शहरी गरीबों को मिलेगा सस्ता और स्वादिष्ट भोजन: सामुदायिक रसोई की योजना पर राज्य स्तरीय कार्यशाला

सूडा निदेशक अपूर्वा दुबे की अध्यक्षता में विभिन्न राज्यों की योजनाओं और मॉडल्स पर हुआ विचार-विमर्श

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार शहरी क्षेत्रों के गरीब एवं जरूरतमंद नागरिकों को साफ, पौष्टिक और सुलभ दरों पर भोजन उपलब्ध कराने के लिए प्रदेशभर में सामुदायिक रसोई (कम्युनिटी किचन) की स्थापना करने जा रही है। इस योजना को प्रभावी और व्यावहारिक स्वरूप देने हेतु बुधवार को सूडा भवन, लखनऊ में विभिन्न राज्यों के अनुभवों, विशेषज्ञों और हितधारकों के साथ परामर्श कार्यशाला का आयोजन किया गया।

कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए सूडा की निदेशक श्रीमती अपूर्वा दुबे ने कहा कि, “सरकार की प्राथमिकता है कि शहरी गरीबों को न सिर्फ भूख मिटाने के लिए बल्कि पौष्टिक व स्वच्छ भोजन मिल सके।” उन्होंने बताया कि अन्य राज्यों में पहले से संचालित सामुदायिक रसोई मॉडल्स का अध्ययन करते हुए उत्तर प्रदेश में बेहतर ढांचा तैयार किया जाएगा।

दूसरे राज्यों के सफल मॉडल्स हुए प्रस्तुत

उड़ीसा के "आहार योजना" के नोडल अधिकारी चित्तरंजन महोना ने 169 आहार केंद्रों के संचालन एवं नाश्ते से लेकर रात्रिभोज तक के प्रबंधन पर विस्तार से जानकारी दी। मध्य प्रदेश के "दीनदयाल रसोई योजना" के अधिकारी दुर्गेश तिवारी ने राज्य के 166 स्थायी रसोई एवं 25 फूड वैन के संचालन का विवरण साझा किया। आंध्र प्रदेश की "अन्ना कैंटीन योजना" के प्रतिनिधि सुरेश गौड़ ने 15 केंद्रीकृत रसोई और 203 कैंटीन के मॉडल की विस्तृत रूपरेखा रखी।

निजी संस्थाओं और सामाजिक संगठनों की भागीदारी

अक्षय पात्र (लखनऊ) के विक्रांत मोहन ने सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील के सफल संचालन पर प्रस्तुति दी। गैलेंट फाउंडेशन (गोरखपुर) के बृज मोहन जोशी ने अस्पतालों में फूड वैन द्वारा मुफ्त भोजन वितरण पर अनुभव साझा किया।

लखनऊ स्थित मधुरिमा रेस्टोरेंट, अमृत फूड, बीकानेर वाला, होटल राजस्थान, प्रदीप एयर कैटरर्स सहित आईआरसीटीसी, स्नो फाउंटेन आर्किटेक्ट्स व बीओएच किचन स्पेशलिस्ट ने कार्यशाला में भाग लेते हुए तकनीकी और व्यावसायिक सुझाव दिए।

प्रशासनिक सहभागिता

कार्यशाला में विशेष सचिव सत्य प्रकाश पटेल, नगर आयुक्त झांसी सत्य प्रकाश, पूर्व नगर आयुक्त लखनऊ इंद्रजीत सिंह, निदेशक नेडा, उप खाद्य आयुक्त लखनऊ वी.पी. सिंह सहित कई वरिष्ठ अधिकारी और योजना से जुड़े प्रमुख अधिकारी मौजूद रहे।

कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य था कि विभिन्न राज्यों के सफल मॉडल्स और निजी संस्थाओं के अनुभवों से सीखते हुए उत्तर प्रदेश में सामुदायिक रसोई को सुनियोजित, व्यावहारिक और सतत रूप से लागू किया जा सके। निदेशक अपूर्वा दुबे ने सभी प्रतिभागियों के उपयोगी सुझावों को संकलित कर नीति निर्माण में सम्मिलित करने की बात कही।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर संस्कृति विभाग के अधीनस्थ संस्थानों द्वारा विविध आयोजन

