उत्तर प्रदेश के 44 जनपदों में एक साथ हुआ बाढ़ मॉक अभ्यास, आपदा तैयारियों की हुई व्यापक समीक्षा
लखनऊ। उत्तर प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के तत्वावधान में गुरुवार को पूरे प्रदेश में एक अभूतपूर्व राज्य स्तरीय बाढ़ मॉक अभ्यास का आयोजन किया गया। यह अभ्यास राज्य के 44 जनपदों की 118 बाढ़ संभावित तहसीलों में एक साथ संपन्न हुआ, जिसमें हजारों कर्मियों ने भाग लिया।

इस अभ्यास का उद्देश्य बाढ़ जैसी आपदा की स्थिति में राज्य के विभिन्न विभागों—जैसे प्रशासन, पुलिस, स्वास्थ्य, NDRF/SDRF, राजस्व, आपूर्ति आदि—की तत्परता, समन्वय और प्रतिक्रिया क्षमता का मूल्यांकन करना था। प्राधिकरण के उपाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र डिमरी ने फर्रुखाबाद से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पूरे प्रदेश की तैयारियों की निगरानी की और दो तहसीलों—चाचूपुर जटपुरा (अमृतपुर) और कटरी धर्मपुर (फर्रुखाबाद)—का स्वयं दौरा भी किया।

सुबह 9:00 बजे से राज्य आपदा संचालन केंद्र से सभी जिलों के DEOC और तहसील स्तरीय केंद्रों को जोड़ा गया। 9:30 बजे से अभ्यास शुरू हुआ जिसमें 5 परिदृश्यों पर कार्य किया गया—जलमग्न गांव, पेड़/छतों पर फंसे लोग, अफवाहें व फेक न्यूज़, नाव पलटना और पुल/सड़क क्षति। प्रत्येक जिले में राहत शिविर, बाढ़ चौकियां, फील्ड हॉस्पिटल व रेस्क्यू ऑपरेशन्स का प्रदर्शन किया गया। NDMA के वरिष्ठ सलाहकार ब्रिगेडियर रवींद्र गुरुंग ने योजना भवन लखनऊ से लाइव मॉनिटरिंग की और संचालन में मार्गदर्शन दिया। अंतिम सत्र में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिलों द्वारा प्रस्तुत अनुभवों, खामियों व सुधार की संभावनाओं पर मंथन किया गया।
यूपी पर्यटन को बनाएंगे आर्थिक विकास का इंजन: जयवीर सिंह
*  उत्तर प्रदेश में बढ़ती पर्यटक संख्या के मद्देनज़र ठहरने की बेहतर व्यवस्था पर जोर

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने प्रदेश में तेजी से बढ़ रही पर्यटकों और श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए उनके लिए बेहतर ठहराव और अवस्थापना सुविधाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
गोमतीनगर स्थित पर्यटन भवन में आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री जी के ‘वन ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी’ के संकल्प को साकार करने में पर्यटन क्षेत्र एक सशक्त ग्रोथ इंजन के रूप में कार्य कर सकता है। उन्होंने कहा कि पर्यटन में निवेश और रोजगार की अपार संभावनाएं हैं, जिसे बेहतर रणनीति और प्रचार से पूरी तरह उपयोग में लाया जा सकता है।
बैठक में बताया गया कि वर्ष 2024-25 में प्रदेश में 65 करोड़ पर्यटक पहुंचे, और 2025-26 में 130 करोड़ पर्यटकों के आने की संभावना है। इन आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए, प्रदेश सरकार ने 1 लाख अतिरिक्त होटल रूम की व्यवस्था की है और बेहतर कनेक्टिविटी से पर्यटकों की पहुंच को आसान बनाया गया है। मंत्री ने बताया कि काशी, अयोध्या, मथुरा और कुशीनगर जैसे धार्मिक स्थलों पर अवस्थापना सुधारों से विदेशी पर्यटकों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इनमें थाईलैंड, कोरिया और म्यांमार के पर्यटक अग्रणी हैं।
बैठक में डेलॉयट कंसल्टेंसी द्वारा एआई आधारित पर्यटक गणना और भविष्य की रणनीतियों पर प्रस्तुति दी गई। मुख्यमंत्री के सलाहकार अवनीश अवस्थी ने पर्यटन से अधिकतम योगदान सुनिश्चित करने के लिए गहन अध्ययन और नवाचार पर बल दिया।
इस बैठक में प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति मुकेश कुमार मेश्राम, विशेष सचिव ईशा प्रिया, निदेशक पर्यटन प्रखर मिश्रा, पर्यटन सलाकार जेपी सिंह के अलावा विभागीय अधिकारी मौजूद थे।
‘एक युद्ध नशे के विरुद्ध’ मुहिम में सहभागी बनें : नितिन अग्रवाल
- आबकारी एवं मद्यनिषेध मंत्री ने कहा - नशा मुक्त समाज की स्थापना से ही पूर्ण विकसित राष्ट्र बनने का सपना साकार होगा

