कौन होगा उत्तराधिकारी? दलाई लामा ने कर दिया खुलासा, चिढ़ जाएगा चीन

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तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा जल्द ही 90 वर्ष के होने जा रहे हैं। दलाई लामा की बढ़ती उम्र के कारण अक्सर उनके उत्तराधिकारी और उसके चुनाव को लेकर चर्चा होती रहती है। इस बीच बुधवार को तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने बड़ा संदेश दिया। उन्होंने अपने वीडियो संदेश में कहा है कि उनकी मृत्यु के बाद भी धर्मगुरु चुनने की परंपरा जारी रहेगी।

उत्तराधिकारी के चयन पर दलाई लामा का निर्णायक बयान

दलाई लामा ने अपने उत्तराधिकारी के चयन को लेकर निर्णायक बयान देते हुए कहा कि उनके भविष्य के पुनर्जन्म (रिकार्नेशन) को मान्यता देने का एकमात्र अधिकार गदेन फोडरंग ट्रस्ट, यानी उनके आधिकारिक कार्यालय को ही है। यह घोषणा सीधे तौर पर चीन के उस प्रयास को चुनौती देती है, जिसमें वह दलाई लामा की विरासत और तिब्बती बौद्ध धर्म पर अपना प्रभाव जमाने की कोशिश करता रहा है।

दलाई लामा ने क्या कहा?

दलाई लामा ने अपनी ही बात को याद दिलाते हुए कहा, जब मैं लगभग 90 वर्ष का हो जाऊंगा तो मैं तिब्बती बौद्ध परंपराओं के उच्च लामाओं, तिब्बती जनता और तिब्बती बौद्ध धर्म का पालन करने वाले अन्य चिंतित लोगों से परामर्श लूंगा, ताकि इस बात पर विचार किया जा सके कि दलाई लामा की संस्था जारी रहनी चाहिए या नहीं।

तिब्बत की जनता की अपील के बाद ऐलान

दलाई लामा ने अपने बयान में कहा, 'मुझे तिब्बत के लोगों ने पत्र लिखकर यह अपील की है कि दलाई लामा संस्था जारी रहे। आध्यात्मिक परंपराओं के नेताओं, निर्वासित तिब्बती संसद के सदस्यों, विशेष आम सभा की बैठक में भाग लेने वालों और गैर सरकारी संगठनों ने लेटर में संस्था को जारी रखने का कारण भी बताया है।

चीन की टेंशन बढ़ी

दलाई लामा ने उत्तराधिकारी को लेकर दिए बयान के बाद चीन की टेंशन बढ़ा दी है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी की पहचान लॉट सिस्टम यानी पर्ची निकालने की प्रक्रिया के माध्यम से ही की जा सकती है। इस प्रक्रिया के तहत कुछ नामों की पर्चियां सोने के कलश में डाली जाती हैं और फिर इनमें से एक को चुना जाता है। यह परंपरा 1792 में शुरू की गई थी और पूर्व में तीन दलाई लामा का चयन इसी प्रणाली से किया गया था। हालांकि, मौजूदा दलाई लामा का चुनाव इस प्रक्रिया के तहत नहीं हुआ था।

क्या कोविड वैक्सीन बन रही अचानक मौतों की वजह? ICMR और AIIMS ने दिया जवाब

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पिछले कुछ महीनों में अचानक मौतों की खबरों ने लोगों को चिंता में डाल दिया है। पिछले कुछ सालों में हार्ट अटैक के मामले बढ़े हैं। इन मौतों का कनेक्शन कोविड-19 की वैक्सीन से जोड़ा जा रहा है। कई लोगों ने कोविड वैक्सीन को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है।इसी बीच स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक अहम बयान जारी कर लोगों की आशंकाओं को दूर करने की कोशिश की है। मंत्रालय ने साफ किया है कि कोविड वैक्सीनेशन और अचानक मौतों के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने दो बड़ी वैज्ञानिक स्टडीज का हवाला देते हुए कहा कि कोविड-19 वैक्सीन और हार्ट अटैक के बीच कोई संबंध नहीं है।देश की दो सबसे बड़ी मेडिकल संस्थाओं ICMR (भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद) और AIIMS (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) ने बड़ी और गहरी जांच की है, जिसमें साफ कहा गया है कि कोविड वैक्सीन और अचानक मौतों का कोई सीधा संबंध नहीं है।

ICMR और AIIMS की स्टडी में क्या?

-इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी (NIE) ने 19 राज्यों के 47 अस्पतालों में 18 से 45 साल के युवाओं की अचानक हुई मौतों का विश्लेषण किया। इसमें साफ था कि कोविड वैक्सीन से इन मौतों का कोई संबंध नहीं है।

-दूसरी स्टडी AIIMS और ICMR द्वारा मिलकर की जा रही है, जो अभी चल रही है। शुरुआती तौर पर इसके रिजल्ट बताते हैं कि इन मौतों के पीछे प्रमुख कारण हार्ट अटैक ही है, और यह वैक्सीन से नहीं जुड़ा है. इसके अलावा, अधिकतर मामलों में जेनेटिक म्यूटेशन या पहले से मौजूद स्वास्थ्य समस्याएं भी पाई गईं.

सरकार ने अपील क्या की?

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि कोविड-19 वैक्सीन भारत में पूरी तरह सुरक्षित है और करोड़ों लोगों की जान बचाने में इसकी भूमिका रही है। गंभीर रिएक्शन के मामले बेहद ही कम हैं। एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा, इस तरह के अटकलें बिना वैज्ञानिक आधार के होती हैं और ये जनता के मन में वैक्सीन को लेकर भ्रम पैदा करती हैं। हमें विज्ञान पर भरोसा करना चाहिए, न कि अफवाहों पर।

कर्नाटक के हासन में 20 लोगों की हार्ट अटैक से मौत

AIIMS और ICMR की रिपोर्ट ऐसे समय में सामने आई है, जब कर्नाटक के हासन जिले में हो रही मौतों ने लोगों डरा दिया है। दरअसल, कर्नाटक के हासन जिले में मई के आखिरी हफ्ते से लेकर जून के आखिरी हफ्ते तक 20 लोगों की हार्ट अटैक से मौत हो गई। इनमें से 9 लोग 30 साल से भी कम उम्र के थे। सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि इनमें से ज्यादातर को कोई पुरानी बीमारी नहीं थी और उन्हें कोई लक्षण भी नहीं दिखे थे।

सिद्दारमैया का चौंकाने वाला बयान

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने एक विशेषज्ञ समिति को 10 दिन के भीतर जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। सिद्दारमैया ने इस पूरे मामले पर बयान देते हुए एक चौंकाने वाली बात कही। उन्होंने कहा है कि हो सकता है कि कोविड-19 वैक्सीन का भी इन मौतों में कोई कनेक्शन हो। उन्होंने कहा, हम यह नजरअंदाज नहीं कर सकते कि वैक्सीन को जल्दबाजी में मंजूरी दी गई और इसे बिना टेस्टिंग के लोगों को लगाया गया। अंतरराष्ट्रीय रिसर्च में भी वैक्सीन और हार्ट संबंधी समस्याओं के कुछ लिंक सामने आए हैं।

अमरनाथ यात्रा के लिए निकला पहला जत्था, एलजी मनोज सिन्हा ने दिखाई हरी झंडी

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बाबा बर्फानी के दर्शन की प्रतीक्षा कर रहे लाखों श्रद्धालुओं के लिए आज का दिन बेहद खास है। अमरनाथ यात्रा की शुरूआत हो चुकी है। यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों का पहला जत्था आज बुधवार को जम्मू से रवाना हो गया। बाबा बर्फानी का पहला दर्शन 3 जुलाई को होगा। इसके लिए आज यानी 2 जुलाई को अमरनाथ यात्रियों का पहला जत्था रवाना हो गया है। जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे को हरी झंडी दिखाई।

पवित्र अमरनाथ यात्रा का शुभारंभ आज जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा द्वारा तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे को हरी झंडी दिखाकर किया गया। भगवती नगर आधार शिविर से पहला जत्था रवाना हुआ। इस दौरान भक्त हर-हर महादेव का उद्घोष कर रहे थे।

इस दौरान जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा, श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड ने यात्रा के लिए बेहतरीन व्यवस्थाएं की हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस और सुरक्षा बलों ने भी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की है। देशभर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आए हुए हैं। लोगों में खासा उत्साह है। भोलेनाथ के भक्त सभी आतंकी हमलों को दरकिनार कर भारी संख्या में यहां पहुंचे हैं। मुझे उम्मीद है कि इस साल की यात्रा पिछली यात्राओं से भी बेहतर होगी।

