कदर है कि अब कुर्द लड़ाके और असद सेना के सैनिक सरेंडर कर रहे हैं। घुटनों के बल बैठकर सैनिकों ने विद्रोहियों का साथ देने का ऐलान कर दिया।

ऐसे खौफ कायम कर रहा एचटीएस चीफ

एचटीएस चीफ मोहम्मद अल गोलानी ने कहा है कि जो भी अधिकारी, कर्मचारी सीरिया के लोगों के साथ अत्याचार में शामिल रहा है उनकी एक लिस्ट बनाई जा रही है। इनके बारे में जो भी सूचना देगा उसे ईनाम दिया जाएगा। गोलानी ने ये भी कहा कि हम ऐसे लोगों को बख्शेंगे नहीं। खौफनाक सजा देंगे, जिसका ट्रेलर असद के भतीजे को बीच चौराहे फांसी देकर दिखा भी दिया।

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सीरिया में 24 साल लंबे बशर अल-असद शासन का अंत हो गया है। हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) के कमांडर अबु मोहम्मद अल-जुलानी के नेतृत्व में विद्रोहियों ने रविवार को राजधानी दमिश्क पर भी कब्जा कर लिया। राष्ट्रपति बशर देश छोड़कर भाग गए हैं। करीब 13 साल से चल रहे गृहयुद्ध में विद्रोहियों ने आखिरकार सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद को देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने सीरियाई सेना को हथियार डालने का निर्देश भी दिया। इस बीच कई सालों के बाद विद्रोही समूह के शीर्ष कमांडर और एचटीएस के प्रमुख अबू मोहम्मद अल-जोलानी ने सीरिया में कदम रखा। बशर अल-असद को सत्ता से बेदखल किए जाने के कुछ ही देर बाद अबू जुलानी राजधानी दमिश्क पहुंचे।

दमिश्क पर कब्जे के करीब एक घंटे बाद सरकारी टीवी पर विद्रोहियों के समूह का बयान प्रसारित किया गया, जिसमें कहा गया कि राष्ट्रपति बशर को सत्ता से उखाड़ फेंका गया है और जेल से कैदियों को रिहा कर दिया गया है। अनस सलखादी नामक विद्रोही कमांडर ने सरकारी टीवी पर अल्पसंख्यकों को भरोसा दिया कि किसी से भेदभाव नहीं किया जाएगा। उसने कहा, सीरिया सभी के लिए है, कोई अपवाद नहीं। हम लोगों के साथ वैसा व्यवहार नहीं करेंगे जैसा असद परिवार ने किया।

असद का पतन इस्लामी राष्ट्र की जीत-जुलानी

विद्रोहियों के दमिश्क में दाखिल होने के बाद पहली बार उनका नेता अल-जुलानी सामने आया है। विद्रोहियों ने अपने टेलीग्राम चैनल पर अबू मोहम्मद अल-जुलानी के सीरिया पहुंचने का एक वीडियो शेयर किया। इसमें जुलानी कई सालों के बाद दमिश्क पहुंचकर धरती पर माथा टेकटे नजर आए। जोलानी एक खेत में घुटनों के बल बैठकर सीरिया की धरती को नमन करते नजर आए। वह दमिश्क में उमय्यद मस्जिद गए और असद के सत्ता के पतन को इस्लामी राष्ट्र की जीत बताया। मस्जिद के बाहर जमा सैकड़ों लोगों को संबोधित करते हुए उसने कहा कि असद ने सीरिया को ईरान के लालच का मैदान बना दिया था। उसने कहा कि इस महान विजय के बाद पूरे क्षेत्र में एक नया इतिहास लिखा जा रहा है।

असद ने सीरिया से भागकर मास्‍को में ली शरण

इधर देश से बागने के बाद सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद सीरिया से भागकर मास्‍को पहुंचे हैं। रूसी सरकारी मीडिया एजेंसियों ने क्रेमलिन के सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि अपदस्थ सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद और उनका परिवार मास्को में है। रिपोर्टों में यह भी कहा गया है कि असद और उनके परिवार को रूस ने शरण दे दी है। रूस के राष्‍ट्रपत‍ि पुत‍िन से उनके गहरे रिश्ते रहे हैं। पुत‍िन ने कई बार उन्‍हें संकटों से बचाया है।

11 दिन में ही हाथ से निकल सत्ता

सीरिया में करीब डेढ़ दशक से चल रहा गृहयुद्ध खत्‍म हो गया है। हालांकि, 2013 में सख्ती से विद्रोह को दबाने वाले राष्ट्रपति बशर के हाथ से सत्ता इस बार मात्र 11 दिन में ही निकल गई। विद्रोही लड़ाकों ने 27 नवंबर के बाद से हमले तेज कर दिए थे। 27 नवंबर को, विपक्षी लड़ाकों के गठबंधन ने सरकार समर्थक बलों के खिलाफ एक बड़ा हमला किया। पहला हमला विपक्ष के कब्जे वाले इदलिब और पड़ोसी अलेप्पो के गवर्नरेट के बीच अग्रिम मोर्चों पर किया गया। तीन दिन बाद, विपक्षी लड़ाकों ने सीरिया के दूसरे सबसे बड़े शहर अलेप्पो पर कब्ज़ा कर लिया।

विद्रोहियों में कौन-कौन से गुट शामिल

ऑपरेशन डिटरेंस ऑफ़ एग्रेशन नाम का यह हमला हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) के नेतृत्व में कई सशस्त्र सीरियाई विपक्षी समूहों द्वारा लड़ा गया था और सहयोगी तुर्की समर्थित गुटों द्वारा समर्थित था। अबू मोहम्मद अल-जुलानी के नेतृत्व में एचटीएस सबसे बड़ा और सबसे संगठित है, जिसने इस हमले से पहले कई सालों तक इदलिब के गवर्नरेट पर शासन किया था। ऑपरेशन में भाग लेने वाले अन्य समूह नेशनल फ्रंट फॉर लिबरेशन, अहरार अल-शाम, जैश अल-इज़्ज़ा और नूर अल-दीन अल-ज़ेंकी मूवमेंट थे, साथ ही तुर्की समर्थित गुट जो सीरियाई राष्ट्रीय सेना के छत्र के अंतर्गत आते हैं।

