जम्मू कश्मीर के रामबन में खाई में गिरा सेना का ट्रक, 3 जवान शहीद

जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में बैटरी चश्मा के पास एक सेना का ट्रक 200-300 मीटर गहरी खाई में गिर गया, जिसमें तीन जवान शहीद हो गए. पुलिस, एसडीआरएफ, सेना और स्थानीय लोगों ने बचाव अभियान चलाया गया. यह ट्रक जम्मू से श्रीनगर जा रहा था और मृतकों को रामबन जिला अस्पताल लाया जा रहा है. दुर्घटना के कारणों की जांच की जा रही है.

अधिकारियों ने बताया कि हादसा नेशनल हाईवे-44 पर बैटरी चश्मा के पास सुबह 11:30 बजे हुआ था. सेना का यह ट्रक जम्मू से श्रीनगर जा रहे एक काफिले का हिस्सा था. इसी दौरान हादसे का शिकार हो गया. हादसे के तुरंत बाद, एसडीआरएफ, पुलिस, सेना और स्थानीय स्वयंसेवकों ने मिलकर बचाव अभियान चलाया गया.

सेना ने दिए हादसे की जांच के आदेश

अधिकारियों की मानें तो हादसा इतना दर्दनाक है कि वाहन दुर्घटना के बाद लोहे के ढेर में तब्दील हो गया. फिलहाल शहीद हुए जवानों के शवों को बाहर निकालने का काम किया जा रहा है. शुरुआती जांच में पता चला है कि वाहन का संतुलन बिगड़ने की वजह से वह गहरी खाई में गिर गया.

तीनों शहीद जवानों के बलिदान को सम्मानित करते हुए सेना ने एक शोक सभा का आयोजन किया. सेना के सीनियर अधिकारियों ने पूरी घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं. शहीद हुए जवानों की पहचान अमित कुमार, सुजीत कुमार और मन बहादुर के रूप में हुई है.

चप्पे-चप्पे पर सेना तैनात

पहलगाम हमले के बाद से ही जम्मू-कश्मीर में भारी सुरक्षा बल तैनात है. इसके साथ ही पहले के मुकाबले इस समय ज्यादा गश्ती की जा रही है. इसी गश्ती के दौरान ये हादसा हो गया, जिसमें 3 जवान शहीद हो गए. पहलगाम में हुए हमले के बाद से ही सेना फुल अलर्ट मोड पर होकर काम कर रही है. इस हमले में 26 पर्यटकों की मौत हो गई थी.

खुल गए बद्रीनाथ धाम के कपाट, CM धामी ने की पूजा; श्रद्धालुओं पर की गई पुष्प वर्षा

उत्तराखंड के चार धाम केदरानाथ, बद्रीनाथ, यमुनेत्री और गंगोत्री की यात्रा बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है. हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु उत्तराखंड के चारो धामों की यात्रा करते हैं. यमुनोत्री, गंगोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट खोले जा चुके हैं. आज बद्रीनाथ धाम के कपाट खोल दिए गए. धाम के कपाट वैदिक मंत्रोच्चारण और जय बद्री विशाल के उदघोष के साथ विधि-विधान से आज सुबह 6 बजे खोले गए.

अब श्रद्धालु बद्रीनाथ धाम में दर्शन कर सकेंगे. बताया जा रहा है कि 1000 से ज्यादा श्रद्धालु बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के साक्षी बने. इस अवसर पर भारतीय सेना की गढ़वाल राइफल्स ने बैंड द्वारा भक्ति धुनें सुनाईं. श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट आज श्रद्धालुओं के लिए खुलते ही उन पर पुष्प वर्षा की गई. बद्रीनाथ धाम को 40 क्विंटल फूलों से सजाया गया है. इस मौके पर प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी मौजूद रहे. सीएम पुष्कर सिंह धामी ने श्री बद्रीनाथ धाम में पूजा-अर्चना की. सीएम धामी ने यहां स्थानीय लोगों से भी बातचीत की.

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने क्या कहा?

