सरकारी जमीन घोटाला: एसडीएम-तहसीलदार के निलंबन की संस्तुति

सरोजनीनगर में भूमाफियाओं की मिलीभगत से जमीन पर अवैध कब्जा

मंडलायुक्त ने शासन को भेजी रिपोर्ट, कई लेखपाल व कानूनगो पर गिरी गाज

लखनऊ। राजधानी लखनऊ के सरोजनीनगर क्षेत्र में सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे को लेकर प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है। एसडीएम सचिन वर्मा और तहसीलदार अरविंद पांडे की भूमिका संदिग्ध पाए जाने पर चार्जशीट तैयार कर शासन को भेजी गई है। जांच में सामने आया कि अधिकारियों की मिलीभगत से भूमाफियाओं ने ग्रामसभा भेहसा (कल्ली पश्चिम) की जमीनों पर कब्जा कर रखा था।

मंडलायुक्त डॉ. रोशन जैकब ने दोनों अधिकारियों को सस्पेंड करने के लिए शासन को पत्र लिखा है। लेखपाल सुनील तिवारी और कानूनगो अशोक पांडे निलंबित होंगे। इसी के साथ लेखपाल मृदुल मिश्रा और संदीप के निलंबन के भी निर्देश दिए गए हैं।

ग्रामसभा भेहसा (कल्ली पश्चिम) का निरीक्षण कर पूरे मामले की पुष्टि करने के बाद 

भूमाफियाओं के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करने के निर्देश जारी किये गए हैं। 

सूत्रों का कहना है कि इस कार्रवाई से भूमाफिया-अधिकारी गठजोड़ पर जहां अब शिकंजा कसा जा रहा है वहीं शासन ने स्पष्ट कर दिया है कि सरकारी जमीन की लूट अब नहीं चलेगी।

मॉडल चाय वाली और महिला सिपाही में भिड़ंत, वीडियो वायरल"

लखनऊ । राजधानी के मड़ियांव थाना क्षेत्र में देर रात उस समय हंगामा मच गया जब ‘मॉडल चाय वाली’ के नाम से मशहूर सिमरन और थाने में तैनात एक महिला सिपाही के बीच हाथापाई हो गई। यह पूरा घटनाक्रम वहां लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया, जिसका वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वहीं पुलिस की कार्य प्रणाली पर भी अब सवाल उठने शुरू हो गए है।

गोरखपुर की मिस रह चुकी सिमरन ने यहां खोल रखी की चाय की दुकान

सिमरन, जो गोरखपुर की रहने वाली हैं और मिस गोरखपुर रह चुकी हैं, लखनऊ में ‘मॉडल चाय’ नाम से चाय की दुकान चलाती हैं। सोशल मीडिया पर उनकी काफी फैन फॉलोइंग है। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस उनसे अभद्रता कर रही थी और दुकान से बाहर खींचते समय एक महिला सिपाही ने उनका कॉलर पकड़कर जबरन खींचने की कोशिश की। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि वसूली न देने पर उनके साथ ऐसा किया गया।

देर रात चाय की दुकान खुली होने पर बंद कराने पहुंची पुलिस

घटना की जानकारी देते हुए इंस्पेक्टर मड़ियांव शिवानंद मिश्रा ने बताया कि सिमरन की दुकान देर रात तक खुली रहती है, जिससे वहां भीड़ लगती है और माहौल बिगड़ने की आशंका रहती है। रविवार रात करीब 12 बजे पुलिस गश्त के दौरान महिला सिपाही ने सिमरन को दुकान बंद करने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। करीब एक बजे फिर से जब सिपाही पहुंचीं तो दोनों के बीच कहासुनी बढ़ गई, जो हाथापाई में बदल गई।

