भारत ने अफगानिस्तान पर UN के प्रस्ताव से बनाई दूरी, जानें क्यों किया परहेज

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भारत ने अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एक प्रस्ताव पर वोट नहीं दिया। संयुक्त राष्ट्र महासभा में अफगानिस्तान पर पेश प्रस्ताव पर भारत ने वोटिंग से दूरी बनाते हुए साफ कहा कि बिना नए और ठोस कदमों के अफगान जनता के लिए सकारात्मक बदलाव संभव नहीं है।अफगानिस्तान की स्थिति पर जर्मनी की तरफ से पेश किए गए एक मसौदा प्रस्ताव को 193-सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मंजूरी दे दी। यह प्रस्ताव 116 मतों से पास हुआ, जबकि दों देशों ने विरोध किया और 12 देशों ने मतदान से दूरी बनाई, जिनमें भारत भी शामिल था।

भारत ने बताई वोट नहीं देने की वजह

यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत पर्वाथानेनी हरीश ने कहा कि भारत को चिंता है कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आतंकवादी संगठन कर रहे हैं। इसलिए भारत ने वोट नहीं दिया। हरीश ने यूएन में कहा कि अफगानिस्तान ने 22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की है, जिसका भारत स्वागत करता है।

अफगानी धरती का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के लिए न हो

पर्वाथानेनी हरीश ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यूएन सुरक्षा परिषद द्वारा तय किए गए आतंकवादी संगठन, जैसे अल कायदा, आईएसआईएल, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद, अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के लिए न करें। साथ ही, जो देश इन संगठनों की मदद करते हैं, उन पर भी कार्रवाई होनी चाहिए।

संयुक्त राष्ट्र में और क्या बोले पी हरीश?

भारत के स्थायी प्रतिनिधि ने कहा कि किसी भी जंग के बाद की स्थिति को संभालने के लिए सजा देने वाले कदमों के साथ-साथ प्रोत्साहन भी जरूरी होता है। केवल सजा देने वाली नीतियां कामयाब नहीं होंगी। उन्होंने यह भी कहा कि अगस्त 2021 में तालिबान के काबुल पर कब्जे के बाद से अफगानिस्तान में बढ़ती मानवीय समस्या को हल करने के लिए कोई नई रणनीति नहीं बनाई गई है। इसलिए बिना नए कदमों के अंतरराष्ट्रीय समुदाय की उम्मीदें पूरी नहीं होंगी।

जर्मनी ने पेश किया प्रस्ताव

‘अफगानिस्तान की स्थिति' पर जर्मनी द्वारा पेश किए गए एक मसौदा प्रस्ताव को 193-सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मंजूरी दे दी। यूएन महासभा के इस प्रस्ताव में तालिबान के कंट्रोल के बाद अफगानिस्तान में गंभीर आर्थिक, मानवीय और सामाजिक स्थितियों, लगातार हिंसा और आतंकवादी समूहों की उपस्थिति, राजनीतिक समावेशिता और प्रतिनिधि निर्णय लेने की कमी के साथ-साथ महिलाओं, लड़कियों और अल्पसंख्यकों से संबंधित मानव अधिकारों के उल्लंघन और दुरुपयोग पर गहरी चिंता व्यक्त की गई है।

मल्लिकार्जुन खरगे ने किया राष्ट्रपति मुर्मू का अपमान? बीजेपी ने कांग्रेस अध्यक्ष से की माफी की मांगे

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भाजपा ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है। बीजेपी के प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे पर निशाना साधा। भाटिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद मल्लिकार्जुन खरगे पर तीखा हमला किया है। गौरव भाटिया ने कहा, मल्लिकार्जुन खरगे ने भारत की राष्ट्रपति के लिए आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया है।

कांग्रेस लगातार देश की आदिवासी राष्ट्रपति का अपमान करते रहे

बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि कांग्रेस नेता लगातार देश की आदिवासी राष्ट्रपति का अपमान करते रहे हैं। कभी अधीर रंजन चौधरी ने राष्ट्रपति को राष्टपत्नी कहा, तो कभी उदित राज ने कहा कि किसी भी देश को मुर्मू जैसा राष्ट्रपति नहीं मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस लगातार देश के सर्वोच्च पद पर बैठी महिला का अपमान करती रही है। पार्टी कांग्रेस अध्यक्ष से माफी की मांग करती है।

