भारत-अमेरिका के बीच बड़ी ट्रेड डील की उम्मीद, ट्रंप ने दिए संकेत, जानें क्या कहा?

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भारत और अमेरिका के बीच जल्द ही एक 'बड़ी' ट्रेड डील होने वाली है। इस बात के संकेत खुद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दिए हैं।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में हुए 'बिग ब्यूटीफुल बिल' इवेंट में बताया कि अमेरिका ने हाल ही में चीन के साथ व्यापार समझौता किया है और अब भारत के साथ भी ऐसा ही कुछ बड़ा होने वाला है।

हर कोई एक डील करना चाहता है-ट्रंप

ट्रंप ने अपनी स्पीच में कहा, हर कोई एक डील करना चाहता है और उसका हिस्सा होना चाहता है। कुछ को हम बस एक चिट्ठी भेजेंगे, जिसमें लिखा होगा, बहुत-बहुत धन्यवाद। आपको 25, 35, 45 फीसदी देना होगा।

हम भारत के साथ बहुत बड़ी डील कर रहे-ट्रंप

हमने कल ही चीन के साथ एक डील पर हस्ताक्षर किए हैं। हम कुछ बड़े समझौते कर रहे हैं। इसी के बाद हम एक डील शायद भारत के साथ कर रहे हैं। इस डील के बारे में बात करते हुए ट्रंप ने कहा, हम भारत के साथ बहुत बड़ी डील कर रहे हैं।

हम हर किसी के साथ डील नहीं करने जा रहे-ट्रंप

ट्रंप ने कहा हम भारत के दरवाजे खोलने जा रहे हैं। ये वे चीजें हैं जो पहले कभी संभव नहीं थीं। इसी के साथ ट्रंप ने आगे कहा, किसी भी दूसरे देश के साथ डील नहीं की जाएगी। हम हर किसी के साथ डील नहीं करने जा रहे हैं

लगातार मिल रहे बड़ी डील के संकेत

इस महीने की शुरुआत में, यूएस-इंडिया स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप फोरम में बोलते हुए, अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने कहा था कि भारत और अमेरिका के बीच एक व्यापार समझौते को जल्द ही अंतिम रूप दिया जा सकता है. उन्होंने कहा था, मुझे लगता है कि हम इसके बहुत करीब आ गए हैं और आपको आने वाले भविष्य में अमेरिका और भारत के बीच एक समझौते की उम्मीद करनी चाहिए। वहीं, 10 जून को केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत और अमेरिका एक निष्पक्ष और न्यायसंगत व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं, जिससे दोनों अर्थव्यवस्थाओं को लाभ होगा।

अपने हितों से समझौता नहीं करेगा भारत

अमेरिका जहां यह समझौता जल्‍द से जल्‍द करने के मूड में है, वहीं भारत किसी तरह की हड़बड़ी में नहीं है और साफ कर दिया है कि वह अपने हितों से समझौता नहीं करेगा। 26% टैरिफ के संभावित खतरे के बावजूद भारत किसी भी हालत में झुकने के मूड में नहीं है। टैरिफ के लिए ट्रंप द्वारा रखी गई डेडलाइन 9 जुलाई को समाप्‍त हो जाएगी।

अब फोन करने पर “परेशान” नहीं करेगी अमिताभ बच्चन की आवाज, हट जाएगी साइबर फ्रॉड कैंपेन वाली कॉलर ट्यून

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आज के दौर में हम अक्सर काम ऑनलाइन करते हैं। हालांकि, ऑनलाइन का चलन बढ़ने के साथ साइबर फ्रॉड के मामले भी बढ़े हैं। ऐसे में लोगों को जागरूक करने के लिए सरकार ने एक व्यापक अभियान चलाया था। जब भी हम किसी को फोन करते थे तो एक कॉलर ट्यून तब बजती थी। इसमें सदी के महानायक अमिताभ बच्चन साइबर क्राइम को लेकर जागरूक करते सुने जाते थे। हालांकि, अब अमिताभ बच्चन की आवाज वाली साइबर सुरक्षा जागरूकता कॉलर ट्यून को लेकर सरकार ने बड़ा फैसला लिया है।