लखनऊ: उत्तर प्रदेश योग और संस्कृति-ये दोनों न केवल भारत की प्राचीनतम परंपराओं के प्रतीक है, बल्कि आधुनिक समय में भी भारत की पहचान और गौरव के आधार स्तंभ बने हुए हैं। विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, जो ऐतिहासिक, आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत समृद्ध राज्य है, यहां योग एवं संस्कृति का परस्पर गहन संबंध स्पष्ट रूप से देखने को मिलता है। योग कोई केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि एक संपूर्ण जीवन पद्धति है। ऋषियों-मुनियों की तपस्थली रही उत्तर प्रदेश की भूमि योग की परंपरा से सदियों से जुड़ी रही है। काशी, अयोध्या, प्रयागराज, चित्रकूट जैसे पचित्र नगरों ने न केवल धार्मिक जागरण को जन्म दिया, बल्कि योग के सिद्धांतों को जन-जन तक पहुँचाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

उत्तर प्रदेश की संस्कृति विविधताओं से भरपूर है। यहाँ की लोककला, लोकसंगीत, नृत्य, शिल्प, त्योहार, मेलों और धार्मिक परंपराओं में गहराई से भारतीय जीवन दर्शन का प्रतिबिंब दिखाई देता है। रासलीला, रामलीला, बिरहा, कजरी, आल्हा जैसी परंपराएँ केवल मनोरंजन नहीं हैं, ये समाज को एकसूत्र में बाँधने वाले सांस्कृतिक सूत्र हैं। प्रदेश का संस्कृति विभाग निरंतर इस धरोहर को संरक्षित और प्रचारित करने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है। योग और संस्कृति एक-दूसरे के पूरक है क्योंकि दोनों का उद्देश्य मानव को भीतर से जागरूक, संतुलित और उन्नत बनाना है। जैसे योग आत्मा और शरीर के बीच संतुलन स्थापित करता है, वैसे ही संस्कृति समाज और व्यक्ति के बीच सामंजस्य को बनाए रखती है।

उत्तर प्रदेश की आत्मा योग और संस्कृति दोनों में ही बसती है। एक मन को साधता है, तो दूसरा समाज को सहेजता है। आज जब पूरा विश्व भारत की ओर योग की प्रेरणा लेने देख रहा है, तब उत्तर प्रदेश इन प्रयासों का नेतृत्व कर एक सशक्त सांस्कृतिक राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दे रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग के अधीनस्थ संस्थानों द्वारा 21 जून, 2025 को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर प्रदेशभर में विविध कार्यक्रमों की श्रृंखला का भव्य आयोजन किया जाएगा। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य योग की महत्ता को जन-जन तक पहुँचाना, स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के साथ आत्मिक एवं शारीरिक शुद्धता की भावना को प्रोत्साहित करना रहा।

इसी क्रम में उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ द्वारा 17 से 21 जून तक पंच दिवसीय कार्यक्रमों की श्रृंखला आयोजित की जा रही है। इस अवसर पर अकादमी के अधिकारियों एवं प्रतिभागी छात्रों द्वारा चंदन, पारिजात, पपीता, आँवला, कल्पवृक्ष तथा शमी के पौधे रोपित किए गए। इसके उपरांत अकादमी सभागार में ’योग विज्ञान’ विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। वाराणसी से डॉ. गौरव मिश्रा ने ऑनलाइन सहभागिता की जबकि योगाचार्य कृष्णदत्त मिश्रा एवं डॉ. अरुण कुमार बरारी ने योग की उपयोगिता और जीवन में इसके महत्व पर विचार रखे। डॉ. बरारी ने शुद्ध वायु के महत्व और वृक्षारोपण के आवश्यक योगदान पर बल दिया। वहीं योगाचार्य श्री मिश्रा ने वायु के प्रयोग एवं योग क्रियाओं की व्याख्या की। कार्यक्रम के अंत में निदेशक डॉ. नाहर द्वारा सभी सहभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया गया।