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का भी अपमान किया गया

भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का भी अपमान किया। गौरव भाटिया ने कहा कि 'मल्लिकार्जुन खरगे पूर्व राष्ट्रपति जी राम नाथ कोविंद जी को 'कोविड' बुलाते हैं। आप राष्ट्रपति को बिना किसी सम्मान के 'मुर्मा जी' कहकर संबोधित करते हैं और फिर अंत में उन्हें भूमाफिया बताते हैं। पूरा देश जानता है कि अगर देश में कोई भूमाफिया है तो वह फर्जी गांधी परिवार है।

खरगे से माफी की मांग

भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि 'उदित राज कहते हैं कि किसी देश को द्रौपदी मुर्मू जैसी राष्ट्रपति नहीं मिलनी चाहिए। अधीर रंजन चौधरी राष्ट्रपति को राष्ट्रपत्नि कहकर संबोधित करते हैं। यह एक आदिवासी महिला के खिलाफ बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी है। कांग्रेस नेताओं को लगता है कि सिर्फ फर्जी गांधी परिवार के सदस्य ही देश में संवैधानिक पदों पर बैठ सकते हैं। अजय कुमार कहते हैं कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू बुरी मानसिकता को दर्शाती हैं। आज मल्लिकार्जुन खरगे का आपत्तिजनक बयान सबूत है कि उनकी कोई जुबान नहीं फिसली है। यह जानबूझकर किया गया। हम मल्लिकार्जुन खरगे से मांग करते हैं कि वे अपने बयान पर माफी मांगें।

सिर्फ नकली गांधी परिवार…

गौरव भाटिया ने कहा कि कांग्रेस नेताओं का मानना है कि केवल नकली गांधी परिवार के सदस्य ही संवैधानिक पदों पर आसीन हो सकते हैं। अजॉय कुमार ने कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू एक दुष्ट मानसिकता को दर्शाती हैं। मल्लिकार्जुन खरगे की आपत्तिजनक टिप्पणी साबित करती है कि यह जुबान की फिसलन नहीं है। यह पूरी तरह से जानबूझकर किया गया है।

डोनाल्ड ट्रंप को मिले शांति का नोबेल…पाकिस्तान के बाद दोस्त नेतन्याहू ने की बड़ी डिमांड

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इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अमेरिका के दौरे पर हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को उनके लिए व्हाइट हाउस में डिनर का आयोजन किया था। इस मौके पर नेतन्याहू अपने दोस्त ट्रंप के लिए एक खास तोहफा लेकर पहुंचे। दरअसल, इजराइली पीएम ने डोनाल्ड ट्रंप को एक पत्र सौंपा, जो उनकी सरकार की ओर से नोबेल पुरस्कार समिति को भेजा गया है। इस पत्र में डोनाल्ड ट्रंप के शांति प्रयासों को बताते हुए उनको नोबेल पीस प्राइज देने की सिफारिश की गई है।

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गाजा में संघर्ष विराम की कोशिशों के बीच इस्राइली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से व्हाइट हाउस में डिनर पर मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने ट्रंप को बताया कि उन्होंने नोबेल पुरस्कार के लिए ट्रंप को नामित करने की सिफारिश की थी। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति को नोबेल पुरस्कार समिति को भेजा गया वही पत्र ट्रंप को भेंट भी किया।

ट्रंप को बताया नोबेल प्राइज का हकदार

इजराइल के पीएम नेतन्याहू ने कहा कि मैं आपको नोबेल पुरस्कार समिति को भेजा गया पत्र दिखाना चाहता हूं। इसमें आपको शांति पुरस्कार के लिए नामित किया गया है, जिसके आप हकदार हैं। इस पर ट्रंप ने नेतन्याहू को धन्यवाद दिया। ट्रंप ने कहा- मुझे इस बारे में नहीं पता था, आपका बहुत बहुत धन्यवाद। यह बहुत सार्थक है।