वहीं मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “आज का दिन बहुत ही शुभ है. मैं उत्तराखंड आने वाले सभी श्रद्धालुओं का स्वागत करता हूं. मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि सभी की यात्रा सुखद हो. सभी व्यवस्थाएं कर ली गई हैं. चारधाम यात्रा थोड़ी कठिन है, लेकिन उसके बावजूद भी प्रयास किए गए हैं कि यात्रा में कम से कम कठिनाई हो और यात्रा सुरक्षित हो. इसके लिए सभी विभागों की समीक्षा की गई है और आगे भी समीक्षा की जा रही है.

नवंबर तक खुला रहता है बद्रीनाथ धाम

बता दें कि बड़ी संख्या में श्रद्धालु बद्री विशाल के दर्शन के लिए पहुंचे हैं. श्रद्धालुओं ने बताया कि इस बार यात्रा के लिए बेहतर इंतजाम किए गए हैं. सड़क मार्ग भी सुगम है. गौरतलब है कि बद्रीनाथ धाम मई से नवंबर तक तीर्थयात्रियों के लिए खुला रहता है. शीतकाल में मंदिर बंद रहता है. उस समय भगवान की पूजा जोशीमठ के नरसिंह मंदिर में की जाती है.

पहलगाम अटैक के बाद पहली बार PM मोदी से मिले CM उमर अब्दुल्ला, करीब 20 मिनट तक हुई बातचीत

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने दिल्ली पहुंचकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर अहम बैठक की. प्रधानमंत्री आवास पर दोनों नेताओं के बीच में बैठक करीब 20 मिनट तक चली. इसे पहलगाम आतंकी हमले के बाद की पहली औपचारिक मुलाकात माना जा रहा है.

सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री को जम्मू-कश्मीर के मौजूदा सुरक्षा हालात और स्थानीय जनता की चिंताओं से अवगत कराया. बैठक में खासतौर पर हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद बने सामाजिक और राजनीतिक माहौल, पर्यटकों की सुरक्षा, और आतंकवाद के खिलाफ उठाए गए कदमों पर चर्चा हुई.

बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को राज्य सरकार द्वारा की जा रही कार्रवाई की विस्तृत जानकारी दी, जिसमें ओजीडब्ल्यू की धरपकड़, छापेमारी, और स्थानीय समुदायों के साथ संवाद शामिल हैं. यह मुलाकात ऐसे समय पर हुई है जब घाटी में एक बार फिर सुरक्षा और राजनीतिक स्थिरता को लेकर सवाल उठ रहे हैं. मुख्यमंत्री की प्रधानमंत्री से यह मुलाकात न केवल सांकेतिक रूप से अहम है, बल्कि यह केंद्र और राज्य सरकार के बीच सहयोग और समन्वय को दर्शाती है.

कई मुद्दों से पीएम को कराया अवगत

यह भी माना जा रहा है कि उमर अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री से जम्मू-कश्मीर में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने, पर्यटन को सुरक्षित बनाने, और स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की. हालांकि, पीएम के साथ मीटिंग में क्या बात हुई इसे लेकर मुख्यमंत्री की ओर से अभी तक कोई बयान सामने नहीं आया है. आधिकारिक रूप से केवल मीटिंग की जानकारी ही दी गई है.

दरअसल, 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री की केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ मीटिंग तो हुई थी, लेकिन वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नहीं मिले थे. अब हमले के 11 दिन बाद मुख्यमंत्री दिल्ली पहुंचे और प्रधानमंत्री से मुलाकात की.

घटना की जांच कर रही है एनआईए

पहलगाम अटैक के बाद से जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा के तगड़े इंतजाम हैं. सुरक्षाबलों की ओर से आतंकियों की खोजबीन के लिए सर्च ऑपरेशन भी चलाए जा रहे हैं. सेना को अलर्ट पर रखा गया है जबकि हमले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी कर रही है. एनआईए की टीम श्रीनगर में डेरा डाले हुई है. एनआईए की ओर से आज प्रारंभिक जांच रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी सौंपी जानी थी.