रिपोर्ट्स हैं कि सरकार ने ये डिसाइड किया है कि साइबर क्राइम से बचने के लिए देशवासियों को जागरुक करने के लिए जो कॉलर ट्यून लगी हुई थी उसे अब हटा दिया जाएगा। 26 जून यानी आज से ही वो कॉलर ट्यून हटा दी जाएगी।आम जनता की शिकायतों के बाद सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए इस पर ब्रेक लगा दिया है।

कॉलर ट्यून को बंद करने हो रही थी मांग

साइबर सुरक्षा जागरूकता कॉलर ट्यून वाला 40 सेकंड का मैसेज हर कॉल से पहले बजता है।इस कॉलर ट्यून को लेकर लोगों का कहना था कि चाहे कितनी भी जरूरी कॉल हो, इसको सुनना मजबूरी बन गया है। इससे जुड़ी शिकायतें केंद्रीय दूरसंचार मंत्रालय और TRAI तक पहुंच रही थीं। सोशल मीडिया पर भी इस कॉलर ट्यून को बंद करने की मांग उठ रही थी।

शिकायतों के बाद मंत्रालय का फैसला

इस कॉलर ट्यून की लगातार मिल रही शिकायतों के बाद मंत्रालय की तरफ से ये फैसला लिया गया है। एक पोस्ट में कहा गया है कि साइबर जागरूकता कॉलर ट्यून आपकी और आपके पैसों की सुरक्षा के लिए है। साइबर जागरूकता कॉलर ट्यून इमरजेंसी नंबर पर नहीं बनाए जाते हैं। अब सामान्य कॉल पर भी ये दिन में केवल दो बार चलाए जाते हैं। मंत्रालय ने साफ कर दिया कि अब आम जनता को हर कॉल पर ये कॉलर ट्यून नहीं सुननी पड़ेगी।

इस कॉलर ट्यून की वजह से अमिताभ हो चुके हैं ट्रोल

बता दें कि इस कॉलर ट्यून की वजह से अमिताभ को कई बार ट्रोलिंग भी झेलनी पड़ी थी. लोग उन्हें ये हटाने के लिए भी बोलते थे. हाल में एक यूजर ने अमिताभ से कहा था- फोन पर बोलना बंद करो तो इस पर अमिताभ ने जवाब भी दिया था। अमिताभ ने कहा था- सरकार को बोलो भाई, उन्होंने हमसे कहा था सो किया।

कौन हैं जोहरान ममदानी जो बने न्यूयॉर्क सिटी के मेयर? ट्रंप ने बताया पागल वामपंथी

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भारतीय-अमेरिकी सांसद जोहरान ममदानी ने न्यूयॉर्क सिटी के मेयर पद के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी के प्राइमरी चुनाव में पूर्व गवर्नर एंड्रयू क्युमो को हरा दिया है। भारतीय फिल्म निर्माता मीरा नायर और भारतीय मूल के युगांडा के लेखक महमूद ममदानी के बेटे जोहरान को मंगलवार रात को मेयर पद के लिए डेमोक्रेटिक प्राइमरी चुनाव में विजेता घोषित किया गया।

ममदानी की जीत के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उन पर हमला किया है। ट्रंप ने ममदानी का मजाक उड़ाते हुए पागल वामपंथी कहा है। ममदानी की जीत के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ पर एक पोस्ट शेयर की और लिखा, ''100 प्रतिशत वामपंथी पागल।'' ट्रंप उन्हें कई बार निशाने पर ले चुके हैं।

