हमने पाकिस्तान में घुसकर 9 आतंकी ठिकाने तबाह किए, हमें कोई नुकसान नहीं हुआ’ ऑपरेशन सिंदूर पर बोले डोभाल

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राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए अजित डोभाल ने कहा कि भारत का ऑपरेशन बेहद ही सफल रहा। हमने पाकिस्तान में नौ ठिकानों को निशाना बनाया था। इसमें से एक भी नहीं चूका। उन्होंने ये भी कहा कि इस ऑपरेशन के दौरान भारत को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं हुआ है। हमारे नुकसान की एक फोटो तक कहीं नहीं दिखी।

हमारे नुकसान की एक फोटो तक कहीं नहीं दिखी-डोभाल

आईआईटी मद्रास में आयोजित 62वें दीक्षांत समारोह में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल ने 'ऑपरेशन सिंदूर' को लेकर विदेशी मीडिया की रिपोर्टिंग पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि कई विदेशी समाचार एजेंसियों ने भारत को लेकर भ्रामक और तथ्यहीन जानकारी प्रकाशित की है। एनएसए डोभाल ने कहा कि विदेशी प्रेस ने कहा कि पाकिस्तान ने यह किया, वो किया... आप मुझे एक भी फोटो या सबूत दिखाइए जिसमें भारत में किसी इमारत को नुकसान हुआ हो, एक कांच तक टूटा हो... उन्होंने बातें लिख दीं और छाप दीं। हमारे नुकसान की एक फोटो तक कहीं नहीं दिखी। जबकि फोटो में पाकिस्तान के 13 एयरबेस की तबाही की तस्वीरें आप सबने देखी होंगी।

ऑपरेशन पूरा करने में लगे 23 मिनट

अजीत डोभाल ने आगे कहा, हर लक्ष्य पर सटीक प्रहार हुआ। हमला कहीं और नहीं हुआ। सिर्फ वहीं हुआ, जहां हमें पता था कि वहां कौन मौजूद है। पूरे ऑपरेशन को पूरा करने में केवल 23 मिनट लगे।

गुरुग्राम में टेनिस खिलाड़ी की हत्या, पिता ने पीछे से मारीं 3 गोलियां, होनहार बेटी के लिए इतना क्रूर कैसे हुआ पिता?

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गुरुग्राम के सेक्टर-57 में राज्य स्तरीय महिला टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव की हत्या कर दी गई। राधिका यादव की गुरुवार की दोपहर को उन्‍हीं के घर में गोली मारकर हत्‍या कर दी गई। उनकी हत्‍या करने वाला और कोई नहीं बल्कि उनके पिता ही हैं। होनहार बेटी राधिका यादव ने जिस पिता का कई बार अपने खेल से नाम रोशन किया। कई बार उन्‍हें खुशी का मौका दिया, वो पिता आखिर इतना क्रूर कैसे हो गया?

पिता ने कबूल किया गुनाह

पुलिस के अनुसार, दीपक यादव ने गुरुवार सुबह अपने घर में लाइसेंसी रिवॉल्वर से राधिका को पांच गोलियां मारीं, जिनमें से तीन उसकी पीठ में लगीं और मौके पर ही उसकी मौत हो गई। हत्या का कारण राधिका द्वारा संचालित टेनिस अकादमी को लेकर पिता-पुत्री के बीच चल रहा विवाद बताया जा रहा है। पुलिस जांच में यह भी सामने आया है कि दीपक यादव को समाज में यह कहे जाने पर आपत्ति थी कि वह अपनी बेटी की कमाई पर आश्रित हैं।

बेटी की कमाई खाने की बात पर थी नाराजगी

आरोपी दीपक यादव ने पूछताछ में बतलाया कि, मेरी लड़की राधिका टेनिस की प्लेयर थी और नेशनल तक खेली थी। काफी ट्राफी जीत कर लाई। कुछ दिन से मेरी लड़की के कंधों में इंजरी होने के कारण वो खेल नहीं रही थी। उसने अपनी एकेडमी खोल रखी थी, जो बच्चो को कोचिंग देती थी। जब मैं गांव में दूध लेने के लिए वजीराबाद जाता था तो लोग मुझे कहते थे कि आप लड़की की कमाई खाते हो। जिससे मैं काफी परेशान था। जो लोग मेरी लड़की के चरित्र पर भी उंगली उठाते थे। मैनें अपनी लड़की से कहा कि आपने टेनिस की एकेडमी खोल रखी है, इसको बंद कर दो। लेकिन मेरी लड़की ने बंद करने से मना कर दिया।

