अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर संस्कृति विभाग के अधीनस्थ संस्थानों द्वारा विविध आयोजन
लखनऊ: उत्तर प्रदेश योग और संस्कृति-ये दोनों न केवल भारत की प्राचीनतम परंपराओं के प्रतीक है, बल्कि आधुनिक समय में भी भारत की पहचान और गौरव के आधार स्तंभ बने हुए हैं। विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, जो ऐतिहासिक, आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत समृद्ध राज्य है, यहां योग एवं संस्कृति का परस्पर गहन संबंध स्पष्ट रूप से देखने को मिलता है। योग कोई केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि एक संपूर्ण जीवन पद्धति है। ऋषियों-मुनियों की तपस्थली रही उत्तर प्रदेश की भूमि योग की परंपरा से सदियों से जुड़ी रही है। काशी, अयोध्या, प्रयागराज, चित्रकूट जैसे पचित्र नगरों ने न केवल धार्मिक जागरण को जन्म दिया, बल्कि योग के सिद्धांतों को जन-जन तक पहुँचाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उत्तर प्रदेश की संस्कृति विविधताओं से भरपूर है। यहाँ की लोककला, लोकसंगीत, नृत्य, शिल्प, त्योहार, मेलों और धार्मिक परंपराओं में गहराई से भारतीय जीवन दर्शन का प्रतिबिंब दिखाई देता है। रासलीला, रामलीला, बिरहा, कजरी, आल्हा जैसी परंपराएँ केवल मनोरंजन नहीं हैं, ये समाज को एकसूत्र में बाँधने वाले सांस्कृतिक सूत्र हैं। प्रदेश का संस्कृति विभाग निरंतर इस धरोहर को संरक्षित और प्रचारित करने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है। योग और संस्कृति एक-दूसरे के पूरक है क्योंकि दोनों का उद्देश्य मानव को भीतर से जागरूक, संतुलित और उन्नत बनाना है। जैसे योग आत्मा और शरीर के बीच संतुलन स्थापित करता है, वैसे ही संस्कृति समाज और व्यक्ति के बीच सामंजस्य को बनाए रखती है।
उत्तर प्रदेश की आत्मा योग और संस्कृति दोनों में ही बसती है। एक मन को साधता है, तो दूसरा समाज को सहेजता है। आज जब पूरा विश्व भारत की ओर योग की प्रेरणा लेने देख रहा है, तब उत्तर प्रदेश इन प्रयासों का नेतृत्व कर एक सशक्त सांस्कृतिक राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दे रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग के अधीनस्थ संस्थानों द्वारा 21 जून, 2025 को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर प्रदेशभर में विविध कार्यक्रमों की श्रृंखला का भव्य आयोजन किया जाएगा। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य योग की महत्ता को जन-जन तक पहुँचाना, स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के साथ आत्मिक एवं शारीरिक शुद्धता की भावना को प्रोत्साहित करना रहा।
इसी क्रम में उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ द्वारा 17 से 21 जून तक पंच दिवसीय कार्यक्रमों की श्रृंखला आयोजित की जा रही है। इस अवसर पर अकादमी के अधिकारियों एवं प्रतिभागी छात्रों द्वारा चंदन, पारिजात, पपीता, आँवला, कल्पवृक्ष तथा शमी के पौधे रोपित किए गए। इसके उपरांत अकादमी सभागार में ’योग विज्ञान’ विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। वाराणसी से डॉ. गौरव मिश्रा ने ऑनलाइन सहभागिता की जबकि योगाचार्य कृष्णदत्त मिश्रा एवं डॉ. अरुण कुमार बरारी ने योग की उपयोगिता और जीवन में इसके महत्व पर विचार रखे। डॉ. बरारी ने शुद्ध वायु के महत्व और वृक्षारोपण के आवश्यक योगदान पर बल दिया। वहीं योगाचार्य श्री मिश्रा ने वायु के प्रयोग एवं योग क्रियाओं की व्याख्या की। कार्यक्रम के अंत में निदेशक डॉ. नाहर द्वारा सभी सहभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया गया।