बर्निंग ट्रेन बनी दिल्ली से हाबड़ा जा रही पूर्वा एक्सप्रेस, धुआं देखकर मचा हड़कंप, टल गया बड़ा हादसा

उत्तर प्रदेश के चंदौली से ट्रेन में आग लगने की घटना सामने आई है. हालांकि, गनीमत यह रही कि बड़ी घटना होने से टल गई. पूर्वा एक्सप्रेस नई दिल्ली से हावड़ा जा रही थी कि इस दौरान पार्सल बोगी के ब्रेक पैड जाम होने के कारण बोगी के नीचे आग गई. ट्रेन से उठते धुंए को देखकर यात्रियों ने इस बात की जानकारी रेलवे कंट्रोल को दी. इसके बाद तुरंत ट्रेन को चंदौली के मझवार स्टेशन पर रोका गया. आग बुझने के बाद ट्रेन को गंतव्य के लिए रवाना किया गया है.

नई दिल्ली से हावड़ा जा रही पूर्वा एक्सप्रेस में पार्सल बोगी के ब्रेक पैड जाम होने से आग लग गई. ट्रेन से उठते हुए धुंए को देखकर यात्रियों में हड़कंप मच गया. उन्होंने तुरंत घटना की जानकारी रेलवे कंट्रोल को दी. जिसके बाद ट्रेन को आनन-फानन में चंदौली के मझवार स्टेशन के पास रोक दिया गया. ट्रेन के रुकते ही यात्री तुरंत घबराकर बाहर उतर गए. इसके बाद आग बुझाने के लिए मुस्तैद कर्मचारी ट्रेन की ओर दौड़ पड़े.

आग पर पाया गया काबू

जीआरपी ने काफी मेहनत के बाद फायर उपकरणों की मदद से आग पर काबू पाया. इसके बाद रेलवे के कर्मचारी, अधिकारी और यात्रियों ने चेन की सांस ली. मैकेनिकल जांच के बाद ट्रेन को गंतव्य के लिए रवाना कर दिया गया. इस घटना के कारण ट्रेन को कुछ देर के लिए रोकना पड़ा, लेकिन समय रहते आग पर काबू पा लेने से बड़ी घटना टल गई. रेलवे प्रशासन ने इस घटना की जांच शुरू कर दी है और आगे की कार्रवाई में जुट गया है.

आग ट्रेन में पार्सल बोगी के ब्रेक पैड जाम होने की वजह से लगी थी. इस कारण बोगी के नीचे से धुएं का गुब्बार उठाने लगा था. ट्रेन के अंदर बैठे यात्रियों को अंदाजा ही नहीं था कि आखरी ट्रेन में कहां और कैसे आग लगी है. बस वह किसी बड़ी घटना होने के डर से काफी घबरा रहे थे, लेकिन रेलवे की मुस्तैदी के चलते एक बड़ा हादसा टल गया.

सवा 3 साल की उम्र में बच्ची ने क्यों लिया संथारा? 10 मिनट में हो गई मौत; बन गया वर्ल्ड रिकॉर्ड

इंदौर में एक जैन परिवार की तीन वर्ष चार माह की छोटी बच्ची ने संथारा कर अपना जीवन त्याग दिया है. बताया जा रहा है कि बच्ची को ब्रेन ट्यूमर हो गया था, जिसके चलते परिजनों ने उसका ऑपरेशन करवाया. लेकिन, ऑपरेशन के कुछ दिनों बाद वापस से उसे उसी तरह की समस्या उत्पन्न हुई. परिजनों ने जैन मुनि के कहने पर उसका संथारा करवाया. इस बीच 10 मिनट बाद ही बच्ची ने अपना जीवन त्याग दिया.