सीरिया के हालात गंभीर, भारत ने जताई चिंता, देर रात जारी की एडवाइजारी, दी ये सलाह

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सीरिया में इन दिनों जंग की वजह से हालात बहुत खराब हैं।यहां में बिगड़ती हालत पर भारत सरकार चिंतित है। इसे देखते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से एडवाइजरी जारी की गई है।भारत सरकार ने अपनी एडवाइजरी में कहा है कि अगली सूचना तक सीरिया की यात्रा करने से पूरी तरह बचें।विदेश मंत्रालय की तरफ से हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए गए हैं।एडवाइजरी में आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर और ईमेल आईडी भी साझा की गई है।

विदेश मंत्रालय ने सीरिया में वर्तमान में सभी भारतीयों से दमिश्क में भारतीय दूतावास के संपर्क में रहने की अपील की है। इसके अलावा सलाह दी गई है कि जो लोग वहां से निकल सकते हैं, वे जल्द से जल्द उपलब्ध वाणिज्यिक उड़ानों के जरिए सीरिया छोड़ दें। जो लोग ऐसा नहीं कर सकते, वे अपनी सुरक्षा को लेकर सतर्क रहें और कम से कम अपने घरों से बाहर निकलें।

एमरजेंसी नंबर और ईमेल आईडी जारी

सोशल मीडिया एक्स पर विदेश मंत्रालय ने पोस्ट किया, "सीरिया के हालात को देखते हुए भारतीय नागरिकों को सीरिया की यात्रा तक तक न करने की सलाह दी जाती है, जब तक इस बारे में फिर से सूचना नहीं दी जाती। सीरिया में रह रहे भारतीय नागरिकों को सलाह है कि वो भारतीय दूतावास के संपर्क में रहे। दमिश्क में भारतीय दूतावास की इमरजेंसी हेल्पलाइन नंबर +963993385793 पर संपर्क किया जा सकता है। यही नंबर व्हाट्स एप पर भी उपलब्ध है। इस नंबर से सभी जरूरी सूचनाएं जारी की जा रही हैं। पर आप ईमेल भी कर सकते हैं। अभी जो लोग सीरिया में हैं वो जल्द से जल्द वहां से लौटने की कोशिश करें और जब तक ऐसा नहीं हो पाता अपनी सुरक्षा का ख्याल रखें।"

सीरिया में क्यों जारी है जंग?

सीरिया इन दिनों राजनीतिक उथल-पुथल के दौर से गुज़र रहा है, रूस और ईरान समर्थित बशर अल-असद शासन खुद को विद्रोही समूहों और मिलिशिया से घिरा हुआ पा रहा है। इन समूहों को तुर्की का सपोर्ट है। विद्रोही बलों ने पिछले हफ़्ते सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल-असद को उखाड़ फेंकने के मकसद से तेज़ गति से हमला किया है।

विद्रोही समूहों का आक्रमण इतना तेज है कि सीरिया का दूसरा शहर अलेप्पो और हमा पहले ही राष्ट्रपति के नियंत्रण से बाहर हो चुका है। 2011 के गृह युद्ध के बाद पहली बार सीरिया में ऐसा हमला हुआ।

बसर अल असद की सरकार सीरिया में पिछले पांच दशक से सत्ता में है और पहली बार उनकी सरकार पतन होने की कगार पर है। अगर विद्रोहियों ने सीरिया के प्रमुख शहर होम्स पर कब्जा कर लिया तो इससे राजधानी दमिश्क में सत्ता की सीट भूमध्यसागरीय तट से कट जाएगी। दरअसल, इसे बसर अल असद का प्रमुख गढ़ माना जाता है।

*Mohun Bagan 7,2 East Bengal, Federation announced the final team*

Sports News 

 

 Khabar kolkata: The All India Football Federation announced the initial 50-man squad for the AFC Asia Cup. The final team was supposed to be chosen out of this. The Indian camp has already received a shock.

Young defender Anwar Ali was not even in the initial team due to injury. Indian football team will have to play in AFC Asian Cup without him. England's World Cup player has also been added to Igor Stimach's coaching team for this big tournament.This time Igor Stimach chose the final squad of 26 members.

India will face Australia in the opening match of the Asian Cup in Doha. Australia played in Qatar World Cup last year. India's tour begins with a tough fight. India will play against Australia in the first match of Group B on January 13. India's next match is against Uzbekistan on January 18. In the last match of the group stage, India will face Syria on January 23.After announcing the team, head coach Igor Stimach said, "Everyone in the team is equal in terms of football skills." We are a team, a family. But not only with talent, skills. It is not possible to get success if everyone does not make a desperate effort.

 Pic Courtesy by: AIFA

*10 players from Mohun Bagan and 3 players from East Bengal in the initial team of the Asian Cup*

Sports News

Khabar kolkata News bureau: Although the 50-member team has been announced for the time being, Stimach will choose the final team after the end of the camp. The Indian team is starting its journey in the AFC Asian Cup on January 13,2024. This time the expectations around Sunil Chhetri, Sandesh Jhingan are several times higher. India's first match in Asian Cup is against Australia. After that, Sunil will play against Uzbekistan on 18th and against Syria on 23rd.

India has been placed in a tough group in the Asian Cup. It is difficult to do good without good planning. So Sunil will hold a preparatory camp in Doha. There are ten footballers of Mohun Bagan in the camp of the Indian team. There are also three footballers from East Bengal. Mohun Bagan's Kian Nasiri has also been included in the preliminary list. Jamshidputra caught the eye in the green-maroon jersey in the ISL. Keane's game in the AFC Cup is also remembered by Stimacher. After that, the Croatian coach decided to keep him in the Asian Cup squad.Apart from Lalchungnunga and Naurem Mahesh Singh, Nandakumar has been kept in the 50-man squad.

