रथयात्रा महोत्सव में शामिल हुए राज्यपाल रमेन डेका, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय शामिल, प्रदेशवासियों के लिए मांगा आशीर्वाद

रायपुर- राज्यपाल रमेन डेका और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय आज गायत्री नगर रायपुर स्थित जगन्नाथ मंदिर में आयोजित महाप्रभु जगन्नाथ की रथ यात्रा महोत्सव में शामिल हुए। राज्यपाल रमेन डेका एवं मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भगवान जगन्नाथ की पूजा अर्चना कर ‘छेरा-पहरा‘ की रस्म निभाई। राज्य की प्रथम महिला रानी डेका काकोटी ने श्री जगन्नाथ जी की विधि-विधान से पूजा अर्चना की।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय आज राजधानी रायपुर के गायत्री नगर स्थित जगन्नाथ मंदिर में आयोजित रथ यात्रा में शामिल हुए। रायपुर के गायत्री नगर स्थित जगन्नाथ मंदिर में विशेष विधि-विधान के साथ महाप्रभु जगन्नाथ जी की रथ यात्रा निकाली गई। रथ यात्रा प्रारंभ करने से पूर्व भगवान की प्रतिमाओं को मंदिर से रथ तक लाया गया और मार्ग को सोने की झाड़ू से स्वच्छ किया गया। इस परंपरा को छेरापहरा कहा जाता है।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सभी प्रदेशवासियों को रथ यात्रा की बधाई देते हुए कहा कि यह पर्व ओडिशा के लिए जितना बड़ा उत्सव है, उतना ही बड़ा उत्सव छत्तीसगढ़ के लिए भी है। श्री साय ने कहा कि भगवान जगन्नाथ किसानों के रक्षक हैं। उन्हीं की कृपा से वर्षा होती है, धान की बालियों में दूध भरता है और किसानों के घरों में समृद्धि आती है। मैं भगवान जगन्नाथ से प्रार्थना करता हूं कि इस वर्ष भी छत्तीसगढ़ में भरपूर फसल हो। उन्होंने कहा कि भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा से मेरी विनती है कि वे हम सभी पर अपनी कृपा बनाए रखें और हमें शांति, समृद्धि एवं खुशहाली की ओर अग्रसर करें।

मुख्यमंत्री ने सोने की झाड़ू से छेरापहरा की रस्म निभाई

राजधानी रायपुर के गायत्री नगर स्थित जगन्नाथ मंदिर में पुरी की रथ यात्रा की तर्ज पर यह पुरानी परंपरा निभाई जाती है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने छेरापहरा की रस्म पूरी करते हुए सोने की झाड़ू से मार्ग बुहारकर रथ यात्रा का शुभारंभ किया। इसके उपरांत उन्होंने भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा को रथ तक ले जाकर विराजित किया।

ओडिशा की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में होती है रथ यात्रा

रथ यात्रा के लिए भारत में ओडिशा राज्य प्रसिद्ध है। ओडिशा का पड़ोसी राज्य होने के कारण छत्तीसगढ़ में भी इस उत्सव का व्यापक प्रभाव है। आज निकाली गई रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ, उनके भ्राता बलभद्र और बहन सुभद्रा की विशेष विधि-विधान से पूजा-अर्चना की गई। मंदिर के पुजारी के अनुसार उत्कल संस्कृति और दक्षिण कोसल की संस्कृति के बीच यह एक अटूट साझेदारी का प्रतीक है। ऐसी मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ का मूल स्थान छत्तीसगढ़ का शिवरीनारायण तीर्थ है, जहां से वे जगन्नाथ पुरी में स्थापित हुए। शिवरीनारायण में ही त्रेता युग में प्रभु श्रीराम ने माता शबरी के प्रेमपूर्वक अर्पित मीठे बेर ग्रहण किए थे। यहां वर्तमान में नर-नारायण का भव्य मंदिर स्थापित है।

इस अवसर पर राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा, सांसद बृजमोहन अग्रवाल, विधायक पुरंदर मिश्रा, धर्मलाल कौशिक सहित अन्य गणमान्य नागरिक तथा बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

रेलवे प्रशासन की कार्रवाई, वेंडिंग स्टॉल को किया गया सील

बिलासपुर- रेल यात्रियों को पानी बोतल के लिए ओवरचार्जिंग करने वाले वेंडिंग स्टॉल पर रेलवे प्रशासन ने कड़ा एक्शन लिया. उसलापुर रेलवे स्टेशन में यात्रियों को 15 रुपए में मिलने वाली पानी बोतल 20 रुपए में बेची जा रही थी. इसकी शिकायत मिलने पर जांच की गई तो आरोप सही पाया गया गया, जिसके बाद संबंधित वेंडिंग स्टॉल को सील कर दिया गया. 