राम मंदिर के निर्माण के विरोध में प्रदर्शन

न्यूयॉर्क सिटी के मेयर पद के लिए डेमोक्रेटिक प्राइमरी में जीत हासिल करने वाले भारतीय मूल के जोहरान ममदानी अपनी तीखी टिप्पणियों और विवादास्पद बयानों के कारण सुर्खियों में रहे हैं। ममदानी कई बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल कर चुके हैं। वह अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के विरोध में टाइम्स स्क्वायर में प्रदर्शन का नेतृत्व कर चुके हैं। जहां भीड़ ने हिंदुओं के खिलाफ बेहद अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया। ममदानी ने कहा कि वह भारत में बीजेपी सरकार और बाबरी मस्जिद के विध्वंस के खिलाफ हैं। यह प्रदर्शन खालिस्तानी तत्वों द्वारा आयोजित था और ममदानी ने अपमानजनक नारों पर चुप्पी साध रखी थे। इसे हिंदू-विरोधी भावना के समर्थन के रूप में देखा गया।

पीएम मोदी को लेकर विवादित बयान

जोहरान ममदानी ने बीते मई में न्यूयॉर्क फोकस द्वारा आयोजित ‘न्यू मेयर, न्यू मीडिया’ फोरम में पीएम मोदी की तुलना इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से की थी। नेतन्याहू को वह युद्ध अपराधी करार दे चुके हैं। उन्होंने 2002 के गुजरात दंगों की चर्चा की। आरोप लगाया कि इसमें मुसलमानों का नरसंहार किया गया।

कौन हैं जोहरान ममदानी

33 वर्षीय ममदानी मशहूर फिल्मकार मीरा नायर और गुजराती मूल के युगांडाई विद्वान महमूद ममदानी के बेटे हैं। ममदानी का जन्म युगांडा के कम्पाला में हुआ था और उनका पालन-पोषण न्यूयॉर्क सिटी में हुआ। जब वह सात साल के थे, तब अपने माता-पिता के साथ न्यूयॉर्क आकर बस गए थे। उनकी मां मीरा नायर ने ‘मानसून वेडिंग’ और ‘सलाम बॉम्बे’ जैसी फ़िल्मों के लिए प्रशंसा बटोरी है. क्वीन्स से राज्य विधानसभा सदस्य और मेयर पद के लिए चुनाव लड़ रहे डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट ममदानी का विवाह ब्रुकलिन में रहने वाली सीरियाई मूल की कलाकार रमा दुवाजी से हुआ है।

आतंकी घटना का करारा जवाब देते रहेंगे, एससीओ शिखर सम्मेलन में राजनाथ सिंह का सख्त संदेश

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के किंगदाओ में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में शामिल हुए। एससीओ की बैठक में राजनाथ सिंह ने आतंकवाद पर दो टूक अपनी बात रखी हैय़ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा आतकंवाद और शांति साथ-साथ नहीं चल सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम आतंकवाद को किसी भी तरह से बर्दाश्त नहीं करेंगे। हम आतंकवाद के खिलाफ एक्शन लेते रहेंगे। निर्दोषों का खून बहाने वालों को नहीं छोड़ेंगे।

आतंकवाद और ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र

एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में पाकिस्तानी समकक्ष के सामने ही राजनाथ सिंह ने आतंकवाद और ऑपरेशन सिंदूर का खुलकर जिक्र किया। पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, 22 अप्रैल 2025 को, आतंकवादी समूह ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ ने जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों पर एक नृशंस और जघन्य हमला किया। एक नेपाली नागरिक सहित 26 निर्दोष नागरिक मारे गए। पीड़ितों को धार्मिक पहचान के आधार पर प्रोफाइल बनाकर गोली मार दी गई। द रेजिस्टेंस फ्रंट ने हमले की जिम्मेदारी ली है जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा का एक प्रॉक्सी है।

दोहरे मानदंडों के लिए कोई जगह नहीं-राजनाथ

राजनाथ सिंह ने कहा, कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को नीति के साधन के रूप में इस्तेमाल करते हैं और आतंकवादियों को पनाह देते हैं। ऐसे दोहरे मानदंडों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। एससीओ को ऐसे देशों की आलोचना करने में संकोच नहीं करना चाहिए।