बताया जा रहा है कि इंदौर में रहने वाले जैन परिवार की 3 वर्ष 4 माह की छोटी बेटी वियाना ने संथारा किया है. बच्ची की मां ने बताया कि उन्हें वियाना को जनवरी में ब्रेन ट्यूमर होने की जानकारी लगी, जिसके चलते 9 जनवरी को उसे मुंबई में ऑपरेशन के लिए लेकर पहुंचे. 10 जनवरी को उसके ट्यूमर का ऑपरेशन हुआ. इस दौरान वह ठीक भी होने लग गई. लेकिन, अचानक से मार्च के तीसरे हफ्ते में फिर से उसको उसी तरह की समस्या उत्पन्न होने लगी.

बेटी को संथारा के लिए दी मंजूरी

वियाना को उसके माता-पिता 21 मार्च को राजेश मुनि महाराज के पास लेकर गए. इसके बाद बिटिया ने वहां परंपरागत तरीके से वंदना की. इस बीच उन्हें लगा कि बच्ची का एक रात गुजारना भी मुश्किल लग रहा है. इसे संथारा करा देना चाहिए. इसके बाद बच्ची के पिता पियूष दोनों भाई धैर्य और शौर्य, बच्ची के मामा मामी और नानी भी वहीं पर मौजूद थे. सभी ने बेटी के संथारा करने की स्वीकृति दे दी.

10 मिनट में त्याग दिया शरीर

जैसे ही संथारा की प्रक्रिया पूरी की. संथारा लेने के 10 मिनट बाद ही तीन वर्ष चार माह की बेटी वियाना ने अपने देह को त्याग दिया. संथारा जैन धर्म के सर्वोच्च व्रत में से एक माना जाता है और जिस तरह से 3 वर्ष 4 माह की बच्ची ने संथारा कर अपना देह त्यागा है, उसके कारण बच्ची का नाम गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज हुआ है. संपूर्ण जैन समाज के इसे गर्व की बात कह रहा है. वियाना कि यहां आस्था और समर्पण इतनी अल्पायु में अन्य जैन समाज के बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों के लिए भी प्रेरणादायक बन चुकी है. परिजनों के मुताबिक, वही तीन वर्ष चार माह की वियाना काफी धार्मिक प्रवृत्ति की थी.

गोवा के शिरगांव मंदिर की ‘जात्रा’ में मची भगदड़, 6 की मौत, 50 से अधिक घायल

गोवा के शिरगांव में बड़ा हादसा हुआ है. यहां आयोजित प्रसिद्ध श्री लैराई जात्रा (धार्मिक यात्रा) के दौरान भगदड़ मच गई. हादसे में 6 लोगों की मौत की खबर है. 50 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं. हादसा शुक्रवार देर रात हुआ. हादसे की जानकारी मिलते ही पुलिस व रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंच गई. हादसे में घायल को गोवा मेडिकल कॉलेज और मापुसा स्थित नॉर्थ गोवा डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है. हादसे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख जताया है.

गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत अस्पताल पहुंचे हैं. उन्होंने घायलो का मुफ्त इलाज करने को कहा है. घटना पर गोवा कांग्रेस ने दुख जताया है. गोवा के शिरगांव मंदिर में शुक्रवार को वार्षिक जात्रा (धार्मिक जुलूस) के दौरान भगदड़ मचने से कम से कम छह लोगों की मौत हो गई और 50 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हो गए.यह हादसा तब हुआ जब भारी भीड़ के बीच अचानक अफरा-तफरी फैल गई, जिससे लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे.

मच गई अफरा-तफरी, एक-दूसरे पर गिरे लोग

चश्मदीदों ने बताया कि भगदड़ के दौरान हालात बेहद डरावने हो गए थे और लोग एक-दूसरे पर गिरते-पड़ते बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे.घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस और आपातकालीन सेवाएं मौके पर पहुंचीं और तुरंत राहत व बचाव कार्य शुरू किया गया. घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है.अधिकारियों ने अभी तक भगदड़ के पीछे की वजह की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है, लेकिन शुरुआती रिपोर्टों के मुताबिक, भीड़ ज्यादा होने और उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण यह हादसा हुआ.

