वेंटिलेटर पर खैरागढ़ के सिविल अस्पताल: टपकती छत, खराब उपकरण और जर्जर इमारत… जिला तो बन गया, लेकिन स्वास्थ्य सुविधाओं का विकास शून्य…

खैरागढ़- जिला मुख्यालय खैरागढ़ में स्थित एकमात्र सिविल अस्पताल आज खुद बीमार हो गया है. अंग्रेजों के शासनकाल में वर्ष 1936 में बना यह अस्पताल ही हजारों ग्रामीणों की उम्मीद है, लेकिन यहां न सुविधाएं हैं, न साफ-सफाई. इतना ही नहीं, अस्पताल की हालत इतनी जर-जर है कि यहां कार्यरत स्वास्थ्य कर्मियों की जान भी अब खतरे में हैं. खैरागढ़ जिला होते हुए भी यहां का एक मात्र शासकीय अस्पताल खुद इलाज का मोहताज हो गया है.

बता दें, अस्पताल की खस्ता हालत, संसाधनों की भारी कमी और स्टाफ की अनुपलब्धता के कारण मरीजों को अक्सर निराश लौटना पड़ता है. 35 बिस्तरों वाले इस अस्पताल में रोजाना सैकड़ों मरीज पहुंचते हैं, लेकिन न सफाई है, न पर्याप्त डॉक्टर और न ही जरूरी मेडिकल उपकरण. अधिकतर उपकरण खराब हो चुके हैं. गंभीर मरीजों को कई बार बेहतर इलाज के लिए अन्य स्थानों की ओर रुख करना पड़ता है.

मेडिकल उपकरणों की स्थिति भी दयनीय

आज भी पुरानी एक्सरे मशीन का इस्तेमाल हो रहा है और सोनोग्राफी जैसी बुनियादी सुविधा तक उपलब्ध नहीं है. डॉक्टरों की गैरहाजिरी मरीजों के लिए और भी मुसीबत बन जाती है.

हाल ही में एक मामला तब सामने आया जब एक ग्रामीण अपनी गर्भवती पत्नी को इलाज के लिए यहां लाया, लेकिन सुविधाओं के अभाव में उसे पत्नी को लेकर छुईखदान के अस्पताल जाना पड़ा. यह स्थिति एक जिला अस्पताल के लिए बेहद चिंताजनक और शर्मनाक है.

अस्पताल की इमारत जगह-जगह से टूटी हुई है, दीवारों में दरारें और छतें टपकती हैं. स्टाफ नर्सें जोखिम उठाकर सेवाएं दे रही हैं, लेकिन भीतर सफाई की हालत इतनी खराब है कि अस्पताल परिसर में आवारा जानवर तक देखे जा सकते हैं.

जिले के दर्जे के बावजूद खैरागढ़ की स्वास्थ्य सेवाएं अभी भी प्राथमिक स्तर पर अटकी हुई हैं, जो प्रशासनिक उदासीनता और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही को उजागर करती हैं. अगर समय रहते इस ओर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह उपेक्षा किसी बड़ी त्रासदी का कारण बन सकती है.

शासन को भेजा गया नए भवन का प्रस्ताव : CHMO

इस पूरे मामले में सीएचएमओ आशीष शर्मा ने बताया कि सिविल अस्पताल खैरागढ़ का भवन काफी पुराना हो चुका है. इसके लिए शासन को नए भवन हेतु प्रस्ताव प्रेषित किया जा चुका है. नए भवन बनने तक पुराने भवन में सेवाएं और सुविधाएं संचालित करने के लिए फिलहाल स्थानीय प्रशासन और स्थानीय लोगों की मदद से रिपेरिंग आदि कार्य किये जा रहे हैं.

श्री सीमेंट खदान विस्तार : जनसुनवाई में हुआ जमकर विरोध, सरपंच से लेकर कांग्रेस अध्यक्ष तक ने जताई आपत्ति, मंच छोड़कर भागे अधिकारी

बलौदाबाजार- बलौदाबाजार जिले के ग्राम पत्थरचूआ में आयोजित श्री सीमेंट लिमिटेड की जनसुनवाई उस समय हंगामेदार हो गई, जब बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने खदान विस्तार का विरोध करते हुए कंपनी पर वादाखिलाफी, पर्यावरणीय नुकसान और स्थानीय समस्याओं की अनदेखी के आरोप लगाया. विरोध इतना तीव्र था कि मंच पर मौजूद पर्यावरण अधिकारी को कार्यक्रम बीच में ही छोड़कर जाना पड़ा. सरपंच समेत कई जनप्रतिनिधियों ने जनसुनवाई की पारदर्शिता और आयोजन स्थल पर सवाल उठाए.