जानकारी के मुताबिक, रेलवे प्रशासन के पास उसलापुर रेलवे स्टेशन में यात्रियों से पानी बोतल के लिए ओवरचार्जिंग की शिकायत मिली थी. यहां 15 रुपए में मिलने वाली पानी की बोतल को 20 रुपए में बेचा जा रहा था. इसके बाद रेलवे की टीम ने मौके पर पहुंचकर जांच की, जिसमें शिकायत सही पाई गई. उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन करने वाले वेंडिंग स्टॉल को रेलवे प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए सील कर दिया गया.

तेंदूपत्ता बोनस में करोड़ों का घोटाला: EOW-ACB ने 11 अधिकारी-कर्मचारियों को हिरासत में लिया

रायपुर- तेंदूपत्ता बोनस घोटाले में छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. यह गिरफ्तारी करीब 7 करोड़ रुपये के गबन से जुड़े मामले में की गई है, जिसमें संग्राहकों को दिए जाने वाले बोनस की राशि का बड़ा हिस्सा हड़प लिया गया था. EOW ने आज सभी आरोपियों को कोर्ट में पेश कर 30 जून तक पुलिस रिमांड में ले लिया है. इस दौरान पुलिस सभी आरोपियों से मामले में पूछताछ करेगी।

पद के दुरुपयोग और षड्यंत्र का मामला

जांच में सामने आया है कि तत्कालीन वनमंडलाधिकारी अशोक कुमार पटेल ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए वन विभाग के अन्य अधिकारियों और प्राथमिक लघुवनोपज समितियों के प्रबंधकों व पोषक अधिकारियों के साथ मिलकर वर्ष 2021 और 2022 के तेंदूपत्ता प्रोत्साहन पारिश्रमिक में संग्राहकों को दी जाने वाली राशि का एक बड़ा हिस्सा गबन कर कुछ हिस्सा निजी लोगों के साथ बंदरबांट किया था.

EOW ने इस मामले में भादवि की धारा 409 (विश्वासघात) और 120बी (षड्यंत्र) के तहत अपराध क्रमांक 26/2025 दर्ज किया था.

गिरफ्तार किए गए आरोपी

EOW ने सबूतों के आधार पर जिन 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, उनमें शामिल हैं:

वन विभाग के 4 अधिकारी/कर्मी:

  1. चैतूराम बघेल (उप वनक्षेत्रपाल)
  2. देवनाथ भारद्वाज (उप वनक्षेत्रपाल)
  3. पोड़ियामी इड़िमा उर्फ हिडमा (उप वनक्षेत्रपाल)
  4. मनीष कुमार बारसे (वनरक्षक)

7 लघुवनोपज समिति के प्रबंधक/सहयोगी:

  1. पायम सत्यनारायण उर्फ शत्रु
  2. मोहम्मद शरीफ
  3. सी.एच. रमना (चिटूरी)
  4. सुनील नुप्पो
  5. रवि कुमार गुप्ता
  6. आयतू कोरसा
  7. मनोज कवासी

सभी आरोपियों के खिलाफ आगे की कानूनी कार्रवाई की जा रही है.

पहले ही हो चुकी है DFO की गिरफ्तारी

उल्लेखनीय है कि इस घोटाले के मुख्य आरोपी और तत्कालीन वनमंडलाधिकारी अशोक कुमार पटेल को पहले ही 17 अप्रैल 2025 को गिरफ्तार किया जा चुका है. EOW अधिकारियों के अनुसार, प्रकरण की जांच अभी जारी है, और जल्द ही इस गबन से जुड़े अन्य पहलुओं पर भी कार्रवाई की जाएगी.