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के आबकारी एवं मद्यनिषेध राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नितिन अग्रवाल ने युवाओं में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए प्रदेशवासियों से ‘नशा मुक्त भारत अभियान’ व ‘एक युद्ध नशे के विरुद्ध’ में सक्रिय भागीदारी की अपील की है। उन्होंने कहा कि जब तक समाज का हर व्यक्ति इस अभियान से नहीं जुड़ेगा, तब तक नशे को जड़ से समाप्त करना संभव नहीं है।
अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान, लखनऊ में आयोजित “मादक पदार्थों का दुरुपयोग एवं अवैध व्यापार विरोधी अंतर्राष्ट्रीय दिवस” पर आयोजित कार्यक्रम में मंत्री ने कहा कि एक नशा मुक्त समाज ही नैतिकता, सामाजिक मूल्यों और आदर्शों पर आधारित पूर्ण विकसित राष्ट्र की नींव रख सकता है।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और मद्यनिषेध प्रदर्शनी के उद्घाटन से हुई, जिसमें मादक पदार्थों के दुष्परिणामों के प्रति जनजागरूकता बढ़ाने के लिए संगोष्ठी और विविध शिक्षात्मक गतिविधियों का आयोजन किया गया। इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव एल. वेंकटेश्वर लू ने कहा कि मादक द्रव्यों का सेवन मनुष्य को अधोगति की ओर ले जाता है और अमृतकाल में आत्मशुद्धि के लिए नशे से दूर रहना आवश्यक है। विशेषज्ञ डॉ. देवाशीष शुक्ला ने मादक पदार्थों के मनोसामाजिक प्रभावों और उनके बचाव के उपायों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में विजयी प्रतिभागियों को सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम में रमेश कुमार, क्षेत्रीय मद्यनिषेध अधिकारी, लखनऊ, बृजमोहन, उपक्षेत्रीय मद्यनिषेध अधिकारी, लखनऊ, श्रीमती नीतू वर्मा, जिला मद्यनिषेध अधिकारी, लखनऊ, श्रीकांत सिंह व संकटा प्रसाद, द्वारा भी सक्रिय सहयोग किया गया। सभी ने एकमत होकर समाज को नशे के अभिशाप से मुक्त करने का संकल्प लिया।
अन्ना विश्वविद्यालय में यौन उत्पीड़न केस में बड़ा फैसला, आरोपी युवक दोषी करार

डेस्क:–चेन्नई की महिला अदालत ने बुधवार को अन्ना यूनिवर्सिटी यौन मामले में आरोपी प्रोफेसर को दोषी बताया है। महिला अदालत की जज राजलक्ष्मी 2 जून को इस मामले में फैसला सुनाएंगी। यह मामला साल 2024 के दिसंबर का है। यूनिवर्सिटी की ही एक छात्रा 19 साल के साथ रेप हुआ था। पुलिस ने इस मामले में एक युवक को गिरफ्तार किया था। जिसकी पहचान ज्ञानशेखरन के तौर पर हुई थी। हालांकि अब कोर्ट ने उसे दोषी करार दिया है।

बता दें कि आरोपी ज्ञानशेखरन यूनिवर्सिटी के अंदर बिरयानी बेचने का काम करता था। 23 दिसंबर को पीड़ित छात्रा अपनी सहेली से मिलने के लिए गई थी। जहां आरोपी युवक भी अचानक पहुंच गया और पीड़िता के साथ मारपीट करना शुरू कर दिया। इसके बाद इतना ही नहीं आरोपी युवक ने छात्रा के साथ रेप किया। घटना के बाद पीड़िता ने थाने पहुंचकर मामला दर्ज करवाया।

मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस ने जांच-पड़ताल शुरू कर दी। इस घटना को देखते हुए पुलिस ने आरोपी युवक ज्ञानशेखरन को अरेस्ट कर लिया। पुलिस ने बताया कि ज्ञानशेखरन कैंपस में ही बिरयानी बेचने का काम करता था, जिस दौरान उसने इस तरह की घटना को अंजाम दिया। अब अदालत ने ज्ञानशेखरन को दोषी करार दिया है। कोर्ट का फैसला 2 जून को आएगा। इस घटना को लेकर सोशल मीडिया पर काफी चर्चा भी हुई। इसको लेकर यूनिवर्सिटी के बच्चों ने विरोध प्रदर्शन भी किया था। इस घटना के बाद पूरे शहर में हड़कंप मच गया। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने अपनी आवाज उठाई। इस मामले को लेकर पुलिस प्रशासन पर कई सवाल उठे।
हो जाइए टेंशन फ्री! अब प्रॉपर्टी रजिस्ट्री के लिए नहीं जाना पड़ेगा ऑफिस,  घर बैठे प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री कराएं ऑनलाइन, जानें डिटेल्स

डेस्क:–केंद्र की मोदी सरकार ने प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन को लेकर बड़ा फैसला लिया है। मोदी सरकार ने एक नए विधेयक का मसौदा तैयार किया है, इसमें संपत्ति के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य किया गया है। इसके साथ-साथ विक्रय अनुबंध, पावर ऑफ़ अटॉर्नी और अन्य दस्तावेजों के रजिस्ट्रेशन को भी शामिल किया गया है। यह 117 साल पुराने प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन एक्ट की जगह बहाल होगा। इसके तहत संपत्ति का रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन होगा। इसके साथ-साथ इसे जुड़े जरुरी दस्तावेजों को भी डिजिटल करना होगा।

बता दें कि सरकार ने यह फैसला इसलिए लिया है ताकि रजिस्ट्रेशन में तेजी आए, पारदर्शी बना रहे और लोगों के लिए आसान हो। इस बिल को ग्रामीण विकास मंत्रालय के भूमि संसाधन विभाग में बनाया गया है। इसके लिए 25 जून तक लोग अपनी राय दे सकते हैं। दस्तावेजों को ऑनलाइन जमा करने और पंजीकरण के अलावा, सरकार ने धोखाधड़ी को रोकने के लिए 'सहमति' के साथ आधार सत्यापन का प्रस्ताव दिया है। जो लोग आधार नहीं देना चाहते हैं, उनके लिए सत्यापन के अन्य तरीके भी होंगे। साथ ही, विभाग ने कहा कि मसौदा कानून में सूचना के आदान-प्रदान को बेहतर बनाने के लिए अन्य रिकॉर्ड रखने वाली एजेंसियों के साथ जुड़ने का सुझाव दिया गया है।

मसौदा में संपत्ति से संबंधित डेटा तक पहुंच को सरल बनाने और धोखाधड़ी के जोखिम को कम करने के लिए पंजीकरण प्रणालियों को अन्य रिकॉर्ड रखने वाली एजेंसियों के साथ जोड़ने की भी सिफारिश की गई है। अधिकारियों ने कहा कि यह विधेयक सार्वजनिक और निजी दोनों तरह के लेन-देन में पंजीकृत दस्तावेजों पर बढ़ती निर्भरता के अनुरूप आधुनिक कानूनी ढांचे की आवश्यकता को दर्शाता है। कई राज्य पहले ही पुराने कानून के तहत डिजिटल परिवर्तन ला चुके हैं और अब केंद्र सरकार पूरे भारत में एक ही डिजिटल प्रणाली बनाना चाहती है।

गाजियाबाद कांस्टेबल मौत मामले में 9 और आरोपी गिरफ्तार

डेस्क:–गाजियाबाद के थाना मसूरी क्षेत्र में पुलिस टीम पर पथराव और फायरिंग करने वाले आरोपियों के विरुद्ध कार्रवाई करते हुए पुलिस ने एक और बड़ी सफलता हासिल की है। पुलिस ने इस मामले में बुधवार को 9 और आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, जिससे अब तक कुल गिरफ्तारियों की संख्या 14 हो चुकी है।

घटना 25 मई की रात करीब 11 बजे की है, जब नोएडा कमिश्नरेट के थाना फेस-3 से उपनिरीक्षक सचिन राठी अपनी टीम के साथ गाजियाबाद के थाना मसूरी क्षेत्र स्थित ग्राम नाहल में वांछित अभियुक्त कादिर पुत्र खुर्शेद उर्फ खुर्शीद को पकड़ने पहुंचे थे। कादिर को दबोचने के दौरान वहां भीड़ एकत्र हो गई और अचानक पुलिस पर पथराव और फायरिंग शुरू कर दी गई। इस हमले में कांस्टेबल सौरभ के सिर में गोली लग गई और कांस्टेबल सोनित भी घायल हो गए।