पाकिस्तान भी कर चुका है ट्रंप के लिए नोबेल प्राइज की मांग

बता दें कि इस साल जनवरी में ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद बेंजामिन नेतन्याहू की अमेरिका की यह तीसरी यात्रा है। नेतन्याहू की इस यात्रा का मकसद गाजा में सीजफायर पर चर्चा करना है। इससे पहले पाकिस्तान की ओर से भी ट्रंप को नोबेल पुरस्कार दिए जाने की बात की गई थी। मुनीर ने हाल ही में अमेरिका के दौरे के बाद ट्रंप के लिए नोबेल की मांग उठाई थी।

फिर भारत-पाक संघर्ष विराम का श्रेय लेने की कोशिश

इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम का श्रेय लेते दिखे। नेतन्याहू से उन्होंने कहा कि हमने बहुत सी लड़ाइयां रोकी हैं, इनमें सबसे बड़ी लड़ाई भारत और पाकिस्तान के बीच थी। हमने व्यापार के मुद्दे पर इसे रोका है। हम भारत और पाकिस्तान के साथ काम कर रहे हैं। हमने कहा था कि अगर आप लड़ने वाले हैं तो हम आपके साथ बिल्कुल भी काम नहीं करेंगे। वे शायद परमाणु स्तर पर जाकर जंग लड़ना चाहते थे। इसे रोकना वाकई महत्वपूर्ण था।

ट्रंप ने जापान-दक्षिण कोरिया समेत 14 देशों पर लगाया नया टैरिफ, जवाबी कार्रवाई न करने की धमकी भी दी

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ब्रिक्स देशों पर अतिरिक्त दस फीसदी टैरिफ लगाने की धमकी के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जापान एवं दक्षिण कोरिया समेत 14 देशों पर नए टैरिफ (व्यापारिक दरों) का ऐलान कर वैश्विक व्यापार जगत में हलचल मचा दी है। उन्होंने इन दोनों देशों के साथ लगातार व्यापार असंतुलन का हवाला देते हुए यह शुल्क लगाया है। ट्रंप ने एक अगस्त से लागू होने वाले शुल्क की सूचना सोशल मीडिया मंच 'ट्रुथ' पर पोस्ट करके दी। 

14 देशों पर टैरिफ का ऐलान

ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर 14 देशों को भेजे गए लेटर शेयर किए हैं। इनमें थाईलैंड, म्यांमार, बांग्लादेश, दक्षिण कोरिया, जापान, मलेशिया, कजाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका, लाओस, इंडोनेशिया, ट्यूनीशिया, बोस्निया और हर्जेगोविना, सर्बिया और कंबोडिया शामिल हैं।

नए टैरिफ के साथ चेतावनी भी जारी

ट्रंप ने अपने ट्रुथ सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, यह अन्य क्षेत्रीय टैरिफ से अलग होगा। अगर कोई देश ऊंचे टैरिफ से बचने के लिए माल को दूसरी जगह से भेजता है, तो उस देश पर भी ऊंचा टैरिफ लागू होगा। ट्रंप ने चेतावनी दी कि वह अपने आयात करों में वृद्धि करके जवाबी कार्रवाई न करें। ऐसा करने पर ट्रंप प्रशासन आयात करों में और वृद्धि कर देगा, जिससे जापान व द. कोरिया के ऑटो व इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्रों को नुकसान हो सकता है, जो चीन के प्रभाव का मुकाबला करने में अमेरिका के दो अहम साझेदार हैं।

म्यांमार और लाओस पर सबसे अधिक टैरिफ

ट्रंप ने म्यांमार और लाओस पर सबसे अधिक 40 प्रतिशत शुल्क लगाने का ऐलान किया है, जबकि जापान और दक्षिण कोरिया पर 25% टैरिफ लगाया गया है। जापान और दक्षिण कोरिया अमेरिका के करीबी एशियाई सहयोगी हैं। ट्रंप ने उनके साथ लंबे समय से चले आ रहे व्यापार असंतुलन को 25% टैरिफ लगाने का कारण बताया। वहीं मलेशिया और कजाकिस्तान अमेरिका को इलेक्ट्रॉनिक्स, ऊर्जा और औद्योगिक धातुओं का निर्यात करते हैं। उनपर भी 25% टैरिफ लगाया गया है। थाईलैंड और कंबोडिया पर 36% टैरिफ, बांग्लादेश और सर्बिया पर 35%, इंडोनेशिया पर 32%, दक्षिण अफ्रीका और बोस्निया पर 30% शुल्क लगाने का ऐलान किया गया है।

