मुर्शिदाबाद हिंसा पर आई हाईकोर्ट समिति रिपोर्ट, सच सामने आने के बाद बीजेपी हमलावर

#sudhanshutrivedionmurshidabadviolencecalcuttahighcourtreport

Image 2Image 3Image 4Image 5

बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ विरोधी प्रदर्शनों के दौरान हिंसा हुई थी। मामला राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हुआ था। कलकत्ता हाई कोर्ट ने इस हिंसा की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय कमेटी बनाई थी। इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। कलकत्ता हाई कोर्ट द्वारा गठित जांच समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले महीने मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा में के दौरान हुए हमले हिंदुओं को निशाना बनाकर किए गए थे।हिंसा के समय राज्य की पुलिस मूकदर्शक बनी रही। जांच समिति के मुताबिक हिंसा में तृणमूल नेता शामिल रहे। विधायक के सामने ही घरों में आग लगाई गई। अब भाजपा ने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा पर तथ्य खोज समिति की रिपोर्ट को लेकर टीएमसी सरकार और सीएम ममता बनर्जी पर निशाना साधा है।

बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने बुधवार को कहा कि तथ्य-खोजी एसआईटी की रिपोर्ट से हिंदुओं के प्रति सरकार की क्रूरता का पता चला है। हिंसा के दौरान पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए सुधांशु त्रिवेदी ने उन पर टीएमसी नेताओं की कार्रवाई की अनदेखी करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, कुछ मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, मुर्शिदाबाद हिंसा पर एसआईटी की रिपोर्ट ने स्पष्ट रूप से संकेत दिया है कि हिंदुओं को निशाना बनाकर हिंसा की गई थी और इसमें टीएमसी नेता शामिल थे और पुलिस का रवैया हिंसा को रोकने के बजाय टीएमसी नेताओं की कार्रवाई की अनदेखी करने वाला प्रतीत होता है।

सेक्युलरिज्म का नकाब उतर गया- सुधांशु त्रिवेदी

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि पश्चिम बंगाल हिंसा के मुद्दे पर न्यायालय द्वारा गठित एसआईटी की रिपोर्ट आने के बाद पश्चिम बंगाल सरकार की हिंदुओं के प्रति निर्ममता साफ दिखाई दे रही है। इससे सो कॉल्ड सेक्युलरिज्म का नक़ाब ओढ़े लोगों का नकाब उतर गया है। उन्होंने कहा कि कलकत्ता हाई कोर्ट की रिपोर्ट आने के बाद तृणमूल कांग्रेस की हिंदू विरोधी निर्ममता अपने पूरे विद्रवता के रूप में सामने है

मुर्शिदाबाद हिंसा को पहलगाम की तरह बताया

सुधांशु त्रिवेदी ने मुर्शिदाबाद हिंसा को पहलगाम की तरह बताया। उन्होंने कहा, मुर्शिदाबाद से पहलगाम तक हिंदुओं को निशाना बनाकर उनके खिलाफ हिंसा का सिलसिला साफ तौर पर दिखाई दे रहा है। मुर्शिदाबाद हिंसा में जिस तरह से तथ्य सामने आ रहे हैं, उससे ममता बनर्जी सरकार की हिंदुओं के प्रति क्रूरता और कट्टरपंथियों के प्रति असीम लगाव का पता चलता है।

रिपोर्ट में क्या कहा गया?

बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा पर कलकत्ता हाई कोर्ट की रिपोर्ट में कहा गया है कि मुख्य हमला 11 अप्रैल को हुआ था। उस समय स्थानीय पुलिस पूरी तरह से निष्क्रिय और अनुपस्थित थी। रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया है कि धुलियान शहर में हमलों को भड़काने में एक स्थानीय पार्षद ने अहम भूमिका निभाई थी। रिपोर्ट में बताया गया कि हिंसा के दौरान बेतबोना गांव में 113 घर बुरी तरह प्रभावित हुए। इसमें कहा गया कि अधिकांश लोगों ने मालदा में शरण ली थी, लेकिन बेतबोना गांव में पुलिस प्रशासन ने सभी को वापस लौटने पर मजबूर कर दिया। रिपोर्ट में आगे कहा गया है, एक आदमी गांव में वापस आया और उसने देखा कि किन घरों पर हमला नहीं हुआ है और फिर बदमाशों ने आकर उन घरों में आग लगा दी।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बदमाशों ने पानी का कनेक्शन काट दिया ताकि आग को पानी से न बुझाया जा सके। इसमें कहा गया है, बदमाशों ने घर के सभी कपड़ों को मिट्टी के तेल से जला दिया और घर की महिला के पास तन ढकने के लिए कपड़े नहीं थे। रिपोर्ट में हरगोविंद दास और उनके बेटे चंदन दास की हत्या का जिक्र करते हुए कहा गया है, उन्होंने घर का मुख्य दरवाजा तोड़ दिया और उसके बेटे और उसके पति को ले गए और उनकी पीठ पर कुल्हाड़ी से वार किया। एक आदमी तब तक वहां इंतजार कर रहा था जब तक वे मर नहीं गए।

छत्तीसगढ़ में नक्सलियों पर बड़ा एक्शन, एनकाउंटर में 26 ढेर, 1 करोड़ के इनामी वसवा राजू के मारे जाने की खबर

#chhattisgarh_naxal_encounter

Image 2Image 3Image 4Image 5

छत्तीसगढ़ में नक्सलियों पर बड़ी कार्रवाई की खबर है। नारायणपुर जिले में डीआरजी के जवानों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ चल रही है। इस मुठभड़े में 28 नक्सलियों के मारे जाने की खबर है। बताया जा रहा है कि मारे गए नक्सलियों की संख्या और बढ़ सकती है। कई नक्सलियों के शव और भारी संख्या में हथियार बरामद होने की खबर है। मुठभेड़ में एक जवान के बलिदान होने और एक जवान घायल होने की भी खबर है।

नारायणपुर जिले के पुलिस अधीक्षक प्रभात कुमार ने बताया कि जिले के अबूझमाड़ क्षेत्र के माड़ डिवीजन में नक्सलियों की उपस्थिति की सूचना पर जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) नारायणपुर, डीआरजी दंतेवाड़ा, डीआरजी बीजापुर और डीआरजी कोंडागांव के संयुक्त दल को नक्सल विरोधी अभियान के लिए रवाना किया गया।

बढ़ सकती है मारे गए नक्सलियों की संख्या

माड़ के इलाके में सुबह से फायरिंग हो रही है। बताया जा रहा है कि डीआरजी के जवानों ने नक्सली लीडर रुपेश और विकल्प भी समेत कई बड़े नक्सली लीडर्स को घेर लिया है। दोनों तरफ से गोलीबारी जारी है। 28 से ज्यादा नक्ललियों के मारे जाने खबर सामने आ रही है, मारे गए नक्सलियों की संख्या बढ़ भी सकती है।

1 करोड़ के इनामी नक्सली लीडर के मारे जाने की खबर

मिली जानकारी के मुताबिक मुठभेड़ में नक्सल संगठन के जनरल सेक्रेटरी वसवा राजू के मारे जाने की भी खबर सामने आ रही है। वसवा राजू काफी उम्रदराज नक्सली लीडर है। ये दंडकारण्य में नक्सल संगठन की बुनियाद रखने वालों में से एक है। पिछले कई सालों से माड़ में पनाह लिया हुआ था। इस पर इंटरस्टेट 1 करोड़ का इनाम है।

50 घंटों से सर्च ऑपरेशन जारी

सरकार की तरफ से इन इलाकों को नक्सल मुक्त बनाने का संकल्प लिया गया है। ऐसे में यहां पर लगातार सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा था। सेना की तरफ से बड़ी कार्रवाई जारी है। छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि 50 घंटों से सर्च ऑपरेशन चल रहा था। जिसमें मुठभेड़ हुई और 26 से ज्यादा नक्सली मारे गए हैं। कुछ बडे़ कैडर की भी इसमें शामिल होने की संभावना है। अभी सर्च अभियान जारी है। जिसके बाद स्पष्ट जानकारी सामने आ सकेगी। मुठभेड़ में एक जवान घायल हुआ है, लेकिन वह खतरे से बाहर है। हमारे एक जवान ने मुठभेड़ के दौरान अपनी जान गंवा दी।