पिता-बेटी में टेनिस अकादमी को लेकर था झगड़ा

बीते 15 दिनों से पिता व बेटी में टेनिस अकादमी को लेकर झगड़ा चल रहा था। बृहस्पतिवार की सुबह दोनों के बीच किसी बात को लेकर बहसबाजी होने पर पिता दीपक ने लाइसेंसी रिवॉल्वर से बेटी राधिका की पीठ में तीन गोली मार दी। राधिका यादव को गंभीर हालत में एक निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई।

कंधे में चोट के बाद छोड़ दिया था खेल

बता दें कि राधिका यादव भारत की एक प्रतिभाशाली टेनिस खिलाड़ी थीं, जिन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई उपलब्धियाँ हासिल की थीं। राधिका ने टेनिस खेल में कई पदक भी जीते हैं। कुछ माह पहले कंधे में चोट लगने के कारण राधिका ने टेनिस खेलना छोड़ दिया था। इसके बाद राधिका ने वजीराबाद गांव में बच्चों को टेनिस सिखाने के लिए अकादमी शुरू की थी, लेकिन राधिका के पिता दीपक इस अकादमी को खोलने के खिलाफ थे।

75 की उम्र को लेकर से क्या बोले आरएसएस प्रमुख भागवत, पीएम मोदी से जोड़ा जा रहा कनेक्शन

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने फिर से कहा है कि नेताओं को 75 साल की उम्र में सेवानिवृत्त हो जाना चाहिए। भागवत ने एक कार्यक्रम में शिरकत करते हुए कहा कि 75 की उम्र होने के बाद दूसरों को भी अवसर देना चाहिए। भागवत की इस टिप्पणी को पीएम मोदी के रिटायरमेंट से जोड़ा जा रहा है। संयोग से इसी साल 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 75 वर्ष के होने वाले हैं।

संघ प्रमुख भागवत मोरोपंत पिंगले की स्मृति में एक किताब के लोकार्पण समारोह में शामिल हुए। मोरोपंत पिंगले: द आर्किटेक्ट ऑफ हिंदू रिसर्जेंस' पुस्तक का विमोचन करने के बाद, भागवत ने संघ के वरिष्ठ नेता की विनम्रता, दूरदर्शिता और जटिल विचारों को सरल भाषा में समझाने की अद्वितीय क्षमता को याद किया।

आरएसएस के विचारक दिवंगत मोरोपंत पिंगले को समर्पित एक किताब के विमोचन के मौके पर भागवत ने कहा जब आप 75 के हो जाते हैं, इसका मतलब है कि अब आपको रुक जाना चाहिए और दूसरों को रास्ता देना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक बार पिंगले ने कहा था, 75 वर्ष के होने के बाद अगर आपको शॉल देकर सम्मानित किया जाता है, इसका मतलब है कि आपको अब रुक जाना चाहिए, आपकी आयु हो चुकी है; हट जाइए और दूसरों को आगे आने दीजिए।

भागवत ने आपातकाल (1975) के बाद राजनीतिक बदलाव के दौरान पिंगले की भविष्यवाणियों का जिक्र किया। उन्होंने कहा, जब चुनाव की चर्चा हुई, मोरोपंत ने कहा था कि अगर सभी विपक्षी दल एक साथ आएं तो करीब 276 सीटों पर जीत जाएंगे और जब परिणाम आए, तो 276 सीटों पर ही जीत हुई। हालांकि, वे चुनाव परिणाम के दौरान इन चर्चाओं से दूर रहे। पिंगले ने कभी अपनी उपलब्धियों का जिक्र नहीं किया। वह अपनी मुस्कुराहट से विषयों को बदल देते थे और किसी भी सम्मान समारोह में जाने से भी बचते थे।

भागवत के इस बयान के बाद सवाल उठ रहे हैं कि उनका बयान किस तरफ इशारा करता है।शिवसेना (उद्धव गुट) नेता संजय राउत ने कहा कि संघ प्रमुख ने प्रधानमंत्री मोदी को यह संदेश दिया है। संयोग से इसी साल 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 75 वर्ष के होने वाले हैं।संयोग से खुद भागवत भी इसी साल 75 साल के होने वाले हैं।

अमेरिका ने कनाडा पर फिर फोड़ा टैरिफ बम, ट्रंप ने किया 35% टैरिफ लगाने का किया ऐलान