नौ अगस्त को होगा यात्रा का समापन

कश्मीर में 3,880 मीटर की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा मंदिर के लिए 38 दिवसीय तीर्थयात्रा तीन जुलाई को घाटी से दो रास्तों से शुरू होगी - अनंतनाग जिले में पारंपरिक 48 किलोमीटर लंबे नुनवान-पहलगाम मार्ग और गांदरबल जिले में छोटा (14 किलोमीटर) लेकिन अधिक खड़ी चढ़ाई वाला बालटाल मार्ग। यात्रा का समापन नौ अगस्त को होगा।

जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा कड़ी

अमरनाथ यात्रा के लिए पूरे जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा कड़ी है। खासकर जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की 180 कंपनियों के साथ बहुस्तरीय सुरक्षा और निगरानी के लिए जैमर और प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा रहा है। लखनपुर से बनिहाल तक 50,000 से अधिक तीर्थयात्रियों के लिए 106 आवास केंद्रों में भोजन और ठहरने की व्यवस्था की गई है।

ईरान ने ट्रंप और नेतन्याहू के खिलाफ जारी किया फतवा, कहा-ये अल्लाह के दुश्मन हैं

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इजराइल और अमेरिका में जारी तनाव के बीच ईरान के टॉप शिया मौलवी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायली प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ फतवा जारी किया है और उन्हें अल्लाह का दुश्मन कहा है। ईरान के शीर्ष शिया धर्मगुरु अयातुल्ला नसेर माकारेम शिराजी के फतवे में दुनिया भर के मुसलमानों से एकजुट होने और इस्लामी गणतंत्र नेतृत्व को धमकी देने वाले अमेरिकी और इजरायली नेताओं को गिराने का आह्वान किया गया।

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ईरान के शीर्ष शिया धर्मगुरु अयातुल्ला नासर मकरम शिराजी की ओर से जारी फतवे में कहा गया है कि कोई व्यक्ति या शासन जो नेता या मरजा (इस्लामी वरिष्ठ विद्वान) को धमकी देता है,उसे सरदार या मोहरेब माना जाता है। ईरानी कानून के मुताबिक मोहरेब वह व्यक्ति होता है जो ईश्वर के खिलाफ युद्ध शुरू करता है और ऐसे व्यक्ति को मौत, सूली पर चढ़ाने, अंग काटने और निर्वासित किए जाने का प्रावधान है।  

यह धार्मिक फतवा 13 जून को शुरू हुए 12 दिवसीय युद्ध के रुकने के बाद आया है। 13 जून को इजरायल ने ईरान में बमबारी अभियान शुरू किया जिसमें शीर्ष सैन्य कमांडर और उसके परमाणु कार्यक्रम से जुड़े वैज्ञानिक मारे गए। ईरान ने इसके जवाब में ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस 3 शुरू किया और इजराइल के बुनियादी ढांचे के खिलाफ मिसाइल और ड्रोन हमले किए। फिर अमेरिका ने भी दोनों के युद्ध में एंट्री ली और ईरान के तीन परमाणु ठिकानों- फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर सटीक हमले किए। जिसके बाद ट्रंप ने ईरान और इजराइल के बीच युद्धविराम समझौते की घोषणा की।

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे का कांग्रेस पर बड़ा आरोप, रूसी खुफिया एजेंट थे 150 से अधिक कांग्रेसी सांसद

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भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और झारखंड के गोड्डा लोकसभा सीट से सांसद निशिकांत दुबे ने कांग्रेस पर बड़ा आरोप लगाया है। निशिकांत दुबे ने सोमवार को अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए द्वारा 2011 में जारी एक दस्तावेज शेयर कर कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि दिवंगत कांग्रेस नेता एचकेएल भगत के नेतृत्व में 150 से अधिक कांग्रेस सांसदों को रूस से फंडिंग मिली थी। इन सांसदों ने रूस के एजेंट के तौर पर काम किया था।

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निशिकांत दुबे ने एक्स पर पोस्ट किया, कांग्रेस, भ्रष्टाचार और गुलामी। यह अवर्गीकृत गुप्त दस्तावेज सीआईए द्वारा 2011 में जारी किया गया था। इसके अनुसार, दिवंगत कांग्रेस नेता एचकेएल भगत के नेतृत्व में 150 से अधिक कांग्रेस सांसदों को सोवियत रूस द्वारा फंड किया गया था, जो रूस के एजेंट के रूप में काम कर रहे थे?

