अक्षय नवमी पर बेल्थरा रोड में श्रद्धा का माहौल, महिलाओं ने डाकबंगला पर बनाया प्रसाद और किया सामूहिक भोजन

बलिया जनपद के बेल्थरा रोड स्थित डाकबंगला परिसर में आज अक्षय नवमी के शुभ अवसर पर महिलाओं ने बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ पूजन-अर्चन किया। सुबह से ही महिलाएं पारंपरिक परिधानों में सजी धजी डाकबंगला पहुंचीं, जहां उन्होंने विधि-विधान से व्रत किया और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना के बाद प्रसाद बनाकर सामूहिक भोजन ग्रहण किया।
पूरे दिन वातावरण भक्ति-मय बना रहा। महिलाओं ने एक-दूसरे को अक्षय नवमी की शुभकामनाएं दीं और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। कार्यक्रम के दौरान महिलाओं ने साफ-सफाई और व्यवस्था की विशेष देखभाल की गई।

यूनाइटेड क्लब के स्थानीय लोगों का कहना था कि अक्षय नवमी का यह पर्व धर्म, दान और पूजा का प्रतीक है, जो हर वर्ष समाज में आस्था और एकता का संदेश देता है।
बिल्थरा रोड के जायसवाल धर्मशाला में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई गई भगवान सहस्त्रबाहु अर्जुन जी महाराज की जयंती
बलिया जनपद के बिल्थरा रोड स्थित जायसवाल धर्मशाला में मंगलवार को कलचुरी वंश, कलवार, कलार, कलाल एवं जायसवाल समाज के आराध्य देव, भगवान विष्णु के 24वें अवतार राजराजेश्वर भगवान श्री सहस्त्रबाहु अर्जुन जी महाराज का प्राकट्य दिवस अत्यंत श्रद्धा, भक्ति और उल्लास के साथ मनाया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता दुर्गा प्रसाद मधुलाला ने की, जबकि जायसवाल समाज के अध्यक्ष रतन लाल जायसवाल ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। मंच संचालन सुनील कुमार टिंकू ने बड़े ही प्रभावी ढंग से किया। कार्यक्रम के दौरान समाज के युवाओं और वक्ताओं ने भगवान सहस्त्रबाहु अर्जुन जी के जीवन, पराक्रम, नीति, धर्म और मर्यादा पर विस्तार से प्रकाश डाला। वक्ताओं में राजेश जी,अंकुर जायसवाल, रवि जायसवाल, किशन, आशीष, अमन , विशाल , गुलाब चन्द भोलू सन्नी,आदि ने अपने-अपने संबोधन में कुलगुरु के जीवन से प्रेरणा लेने और समाज में एकता, अनुशासन तथा प्रगति का संदेश दिया। नगर पंचायत व्यापार मंडल अध्यक्ष प्रशांत मंटू ने कहा कि “भगवान सहस्त्रबाहु अर्जुन जी के आदर्श आज भी समाज के मार्गदर्शक हैं। हमें उनके दिखाए रास्ते पर चलकर समाज और देश के विकास में योगदान देना चाहिए।”वहीं राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े विनोद कुमार पप्पू ने अपने संबोधन में कहा कि “आज जायसवाल समाज के लोग राजनीति में भी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। बिहार विधानसभा चुनाव में कई समाजसेवी उम्मीदवार समाज का गौरव बढ़ा रहे हैं। ऐसे में हर व्यक्ति को अपने समाज के प्रतिनिधियों को सहयोग और प्रोत्साहन देना चाहिए।  ”पूरे कार्यक्रम का माहौल भक्ति और उत्साह से भरा रहा। अंत में प्रसाद वितरण के साथ भगवान सहस्त्रबाहु अर्जुन जी महाराज की जयघोष से धर्मशाला गूंज उठी। देर रात तक चले इस कार्यक्रम में समाज के सैकड़ों लोग उपस्थित रहे और अपने आराध्य देव के प्रति आस्था प्रकट की।
बिल्थरा रोड में नवरात्रि मेले पर बरसी आफ़त की बारिश, पंडाल और सजावट को लाखों का नुकसान