घटना की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने मामला दर्ज कर त्वरित कार्रवाई शुरू की। पहले चरण में 5 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। इसके बाद मसूरी पुलिस ने 8 आरोपियों को अलग-अलग स्थानों से गिरफ्तार किया है, जिनमें जावेद पुत्र शमशाद, मुरसलीन पुत्र चांद, इनाम पुत्र शमशाद, महताब पुत्र बहाव, मेहराज पुत्र जमशेद, जावेद पुत्र अब्बास, हसीन पुत्र युनुस और मुरसलीम पुत्र हसरत शामिल हैं।

इसके अतिरिक्त, एक आरोपी अब्दुल रहमान पुत्र मुजम्मिल को पुलिस मुठभेड़ के दौरान गिरफ्तार किया गया है। सभी आरोपी ग्राम नाहल और आसपास के क्षेत्रों के निवासी हैं। पूछताछ के दौरान आरोपियों ने स्वीकार किया कि उन्होंने 25 मई की रात को पुलिस पर जानलेवा हमला किया था, ताकि कादिर को छुड़ाया जा सके। पुलिस द्वारा अन्य आपराधिक इतिहास की भी जांच की जा रही है। पुलिस का कहना है कि इस मामले में कानून के तहत कठोरतम कार्रवाई की जाएगी और किसी भी अपराधी को बख्शा नहीं जाएगा। मामले में आगे की वैधानिक कार्रवाई जारी है।

मथुरा विवाद पर हाई कोर्ट की अगली सुनवाई 4 जुलाई को होगी

डेस्क:– उत्तर प्रदेश के मथुरा स्थित श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह से जुड़ी सुनवाई इलाहाबाद हाई कोर्ट में पूरी हो गई है। मामले की अगली सुनवाई 4 जुलाई 2025 को होगी। मथुरा श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद की इलाहाबाद हाई कोर्ट में दाखिल याचिकाओं पर शुक्रवार को सुनवाई पूरी हुई। जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की सिंगल बेंच ने सुनवाई की अगली तारीख 4 जुलाई 2025 तय की है। हाई कोर्ट में 18 याचिकाएं दायर की गई हैं। हिंदू पक्ष का दावा है कि शाही ईदगाह मस्जिद की ढाई एकड़ जमीन भगवान श्री कृष्ण का जन्मस्थान यानी गर्भगृह है और उस पर हिंदुओं का अधिकार है। याचिका में इसे विवादित ढांचा घोषित किए जाने की मांग की गई है।

हिंदू पक्ष ने इस मामले में राधा रानी को पक्षकार बनाए जाने की मांग की थी और आवेदन दिया था। हिंदू पक्ष का मानना है कि राधा रानी को पक्षकार बनाए बिना मामले की सुनवाई अधूरी है।यह विवाद मथुरा में मुगल बादशाह औरंगजेब के समय की शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़ा है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसे भगवान कृष्ण के जन्मस्थान पर स्थित मंदिर को तोड़कर बनाया गया था।

वहीं, मुस्लिम पक्ष शाही ईदगाह की जमीन को एक वैध धार्मिक स्थल बताता है। मथुरा की श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद का मामला बेशक इलाहाबाद हाई कोर्ट में चल रहा है लेकिन पिछले दिनों एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई में हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया था। याचिका में हिंदू पक्ष को अपनी याचिका में संशोधन करने और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को मामले में पक्षकार के रूप में जोड़ने की अनुमति दी गई थी। पीठ ने कहा था कि हिंदू पक्ष की तरफ से मूल याचिका में संशोधन की अनुमति दी जानी चाहिए। हिंदू पक्ष ने हाई कोर्ट का रुख करते हुए कहा था कि विवादित ढांचा एएसआई के तहत एक संरक्षित स्मारक है और पूजा स्थल संरक्षण अधिनियम भी ऐसे स्मारक पर लागू नहीं होगा।

