तेजस्वी यादव का चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप: "बिहार में वोटों की चोरी", "अस्तित्व छीनने की साजिश"
पटना: नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने आज अपने पटना स्थित आवास पर इंडिया महागठबंधन के नेताओं के साथ एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए बिहार में चल रही मतदाता पुनरीक्षण प्रक्रिया (SIR) पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के इशारे पर काम कर रहा है और यह "वोट की चोरी" व लोगों के "अस्तित्व छीनने की साजिश" है।
तेजस्वी यादव ने कहा कि एस.आई.आर. और उसकी प्रक्रिया को लेकर जो संदेह इंडिया महागठबंधन को पहले से था, वह अब हकीकत में सामने आ गया है। उन्होंने बताया कि दिल्ली और बिहार में चुनाव आयोग से इंडिया महागठबंधन के नेताओं के शिष्टमंडल मिले, लेकिन आयोग ने उनकी एक नहीं सुनी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का भी चुनाव आयोग द्वारा पालन नहीं किया जा रहा है, जिससे स्पष्ट होता है कि "दाल में कुछ काला है"। उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश गुप्ता पर "अमित शाह द्वारा दिए गए काम में लगे रहने" का आरोप लगाते हुए इसे लोकतंत्र के लिए खतरनाक बताया और न्याय व लोकतंत्र की हिफाजत के लिए हर स्तर पर लड़ाई लड़ने का संकल्प लिया। उन्होंने यह भी बताया कि 19 जुलाई, 2025 को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर इंडिया महागठबंधन के नेताओं की बैठक होगी, जिसमें वे भी शामिल रहेंगे।
संवाददाता सम्मेलन में तेजस्वी यादव के साथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम, वीआईपी पार्टी के मुकेश सहनी, सीपीआई (माले) के धीरेन्द्र झा, सीपीआई की निवेदिता झा, सीपीआई (एम) के अरुण कुमार, राष्ट्रीय जनता दल के मुख्य प्रवक्ता प्रो. मनोज झा, राज्यसभा सांसद संजय यादव, प्रदेश राजद के मुख्य प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव और प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद उपस्थित थे।
तेजस्वी यादव ने आगे कहा कि तीन दिन पहले सूत्रों के हवाले से 35 लाख वोट हटाए जाने की खबरें सामने आई थीं, और उन्हीं बातों को चुनाव आयोग ने तीन दिन बाद प्रेस नोट के माध्यम से स्वीकार किया। उन्होंने सवाल उठाया कि जब प्रक्रिया अभी चल रही है और एस.आई.आर. में आठ दिन शेष हैं, तो इतनी बड़ी संख्या में वोटरों के नाम कटने की बातें कैसे सामने आ गईं? उन्होंने दावा किया कि बिहार में पत्रकारों को सच्चाई दिखाने पर मुकदमों का सामना करना पड़ रहा है, जबकि सच्चाई यह है कि बी.एल.ओ. पर दबाव बनाकर, फर्जी दस्तखत के सहारे, भाजपा के लोगों के माध्यम से मतदाताओं के नाम उनकी जानकारी के बिना फर्जी ढंग से अपलोड किए जा रहे हैं। उन्होंने इस संबंध में एक वीडियो फुटेज भी दिखाया।
"लोगों के अधिकार ही नहीं, अस्तित्व भी छीना जा रहा है":
तेजस्वी यादव ने इस प्रक्रिया को लोगों के "अधिकार ही नहीं, उनके अस्तित्व को भी छीनने" की साजिश बताया। उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र में ऐसी बात है जिससे लोगों का वोटर लिस्ट से नाम हटा दिया जाए और उन्हें राशन, पेंशन, आरक्षण, किसान सम्मान निधि, सब्सिडी, छात्रवृत्ति, आवास योजना, सामाजिक सुरक्षा पेंशन, जनकल्याणकारी योजनाएं और अन्य नागरिक अधिकारों से वंचित कर दिया जाए। उन्होंने इसे एक बड़ी साजिश करार दिया। साथ ही, उन्होंने पंचायत राज व्यवस्था में पंचायत चुनाव के समय भी उनके मत को काटने की साजिश की आशंका जताई और पंचायत जनप्रतिनिधियों व नगर निगम के वार्ड पार्षदों से इस मामले में सजग रहने की अपील की।