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपने टैरिफ का चाबुक चलाना शुरू कर दिया है। ट्रंप ने गुरुवार 10 जुलाई को कनाडा से आने वाले सामान पर 35% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। यह टैरिफ अमेरिका में प्रवेश करने वाले कनाडाई उत्पादों पर 1 अगस्त 2025 से लागू होगा। ट्रंप ने इसे कनाडा की जवाबी कार्रवाई और चल रही व्यापार बाधाओं के जवाब में उठाया है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार (10 जुलाई) को कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी को एक पत्र लिखकर नई टैरिफ दरों की जानकारी दी। कनाडा के पीएम को लिखे पत्र में ट्रंप ने कहा, यह मेरे लिए बहुत बड़े सम्मान की बात है कि मैं आपको यह पत्र भेज रहा हूँ, क्योंकि यह हमारे व्यापारिक संबंधों की मजबूती और प्रतिबद्धता को दर्शाता है, और यह भी कि अमेरिका ने इस बात पर सहमति जताई है कि वह कनाडा के साथ काम करता रहेगा, भले ही कनाडा ने अमेरिका से आर्थिक प्रतिशोध किया हो। जैसा कि आपको याद होगा, अमेरिका ने फेंटेनाइल संकट से निपटने के लिए कनाडा पर 25 फीसदी का टैरिफ लगाया था, जो आंशिक रूप से इस वजह से है कि कनाडा इन नशीली दवाओं को हमारे देश में आने से रोकने में विफल रहा है। ट्रंप ने पत्र में लिखा कि अमेरिका के साथ सहयोग करने की बजाय, कनाडा ने जवाबी टैरिफ लगा दिए। 1 अगस्त 2025 से, हम कनाडा से अमेरिका भेजे जाने वाले उत्पादों पर 35% टैरिफ लगाएंगे, जो सभी सेक्टोरल टैरिफ से अलग होगा। 

टैरिफ के झटके के बाद धमकी भी

डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ लगाकर कनाडा को झटका तो दिया ही है, लेकिन साथ ही धमकी भी दी है। ट्रंप ने कहा है कि इस उच्चतर टैरिफ से बचने के लिए यदि किसी माल को अन्य देशों के रास्ते भेजा गया तो उस पर भी यही टैरिफ लागू होगा। जैसा कि आप जानते हैं, यदि कनाडा या आपके देश की कंपनियां अमेरिका में उत्पाद बनाना या निर्माण करना चुनती हैं, तो उस पर कोई टैरिफ नहीं लगेगा, बल्कि हम आवश्यक मंजूरियां शीघ्र, पेशेवर और नियमित तरीके से देंगे...यानी कुछ ही हफ्तों में।

कनाडा यूएस का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार

कनाडा अमेरिका का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है (पहला मेक्सिको है)। जून में ट्रंप ने कनाडा से डिजिटल सेवा कर (डिजिटल सर्विस टैक्स) को लेकर व्यापार वार्ता रोक दी थी, जो अमेरिकी टेक कंपनियों को प्रभावित कर सकता था। हालांकि बाद में जब कार्नी ने यह कर वापस लिया, तब बातचीत फिर शुरू हो गई।

अब थरूर ने आपातकाल पर उठाया सवाल, बोले- जबरन कराई गईं नसबंदियां, असहमति को बेरहमी से दबाया

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पिछले कुछ समय से कांग्रेस सांसद शशि थरूर अपनी ही पार्टी पर हमलावर हैं। अब थरूर ने 1975 में लगी इमरजेंसी पर सवाल उठाए हैं। थरूर ने इमरजेंसी पर एक आर्टिकल लिखा है और इसमें आपातकाल की जमकर आलोचना की है। उन्होंने आपातकाल को लेकर कांग्रेस को घेरा है। थरूर ने कहा कि आपातकाल के नाम पर आजादी छीनी गई।उन्होंने आपातकाल में इंदिरा गांधी और संजय गांधी के कामों को लेकर सवाल उठाए।

मलयालम भाषा के अखबार 'दीपिका' में गुरुवार को प्रकाशित अपने लेख में शशि थरूर ने आपातकाल को सिर्फ भारतीय इतिहास के 'काले अध्याय' के रूप में याद नहीं करके, इससे सबक लेने की बात कही। उन्होंने कहा कि अनुशासन और व्यवस्था के लिए उठाए गए कदम कई बार ऐसी क्रूरता में बदल जाते हैं, जिन्हें किसी भी तरह उचित नहीं ठहराया जा सकता।