आतंकवाद को खत्म करने के लिए सबको आगे आने की जरूरत-राजनाथ सिंह

राजनाथ सिंह ने आगे कहा, भारत का मानना है कि रिफॉर्मेड मल्टिलेटरिजम देशों के बीच संघर्ष को रोकने के लिए संवाद और सहयोग के लिए तंत्र बनाने में मदद कर सकता है। कोई भी देश, चाहे वह कितना भी बड़ा और शक्तिशाली क्यों न हो, अकेले काम नहीं कर सकता। वास्तव में, वैश्विक व्यवस्था या बहुपक्षवाद का मूल विचार यह धारणा है कि राष्ट्रों को अपने पारस्परिक और सामूहिक लाभ के लिए एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करना होगा। यह हमारी सदियों पुरानी संस्कृत कहावत 'सर्वे जना सुखिनो भवन्तु' को भी दर्शाता है, जिसका अर्थ है सभी के लिए शांति और समृद्धि।

एक्सिओम-4 मिशन लॉन्च, शुभांशु शुक्ला समेत चार एस्ट्रोनॉट ने अंतरिक्ष के लिए भरी उड़ान

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भारत की अंतरिक्ष यात्रा में आज का दिन ऐतिहासक है। भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला इंटरनेशनल स्पेश सेंटर यानी की ओर रवाना हो गए हैं। पहली बार इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर एक भारतीय कदम रखेगा। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला चार दशकों में अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री हैं। एक्सिओम-4 मिशन के तहत शुभांशु शुक्ला को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर भेजा गया। उनके साथ तीन अन्य एस्ट्रोनॉट भी स्पेस स्टेशन जा रहे हैं।

मिशन भारतीय समयानुसार दोपहर करीब 12:00 बजे फ्लोरिडा में नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया। स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट से जुड़े ड्रैगन कैप्सूल में सभी एस्ट्रोनॉट ने उड़ान भरी। ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट करीब 28.5 घंटे के बाद 26 जून को शाम 04:30 बजे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से जुड़ेगा।

कई बार टाला गया एक्सियम-4 मिशन

इससे पहले एक्सिओम-4 मिशन की लॉन्चिंग में कई बार अलग-अलग वजहों से देरी हो चुकी है, पहले खराब मौसम की वजह से और फिर स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट और बाद में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के रूसी मॉड्यूल पर लीक का पता चलने की वजह से इस यात्रा को टालना पड़ा था। सबसे पहले 29 मई को ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट के तैयार नहीं होने के कारण लॉन्चिंग टाल दी गई। इसे 8 जून को शेड्यूल किया गया। फाल्कन-9 रॉकेट लॉन्च के लिए तैयार नहीं था। नई तारीख 10 जून दी गई। फिर से इसे मौसम खराब होने की वजह से टाला गया। चौथी बार 11 जून को मिशन शेड्यूल किया गया। इस बार आक्सीजन लीक हो गई। नई तारीख 19 जून दी गई। मौसम की अनिश्चितता, क्रू मेंबर्स की सेहत के कारण टल गया। छठी बार मिशन को 22 जून के लिए शेड्यूल किया गया। ISS के ज्वेज्दा सर्विस मॉड्यूल के मूल्यांकन करने के लिए अतिरिक्त समय चाहिए था। इसलिए मिशन टल गया।

इंटरनेशनल स्पेश स्टेशन जाने वाले पहले भारतीय

शुभांशु शुक्ला पहले भारतीय हैं, जो इंटरनेशनल स्पेश स्टेशन में कदम रखेंगे। वह वहां 14 दिनों तक रहेंगे और रिसर्च करेंगे। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा और भारतीय एजेंसी इसरो के बीच हुए एग्रीमेंट के तहत भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को इस मिशन के लिए चुना गया है। शुभांशु इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर जाने वाले पहले और स्पेस में जाने वाले दूसरे भारतीय होंगे। इससे 41 साल पहले राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत यूनियन के स्पेसक्राफ्ट से अंतरिक्ष यात्रा की थी।