हादसे पर पीएम और कांग्रेस ने जताया शोक

शिरगांव में हुए हादसे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गोवा कांग्रेस ने शोक जताया है. सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पीएम ने लिखा, “गोवा के शिरगाओ में भगदड़ के कारण हुई मौतों से दुखी हूं. अपने प्रियजनों को खोने वालों के प्रति संवेदना. घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं. स्थानीय प्रशासन प्रभावित लोगों की सहायता कर रहा है.’ कांग्रेस ने लिखा, “श्री लैराई देवी, शिरगाओ के जातरोत्सव में हुई भगदड़ से बहुत दुखी है. हम इस दुखद घटना की शोक व्यक्त करते हैं और अपने प्रियजनों को खोने वाले परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हैं. सभी घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना.”

गजब! 300 से अधिक उम्मीदवारों ने एयरपोर्ट के रनवे पर बैठकर दिया एग्जाम, तस्वीरें वायरल

अक्सर हम सबने एयरपोर्ट के रनवे पर हवाई जहाज या हेलीकॉप्टर को उतरते या उड़ान भरते देखा होगा. हम सब जानते हैं कि एयरपोर्ट का रनवे हवाई जहाज या हेलीकॉप्टर के उतरने और उड़ान भरने के लिए होता है, लेकिन क्या आपने कभी ये सुना या देखा है कि एयपोर्ट के रनवे पर छात्र परीक्षा दे रहे हों. ज्यादातर लोगों का जवाब नहीं ही होगा, लेकिन ऐसा हुआ है और हर कोई इस बात की चर्चा भी कर रहा है.

ऐसा बिहार के सहरसा जिले में किया गया. यहां एयरपोर्ट के रनवे पर खुले आसमान में लगभग 300 छात्र-छात्राओं की परीक्षा ली गई, जिसने भी ये दृश्य देखा वो दंग रह गया. अब हर ओर रनवे पर परीक्षा देते छात्रों की तस्वीर वायरल है. दरअसल, सहरसा एयरपोर्ट परिसर में इन दिनों एक प्राइवेट एक एकेडमी बिहार पुलिस, बीएसएफ और आर्मी में जाने की इच्छा रखने वाले छात्र-छात्राओं को फिजिकल ट्रेंनिंग दी जाती है.

हर हफ्ते अभ्यर्थियों की होती है परिक्षा

फिजिकल की तैयारी के साथ-साथ रिटेन तैयारी भी एकेडमी करवाती है. अब परीक्षा लेने के लिए बड़े हॉल की आवश्यकता पड़ी तो एयरपोर्ट के रनवे को ही एग्जाम हॉल बना दिया. बताया जा रहा है कि यहां हर हफ्ते 300 से अधिक अभ्यर्थियों का परिक्षा टेस्ट लिया जाता है. एकेडमी संचालक कहते हैं कि जब जगह होती है, तो परीक्षा दूसरे जगह पर ली जाती है.

एकेडमी संचालक करण टाइगर ने क्या कहा

बताया ये भी जा रहा है कि हर रविवार को छात्र-छात्राओं की रनवे पर लिखित परीक्षा ली जाती है. एकेडमी संचालक करण टाइगर 2015 से युवाओं को फिजिकल ट्रेनिंग दे रहे हैं. अब वह लिखित परीक्षा की तैयारी भी छात्र-छात्राओं को करा रहे हैं. करण टाइगर ने कहा कि जब तक इस जगह पर सरकार की ओर से कोई निर्माण का काम नहीं शुरू करा दिया जाता या कोई दिशा निर्देश नहीं जारी किया जाता, तब तक इसका उपयोग युवाओं के लिए होता रहेगा.

रिचार्ज कराओ नहीं तो घर में रहेगा अंधेरा’… राजस्थान में आ गया नया नियम, पढ़ लें बिजली उपभोक्ता

राजस्थान की मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की सरकार बिजली उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ा बदलाव करने जा रही है. राजस्थान में बीजली अब मोबाइल फोन की तरह प्रीपेड हो जा रही है. मतलब बिजली का उपभोग करने से पहले उपभोक्ता को उसका भुगतान (रिचार्ज) करना आवश्यक होगा. प्रदेश भर में लगभग 1.43 करोड़ घरेलू और व्यावसायिक बिजली उपभोक्ताओं (कृषि को छोड़कर) के घर के कनेक्शन पर स्मार्ट मीटर लगाने की शुरुआत हो चुकी है.