केन्द्र सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तमिलनाडु, फंड रोकने के आरोप में स्टालिन सरकार ने दायर कराई अर्जी

#tamilnadugovtpetitioninscagainstuniongovt

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को लेकर केन्द्र की मोदी सरकार और तमिलनाडु की एम के स्टालिन सरकार आमने-सामने हैं। इस बीच तमिलनाडु ने एनईपी 2020 और पीएम श्री स्कूल योजना को लागू न करने को लेकर समग्र शिक्षा योजना (एसएसएस) के तहत धनराशि रोके रखने का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक मुकदमा दायर किया है।

Image 2Image 3Image 4Image 5

अनुदान का भुगतान करने का निर्देश देने की अपील

तमिलनाडु सरकार की ओर से केंद्र के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में 2 हजार 299 करोड़ 30 लाख 24 हजार 769 रुपये की रिकवरी की अपील की गई है। साथ ही मूल राशि पर 6% प्रति वर्ष की दर से ब्याज का भुगतान की मांग की गयी है। सुप्रीम कोर्ट में तमिलनाडु सरकार ने गुहार लगाई है कि प्रतिवादी को अपने निर्देशों का पालन और निष्पादन जारी रखने का निर्देश दिया जाना चाहिए। वादी को राज्य अनुदान की सहायता का भुगतान करने के वैधानिक दायित्व का निर्वहन करना चाहिए। केंद्र सरकार को योजना व्यय का 60% हिस्सा शैक्षणिक वर्ष के प्रारंभ से पहले भुगतान करना होगा।

एनईपी लागू करने के लिए बलपूर्वक बाध्य करने का आरोप

तमिलनाडु ने कहा कि केंद्र सरकार बच्चों की शिक्षा के लिए दिए जाने वाले फंड को रोककर राज्य को तीन भाषा फॉर्मूला अपनाने के लिए बलपूर्वक बाध्य नहीं कर सकती। राज्य सरकार ने केंद्र सरकार पर संघवाद का उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कहा है कि समग्र शिक्षा योजना और पीएम श्री स्कूल योजनाओं को आपस में नहीं जोड़ा जा सकता ऐसा करना संघवाद का उल्लंघन है।

भारत की लेखिका बानू मुश्ताक़ को मिला साल 2025 का बुकर सम्मान, कन्नड़ साहित्य के लिए बड़ी उपलब्धि

#internationalbookerprize2025banu_mushtaq

Image 2Image 3Image 4Image 5

भारतीय लेखिका, वकील और एक्टिविस्ट बानू मुश्ताक ने अपनी किताब 'हार्ट लैंप' के लिए इंटरनेशनल बुकर प्राइज जीता है। बानू मुश्ताक को उनकी कन्नड़ कहानी संग्रह हार्ट लैंप के लिए साल 2025 का प्रतिष्ठित बुकर प्राइज मिला है। मंगलवार को लंदन के टेट मॉडर्न में आयोजित एक समारोह में उनको यह पुरस्कार सौंपा गया। यह पहली बार है जब किसी कन्नड़ रचना को यह प्रतिष्ठित पुरस्कार मिला है। बानू मुश्ताक और उनकी अनुवादक दीपा भास्थी ने 50,000 पाउंड (लगभग57 लाख रुपये) का यह पुरस्कार आपस में बांटा। इस जीत को कन्नड़ साहित्य और भारतीय क्षेत्रीय साहित्य के लिए बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।