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र ने अपनी सांस रोक ली-थरूर

अपने लेख में कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने 25 जून 1975 और 21 मार्च 1977 के बीच प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा घोषित आपातकाल के काले युग को याद किया। थरूर ने कहा, 25 जून, 1975 को भारत एक नई रियालिटी के साथ जागा। हवाएं सामान्य सरकारी घोषणाओं से नहीं, बल्कि एक भयावह आदेश से गूंज रही थीं। इमरजेंसी की घोषणा कर दी गई थी। 21 महीनों तक, मौलिक अधिकारों को सस्पेंड कर दिया गया, प्रेस पर लगाम लगा दी गई और राजनीतिक असहमति को बेरहमी से दबा दिया गया। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र ने अपनी सांस रोक ली। 50 साल बाद भी, वो काल भारतीयों की याद में “आपातकाल” के रूप में जिंदा है।

संजय गांधी ने जबरन नसबंदी अभियान चलाया-थरूर

आर्टिकल में आगे कहा गया, अनुशासन और व्यवस्था के लिए किए गए प्रयास क्रूरता में बदल दिए गए। जिन्हें उचित नहीं ठहराया जा सकता। थरूर ने कहा कि इंदिरा गांधी के पुत्र संजय गांधी ने जबरन नसबंदी अभियान चलाया। यह आपातकाल का गलत उदाहरण बना। ग्रामीण इलाकों में मनमाने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए हिंसा और जबरदस्ती की गई। नई दिल्ली जैसे शहरों में झुग्गियों को बेरहमी से ध्वस्त कर दिया गया और उन्हें साफ कर दिया गया। हजारों लोग बेघर हो गए। उनके कल्याण पर ध्यान नहीं दिया गया।

इंदिरा गांधी को लेकर क्या बोले थरूर

थरूर ने आगे लिखा, पीएम इंदिरा गांधी को लगा था कि सिर्फ आपातकाल की स्थिति ही आंतरिक अव्यवस्था और बाहरी खतरों से निपट सकती है। अराजक देश में अनुशासन ला सकती है। जब इमरजेंसी का ऐलान हुआ, तब मैं भारत में था, हालांकि मैं जल्द ही ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए अमेरिका चला गया और बाकी की सारी चीजें वहीं दूर से देखी। जब इमरजेंसी लगी तो मैं काफी बैचेन हो गया था। भारत के वो लोग जो ज़ोरदार बहस और स्वतंत्र अभिव्यक्ति के आदी थे, एक भयावह सन्नाटे में बदल गया था। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जोर देकर कहा कि ये कठोर कदम जरूरी थे।

न्यायपालिका भारी दबाव में झुक गई-थरूर

थरूर ने कहा, न्यायपालिका इस कदम का समर्थन करने के लिए भारी दबाव में झुक गई, यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने बंदी प्रत्यक्षीकरण और नागरिकों के स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार के निलंबन को भी बरकरार रखा। पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और विपक्षी नेताओं को जेल की सलाखों के पीछे जाना पड़ा। व्यापक संवैधानिक उल्लंघनों ने मानवाधिकारों के हनन की एक भयावह तस्वीर को जन्म दिया। शशि थरूर ने आगे कहा, उस समय जिन लोगों ने शासन के खिलाफ आवाज उठाने का साहस किया उन सभी को हिरासत में लिया गया। उनको यातनाएं झेलनी पड़ी।

लोकतंत्र को हल्के में नहीं लेने की सलाह

थरूर ने अपने आर्टिकल में लोकतंत्र को हल्के में नहीं लेने की बात पर जोर दिया। उन्होंने इसे एक 'बहुमूल्य विरासत' बताया, जिसे लगातार संरक्षित करना आवश्यक है। उन्होंने चेतावनी दी कि सत्ता को केंद्रित करने, असहमति को दबाने और संविधान को दरकिनार करने का असंतोष कई रूपों में फिर सामने आ सकता है।

थरूर ने कहा कि अक्सर ऐसे कार्यों को देशहित या स्थिरता के नाम पर उचित ठहराया जाता है। इस अर्थ में, इमरजेंसी एक चेतावनी के रूप में खड़ी है। उन्होंने निष्कर्ष में कहा कि लोकतंत्र के संरक्षकों को हमेशा सतर्क रहना होगा, ताकि ऐसी स्थितियां दोबारा पैदा न हों। थरूर का यह लेख इमरजेंसी के 50 साल पूरे होने से पहले आया है।

विजय देवरकोंडा व प्रकाश राज समेत 29 अभिनेताओं-यूट्यूबर्स पर कसा ईडी का शिकंजा, जानें क्या है मामला