सिमरन ने पुलिस पर अभद्रता करने का लगाया आरोप

हालांकि पुलिस इस मामले में खुलकर कुछ कहने से बच रही है, लेकिन वायरल सीसीटीवी में कुछ पुलिसकर्मी वर्दी में सिमरन के साथ कथित अभद्रता करते नजर आ रहे हैं। वहीं, एडीसीपी नॉर्थ जितेंद्र कुमार ने कहा है कि पूरे मामले की जांच कराई जा रही है और जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसी आधार पर कार्रवाई की जाएगी।फिलहाल यह मामला सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है और पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं।

"वन ट्रिलियन इकोनॉमी" लक्ष्य की ओर उत्तर प्रदेश: भूमि प्रबंधन बना आधारशिला

शहरी भूमि रिकॉर्ड के लिए ‘नक्शा’ पायलट कार्यक्रम में प्रदेश के 10 नगर निकाय चयनित

लखनऊ । उत्तर प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में भूमि प्रबंधन को आधार मानते हुए भारत सरकार द्वारा संचालित डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम और शहरी भूमि रिकॉर्ड तैयार करने की पहल ‘नक्शा’ कार्यक्रम की समीक्षा की गई। समीक्षा बैठक में भूमि संसाधन विभाग, ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार के सचिव मनोज जोशी तथा उत्तर प्रदेश राजस्व परिषद के अध्यक्ष अनिल कुमार ने भाग लिया।

राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों की तरह शहरी भू-अभिलेखों को भी डिजिटल व पारदर्शी बनाने पर कार्य तेज किया जा रहा है। सभी गाटों को भू-आधारित यूनिक आईडी प्रदान की जा रही है, जिसमें स्वामित्व, आकार और जियो-लोकेशन की जानकारी समाहित रहेगी। इससे न केवल संपत्ति कराधान और आपदा प्रबंधन में मदद मिलेगी, बल्कि रियल एस्टेट लेन-देन को भी सुरक्षित बनाया जा सकेगा।

वर्तमान में राज्य में खतौनी, नक्शा, खसरा आदि अभिलेख ऑनलाइन उपलब्ध हैं और भूमि विवादों के निस्तारण हेतु राजस्व न्यायालयों की कम्प्यूटरीकृत प्रणाली चालू है। जल्द ही आधार सीडिंग पूरी होने पर व्यक्ति सिंगल क्लिक में राज्य भर में अपने नाम दर्ज सभी भूमि विवरण देख सकेगा।

शहरी क्षेत्रों में 'नक्शा' कार्यक्रम की शुरुआत

भारत सरकार के ‘नक्शा’ पायलट कार्यक्रम के तहत उत्तर प्रदेश के 10 नगर निकाय चुने गए हैं:

टांडा (अम्बेडकरनगर), नवाबगंज (बाराबंकी), अनूपशहर (बुलंदशहर),

चित्रकूटधाम (चित्रकूट), गोरखपुर (गोरखपुर), हरदोई (हरदोई), झांसी (झांसी), चुनार (मिर्जापुर), पूरनपुर (पीलीभीत), तिलहर (शाहजहाँपुर)।

इन नगरों में अत्याधुनिक ड्रोन एवं जियो-रिफरेंस तकनीकों से भूमि सर्वेक्षण किया जा रहा है जिससे सटीक, GIS-एकीकृत भूमि रिकॉर्ड तैयार होंगे। इससे शहरी क्षेत्रों में स्वामित्व की स्पष्टता, लेन-देन में पारदर्शिता, विवादों में कमी और न्यायिक प्रक्रियाओं में तेजी आएगी।

शहरी नियोजन और निवेश को मिलेगा बल

*

शहरी भूमि रिकॉर्ड के डिजिटल होने से नगरपालिका राजस्व में वृद्धि, आपदा प्रबंधन, अवसंरचना विकास और निजी निवेश को बढ़ावा मिलेगा। अनुमान है कि वर्ष 2031 तक उत्तर प्रदेश की लगभग 40% जनसंख्या शहरी क्षेत्रों में निवास करेगी, ऐसे में शहरी भूमि प्रबंधन की यह पहल अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्ध होगी।