रूसी खुफिया एजेंसियों के 1100 लोग भारत में

बीजेपी सांसद ने आगे कहा कि पत्रकारों का एक समूह उनका एजेंट था। रूस ने कुल 16,000 समाचार प्रकाशित कराए थे। इसका अमेरिकी खुफिया एजेंसी के दस्तावेज में जिक्र है। उस समय के आसपास रूसी खुफिया एजेंसियों के 1100 लोग भारत में थे, जो नौकरशाहों, व्यापारिक संगठनों, कम्युनिस्ट पार्टियों और राय निर्माताओं को अपनी जेब में रखकर भारत की नीतियों को आकार और सूचनाएं भी दे रहे थे।

पुरी में जगन्नाथ रथयात्रा के बाद भगदड़, 3 की मौत, गुंडिचा मंदिर के सामने हादसा

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ओडिशा के पुरी जिले में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के दौरान श्री गुंडिचा मंदिर के पास रविवार तड़के हुई एक भगदड़ में कम से कम तीन श्रद्धालुओं की मौत हो गई और लगभग 50 अन्य घायल हो गए। यह हादसा सुबह करीब 4 बजे हुआ, जब श्रीगुंडिचा मंदिर के सामने रथ पर विराजमान भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए भारी भीड़ जमा थी।

गुंडिचा मंदिर के सामने हादसा

हादसा जगन्नाथ मंदिर से करीब 3 किमी दूर गुंडिचा मंदिर के सामने हुआ। यहां भगवान जगन्नाथ के नंदीघोष रथ के दर्शन करने के लिए भारी भीड़ जुटी थी, इसी दौरान भगदड़ मची। जिसमें कम से कम 3 लोगों की जान जाने की आशंका है।

हादसे की वजह

प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि घटनास्थल के पास पहले से ही काफी भीड़ जुट गई थी। वहां पर अचानक से 2 ट्रकों के घुसने की कोशिश के कारण भगदड़ मच गई। संकरी जगह, कथित तौर पर पर्याप्त पुलिस उपस्थिति की कमी और रथों के पास बिखरे हुए ताड़ के लट्ठों की वजह से स्थिति खराब हो गई।

छह की हालत गंभीर

पुरी के जिला कलेक्टर सिद्धार्थ एस स्वैन ने बताया कि घटना में घायल लोगों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जिनमें से छह की हालत गंभीर बनी हुई है। मृतकों की पहचान बसंती साहू (बोलागढ़), प्रेमकांत मोहंती और प्रवाती दास (दोनों बालिपटना निवासी) के रूप में की गई है। तीनों के शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है। कलेक्टर के अनुसार, घटना की जांच शुरू कर दी गई है और प्रशासन हालात पर नजर बनाए हुए है। भीड़ को नियंत्रित करने और घायलों को राहत पहुंचाने के लिए अतिरिक्त सुरक्षाबल तैनात किए गए हैं।

सीएम माझी ने भगदड़ की घटना पर मांगी माफी

हादसे के बाद मोहन चरण माझी ने पुरी में हुई भगदड़ की घटना पर माफी मांगी है। उन्होंने एक्स पर लिखा,मैं और मेरी सरकार भगवान जगन्नाथ के सभी भक्तों से व्यक्तिगत रूप से क्षमा मांगते हैं। यह लापरवाही माफ करने लायक नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सुरक्षा चूक की तुरंत जांच कराई जाएगी और जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।

महागठबंधन को ओवैसी का खुला ऑफर, एनडीए को रोकने के लिए दी ये सलाह

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बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए और महागठबंधन एक दूसरे को मात देने की रणनीति तय करने में जुटी हुई हैं। इस बीच ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने महागठबंधन को बड़ा ऑफर दिया है। ओवैसी ने कहा है कि अगर आरजेडी, कांग्रेस और अन्य दल एनडीए को बिहार में सत्ता से रोकना चाहते हैं, तो एआईएमआईएम साथ देने को तैयार है। वरना, पार्टी सीमांचल के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी चुनाव लड़ेगी।

ओवैसी का कहना है कि महागठबंधन भी नहीं चाहता कि बिहार में फिर से एनडीए गठबंधन की वापसी हो। उन्होंने कहा कि अगर बिहार की सत्ता एनडीए सरकार को फिर से नहीं सौंपनी है, तो हम सभी को एक साथ मजबूती से खड़ा होना होगा। यह पूरा मामला इंडिया गठबंधन पर निर्भर करता है कि क्या वह ओवैसी के साथ हाथ मिलाएगा या नहीं?