बिल्थरा रोड।
नवरात्रि के शुभ अवसर पर नगर के विभिन्न क्लबों और मोहल्लों में लगे आकर्षक पंडालों और मेले की तैयारियों पर बुधवार की तेज़ बारिश ने पानी फेर दिया। मौसम की बेरुख़ी ने न केवल श्रद्धालुओं के उत्साह को ठंडा किया बल्कि आयोजकों को भारी आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ा।
सबसे अधिक असर यूनाइटेड क्लब के भव्य पंडाल पर पड़ा, जिसकी लागत करीब 3 लाख रुपए बताई जा रही है। बारिश से पूरा पंडाल भीग गया और सजावट की चमक फीकी पड़ गई। इसी तरह, रोड पर लगाए गए लाखों की रंग-बिरंगी लाइटें पानी में खराब हो गईं, जिससे रात का दृश्य उदास नज़र आया।

नगर के अन्य प्रमुख स्थानों जैसे लोहापट्टी, इंडियन क्लब, यंग क्लब, अमरज्योति क्लब और विभिन्न मोल्लों के पंडाल भी बारिश की चपेट में आ गए। कई जगहों पर सजावट के कपड़े और बिजली के उपकरण भीगकर अनुपयोगी हो गए।

श्रद्धालुओं ने बताया कि अचानक हुई तेज बारिश से दर्शन और भक्ति कार्यक्रमों में खलल पड़ा। लोग सुरक्षित जगहों पर भागते दिखे, वहीं आयोजक नुकसान की भरपाई की चिंता में डूब गए

स्थानीय लोगों ने प्रशासन और नगर पंचायत से अपील की है कि बिजली और जलनिकासी की व्यवस्था दुरुस्त की जाए, ताकि श्रद्धालु बिना किसी असुविधा के माँ दुर्गा के दर्शन कर सकें।
बिल्थरा रोड में पुलिस लाठीचार्ज से भक्ति माहौल बिगड़ा, श्रद्धालु आक्रोशित
बिल्थरा रोड में पुलिस लाठीचार्ज से भक्ति माहौल बिगड़ा, श्रद्धालु आक्रोशित
आज़म ख़ान की रिहाई पर बिल्थरा सपा कार्यकर्ताओं का जश्न, मिठाई बांटकर जताई खुशी – नेताओं ने कहा “सत्य की हुई जीत”
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री आज़म ख़ान की रिहाई की खबर मिलते ही समाजवादी कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं में खुशी की लहर दौड़ गई। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष शमशाद बसपारी के नेतृत्व में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाई और जश्न मनाया।

नेताओं ने इस मौके पर कहा कि “सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं। आज़म ख़ान की रिहाई न्याय की जीत है और यह साबित करती है कि सच अंततः सामने आता ही है।”
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जनता में भी खुशी का माहौल

सिर्फ पार्टी कार्यकर्ताओं ही नहीं, बल्कि आम लोगों ने भी आज़म ख़ान की रिहाई का स्वागत किया। मोहल्लों और गांवों में लोगों ने पटाखे फोड़े और ढोल-नगाड़ों की थाप पर खुशी का इजहार किया। कई लोगों ने कहा कि लंबे समय से राजनीतिक द्वेष की वजह से आज़म ख़ान को निशाना बनाया गया था, लेकिन अदालत ने सच को सामने रखकर उन्हें न्याय दिया।
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नेताओं की मौजूदगी

इस जश्न में प्रमुख रूप से शमशाद बसपारी, राजन कनौजिया, जनार्दन यादव, सज्जन पासवान, एडवोकेट राशिद कमाल पाशा, एडवोकेट अब्बासी साहब, पूर्व सभासद सुनील कुमार टिंकू, नेत्री गीता देवी सहित समाजवादी पार्टी के तमाम कार्यकर्ता मौजूद रहे। सभी ने एक स्वर में कहा कि यह रिहाई सपा कार्यकर्ताओं के हौसले को और मज़बूत करेगी।

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चुनावी सियासत पर असर

स्थानीय नेताओं का मानना है कि आज़म ख़ान की रिहाई से समाजवादी पार्टी को चुनावी मैदान में नई ऊर्जा मिलेगी। उन्होंने कहा कि जनता अब पहले से अधिक मजबूती से समाजवादी पार्टी के साथ खड़ी होगी और आने वाले विधानसभा व लोकसभा चुनावों में यह माहौल स्पष्ट दिखाई देगा।