देश के 80 सांसदों ने की दलाई लामा को भारत रत्न देने की मांग, केंद्र को पत्र, चिढ़ जाएगा चीन

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तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा को भारत रत्न देने की मांग उठ रही है। देश के सभी राजनीतिक पार्टियों के सांसदों ने केन्द्र सरकार को पत्र लिखा है और दलाई लामा को भारत रत्न देने की मांग की है। सांसदों ने तिब्बती बौद्ध आध्यात्मिक प्रमुख और 14वें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो को संसद में संयुक्त सत्र को संबोधित करने के लिए भी अनुमति देने का आग्रह किया है। यह पत्र ऑल पार्टी इंडियन पार्लियामेंट्री फोरम ऑन तिब्बत ने लिखा है।

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सांसदों का ऑल पार्टी इंडियन पार्लियामेंट्री फोरम ऑन तिब्बत दलाई लामा को भारत रत्न दिलाने की मांग कर रहा है। बीजेपी सांसद भर्तृहरि महताब इस फोरम के संयोजक हैं। सांसदों के ऑल पार्टी इंडियन पार्लियामेंट्री फोरम ऑन तिब्बत ने इस संबंध में तिब्बती सरकार के प्रतिनिधियों से भी कई बार मुलाकात की है।

ज्ञापन पर विपक्षी दलों के सांसदों ने भी हस्ताक्षर किए

राज्यसभा सांसद सुजीत कुमार पहले बीजेडी में थे, लेकिन अब बीजेपी में शामिल हो गए हैं। वे इस फोरम के पहले संयोजक थे। दिसंबर 2021 में जब ये फोरम फिर से सक्रिय हुआ, तो सुजीत कुमार ने इसमें अहम भूमिका निभाई। उन्होंने बताया कि उनका ग्रुप दलाई लामा को भारत रत्न देने की मांग कर रहा है। राज्यसभा सांसद सुजीत कुमार ने कहा कि हमने 80 से ज्यादा सांसदों के हस्ताक्षर वाला एक ज्ञापन तैयार किया है। जैसे ही 100 सांसदों के हस्ताक्षर हो जाएंगे, हम इसे प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को सौंप देंगे। इस ज्ञापन पर विपक्षी दलों के सांसदों ने भी हस्ताक्षर किए हैं।

बढ़ा सकता है भारत का सॉफ्ट पावर

दलाई लामा 1959 में तिब्बत पर चीनी कब्जे के बाद भारत में शरणार्थी बनकर आए। वह पूरे विश्व के लिए अहिंसा, करुणा और वैश्विक शांति के प्रतीक हैं। उनके योगदान को देखते हुए लोगों का मानना है कि वे भारत रत्न के हकदार हैं, जैसा कि पहले विदेशी हस्तियों- जैसे कि नेल्सन मंडेला (1990), खान अब्दुल गफ्फार खान (1987), और मदर टेरेसा (1980) को दिया गया था। दलाई लामा को यह सम्मान देना भी भारत की सॉफ्ट पावर को बढ़ा सकता है।

मैं पाकिस्तानी सेना का एजेंट था और 26/11 मुंबई अटैक के वक्त...” तहव्वुर राणा का बड़ा कबूलनामा

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26/11 मुंबई हमलों का मुख्य साजिशकर्ता तहव्वुर हुसैन राणा ने 2008 में हुए आतंकी हमले को लेकर चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। राणा ने माना है कि हमले का पूरा प्लान पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी की निगरानी में बना था। उसने बताया कि वह हमले के समय मुंबई में ही था। सूत्रों के अनुसार, उसने यह भी कहा कि वह पाकिस्तानी सेना का एक भरोसेमंद एजेंट था। तहव्वुर अभी एनआईए की कस्टडी में है और दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है।

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हेडली के साथ लश्कर-ए-तैयबा के ट्रेनिंग सेशन में लिया हिस्सा