उन्होंने दावा किया कि बिहार में 12 से 15 प्रतिशत वोटरों के नाम काटने की तैयारी चल रही है। उन्होंने बताया कि पिछले 17 दिनों से चल रही प्रक्रिया में 22 हजार ऐसी बूथें हैं जहाँ अब तक बी.एल.ओ. ने इस पर कोई एक्सरसाइज नहीं किया है। तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग कोई भी जानकारी स्पष्ट रूप से नहीं दे रहा है और ईमानदारी से काम नहीं हो रहा है, जो संविधान को खत्म करने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करने का प्रयास है।
उन्होंने यह भी कहा कि एनडीए के अंदर चंद्रबाबू नायडू ने भी एस.आई.आर. पर सवाल उठाए हैं, लेकिन भाजपा और नीतीश कुमार इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं। उन्होंने दियारा क्षेत्र में गरीबों के वोट काटने की सुनियोजित साजिश का आरोप लगाया, जहाँ चौथी पीढ़ी तक के लोगों से कागजात मांगे जा रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा अपने प्रकोष्ठ के माध्यम से फायदा लेने का प्रयास कर रही है और चुनाव आयोग भी एक दल और एनडीए को फायदा पहुंचाने में लगा है।
इंडिया महागठबंधन के अन्य नेताओं का समर्थन:
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने कहा कि फर्जीवाड़े की आशंका पहले से थी, जिसकी पुष्टि चुनाव आयोग के कार्यों से हो रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि चुन-चुनकर लोगों के नाम फर्जी तरीके से बाहर किए जा रहे हैं और सरनेम देखकर ऐसे वोटरों पर हमला किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि दिल्ली में जब वे चुनाव आयोग से मिले थे तो मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश गुप्ता ने कहा था कि 20 प्रतिशत नाम कटेंगे, जिसका मतलब है कि 08 करोड़ वोटरों में से 02 करोड़ वोटरों को वंचित करने की साजिश चल रही है।
वीआईपी पार्टी के मुकेश सहनी ने इसे लोकतंत्र को खत्म करने की साजिश बताया और कहा कि अतिपिछड़ा, दलित और अन्य गरीब लोगों को वोट से वंचित करने की साजिश है। उन्होंने पंचायत प्रतिनिधियों और नगर निगम के प्रतिनिधियों से सजग रहने की अपील की।
सीपीआई (माले) के धीरेन्द्र झा ने कहा कि जनता ने उनके खांचे में ढलने से मना कर दिया है, इसलिए बिहार में जनता के अधिकार को ही खत्म किया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि 40 से 50 प्रतिशत ही जमीन पर काम हुए हैं, बाकी सत्ता पक्ष के इशारे पर हो रहे हैं।
सीपीआई की निवेदिता झा ने कहा कि आम नागरिकों, महिलाओं, वंचितों, पिछड़ों, अतिपिछड़ों, अल्पसंख्यकों के हक और अधिकार छीने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिहार में चुनाव आयोग कठपुतली की तरह काम कर रहा है और उन्होंने अपना स्वयं का उदाहरण दिया, जहाँ बिना फार्म भरे उनके डॉक्यूमेंट्स अपलोड कर दिए गए थे।
सीपीआई (एम) के अरुण कुमार ने कहा कि वे आम जनता के बीच जा रहे हैं और भाजपा की इस साजिश के खिलाफ चुप नहीं बैठेंगे, जो संवैधानिक संस्थाओं को खोखला कर रही है।
Jul 22 2025, 06:25