12 कहानियों का संग्रह

12 लघु कहानियों का विजेता संग्रह दक्षिण भारत के पितृसत्तात्मक समुदायों में रोजमर्रा की महिलाओं के लचीलेपन, प्रतिरोध, बुद्धि और बहनचारे का वर्णन करता है, जिसे मौखिक कहानी कहने की समृद्ध परंपरा के माध्यम से जीवंत रूप दिया गया है। छह विश्वव्यापी शीर्षकों में से शॉर्टलिस्ट किए गए, मुश्ताक के काम ने परिवार और सामुदायिक तनावों को चित्रित करने की अपनी मजाकिया, विशद, बोलचाल, मार्मिक और तीखी शैली के लिए पुरस्कार पैनल को आकर्षित किया। मुश्ताक ने कहा कि यह पुस्तक इस विश्वास से पैदा हुई है कि कोई भी कहानी कभी छोटी नहीं होती मानवीय अनुभव के ताने-बाने में हर धागा पूरे का वजन रखता है।

कौन हैं बानू मुश्ताक?

76 वर्षीय बानू मुश्ताक कर्नाटक के हासन जिले की रहने वाली हैं। उन्होंने छह दशकों तक लेखन, पत्रकारिता और सामाजिक कार्यों में योगदान दिया है। उनकी कहानियां दक्षिण भारत की मुस्लिम महिलाओं और लड़कियों के रोजमर्रा के जीवन, उनकी चुनौतियों और संघर्षों को बयां करती हैं। 1970 के दशक में उन्होंने कन्नड़ साहित्य के बंडाया आंदोलन से जुड़कर लेखन शुरू किया, जो जाति, वर्ग और लैंगिक भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाता था। उनकी पहली कहानी 1974 में प्रजामाता पत्रिका में छपी थी। इसके बाद उन्होंने छह कहानी संग्रह, एक उपन्यास, निबंध और कविताएं लिखीं। उनकी प्रमुख रचनाओं में हेज्जे मूडिदा हादी (1990), बेंकी माले (1999), एडेया हनाते (2004), सफीरा (2006) और हसेना और अन्य कहानियां (2015) शामिल हैं।

आज से शुरू हो रहा पाकिस्‍तान का पोल खोल अभियान, श्रीकांत शिंदे के नेतृत्व में पहला सर्वदलीय दल हो रवाना

#operation_sindoor_indian_delegation_foreign_visit

Image 2Image 3Image 4Image 5

भारत ने पाकिस्तान को दुनिया के सामने बेनकाब करने की मुहिम छेड़ दी है। आतंकवाद को पनाह दे रहे पाकितान के खिलाफ भारत ने कूटनीतिक कदम बढ़ाया है। पहलगाम आतंकी हमले में पाकिस्तानी साजिश और उसके बाद हुए ऑपरेशन सिंदूर पर दुनिया को भारत का रुख बताने के लिए सरकार का पहला सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल आज रवाना हो रहा है। शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे की अगुवाई वाला प्रतिनिधिमंडल बुधवार को यूएई पहुंचेगा। यह प्रतिनिधिमंडल लाइबेरिया, कांगो तथा सिएरा लियोन का भी दौरा करेगा।

प्रतिनिधिमंडल आतंकवाद के मामले में भारत की खींची गई नई सीमा रेखा की जानकारी देने के साथ ही पहलगाम आतंकी हमले और उसके खिलाफ की गई जवाबी कार्रवाई ऑपरेशन सिंदूर के बारे में दुनिया के देशों को परिचित कराएगा। मंगलवार को विदेश सचिव विक्रम मिस्री के साथ विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों की टीम ने शिंदे समेत तीन प्रतिनिधिमंडलों को पाकिस्तानी धरती से उत्पन्न आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई, पहलगाम हमले, ऑपरेशन सिंदूर और उसके बाद की घटनाओं तथा सरकार द्वारा खींची गई नई सीमा रेखा पर चर्चा के लिए महत्वपूर्ण जानकारी दी।

पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में शुरू हुए ऑपरेशन सिंदूर की सबसे बड़ी ताकत ये रही कि इसको लेकर पूरा भारत राजनीतिक तौर पर भी एकजुट नजर आया। भारतीय सशस्त्र सेना ने इस ऑपरेशन में अपना लक्ष्य बहुत ही सटीकता से हासिल किया और पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आतंकवादियों के 9 बड़े ठिकानों को पूरी तरह से मिट्टी में मिलाने में सफलता भी हासिल की। आतंकवाद और पाकिस्तान के संबंधों के इस कनेक्शन की पोल दुनिया के सामने खोलने के लिए ऑल पार्टी डेलिगेशन दुनियाभर के दौरे पर जाने वाला है।

चीन में सरकारी अधिकारियों को फिजूल खर्चों को कम करने का फरमान, कर्ज के बोझ में दबे ड्रैगन की नई चाल

#chinacutluxury_expenditure

चीन में सरकार ने अपने अधिकारियों को फिजूल खर्चों को कम करने के लिए कहा है। अधिकारियों को शराब और सिगरेट पर खर्च कम करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही ट्रैवल, फूड और ऑफिस की जगहों पर भी खर्च में कटौती करने को कहा गया है। यह निर्णय राष्ट्रपति शी जिनपिंग और कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से सरकारी खर्च को कम करने के लिए लिया गया है।

Image 2Image 3Image 4Image 5

दूसरे देशों को फांसने के लिए ड्रैगन ने पानी की तरह पैसा बहाया है। यही वजह है कि चीन की आर्थिक हालत टाइट हो गई है। यही वजह है कि वहां अधिकारियों को अपने खाने-पीने और घूमने में भी कटौती के लिए कहा जा रहा है।सरकारी समाचार एजेंसी शिन्‍हुआ के अनुसार, इस निर्देश में 'कड़ी मेहनत और बचत' करने की बात कही गई है। इसमें 'फिजूलखर्ची और बर्बादी' का विरोध किया गया है। ब्‍लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, नोटिस में कहा गया है, 'बर्बादी शर्मनाक है और अर्थव्यवस्था गौरवशाली है।' इसका मतलब है कि पैसे बर्बाद करना गलत है और पैसे बचाना अच्छी बात है।

बजट पर दबाव बढ़ा

शिन्‍हुआ के अनुसार, कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरो स्थायी समिति के सदस्य चाई की ने हेबेई प्रांत के अधिकारियों से भी खाने-पीने पर होने वाले फिजूल खर्च को कम करने का आग्रह किया। आर्थिक चुनौतियों के कारण सरकार के बजट पर दबाव बढ़ा है। इसलिए यह फैसला लिया गया है। सरकार चाहती है कि अधिकारी फिजूलखर्ची न करें और पैसे बचाएं।

लोकल गवर्नमेंट पर भारी कर्ज

हाल के समय में, चीन में जमीन की बिक्री से होने वाली प्रॉफिट में कमी आई है और लोकल गवर्नमेंट पर भारी कर्ज हो गया है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन की स्थानीय सरकारों पर करीब 9 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 770 लाख करोड़ रुपए) का कर्ज है।

इससे पहले 2023 में राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने करप्शन और अधिकारियों द्वारा किए जाने वाले दिखावे के खिलाफ मुहिम चलाई थी। जिसमें सरकार ने अधिकारियों को खर्च में कटौती की आदत डालने का निर्देश दिया था।

ब्लूमबर्ग के मुताबिक, 2024 में बीजिंग ने स्थानीय सरकारों के कर्ज से जुड़े जोखिमों को कम करने के लिए एक अभियान शुरू किया था। जिससे डिफॉल्ट का खतरा कम हो और स्थानीय सरकारें आर्थिक विकास में मदद कर सकें।

शेयर बाज़ार पर दिख रहा है असर

जिनपिंग की इस अपील का असर शेयर बाजार पर भी दिखा। चीन के मशहूर शराब ब्रांड्स जैसे क्वेचो माओताई और लूझो लाओजियाओ के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई। सोमवार को कंज्यूमर स्टैपल्स स्टॉक का बेंचमार्क इंडेक्स 1.4 फीसदी तक नीचे गिर गया। क्वेइचो मुताई कंपनी का 2.2% नीचे आया, जो पिछले डेढ़ महीने की सबसे बड़ी गिरावट है।