एक्सिओम मिशन में शुभांशु शुक्ला की भूमिका

शुभांशु शुक्ला इस मिशन में पायलट के तौर पर आईएसएस भेजे गए हैं। यानी जिस ड्रैगन कैप्सूल के जरिए एक्सिओम-4 मिशन को आईएसएस रवाना किया गया है, शुभांशु उसको गाइड करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। यहां स्पेसक्राफ्ट को आईएसएस पर डॉक कराने से लेकर अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित पहुंचाने तक की जिम्मेदारी शुभांशु के ही कंधों पर ही है। इसके अलावा अगर यह कैप्सूल किसी तरह की दिक्कत में आता है तो शुभांशु के पास ही यान का कंट्रोल और आपात फैसले लेने की जिम्मेदारी है।

भारतीय लोकतांत्रिक इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक’, आपातकाल के 50 साल पर बोले पीएम मोदी

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देश में 1975 को लगाए गए आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकतंत्र के इतिहास के काले अध्याय को याद करते हुए कांग्रेस पर बड़ा हमला बोला। उन्होंने कहा कि आज भारत के लोकतांत्रिक इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक आपातकाल लागू होने के पचास साल पूरे हो गए हैं। यह वो वक्त था जब तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने लोकतंत्र को बंधक बना लिया था।

पीएम मोदी ने सोशल मीडिया एक्स लिखा, यह भारत के लोकतांत्रिक इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक है। भारत के लोग इस दिन को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाते हैं। इस दिन, भारतीय संविधान के मूल्यों को दरकिनार कर दिया गया, मौलिक अधिकार छीन लिए गए, प्रेस की स्वतंत्रता को खत्म कर दिया गया। कई राजनीतिक नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, छात्रों और आम नागरिकों को जेल में डाल दिया गया।

तब मैं आरएसएस का युवा प्रचारक था-पीएम मोदी

पीएम मोदी ने लिखा कि जब आपातकाल लगाया गया था, तब मैं आरएसएस का युवा प्रचारक था। आपातकाल विरोधी आंदोलन मेरे लिए सीखने का एक अनुभव था। इसने हमारे लोकतांत्रिक ढांचे को बचाए रखने की अहमियत को फिर से पुष्ट किया। साथ ही, मुझे राजनीतिक स्पेक्ट्रम के सभी लोगों से बहुत कुछ सीखने को मिला। पीएम ने लिखा कि मुझे खुशी है कि ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन ने उन अनुभवों में से कुछ को एक किताब के रूप में संकलित किया है, जिसकी प्रस्तावना श्री एच.डी. देवेगौड़ा जी ने लिखी है, जो खुद आपातकाल विरोधी आंदोलन के एक दिग्गज थे।

आपातकाल के खिलाफ लड़ने वालों को सलाम-पीएम मोदी

पीएम ने आपातकाल के खिलाफ खड़े होने वालों को सलाम किया। पीएम ने कहा हम आपातकाल के खिलाफ लड़ाई में डटे रहने वाले हर व्यक्ति को सलाम करते हैं। ये पूरे भारत से, हर क्षेत्र से, अलग-अलग विचारधाराओं से आए लोग थे, जिन्होंने एक ही उद्देश्य से एक-दूसरे के साथ मिलकर काम किया। भारत के लोकतांत्रिक ढांचे की रक्षा करना और उन आदर्शों को बनाए रखना, जिनके लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया। यह उनका सामूहिक संघर्ष ही था, जिसने सुनिश्चित किया कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार को लोकतंत्र बहाल करना पड़ा और नए चुनाव कराने पड़े, जिसमें वे बुरी तरह हार गए।

50 साल पहले लगे आपातकाल के विरोध में भाजपा आज मनाएगी संविधान हत्या दिवस, दिलाई जाएगी काले दौर की याद

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देश में आपातकाल की घोषणा हुए आज 50 साल हो गए। साल 1975 में 25 और 26 जून की दरम्यानी रात से 21 मार्च 1977 तक (21 महीने) तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल की घोषणा की थी। आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने के मौके पर बुधवार को भाजपा देशभर में संविधान हत्या दिवस का आयोजन करेगी। विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन के जरिये लोगों को आपातकाल के काले दौर की याद दिलाई जाएगी। जिला स्तर पर होने वाले कार्यक्रमों में मीसा बंदियों का सम्मान किया जाएगा।