सपा नेताओं ने संकल्प लिया कि पार्टी अन्याय और तानाशाही के खिलाफ अपनी लड़ाई और तेज करेगी और जनता की आवाज़ बनकर सड़कों से सदन तक अपनी मौजूदगी दर्ज कराएगी।
एमएलसी पप्पू सिंह की मां शकुंतला सिंह का निधन, बलिया क्षेत्र में शोक की लहर
बलिया। विधान परिषद सदस्य रविशंकर सिंह पप्पू की मां शकुंतला सिंह का 82 वर्ष की आयु में गुरुवार देर रात शहर के कासिम बाजार स्थित आवास पर निधन हो गया। उनके निधन की खबर मिलते ही पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। शुक्रवार सुबह से ही नेताओं, जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों के सदस्यों और व्यापारियों का शोक संवेदना व्यक्त करने के लिए उनके आवास पर तांता लगा रहा।

शकुंतला सिंह, स्वर्गीय गिरिजाशंकर सिंह (पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के भतीजे) की पत्नी थीं। वे आजीवन सामाजिक कार्यों से जुड़ी रहीं और सभी के बीच अपने सादगीपूर्ण व्यवहार के लिए जानी जाती थीं।

उनका अंतिम संस्कार गंगा नदी के पचरुखिया घाट पर किया गया, जहाँ मुखाग्नि उनके छोटे पुत्र आलोक सिंह ने दी।

इसी बीच संवरा स्थित देवस्थली विद्यापीठ में भी शुक्रवार को एक शोकसभा आयोजित की गई। विद्यालय के ‘शेखर सभागार’ में दो मिनट का मौन रखकर उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की गई। इसके बाद विद्यालय को अवकाश घोषित कर दिया गया। इस अवसर पर प्रधानाचार्य पीसी श्रीवास्तव, शिक्षकगण और छात्र-छात्राएँ मौजूद रहे। आज शनिवार को भी उनके निवास स्थान पर कई बड़े नेताओं के शोक संवेदना का दौर चलता रहा। वही रविशंकर सिंह पप्पू के पुत्र उत्कर्ष सिंह बिट्टू ने कहा दादी का चले जाना परिवार के लिए बहुत कष्ट दाई है।
हनुमान गढ़ी में तीज पर उमड़ा आस्था का महासागर, 10 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने किया हनुमान जी का प्रसाद ग्रहण

बेल्थरा रोड।
प्राचीन हनुमान गढ़ी रेलवे स्टेशन बिल्थरा रोड पर तीज पर्व एवं वार्षिक श्रृंगार महोत्सव के अवसर पर सोमवार को आस्था और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला। विशाल भंडारे में दस हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने हनुमान जी का प्रसाद ग्रहण कर पुण्य लाभ प्राप्त किया। पूरा वातावरण "जय श्री राम" और "जय बजरंगबली" के गगनभेदी नारों से गूंजता रहा।
यह भव्य आयोजन पिछले दस वर्षों से अधिक निरंतर समाजसेवियों और धर्मप्रेमियों के सहयोग से संपन्न हो रहा है और अब यह बेल्थरा रोड का सबसे बड़ा धार्मिक उत्सव बन चुका है। भक्तों की भारी भीड़ और उनके स्वागत-सत्कार की भव्य व्यवस्थाओं ने इसे ऐतिहासिक बना दिया।
भंडारे में श्रद्धालुओं की सेवा और व्यवस्था में पुजारी नागेंद्र उपाध्याय, प्रशांत कुमार मंटू, प्रवीण कुमार, जितेन्द्र सोनी, अनिल, सुनील टिंकू, अंचल वर्मा, सूबेदार भाई, यशवीर रिंकू सहित सैकड़ों सेवाभावी लोग तन-मन-धन से लगे रहे। भक्तों का स्वागत ऐसे किया जा रहा था मानो यह किसी भव्य मेला जैसा आयोजन हो। प्रसाद वितरण के दौरान भक्तों की भीड़ इनी उमड़ पड़ी कि पूरा रेलवे स्टेशन और आस-पास का इलाका श्रद्धा और भक्ति से सराबोर हो गया। महिलाएं के लिए इस बार अलग से व्यवस्था किया गया था ताकि किसी भी प्रकार से परेशानी न हो, पुरुष, बच्चे सभी श्रद्धालु भक्ति रस में डूबकर "हनुमान चालीसा" और भजनों का गायन करते रहे।
बलिया की धरती पर गूँजी आजादी की हुंकार: बिल्थरा रोड क्षेत्र चरौवा के चार शहीदों की गाथा