दिल्ली के तिहाड़ जेल में एनआईए की हिरासत में रहते हुए राणा ने मुंबई क्राइम ब्रांच को पूछताछ के दौरान कई बड़े खुलासे किए हैं। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक राणा ने बताया कि उसने और उसके दोस्त डेविड कोलमैन हेडली ने पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के साथ कई ट्रेनिंग सेशन में हिस्सा लिया था। राणा ने बताया कि उसने हमलों के मास्टरमाइंड डेविड कोलमैन हेडली को छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस जैसे मेन टारगेट को पहचानने में मदद की थी।

खुद को बताया पाकिस्तानी सेना का सबसे भरोसेमंद एजेंट

तहव्वुर ने दावा करते हुए कहा कि वह पाकिस्तानी सेना का सबसे भरोसेमंद एजेंट था। राणा के अनुसार, लश्कर-ए-तैयबा मुख्य रूप से एक जासूसी नेटवर्क के रूप में काम करता था। राणा ने यह भी स्वीकार किया कि मुंबई में अपनी फर्म का इमिग्रेशन सेंटर खोलने का विचार उसी का था और इसके वित्तीय लेनदेन को व्यापार खर्चों के रूप में दर्शाया गया था।

पाकिस्तान ने सऊदी अरब भेजा था

तहव्वुर हुसैन राणा ने माना कि वह 26/11 के हमलों के दौरान मुंबई में था और यह आतंकवादियों की योजना का हिस्सा था। तहव्वुर हुसैन राणा ने छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस जैसे स्थानों पर रेकी की थी। उसका मानना है कि 26/11 के हमले पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के सहयोग से किए गए थे। 64 वर्षीय राणा ने यह भी बताया कि उसे खाड़ी युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना द्वारा सऊदी अरब भेजा गया था।

ब्रिक्स देशों को ट्रंप की चेतावनी, 10% अतिरिक्‍त टैरिफलगाने की धमकी, क्या भारत की बढ़ने वाली है परेशानी?

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर ब्रिक्स देशों को धमकाने की कोशिश की है। ब्राजील में चल रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स देशों को बड़ी चेतावनी दे डाली। उन्होंने कहा कि अगर ब्रिक्स देश अमेरिका विरोधी नीति का समर्थन करते हैं तो उन पर 10 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा। ब्रिक्स सम्मेलन में ईरान पर अमेरिका और इजराइल के हमलों की निंदा किए जाने के बाद ट्रंप ने नाराजगी जताते हुए ब्रिक्स देशों को चेताया।

यह बयान उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर साझा किया। डोनाल्ड ट्रंप ने लिखा, ‘ब्रिक्स की अमेरिका विरोधी नीतियों से जुड़ने वाले किसी भी देश पर 10% अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा। इस नीति में कोई अपवाद नहीं होगा। इस मामले पर आपका ध्यान देने के लिए धन्यवाद!’

अमेरिका का नाम लिए बिना ईरान पर हमले और टैरिफ की निंदा की

दरअसल, ब्राजील में चल रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल देशों ने अमेरिका का नाम लिए बिना ईरान पर हुए हालिया हमले और व्यापार शुल्क (टैरिफ) की निंदा की। इजराइल की मध्य पूर्व में की जा रही सैन्य कार्रवाई की आलोचना की गई। सम्मेलन के पहले ब्रिक्स देशों ने अमेरिका पर सीधा हमला नहीं किया, लेकिन उन्होंने कहा कि बढ़ते टैरिफ (शुल्क) से वैश्विक व्यापार पर बुरा असर पड़ रहा है और यह डब्ल्यूटीओ के नियमों के खिलाफ है।

क्या भारत के लिए है बड़ा संदेश

हालांकि, ट्रंप ने इस बयान में यह स्पष्ट नहीं किया कि वह ‘अमेरिका विरोधी नीतियां’ किसे मानते हैं। यही कारण है कि इसके व्याख्या को लेकर भ्रम की स्थिति है। हालांकि उन्होंने जिस अपवाद की बात की है वह सीधे तौर पर भारत है। खासकर भारत जैसे देशों के लिए जो ब्रिक्स का हिस्सा भी हैं और अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी भी निभा रहे हैं।