पीएम मोदी ने लिया संविधान हत्या दिवस मनाने का निर्णय

इससे पहले आपातकाल की 50वीं बरसी की पूर्व संध्या पर नई दिल्ली में श्यामा प्रसाद मुखर्जी न्यास की ओर से आयोजित आपातकाल के 50 साल कार्यक्रम में शाह ने कहा कि जब 11 जुलाई 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्णय किया कि हर वर्ष 25 जून को संविधान हत्या दिवस मनाया जाएगा, तब यह सवाल उठे कि 50 साल पहले हुई किसी घटना पर बात करके आज क्या हासिल होगा?

आपातकाल तानाशाही मानसिकता और सत्ता की भूख की उपज-शाह

गृह मंत्री अमित शाह ने आपातकाल को अन्यायकाल बताया है। अमित शाह ने कहा कि 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का लाया आपातकाल असल में कांग्रेस का अन्यायकाल था। आपातकाल परिस्थिति और मजबूरी की नहीं बल्कि तानाशाही मानसिकता और सत्ता की भूख की उपज होता है। शाह ने यह भी कहा कि 25 जून सभी को याद दिलाता है कि कांग्रेस सत्ता के लिए किस हद तक जा सकती है।

50 साल पहले जब इंदिरा गांधी ने देश में लगा दिया था आपातकाल, जानें इमरजेंसी का “काला सच”

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25 जून 1975 की आधी रात जब देश पर आपातकाल थोप दिया गया था। लोकतंत्र के इतिहास में इस दिन को काला दिन माना जाता है। यही वो दिन था जब तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत, इंदिरा गांधी की सरकार की सिफारिश पर आपातकाल की घोषणा की। देश में आपातकाल लग चुका है इसका ऐलान खुद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रेडियो पर किया।

25 जून 1975 की आधी रात को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल की घोषणा की। 26 जून, 1975 की सुबह इंदिरा गांधी ने ऑल इंडिया रेडियो पर कहा, 'राष्ट्रपति ने देश में इमरजेंसी की घोषणा कर दी है। इसमें घबराने की कोई बात नहीं है...'। इसके बाद से ही विपक्षी नेताओं में हलचल मच गई और गिरफ्तारियों का सिलसिला शुरू हो गया था। पौ फटने के पहले ही विपक्ष के कई बड़े नेता हिरासत में ले लिए गए। यहां तक कि कांग्रेस में अलग सुर अलापने वाले चंद्रशेखर भी हिरासत में लिए गए नेताओं की जमात में शामिल थे।

ये इमरजेंसी 21 मार्च, 1977 तक देशभर में लागू रही। स्वतंत्र भारत के इतिहास में ये 21 महीने काफी विवादास्पद रहे। लोकतांत्रिक देश में भी ऐसा कुछ हो सकता है, यह किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था। यह भी कि लोकतांत्रिक देश की संसद में किसी दल की मजबूती का बेजा इस्तेमाल की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। इन 21 महीनों में जो कुछ भी हुआ। सत्ता दल अभी भी कांग्रेस को समय-समय पर कोसते रहते हैं। गांधी परिवार के दिग्गज नेता राहुल गांधी ने इस इमरजेंसी को गलत बताया और खुले तौर पर माफी भी मांगी थी।

इंदिरा सरकार ने बताई आपातकाल लागू करने के पीछे कई वजहें

इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने 1971 के लोकसभा चुनावों में शानदार जीत हासिल की थी। तत्कालीन 521 सदस्यीय संसद में कांग्रेस ने 352 सीटें जीती थीं। उन दिनों इंदिरा गांधी की सरकार पर भारत अस्थिरता के दौर से गुजर रहा था। गुजरात में सरकार के खिलाफ छात्रों का नवनिर्माण आंदोलन चल रहा था। बिहार में जयप्रकाश नारायण (JP) का आंदोलन चल रहा था। 1974 में जॉर्ज फर्नांडिस के नेतृत्व में रेलवे हड़ताल चल रही थी। आपातकाल लागू करने के पीछे कई वजहें बताई जाती हैं। इसमें से मुख्य कारण था राजनीतिक अस्थिरता।

इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक फैसले के बाद बढ़ा तनाव

इस राजनीतिक अस्थिरता की शुरुआत उस वक्त हुई, जब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 12 जून 1975 को इंदिरा गांधी को चुनावी धांधली का दोषी पाया और उन्हें छह साल के लिए किसी भी चुने हुए पद पर आसीन होने से वंचित कर दिया। इस फैसले के बाद, देश भर में विरोध प्रदर्शन और राजनीतिक तनाव बढ़ गया।

इन्ही सब को देखते हुए इंदिरा गांधी को देश में इमरजेंसी लगानी पड़ी। इंदिरा गांधी और उनकी सरकार ने दावा किया कि देश में गहरी अशांति और आंतरिक अस्थिरता है, जिसके चलते राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है। इसी कारण से उन्होंने आपातकाल की घोषणा की, जिससे वे बिना किसी विधायी और न्यायिक हस्तक्षेप के सरकार चला सकें।

असहमति के हर स्वर का मुंह बंद किया

इमरजेंसी लागू होने के तुरंत बाद विपक्षी नेताओं को जेल में डालने का सिलसिला शुरु हो गया। इनमें जयप्रकाश नारायण, लालकृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेयी और मोरारजी देसाई समेत कई बड़े नेताओं का नाम था, जो कई महीनों और सालों तक जेल में पड़े रहे थे। आरएसएस समेत 24 संगठनों पर बैन लगा दिया गया। इसके अलावा, इंदिरा गांधी की सरकार ने देश में व्यापक सामाजिक और आर्थिक सुधारों की शुरुआत की, जिसमें जबरन नसबंदी और स्लम क्लीयरेंस जैसे कठोर उपाय शामिल थे। कई इतिहासकारों का मानना है कि आपातकाल का उपयोग इंदिरा गांधी ने अपनी सत्ता को मजबूत करने और विरोधी आवाजों को दबाने के लिए किया। यह घटना भारतीय लोकतंत्र पर एक गहरा आघात थी और इसने देश के राजनीतिक इतिहास में एक गहरी छाप छोड़ी।

आ गई शुभांशु शुक्ला के स्पेस जाने की नई तारीख, 25 जून को लॉन्च होगा एक्सिओम-4 मिशन

#nasaannouncesnewlaunchdateforaxiom4mission

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) के लिए जाने वाले एक्सिओम-4 मिशन के लॉन्चिंग की नई तारीख आ चुकी है। नासा और स्पेसएक्स के एक्सिओम मिशन को अब 25 जून को लॉन्च करने की तैयारी है। भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला 25 जून को एक्सिओम-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन रवाना होंगे। छह बार तकनीकी खामियों के कारण टलने के बाद अब लॉन्चिंग तय हुई है।

अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने जानकारी दी है कि एक्सिओम-4 मिशन अब 25 जून को लॉन्च किया जाएगा। एक्सिओम-4 मिशन की लॉन्चिंग फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर से होगी। नासा ने बताया कि यह मिशन 25 जून को भारतीय समयानुसार सुबह 12:01 बजे स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया जाएगा।

अब तक 6 बार टला मिशन

इससे पहले इस मिशन को 29 मई को लॉन्च करने की योजना थी, लेकिन तकनीकी खामी की वजह से इसे टाल दिया गया। एक्सिओम-4 मिशन को अब तक 6 बार टाला जा चुका है। पहले यह मिशन 29 मई को शुरू होने वाला था, लेकिन मौसम की वजह से इसे 8 जून तक के लिए टाल दिया गया। बाद में, फाल्कन-9 रॉकेट के बूस्टर में लिक्विड ऑक्सीजन के रिसाव के कारण तारीख 10 जून और फिर 11 जून कर दी गई। इसके बाद, तकनीकी खराबी के कारण इसे 19 जून और फिर 22 जून के लिए स्थगित कर दिया गया।