कौन हैं तपन कुमार डेका जिसपर मोदी सरकार ने जताया भरोसा? आईबी प्रमुख के तौर पर एक साल का सेवा विस्तार

#ib_director_tapan_deka_gets_one_year_service_extension

केंद्रीय खुफिया एजेंसी इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के निदेशक तपन डेका को एक साल का अतिरिक्त सेवा विस्तार मिला है। केंद्र सरकार ने इंटेलिजेंस ब्यूरो के डायरेक्टर तपन कुमार डेका का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ा दिया है। यह फैसला मंगलवार को लिया गया। अब वह जून 2026 तक इस पद पर बने रहेंगे। यह उनका दूसरा विस्तार है। इससे पहले जून 2024 में डेका को एक साल के लिए सेवा विस्तार दिया गया था। वे 2022 से खुफिया ब्यूरो (आईबी) के प्रमुख हैं। केन्द्र सरकार ने जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले और पाकिस्तान के साथ तनाव के बीच ये फैसला लिया है।ा लिया है।ा लिया है।

Image 2Image 3Image 4Image 5

कार्मिक मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान जारी किया। इस बयान में कहा गया है कि कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने यह फैसला लिया है। तपन कुमार डेका, IPS (HP:88) अब 30 जून, 2025 के बाद भी IB के डायरेक्टर बने रहेंगे। यह विस्तार FR 56 (d) और अखिल भारतीय सेवा (मृत्यु सह सेवानिवृत्ति लाभ) नियम, 1958 के नियम 16 (1A) के प्रावधानों में रियायत के आधार पर दिया गया है। सरकार ने कहा है कि वे 30 जून, 2025 से आगे भी या अगले आदेश तक इस पद पर बने रहेंगे।

आतंकवाद से जुड़े मामलों के एक्सपर्ट

इंटेलिजेंस ब्यूरो के महानिदेशक के रूप में नियुक्त होने से पहले उन्होंने इंटेलिजेंस ब्यूरो में लगभग दो दशक तक काम किया। इंटेलिजेंस ब्यूरो के प्रमुख बनने से पहले यानी साल 2022 के पहले आईपीएस तपन डेका इंटेलिजेंस ब्यूरो के ऑपरेशंस डेस्क के प्रमुख थे। उन्हें आतंकवाद से जुड़े मामलों का एक्सपर्ट माना जाता है। इस्लामिक कट्टरपंथ और आतंकवाद से जुड़े मामलों में भी उनकी गहरी समझ है।

जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में खुफिया अभियानों के माहिर

तपन डेका को सत्ता और खुफिया हलकों में "संकटमोचक" के रूप में जाना जाता है। वे विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत में खुफिया अभियानों के माहिर माने जाते हैं। डेका ने आईबी की ऑपरेशंस विंग का दो दशकों से अधिक समय तक नेतृत्व किया और 2008 के 26/11 मुंबई हमलों के दौरान जवाबी कार्रवाई की जिम्मेदारी भी निभाई। वे 2000 के दशक में देशभर में विस्फोटों को अंजाम देने वाले आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन के खिलाफ अभियानों का नेतृत्व कर चुके हैं। 2019 में नागरिकता संशोधन कानून लागू होने के बाद असम में भड़की हिंसा के दौरान भी डेका को वहां की स्थिति संभालने के लिए तैनात किया गया था।

जब तक मजबूत केस नहीं, अदालतें हस्तक्षेप नहीं करतीं” वक्फ कानून पर सीजेआई गवई की दो टूक