हम बिहार में बीजेपी या एनडीए की वापसी नहीं चाहते-ओवैसी

ओवैसी ने बताया कि इंडिया गठबंधन भी नहीं चाहता कि बिहार की सत्ता फिर से एनडीए के हाथों में जाए। उन्होंने कहा कि हमारे प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने महागठबंधन के कुछ नेताओं से बात की है और उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि हम नहीं चाहते कि बिहार में बीजेपी या एनडीए की वापसी हो। उन्होंने कहा कि अब ये उन राजनीतिक दलों पर निर्भर करता है जो एनडीए को बिहार की कदम रखने से रोकना चाहते हैं।

याद दिलाई 2020 के चुनाव की याद

एआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी ने याद दिलाया कि 2020 के चुनाव में एआईएमआईएम ने 20 सीटों पर चुनाव लड़कर 5 सीटें जीती थीं, लेकिन बाद में 4 विधायकों ने आरजेडी में शामिल हो गए। इस बार पार्टी का लक्ष्य सीमांचल (अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार) के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में भी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराना है।

बैक डोर से एनआरसी लाने की कोशिश, टीएमसी ने मतदाता सूची की जांच पर उठाए सवाल

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पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने मतदाता सूची के पुनर्निरीक्षण पर सवाल उठाया है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने चुनाव आयोग पर इसको लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। चुनाव आयोग के अभियान की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि विपक्षी इंडी गठबंधन की पार्टियां इस मुद्दे को संसद के भीतर और बाहर दोनों जगह उठाएंगी।

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एनआरसी लागू करने की खतरनाक साज़िश’ करार

दिल्ली में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में ब्रायन कहा कि बिहार से शुरू होकर पश्चिम बंगाल में लागू होने जा रही ‘स्पेशल इंटेंसिव रिविजन ऑफ इलेक्टोरल रोल’ की प्रक्रिया संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ है। टीएमसी सांसद ने इसे ‘पीछे के दरवाज़े से एनआरसी लागू करने की खतरनाक साज़िश’ करार दिया। उन्होंने कहा कि यह कवायद संदिग्ध समय पर शुरू की गई है।

चुनावी गणित बदलने की कोशिश का आरोप

डेरेक ओ’ब्रायन ने सवाल उठाया, अब अचानक इस प्रक्रिया की क्या जरूरत पड़ गई? उन्होंने दावा किया, हमारे पास सबूत हैं कि यह कवायद क्यों की जा रही है। बीजेपी के आंतरिक सर्वे में उन्हें बंगाल में केवल 46-49 सीटें मिलती दिख रही हैं, और इसी हताशा में वे चुनावी गणित बदलने की कोशिश कर रहे हैं।

बता दें कि चुनाव आयोग ने पिछले सोमवार को बिहार में इस विशेष गहन समीक्षा की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए थे, जिसका मकसद अपात्र नामों को हटाना और पात्र नागरिकों को मतदाता सूची में शामिल करना बताया गया है। यह कवायद बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले हो रही है। बिहार में पिछली बार इस तरह की समीक्षा 2003 में हुई थी।

भारत की मजगांव डॉक शिपबिल्डर्स ने श्रीलंका की कंपनी में हिस्सेदारी खरीदी, जानें चीन को क्यों तगड़ा झटका

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भारत और श्रीलंका में बड़ी डील होने जा रहा है। भारत-श्रीलंका के बीच होने वाली एक नई रणनीतिक डील से चीन की नींद उड़ने वाली है। महाराष्ट्र स्थित भारत की सरकारी कंपनी मजगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) ने श्रीलंका की सबसे बड़ी शिपबिल्डिंग कंपनी ‘कोलंबो डॉकयार्ड पीएलसी’ में बड़ी हिस्सेदारी खरीदने का ऐलान किया है। 