दिवगंत डॉ. सुरेंद्र दुबे के घर पहुंचे CM विष्णुदेव साय, अर्पित की विनम्र श्रद्धांजलि, परिजनों को बंधाया ढांढस…

रायपुर- मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे के निवास पर पहुंचकर उनके पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि दी। मुख्यमंत्री ने दिवंगत कवि के परिजनों से मुलाकात कर उन्हें ढांढस बंधाया और कहा कि इस कठिन समय में राज्य सरकार पूरी तरह उनके साथ खड़ी है।

इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा, वित्त मंत्री ओ. पी. चौधरी, धमतरी नगर निगम के महापौर रामू रोहरा सहित अन्य जनप्रतिनिधि, अधिकारीगण एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

छत्तीसगढ़ सरकार का कर्मचारियों के हित में बड़ा फैसला, अब संगठनों को तीन साल तक शासन से पत्राचार की मिलेगी अधिमान्यता, राजपत्र में हुआ प्रकाशन

रायपुर- छत्तीसगढ़ सरकार ने शासकीय कर्मचारियों को बड़ी राहत देते हुए एक बड़ा फैसला लिया है। अब राज्य के शासकीय कर्मचारी संगठन अपने निर्धारित कार्यकाल के अनुसार सरकारी मान्यता प्राप्त कर सकेंगे। इस फैसले के तहत सरकार ने “छत्तीसगढ़ शासकीय सेवक (सेवा संघ) नियम, 2025” को अधिसूचित कर दिया है, जिससे लंबे समय से कर्मचारियों की लंबित मांग पूरी हो गई है।

यह अधिसूचना सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी की गई है, जिसे छत्तीसगढ़ राजपत्र (असाधारण) में प्रकाशित किया गया है। राज्य सरकार ने इसे भारत के संविधान के अनुच्छेद 309 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लागू किया है। अधिसूचना के अनुसार, कोई भी कर्मचारी संगठन तभी मान्यता प्राप्त होगा जब वह संबंधित शासकीय सेवकों के वर्ग का कम से कम 20% प्रतिनिधित्व करता हो।

राज्य सरकार उक्त प्रतिनिधित्व की पुष्टि के लिए संगठन से दस्तावेज मांग सकती है और उसकी जांच कर सकती है। यदि सभी शर्तें पूर्ण पाई जाती हैं, तो ऐसे संगठन को तीन वर्ष अथवा उसके वर्तमान कार्यकाल (जो भी पहले हो) तक के लिए पत्राचार की अस्थायी मान्यता प्रदान की जाएगी।


फेडरेशन ने जताया आभार

छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन के प्रदेश संयोजक कमल वर्मा ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव के प्रति इस कर्मचारी हितैषी निर्णय के लिए आभार व्यक्त किया है।

प्रदेश संयोजक कमल वर्मा, प्रदेश प्रवक्ता जी.आर. चंद्रा और चंद्रशेखर तिवारी ने बताया कि फेडरेशन विगत 6 वर्षों से पंजीयक, फर्म्स एवं सोसायटी द्वारा निर्धारित कार्यकाल के अनुसार कर्मचारी संगठनों को मान्यता देने की मांग कर रहा था। इस मुद्दे को लेकर फेडरेशन ने आंदोलन भी किया था।

बता दें कि कर्मचारी संगठनों के पंजीयन के दौरान पंजीयक, फर्म्स एवं सोसायटी द्वारा कार्यकाल निर्धारित किया जाता है। पूर्व में शासन द्वारा वर्ष 2015 में जारी निर्देशों के अनुसार, प्रत्येक वर्ष दिसंबर तक चार बिंदुओं में जानकारी देने पर ही संगठन को मान्यता प्रदान की जाती थी। इस प्रक्रिया में अत्यधिक समय लगने के कारण कई बार संगठनों को केवल 3 से 4 माह की मान्यता ही प्राप्त हो पाती थी। जटिल प्रक्रिया के कारण कई संगठनों को वर्षों से मान्यता नहीं मिल पाई थी।

कमल वर्मा ने आगे बताया कि वर्तमान सरकार के गठन के बाद, फेडरेशन ने निहारिका समिति के समक्ष भी यह मुद्दा प्रमुखता से उठाया था। समिति ने इसे गंभीरता से लेते हुए प्रक्रिया को आगे बढ़ाया। सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव अविनाश चंपावत एवं उप सचिव शैलभ साहू ने फेडरेशन से सतत् संपर्क में रहते हुए इस ऐतिहासिक निर्णय को अंतिम रूप तक पहुंचाया। फेडरेशन ने अधिकारियों के प्रति भी विशेष आभार व्यक्त किया है।