बैठक में भारत सरकार के संयुक्त सचिव कुनाल सत्यार्थी सहित उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव (राजस्व), स्टांप एवं निबंधन विभाग, राजस्व परिषद के अधिकारी तथा चयनित नगर निकायों के नोडल अधिकारी उपस्थित रहे। कार्यान्वयन में आ रही व्यावहारिक चुनौतियों पर भी विचार किया गया।

उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग की जनसुनवाई में कई मामलों का हुआ निस्तारण

लखनऊ । उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग राज्य आयोग के अध्यक्ष राजेश वर्मा द्वारा सोमवार को आयोग कार्यालय, तृतीय तल, इन्दिरा भवन, लखनऊ में विभिन्न जनपदों से प्राप्त शिकायतों एवं पत्रावलियों पर जनसुनवाई कर समस्याओं का निस्तारण किया गया।

सत्यम पटेल बनाम निदेशक, प्रशिक्षण एवं सेवायोजन, उत्तर प्रदेश के पदोन्नति से संबंधित प्रकरण में विभागीय अधिकारी के अनुपस्थित रहने पर गहरी नाराजगी व्यक्त की गई। निदेशक, प्रशिक्षण एवं सेवायोजन को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने तथा प्रमुख सचिव, श्रम एवं सेवायोजन को नोटिस जारी करने के निर्देश दिये गये।

शिवेन्द्र कुमार बनाम प्रमुख सचिव, वित्त विभाग एवं वरिष्ठ कोषाधिकारी, सीतापुर के पारिवारिक पेंशन प्रकरण में जानकारी दी गई कि स्व० राजेन्द्र प्रसाद की पत्नी ज्ञानवती की पारिवारिक पेंशन की धनराशि 23,57,798 रूपए खाते में प्रेषित कर दी गई है। प्रकरण का निस्तारण कर दिया गया।

डा. आर.डी. यादव बनाम निदेशक, होम्योपैथी, उत्तर प्रदेश के वेतन भुगतान संबंधी प्रकरण में निदेशक स्वयं उपस्थित हुए और निस्तारण के लिए एक माह का समय मांगा। आयोग ने प्रकरण की अगली सुनवाई एक माह बाद निर्धारित की है।

शालिनी जायसवाल बनाम पुलिस आयुक्त, लखनऊ के प्रकरण में आरोप लगाया गया कि आयुष गिरी पुलिस लाइन में तैनाती के बावजूद लगातार सुरक्षा ड्यूटी में रहते हैं, जिससे प्रकरण प्रभावित हो रहा है। मामले को गंभीरता से लेते हुए शासन को तत्काल अवगत कराने के निर्देश दिये गये।

अशोक कुमार व अन्य बनाम जिलाधिकारी, प्रतापगढ़ के चकमार्ग से अतिक्रमण हटाने के प्रकरण में उपजिलाधिकारी, रानीगंज के अनुपस्थित रहने पर नाराजगी व्यक्त की गई। निर्देश दिये गये कि यदि अगली तिथि पर उपजिलाधिकारी उपस्थित नहीं होते हैं तो प्रमुख सचिव, नियुक्ति को उनके विरुद्ध कार्रवाई हेतु लिखा जायेगा।

बबिता सिंह बनाम जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, बाराबंकी व हरदोई के वेतन भुगतान से संबंधित प्रकरण में भी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी की अनुपस्थिति पर नाराजगी व्यक्त की गई। इस प्रकरण की अगली सुनवाई 24 जून 2025 को निर्धारित की गई है।

आयोग ने अन्य प्रकरणों में भी अधिकारियों की अनुपस्थिति पर असंतोष व्यक्त करते हुए स्पष्ट किया कि भविष्य में सुनवाई में सक्षम अधिकारियों के अनुपस्थित रहने पर उनके विरुद्ध कार्रवाई हेतु शासन को पत्र भेजा जाएगा।

बिजली की मांग ने बनाया नया रिकॉर्ड: 30,161 मेगावाट पहुंची पीक डिमांड

ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने दिए विद्युत आपूर्ति सुचारु रखने के निर्देश