इस श्रृंखला के अंतर्गत 19 जून, 2025 को प्रातः 6ः00 बजे जनेश्वर मिश्र पार्क, लखनऊ में प्रकृति के सानिध्य में योग विषय पर खुला योग सत्र आयोजित किया जाएगा। इस सार्वजनिक आयोजन में बड़ी संख्या में कलाकारों, विद्यार्थियों तथा स्थानीय नागरिक प्रतिभाग करने के लिए आमंत्रित हैं। कार्यक्रम का प्रवेश द्वार गेट संख्या 2 निर्धारित किया गया है। 20 जून, 2025 को सामूहिक पदयात्रा भी निकाली जाएगी।

इसी क्रम में भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय, लखनऊ द्वारा भी अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में विविध आयोजन शुभारम्भ किया। 16 जून को विश्वविद्यालय में विशेष स्वच्छता अभियान चलाया गया, जिसमें कुलपति प्रो. मांडवी सिंह ने स्वयं भाग लिया और छात्रों, कर्मचारियों एवं संकाय सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि ’योग और स्वच्छता के बीच गहरा संबंध है शुद्ध वातावरण ही स्वस्थ जीवन की नींव है।’ इसके पश्चात विश्वविद्यालय परिसर, आवासीय क्षेत्र, मंदिर प्रांगण और पार्किंग स्थल पर विशेष स्वच्छता अभियान चलाया गया। छात्रों ने कचरा हटाकर, प्लास्टिक मुक्त परिसर का संदेश दिया। कुलसचिव डॉ. सृष्टि धवन ने इसे केवल एक अभियान नहीं, बल्कि जीवनशैली का अंग बताया।

17 और 18 जून को विश्वविद्यालय द्वारा ’ज्ञान और अनुभव का संगम योग’ विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित किया गया, जिसका उद्घाटन प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्यांगना और पद्मविभूषण डॉ. सोनल मानसिंह ने किया। वेबिनार के चार सत्रों में देश-विदेश के ख्यातिप्राप्त योग साधकों, कलाकारों एवं आध्यात्मिक गुरुओं ने योग के विविध पहलुओं पर अपने विचार साझा किए।

इस श्रृंखला के अंतर्गत 19 जून को ’विरासत से विकास योग की भूमिका’ पर परिचर्चा, वृक्ष एवं वनस्पति का मानव जीवन में महत्व विषय पर व्याख्यान, एवं विभिन्न आयु वर्ग की प्रतियोगिताएँ आयोजित की जायेंगी। 20 जून को ’स्वस्थ समाज की ओर बढ़ते कदम -योग मैराथन’, ’सूर्य नमस्कार’ का प्रशिक्षण कार्यक्रम और आंगनबाड़ी की 10 गर्भवती महिलाओं के लिए पारिवारिक संवाद, सकारात्मक जीवनशैली और संतुलित योगाभ्यास पर विशेष क्रियाकलाप किए जाएंगे। साथ ही ’वृक्ष और वनस्पति का मानव जीवन के लिए उपयोग’ विषय पर प्रदर्शनी भी लगाई जाएंगी। 21 जून को माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्टैंडर्ड योगा प्रोटोकॉल के अंतर्गत लाइव टेलीकास्ट के माध्यम से सामूहिक योगाभ्यास कराया जाएगा, जिसमें भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय सहित सभी संस्थानों से छात्रों, शिक्षकों, अधिकारियों, कर्मचारियों और आम जन का प्रतिभाग सुनिश्चित किया जाएगा।

इसके अतिरिक्त उत्तर प्रदेश राज्य अभिलेखागार, राज्य संग्रहालय, राज्य ललित कला अकादमी, कथक केंद्र, उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, वाराणसी, एवं राज्य पुस्तकालयों द्वारा भी योग दिवस पर विशेष व्याख्यान, योग अभ्यास, पुस्तक प्रदर्शनियाँ, पोस्टर प्रतियोगिताएँ एवं जनजागरुकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेंगा।