इन स्मार्ट मीटरों की विशेषता ये है कि उपभोक्ता ने पहले जितनी बिजली के लिए भुगतान किया होगा वो सिर्फ उतनी ही बिजली चला पाएगा. राज्य सरकार केंद्र सरकार की रिवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम के तहत ये बदलाव करने जा रही है. इस योजना पर 14,037 करोड़ रुपयों का खर्च आएगा. अभी तक उपभोक्ता बिजली का उपयोग करने के बाद बिल भरते थे, लेकिन अब उनको बिजली का उपयोग करने से पहले भुगतान देना होगा.

उपभोक्ताओं के लिए क्या होंगी सुविधाएं

इस स्कीम के लागू होने से उपभोक्ता रोज मोबाइल पर बिजली की खपत का अपडेट ले सकेंगे. जब भी बिजली की अचानक जाएगी तो उपभोक्ताओं को बिजली जाने की जानकारी दी जाएगी. बिजली का जब ज्यादा लोड होगा तो उपभोक्ताओं को वॉर्निंग मिलेगी. साथ ही उपभोक्ताओं को 15 पैसे प्रति यूनिट की छूट भी प्राप्त होती रहेगी.

लोगों की जेब पर क्या होगा असर

ये व्यवस्था लंबे समय में उपभोक्ताओं के लिए लाभदायक साबित होगी. ऐसा दावा राजस्थान सरकार ने किया है. उपभोक्ता अपनी बिजली की खपत को कंट्रोल कर सकेंगे. बिना बिल के झंझट के सटीक योजना बना सकेंगे. हालांकि शुरुआती समय में लोगों को पेड रिचार्ज की आदत डालने में थोड़ी कठिनाई आएगी. विशेषकर इस बात को लेकर उन क्षेत्रों में लोग ज्यादा परेशान हो सकते हैं, जहां डिजिटल भुगतान की सुविधा सीमित हो.

योजना के पीछे सरकार का क्या है मसकद

ऐसे में डिस्कॉम्स दो- चार महीने तक पोस्टपेड बिलिंग का विकल्प खुला रख सकते हैं, जब तक की उपभोक्ता नई प्रणाली में सहज नहीं होते. इसके बाद सभी को प्रीपेड स्कीम में स्विच कर दिया जाएगा. इस योजना के पीछे सरकार का मकससद है कि डिस्कॉम्स की आर्थिक स्थिति मजबूत हो, ताकि कंपनियों को समय पर भुगतान हो सके. साथ ही बैंकों से कर्ज पर निर्भरता कम हो. बिजली आपूर्ति में देरी या कटौती से होने वाली परेशानी से उपभोक्ताओं को बचाया जा सके. बिल वितरण और भुगतान की प्रक्रिया में पारदर्शिता आए.

पाकिस्तानी मां-बेटी को मिली भारत की नागरिकता… PM मोदी को दिया धन्यवाद

पाकिस्तान की एक मां-बेटी को भारत की नागरिकता मिली है. नागरिकता मिलने के बाद बाद बेटी महक ने कहा कि हिंदुस्तान सबसे अच्छा है. आतंकियों को गोली मार देनी चाहिए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी उन्होंने धन्यवाद दिया और कहा कि मोदी का बहुत-बहुत धन्यवाद हमें नागरिकता मिली. उन्हें उनका वीजा खत्म होने पर पाकिस्तान जाना पड़ा था, जिससे उनकी पढ़ाई छूट गई थी.