#waqf_board_act_2025_supreme_court_hearing

Image 2Image 3Image 4Image 5

सुप्रीम कोर्ट में नए वक्फ अधिनियम, 2025 को लेकर सुनवाई चल रही है. मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई की अध्यक्षता वाली दो सदस्यों की पीठ मामले की सुनवाई कर रही है। वक्फ (संशोधन)अधिनियम 2025 के मामले पर अंतिम फैसला आने तक संशोधित कानून को लागू करने पर रोक लगाई गई है। मंगलवार को सुनवाई के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने सुनवाई के दौरान अहम टिप्पणी की। कोर्ट ने जब तक मजबूत केस नहीं बनता, तब तक अदालतें हस्तक्षेप नहीं करतीं।

सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि कानून में किसी को भी वक्फ संपत्ति को लेकर आपत्ति जताने का हक दिया गया है और जब तक उस पर विवाद चलेगा तो संपत्ति वक्फ की नहीं रहेगी। उनको आपत्ति है कि 100-200 साल पुराने वक्फ के कागजात कहां से आएंगे और अल्लाह को दान की गई संपत्ति किसी और को ट्रांसफर कैसे की जा सकती है। याचिकाकर्ताओं की ओर से उन्होंने दलील दी कि यह हमारे डीएनए में हैं। सिब्बल ने कहा कि अगर वक्फ संपत्ति को लेकर कोई विवाद होता है तो उसका फैसला करने वाला भी सरकार का अधिकारी ही होगा। उन्होंने कहा कि नए कानून के अनुसार कोई भी वक्फ संपत्ति पर आपत्ति जता सकता है।।

सिब्बल ने कोर्ट को वक्फ का मतलब समझाते हुए कहा, 'वक्फ क्या है, यह अल्लाह को किया गया दान है, जिसे किसी और को ट्रांसफर नहीं किया जा सकता। एक बार वक्फ की गई संपत्ति वक्फ ही रहती है।' कपिल सिब्बल ने कहा कि वक्फ संपत्ति के मैनेजमेंट का अधिकार लिया जा रहा। सिब्बल ने कहा कि यह अधिनियम सरकार की ओर से वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करने का एक प्रयास है।

इसी दौरान सीजेआई गवई ने कहा, यह मामला संवैधानिकता के बारे में है। अदालतें आमतौर पर हस्तक्षेप नहीं करती हैं, इसलिए जब तक आप एक बहुत मजबूत मामला नहीं बनाते, कोर्ट हस्तक्षेप नहीं करती है। सीजेआई ने आगे कहा कि औरंगाबाद में वक्फ संपत्तियों को लेकर बहुत सारे विवाद हैं।

ऑपरेशन सिंदूर तो बहुत छोटा युद्ध है...' कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने पहलगाम आतंकी हमले पर पीएम को घेरा

#mallikarjun_kharge_calls_operation_sindoor_just_a_small_war_why

Image 2Image 3Image 4Image 5

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारतीय सशस्त्र बलों की ओर से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ तक विपक्ष पाकिस्तान को उसकी हरकत के लिए मुहंतोड़ जवाब देने के लिए केंद्र सरकार का साथ दे रहा था। अब दोनों देशों के बीच सीजफायर हो चुका है। लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के बाद देश में सियासी घमासान मचा हुआ है। जिस ऑपरेशन सिंदूर ने आतंकवादियों को तबाह कर दिया, सेना के उसी मिशन पर सवाल उठ रहे हैं। पहलगाम आतंकी हमले को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्र सरकार को घेरा है। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को छोटा सा युद्ध बताया है।

मल्लिकार्जुन खरगे ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को ‘बस एक छोटी-सी जंग’ बताते हुए पीएम मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पहले ही खतरे की आशंका थी। उन्होंने कहा, 17 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर पीएम मोदी इसलिए नहीं गए क्योंकि खबर थी कि वहां गड़बड़ हो सकती है। आपने (मोदी) पर्यटकों को जाने से मना क्यों नहीं किया? पहलगाम में मोदी सरकार ने पर्यटकों को सुरक्षा मुहैया नहीं कराई।

खरगे ने पीएम मोदी को घेरा

कर्नाटक में समर्पण संकल्प रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया, मुझे जानकारी मिली है कि हमले से तीन दिन पहले मोदी जी को एक खुफिया रिपोर्ट भेजी गई थी और इसीलिए मोदी जी ने कश्मीर का अपना दौरा रद्द कर दिया। जब एक खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है कि आपकी सुरक्षा के लिए वहां जाना उचित नहीं है, तो आपने लोगों की सुरक्षा के लिए अपनी सुरक्षा, खुफिया, स्थानीय पुलिस और सीमा बल को सूचित क्यों नहीं किया?