Pic Courtesy by: AIFF

फ्रांस ने सीरियाई राष्ट्रपति के खिलाफ जारी किया गिरफ्तारी वारंट, जानें क्या है पूरा मामला?

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फ्रांस ने युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ अपराध के आरोपों में सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद की गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी किया है।उनके भाई माहेर असद और सेना के दो जनरल घासन अब्बास और बासम अल-हसन के खिलाफ भी इंटरनेशनल अरेस्ट वारंट जारी किया गया है। फ्रांसीसी न्यायिक अधिकारियों ने बुधवार को सीरिया के राष्ट्रपति बशर असद, उनके भाई और सेना के दो जनरलों के लिए दमिश्क के उपनगरों पर 2013 में रासायनिक हमले सहित युद्ध अपराधों और मानवता के खिलाफ अपराधों में शामिल होने के आरोप में अंतरराष्ट्रीय गिरफ्तारी वारंट जारी किए।

सीरियन सेंटर फॉर मीडिया एंड फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन (SCM) के संस्थापक और महानिदेशक वकील माज़ेन दरविश ने बुधवार को एक बयान में कहा कि ये फैसला एक ऐतिहासिक न्यायिक मिसाल है। ये पीड़ितों के परिवारों और बचे लोगों के लिए एक नई जीत है। ये सीरिया में स्थायी शांति की राह पर एक कदम है। सीरियन आर्काइव के संस्थापक हादी अल खतीब ने कहा कि इन गिरफ्तारी वारंटों के साथ फ्रांस एक दृढ़ रुख अपना रहा है। दस साल पहले हुए भयानक अपराधों को बेहिसाब नहीं छोड़ा जा सकता है और न ही छोड़ा जाएगा।

माना जा रहा है कि बशर असद को गिरफ्तार करने के लिए इंटरपोल की मदद ली जा सकती है। इंटरपोल अगर असद, उनके भाई और सेना के दो जनरलों के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी करता है तो असद को इंटरपोल के किसी भी सिग्नेटरी देश में गिरफ्तार किया जा सकता है।गौर करने वाली बात है कि सीरिया खुद 1953 से इंटरपोल में सिग्नेटरी है।

सीरियाई मीडिया सेंटर, फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन, ओपन सोसाइटी जस्टिस इनिशियेटिव और सीरिया आर्काइव ने मार्च 2021 में असद समेत सभी आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कराया था। आरोप था कि अगस्त 2013 में डौमा और पूर्वी घोउटा पर हुए हमलों में 1,000 से अधिक लोग मारे गए और हजारों घायल हो गए। सीरियाई सरकार पर दमिश्क के उपनगर घोउटा में जहरीली गैस का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया था। उस वक्त घोउटा विद्रोहियों का गढ़ माना जाता था। सीरियाई सरकार विद्रोहियों से घोउटा को खाली कराने के लिए जोरदार कोशिश कर रहा था। उन्होंने घोउटा में जहरीली गैस का इस्तेमाल किया था। वकीलों के बयान में कहा गया कि अगस्त 2013 के हमलों में जीवित बचे लोगों की गवाही के आधार पर एक आपराधिक शिकायत के जवाब में जांच शुरू की गई थी।

इजराइल-हमास जंग के बीच अमेरिका की बड़ी कार्रवाई, सीरिया में बड़ा हवाई हमला, ईरान समर्थित संगठनों को बनाया निशाना

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इजराइल हमास जंग के बीच अमेरिका ने सीरिया में बड़ा हवाई हमला किया है।अमेरिका ने पूर्वी सीरिया में स्थित ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) और उससे जुड़े समूहों के ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की है। अमेरिका का कहना है कि इस हफ्ते की शुरुआत में अमेरिकी बेस पर ड्रोन और मिसाइल से किए गए हमलों के मद्देनजर जह जवाबी कार्रवाई की गई है।रॉयटर के मुताबिक हमले का आदेश राष्ट्रपति जो बाइडेन ने दिया था।

अमेरिका ने यह कदम इराक और सीरिया में अमेरिकी सेना के खिलाफ किए हमलों के जवाब में उठाया है। अमेरिकी रक्षा सचिव (रक्षा मंत्री) लॉयड जे. ऑस्टिन ने इस संबंध में आधिकारिक बयान जारी किया है। उन्होंने कहा, अमेरिकी सेना ने सीरिया में दो मिलिशिया ठिकानों पर कार्रवाई की है, ये संगठन ईरान के इस्लामिक इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) की मदद करते है।

पेंटागन ने कहा कि इराक में यूएस एयरबेस पर फिर से हमला किया गया। इरबिल एयरबेस पर हमले की कोशिश की गई। लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ और केवल मामूली नुकसान हुआ।

पेंटागन के मुताबिक 17 अक्टूबर को इराक और सीरिया में अमेरिकी बेस पर कम से कम 12 हमले किये गए। इन हमलों में 21 अमेरिकी नागरिक घायल हुए। इराक में अमेरिका के बेस अल असद और सीरिया में अल-तनफ गैरिसन में ईरान से जुड़े संगठनों ने यह हमला किया था। अमेरिका का कहना है कि आज किया गया हमला उसी का जवाब है।

अमेरिका के दौरे पर पहुंचे अहमद अल शरा, कभी आतंकियों की लिस्ट में थे शुमार

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सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शरा शनिवार को आधिकारिक दौरे पर अमेरिका पहुंचे हैं। शरा सोमवार को वाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात करेंगे। साल 1946 में देश की आजादी के बाद यानी करीब आठ दशक में यह पहली बार हो रहा है, जब कोई सीरियाई राष्ट्रपति अमेरिकी दौरा कर रहा है। सीरियाई राष्ट्रपति का अमेरिका दौरा ऐसे समय हो रहा है, जब अमेरिका ने सीरियाई राष्ट्रपति अहमद अल शरा का नाम आतंकवादी सूची से एक दिन पहले ही हटाया है।