लखनऊ । उत्तर प्रदेश में भीषण गर्मी और उमस के चलते विद्युत की मांग अप्रत्याशित रूप से बढ़ गई है। प्रदेश में 08 जून की रात को बिजली की पीक डिमांड 30,161 मेगावाट तक पहुंच गई, जो इस वर्ष अब तक की सर्वाधिक मांग है। यह जानकारी प्रदेश के नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने दी।

ऊर्जा मंत्री ने बताया कि बिजली की यह रिकार्ड स्तर की मांग प्रदेश के विद्युत प्रबंधन द्वारा सफलतापूर्वक पूरी की गई। उन्होंने आश्वस्त किया कि आगामी दिनों में यदि मांग 32,000 मेगावाट से भी अधिक होती है, तब भी प्रदेश में बिजली आपूर्ति की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित की जा चुकी है। उन्होंने यह भी बताया कि गत वर्ष अधिकतम मांग 30,618 मेगावाट दर्ज की गई थी।

ऊर्जा मंत्री ने दिए ये मुख्य निर्देश:

प्रदेश के सभी क्षेत्रों में निर्धारित शेड्यूल के अनुसार निरंतर विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित की जाए।

ट्रांसफार्मर के क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में उन्हें समयबद्ध ढंग से बदला जाए।

सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में भी बिजली आपूर्ति नियमित बनी रहे, इसकी सतत मॉनिटरिंग की जाए।

अनुरक्षण कार्यों के कारण अनावश्यक विद्युत बाधा न हो और शटडाउन ऐसी समयावधि में न लिया जाए जिससे जनता को परेशानी हो।

विद्युत व्यवधान की शिकायतों का तत्काल समाधान किया जाए।

श्री शर्मा ने कहा कि भीषण गर्मी के इस दौर में प्रदेशवासियों को किसी प्रकार की असुविधा न हो, इसके लिए समस्त विद्युत कार्मिक पूरी तत्परता और सजगता से कार्य करें। उन्होंने आम जनता से भी सहयोग की अपील की और कहा कि सभी लोग अनावश्यक बिजली की खपत से बचें।

रेरा अध्यक्ष की अध्यक्षता में साप्ताहिक समीक्षा बैठक सम्पन्न

* प्रकरणों के त्वरित निस्तारण व प्रभावी निगरानी को लेकर दिये गए सख्त दिशा-निर्देश

लखनऊ। उत्तर प्रदेश भू-सम्पदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) की साप्ताहिक समीक्षा बैठक रेरा मुख्यालय, लखनऊ में अध्यक्ष श्री भूसरेड्डी की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक में नोएडा कार्यालय के अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए।

बैठक के दौरान अध्यक्ष ने विभिन्न बिंदुओं पर गहन समीक्षा करते हुए संबंधित अधिकारियों को प्राथमिकता के आधार पर प्रकरणों के त्वरित निस्तारण के निर्देश दिये। समीक्षा में धारा-31 के अंतर्गत दायर शिकायतों, अवमानना याचिकाओं, अपीलों, सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट और ट्रिब्यूनल में लंबित वादों, रिट याचिकाओं तथा महत्वपूर्ण प्रकरणों में की जा रही पैरवी की स्थिति पर विशेष ध्यान दिया गया।

इसके अतिरिक्त रेरा पोर्टल से जुड़े तकनीकी बिंदुओं, एजेंटों व प्रमोटरों के मध्य हुए समझौतों, परियोजनाओं में नियमों के अनुपालन, मानव संपदा प्रबंधन तथा रेरा के निर्माणाधीन मुख्यालय भवन की प्रगति की भी समीक्षा की गई। अध्यक्ष ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे अपने दायित्वों का निर्वहन समयबद्ध और समर्पण भाव से करें।

श्री भूसरेड्डी ने बताया कि रेरा द्वारा प्रमोटरों पर सख्त निगरानी और आवश्यक सुधारात्मक कदमों के चलते शिकायतों में उल्लेखनीय कमी आई है और निस्तारण की प्रक्रिया तेज हुई है। उन्होंने सभी अधिकारियों व कर्मचारियों के कार्य की सराहना भी की।