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प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने तेलंगाना के 29 जाने-माने फिल्म एक्टर्स, यूट्यूबर्स और इंस्टाग्राम इंफ्लुएंसर्स के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। इस लिस्ट में फेमस एक्टर विजय देवरकोंडा, राणा दग्गुबाती और प्रकाश राज जैसे सितारों का भी नाम शामिल हैं। के अलावा कुछ सोशल मीडिया इनफ्लूएंसर्स व यूट्यूबर्स सहित दो दर्जन से अधिक लोगों पर शिकंजा कसा है। इन सभी पर गैरकानूनी सट्टेबाजी ऐप्स का प्रमोशन करने का आरोप है। 

ईडी ने यह एक्शन एक शिकायतकर्ता की एफआईआर पर लिया है। एफआईआर में दावा किया गया है कि यह सितारे लोगों को सट्टेबाजी ऐप्स की तरफ खींच रहे हैं। हैदराबाद साइबराबाद पुलिस की एफआईआर के आधार पर ईडी ने केस दर्ज किया है।

लिस्ट में विजय देवरकोंडा, राणा दग्गुबाती, प्रकाश राज जैसे सितारे

मियापुर के एक बिजनेसमैन फणिंद्र शर्मा ने आरोप लगाया कि कई बड़े फिल्मी चेहरे और सोशल मीडिया स्टार्स लोगों को इन सट्टेबाजी ऐप्स की तरफ खींच रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस तरह के ऐप्स से मिडल क्लास और लोअर मिडल क्लास फैमिलीज को काफी नुकसान हो रहा है। इस शिकायत के बाद साइबराबाद पुलिस ने 19 मार्च 2025 को 25 सेलिब्रिटीज के खिलाफ एफआईए दर्ज की थी।इस लिस्ट में फिल्मी दुनिया के बड़े नाम जैसे विजय देवरकोंडा, राणा दग्गुबाती, प्रकाश राज, मंचु लक्ष्मी, निधि अग्रवाल, प्रणीता सुभाष, अनन्या नागल्ला, एंकर श्रीमुखी, यूट्यूबर हर्षा साई, बय्या सनी यादव और लोकल बॉय नानी जैसे कई पॉपुलर चेहरे शामिल है।

ये ऐप्स युवाओं को जल्दी पैसा कमाने का लालच दे रहे

अब ईडी ने इस पूरे मामले में PMLA के तहत अपने ECIR दर्ज कर ली है। ईडी अब इन सभी स्टार्स और इंफ्लुएंसर्स से पूछताछ कर रही है कि उन्होंने कितने पैसे में प्रमोशन किया, पेमेंट कैसे मिला और टैक्स डिटेल्स क्या है। जांच में सामने आया है कि इन ऐप्स के जरिए हजारों करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन हुआ है। ये ऐप्स युवाओं को जल्दी पैसा कमाने का लालच देते है। लेकिन बाद में लोग आर्थिक और मानसिक तौर पर टूट जाते है. मामले की जांच जारी है।

पहले भी सामने आया था ऐसा ही मामला

बता दें, बीते साल भी महादेव बेटिंग एप का मामला सामने आया था। उस मामले में भी कई बॉलीवुड, टॉलीवुड और टीवी सितारों का नाम उछला था। उस मामले में तेजी से कार्रवाई की गई थी। अब इस मामले में भी ईडी कार्रवाई कर रही है। पूछताछ और जांच के बाद साफ होगा कि ये कितना बड़ा घोटाला है।

पीएम मोदी को नामीबिया का सर्वोच्च पुरस्कार,11 साल में 27 इंटरनेशनल अवॉर्ड

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नामीबिया में बुधवार को सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'ऑर्डर ऑफ द मोस्ट एंशिएंट वेल्वित्चिया मिराबिलिस' से सम्मानित किया गया। नामीबिया की राष्ट्रपति डॉ. नेटुम्बो नंदी-नदैतवाह ने उन्हें राजधानी विंडहोक स्थित स्टेट हाउस में यह सम्मान दिया। बतौर पीएम, मोदी का यह 27वां इंटरनेशनल अवॉर्ड है। 

पीएम मोदी 2 से 10 जुलाई तक 5 देशों के दौरे पर रहे। इस क्रम में पीएम मोदी एक दिवसीय दौरे पर नामीबिया पहुंचे।यहां पीएम मोदी का भव्य स्वागत हुआ। इस दौरान पीएम मोदी को बुधवार को नामीबिया के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ द मोस्ट एंशिएंट वेल्वित्चिया मिराबिलिस’ से सम्मानित किया गया। पीएम मोदी को यह पुरस्कार नामीबिया के राष्ट्रपति नेटुम्बो नंदी-नदैतवा द्वारा विंडहोक में आयोजित एक समारोह में दिया गया।