भारत के लिए बड़ी चुनौती

डोनाल्ड ट्रंप ब्रिक्स को 'एंटी अमेरिका' मानते हैं और उन्हें डर है कि ब्रिक्स देश डॉलर के खिलाफ नई करेंसी जारी कर सकते हैं, जिससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा। ऐसे में भारत के लिए यह स्थिति काफी ज्यादा संवेदनशील और मुश्किल हो जाती है, क्योंकि वह अमेरिका का करीबी सहयोगी भी है और ब्रिक्स का संस्थापक सदस्य भी। ऐसे में ट्रंप की धमकी भारत के लिए थोड़ी मुश्किल हो जाती है। इसका असर भारत-अमेरिका कारोबार पर भी पड़ता है। अब जब वे खुलेआम अतिरिक्त टैरिफ की चेतावनी दे रहे हैं, तो यह सवाल उठता है कि भारत जैसे देश इस आर्थिक दबाव से कैसे निपटेंगे?

भारत ग्लोबल साउथ के नेतृत्व की भूमिका में

ब्रिक्स की शुरुआत 2009 में ब्राजील, रूस, भारत और चीन के साथ हुई थी, बाद में दक्षिण अफ्रीका और 2023 में ईरान, सऊदी अरब, यूएई, मिस्र, इंडोनेशिया और इथियोपिया जैसे देश भी इस समूह में शामिल हो गए। ब्रिक्स के भीतर भारत ग्लोबल साउथ के नेतृत्व की भूमिका भी निभा रहा है। भारत ने हमेशा इस मंच का उपयोग बहुपक्षीयता, वैश्विक दक्षिण की आवाज उठाने और विकासशील देशों के लिए समावेशी व्यवस्था की मांग करने के लिए किया है। हालांकि, चीन और रूस जैसे देशों के कारण ब्रिक्स पर "पश्चिम विरोधी" छवि भी चिपक गई है।

ग्लोबल साउथ के साथ दोहरा मापदंड अपनाया गया”, ब्रिक्स समिट से पीएम मोदी ने किसे दिया कड़ा संदेश?

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ब्राजील के रियो डी जनेरियो में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन चल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ब्रिक्स देशों को संबोधित किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में वैश्विक आतंकवाद की कड़ी निंदा की और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से एकजुटता का आह्वान किया। ब्रिक्स के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'बहुपक्षवाद, आर्थिक-वित्तीय मामलों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को मजबूत करने' के विषय पर आयोजित सत्र के दौरान बड़ी ताकतों को नसीहत भी दी। उन्होंने कहा कि कहा कि ग्लोबल साउथ को जलवायु वित्त, सतत विकास और प्रौद्योगिकी पहुंच पर सिर्फ दिखावटी चीजें मिली हैं।

आतंकवाद के मुद्दे पर दोहरा मापदंड अपनाने वालों को संदेश

प्रधानमंत्री मोदी अपनी पांच देशों की यात्रा के चौथे चरण में ब्राजील पहुंचे हैं। इससे पहले वे घाना, त्रिनिदाद और टोबैगो और अर्जेंटीना जा चुके हैं। रियो डी जनेरियो में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ एकजुट और स्पष्ट रुख अपनाने की अपील की। पीएम मोदी ने आतंकवाद को मानवता के खिलाफ अपराध करार देते हुए कहा कि आतंकवाद की निंदा हमारा सिद्धांत होनी चाहिए, न कि सुविधा। यह देखना कि हमला किस देश में हुआ और किसके खिलाफ, मानवता के साथ विश्वासघात है। पीएम का यह बयान सीधे तौर पर चीन को संदेश के रूप में देखा जा रहा है। पिछले दिनों चीन में आयोजित एससीओ के रक्षा मंत्रियों की बैठक में उसने संयुक्त बयान के मसौदे में पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले का जिक्र नहीं किया।

ग्लोबल साउथ 'डबल स्टैंडर्ड' का शिकार-पीएम मोदी

पीएम मोदी ने आगे कहा कि ग्लोबल साउथ को जो कुछ भी मिला है, वह सिर्फ "टोकन जेस्चर" है। मतलब है कि उन्हें सिर्फ दिखावे के लिए कुछ चीजें दी गई हैं, वास्तव में उनकी मदद नहीं की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि ग्लोबल साउथ 'डबल स्टैंडर्ड' का शिकार रहा है। मतलब, उनके साथ अलग-अलग नियमों के हिसाब से व्यवहार किया गया है।