दौरे से पहले आतंकी की ब्लैक लिस्ट से निकाला

सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शरा को अमेरिका ने पहले आतंकवाद की ब्लैक लिस्ट से निकाला। इसी के बाद अब शनिवार को शरा एक ऐतिहासिक आधिकारिक दौरे पर अमेरिका पहुंचे हैं। शरा ने इससे पहले मई में सऊदी अरब में ट्रंप से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद शरा के अमेरिकी दौरे का रास्ता साफ हुआ।

आईएसआईएस के खिलाफ दिख सकती है एकजुटता

शरा के नेतृत्व वाले गुट ने बीते साल बशर अल असद का तख्तापलट करते हुए सीरिया की सत्ता पर कब्जा किया था। सीरिया में अमेरिका के राजदूत टॉम बराक ने उम्मीद जताई कि अहमद अल शरा के इस अमेरिका दौरे पर सीरिया की सरकार, आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट के खिलाफ अमेरिका के नेतृत्व वाले गुट में शामिल होने के समझौते पर हस्ताक्षर कर सकती है। ट्रंप के साथ सोमवार को होने वाली बैठक के दौरान सीरियाई और अमेरिका के राष्ट्रपति सीरिया के पुनर्निर्माण पर भी चर्चा कर सकते हैं।

आतंकी संगठन अल कायदा से रहा है जुड़ाव

अहमद अल शरा के पूर्व के संगठन हयात तहरीर अल-शाम का खूंखार आतंकी संगठन अल-कायदा से जुड़ाव था। यही वजह थी कि अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने शरा का नाम आतंकवादी सूची में डाला हुआ था। हालांकि बाद में शरा सक्रिय राजनीति में उतरे और बीते साल बशर अल असद के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया। सत्ता संभालने के बाद से, शरा और सीरिया के नए नेतृत्व ने खुद को अपने उग्रवादी अतीत से दूर कर सीरियाई लोगों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने एक अधिक उदार छवि पेश करने की कोशिश की है।

कभी अमेरिका के आतंकियों के लिस्ट में था नाम, अब उससे रियाद में मिले राष्ट्रपति ट्रंप

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डोनाल्ड ट्रंप ने जब से अमेरिका के राष्ट्रपति का पद संभाला है, तब से उन्होंने अपने फैसलों से दुनिया को टौंका कर रख दिया है। इस बार अपनी मध्य पूर्व यात्रा के दौरान ट्रंप ने सीरिया पर लगाए गए प्रतिबंधों को हटाने का ऐलान किया। यही नहीं, ट्रंप ने सीरिया के लीडर अहमद अल-शरा से भी मुलाकात की है। सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शरा वही शख्स हैं, जो पिछले साल तक अमेरिकी आतंकी सूची में था।

13 साल पुराने प्रतिबंध हटाने का एलान

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शरा से रियाद में मुलाकात की। उनके साथ सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान भी थे। डोनाल्ड ट्रंप ने सीरिया के राष्ट्रपति अल-शरा से अब्राहम समझौते पर हस्ताक्षर करने और इजरायल को मान्यता देने को कहा है। इसके अलावा ट्रंप ने सीरिया पर लगे 13 साल पुराने प्रतिबंध हटाने का एलान किया। साथ ही कहा कि हमें उम्मीद है कि सीरिया की नई सरकार देश में स्थिरता और शांति लाएगी।

क्राउन प्रिंस और एर्दोआन भी बैठक में हुए शामिल

डोनाल्ड ट्रंप और सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शरा के बीच बैठक लगभग 33 मिनट तक चली, जिसमें सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान भी मौजूद रहे और तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन ने वीडियो कॉल के जरिए हिस्सा लिया। बैठक के बाद ट्रंप ने बताया कि उन्हें अल-शरा से मिलने के लिए सऊदी और तुर्की नेताओं ने प्रेरित किया। साथ ही इस बैठक के बाद ट्रंप ने ऐलान किया कि सीरिया पर 2011 से लगे आर्थिक प्रतिबंध हटा लिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सीरिया में अब एक नई सरकार है जो देश में शांति और स्थिरता ला सकती है। यही हम देखना चाहते हैं।

ट्रंप की इस मुलाकात पर उठ रहे सवाल

अल-शरा सीरिया के चरमपंथी संगठन हयात तहरीर अल-शाम के प्रमुख है। इसी संगठन ने सीरिया से बशर अल-असद के तख्तापलट में अहम भूमिका निभाई है और अल-कायदा से जुड़े रहे हैं। ये संगठन भी अमेरिका की प्रतिबंधित सूची में शामिल है। ट्रंप की इस मुलाकात के बाद उनके ऊपर कई सवाल उठाए जा रहे हैं, जिस अमेरिका ने आतंकवाद को खत्म करने के नाम पर मध्य पूर्व के कई देशों में बम गिराए उसका नेता आज एक ‘आतंकवादी’ से मिल रहा है।

अल-शरा ने उखाड़ फेंका असद की सरकार

सीरिया में बशर अल-असद ने लगभग 25 सालों तक सख़्ती के साथ शासन किया था और अक्सर पश्चिमी देशों सहित कई अन्य देश इसकी निंदा भी करते रहे हैं। लेकिन पिछले साल नवंबर में हयात तहरीर अल-शाम या एचटीएस के नेतृत्व वाले विद्रोहियों ने असद सरकार को उखाड़ फेंका और देश पर कब्जा कर लिया। बशर अल-असद के सत्ता से बेदख़ल होने के बाद एचटीएस के प्रमुख अहमद अल-शरा उर्फ अबू मोहम्मद अल जुलानी देश की कमान संभाल रहे हैं।

अहमद अल-शरा बने सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति, बशर असद को सत्ता से किया था बेदखल