प्रधानमंत्री ने नामीबिया की संसद को भी संबोधित किया

उन्होंने कहा, मैं सर्वोच्च नागरिक सम्मान लेते हुए बहुत सम्मानित महसूस कर रहा है। नामीबिया के मजबूत और सुंदर पौधों की तरह, हमारी दोस्ती समय की कसौटी पर खरी उतरी है। यहां के राष्ट्रीय पौधे, वेल्वित्शिया मिराबिलिस की तरह, यह समय और उम्र के साथ और भी मजबूत होगी। पीएम ने कहा, आपने 2022 में हमारे देश में चीतों को फिर से बसाने में हमारी मदद की, हम आपके इस गिफ्ट के लिए बहुत आभारी हैं। उन्होंने आपके लिए एक संदेश भेजा है- सब कुछ ठीक है। वे बहुत खुश हैं और अपने नए घर में अच्छी तरह से ढल गए हैं। उनकी संख्या भी बढ़ी है।

7 दिनों में 4 देशों ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा

बता दें कि इससे पहले पीएम मोदी को 26 अवॉर्ड मिल चुके हैं। पीएम मोदी को पिछले 7 दिनों में 4 देशों ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा गया है। प्रधानमंत्री इस हफ्ते 5 देशों के दौरे पर थे। इस दौरान 4 मुल्कों ने उनका सम्मान किया है। वहीं, 24 घंटे के भीतर दिया गया दूसरा पुरस्कार है।

2016-2019 तक इन देशों ने किया सम्मानित

सबसे पहले पीएम को 2016 में सऊदी अरब ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान किंग अब्दुल अजीज सैश से सम्मानित किया। 2016 में ही अफगानिस्तान ने पीएम को स्टेट ऑर्डर ऑफ गाजी अमीर सम्मान दिया। 2018 में फिलिस्तीन ने अपने सबसे बड़े नागरिक सम्मान ग्रैंड कॉलर ऑफ द स्टेट फलस्तीन से नवाजा। 2019 में यूएई ने ऑर्डर ऑफ जायद दिया। 2019 में ही पड़ोसी देश रूस ने ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल दिया। 2019 में ही मालदीव ने पीएम मोदी को ऑर्डर ऑफ इज्जुद्दीन से सम्मानित किया। बहरीन ने भी पीएम मोदी को 2019 में किंग हमद ऑर्डर ऑफ द रेनसां से सम्मनित किया।

2020 से 2025 तक मिले ये सम्मान

2020 में अमेरिका ने पीएम मोदी को लीजन ऑफ मेरिट से सम्मानित किया। 2021 में भूटान ने पीएम को ऑर्डर ऑफ द द्रुक ग्यालपो से नवाजा। 2023 में पापुआ न्यू गिनी ने पीएम मोदी को एबाकल अवॉर्ड दिया। 2023 में ही फिजी ने पीएम मोदी को कंपेनियन ऑफ द ऑर्डर दिया। 2023 में पापुआ न्यू गिनी ने पीएम को ऑर्डर ऑफ लोगोहू भी दिया। जोकि सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। 2023 में मिस्त्र ने ऑर्डर ऑफ नाइल दिया। 2023 में फ्रांस ने ग्रैंड क्रॉस ऑफ द सीजन ऑनर दिया। 2023 में ग्रीस ने द ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ ऑनर से नवाजा। इसके बाद पीएम को 2024 में डोमिनिका, नाइजीरिया, गुयाना, बारबाडोस और कुवैत ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा।

सबसे ज्यादा अवॉर्ड पाने वाले पीएम

11 साल के कार्यकाल में प्रधानमंत्री मोदी को अब तक 27 देशों ने अवॉर्ड दिया है। आजादी के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को दो अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिले, जबकि इंदिरा गांधी को भी दो सम्मान मिले। डॉ. मनमोहन सिंह को भी अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान दो अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिले, जबकि राजीव गांधी को कोई सम्मान नहीं मिला।

राजस्थान के चूरू में फाइटर प्लेन क्रैश, दो पायलटों की मौत

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राजसथान के चुरू में बड़ा विमान हादसा हो गया है। चुरू में आज बुधवार को वायुसेना का एक जगुआर प्लेन क्रैश हो गया है। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, इस हादसे में 2 पायलटों की मौत हो गई है। यह हादसा रतनगढ़ के भाणुदा बीदावतान गांव में हुआ।

वायुसेना ने क्या कहा?