बलिया। देश के स्वतंत्रता संग्राम में बलिया के बिल्थरा रोड विधानसभा क्षेत्र स्थित चरौवा गांव का नाम स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। 25 अगस्त, 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान इस गांव के वीर सपूतों ने अंग्रेजी हुकूमत से सीधा मोर्चा लिया और अपने प्राणों की आहुति दी। इस संघर्ष ने न केवल बलिया, बल्कि पूरे पूर्वी उत्तर प्रदेश में क्रांति की एक नई लहर पैदा कर दी।
अंग्रेजों का दमन और चरौवा का आक्रोश

उस दौर में, अंग्रेज शासक नेदर सोल और मार्क्स स्मिथ के नेतृत्व में फौज बलिया पहुंची थी। 25 अगस्त को कैप्टन मूर का दस्ता चरौवा पहुंचा और गांव के सरपंच रामलखन सिंह से क्रांतिकारियों को सौंपने की मांग की। जब चौकीदार यह संदेश लेकर पहुंचा तो सरपंच ने उसे जोरदार तमाचा मारा, जिससे उसके कान से खून बहने लगा। यह घटना अंग्रेजों के लिए चुनौती बन गई और उन्होंने पूरे गांव को घेर लिया।
ग्रामीणों ने भी हार मानने के बजाय अंग्रेजों को ललकारा: "गोरों के पास दो हाथ की मशीन है तो हमारे पास छह फुट की लाठी है।" इसके बाद चरौवा की धरती पर लाठी-डंडों और अंग्रेजों की गोलियों के बीच भीषण संघर्ष शुरू हो गया।
वीरांगना मकतुलिया और तीन शहीदों का बलिदान
इस संघर्ष में गांव की वीरांगना मकतुलिया मालिन ने अद्भुत साहस का परिचय दिया। उन्होंने कैप्टन मूर पर हांडी से वार किया, जिससे बौखलाए मूर ने उन्हें गोलियों से छलनी करवा दिया। मकतुलिया का शव घाघरा नदी में फेंकवा दिया गया। इस जंग में तीन और वीर सपूत- खर बियार, मंगला सिंह, और शिवशंकर सिंह ने भी मातृभूमि के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। इन क्रांतिकारियों ने रेलवे पटरी को उखाड़कर और व्यवस्था ठप करके अंग्रेजों को कड़ी चुनौती दी।
इस संघर्ष के बाद अंग्रेजी सेना ने गांव में भीषण दमनचक्र चलाया। लूटपाट और उत्पीड़न के बावजूद चरौवा के लोग पीछे नहीं हटे। कन्हैया सिंह, राधा किशुन सिंह, दशरथ सिंह, कपिलदेव सिंह, बृज बिहारी सिंह, मृगराज सिंह, शम्भू सिंह, श्रीराम तिवारी, कमला स्वर्णकार और हरिप्रसाद स्वर्णकार जैसे कई क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों का डटकर मुकाबला किया और बाद में जेल भी गए। अंग्रेजी हुकूमत की क्रूरता का शिकार होने के बाद भी उनका हौसला नहीं टूटा।

बेल्थरारोड में भड़की क्रांति की ज्वाला

चरौवा का यह बलिदान एकाकी नहीं था। इससे पहले, 14 अगस्त, 1942 को इलाहाबाद से 'आज़ाद हिंद' ट्रेन बेल्थरारोड पहुंची थी। यहां छात्र-छात्राओं और क्रांतिकारियों की टोली ने जनमानस में जोश भर दिया था। आक्रोशित क्रांतिकारियों ने रेलवे स्टेशन और मालगोदाम को आग के हवाले कर दिया, बिजली-टेलीफोन के तार काट डाले और सरकारी व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया। इसी दौरान, डीएवी इंटर कॉलेज के अध्यापक चंद्रदीप सिंह ने रेलवे लाइन उखाड़ते समय अपनी शहादत दी। आज भी स्कूल में उनके नाम का एक स्तंभ इस महान क्रांतिकारी के संघर्ष की कहानी कहता है और हर साल 25 अगस्त को उन्हें याद किया जाता है।