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सीरिया में 50 वर्षों के असद शासन का अंत हो चुका है। पिछले साल दिसंबर में विद्रोहियों ने सीरिया में तख्तापलट कर दिया। इसके बाद यहां बशर अल-असल की सरकार गिर गई। जिसके बाद विद्रोही गुट हयात तहरीर-अल-शाम ने यहां सत्ता संभाली। इस गुट के नेता अहमद अल-शरा हैं। जिन्हें 29 जनवरी को देश का अंतरिम राष्ट्रपति नियुक्त किया गया और उन्हें विधायिका बनाने का दायित्व सौंपा गया।

बुधवार को देश के अंतरिम राष्ट्रपति की नियुक्त के संबंध में सीरिया की नयी सरकार के सैन्य संचालन क्षेत्र के प्रवक्ता ने जानकारी दी। सीरिया की नयी सरकार के सैन्य संचालन क्षेत्र के प्रवक्ता कर्नल हसन अब्दुल गनी ने कहा कि अहमद अल-शरा इस्लामी पूर्व विद्रोही गुट हयात तहरीर अल-शाम के नेता हैं। उन्हें देश के अंतरिम राष्ट्रपति के रूप में नियुक्त किया गया है। शरा के इसी गुट ने पिछले महीने असद को सत्ता से बेदखल करने में मुख्य भूमिका निभाई थी।

बता दें कि अहमद अल-शरा के सत्ता में आने के बाद देश में 2012 के संविधान को निलंबित कर दिया गया है। इसके अलावा असद सरकार की संसद को भंग कर दिया गया है। नई अस्थायी विधान परिषद का गठन किया जाएगा। शरा ने कहा कि उनकी प्राथमिकता देश में शांति स्थापित करना, संस्थानों का पुनर्निर्माण करना और एक स्थिर अर्थव्यवस्था का निर्माण करना होगा।

अहमद अल-शरा पहले अबू मोहम्मद अल-जुलानी के नाम से जाने जाते थे। अल-शरा का जन्म 1982 में दमिश्क में हुआ। वह कुछ वक्त सऊदी अरब में रहे। यहां उनके पिता काम करते थे। इसके बाद उनकी परवरिश सीरिया में ही हुई। विद्रोही गुट में शामिल होने से पहले अहमद अल-शरा ने डॉक्टरी की पढ़ाई पढ़ी। साल 2011 में सीरिया में गृहयुद्ध शुरू हुआ। उन्होंने अल नुसरा फ्रंट बनाई. ये अल कायदा की ब्रांच है। इसी को बाद में हयात तहरीर अल-शाम नाम पड़ा। अमेरिका ने अल-शरा को कई सालों तक आतंकवादी करार दिया। उन पर उसने 10 मिलियन डॉलर का इनाम भी रखा। उन्होंने साल 2016 में अलकायदा से अपने आपको अलग कर लिया और एचटीएस को बढ़ाया। उन्होंने इसे राष्ट्रवादी फोर्स करार दिया। हाल के सालों में अल-शरा ने अपनी पगड़ी बदलकर सैनिक वर्दी पहन ली और अल्पसंख्यकों के साथ औरतों के हकों को महफूज करने की बात कही।

असद परिवार के करीब 50 वर्षीय शासन को सिर्फ 10 दिनों में विद्रोहियों ने हमला बोलकर खत्म कर दिया और अब राजनीतिक कैदियों को आजाद कराने के लिए जेलों व सुरक्षा सुविधाओं में तोड़फोड़ की। असद के पांच दशकों के कार्यकाल में सीरिया को अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, तुर्किये और सऊदी अरब जैसे कई बड़े देशों से विरोध झेलना पड़ा। जबकि रूस, इराक, मिस्र, लेबनान और ईरान ने असद का भरपूर साथ दिया।

भारत ने सीरिया से 75 लोगों को किया एयरलिफ्ट, जम्मू कश्मीर के 44 जायरीन शामिल

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सीरिया में तख्त पलट हो गया है। विरोधी ग्रुप हयात तहरीर अल शाम ने सीरिया पर कब्जा कर लिया है और अब देश की बागडोर उसके हाथों में आ गई है। विद्रोहियों के कब्जे के बावजूद जगह-जगह विस्फोट हो रहे हैं। हमले हो रहे हैं। सरकारी इमारतें जलाई जा रही हैं। लूटपाट की जा रही है। सीरिया के हालात को खराब होता देख सभी देश अपने-अपने नागरिकों की सुरक्षा में लगे हुए हैं। भारत ने भी अपने 75 नागरिकों को सीरिया से बाहर निकाला है।

भारत ने सीरिया में विद्रोही बलों द्वारा बशर अल असद की सरकार को अपदस्थ किए जाने के दो दिन बाद मंगलवार को वहां से 75 भारतीय नागरिकों को बाहर निकाला। वि0श मंत्रालय ने इस बात की जानकारी दी। विदेश मंत्रालय ने कहा कि सुरक्षा स्थिति के आकलन के बाद दमिश्क और बेरूत स्थित भारतीय दूतावासों ने निकासी की प्रक्रिया की। देर रात जारी बयान में कहा गया, ‘भारत सरकार ने सीरिया में हाल में हुए घटनाक्रम के बाद आज 75 भारतीय नागरिकों को वहां से निकाला।’ इसमें कहा गया, ‘निकाले गए लोगों में जम्मू कश्मीर के 44 जायरीन शामिल हैं, जो सईदा जैनब(सीरिया में शिया मुस्लिमों का एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल) में फंसे हुए थे। सभी भारतीय नागरिक सुरक्षित रूप से लेबनान पहुंच गए हैं और वे उपलब्ध कमर्शियल उड़ानों से भारत लौटेंगे।’

विदेश मंत्रालय ने कहा कि विदेशों में रह रहे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता है। विदेश मंत्रालय के बयान के मुताबिक, यह अभियान दमिश्क और बेरूत में मौजूद भारतीय दूतावास की देखरेख में चलाया गया। विदेश मंत्रालय ने बताया कि सीरिया में सुरक्षा स्थिति का आकलन करने के बाद यह कदम उठाया गया है।