हादसे के बाद वायुसेना ने कहा, भारतीय वायुसेना का एक जगुआर ट्रेनर एयरक्राफ्ट राजस्थान के चूरू के पास नियमित प्रशिक्षण मिशन के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस दुर्घटना में दोनों पायलटों की मौत हो गई। किसी भी नागरिक संपत्ति को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। भारतीय वायुसेना को नुकसान पर गहरा दुःख है और वह इस दुख की घड़ी में शोक संतप्त परिवारों के साथ खड़ी है। दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए एक कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी गठित की गई है।

दुर्घटना स्थल के पास मानव शरीर के अंग मिले

हादसे की जानकारी स्थानीय लोगों ने पुलिस की दी। जानकारी मिलते ही ही पुलिस की एक टीम तुरंत दुर्घटनास्थल पहुंच गई ताकि इलाके को सुरक्षित किया जा सके और आगे की जांच में मदद मिल सके। न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, राजलदेसर के थानाधिकारी कमलेश ने बताया कि विमान दोपहर करीब 1.25 बजे भाणुदा गांव के एक खेत में दुर्घटनाग्रस्त हुआ। उन्होंने बताया कि दुर्घटना स्थल के पास मानव शरीर के अंग मिले हैं । फिलहाल पायलट की पहचान और विमान को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है।

पहले भी 2 बार क्रैश हो चुका है जगुआर

बता दें कि इससे पहले भी 2 बार जगुआर फाइटर प्लेन क्रैश हो चुके हैं। 3 महीने पहले भी ऐसा ही एक हादसा देखने को मिला था। अप्रैल में जामनगर एअरफील्ड से उड़ान भरने वाला जगुआर एअरक्राफ्ट क्रैश हो गया था। भारतीय वायुसेना के अनुसार तकनीकी खराबी के कारण यह हादसा हुआ था। वहीं, 7 मार्च को हरियाणा के अंबाला में भी जगुआर एअरक्राफ्ट क्रैश हो गया था।

कौन है 26 साल से फरार मोनिका कपूर? सीबीआई ने अमेरिका में लिया हिरासत में, लाया जा रहा भारत

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भारतीय जांच एजेंसी सीबीआई को बड़ी सफलता हाथ लगी है। सीबीआई ने 26 साल से फरार चल रही कथित आर्थिक अपराधी मोनिका कपूर अब सीबीआई के हत्थे चढ़ गई है। दो दशक के बाद सीबीआई ने अब मोनिका को गिरफ्तार किया है। सीबीआई की टीम मोनिका को भारत लेकर आ रही है।

अमेरिका से सीबीआई लेकर हुई रवाना

केंद्रीय एजेंसी अमेरिका से मोनिका कपूर को हिरासत में लेकर एक अमेरिकी एयरलाइंस की फ्लाइट से भारत रवाना हो चुकी है। सीबीआई की इस टीम के बुधवार रात तक भारत पहुंचने की संभावना है। अधिकारियों ने बताया कि न्यूयॉर्क स्थित यूनाइटेड स्टेट्स डिस्ट्रिक्ट कोर्ट (ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट) ने भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय प्रत्यर्पण संधि के तहत उनके प्रत्यर्पण को मंजूरी दी थी। अमेरिकी विदेश मंत्री ने मोनिका कपूर के उस दावे को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर उन्हें भारत वापस लाया गया तो उन्हें प्रताड़ित किया जा सकता है, इसलिए उनका प्रत्यर्पण 1998 के विदेश मामलों के सुधार और पुनर्गठन अधिनियम द्वारा लागू किए गए संयुक्त राष्ट्र यातना विरोधी कन्वेंशन का उल्लंघन होगा।

फर्जी दस्तावेजों से करोड़ों का घोटाला करने का आरोप

मोनिका कपूर पर फर्जी दस्तावेजों से एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट में करोड़ों का घोटाला करने का आरोप है। जो ‘मोनिका ओवरसीज’ की प्रोपराइटर थी, इसने अपने दो भाइयों राजन खन्ना और राजीव खन्ना के साथ मिलकर फर्जी एक्सपोर्ट डॉक्युमेंट्स जैसे कि शिपिंग बिल्स, इनवॉयस और बैंक सर्टिफिकेट तैयार किए। इन फर्जी दस्तावेजों के दम पर उन्होंने 1998 में ‘रिप्लेनिशमेंट लाइसेंस’ हासिल किए, जिसकी मदद से 2.36 करोड़ रुपये का ड्यूटी-फ्री गोल्ड मंगवाया गया। इसके बाद इन लाइसेंस को अहमदाबाद की कंपनी डीप एक्सपोर्ट को प्रीमियम पर बेच दिया गया। डीप एक्सपोर्ट ने इनका इस्तेमाल कर गोल्ड इम्पोर्ट किया।