मिशन में भारत के साथ हंगरी और पोलैंड भी शामिल

एक्सिओम-4 मिशन एक निजी अंतरिक्ष यात्री मिशन है। इस मिशन में भारत के साथ हंगरी और पोलैंड भी शामिल हैं। खास बात यह है कि यह मिशन तीनों देशों के लिए ऐतिहासिक माना जा रहा है। भारत के लिए यह मिशन इसलिए अहम है क्योंकि लंबे समय बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष में जाएगा। इस मिशन में अमेरिका से डॉ. पेगी व्हिटसन मिशन कमांडर हैं। पोलैंड से स्लावोज उज्नान्स्की-विस्निएव्स्की और हंगरी से टिबोर कापू (दोनों मिशन विशेषज्ञ) शामिल हैं। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को पायलट बनाया गया है।

अब बांग्लादेश की बारी, गंगा संधि की समीक्षा की तैयारी मे मोदी सरकार, पड़ोसी देश पर डाला दबाव

#uniongovtpressesbangladeshonreviewofgangatreaty

भारत को पड़ोसी देश उसे आंखे दिखाने से बाज नहीं आ रहे। ऐसे में भारत सरकार ने भी इनपर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। हाल ही में जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु समझौते को निलंबित कर दिया है। अब मोदी सरकार ने बांग्लादेश के साथ गंगा नदी जल संधि पर फिर से बातचीत करने का फैसला किया है।

बांग्लादेश को पहुंचाया संदेश

भारत ने बांग्लादेश के साथ भी गंगा जल संधि पर फिर दोबारा विचार शुरू कर दिया है। बांग्लादेश के साथ गंगा नदी जल संधि की मियाद अगले साल ही पूरी होने वाली है। ऐसे में भारत ने अभी से बांग्लादेश को यह संदेश पहुंचा दिया है कि उसे अपनी जरूरत पूरा करने लिए और पानी चाहिए। भारत ने अपने समकक्ष को बताया है कि उसे अपनी विकास संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए अधिक पानी की आवश्यकता है।

छोटी अवधी के लिए हो सकती है नई संधि

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार अगर संधि बढ़ी भी तो पहली जितनी लंबी अवधि के लिए नहीं होगी। नई संधि संभवतः छोटी अवधि की होगी, जो 10 से 15 वर्ष तक चलेगी। छोटी अवधि दोनों देशों के लिए आगे बढ़ने में लचीलापन और अनुकूलनशीलता को बढ़ावा देगी।

बता दें कि गंगा जल संधि पर 12 दिसम्बर 1996 को हस्ताक्षर किये गये थे, जिसमें जल बंटवारे, विशेष रूप से कम वर्षा वाले मौसम में फरक्का बैराज के आसपास जल बंटवारे पर जोर दिया गया था।

पहलगाम हमले के बाद स्थिति बदली

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है कि पहले सरकार गंगा जल संधि को पहले की तरह 30 साल के लिए बढ़ाना चाहती थी। लेकिन, पहलगाम की घटना के बाद स्थिति बदल गई। मई में बांग्लादेश के अधिकारियों के साथ एक बैठक हुई थी। अधिकारी ने कहा कि यह एक सामान्य बैठक थी, जो साल में दो बार होती है। इस बैठक में भारत ने अपने लिए पानी की जरूरत के बारे में बताया।

कैसे होता है गंगा जल संधि के तहत पानी का बंटवारा

1996 की गंगा जल संधि के अनुसार अगर फरक्का में पानी की उपलब्धता 70,000 क्यूसेक या उससे कम रहती है, तो दोनों देशों को आधा-आधा पानी मिलता है। लेकिन, अगर यह उपलब्धता 70,000 क्यूसेक से 75,000 क्यूसेक के बीच होता है तो बांग्लादेश को 35,000 क्यूसेक और भारत को बाकी हिस्सा मिलता है। लेकिन, अगर पानी की उपलब्धता 75,000 क्यूसेक या उससे भी ज्यादा होता है तो भारत उसका 40,000 क्यूसेक हिस्सा इस्तेमाल कर सकता है और बाकी प्रवाह बांग्लादेश को जाता है