इन सभी आयोजनों का मुख्य उद्देश्य योग के सार्वभौमिक संदेश को प्रसारित करना, नागरिकों को स्वस्थ एवं संतुलित जीवन की दिशा में प्रेरित करना तथा भारतीय सांस्कृतिक धरोहर के इस अमूल्य ज्ञान को जनसामान्य तक पहुँचना रहा। संस्कृति विभाग की यह पहल न केवल योग को जनांदोलन का रूप देती है, बल्कि यह संदेश भी देती है कि स्वच्छता, पर्यावरण और स्वास्थ्य-तीनों की एकात्म दृष्टि से ही समग्र विकास संभव है।

संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश, अपने अधीनस्थ संस्थानों के माध्यम से आने वाले वर्षों में भी इस प्रकार के जनकल्याणकारी आयोजनों को सतत रूप से करता रहेगा, जिससे न केवल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बल मिलेगा बल्कि भारतीय संस्कृति की गौरवशाली परंपराएं भी और अधिक सशक्त होंगी।

सम्पर्क सूत्र- केवल

रायबरेली के प्राचीन झारखंडेश्वर मंदिर का होगा सौन्दर्यीकरण : जयवीर सिंह

* झारखंडेश्वर शिव मंदिर को 29.15 लाख रुपए की लागत से सजाया-संवारा जा रहा

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार घरेलू और विदेशी पर्यटकों को राज्य की ओर आकर्षित कर निवेश एवं रोजगार के साधन सृजित करने के उद्देश्य से प्रदेश के समस्त जनपदों के कम ख्याति वाले धार्मिक स्थलों का पर्यटन सौंदर्यीकरण तथा बुनियादी सुविधाएं सुलभ कराने का प्रयास कर रही है। श्रद्धालुओं के अवस्थापना सुविधाओं के लिए विभिन्न पर्यटन विकास योजनाएं संचालित की जा रही है। इसी के तहत रायबरेली के जगतपुर विकासखंड स्थित टांघन गांव के झारखंडेश्वर शिव मंदिर को 29.15 लाख रुपए की लागत से सजाया-संवारा जा रहा है।

यह जानकारी प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने दी। उन्होंने बताया कि रायबरेली में बुनियादी सुविधाएं सुलभ कराने के लिए परियोजना को स्वीकृति मिली है। इसका मुख्य उद्देश्य पर्यटन को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ स्थानीय लोगों को रोजगार के साधन भी सुलभ कराना है। उन्होंने बताया कि उप्र पर्यटन क्षेत्र में तेजी से उभर रहा है। जिसके कारण राज्य में आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों की संख्या में निरंतर वृद्धि देखी जा रही है। उन्होंने ये भी कहा कि अयोध्या, काशी और प्रयागराज जो स्पिरिचुअल ट्रायंगल बनाते हैं, पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं।

पर्यटन मंत्री ने बताया कि रायबरेली जिले के जगतपुर विकासखंड के ग्राम टंघन स्थित ऐतिहासिक झारखंडेश्वर शिव मंदिर का सौंदर्यीकरण एवं पर्यटन विकास कार्य कराया जा रहा है। इस परियोजना पर 29.15 लाख रुपए खर्च होंगे। योजना के तहत मंदिर परिसर का समग्र विकास किया जाएगा, जिसमें सौंदर्यीकरण कार्यों के साथ-साथ पर्यटकों की सुविधाओं में बढ़ोतरी, मूलभूत ढांचागत सुविधाओं का सुदृढ़ीकरण सहित अन्य आवश्यक निर्माण कार्य शामिल हैं। झारखंडेश्वर महादेव मंदिर वर्षों से श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। यह मंदिर 100 वर्षों से भी अधिक पुराना है। मंदिर से जुड़ी कई रोचक कहानियां स्थानीय लोगों द्वारा सुनी जा सकती है। रायबरेली के इस मंदिर में सावन के महीने में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।

जयवीर सिंह ने बताया कि पर्यटन विकास कार्यों से न केवल धार्मिक स्थलों का महत्व बढ़ेगा, बल्कि क्षेत्रीय पर्यटन को भी नया आयाम मिलेगा। साथ ही स्थानीय श्रद्धालुओं और आगंतुकों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध होंगी। यह पहल क्षेत्र के समग्र विकास और अल्पज्ञात धार्मिक स्थलों की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर उत्तर प्रदेश में संस्कृति और योग का अनूठा संगम