सरकार को हुआ था करोड़ों का नुकसान

इस हेराफेरी की वजह से भारत सरकार को करीब 6.8 लाख डॉलर यानी लगभग 5.5 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इस मामले की जांच 1999 में डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस ने शुरू की थी। सितंबर 1999 में कपूर से पूछताछ भी हुई थी। फिर 2002 में यह केस सीबीआई को सौंपा गया।

2006 में कोर्ट ने ‘प्रोक्लेम्ड ऑफेंडर’ अपराधी घोषित किया

2003 में दिल्ली की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट ने कपूर के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया। इसके बाद 2004 में इस केस में चार्जशीट दाखिल हुई। जब कई बार नोटिस देने के बाद भी मोनिका कपूर जांच या कोर्ट में पेश नहीं हुई, तो फरवरी 2006 में कोर्ट ने उसे ‘प्रोक्लेम्ड ऑफेंडर’ अपराधी घोषित कर दिया। भारत सरकार ने कपूर की तलाश में इंटरपोल से भी मदद मांगी, और 2003 में इंटरपोल ने कपूर के नाम रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया। 19 अक्टूबर 2010 में सीबीआई ने मोनिका के प्रत्यर्पण के लिए यूएस की एजेंसी से रिकवेस्ट की थी। सभी कानूनी प्रक्रिया को पूरा करने के बाद सीबीआई की टीम यूएस पहुंची और मोनिका को हिरासत में लिया।

पीएम मोदी को मिला ब्राजील का सर्वोच्च सम्मान, 'नेशनल ऑर्डर ऑफ सदर्न क्रॉस' से नवाजे गए

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भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मंगलवार को ब्राजील के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'ग्रैंड कॉलर ऑफ द नेशनल ऑर्डर ऑफ द सदर्न क्रॉस' से सम्मानित किया गया है। ब्राजील दौरे पर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा ने ये सम्मान प्रदान किया। यह पुरस्कार पीएम मोदी को भारत-ब्राजील के संबंधों को मजबूत करने और प्रमुख वैश्विक मंचों पर दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया गया है।

ब्राजील के सर्वोच्च नागरिक सम्मान हासिल करने के बाद पीएम मोदी ने राष्ट्रपति लूला के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के बाद कहा, आज राष्ट्रपति द्वारा ब्राजील के सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित होना न केवल मेरे लिए, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों के लिए भी अत्यंत गौरव और भावना का क्षण है। उन्होंने आगे कहा, मैं उनके (राष्ट्रपति लूला), ब्राजील सरकार और ब्राजील की लोगों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं।

5 साल में 20 अरब डॉलर के आपसी ट्रेड का टारगेट

पीएम मोदी ने कहा कि दोनों देशों ने अगले पांच साल में द्विपक्षीय व्यापार को 20 अरब डॉलर (1.70 लाख करोड़ रुपए) तक ले जाने का टारगेट रखा है। पीएम मोदी ने मजाकिया अंदाज में कहा- फुटबॉल ब्राजील की आत्मा है, तो क्रिकेट भारतीयों का जुनून। चाहे गेंद बाउंड्री पार जाए या गोलपोस्ट में, 20 अरब डॉलर की साझेदारी मुश्किल नहीं है। उन्होंने एनर्जी सेक्टर में बढ़ते सहयोग पर जोर देते हुए कहा कि पर्यावरण और क्लीन एनर्जी दोनों देशों की प्राथमिकता है।

अल्वोराडा पैलेस में पीएम मोदी का गर्मजोशी से स्वागत

इससे पहले अल्वोराडा पैलेस में आयोजित एक समारोह में पीएम मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया गया, जहां कलाकारों के एक समूह ने राम भजन की प्रस्तुति दी। दोनों नेताओं ने एक संक्षिप्त बैठक भी की, जिसमें व्यापारिक संबंधों को गहरा करने और व्यापार में विविधता लाने पर चर्चा की

अब तक यह 26वां अंतरराष्ट्रीय सम्मान

मई 2014 में प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद से पीएम मोदी को किसी विदेशी सरकार की तरफ से दिया गया यह 26वां अंतरराष्ट्रीय सम्मान है। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 3 जुलाई को पश्चिम अफ्रीकी देश घाना के सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान 'द ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ घाना' से सम्मानित किया गया था। वहीं, इससे पहले 16 जून को साइप्रस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मकारियोस तृतीय’ से सम्मानित किया गया था।