कांग्रेस के पूर्व विधायक शैलेष पांडे को मिली धमकी, कॉलर ने कहा- मंजू पांडेय को समझा देना 20 लाख दे दे, वरना बेटी को कर लूंगा अगवा

बिलासपुर- कांग्रेस के पूर्व विधायक शैलेष पांडे को एक अज्ञात व्यक्ति ने फोन पर धमकी देते हुए 20 लाख रुपये की मांग की है। फोन करने वाले ने शैलेष पांडे से कहा कि सहकारिता की उप पंजीयक मंजू पांडेय को समझा दो रकम दे दे, नहीं तो मंजू पांडेय की बेटी को अगवा कर लेगा। साथ ही उसने अश्लील गाली-गलौज भी की। इस मामले की शिकायत शैलेष पांडे ने सकरी थाना में दर्ज कराई है। जिसके बाद पुलिस ने अज्ञात आरोपी के खिलाफ अपराध दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

जानकारी के अनुसार, पूर्व विधायक शैलेष पांडे ने सकरी पुलिस को दिए लिखित आवेदन में बताया कि 25 जून 2025 दोपहर करीब 11:40 बजे, उन्हें उनके मोबाइल नंबर 9425564330 पर अज्ञात मोबाइल नंबर से फोन आया। कॉल करने वाले ने खुद को “बच्चु, बिहार से” बताते हुए कहा कि “मंजू पांडेय को समझा देना कि वह मुझे 20 लाख रुपये दे दे, वरना उसकी बेटी जो दिल्ली में पढ़ाई कर रही है, उसे मैं अगवा कर लूंगा।” इसके बाद उसने अश्लील गालियां दीं और धमकी भरे शब्दों का इस्तेमाल किया।

शैलेष पांडे की शिकायत पर आरोपी मोबाइल धारक के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 296 और 351(2) बीएनएस के तहत अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया है।

इस मामले को लेकर पूर्व विधायक शैलेश पांडेय ने आश्चर्य व्यक्त किया है कि सहकारिता की उप पंजीयक मंजू पांडेय से रकम मांगने और उसकी बेटी को उठाने की बात आरोपी में उनसे क्यों की।

वन कर्मियों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटने वाले 6 ग्रामीण गिरफ्तार, पुलिस की जांच जारी

बालोद- डौंडी परिक्षेत्र के पेवारी गांव में परकुलेसन टैंक का निरीक्षण करने गए डिप्टी रेंजर, वन पाल, दो फॉरेस्ट गार्ड पर हमला मामले में पुलिस ने 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इस मामले में पुलिस की जांच जारी है. घटना में शामिल अन्य आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी हो सकती है।

बालोद एसपी योगेश पटेल ने बताया, ग्रामीणों के हमले से डिप्टी रेंजर समेत 4 वनकर्मी गंभीर रूप से घायल हुए थे. घायलों का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र डौंडी में इलाज कराया गया, जिसके बाद वन विभाग के आला अधिकारी थाने पहुंचे और 6 नामजद के साथ अन्य ग्रामीणों के खिलाफ मामला दर्ज कराया. मामले की गंभीरता को देखते हुए डौंडी पुलिस ने मामला दर्ज कर 6 लोगों को गिरफ्तार कर ज्यूडिशियल रिमांड पर जेल भेज दिया है. गिरफ्तार आरोपियों में सोमनाथ, बेदूराम, अर्जुन, तुलसीराम, तुलाराम और भोलाराम शामिल हैं. साथ ही अन्य लोगों की जांच के बाद गिरफ्तारी की बात कही जा रही है.

बता दें कि डौंडी परिक्षेत्र के ग्राम पेवारी में वन विभाग भू-जल स्तर बढ़ाने शासन की महत्वाकांक्षी योजना के तहत परकुलेसन टैंक का निर्माण कराया जा रहा था. जिस जगह कार्य कराया जा रहा वह जमीन वन विभाग की है, जिस पर ग्रामीणों ने कब्जा किया हुआ था. इस जमीन को कब्जा मुक्त कराकर वन विभाग काम करा रहा था.

