डेंगू, मलेरिया उपचार एवं प्रबन्धन पर हुआ कार्यशाला का आयोजन
सीके सिंह(रूपम)
सीतापुर। गोदरेज कन्ज्यूमर प्रोडक्ट लिमिटेड के वित्तीय सहयोग से संचालित तकनीकी सहयोगी संस्था पाथ-सीएचआरआई के तकनीकी सहयोग से निजी क्षेत्र के चिकित्सकों एवं नर्सिंग होम संचालकों का डेंगू, चिकुनगुनिया व मलेरिया रोगियों के उपचार व प्रबन्धन को लेकर एक निजी रिज़ॉर्ट में प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी, डॉ. सुरेश कुमार की अध्यक्षता मे डेंगू एवं चिकनगुनिया पीड़ित रोगियों के प्रबंधन तथा मलेरिया के उपचार पर केजीएमयू लखनऊ के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अंबुज यादव द्वारा निजी चिकित्सकों, नर्सिंग होम संचालकों को प्रशिक्षित किया गया। डॉ. दीपेंद्र कुमार वर्मा, जिला सर्विलांस अधिकारी एवं नोडल वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम सीतापुर व डॉ. एसएस मणि त्रिपाठी बालरोग विशेषज्ञ जिला चिकित्सालय सीतापुर ने भी कार्यशाला मे आए प्रतिभागियों को डेंगू एवं चिकनगुनिया पीड़ित रोगियों के प्रबंधन पर प्रकाश डाला।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी, डॉ. सुरेश कुमार ने ने कहा कि डेंगू बुखार एक मच्छर जनित रोग है। यह चार प्रकार के डेंगू वायरस में से किसी एक के कारण होता है, जो एक संक्रमित मादा एडीज ऐजीपटाई अथवा एडीज़ एलवोपिकटस मच्छर के काटने से फैलता है। डेंगू के सामान्य लक्षणों में तेज बुखार नाक बहना, त्वचा पर हल्के लाल चकते, खांसी और आंखों के पीछे और जोड़ों में दर्द शामिल हैं। हालांकि कुछ लोगों को लाल और सफेद धब्बेदार चकत्ते विकसित हो सकते हैं जिसके बाद भूख में कमी, मतली, उल्टी आदि हो सकती है। डेंगू से पीड़ित मरीजों को चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए, आराम करना चाहिए और बहुत सारे तरल पदार्थ पीना चाहिए।
केजीएमयू लखनऊ के आए मास्टर प्रशिक्षक एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अंबुज यादव ने कार्यशाला मे प्रतिभागियों को भारत सरकार के स्तर से निर्गत डेंगू, चिकनगुनिया एवं मलेरिया पर प्रशिक्षित किया। उन्होंने बताया कि प्रदेश में वर्ष 2024 में मलेरिया से कोई भी मृत्यु नहीं हुई है। उत्तर प्रदेश में 2027 तक मलेरिया उन्मूलन के दिशा में कार्य किया जाना है जिससे कि मलेरिया के संचरण को रोका जा सके तथा वर्ष 2030 तक मलेरिया उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके। मलेरिया संचरण को रोकने हेतु सरकार द्वारा उठाये गये कदमों एवं उसके प्रबन्धन पर प्रकाश डाला गया।
डॉ. दीपेंद्र कुमार वर्मा ने बताया गया कि मलेरिया एनाफिलिज मच्छरों की कुछ प्रजातियां ही इस बिमारी को फैलाती हैं, जब मादा एनाफिलिज मच्छर मलेरिया रोगी का रक्त चूसती हैं तथा रक्त के साथ मलेरिया परजीवी उसके आमाशय में पहुंच जाता है । यह मच्छर ही व्यक्ति को मलेरिया से संक्रमित करता है। मनुष्य के शरीर में मलेरिया परजीवी के प्रवेश के 14 से 21 दिनों के भीतर बुखार आता है। इनके द्वारा मलेरिया रोगियों के लक्षण, पहचान व उपचार के सम्बन्ध में जानकारी दी गयी।
राज्य स्तर से पाथ-सीएचआरआई से वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी, मलेरिया डॉ. अमृत शुक्ला भी उपस्थित रहे। उन्होंने बुखार से ग्रस्त रोगियों की त्वरित मलेरिया की जांच व धनात्मक पाए जाने पर तत्काल पूर्ण आमूल उपचार प्रदान करने को कहा साथ ही यह भी बताया। पाथ-सीएचआरआई के मॉनीटरिंग एवं ईवैल्यूऐशन अधिकारी राहुल कुमार ने भी कार्यशाला को संबांधित किया। इस कार्यशाला में डिप्टी सीएमओ डॉ. एमएल गंगवार, रीजनल कोआर्डिनेटर डॉ. शिव कान्त, जिला इपीडेमियोलॉजिस्ट डॉ. विवेक सचान, जिला मलेरिया अधिकारी, जितेंद्र चौधरी, आईएमए के डॉ. राज किशोर टंडन, डॉ. विनोद कुमार त्रिपाठी, मलेरिया निरीक्षक व नर्सिंग होमों के चिकित्सक उपस्थित रहे।
Jun 26 2025, 19:32