*श्रम विभाग: दो श्रम प्रवर्तन अधिकारियों पर कार्रवाई की संस्तुति, 1072 में शामिल फर्जी आवेदकों से होगी वसूली*
मिर्जापुर। सचिव भवन एवं अन्य सन्निमार्ण कर्मकार कल्याण बोर्ड उत्तर प्रदेश पूजा यादव ने दो श्रम प्रवर्तन अधिकारियों निमेष पाण्डेय व कौशलेंद्र कुमार सिंह को जनपद में नियुक्ति के दौरान अपात्रों को योजना का हितलाभ देने के मामले में दोषी पाए जाने पर नियमानुसार विभागीय कार्यवाही की संस्तुति की है।
इस आदेश से महकमें में हड़कंप मचा हुआ है।
कार्यालय में नियुक्त कंप्यूटर ऑपरेटर अरुण दुबे भी इस कार्रवाई की जद में है, जिसको जांच अधिकारी द्वारा आरोपित अधिकारियों ने अपने-अपने बयान में दोषी ठहराया है। यह सम्पूर्ण मामला 2021 का है, 2023 में मजदूर नेता व कलमकार मंगल तिवारी ने मजदूरों के हक के लिए आवाज़ उठाई थी। शिकायत पत्र में उल्लेखित है कि उक्त श्रम प्रवर्तन अधिकारियों ने बोर्ड के नियमों को ताक पर रख कर सिंडिकेट की मदद से अपात्रों के आवेदन को पास किया। प्रमुख सचिव श्रम, अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के निर्देश पर नामित जांच अधिकारी ने रिपोर्ट सौंपी। 9 सदस्यीय जांच टीम में वाराणसी, भदोही और जौनपुर के अधिकारी शामिल रहे जिसका नेतृत्व वाराणसी के उप श्रमायुक्त धर्मेंद्र कुमार सिंह ने की थी जिसके बाद विभागीय कार्रवाई अपनायी जा रही है। विभागीय सूत्रों की माने तो धांधली बड़े पैमाने पर हुई है, यदि सारे आवेदनों की जांच हुई तो यह प्रदेश के बड़े भ्रष्टाचार में से एक होगा, लेकिन शिकायत मात्र 1072 सूची से संबंधित है। सन् 2019-20 से लेकर अब तक विभागीय लोगों द्वारा योजनाओं में लगातार गड़बड़ी की जा रही है। बताते चलें कि श्रम विभाग मिर्जापुर में सन् 2021 का दौर ऐसा था जब शिशु एवं बालिका मदद योजना, कन्या विवाह सहायता योजना, मृत्यु एवं विकलांगता सहायता योजना में हो रही गड़बड़ियों की चर्चा विभागीय कर्मचारियों के बंटवारे को लेकर अनबन के कारण बाहर आयी। शिकायत कर्ता ने जब श्रमिकहित में जानकारी की तो पता चला कि लगभग 1426 में 1072 ऐसे शिशु हितलाभ योजना आवेदनों की जानकारी मिली जिसे लेबर अफसरों ने पास किया था। इस सूची में कुछ को छोड़कर सारे आवेदक या आवेदन बोर्ड के नियमों का पालन नही कर रहे थे, साफ जाहिर है कि योजना में जमकर लूट हो रही है।
विभागीय सूत्र बताते हैं कि शिशु हितलाभ के लिए 2022, 23 में किए गए संदिग्ध आवेदनों पर अब जाकर 2025 में, चुन चुन कर भुगतान किए जाने जा रहे हैं। विभागीय लेबर अफसरों ने हद तब कर दी जब 2025 में आवेदन किए गए फर्जी निर्माण श्रमिकों के खाते में भी मई माह में भुगतान करा दिया। इस पूरी गड़बड़ी में सबसे बड़ा कार्यकाल तत्कालीन सहायक श्रमायुक्त सुविज्ञ सिंह का है जिन्होंने शिकायतों पर अपनी आंखे मूंदे रखी, यहां यह बताना आवश्यक है कि शिशु हितलाभ योजना में भुगतान की कार्यवाही सहायक श्रमायुक्त द्वारा की जाती है।
मीडिया ने 1072 की जांच टीम को जांच के दौरान कटघरे में खड़ा कर दिया था। मीडिया के पूछे गए सवालों ( जिला प्रशासन को खबर किए बिना जांच, जांच के बिंदु, श्रम कार्यालय आए बगैर गेस्ट हाउस में बैठकर जांच, शिकायतकर्ता को सूचना आदि ) का जवाब न तो नामित जांच अधिकारी धर्मेंद्र सिंह के पास था न ही वर्तमान उप श्रमायुक्त मिर्जापुर क्षेत्र पिपरी, सोनभद्र अरुण कुमार सिंह के पास।
आश्चर्य की बात यह थी कि इस जांच की जानकारी तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट प्रियंका निरंजन को भी तब हुई जब सोशल मीडिया में यह मामला वायरल हुआ और डीएम ने सीडीओ से इस बाबत जानकारी मांगी और श्रम विभाग को औंधे मुंह प्रस्तुत होना पड़ा। आरोप लगना लाज़मी था कि जांच पूर्णतया निष्पक्ष नहीं था और न है। जांच अधिकारी व विभाग मुख्यालय के उच्चाधिकारी अज्ञात कारणों से अपने विभागीय अधिकारियों को बचाने का प्रयास करने के चलते जांच में खानापूर्ति हो रही है, चूंकि मामला बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का है जिसे जांच टीम भी नहीं पचा पायी।
योजना का लाभ पात्र श्रमिकों के चयन के बजाय निजीहित को देखते हुए अपात्रों को दिया गया
मिर्ज़ापुर जिले में श्रमिकों के साथ अन्याय हो रहा है, योजना का लाभ पात्र श्रमिकों के चयन के बजाय निजी हित को देखते हुए अपात्रों को दिया जा रहा है जिले में सक्रीय माकू यूनियन के शिकायती पत्र पर जांच अधिकारी वसूली कर रहे हैं, जिससे कर्मकारों को न्याय नही मिल पा रहा है। अब देखना यह है कि इस विभागीय कार्रवाई में क्या कार्रवाई सुनिश्चित हो पाती है।

Sep 05 2025, 16:57