क्या है ऑपरेशन सिंदूर?

भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर के तहत आतंकियों के ठिकानों पर सटीक हमले किए। यह कार्रवाई 22 अप्रैल को पाहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के जवाब में की गई थी। इसके बाद पाकिस्तान ने 8, 9 और 10 मई को भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमले की कोशिश की, जिनका भारतीय सेना ने करारा जवाब दिया। इस जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान के कई सैन्य ठिकानों को नुकसान पहुंचा, जिनमें एयर बेस, रडार साइट्स, और कमांड सेंटर शामिल हैं।

अंतरिम आदेश के लिए सुनवाई इन तीन मुद्दों तक ही सीमित रखें, केंद्र की सुप्रीम कोर्ट से अपील

#waqf_amendment_act_pleas_hearing_supreme_court

Image 2Image 3Image 4Image 5

सुप्रीम कोर्ट, वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। सीजेआई बी आर गवई, जस्टिस एजी मसीह और जस्टिस के विनोद के चंद्रन की बेंच सुनवाई कर रही है। सुनवाई के दौरान तुषार मेहता ने कहा कि बेंच ने पहले तीन मुद्दे उठाए थे ⁠स्टे के लिए। हमने इन तीनों पर जवाब दाखिल किया था। लेकिन अब लिखित दलीलों में और भी मुद्दे शामिल हो गए हैं। सिर्फ तीन मुद्दों तक सुनवाई सीमित हो। कपिल सिब्बल ने इसका विरोध किया।

सरकार ने जिन मुद्दों पर सुनवाई सीमित रखने की अपील की है, उनमें एक मुद्दा है अदालत द्वारा घोषित, वक्फ बाय यूजर या वक्फ बाय डीड संपत्ति को डी-नोटिफाई करने का है। दूसरा मुद्दा केंद्रीय और प्रदेश वक्फ बोर्ड के गठन से जुड़ा है, जिनमें गैर मुस्लिमों को शामिल किए जाने का विरोध हो रहा है। तीसरा मुद्दा वक्फ कानून के उस प्रावधान से जुड़ा है, जिसमें जिलाधिकारी द्वारा जांच और उसकी मंजूरी के बाद ही किसी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित किया जाएगा।

वक्फ अधिनियम, 2025 के प्रावधानों को चुनौती देने वाले लोगों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक सिंघवी ने इन दलीलों का विरोध किया कि अलग-अलग हिस्सों में सुनवाई नहीं हो सकती। एक मुद्दा अदालत द्वारा वक्फ, वक्फ बाई यूजर या वक्फ बाई डीड घोषित संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने के अधिकार का है।

याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाया गया दूसरा मुद्दा राज्य वक्फ बोर्डों और केंद्रीय वक्फ परिषद की संरचना से संबंधित है, जहां उनका तर्क है कि पदेन सदस्यों को छोड़कर केवल मुसलमानों को ही इसमें काम करना चाहिए। तीसरा मुद्दा एक प्रावधान से संबंधित है, जिसमें कहा गया है कि जब कलेक्टर यह पता लगाने के लिए जांच करते हैं कि संपत्ति सरकारी भूमि है या नहीं, तो वक्फ संपत्ति को वक्फ नहीं माना जाएगा।

इससे पहले 17 अप्रैल को हुई सुनवाई में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सुनिश्चित किया था कि वे किसी भी वक्फ संपत्ति को डी-नोटिफाई नहीं करेंगे, इनमें वक्फ बाय यूजर भी शामिल है। साथ ही वक्फ बोर्डों में नई नियुक्ति पर भी कोई नई नियुक्ति न करने की बात कही थी।