महक के पिता ने कहा पाकिस्तान से जंग जरूरी नहीं आतंकियों को खत्म करना चाहिए. मेरी ससुराल जरूर पाकिस्तान में है, लेकिन मैं पाकिस्तान नहीं जाता हूं. मुझे पाकिस्तान पसंद नहीं है. उनके परिवार ने आतंकवादी घटना पर दुख जाहिर किया. उनके परिवार का कहना सरकार ने जो सख्त आदेश दिए हैं कि हिंदुस्तान में रह रहे पाकिस्तानियों को हिंदुस्तान छोड़ना पड़ेगा.

महक के परिवार ने क्या कहा?

उन्होंने कहा कि आदेशों में बदलाव जरूरी हैं. क्योंकि जिन लोगों की पाकिस्तान में रिश्तेदारी है. वह लोग अपनों से मिलने के लिए बहुत परेशान हैं. अब वह लोग शादी में भी हिंदुस्तान नहीं आ सकेंगे और हिंदुस्तान से पाकिस्तान नहीं जा सकेंगे. ऐसे बहुत दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. आतंकवादी हमले में ऐसे लोगों का कोई दोष नहीं है, जिन्होंने गुनाह किया है. उन्हें सजा मिले. वीजा बंद होने से बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

एक समय था जब पाकिस्तान में जन्मी महक और उनकी मां शबाना को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया गया था. दोनों मां-बेटी फूट-फूटकर रोई थीं, लेकिन अब उन्हें भारत की नागरिकता मिल गई है और वह खुद को गर्व से हिंदुस्तानी कहती हैं. महक कहती हैं, “हिंदुस्तान से बढ़कर कोई देश नहीं है, पाकिस्तान अच्छा देश नहीं है,

महक और शबाना की कहानी

दअरसल, शबाना की शादी 24 अगस्त 1986 को बरेली के रहने वाले यूसुफ अली खान से हुई थी. शादी कराची में हुई थी, जब भारत-पाकिस्तान के संबंध थोड़े सामान्य थे. शादी के बाद जब शबाना कराची अपने मायके गईं, तो वहां महक का जन्म हुआ. पाकिस्तान में जन्म लेने की वजह से महक को वहीं की नागरिकता मिल गई. कुछ महीने बाद जब वह बरेली लौट आईं, तो उन्हें भारत में रहने के लिए लंबी कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ा.

देश निकाला और फिर से वापसी

2001 में जब उनका वीजा खत्म हुआ, तो पुलिस ने मां-बेटी को हिरासत में लेकर पाकिस्तान भेज दिया. महक उस समय हाईस्कूल की छात्रा थीं. उन्हें अपने पिता से मिलने का भी समय नहीं मिला. सिर्फ एक जोड़ी कपड़े लेकर उन्हें वाघा बॉर्डर से पाकिस्तान भेजा गया. वहां कोई संपर्क नहीं था, लेकिन सौभाग्य से एक मामा ने टीवी पर उन्हें पहचान लिया और घर ले गए. इसके बाद उनकी पढ़ाई भी छूट गई.

2017 में मिला हक़

कई सालों की भागदौड़ के बाद 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के प्रयासों से शबाना और महक को भारतीय नागरिकता मिल गई. यूसुफ अली खान बताते हैं कि उन्हें 31 साल तक अधिकारियों के चक्कर काटने पड़े. उन्होंने इसके लिए मोदी सरकार और पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार का आभार जताया. हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर महक और शबाना ने गहरा दुख जताया. शबाना ने कहा, “जिस तरह हमारे भाइयों की हत्या हुई, वह बेहद दर्दनाक है. ऐसे आतंकियों को प्रधानमंत्री मोदी घर-घर से निकालकर गोली मार दें.” महक ने कहा, “ये आतंकवादी इंसान नहीं हैं, इन्हें एक-एक करके खत्म कर देना चाहिए.”