प्रदेशभर में योग, वृक्षारोपण, स्वच्छता अभियान और सांस्कृतिक आयोजनों की धूम

लखनऊ। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 के उपलक्ष्य में उत्तर प्रदेश के संस्कृति विभाग एवं अधीनस्थ संस्थानों द्वारा 16 से 21 जून तक प्रदेशव्यापी विविध कार्यक्रमों की श्रृंखला आरंभ की गई है। यह आयोजन योग, स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक मूल्यों के समन्वय से प्रदेश में समग्र चेतना और संतुलित जीवनशैली को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक अभिनव पहल है।

संस्कृति विभाग के अनुसार, योग सिर्फ शारीरिक व्यायाम नहीं बल्कि भारत की गहन सांस्कृतिक विरासत का एक जीवंत स्वरूप है, जिसे उत्तर प्रदेश की पावन भूमि- काशी, अयोध्या, चित्रकूट और प्रयागराज- ने सदियों से पोषित किया है। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए प्रदेश के संगीत, नाटक, ललित कला, पुस्तकालय और संग्रहालय संस्थान एकजुट होकर योग के जनजागरण अभियान को सशक्त स्वरूप दे रहे हैं।

लखनऊ में पंचदिवसीय कार्यक्रमों की शुरुआत

उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ में 17 जून को वृक्षारोपण और 'योग विज्ञान' विषयक परिचर्चा से पंचदिवसीय आयोजन का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम में चंदन, पारिजात, आँवला आदि औषधीय पौधों का रोपण किया गया। योगाचार्य कृष्णदत्त मिश्रा और डॉ. अरुण बरारी ने योग एवं पर्यावरण की महत्ता पर विस्तार से चर्चा की। 19 जून को प्रातः 6 बजे जनेश्वर मिश्र पार्क में 'प्रकृति के सानिध्य में योग' विषय पर खुला योग सत्र आयोजित किया जाएगा। इसके बाद 20 जून को सामूहिक पदयात्रा का आयोजन होगा।

भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय की भागीदारी

भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय, लखनऊ द्वारा 16 जून को विशेष स्वच्छता अभियान चलाया गया जिसमें कुलपति प्रो. मांडवी सिंह ने स्वयं भाग लिया। 17–18 जून को 'ज्ञान और अनुभव का संगम: योग' विषय पर अंतरराष्ट्रीय वेबिनार आयोजित किया गया जिसका उद्घाटन प्रसिद्ध नृत्यांगना पद्मविभूषण डॉ. सोनल मानसिंह ने किया।

आगामी कार्यक्रमों में 19 जून को 'विरासत से विकास में योग की भूमिका' पर परिचर्चा, वृक्ष-वनस्पति प्रदर्शनी, और योग प्रतियोगिताएँ होंगी। 20 जून को 'योग मैराथन', सूर्य नमस्कार प्रशिक्षण, और गर्भवती महिलाओं के लिए पारिवारिक संवाद जैसे विशेष कार्यक्रम रखे गए हैं। 21 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्टैंडर्ड योग प्रोटोकॉल के अंतर्गत सामूहिक योगाभ्यास का सीधा प्रसारण होगा।

अन्य संस्थानों की विशेष भागीदारी

राज्य ललित कला अकादमी, राज्य संग्रहालय, कथक केंद्र, उत्तर मध्य सांस्कृतिक केंद्र (वाराणसी), राज्य पुस्तकालय, और राज्य अभिलेखागार सहित कई संस्थान योग पर आधारित पुस्तक प्रदर्शनियाँ, योग अभ्यास सत्र, पोस्टर प्रतियोगिताएं और जनजागरूकता अभियान आयोजित कर रहे हैं। संस्कृति विभाग की इस पहल का उद्देश्य योग के सार्वभौमिक संदेश को जन-जन तक पहुँचाना, स्वस्थ समाज का निर्माण करना और भारत की गौरवशाली सांस्कृतिक परंपराओं को नई पीढ़ी से जोड़ना है। यह आयोजन योग को केवल शारीरिक व्यायाम न मानकर आध्यात्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक आंदोलन के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक सशक्त कदम है।