बैठक में रेरा के सचिव महेन्द्र वर्मा, प्रमुख सलाहकार अबरार अहमद, तकनीकी सलाहकार संजय तिवारी, वित्त परामर्शदाता सुधांशु त्रिपाठी, संयुक्त सचिव उमाशंकर सिंह, सहायक निदेशक सिस्टम अमरीश कुमार सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

यूपी सरकार ने दी 13 शहीद सैनिकों के आश्रितों को राजकीय सेवा में नियुक्ति

* देश के प्रति बलिदान देने वाले सैनिकों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलिः प्रमुख सचिव

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा शहीद सैनिकों एवं उनके आश्रितों के कल्याणार्थ एक महत्वपूर्ण एवं संवेदनशील निर्णय के तहत 01 अप्रैल 2017 के पश्चात् कर्तव्य पालन के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए उत्तर प्रदेश मूल निवासी शहीद सैनिकों के आश्रितों को समूह ‘ग‘ एवं ‘घ‘ की श्रेणी में शासकीय सेवाओं में नियुक्त किया जा रहा है।

यह निर्णय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा 19 मार्च 2018 को लिया गया था, जिसका क्रियान्वयन सैनिक कल्याण अनुभाग, उत्तर प्रदेश शासन द्वारा शासनादेश 20 मई 2025 के माध्यम से किया गया है। इस निर्णय को राज्यपाल की स्वीकृति तथा मुख्यमंत्री की अनुमति प्राप्त जिसके क्रम में 06 जून 2025 को निदेशालय सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास, करियप्पा भवन, कैसरबाग, लखनऊ में आयोजित कार्यक्रम में प्रमुख सचिव, समाज एवं सैनिक कल्याण विभाग, एल. वेंकटेश्वर लू, आई.ए.एस. द्वारा 13 शहीद सैनिकों के आश्रितों को राजकीय सेवा में नियुक्ति पत्र प्रदान किये गये। इनमें से 11 शहीद आश्रितों को संबंधित जिलों फर्रुखाबाद, फतेहपुर, एटा, इटावा, देवरिया, मेरठ, बदायूं, प्रतापगढ़, गाजियाबाद, मथुरा एवं हरदोई के जिला सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास कार्यालयों के लिए ऑन-लाइन वेबिनार के माध्यम से नियुक्ति पत्र वितरित किए गए, जबकि 02 शहीद आश्रितों को निदेशालय लखनऊ में प्रत्यक्ष रूप से नियुक्ति पत्र प्रदान किए गए।

नियुक्त शहीद आश्रितों में 07 शहीदों की पत्नियाँ, 02 शहीदों के पुत्र, 02 पुत्रियाँ तथा 02 भाई सम्मिलित हैं। ऑपरेशन स्नो लेपर्ड 07 सैनिक, ऑपरेशन रक्षक/ऑपरेशन मेघदूत 05 सैनिक, युद्धाभ्यास (बैटल इनोकुलेशन) 01 सैनिक इन अभियानों में वीरगति को प्राप्त हुए थे।

प्रमुख सचिव, समाज एवं सैनिक कल्याण विभाग, एल. वेंकटेश्वर लू ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा शहीद सैनिकों के आश्रितों को सेवायोजन प्रदान कर उन्हें सम्मान देने का यह कार्य न केवल संवेदनशीलता एवं उत्तरदायित्व का प्रतीक है, बल्कि यह देश के प्रति सर्वोच्च बलिदान देने वाले सैनिकों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि भी है।

----

*50 हजार लघु किसानों को 1000 करोड़ का ऋण, गांवों में रोजगार के खुले नए द्वार*

ग्रामीण क्षेत्रों में दीर्घकालीन ऋण उपलब्ध कराकर कृषि विकास और रोजगार सृजन कर रही योगी सरकार