बंटवारे से टूटा परिवार

यूसुफ ने बताया कि 1947 के बंटवारे में उनका परिवार बिखर गया था. उनके मामा, मौसी और चाचा पाकिस्तान चले गए थे. शबाना, उनकी मौसी की बेटी हैं. परिवार को जोड़ने के लिए ही यूसुफ की शादी शबाना से कर दी गई. अब उनके चार बच्चे हैं, जिनमें से सिर्फ महक का जन्म पाकिस्तान में हुआ था. अब महक की शादी हो चुकी है और उनके तीन बच्चे हैं, जिनमें 15 वर्षीय सुहाना, 12 वर्षीय फिरजा और 5 वर्षीय बानिया है. महक ने कहा, “मुझे पाकिस्तान कभी अच्छा नहीं लगा. मुझे हिंदुस्तान से मोहब्बत है. यहीं मेरी परवरिश हुई, यहीं मेरा घर है.”

नागरिकता मिलने के बाद सुकून

अब यह परिवार बरेली के किला थाना क्षेत्र के मलूकपुर में सुकून की जिंदगी बिता रहा है. यूसुफ ने पीएम मोदी को धन्यवाद देते हुए कहा, “भारत हमारा देश है, यहां सब मिलजुलकर रहते हैं. हमें किसी बात की कोई परेशानी नहीं है. मोदी सरकार ने जो किया, उसके लिए दिल से शुक्रिया.”

लालू यादव के परिवार की अजब लीला…ताड़ी पर जीतन राम मांझी ने तेजस्वी पर साधा निशाना

बिहार में ताड़ी पर प्रतिबंध हटाने को लेकर राज्य में सियासत तेज हो गई है. ताड़ी पर बयानबाजी को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने तेजस्वी यादव पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद यादव के परिवार की अजब लीला है, पहले तेजस्वी यादव ताड़ी पर प्रतिबंध लगाते हैं और अब उसको हटवाने का ढोंग रच रहे हैं.

दरअसल जीतन राम मांझी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि तेजस्वी यादव जब सरकार में उपमुख्यमंत्री थे तो ताड़ी पर प्रतिबंध लगाकर लाखों ताड़ के पेड़ को कटवा दिया. बेगुनाह पासी समाज के लोगों पर ज़ुल्म करवाया गया. वहीं अब जब चुनाव का समय आ गया तो कंधे पर लबनी बांधकर कह रहे हैं कि ताड़ी पर से प्रतिबंध हटाएंगे. जब प्रतिबंध हटाना ही था तो लगवाया क्यों? बताईए ना जी.

ताड़ी प्राकृतिक उत्पाद: चिराग पासवान

केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने सोमवार को कहा कि ताड़ी एक ‘प्राकृतिक उत्पाद’ है और इसे शराब की श्रेणी में नहीं रखा जाना चाहिए. बिहार में शराब प्रतिबंधित है. चिराग पासवान विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के उस वादे पर प्रतिक्रिया दे रहे थे, जिसमें तेजस्वी यादव ने कहा था कि अगर उनकी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) आगामी विधानसभा चुनावों के बाद सत्ता में आती है तो ताड़ी पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया जाएगा.

ताड़ी को शराब नहीं माना जाना चाहिए

चिराग पासवान ने कहा कि मैंने कई बार कहा है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सहयोगी के तौर पर मेरी पार्टी राज्य में सरकार का समर्थन कर रही है, लेकिन वह यहां शासन का हिस्सा नहीं है. मैं निश्चित रूप से मानता हूं कि ताड़ी एक प्राकृतिक उत्पाद है और इसे शराब नहीं माना जाना चाहिए. ताड़ी का व्यवसाय राज्य में परंपरागत रूप से पासवान समुदाय से जुड़ा रहा है.

ताड़ी पर क्या बोले तेजस्वी यादव?

तेजस्वी यादव ने पटना में रविवार को पासी समुदाय के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था कि शराबबंदी कानून ने उस समुदाय को प्रभावित किया है, जिसकी आजीविका का एकमात्र साधन ताड़ी निकालना था.ताड़ी पर प्रतिबंध हटाने का वादा करते हुए यादव ने कहा कि पासी समुदाय पीढ़ियों से यह काम करता आ रहा है और उनके पास आजीविका कमाने के लिए कोई अन्य कौशल या कृषि भूमि नहीं है.