कृषि मंत्री ने किसानों से धान की सीधी बुवाई अपनाने का किया आग्रह

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने प्रदेश के किसानों से धान की सीधी बुवाई (डीएसआर) को अपनाने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि यह तकनीक कम लागत, कम पानी की खपत और पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से अत्यंत लाभकारी है। धान की सीधी बुवाई से न केवल किसानों का श्रम व समय बचेगा, बल्कि यह विधि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने में भी सहायक सिद्ध होगी।

कृषि मंत्री श्री शाही ने कहा कि पारंपरिक धान की रोपाई की तुलना में डीएसआर तकनीक से किसानों को 7 से 10 दिन पहले फसल प्राप्त हो जाती है, जिससे अगली फसल की समय से तैयारी करना संभव हो पाता है। उन्होंने बताया कि धान की सीधी बुवाई से मीथेन जैसी हानिकारक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में भी कमी आती है, जो पर्यावरण के लिए लाभकारी है।

श्री शाही ने किसानों को अवगत कराया कि धान की सीधी बुवाई की दो प्रमुख विधियां हैं: सूखे खेत में बुवाई और तर-वतर (मॉइश्चर) बुवाई। सिंचित क्षेत्रों में तर-वतर विधि अधिक कारगर है, जिसमें बुवाई से पहले पलेवा कर खेत को अच्छी तरह से तैयार किया जाता है। इस विधि में बुवाई के बाद पहली सिंचाई 15 से 21 दिन बाद करनी होती है, जिससे पानी की काफी बचत होती है और खरपतवार भी नियंत्रित रहते हैं।

कृषि मंत्री ने कहा कि वर्षा आधारित क्षेत्रों में भी सूखे खेत में मशीन से सीधे बुवाई की जा सकती है, परंतु इन क्षेत्रों में फसल के महत्वपूर्ण अवस्थाओं, जैसे पुष्पक्रम प्रारंभ और दाना भरने के समय पानी की कमी नहीं होनी चाहिए। चिकनी मिट्टी में सतही दरारें सिंचाई की आवश्यकता का संकेत होती हैं।

कृषि मंत्री ने जानकारी दी कि बुवाई का उपयुक्त समय 20 मई से 30 जून तक है, जिसमें मानसून आगमन से पहले की अवधि सबसे बेहतर है। उन्होंने किसानों को प्रमाणित व उपचारित बीजों का प्रयोग करने की सलाह दी। बुवाई के समय उर्वरक प्रबंधन, खरपतवार नियंत्रण और पौध पोषण के लिए वैज्ञानिक अनुशंसाओं का पालन करना अत्यंत आवश्यक है।

राजस्व परिषद बनाएगा खतौनी और नक्शे की प्रक्रिया को आसान

मानचित्रों को शुद्धता के साथ गूगल मानचित्र की तरह उपलब्ध कराने की देगा सुविधा

राजस्व परिषद अध्यक्ष की अध्यक्षता में प्रांतीय सिविल सेवा के प्रशासनिक अधिकारियों (प्रशिक्षु) को दिया गया प्रशिक्षण

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर उत्तर प्रदेश के किसानों को जल्द ही भूमि से संबंधित दस्तावेजों और नक्शों में तकनीकी क्रांति का लाभ मिलने वाला है। अब खतौनी, बैनामे के बाद म्यूटेशन, गाटों की पैमाइश और भू-नक्शों की उपलब्धता को आधुनिक तकनीक से सुसज्जित, सरल और त्रुटिरहित बनाया जाएगा।

यह जानकारी अध्यक्ष, राजस्व परिषद, अनिल कुमार द्वारा राजस्व परिषद कार्यालय स्थित डा भीमराव अम्बेडकर सभागार में प्रांतीय सिविल सेवा (कार्यकारी शाखा) के वर्ष 2023 बैच के लगभग 50 प्रशासनिक अधिकारियों (प्रशिक्षु) को प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान दी गयी। राजस्व परिषद के अध्यक्ष द्वारा अपने सम्बोधन में इन प्रशिक्षु प्रशासनिक अधिकारियों को खतौनी, पैमाइश, नक्शों के महत्व को समझाते हुए इनमें आधुनिक तकनीक को अंगीकृत करने की सलाह के साथ इनका उपयोग किस प्रकार किया जाये, इस पर भी विस्तृत चर्चा की गयी।