साहूकारों व सूदखोरों के शोषण से किसानों को मुक्त कराया गया

हरित क्रांति को गति, खेती के साथ बढ़े स्वरोजगार के अवसर

लखनऊ। योगी सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि विकास और रोजगार सृजन की दिशा में बड़े पैमाने पर कार्य कर रही है। राज्य सरकार ने बीते चार वर्ष में 50 हजार से अधिक लघु और सीमांत किसानों को एक हजार करोड़ रुपये से अधिक का दीर्घकालीन ऋण वितरित किया है। यह ऋण न केवल किसानों की कृषि गतिविधियों को गति देने में सहायक सिद्ध हो रहा है, बल्कि रोजगार सृजन और पूंजी निर्माण का भी मजबूत आधार बन रहा है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य सरकार ने हरित क्रांति के नए अध्याय की शुरुआत की है। किसानों को दीर्घकालीन ऋण उपलब्ध कराकर खेती को लाभकारी बनाने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। यह ऋण किसानों के लिए खेती के साथ-साथ कृषि आधारित स्वरोजगार की योजनाओं में भी मददगार साबित हो रहा है।

साहूकारों और सूदखोरों के शोषण से मुक्ति

योगी सरकार की नीतियों के चलते अब किसानों को साहूकारों और सूदखोरों के शोषण से मुक्ति मिल रही है। राज्य सरकार की ऋण योजनाएं पारदर्शी और लाभकारी हैं, जिससे किसानों का भरोसा संस्थागत वित्तीय व्यवस्थाओं पर बढ़ा है।

ग्राम विकास बैंक बना ग्रामीण क्षेत्रों का आधार

योगी सरकार ने मुख्यमंत्री कृषक समृद्धि योजना के अंतर्गत किसानों की आमदनी बढ़ाने का अभियान छेड़ रखा है। जहां व्यावसायिक बैंकों की पहुंच नहीं थी, वहां उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक ने किसानों का साथ निभाया। यह बैंक ग्रामीण अंचलों में दीर्घकालीन ऋण पहुंचाकर कृषि विकास को नई दिशा दे रहा है। खासकर उन क्षेत्रों में, जहां बैंकिंग सेवाएं सीमित थीं, वहां यह बैंक किसानों की आर्थिक रीढ़ बना है।

डेयरी, पशुपालन, बागवानी से जुड़ रहे युवा

योगी सरकार द्वारा चलाई जा रही रोजगारपरक और आय अर्जक योजनाओं से गांवों में स्वरोजगार के अवसर बढ़े हैं। इन योजनाओं में दीर्घकालीन ऋण से युवाओं को डेयरी, पशुपालन, बागवानी जैसी योजनाओं से जोड़ा जा रहा है, जिससे गांवों में आर्थिक गतिविधियां तेज हुई हैं।

राज्य संग्रहालय में बच्चों ने रची रंगों की दुनिया, "खुशियों की पाठशाला" में हुआ कोस्टर आर्ट का आयोजन

लखनऊ। राज्य संग्रहालय, लखनऊ (संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार) द्वारा आयोजित "खुशियों की पाठशाला" कार्यक्रम के तहत आज "Draw, Paint and Play: Coaster Art All Day" विषयक रचनात्मक सत्र का आयोजन किया गया।

इस कला-केंद्रित कार्यक्रम में 4 से 14 वर्ष की उम्र के 35 बच्चों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। बच्चों ने मछली, फूल, चिड़िया, घर, पृथ्वी, पर्यावरण संरक्षण, मोर आदि विषयों पर आधारित कोस्टर आर्ट लकड़ी के कैनवस पर रंग और ब्रश की मदद से उकेरी। इस आयोजन में मुक्ति फाउंडेशन एवं अन्य विद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने भी भागीदारी निभाई।

कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों को संग्रहालय में संरक्षित कलाकृतियों से परिचित कराना, सौंदर्य बोध विकसित करना, और खेल-खेल में उनकी रचनात्मक प्रतिभा को निखारना रहा।