वैश्विक संस्थाओं में सुधार की जरूरत-पीएम मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 20वीं सदी में बने वैश्विक संगठन आज की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम नहीं हैं। दुनिया भर में चल रहे युद्ध हों, महामारी हो, आर्थिक संकट हो या साइबर दुनिया में नई चुनौतियां, इन संगठनों के पास कोई समाधान नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, आज दुनिया को एक नई, बहुध्रुवीय और समावेशी विश्व व्यवस्था की जरूरत है। इसकी शुरुआत वैश्विक संस्थानों में व्यापक सुधारों से करनी होगी। सुधार केवल दिखावटी नहीं होने चाहिए, बल्कि उनका वास्तविक प्रभाव भी दिखना चाहिए। दुनिया को ऐसे नए सिस्टम की ज़रूरत है जिसमें कई देशों की बात सुनी जाए और सबको शामिल किया जाए। पुराने संगठनों में बदलाव ज़रूरी हैं, और ये बदलाव सिर्फ नाम के लिए नहीं होने चाहिए, बल्कि उनका असर भी दिखना चाहिए।

पीएनबी घोटाले में बड़ी सफलता, भगोड़े नीरव मोदी का भाई नेहल मोदी अमेरिका में गिरफ्तार

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पंजाब नेशनल बैंक के घोटाले में भगोड़ा घोषित नीरव मोदी के भाई नेहाल मोदी को अमेरिका में गिरफ्तार कर लिया गया है। सीबीआई और ईडी के प्रत्यर्पण के अनुरोध के बाद उन पर शिकंजा कसा गया है। अमेरिका के अधिकारियों ने भारत सरकार को इसकी जानकारी दी है। यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, भगोड़े आर्थिक अपराधी नीरव मोदी के भाई को 4 जुलाई को अमेरिकी अधिकारियों ने गिरफ्तार किया था।

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नेहल मोदी भारत के सबसे बड़े बैंकिंग घोटालों में से एक, पीएनबी घोटाले में वांछित हैं। जांच एजेंसियों का आरोप है कि उन्होंने अपने भाई नीरव मोदी की मदद करते हुए करोड़ों रुपये की अवैध कमाई को छिपाया और शेल कंपनियों व विदेशी लेनदेन के जरिए उसे इधर-उधर किया।

2019 में जारी किया गया था रेड नोटिस

साल 2019 में प्रवर्तन निदेशालय ने इंटरपोल से नीरव मोदी को बैंक फंड्स को लूटने में मदद करने के आरोप में नेहल मोदी की भूमिका के लिए उसके खिलाफ रेड नोटिस जारी करने का अनुरोध किया गया था।

कौन है नेहल मोदी?

नेहल मोदी पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) धोखाधड़ी मामले में वांछित है। नेहल मोदी पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में कथित 13,600 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी वाले बैंक लेनदेन के मामले के आरोपी और भगोड़े हीरा व्यापारी नीरव मोदी का भाई है। 46 वर्ष का नेहल मोदी बेल्जियम का नागरिक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से की गई जांच में नेहल मोदी को नीरव मोदी की आपराधिक आय को वैध बनाने के लिए काम करने वाले अहम शख्स पाया गया था। नीरव मोदी ब्रिटेन से प्रत्यर्पण की कार्रवाई का सामना कर रहा है।

काले धन को सफेद करने और छुपाने अहम भूमिका

जांच में सामने आया है कि उसने अपने भाई नीरव मोदी के लिए काले धन को सफेद करने और छुपाने में अहम भूमिका निभाई थी। ईडी और सीबीआई की जांच में ये भी पाया गया है कि नेहाल मोदी ने कई शेल कंपनियों के जरिए बड़ी रकम को विदेशों में इधर-उधर किया। उसका मकसद था धोखाधड़ी से कमाई गई रकम को ट्रैक से बाहर रखना।