प्रशिक्षण कार्यक्रम में राजस्व परिषद के अध्यक्ष द्वारा स्पष्ट किया गया कि आधुनिक तकनीकी का प्रयोग करते हुए रोवर उपकरण तथा सेटेलॉइट इमेज को स्कैन व डिजिटाइज्ड मानचित्रों पर सुपर इम्पोज कर मौके की स्थिति एवं खतौनी से मिलान करने की प्रक्रिया को अपना कर सरल एवं त्रुटिहीन बनाया जा सकता है। कार्यक्रम में उपस्थित प्रशिक्षु अधिकारियों ने अध्यक्ष द्वारा दिये गये इन महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।

केजीएमयू के सर्जनों ने रचा इतिहास, एम्स एमसीएच एंट्रेंस में टॉप रैंकिंग

* देशभर में प्रथम से लेकर सातवीं रैंक तक KGMU के 4 रेजीडेंट्स का दबदबा

लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (KGMU) के युवा सर्जनों ने एम्स एमसीएच प्रवेश परीक्षा 2025 में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त कर संस्थान का नाम राष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया है। एम्स दिल्ली में सुपर स्पेशियलिटी कोर्स में प्रवेश के लिए आयोजित इस परीक्षा में KGMU के चार रेजीडेंट्स ने टॉप-10 में जगह बनाई, जिसमें से दोने टॉप-3 में स्थान हासिल किया।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, ट्रॉमा सर्जरी विभाग की डॉ आकांक्षा ने ट्रॉमा सर्जरी एंड क्रिटिकल केयर में देशभर में प्रथम रैंक प्राप्त की है। वहीं जनरल सर्जरी विभाग की सीनियर रेजीडेंट डॉ आयुषी राज ने एंडोक्राइन सर्जरी में दूसरी रैंक हासिल कर विश्वविद्यालय को गौरवान्वित किया।

इसके अलावा, ट्रॉमा सर्जरी विभाग के ही डॉ विशाल ने तीसरी रैंक, और डॉ अमन ने सातवीं रैंक हासिल की है। ये सभी विद्यार्थी KGMU के कठोर प्रशिक्षण, अनुभव और शिक्षकों की मार्गदर्शक भूमिका का नतीजा हैं।

KGMU के कुलपति ने इस उपलब्धि को “संस्थान की प्रभावशाली मेंटरशिप और श्रेष्ठ अकादमिक माहौल” का प्रमाण बताते हुए कहा कि यह सफलता भविष्य के मेडिकल छात्रों के लिए एक प्रेरणा बनेगी।

इन उपलब्धियों से KGMU ने एक बार फिर खुद को भारत के सुपरस्पेशलिटी सर्जिकल प्रशिक्षण के अग्रणी केंद्र के रूप में सिद्ध कर दिया है।

लखनऊ: विधायक निवास से दिनदहाड़े बाइक चोरी, CCTV में कैद हुई वारदात

* हुसैनगंज थाना क्षेत्र की ओसीआर बिल्डिंग में सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल

लखनऊ। राजधानी लखनऊ के सबसे सुरक्षित माने जाने वाले स्थानों में शुमार विधायक निवास (OCR बिल्डिंग) से दिनदहाड़े एक मोटरसाइकिल चोरी होने का मामला सामने आया है। चोरी की यह वारदात हुसैनगंज थाना क्षेत्र के अंतर्गत हुई है, जिसने सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है।

जानकारी के अनुसार, एक अज्ञात चोर विधायक निवास परिसर में घुसा और मौका पाकर विजय कुमार नामक युवक की बाइक चुरा ले गया। चौंकाने वाली बात यह है कि इस दौरान परिसर के मुख्य गेट पर गार्ड तैनात थे और पुलिस की नियमित गश्त भी हो रही थी, फिर भी चोर आराम से वारदात को अंजाम देने में सफल रहा।