फिरोज गांधी ने दी श्रद्धांजलि

इस भीषण घटना का जायजा लेने जब कांग्रेस ने फिरोज गांधी को बलिया भेजा तो वे शहीदों की कुर्बानी देखकर भावुक हो उठे थे।
आज भी 25 अगस्त को चरौवा गांव में इन शहीदों की याद में बलिदान दिवस और मेला आयोजित किया जाता है। इस पावन भूमि की हर मिट्टी स्वतंत्रता संग्राम की गाथा कहती है और हमें याद दिलाती है कि हमारी आजादी कितने बलिदानों के बाद मिली है।
आजादी की लड़ाई से जुड़ा है बिल्थरा रोड का महावीरी झंडा जुलूस, 2 कमेटी निकालती हैं परम्परागत जलूस

बलिया शहर के अंदर निकलने वाला ऐतिहासिक महावीरी झंडा जुलूस आजादी से जुड़ा हुआ है। इस जुलूस का इतिहास 128 साल पुराना है। यह महावीरी झंडा जुलूस 1910 ई. में जार्ज पंचम की ताजपोशी के विरोध में जिले के क्रांतिकारी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ठाकुर जगन्नाथ ¨सह के नेतृत्व में गठित विद्यार्थी परिषद ने निकाला था पहला महावीरी झंडा जुलूस। श्रावण पूर्णिमा रक्षाबंधन के दिन बलिया नगर में निकलने वाले ऐतिहासिक महावीरी झंडा जुलूस के 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की असफलता के बाद 1887 ई. तीस वर्षों तक आजादी की आग ठंडी पड़ी थी किन्तु देश धीरे-धीरे जाग रहा था। बंगाल में महर्षि अर¨वद घोष और उनके छोटे भाई वीरेन्द्र घोष, बिहार के मुजफ्फरपुर में खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चन्द्र का उत्सर्ग युवाओं को उद्वेलित कर रहा था। ऐसे ही विप्लवी मानसिकता के गवर्नमेंट स्कूल में पढ़ने वाले युवा ठाकुर जगन्नाथ ¨सह को मुंबई से निकलने वाले साप्ताहिक अखबार जमशेद के माध्यम से पता चला कि जार्ज पंचम की दिल्ली में होने वाली ताजपोशी की खुशी में लोकमान्य तिलक, जी मांडले जेल से छोड़ दिए जाएंगे। गवर्नमेंट स्कूल में सभी विद्यार्थियों को बताया गया कि सभी लोग आठ-आठ आना पैसा जमा कर देंगे। इसके एवज में उन्हें जार्ज पंचम की ताजपोशी का तगमा दिया जाएगा और मिठाई खाने को मिलेगी। ठाकुर साहब ने अठन्नी तो जमा कर दिया किन्तु उनके दिलों दिमाग में विद्रोह की आग जल रही थी
शहर के आदित्य राम मंदिर में विद्यार्थी परिषद की बैठक हुई। इसमें पं. हृदय नारायण तिवारी, मुनीश्वर मिश्र, केदारनाथ उपाध्याय, शिवदत्त तिवारी, नंदकिशोर चौबे और पं. परशुराम चतुर्वेदी ( जो बाद में ख्यातलब्ध साहित्यकार हुए) सहित कुल 35 छात्र शामिल हुए। यहीं जार्ज पंचम की ताजपोशी का विरोध करने और महावीरी झण्डा जुलूस निकालने की योजना बनाई गई। अगले दिन सभी स्कूलों के छात्र सीने पर जार्ज पंचम की तस्वीर लगे तगमे को लगाकर पहुंचे लेकिन ठाकुर जगन्नाथ ¨सह उस तगमे को अपने जूते के फीते में बांध कर स्कूल पहुंचे थे। इससे गवर्नमेंट स्कूल में हड़कंप मच गया।