नेहल की गिरफ्तारी भारतीय एजेंसियों के लिए अहम

बता दें कि नीरव मोदी खुद इस समय ब्रिटेन में प्रत्यर्पण प्रक्रिया का सामना कर रहे हैं। नेहल मोदी के प्रत्यर्पण मामले की अगली सुनवाई 17 जुलाई 2025 को तय की गई है। जिसमें स्थिति की समीक्षा (स्टेटस कॉन्फ्रेंस) होगी। इस सुनवाई के दौरान नेहल मोदी जमानत की अर्जी भी दे सकते हैं, जिसे अमेरिकी अभियोजन पक्ष विरोध करेगा। यह गिरफ्तारी भारत की जांच एजेंसियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

20 साल बाद एक मंच पर ठाकरे ब्रदर्स, राज और उद्धव ने एक दूसरे को लगाया गले

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महाराष्ट्र की राजनीति ने एक बड़ा मोड़ लिया है।महाराष्ट्र में राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक बार फिर एक साथ आ गए हैं। शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और मनसे प्रमुख राज ठाकरे आज 20 सालों के बाद एक स्टेज पर एक साथ नजर आ रहे हैं।उद्धव और राज ठाकरे आज मुंबई में 'मराठी विजय सभा' में मंच साझा किया। मराठी भाषा के लिए दोनों भाई सारे गिले-शिकवे भुलाकर एक मंच पर साथ आए और एक दूसरे को गले लगाया।

महाराष्ट्र सरकार द्वारा हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में लागू करने के लिए दो सरकारी प्रस्तावों को रद्द करने के बाद, उद्धव ठाकरे गुट (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) मुंबई के वर्ली डोम में एक संयुक्त रैली की। 'विजय रैली' मुंबई के वर्ली इलाके में एनएससीआई डोम में आयोजित की गई। जहां इन दोनों नेताओं ने महाराष्ट्र सरकार की तीन-भाषा नीति को वापस लेने की खुशी में लोगों को संबोधित किया।

जो काम बालासाहेब नहीं कर पाए, वो फडणवीस ने किया-राज ठाकरे

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने कहा, मैंने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि मेरा महाराष्ट्र किसी भी राजनीति और लड़ाई से बड़ा है। आज 20 साल बाद मैं और उद्धव एक साथ आए हैं। जो काम बालासाहेब नहीं कर पाए, वो देवेंद्र फडणवीस ने किया... हम दोनों को साथ लाने का काम।

राज ठाकरे ने हिंदी भाषा को अनिवार्य बनाने पर उठाया सवाल

राज ठाकरे ने अपने भाषण में महाराष्ट्र में हिंदी भाषा को अनिवार्य बनाने पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को ऐसा नहीं करना चाहिए। कई राज्यों में हिंदी भाषा बोली जाती है लेकिन उन राज्यों का कोई विकास नहीं हुआ।150 साल मराठाओं ने भारत पर राज किया। राज ठाकरे ने कहा, नीति लागू करने से भाषा लागू नहीं होती। राज ठाकरे ने कहा, महाराष्ट्र को कोई तिरछी आंख से नहीं देख सकता।

अब हम एक हुए हैं, एक साथ रहने के लिए-उद्धव

विजय रैली को संबोधित करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा, बहुत सालों के बाद मैं और राज ठाकरे एक मंच पर मिले। राज ठाकरे ने बहुत बेहतरीन भाषण दिया। उन्होंने आगे बड़ा सियासी संदेश दे दिया है। उन्होंने कहा, अब हम एक हुए हैं, एक साथ रहने के लिए। उद्धव ठाकरे ने आगे कहा, अभी तो चुनाव नहीं है, हमको बाल ठाकरे ने बताया था कि सत्ता आती है, जाती है, लेकिन अपनी ताकत एक साथ होने में होनी चाहिए। हमारी ताकत एकता में है। संकट आने पर हम सब एक हो जाते हैं। हम सबको एक रहना चाहिए।

उद्धव का बीजेपी पर निशाना

मंच से बीजेपी पर निशाना साधते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा, बीजेपी अफवाहों की फैक्टी है, बीजेपी की पॉलिसी यूज एंड थ्रो की है। बीजेपी पर अटैक करते हुए उन्होंने कहा, बीजेपी हमें क्या हिंदूत्व सिखाएगी। उन्होंने आगे कहा, न्याय के लिए हम बाहुबली बनने को तैयार है।