कुछ लोगों को गांव में वन अधिकारी पट्टे का वितरण भी किया जा चुका है. इसी वजह से ग्रामीण चाहते थे कि जिस जमीन पर उन्होंने कब्जा किया है उसका पट्टा मिल जाए, लेकिन वन विभाग के काम कराने से भविष्य में उनको पट्टा नहीं मिल पाएगा. इसी डर से ग्रामीणों ने वन विभाग के सरकारी काम में बाधा डालते हुए वन कर्मियों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा था और बंधक भी बना लिया था.

मंत्रिमंडलीय उप समिति द्वारा बैठक में धान के त्वरित निराकरण हेतु लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय

रायपुर- खाद्य मंत्री दयालदास बघेल की अध्यक्षता में मंत्रिमंडलीय उप समिति की बैठक महानदी भवन, मंत्रालय, नवा रायपुर अटल नगर में आयोजित की गई। बैठक में कृषि मंत्री रामविचार नेताम, सहकारिता मंत्री केदार कश्यप, वित्त मंत्री ओ.पी. चौधरी, स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल एवं राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा उपस्थित थे।

बैठक में बताया गया कि खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में किसानों से समर्थन मूल्य पर 149.25 लाख मीट्रिक टन धान का उपार्जन किया गया है, जो राज्य गठन के पश्चात अब तक का सर्वाधिक आंकड़ा है।उपार्जित धान का कस्टम मिलिंग के माध्यम से त्वरित निराकरण किया जा रहा है। भारत सरकार एवं नागरिक आपूर्ति निगम से प्राप्त चावल उपार्जन लक्ष्य के अतिरिक्त लगभग 35.00 लाख मीट्रिक टन अतिशेष धान के निराकरण हेतु मंत्रिपरिषद द्वारा ई-नीलामी (ई-ऑक्शन) के माध्यम से विक्रय का निर्णय लिया गया है। इस हेतु एम-जंक्शन प्लेटफॉर्म पर नीलामी की प्रक्रिया संपादित की गई। प्रथम चरण की निविदा में प्राप्त दरों को मंत्रिमंडलीय उप समिति द्वारा 29 अप्रैल 2025 को अनुमोदित किया गया था। उक्त दरों पर लगभग 18.91 लाख मीट्रिक टन धान का सफलतापूर्वक निराकरण किया गया है। शेष स्टेकों के निराकरण हेतु उच्चतम बोली लगाने वाले निविदाकारों (H-1) एवं अन्य निविदाकारों को अनुमोदित दर पर प्राइस मेचिंग का अवसर प्रदान किया गया है, जिससे शासन द्वारा पारदर्शिता और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करते हुए अतिशेष धान का निराकरण अविलंब हो सके।

बैठक में जानकारी दी गई कि प्रदेश के 78 संग्रहण केन्द्रों में कुल 31.48 लाख मीट्रिक टन धान का भंडारण किया गया है, जिसमें से लगभग 18.91 लाख मीट्रिक टन का निराकरण प्राइस मेचिंग एवं ऑक्शन के माध्यम से किया जा चुका है। वर्तमान में लगभग 12.57 लाख मीट्रिक टन धान का निराकरण शेष है। त्वरित उठाव सुनिश्चित करने हेतु सभी जिला विपणन अधिकारियों एवं संग्रहण केन्द्र प्रभारियों को आवश्यक निर्देश प्रसारित किए गए हैं। संग्रहण केन्द्रों में वाहनों की आवाजाही सुगम करने एवं हमालों की संख्या बढ़ाने के निर्देश भी दिए गए हैं, जिससे धान का उठाव तेजी से हो और क्रेताओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।