सेना से जुड़े लोगों को ढूंढ रहे विद्रोही

बता दें कि सीरिया की सत्ता पर अब हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) का कब्जा है। एचटीएस के लड़ाके बशर अल-असद सरकार और सेना से जुड़े लोगों को ढूंढ रही है। उन्हें पकड़कर कत्ल कर रही है। राष्ट्रपति रहे असद के भतीजे को पहले बीच चौराहे पर मारा-पीटा फिर फांसी दे दी। जिसको लटकाया गया, उसका नाम सुलेमान असद है। सुलेमान असद, सीरियाई सेना में बड़ा अफसर था। एचटीएस का खौफ इस कदर है कि अब कुर्द लड़ाके और असद सेना के सैनिक सरेंडर कर रहे हैं। घुटनों के बल बैठकर सैनिकों ने विद्रोहियों का साथ देने का ऐलान कर दिया।

ऐसे खौफ कायम कर रहा एचटीएस चीफ

एचटीएस चीफ मोहम्मद अल गोलानी ने कहा है कि जो भी अधिकारी, कर्मचारी सीरिया के लोगों के साथ अत्याचार में शामिल रहा है उनकी एक लिस्ट बनाई जा रही है। इनके बारे में जो भी सूचना देगा उसे ईनाम दिया जाएगा। गोलानी ने ये भी कहा कि हम ऐसे लोगों को बख्शेंगे नहीं। खौफनाक सजा देंगे, जिसका ट्रेलर असद के भतीजे को बीच चौराहे फांसी देकर दिखा भी दिया।

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सीरिया में 24 साल लंबे बशर अल-असद शासन का अंत हो गया है। हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) के कमांडर अबु मोहम्मद अल-जुलानी के नेतृत्व में विद्रोहियों ने रविवार को राजधानी दमिश्क पर भी कब्जा कर लिया। राष्ट्रपति बशर देश छोड़कर भाग गए हैं। करीब 13 साल से चल रहे गृहयुद्ध में विद्रोहियों ने आखिरकार सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद को देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने सीरियाई सेना को हथियार डालने का निर्देश भी दिया। इस बीच कई सालों के बाद विद्रोही समूह के शीर्ष कमांडर और एचटीएस के प्रमुख अबू मोहम्मद अल-जोलानी ने सीरिया में कदम रखा। बशर अल-असद को सत्ता से बेदखल किए जाने के कुछ ही देर बाद अबू जुलानी राजधानी दमिश्क पहुंचे।

दमिश्क पर कब्जे के करीब एक घंटे बाद सरकारी टीवी पर विद्रोहियों के समूह का बयान प्रसारित किया गया, जिसमें कहा गया कि राष्ट्रपति बशर को सत्ता से उखाड़ फेंका गया है और जेल से कैदियों को रिहा कर दिया गया है। अनस सलखादी नामक विद्रोही कमांडर ने सरकारी टीवी पर अल्पसंख्यकों को भरोसा दिया कि किसी से भेदभाव नहीं किया जाएगा। उसने कहा, सीरिया सभी के लिए है, कोई अपवाद नहीं। हम लोगों के साथ वैसा व्यवहार नहीं करेंगे जैसा असद परिवार ने किया।

असद का पतन इस्लामी राष्ट्र की जीत-जुलानी

विद्रोहियों के दमिश्क में दाखिल होने के बाद पहली बार उनका नेता अल-जुलानी सामने आया है। विद्रोहियों ने अपने टेलीग्राम चैनल पर अबू मोहम्मद अल-जुलानी के सीरिया पहुंचने का एक वीडियो शेयर किया। इसमें जुलानी कई सालों के बाद दमिश्क पहुंचकर धरती पर माथा टेकटे नजर आए। जोलानी एक खेत में घुटनों के बल बैठकर सीरिया की धरती को नमन करते नजर आए। वह दमिश्क में उमय्यद मस्जिद गए और असद के सत्ता के पतन को इस्लामी राष्ट्र की जीत बताया। मस्जिद के बाहर जमा सैकड़ों लोगों को संबोधित करते हुए उसने कहा कि असद ने सीरिया को ईरान के लालच का मैदान बना दिया था। उसने कहा कि इस महान विजय के बाद पूरे क्षेत्र में एक नया इतिहास लिखा जा रहा है।

असद ने सीरिया से भागकर मास्‍को में ली शरण

इधर देश से बागने के बाद सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद सीरिया से भागकर मास्‍को पहुंचे हैं। रूसी सरकारी मीडिया एजेंसियों ने क्रेमलिन के सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि अपदस्थ सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद और उनका परिवार मास्को में है। रिपोर्टों में यह भी कहा गया है कि असद और उनके परिवार को रूस ने शरण दे दी है। रूस के राष्‍ट्रपत‍ि पुत‍िन से उनके गहरे रिश्ते रहे हैं। पुत‍िन ने कई बार उन्‍हें संकटों से बचाया है।

11 दिन में ही हाथ से निकल सत्ता

सीरिया में करीब डेढ़ दशक से चल रहा गृहयुद्ध खत्‍म हो गया है। हालांकि, 2013 में सख्ती से विद्रोह को दबाने वाले राष्ट्रपति बशर के हाथ से सत्ता इस बार मात्र 11 दिन में ही निकल गई। विद्रोही लड़ाकों ने 27 नवंबर के बाद से हमले तेज कर दिए थे। 27 नवंबर को, विपक्षी लड़ाकों के गठबंधन ने सरकार समर्थक बलों के खिलाफ एक बड़ा हमला किया। पहला हमला विपक्ष के कब्जे वाले इदलिब और पड़ोसी अलेप्पो के गवर्नरेट के बीच अग्रिम मोर्चों पर किया गया। तीन दिन बाद, विपक्षी लड़ाकों ने सीरिया के दूसरे सबसे बड़े शहर अलेप्पो पर कब्ज़ा कर लिया।