समस्त प्रतिभागियों को राज्य संग्रहालय की निदेशक डॉ. सृष्टि धवन द्वारा प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।

* कार्यक्रम की सफलता में रही टीम की अहम भूमिका

इस कार्यक्रम को सफल बनाने में शैक्षिक प्रभारी डॉ. मीनाक्षी खेमका, सहायक निदेशक श्रीमती प्रीति साहनी, पुस्तकालय अध्यक्ष श्रीमती शालिनी श्रीवास्तव, अभिरक्षक प्रमोद कुमार सिंह, फोटोग्राफर अरुण कुमार मिश्रा, अनुराग, श्रीमती पूनम सहित कई कर्मचारियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

इस अवसर पर सुश्री अलशाज फातमी, डॉ. विनय कुमार सिंह, धनंजय कुमार राय, श्रीमती अनुपमा सिंह, मुक्ति फाउंडेशन के सदस्य, और अभिभावकगण भी उपस्थित रहे।

यूपी के बौद्ध तीर्थस्थलों को वैश्विक स्तर पर प्रमोट कर रही योगी सरकार

कंबोडिया, लाओस, म्यांमार, थाईलैंड और वियतनाम से आया प्रतिनिधिमंडल

- दल में बौद्ध भिक्षु, ट्रैवल एजेंट्स और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर रहे शामिल

*- श्रावस्ती, कपिलवस्तु, कुशीनगर, सारनाथ, वाराणसी जैसे प्रमुख बौद्ध स्थलों की हुई ब्रांडिंग

लखनऊ। योगी सरकार बौद्ध सर्किट के विकास और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयासरत है। इसी कड़ी में, उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग और भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के सहयोग से मेकांग-गंगा सहयोग (एमजीसी) के तहत ’बोधि यात्रा’ नामक एक ’फैमिलियराइजेशन ट्रिप’ का आयोजन किया गया। यह यात्रा 02 से 07 जून तक चली, जिसमें आसियान के पांच देशों- कम्बोडिया, लाओस, म्यांमार, थाईलैंड और वियतनाम के 50 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने हिस्सा लिया। इस दल में बौद्ध भिक्षु, ट्रैवल एजेंट्स और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शामिल थे।

पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि योगी सरकार के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश बौद्ध विरासत को वैश्विक मंच पर स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है। ’बोधि यात्रा’ का उद्देश्य श्रावस्ती, कपिलवस्तु, कुशीनगर, सारनाथ, वाराणसी, लखनऊ और आगरा जैसे प्रमुख बौद्ध स्थलों को विश्व पर्यटन मानचित्र पर प्रदर्शित करना था। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने आनंद बोधि वृक्ष, जेतवन विहार, पिपरवाही स्तूप, महापरिनिर्वाण स्तूप, धम्मेक स्तूप, अशोक स्तंभ और विभिन्न बौद्ध संग्रहालयों का भ्रमण किया। उन्होंने बताया कि योगी सरकार ने बौद्ध सर्किट के विकास के लिए आधारभूत ढांचे को मजबूत करने, पर्यटक सुविधाओं को बढ़ाने और सांस्कृतिक संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया है। 

इससे पहले लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात कर प्रदेश की समृद्ध बौद्ध धरोहर की जानकारी दी। पर्यटन विभाग ने परंपरागत स्वागत और विशेष प्रस्तुतीकरण के माध्यम से अतिथियों को बौद्ध स्थलों की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता से अवगत कराया। ’बोधि यात्रा’ के दौरान बी2बी बैठकों का आयोजन भी किया गया, जिसने भारत और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के बीच पर्यटन और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पर्यटन मंत्री ने कहा कि योगी सरकार का यह प्रयास न केवल उत्तर प्रदेश की बौद्ध विरासत को विश्व मंच पर ले जाएगा, बल्कि वैश्विक पर्यटन को बढ़ावा देकर प्रदेश की आर्थिक समृद्धि में भी योगदान देगा।