बैठक में जानकारी दी गई कि निविदाकारों को एम-जंक्शन प्लेटफॉर्म पर पंजीयन उपरांत अमानत राशि जमा करने पर प्राइस मेचिंग करने का विकल्प उपलब्ध है। प्राइस मेचिंग करने की तिथि से 7 दिवस के भीतर निविदाकारों को सुरक्षा निधि के रूप में क्रय किए गए धान के कुल मूल्य की 3 प्रतिशत राशि जमा करनी होती है। तत्पश्चात निर्धारित अवधि के भीतर क्रेता को स्टेक का वास्तविक मूल्य ई-ऑक्शन प्लेटफॉर्म में जमा करना होता है। राशि विपणन संघ को प्राप्त होते ही क्रेता को लिफ्ट ऑर्डर जारी किया जा रहा है। उक्त अनुक्रम में आज आयोजित मंत्रिमंडलीय उपसमिति की बैठक में धान के त्वरित निराकरण के संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। बैठक में निर्णय लिया गया कि ऐसे निविदाकार जिनके द्वारा ईआक्शन प्लेटफॉर्म में प्राइस मेचिंग के दौरान निर्धारित समय-सीमा में सुरक्षा निधि जमा नहीं किया जा सका है, अथवा धान का क्रय मूल्य (MVP) समय सीमा में जमा नहीं किया गया है अथवा विलंब से जमा किया गया है, उन्हें अब 15 जुलाई 2025 तक की अंतिम समय-सीमा प्रदान की गई है। खरीफ विपणन वर्ष 2023-24 में चावल जमा हेतु शेष मात्रा के जमा करने हेतु अवधि को बढ़ाकर 5 जुलाई 2025 कर दिया गया है। प्रदेश के राइस मिलरों में शासन द्वारा लिए गए इन निर्णयों के प्रति उत्साह देखा गया है। छत्तीसगढ़ राइस मिलर्स एसोसिएशन ने इस संबंध में खाद्य मंत्री दयालदास बघेल को धन्यवाद ज्ञापन भी सौंपा है।


प्राइस मेचिंग के दौरान मिलरों एवं क्रेताओं को आ रही तकनीकी समस्याओं के निराकरण एवं आवश्यक मार्गदर्शन हेतु महाप्रबंधक (विपणन) की अध्यक्षता में एक तकनीकी समिति का गठन भी किया गया है, जिससे समस्याओं का शीघ्र समाधान सुनिश्चित हो सके।

बैठक में बताया गया कि इसी अनुक्रम में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय द्वारा केंद्रीय खाद्य मंत्री से भेंट कर खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में किसानों से समर्थन मूल्य पर खरीदी गई धान में से केंद्रीय पूल में चावल जमा करने का लक्ष्य 70 लाख मीट्रिक टन से अधिक बढ़ाने का अनुरोध किया गया है। इस पर भारत सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य के हित में सकारात्मक विचार करने का आश्वासन प्रदान किया गया है।

बैठक में खाद्य सचिव रीना बाबासाहेब कंगाले, वित्त सचिव मुकेश बंसल, उद्योग सचिव रजत कुमार, संचालक खाद्य, प्रबंध संचालक मार्कफेड तथा अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे।

सरगुजा में जुटेंगे देशभर के वैज्ञानिक, संत गहिरा गुरू विश्वविद्यालय में होगा 20वें छत्तीसगढ़ यंग सांइटिस्ट कांग्रेस-2025 का आयोजन

अम्बिकापुर- सरगुजा को शोध और अनुसंधान का सहगामी बनना है। विज्ञान के लिए संसाधन जुटाना और समाज के लिए लक्ष्य प्राप्त करना उद्देश्य है। यह बातें संत गहिरा गुरू विश्वविद्यालय में दो दिवसीय 20वें छत्तीसगढ़ यंग सांइटिस्ट कांग्रेस-2025 की पत्रवार्ता के दौरान कुलसचिव शारदा प्रसाद त्रिपाठी ने कही। पंडित दीनदयाल उपाध्याय सभागार में उन्होंने कहा कि आयोजन की तैयारियां पूरी हैं, इसमें शोध करने वाले और अनुसंधान के प्रति जिज्ञासा रखने वाले दोनों शामिल रहेंगे। डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि प्रयोगशाला के शोध को समाज में और प्रकृति के रोचक-रोमांचक कार्य जो बहुजन हिताय समाज में लाना है। उन्होंने कहा कि सरगुजा में शोध को अगली पीढ़ी के बीच पहुंचाना है। उन्होंने सभी का आह्वान करते हुए कहा कि हमे धन्वंतरि जयंती, चरक जयंती को अनुसंधान के स्तर पर मनाना चाहिए।

संत गहिरा गुरू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. प्रेम प्रकाश सिंह ने सभी को दो दिनों के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया। संत गहिरा गुरू विश्वविद्यालय और छत्तीसगढ़ कौंसिल ऑफ साईंस एंड टेक्नोलॉजी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम की जानकारी देते हुए कन्वीनर एच.एस.पी.टोंडे ने बताया कि विज्ञान की 20 विधाओं में शोध पत्र आमंत्रित थे जिसमें बुधवार तक 187 पहुंच चुके हैं। उन्होंने बताया कि 89 शोध पत्रों को मानक के अनुसार चयन किया गया है।