विद्रोहियों में कौन-कौन से गुट शामिल

ऑपरेशन डिटरेंस ऑफ़ एग्रेशन नाम का यह हमला हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) के नेतृत्व में कई सशस्त्र सीरियाई विपक्षी समूहों द्वारा लड़ा गया था और सहयोगी तुर्की समर्थित गुटों द्वारा समर्थित था। अबू मोहम्मद अल-जुलानी के नेतृत्व में एचटीएस सबसे बड़ा और सबसे संगठित है, जिसने इस हमले से पहले कई सालों तक इदलिब के गवर्नरेट पर शासन किया था। ऑपरेशन में भाग लेने वाले अन्य समूह नेशनल फ्रंट फॉर लिबरेशन, अहरार अल-शाम, जैश अल-इज़्ज़ा और नूर अल-दीन अल-ज़ेंकी मूवमेंट थे, साथ ही तुर्की समर्थित गुट जो सीरियाई राष्ट्रीय सेना के छत्र के अंतर्गत आते हैं।

सीरिया के हालात गंभीर, भारत ने जताई चिंता, देर रात जारी की एडवाइजारी, दी ये सलाह

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सीरिया में इन दिनों जंग की वजह से हालात बहुत खराब हैं।यहां में बिगड़ती हालत पर भारत सरकार चिंतित है। इसे देखते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से एडवाइजरी जारी की गई है।भारत सरकार ने अपनी एडवाइजरी में कहा है कि अगली सूचना तक सीरिया की यात्रा करने से पूरी तरह बचें।विदेश मंत्रालय की तरफ से हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए गए हैं।एडवाइजरी में आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर और ईमेल आईडी भी साझा की गई है।

विदेश मंत्रालय ने सीरिया में वर्तमान में सभी भारतीयों से दमिश्क में भारतीय दूतावास के संपर्क में रहने की अपील की है। इसके अलावा सलाह दी गई है कि जो लोग वहां से निकल सकते हैं, वे जल्द से जल्द उपलब्ध वाणिज्यिक उड़ानों के जरिए सीरिया छोड़ दें। जो लोग ऐसा नहीं कर सकते, वे अपनी सुरक्षा को लेकर सतर्क रहें और कम से कम अपने घरों से बाहर निकलें।

एमरजेंसी नंबर और ईमेल आईडी जारी

सोशल मीडिया एक्स पर विदेश मंत्रालय ने पोस्ट किया, "सीरिया के हालात को देखते हुए भारतीय नागरिकों को सीरिया की यात्रा तक तक न करने की सलाह दी जाती है, जब तक इस बारे में फिर से सूचना नहीं दी जाती। सीरिया में रह रहे भारतीय नागरिकों को सलाह है कि वो भारतीय दूतावास के संपर्क में रहे। दमिश्क में भारतीय दूतावास की इमरजेंसी हेल्पलाइन नंबर +963993385793 पर संपर्क किया जा सकता है। यही नंबर व्हाट्स एप पर भी उपलब्ध है। इस नंबर से सभी जरूरी सूचनाएं जारी की जा रही हैं। पर आप ईमेल भी कर सकते हैं। अभी जो लोग सीरिया में हैं वो जल्द से जल्द वहां से लौटने की कोशिश करें और जब तक ऐसा नहीं हो पाता अपनी सुरक्षा का ख्याल रखें।"

सीरिया में क्यों जारी है जंग?

सीरिया इन दिनों राजनीतिक उथल-पुथल के दौर से गुज़र रहा है, रूस और ईरान समर्थित बशर अल-असद शासन खुद को विद्रोही समूहों और मिलिशिया से घिरा हुआ पा रहा है। इन समूहों को तुर्की का सपोर्ट है। विद्रोही बलों ने पिछले हफ़्ते सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल-असद को उखाड़ फेंकने के मकसद से तेज़ गति से हमला किया है।

विद्रोही समूहों का आक्रमण इतना तेज है कि सीरिया का दूसरा शहर अलेप्पो और हमा पहले ही राष्ट्रपति के नियंत्रण से बाहर हो चुका है। 2011 के गृह युद्ध के बाद पहली बार सीरिया में ऐसा हमला हुआ।

बसर अल असद की सरकार सीरिया में पिछले पांच दशक से सत्ता में है और पहली बार उनकी सरकार पतन होने की कगार पर है। अगर विद्रोहियों ने सीरिया के प्रमुख शहर होम्स पर कब्जा कर लिया तो इससे राजधानी दमिश्क में सत्ता की सीट भूमध्यसागरीय तट से कट जाएगी। दरअसल, इसे बसर अल असद का प्रमुख गढ़ माना जाता है।

*Mohun Bagan 7,2 East Bengal, Federation announced the final team*

Sports News 

 

 Khabar kolkata: The All India Football Federation announced the initial 50-man squad for the AFC Asia Cup. The final team was supposed to be chosen out of this. The Indian camp has already received a shock.

Young defender Anwar Ali was not even in the initial team due to injury. Indian football team will have to play in AFC Asian Cup without him. England's World Cup player has also been added to Igor Stimach's coaching team for this big tournament.This time Igor Stimach chose the final squad of 26 members.

India will face Australia in the opening match of the Asian Cup in Doha. Australia played in Qatar World Cup last year. India's tour begins with a tough fight. India will play against Australia in the first match of Group B on January 13. India's next match is against Uzbekistan on January 18. In the last match of the group stage, India will face Syria on January 23.After announcing the team, head coach Igor Stimach said, "Everyone in the team is equal in terms of football skills." We are a team, a family. But not only with talent, skills. It is not possible to get success if everyone does not make a desperate effort.

 Pic Courtesy by: AIFA

*10 players from Mohun Bagan and 3 players from East Bengal in the initial team of the Asian Cup*

Sports News

Khabar kolkata News bureau: Although the 50-member team has been announced for the time being, Stimach will choose the final team after the end of the camp. The Indian team is starting its journey in the AFC Asian Cup on January 13,2024. This time the expectations around Sunil Chhetri, Sandesh Jhingan are several times higher. India's first match in Asian Cup is against Australia. After that, Sunil will play against Uzbekistan on 18th and against Syria on 23rd.