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यह सौदा 52.96 मिलियन डॉलर यानी लगभग 452 करोड़ रुपये में हुआ है।यह पहली बार है जब भारत का कोई बड़ा शिपयार्ड, जो पनडुब्बियां और युद्धपोत बनाता है, विदेश में किसी कंपनी को खरीद रहा है। इससे भारत को हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में एक मजबूत जगह मिल जाएगी।

चीन के लिए तगड़ा झटका

चीन पहले से ही श्रीलंका में अपनी पैठ बनाने में जुटा है। चीन हिंद महासागर में अपनी ताकत बढ़ाने की कोशिश कर रही। वह इस क्षेत्र में अपने जहाजों के लिए ठिकाने भी ढूंढ रही। ड्रैगन का ये दांव भारत के लिए एक बड़ी सुरक्षा चुनौती बनकर उभरा है। ऐसे में मझगांव डॉक की ये डील भारत को इस क्षेत्र में मजबूत पैठ प्रदान करेगी। यह श्रीलंका में चीन की रणनीतिक घुसपैठ के बीच बड़ा कदम है।

चीन पर होगी नजर

कोलंबो डॉकयार्ड न केवल श्रीलंका की सबसे बड़ी जहाज निर्माण कंपनी है, बल्कि यह हिंद महासागर के सबसे व्यस्त शिपिंग लेन के बेहद करीब स्थित है। यह वही क्षेत्र है, जहां चीन के जासूसी जहाज आए दिन मंडराते रहते हैं और भारत की सुरक्षा को खतरे में डालते हैं। पिछले ही महीने चीन का संदिग्ध ‘रिसर्च शिप’ श्रीलंका की ओर बढ़ता देखा गया था। चीन इसे रिसर्च जहाज कहता है, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये जहाज असल में चीनी जासूसी का हथियार हैं, जो समुद्र के नीचे भारत की रणनीतिक गतिविधियों को ट्रैक करते हैं। चीन ने यह हरकत तब की थी, जब भारत और पाकिस्तान में विवाद चल रहा था। ऐसे में भारतीय कंपनी अब श्रीलंका में चीन की टोह लेने वाली गतिविधियों पर भी नजर रख सकेगी।

राजनाथ सिंह ने चीन के रक्षा मंत्री से की मुलाकात, जानें क्या हुई बात?

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भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के क्विंगदाओ शहर में आयोजित एससीओ (शंघाई सहयोग संगठन) रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया। इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जुन से मुलाकात कर द्विपक्षीय बैठक भी की।

राजनाथ सिंह ने यह जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर दी। उन्होंने बताया कि चीन के रक्षा मंत्री से उनकी द्विपक्षीय संबंधों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई। हमने द्विपक्षीय संबंधों से संबंधित मुद्दों पर रचनात्मक और दूरदर्शी विचारों का आदान-प्रदान किया। लगभग छह वर्षों के अंतराल के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने पर अपनी खुशी व्यक्त की। दोनों पक्षों के लिए यह आवश्यक है कि वे इस सकारात्मक गति को बनाए रखें और द्विपक्षीय संबंधों में नई जटिलताओं को जोड़ने से बचें।

इसके अलावा उन्होंने चीनी समकक्ष को बिहार की मधुबनी पेंटिंग भेंट की। बिहार के मिथिला क्षेत्र में बनी पेंटिंग की विशेषता चमकीले रंगों और विरोधाभासों या पैटर्न से भरे रेखा चित्र हैं। ये पेंटिंग अपने आदिवासी रूपांकनों और चमकीले मिट्टी के रंगों के उपयोग के कारण लोकप्रिय हैं।

राजनाथ सिंह चीन के रक्षा मंत्री से ऐसे समय में मिले हैं जब उन्होंने चीन के क्विंगदाओ में हुई शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की मीटिंग के साझा बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। रक्षामंत्री ने साझा बयान पर साइन करने से इसलिए इनकार कर दिया क्योंकि इसमें हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जिक्र तक नहीं था, जिसमें 26 लोगों की मौत हुई थी।

बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना उस पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि कुछ देश अपनी नीतियों में सीमा पार आतंकवाद को एक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं और आतंकियों को पनाह दे रहे हैं। उन्होंने दो टूक कहा कि ऐसे दोहरे मापदंड को खत्म करना बेहद जरूरी है और एससीओ जैसे मंच को ऐसी ताकतों की खुलेआम आलोचना करनी चाहिए।