इस श्रृंखला के अंतर्गत 19 जून, 2025 को प्रातः 6ः00 बजे जनेश्वर मिश्र पार्क, लखनऊ में प्रकृति के सानिध्य में योग विषय पर खुला योग सत्र आयोजित किया जाएगा। इस सार्वजनिक आयोजन में बड़ी संख्या में कलाकारों, विद्यार्थियों तथा स्थानीय नागरिक प्रतिभाग करने के लिए आमंत्रित हैं। कार्यक्रम का प्रवेश द्वार गेट संख्या 2 निर्धारित किया गया है। 20 जून, 2025 को सामूहिक पदयात्रा भी निकाली जाएगी।
इसी क्रम में भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय, लखनऊ द्वारा भी अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में विविध आयोजन शुभारम्भ किया। 16 जून को विश्वविद्यालय में विशेष स्वच्छता अभियान चलाया गया, जिसमें कुलपति प्रो. मांडवी सिंह ने स्वयं भाग लिया और छात्रों, कर्मचारियों एवं संकाय सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि ’योग और स्वच्छता के बीच गहरा संबंध है शुद्ध वातावरण ही स्वस्थ जीवन की नींव है।’ इसके पश्चात विश्वविद्यालय परिसर, आवासीय क्षेत्र, मंदिर प्रांगण और पार्किंग स्थल पर विशेष स्वच्छता अभियान चलाया गया। छात्रों ने कचरा हटाकर, प्लास्टिक मुक्त परिसर का संदेश दिया। कुलसचिव डॉ. सृष्टि धवन ने इसे केवल एक अभियान नहीं, बल्कि जीवनशैली का अंग बताया।
17 और 18 जून को विश्वविद्यालय द्वारा ’ज्ञान और अनुभव का संगम योग’ विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित किया गया, जिसका उद्घाटन प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्यांगना और पद्मविभूषण डॉ. सोनल मानसिंह ने किया। वेबिनार के चार सत्रों में देश-विदेश के ख्यातिप्राप्त योग साधकों, कलाकारों एवं आध्यात्मिक गुरुओं ने योग के विविध पहलुओं पर अपने विचार साझा किए।
इस श्रृंखला के अंतर्गत 19 जून को ’विरासत से विकास योग की भूमिका’ पर परिचर्चा, वृक्ष एवं वनस्पति का मानव जीवन में महत्व विषय पर व्याख्यान, एवं विभिन्न आयु वर्ग की प्रतियोगिताएँ आयोजित की जायेंगी। 20 जून को ’स्वस्थ समाज की ओर बढ़ते कदम -योग मैराथन’, ’सूर्य नमस्कार’ का प्रशिक्षण कार्यक्रम और आंगनबाड़ी की 10 गर्भवती महिलाओं के लिए पारिवारिक संवाद, सकारात्मक जीवनशैली और संतुलित योगाभ्यास पर विशेष क्रियाकलाप किए जाएंगे। साथ ही ’वृक्ष और वनस्पति का मानव जीवन के लिए उपयोग’ विषय पर प्रदर्शनी भी लगाई जाएंगी। 21 जून को माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्टैंडर्ड योगा प्रोटोकॉल के अंतर्गत लाइव टेलीकास्ट के माध्यम से सामूहिक योगाभ्यास कराया जाएगा, जिसमें भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय सहित सभी संस्थानों से छात्रों, शिक्षकों, अधिकारियों, कर्मचारियों और आम जन का प्रतिभाग सुनिश्चित किया जाएगा।
इसके अतिरिक्त उत्तर प्रदेश राज्य अभिलेखागार, राज्य संग्रहालय, राज्य ललित कला अकादमी, कथक केंद्र, उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, वाराणसी, एवं राज्य पुस्तकालयों द्वारा भी योग दिवस पर विशेष व्याख्यान, योग अभ्यास, पुस्तक प्रदर्शनियाँ, पोस्टर प्रतियोगिताएँ एवं जनजागरुकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेंगा।
इन सभी आयोजनों का मुख्य उद्देश्य योग के सार्वभौमिक संदेश को प्रसारित करना, नागरिकों को स्वस्थ एवं संतुलित जीवन की दिशा में प्रेरित करना तथा भारतीय सांस्कृतिक धरोहर के इस अमूल्य ज्ञान को जनसामान्य तक पहुँचना रहा। संस्कृति विभाग की यह पहल न केवल योग को जनांदोलन का रूप देती है, बल्कि यह संदेश भी देती है कि स्वच्छता, पर्यावरण और स्वास्थ्य-तीनों की एकात्म दृष्टि से ही समग्र विकास संभव है।
संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश, अपने अधीनस्थ संस्थानों के माध्यम से आने वाले वर्षों में भी इस प्रकार के जनकल्याणकारी आयोजनों को सतत रूप से करता रहेगा, जिससे न केवल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बल मिलेगा बल्कि भारतीय संस्कृति की गौरवशाली परंपराएं भी और अधिक सशक्त होंगी।
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Jun 19 2025, 14:51