उस दिन बलिया नगर में अजीब नजारा देखने को मिल रहा था। अगस्त का ही महीना था, एक ओर जार्ज पंचम की ताजपोशी की खुशी में सरकारी स्कूलों के बच्चे छोटी- छोटी झंडियां लेकर सड़क पर निकले। इस जुलूस में जार्ज पंचम के जयकारे लग रहे थे। दूसरी ओर एक लम्बे बांस में लाल रंग के कपड़े पर बड़े-बड़े अक्षरों में वंदे मातरम तिलक महाराज की जय लिखे झण्डे के साथ वंदेमातरम, भारत माता की जय और तिलक महाराज की जय के नारे लगाते हुए। आजादी के दीवानों का जुलूस शहर में घूम रहा था। आदित्य राम मंदिर से निकला यह जुलूस चौक लोहापट्टी, गुदरीबाजार, बालेश्वरघाट गंगा पूजन कर बाबा बालेश्वरनाथ मंदिर, भृग जी मंदिर से होकर जब यह जुलूस जापलिनगंज पुलिस चौकी के पास पहुंचा तो एक सिपाही ने जुलूस को रोकने का प्रयास किया। किन्तु ठाकुर साहब ने जब उसे बलिया की भाषा में समझा दिया तो वह चुपचाप चला गया। यही बलिया जिले के सिकन्दरपुर, रसड़ा, सुखपुरा, गड़वार, बिल्थरारोड, रेवती , बैरिया,आदि कस्बों गांवों में निकलने वाले महावीरी झण्डा जुलूस का पहला महावीरी झण्डा जुलूस था। इसकी परम्परा आज भी कायम है। सिकंदरपुर में सबसे पहले और बिल्थरा रोड में सबसे आखिरी में निकला जाता है यह जलूस बलिया में तीन बार माहौल बिगाड़ने का हुआ प्रयास

सन् 1968 में षडयंत्र के तहत कुछ अराजक तत्वों ने विष्णु धर्मशाला चौराहे पर पथराव शुरु कर दिया। जुलूस में शामिल भीड़ के जवाबी पथराव के बाद पुलिस ने फाय¨रग की जिसमें सिनेमा रोड निवासी केदार नोनिया मारे गए और सैकड़ों लोग घायल हो गए थे। सन् 1990 में तब एक अवरोध पैदा हो गया था जब तत्कालीन एसडीएम राजीव कपूर ने जगदीशपुर अखाड़े का जुलूस को रोक दिया था। तब सात दिनों तक यह जुलूस सड़कों पर ही खड़ा रहा, वहीं पूजा चलती रही। सन् 2005 में फिर एक बार अराजकतत्वों ने चमन¨सह बाग चौराहे पर टाऊन हाल अखाड़े के जुलूस पर हमला करके अवरोध उत्पन्न किया था। इसके कारण तीन दिनों तक यह जुलूस सड़कों पर ही रुका रहा। --


महावीरी झंडा जुलूस में झांकियों की परम्परा 1927 ई. में शुरु हुई थीं। पहली बार मिट्टी की बनी महावीर जी की मूर्ति को बांस की बनी पालकी पर निकाला गया था। जिसे आठ लोग कंधे पर लेकर चल रहे थे। समय के साथ जुलूस में अनेकों झांकियों को शामिल किया जाने लगा। बताया कि सन् 1930 ई. में ब्रिटिश सरकार ने जंग ए आजादी की कोख से निकले इस जुलूस को बंद कराने की साजिश रची। तत्कालीन एसपी मि. हिक ने तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर मु. निजामुद्दीन के माध्यम से हिन्दू- मुसलमान को लड़ाई करने के लिए उकसाने का षडयंत्र किए किन्तु देशभक्त डिप्टी कलेक्टर मु. निजामुद्दीन ने ठाकुर जगन्नाथ ¨सह को बलिया से बाहर भेज दिया। समुदाय विशेष के कुछ लोगों ने ब्रितानी मूल के मि. हिक की साजिश में महावीरी झण्डा जुलूस के मार्ग को लेकर अदालत में मुकदमा कर दिया। इसे बलिया के ख्यातिनाम अधिवक्ता बाबू मुरली मनोहर ने नि:शुल्क लड़कर जीत दिलाई थी। यह जलूस निकलने की परंपरा को आज भी जीवित रखा गया है और हर बलिया के लोग इस जलूस में बढ़ चढ़ के हिस्सा लेते है और स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को याद करते हैं
किशन जायसवाल