बाल हुए लंबे तो टीचर ने लड़कों की बना दी चोटी , सोशल मीडिया पर हो रहा वायरल

डेस्क:–देश में सोशल मीडिया का क्रेज इतना बढ़ गया है ।की आज के समय में कभी भी कही भी कोई घटना होती नहीं की उसका वीडियो, लोग पहले बना लेते हैं। और अपने मोबाइल के जरिये सोशल मीडिया पर अपलोड भी कर देते हैं। और वीडियो वायरल भी हो जाता है। आपको सोशल मीडिया पर ऐसे ऐसे अनोखे वीडियो देखने को मिल जायेंगे की आप भी उसे देख है। हैरान तो रह ही जायेंगें ,और आपको हंसी भी आएगी जो आपका दिन अच्छा भी कर सकती है। और सायद कुछ ऐसे वीडियो भी होंगे जो देखने के बाद आप परेशान भी हो सकते हैं। बचपन में आप भी जब स्कूल जाते होंगे तो अपने भी अपनी टीचर के मुँह से ये बात कहते हुए ज़रूर सुनी होगी की अगर किसी के बाल लम्बे हुए तो उसके बालों की चोटी बना दी जाएगी।

सबके लिए अपने स्कूल के दिन बहुत ही यादगर होते हैं। बच्चे अपने स्कूल के समय में न जाने क्या - क्या करते हैं। स्कूल ख़तम होने के बाद लोगों को अपने स्कूल में बिताये गए एक - एक पल याद आते हैं। चाहे वो दोस्तों के साथ मस्ती हो या स्कूल बंक करके दोस्तों के साथ क्लास से भाग जाना या टीचर से मार खाना हो कभी टीचर बच्चों को उनके स्कूल बैग के लिए डाटते थे। तो कभी उनके लम्बे नाखून के लिए फिर भी बच्चे टीचर की बात नहीं मानते थे। लेकिन आज तो ये बात सच हो गई है। की सच में टीचर ने लड़कों के लम्बे बाल देख कर उनके बालों की चोटी बना दी और इसका वीडियो सोशल मीडिया पर भी काफी तेज़ी से वायरल हो रहा है। और लोग इस वीडियो को देख कर काफी हंस भी रहे हैं।

वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा

इस वीडियो में आपने देखा होगा की किस तरह जमीन पर एक मैट बिछी हुई है। और उसपर बहुत सारे स्टूडेंट जमीन पर बैठे हुए हैं। और उनके बाल लम्बे होने के कारण उनके बालों की चोटी बना दी गयी है और इसका वीडियो एक्स प्लेटफार्म पर भी तेज़ी से वायरल हो रहा है। और इसे देखकर लोग इसका काफी मजाक भी बना रहे हैं। इस वीडियो के कैप्शन में लिखा है की कल अगर लम्बे बाल लेकर स्कूल आये तो फिर से चोटी बना दूंगी।
यूपी में 5 साल की मासूम के साथ हैवानियत की सारी हदें पार,बच्ची के साथ दरिंदगी का चौंकाने वाला खुलासा

डेस्क:–उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के लालगंज थाना क्षेत्र में 2 दिन पहले 5 साल की एक मासूम बच्ची के साथ हुई दरिंदगी का खुलासा हो गया है. बच्ची की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट सामने आ गई है. जिसमें चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट को तैयार करने वाले डॉक्टरों के अनुसार, बच्ची के साथ बोथ साइड रेप और हाथ पैर की टूटी हड्डी, गला दबाने के साथ गला काटने की पुष्टि हुई है.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, लालगंज थाना क्षेत्र के प्रभारी शशांक शेखर राय ने बताया कि पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार बच्ची के साथ दरिंदगी की खुलासा हुआ है. पुलिस की पांच टीम आरोपी की तलाश में जुट गई है.

बेहद ही शर्मनाक घटना

लालगंज चौकी क्षेत्र में पाँच साल की इस मासूम के साथ हुई ये घटना किसी भी सभ्य समाज के लिए शर्मनाक है. एक नन्हीं जान, जो अभी दुनिया को ठीक से समझ भी नहीं पाई थी, उसे हैवानियत की ऐसे दौर से गुजरना पड़ा कि उसे अपने शब्दों में बता पाना इतना आसान नहीं है. लालगंज का यह गाँव, जो कल तक अपनी सादगी और शांत माहौल के मशहूर था, आज यहां हर घर में मातम और खौफ का माहौल है.

दादी की तलाश में घर से निकली थी बच्ची

बता दें कि बीते रविवार को एक पांच साल की मासूम, अपनी दादी की तलाश में अपने घर से निकली थी. उसे इस बात का तनिक भी अंदाजा नहीं था कि कोई दरिंदा घर के बाहर उसके जीवन को खत्म करने के लिए इंतजार कर रहा है. ऐसे में वह घर नहीं लौटी, और जब लौटी तो उसके बेजान, क्षत-विक्षत शरीर को देखकर सबकी रूह कांप उठी.