छत्तीसगढ़ कौंसिल ऑफ साईंस एंड टेक्नोलॉजी के डायरेेक्टर जनरल के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी डॉ. वसीम रजा ने बताया कि प्रत्येक विधा से एक यंग साइंटिस्ट का चयन प्रजेंटेशन और शोध पत्र के माध्यम से होगा, जिसे 21.000 का नकद पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया जायेगा। उन्होंनेे बताया कि विज्ञान में स्नातकोत्तर के साथ दो वर्ष का शोध अनुभव होना चाहिए तथा उसकी उम्र 35 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। ऐसे शोधार्थी को देश के एंडवांस्ट शोध केन्द्र में शोध कार्य का अवसर मिलेगा, जिसका खर्च सीजी कॉस्ट द्वारा प्रस्तावित है। उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम महान गणितज्ञ एवं वैज्ञानिक रामानुजन के सन्दर्भ में 28 फरवरी कोे आयोजित होने वाला था, किन्हीं कारणों से आज आयोजित है।

विश्वविद्यालय के जनसम्पर्क अधिकारी आनन्द कुमार ने बताया कि 27.06.2025 और 28.06.205 को राजमोहिनी कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र अजिरमा में दो दिवसीय यंग साईंटिस्ट कार्यक्रम आयोजित है। उद्घाटन सत्र और समापन सत्र के अतिरिक्त प्रत्येक दिन 10-10 विधाओं के शोध पत्रों का वाचन होगा। उन्होंनेे बताया कि प्रथम दिन उद्घाटन सत्र दिन में 11 बजे प्रारम्भ होगा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व आदिम जाति विकास, अनुसूचित जाति विकास, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक विकास, कृषि विकास एवं किसान कल्याण मंत्री राम विचार नेताम, विशिष्ट अतिथि सरगुजा सांसद चिंतामणि महराज, संत गहिरा गुरू विश्वविद्यालय के कुलपति एवं कार्यक्रम के संरक्षक सह अध्यक्ष प्रेम प्रकाश सिंह, छत्तीसगढ़ कौंसिल के डायरेक्टर जनरल एवं कार्यक्रम के संरक्षक डॉ. एस. कर्मकार और मुख्य वक्ता आईआईटी भिलाई के डायरेक्टर राजीव प्रकाश उपस्थित रहेंगे।

सह आयोजक, कन्वीनर सीजी कॉस्ट के यंग साईंटिस्ट कांग्रेस के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. जॉयस राय ने बताया कि यह खुशी का पल है कि सरगुजा में शोध-अनुसंधान का एक नया आयाम शुरू होगा। कार्यक्रम के सह कन्वीनर डॉ. धीरज कुमार यादव एवं डॉ. जुनैद खान आदि उपस्थित रहे।

लोकतंत्र सेनानियों का संघर्ष हम सबके लिए प्रेरणास्रोत - मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

रायपुर-  लोकतंत्र केवल एक शासन प्रणाली नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक पद्धति है। आज हम लोकतंत्र की फिजा में जिस आज़ादी का अनुभव कर रहे हैं, उसकी कीमत आपातकाल के दौरान कुछ लोगों ने यातना, अपमान और जेलों में समय काटकर चुकाई थी। इन लोकतंत्र सेनानियों की पीड़ा और संघर्ष को हर पीढ़ी तक पहुँचाना हमारा कर्तव्य है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज अपने निवास कार्यालय में आयोजित आपातकाल स्मृति दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात कही।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने लोकतंत्र विरोधी ताकतों से सावधान रहने और लोकतंत्र को सशक्त बनाने के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष करने वाले लोकतंत्र सेनानियों को बेड़ियों में जकड़कर शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। यह सब स्वतंत्र भारत में हुआ, लेकिन उस अमानवीयता ने अंग्रेजी हुकूमत की क्रूरता की याद दिला दी। आपातकाल के दौरान असहनीय कष्ट सहने वाले लोकतंत्र सेनानी आज भी हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