पूरी घटना CCTV कैमरे में रिकॉर्ड हो गई है, जिसमें चोर की तस्वीरें स्पष्ट रूप से देखी जा सकती हैं। पुलिस अब उसी फुटेज के आधार पर चोर की पहचान और गिरफ्तारी की कोशिश कर रही है, लेकिन फिलहाल कोई सफलता हाथ नहीं लगी है।

विधायक निवास जैसे हाई-सिक्योरिटी क्षेत्र में चोरी की यह घटना प्रशासन के लिए गंभीर चुनौती बन गई है। मामले की जांच जारी है।

सड़क किनारे पड़े घायल की मदद को आगे आए पूर्व सीएम अखिलेश यादव

लखनऊ। पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार को मानवीयता की मिसाल पेश की। लखनऊ स्थित सपा कार्यालय के बाहर एक व्यक्ति गंभीर अवस्था में सड़क किनारे बैठा था, जिसे देखकर लोग गुजरते रहे। लेकिन जब अखिलेश यादव अपने काफिले के साथ वहां से गुजरे, तो उन्होंने उस व्यक्ति को देख तुरंत अपना काफिला रुकवाया।

अखिलेश यादव ने न केवल घायल की हालत पूछी, बल्कि अपनी गाड़ी से उसे अस्पताल भिजवाने की व्यवस्था भी की। सपा नेता दारा सिंह यादव घायल व्यक्ति को लेकर तत्काल सिविल अस्पताल पहुंचे, जहां उसका इलाज शुरू कर दिया गया है।

फिलहाल घायल की पहचान स्पष्ट नहीं हो सकी है, लेकिन डॉक्टरों के अनुसार उसकी हालत अब स्थिर है। अखिलेश यादव के इस संवेदनशील कदम की आम लोगों से लेकर राजनीतिक हलकों तक सराहना की जा रही है। सपा कार्यकर्ताओं ने इसे "जनसेवा की असली राजनीति" करार दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री का यह कार्य दर्शाता है कि सच्चे नेता वही होते हैं, जो जनता के दुख-दर्द को प्राथमिकता देते हैं।

महिला एवं बाल विकास मंत्री ने ‘रैपिड रिविजन इन कैमिस्ट्री’ पुस्तक का किया विमोचन

* विज्ञान वर्ग के छात्रों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी पुस्तक

लखनऊ। प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती बेबी रानी मौर्य ने मंगलवार को कक्षा 12 के विज्ञान वर्ग के छात्रों के लिए रसायन विज्ञान विषय पर आधारित पुस्तक ‘रैपिड रिविजन इन कैमिस्ट्री’ का विधिवत विमोचन किया। इस अवसर पर महिला कल्याण विभाग की निदेशक श्रीमती संदीप कौर भी मौजूद रहीं।

पुस्तक के लेखक कान्तिमोय मुखर्जी को रसायन विज्ञान शिक्षण में 28 वर्षों का अनुभव है। मंत्री श्रीमती मौर्य ने कहा कि “मुखर्जी जी ने कठिन विषय को अत्यंत सरल और संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत कर छात्रों के लिए इसे सहज बना दिया है। यह पुस्तक परीक्षा की तैयारी के दौरान विशेष रूप से सहायक सिद्ध होगी।”

निदेशक संदीप कौर ने कहा कि यह पुस्तक न केवल छात्रों की परीक्षा की तैयारी में उपयोगी होगी, बल्कि उनके ज्ञानवर्धन में भी सहायक बनेगी। उन्होंने लेखक की सराहना करते हुए कहा कि सरल भाषा और स्पष्ट अवधारणाओं के माध्यम से रसायन विज्ञान को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया गया है।

कार्यक्रम के अंत में उप निदेशक, महिला कल्याण विभाग, पुनीत कुमार मिश्रा ने मंत्री महोदय और निदेशक का आभार जताया तथा लेखक श्री कान्तिमोय मुखर्जी को उनकी पुस्तक के लिए शुभकामनाएं दीं।