थानेदार लालगंज से मिली जानकारी के अनुसार, बच्ची के साथ 'बोथ साइड रेप' किया गया. इसके बाद जिस क्रूरता से मासूम की हत्या की गई, उस दरिंदे का मकसद केवल मासूम का रेप नहीं, बल्कि उसे तड़पा-तड़पाकर मौत के घाट उतारना था.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

मासूम की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, दरिंदे ने उसे मारने के लिए उसे पैर पकड़कर सिर के बल ज़ोर से पटका. इसके साथ ही मासूम की दोनों हाथों की हड्डियां को तोड़ा गया. वहीं एक पैर की भी हड्डी टूटी हुई थी. इसके अलावा मासूम के पेट पर कई जोरदार घूंसे मारे गए थे, जिससे उसकी सीने की हड्डी भी टूटी हुई थी. इतना ही नहीं, इस दरिंदे ने बच्ची के गले को जोर से दबाने के बाद उसका गला काट दिया.

मामले में क्या बोले SP?

इस बीच मामले में एसपी अभिनंदन का कहना है कि "यह एक बेहद संवेदनशील और गंभीर मामला है. हमने 5 टीमें गठित की हैं, जो मामले के संबंध में 24 घंटे काम कर रही है. हमारी पहली प्राथमिकता आरोपी को जल्द से जल्द पकड़ने की है. हम मामले की हट पहले से जांच कर रहे हैं. हम गांव वालों से भी पूरी सहयोग की अपेक्षा करते हैं. हम इस मासूम को न्याय दिलाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं."
2027 तक प्रदेश को बाल श्रम से पूरी तरह मुक्त करने का लक्ष्य–योगी

डेस्क:–उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बाल श्रम के विरुद्ध निर्णायक अभियान की शुरुआत हो चुकी है। योगी सरकार ने वर्ष 2027 तक प्रदेश को बाल श्रम से पूरी तरह मुक्त करने का लक्ष्य तय करते हुए बहुआयामी योजनाओं को जमीन पर उतार दिया है। जागरूकता से लेकर शिक्षा और पुनर्वासन तक, हर स्तर पर ठोस प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि बचपन को मजबूरी नहीं, अवसर मिल सके। योगी सरकार का यह अभियान अब सिर्फ सरकारी फाइलों तक सीमित नहीं है, बल्कि हर गांव, हर गली तक पहुंच चुका है, जहां बचपन मुस्कुरा रहा है और भविष्य आकार ले रहा है। बाल श्रम की रोकथाम के लिए 12 जून को अंतर्राष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस के माध्यम से विशेष जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाने का प्रस्ताव है। इन कार्यक्रमों के माध्यम से समाज को यह संदेश दिया जाएगा कि बच्चों का स्थान केवल स्कूल में है, श्रम में नहीं। इसके लिए विभिन्न विभागों के माध्यम से समन्वय बनाकर जागरूकता अभियान को धार दी जाएगी।

योगी सरकार के प्रयासों से अब तक 10,336 बाल श्रमिकों की पहचान की जा चुकी है। वर्ष 2017-18 से 2024-25 तक 12,426 बाल श्रमिकों का शैक्षिक पुनर्वासन कराया गया है, ताकि ये बच्चे फिर से विद्यालय में जाकर एक नई शुरुआत कर सकें। यही नहीं, इन बच्चों के परिवारों को भी सरकार ने अकेला नहीं छोड़ा। कुल 1,089 परिवारों को आर्थिक पुनर्वासन के जरिए सहायता दी गई है, ताकि वे मजबूरीवश अपने बच्चों से काम न करवाएं।

यही नहीं, योगी सरकार द्वारा संचालित ‘बाल श्रमिक विद्या योजना’ के अंतर्गत दो हजार कामकाजी बच्चों को स्कूलों में दाखिला दिलाया गया है और उन्हें आर्थिक सहायता भी प्रदान की गई, जिससे उनके पढ़ाई के रास्ते में कोई बाधा न आए। यह योजना न केवल शिक्षा को बढ़ावा देती है, बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण को भी बदलने का काम कर रही है। इसके अलावा, बंधुआ मजदूरी के खिलाफ भी सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। वर्ष 2017-18 से 2024-25 तक कुल 1,408 बंधुआ श्रमिकों का पुनर्वासन कर उन्हें 1,817.21 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी गई है। यह प्रयास उन्हें स्वतंत्र और गरिमामय जीवन की ओर ले जाने में एक बड़ा कदम साबित हो रहा है।