India has been placed in a tough group in the Asian Cup. It is difficult to do good without good planning. So Sunil will hold a preparatory camp in Doha. There are ten footballers of Mohun Bagan in the camp of the Indian team. There are also three footballers from East Bengal. Mohun Bagan's Kian Nasiri has also been included in the preliminary list. Jamshidputra caught the eye in the green-maroon jersey in the ISL. Keane's game in the AFC Cup is also remembered by Stimacher. After that, the Croatian coach decided to keep him in the Asian Cup squad.Apart from Lalchungnunga and Naurem Mahesh Singh, Nandakumar has been kept in the 50-man squad.

Pic Courtesy by: AIFF

फ्रांस ने सीरियाई राष्ट्रपति के खिलाफ जारी किया गिरफ्तारी वारंट, जानें क्या है पूरा मामला?

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फ्रांस ने युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ अपराध के आरोपों में सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद की गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी किया है।उनके भाई माहेर असद और सेना के दो जनरल घासन अब्बास और बासम अल-हसन के खिलाफ भी इंटरनेशनल अरेस्ट वारंट जारी किया गया है। फ्रांसीसी न्यायिक अधिकारियों ने बुधवार को सीरिया के राष्ट्रपति बशर असद, उनके भाई और सेना के दो जनरलों के लिए दमिश्क के उपनगरों पर 2013 में रासायनिक हमले सहित युद्ध अपराधों और मानवता के खिलाफ अपराधों में शामिल होने के आरोप में अंतरराष्ट्रीय गिरफ्तारी वारंट जारी किए।

सीरियन सेंटर फॉर मीडिया एंड फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन (SCM) के संस्थापक और महानिदेशक वकील माज़ेन दरविश ने बुधवार को एक बयान में कहा कि ये फैसला एक ऐतिहासिक न्यायिक मिसाल है। ये पीड़ितों के परिवारों और बचे लोगों के लिए एक नई जीत है। ये सीरिया में स्थायी शांति की राह पर एक कदम है। सीरियन आर्काइव के संस्थापक हादी अल खतीब ने कहा कि इन गिरफ्तारी वारंटों के साथ फ्रांस एक दृढ़ रुख अपना रहा है। दस साल पहले हुए भयानक अपराधों को बेहिसाब नहीं छोड़ा जा सकता है और न ही छोड़ा जाएगा।

माना जा रहा है कि बशर असद को गिरफ्तार करने के लिए इंटरपोल की मदद ली जा सकती है। इंटरपोल अगर असद, उनके भाई और सेना के दो जनरलों के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी करता है तो असद को इंटरपोल के किसी भी सिग्नेटरी देश में गिरफ्तार किया जा सकता है।गौर करने वाली बात है कि सीरिया खुद 1953 से इंटरपोल में सिग्नेटरी है।

सीरियाई मीडिया सेंटर, फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन, ओपन सोसाइटी जस्टिस इनिशियेटिव और सीरिया आर्काइव ने मार्च 2021 में असद समेत सभी आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कराया था। आरोप था कि अगस्त 2013 में डौमा और पूर्वी घोउटा पर हुए हमलों में 1,000 से अधिक लोग मारे गए और हजारों घायल हो गए। सीरियाई सरकार पर दमिश्क के उपनगर घोउटा में जहरीली गैस का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया था। उस वक्त घोउटा विद्रोहियों का गढ़ माना जाता था। सीरियाई सरकार विद्रोहियों से घोउटा को खाली कराने के लिए जोरदार कोशिश कर रहा था। उन्होंने घोउटा में जहरीली गैस का इस्तेमाल किया था। वकीलों के बयान में कहा गया कि अगस्त 2013 के हमलों में जीवित बचे लोगों की गवाही के आधार पर एक आपराधिक शिकायत के जवाब में जांच शुरू की गई थी।

इजराइल-हमास जंग के बीच अमेरिका की बड़ी कार्रवाई, सीरिया में बड़ा हवाई हमला, ईरान समर्थित संगठनों को बनाया निशाना

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इजराइल हमास जंग के बीच अमेरिका ने सीरिया में बड़ा हवाई हमला किया है।अमेरिका ने पूर्वी सीरिया में स्थित ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) और उससे जुड़े समूहों के ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की है। अमेरिका का कहना है कि इस हफ्ते की शुरुआत में अमेरिकी बेस पर ड्रोन और मिसाइल से किए गए हमलों के मद्देनजर जह जवाबी कार्रवाई की गई है।रॉयटर के मुताबिक हमले का आदेश राष्ट्रपति जो बाइडेन ने दिया था।

अमेरिका ने यह कदम इराक और सीरिया में अमेरिकी सेना के खिलाफ किए हमलों के जवाब में उठाया है। अमेरिकी रक्षा सचिव (रक्षा मंत्री) लॉयड जे. ऑस्टिन ने इस संबंध में आधिकारिक बयान जारी किया है। उन्होंने कहा, अमेरिकी सेना ने सीरिया में दो मिलिशिया ठिकानों पर कार्रवाई की है, ये संगठन ईरान के इस्लामिक इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) की मदद करते है।

पेंटागन ने कहा कि इराक में यूएस एयरबेस पर फिर से हमला किया गया। इरबिल एयरबेस पर हमले की कोशिश की गई। लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ और केवल मामूली नुकसान हुआ।

पेंटागन के मुताबिक 17 अक्टूबर को इराक और सीरिया में अमेरिकी बेस पर कम से कम 12 हमले किये गए। इन हमलों में 21 अमेरिकी नागरिक घायल हुए। इराक में अमेरिका के बेस अल असद और सीरिया में अल-तनफ गैरिसन में ईरान से जुड़े संगठनों ने यह हमला किया था। अमेरिका का कहना है कि आज किया गया हमला उसी का जवाब है।