किसानों से उच्च जीएसवीए वाली फसलों को अपनाने का आग्रह, कृषि निदेशक ने की समीक्षा बैठक
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* उत्तर प्रदेश को वन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए कृषि क्षेत्र की निर्णायक भूमिका है
लखनऊ। प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने और खरीफ सीजन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए शुक्रवार को कृषि निदेशक की अध्यक्षता में एक राज्य स्तरीय समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के सभी मंडलों के संयुक्त कृषि निदेशक, जनपदीय उप कृषि निदेशक, जिला कृषि अधिकारी, कृषि रक्षा अधिकारी और मृदा परीक्षण अधिकारी शामिल हुए।
बैठक का मुख्य फोकस किसानों को उच्च ग्रॉस स्टेट वैल्यू एडेड (जीएसवीए) वाली फसलों की ओर प्रेरित करना था। निदेशक ने कहा कि भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने और उत्तर प्रदेश को वन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए कृषि क्षेत्र की निर्णायक भूमिका है। प्रदेश की 65% जनसंख्या कृषि पर निर्भर है और यह क्षेत्र राज्य की अर्थव्यवस्था में 20% का योगदान करता है, जिसमें से 9.3% योगदान केवल फसल उत्पादन का है।
धान और गेहूं जैसी पारंपरिक खाद्यान्न फसलें भले ही ज्यादा बोई जाती हैं, लेकिन उनका प्रति इकाई जीएसवीए कम है। इसके विपरीत, गन्ना, मक्का, दालें (अरहर, उड़द, मूंग) और तिलहनें (मूंगफली, तिल) जैसी फसलें न केवल अधिक जीएसवीए देती हैं, बल्कि प्रसंस्करण व विपणन में भी ज्यादा लाभदायक हैं। सरकार इन फसलों को बढ़ावा देने के लिए त्वरित मक्का विकास कार्यक्रम, नेशनल फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन मिशन ऑन एडिबल ऑइल, और नेचुरल फार्मिंग मिशन जैसी योजनाएं चला रही है। इन योजनाओं के तहत किसानों को तकनीकी प्रशिक्षण, अनुदान, प्रसंस्करण और विपणन से जुड़ी सुविधाएं दी जा रही हैं। कृषि विभाग ने किसानों से आग्रह किया है कि वे अधिक जीएसवीए वाली फसलें अपनाकर उच्च उत्पादकता और लाभ अर्जित करें और प्रदेश के आर्थिक विकास में भागीदार बनें।
Jun 20 2025, 19:15