मुख्यमंत्री श्री साय ने इस अवसर पर लोकतंत्र सेनानियों को सम्मानित किया। कार्यक्रम में उन्होंने सच्चिदानंद उपासने द्वारा लिखित पुस्तक ‘वो 21 महीने: आपातकाल’ का भी विमोचन किया।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि 25 जून 1975 को भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे काला दिन माना जाता है। आपातकाल में हजारों लोगों को बिना अपराध के जेलों में ठूंस दिया गया, मौलिक अधिकार छीन लिए गए और लोकतंत्र का गला घोंट दिया गया। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि उन्होंने इस त्रासदी को बहुत करीब से देखा है। उनके स्वर्गीय बड़े पिताजी नरहरि प्रसाद साय भी उस दौर में 19 महीने तक जेल में बंद रहे थे। उनके द्वारा सुनाए गए किस्से आज भी रोंगटे खड़े कर देते हैं। उन्होंने बताया कि किस प्रकार लोकतंत्र सेनानियों को बेड़ियों में जकड़कर शारीरिक और मानसिक यातनाएं दी गईं। यह सब स्वतंत्र भारत में हुआ, लेकिन उस अमानवीयता ने अंग्रेजी हुकूमत की क्रूरता की पुनः याद दिला दी। उन्होंने कहा कि आपातकाल में कलाकारों की स्वतंत्रता तक छीनी गई। पार्श्व गायक किशोर कुमार द्वारा सरकारी प्रचार गीत गाने से इनकार करने पर उनके गीतों पर आकाशवाणी में प्रतिबंध लगा दिया गया था।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने लोकतंत्र सेनानियों को सम्मान राशि देने की शुरुआत की थी, जिसे पूर्ववर्ती सरकार ने बंद कर दिया। हमारी सरकार ने न केवल यह सम्मान राशि पुनः प्रारंभ की, बल्कि पूर्व सरकार द्वारा रोकी गई पिछले पाँच वर्षों की बकाया राशि का भी भुगतान किया।

मुख्यमंत्री ने बताया कि अब लोकतंत्र सेनानियों की अंत्येष्टि राजकीय सम्मान के साथ की जाएगी और उनके परिजनों को ₹25,000 की सहायता राशि प्रदान की जाएगी। इसके अतिरिक्त, विधानसभा में एक अधिनियम पारित कर यह सुनिश्चित किया गया है कि भविष्य में कोई भी सरकार इस सम्मान योजना को समाप्त न कर सके।

विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने अपने उद्बोधन में आपातकाल की भयावहता और लोकतंत्र सेनानियों के बलिदान पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आपातकाल के 21 महीनों की प्रताड़ना और लोकतंत्र पर हुए आघात को देश के हर नागरिक तक पहुँचाना आज की पीढ़ी की ज़िम्मेदारी है। डॉ. सिंह ने कहा कि यह हम सबका सौभाग्य है कि आज मीसाबंदी आंदोलन के सहभागी और उनके परिजन हमारे बीच हैं। उन्होंने आपातकाल को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि उस समय पूरे देश को एक विशाल जेल में बदल दिया गया था। लोकतंत्र के स्तंभ—न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका और मीडिया—को निष्क्रिय कर दिया गया था। प्रेस पर सेंसरशिप थोप दी गई थी और सच्चाई बोलने वालों को जेलों में डाल दिया गया था। उन्होंने बताया कि देश उस समय गहरे आर्थिक और सामाजिक संकट से गुजर रहा था—मंहगाई, बेरोज़गारी और भ्रष्टाचार चरम पर थे। जनता के भीतर आक्रोश पनप रहा था और उसी को कुचलने के लिए आपातकाल थोपा गया। उन्होंने कहा कि यदि आज लोकतंत्र जीवित और मजबूत है, तो इसका श्रेय उन सेनानियों को जाता है जिन्होंने अपार कष्ट सहकर भी संविधान और देश की आत्मा की रक्षा की।

इस अवसर पर पवन साय और लोकतंत्र सेनानी संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सच्चिदानंद उपासने ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। कार्यक्रम में उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन, विधायक मोतीलाल साहू, सीजीएमएससी के अध्यक्ष दीपक म्हस्के, नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष संजय श्रीवास्तव, अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अमरजीत छाबड़ा, रायपुर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष नन्द कुमार साहू, लोकतंत्र सेनानी संघ के प्रदेश अध्यक्ष दिवाकर तिवारी सहित बड़ी संख्या में लोकतंत्र सेनानी एवं उनके परिजन उपस्थित थे।