जनसुनवाई श्री सीमेंट लिमिटेड के खपराडीह प्लांट के लिए ग्राम मोहरा, ब्लॉक-ए में चुना पत्थर खनन पट्टा क्षेत्र 127.046 हेक्टेयर भूमि पर पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना 2006 और उसके संशोधनों के अंतर्गत आयोजित की गई थी. इसमें सिमगा और पलारी तहसील के ग्राम मोहरा, पत्थरचूआ और भालूकोना के ग्रामीणों ने हिस्सा लिया और अपना पक्ष रखा.

ग्रामीणों ने कंपनी के खदान विस्तार का जमकर विरोध किया. स्थानीय लोगों ने खपराडीह गैस कांड का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि कंपनी के गैस उत्सर्जन से बच्चे बीमार हुए हैं. इसके अलावा खराब सड़कों की स्थिति, रोजगार की कमी, सीएसआर में गड़बड़ी, जल संकट, स्कूलों में प्रवेश की समस्या और किसानों की खेती प्रभावित होने जैसे मुद्दे भी प्रमुख रूप से उठाए गए. लोगों ने श्री सीमेंट प्रबंधन पर धोखाधड़ी और वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि कंपनी जमीन हड़पने का कार्य कर रही है. साथ ही जनसुनवाई को पत्थरचूआ में आयोजित करने का विरोध करते हुए कहा कि यह सुनवाई प्रभावित गांवों के बीच होनी चाहिए थी, लेकिन कंपनी ने इसे प्रायोजित कार्यक्रम बना दिया है जिसमें अपने समर्थकों को बाहर से बुलाया गया.

 

जनसुनवाई में हिस्सा लेने पहुंचे प्रभु बंजारे ने कहा कि इस जनसुनवाई की लोगों को जानकारी नहीं दी गई. ग्राम मोहरा की सरपंच तारिणी वर्मा और जिला कांग्रेस अध्यक्ष सुमित्रा घृतलहरे ने भी जानकारी नहीं देने का आरोप लगाया. गांव के रामखेलावन ध्रुव ने भी जनसुनवाई का विरोध किया. गांव के रामखेलावन ध्रुव ने भी जनसुनवाई का विरोध किया. वहीं भारी विरोध को देखते हुए पर्यावरण अधिकारी पी.के. रबड़े मीडिया से दूरी बनाते हुए मंच छोड़कर भाग गए. इस दौरान बलौदाबाजार से पहुंचे कुछ नेताओं और महिलाओं ने जनसुनवाई का समर्थन किया.

वहीं जनसुनवाई में मौजूद अपर कलेक्टर दीप्ति गौटे ने सुनवाई को संपन्न बताया. कंपनी के पर्यावरण विभाग के प्रमुख सुनील देशमुख ने कहा कि जनसुनवाई में आए तमाम मुद्दों पर कार्रवाई करने के साथ ही हम आगे बढ़ेंगे. रोजगार सहित अन्य मुद्दे आए हैं. पर्यावरण को लेकर कंपनी काफी संजीदा है, क्योंकि पर्यावरण स्वच्छ रहेगा तो हम सब स्वस्थ व सुरक्षित रहेंगे.

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर है सजग और प्रतिबद्ध : स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल

रायपुर- स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल आज रायपुर मेडिकल कॉलेज ऑडिटोरियम में आयोजित टीबी उन्मूलन एवं एनक्यूएएस (NQAS) में उत्कृष्ट कार्य करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों के राज्य स्तरीय सम्मान समारोह में शामिल हुए।

इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री श्री जायसवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर सजग, संवेदनशील और सक्रिय है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा वर्ष 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने के लक्ष्य की दिशा में छत्तीसगढ़ भी पूरे समर्पण और संकल्प के साथ काम कर रहा है।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ को देश में टीबी मुक्त ग्राम पंचायत कार्य को सर्वश्रेष्ठ ढंग से लागू करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया है, जो हम सभी के लिए गौरव की बात है। राज्य की 4103 ग्राम पंचायतें टीबी मुक्त घोषित की गई हैं। यह उपलब्धि ग्राम पंचायतों के जनप्रतिनिधियों, स्वास्थ्यकर्मियों और नागरिकों की सहभागिता का परिणाम है।

उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए टीम भावना से काम करना जरूरी है, ताकि योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुँचे।

गौरतलब है कि निक्षय निरामय अभियान के अंतर्गत राज्य में 36 लाख से अधिक हाई रिस्क व्यक्तियों की स्क्रीनिंग, 4.5 लाख एक्स-रे जांच और 1.5 लाख टीबी जांच उच्च तकनीक NAT मशीनों से की गई। इन प्रयासों से 100 दिनों के भीतर 17 हजार नए टीबी मरीजों की पहचान कर उपचार प्रारंभ किया गया। साथ ही 3130 नए नि-क्षय मित्रों का पंजीयन कर, 25 हजार से अधिक टीबी मरीजों को पोषण आहार प्रदान किया गया।

इस मौके पर स्वास्थ्य विभाग के सचिव अमित कटारिया ने कहा कि यह उपलब्धि हमारे जमीनी स्वास्थ्यकर्मियों की मेहनत और प्रतिबद्धता का प्रमाण है। हमारा उद्देश्य सिर्फ लक्ष्य तय करना नहीं, बल्कि ठोस परिणाम देना है। टीबी के खिलाफ हमारी यह लड़ाई अब केवल अभियान नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सेवा है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की प्रबंध संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला ने कहा कि 'नि-क्षय मित्र' अभियान ने प्रदेश में सामुदायिक भागीदारी की एक नई मिसाल कायम की है। उन्होंने कहा कि यह वर्ष टीबी उन्मूलन की दिशा में निर्णायक सिद्ध होगा और सभी स्वास्थ्यकर्मी इसे अपना व्यक्तिगत संकल्प मानें।

सम्मान समारोह में विभिन्न श्रेणियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए जिलों को पुरस्कृत किया गया। 350 से कम पंचायतों की श्रेणी में मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर को पहला, कोरिया को दूसरा और मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी को तीसरा स्थान प्राप्त हुआ। वहीं, 350 से अधिक पंचायतों की श्रेणी में जशपुर को प्रथम, सरगुजा को द्वितीय और रायगढ़ को तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया।

नि-क्षय मित्र पहल श्रेणी में गरियाबंद को प्रथम और रायपुर को द्वितीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 100 दिवसीय निक्षय निरामय अभियान में उच्च वरीयता वाले जिलों के अंतर्गत नारायणपुर को प्रथम और कोंडागांव को द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ, जबकि निम्न वरीयता वाले जिलों में कांकेर को पहला और मुंगेली को दूसरा पुरस्कार प्रदान किया गया।

राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन प्रमाण (NQAS) श्रेणी में रायपुर को प्रथम, महासमुंद को द्वितीय और दुर्ग को तृतीय पुरस्कार मिला।

इस राज्य स्तरीय सम्मान समारोह में संचालक डॉ. सुरेंद्र पामभोई, विभागीय अधिकारीगण, जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, सिविल सर्जन, डीपीएम सहित विकासखंड स्तरीय अधिकारी एवं चिकित्सकगण उपस्थित थे।

विष्णु का सुशासन कल्याणकारी, हर वर्ग के लिए कार्य कर रही सरकार : उपमुख्यमंत्री अरुण साव

रायपुर-  उप मुख्यमंत्री अरुण साव राजनांदगांव के घुमका में विकास कार्यों के भूमिपूजन और मुख्यमंत्री सामूहिक कन्या विवाह योजना के अंतर्गत आयोजित सामूहिक विवाह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उन्होंने घुमका नगर पंचायत में एक करोड़ 49 लाख रुपए से अधिक के विकास कार्यों का भूमिपूजन किया। उन्होंने इस मौके पर आयोजित कार्यक्रम में घुमका में विभिन्न कार्यों के लिए 50 लाख रुपए देने की घोषणा की। इनमें विद्युतीकरण के लिए नौ लाख 85 हजार रुपए, सड़क में बोर्ड लगाने के लिए नौ लाख 83 हजार रुपए तथा तीन द्वारों के लिए दस-दस लाख रुपए शामिल हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा घुमका में आयोजित सामूहिक विवाह में 20 जोड़े परिणय सूत्र में बंधे। श्री साव ने सभी जोड़ों को आशीष प्रदान करते हुए बधाई और शुभकामनाएं दीं। सांसद संतोष पाण्डेय और विधायक हर्षिता स्वामी बघेल भी दोनों कार्यक्रमों में शामिल हुईं।

उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने सामूहिक विवाह समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री सामूहिक कन्या विवाह योजना के अंतर्गत यहां 20 जोड़ों का विवाह हो रहा है, 40 परिवारों में खुशियां आ रही हैं। आज का दिन ऐतिहासिक है, सामूहिक विवाह के साथ ही एक करोड़ 49 लाख रुपए से अधिक के विकास कार्यों का भूमिपूजन किया गया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में सरकार हर व्यक्ति के विकास के लिए कार्य कर रही है। राज्य और केंद्र सरकार हर परिवार के आवास और इलाज की व्यवस्था के साथ ही सामूहिक विवाह कार्यक्रमों के माध्यम से बेटे-बेटियों के विवाह की चिंता भी दूर कर रही है। छत्तीसगढ़ में विष्णु का सुशासन कल्याणकारी है।

सांसद संतोष पाण्डेय ने कार्यक्रम में अपने संबोधन में कहा कि आज बड़ी खुशी का दिन है, सामूहिक विवाह में 20 दम्पति परिणय सूत्र में बंधे हैं, उनके जीवन में कृपा और समृद्धि आए। उप मुख्यमंत्री अरुण साव घुमका नगर पंचायत की सोच के अनुरूप सुंदर शहर की परिकल्पना से समग्र विकास के लिए कार्य कर रहे हैं। विधायक हर्षिता स्वामी बघेल ने भी सभी नवदम्पत्तियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सामूहिक कन्या विवाह शासन की महत्वपूर्ण योजना है। इससे गरीब एवं जरूरतमंदों को मदद मिल रही है। राज्य तेलघानी बोर्ड के अध्यक्ष जितेन्द्र साहू, राजनांदगांव जिला पंचायत की अध्यक्ष किरण वैष्णव और समाज सेवी कोमल सिंह राजपूत सहित अनेक जनप्रतिनिधि, गणमान्य नागरिक और अधिकारी-कर्मचारी भी बड़ी संख्या में कार्यक्रम में मौजूद थे।

सांसद बृजमोहन अग्रवाल के पत्र का असर, 2621 सहायक शिक्षकों के समायोजन का निर्णय

रायपुर- बर्खास्त शिक्षक मामले में सांसद बृजमोहन अग्रवाल के पत्र का असर हुआ है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में प्रदेश मंत्रिपरिषद ने 2621 बी.एड. अर्हताधारी सहायक शिक्षकों को सहायक शिक्षक (विज्ञान - प्रयोगशाला) के पद पर समायोजित करने का निर्णय लिया है।

सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने इस फैसले पर मुख्यमंत्री और उनकी कैबिनेट का आभार व्यक्त करते हुए कहा है कि, "मैं इस निर्णय के लिए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय जी समेत पूरी कैबिनेट का दिल से आभार प्रकट करता हूँ। साथ ही समायोजित सभी सहायक शिक्षकों को हार्दिक बधाई और उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएँ देता हूँ। यह निर्णय न केवल शिक्षकों के जीवन में स्थायित्व लाने वाला है, बल्कि उनके परिवारों को भी सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा प्रदान करेगा।

बता दें कि, 7 अप्रैल 2025 को सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि , राज्य सरकार संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए इन शिक्षकों को समकक्ष पदों पर एक बार की विशेष छूट (ONE TIME EXEMPTION) के माध्यम से समायोजित करें। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि राज्य के मिडिल और हाई स्कूलों में प्रयोगशाला सहायक जैसे कई समकक्ष पद रिक्त हैं, जिन पर इन योग्यताधारी बर्खास्त शिक्षकों को समायोजित किया जा सकता है। सांसद ने यह मांग की है कि राज्य सरकार संवेदनशीलता दिखाते हुए संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुरूप जीवन रक्षा के अपने कर्तव्यों का पालन करे और इन शिक्षकों के भविष्य को अंधकारमय होने से बचाए। राज्य सरकार द्वारा इस सुझाव को गंभीरता से लेते हुए 23 दिन बाद बर्खास्त शिक्षकों को समायोजित करने का निर्णय लिया गया है।

गंदा पानी पीने को लोग मजबूर, शिकायतों के बाद भी समाधान नहीं

कवर्धा- जिले से करीब 80 किमी दूर हरे-भरे जंगलों और पहाड़ियों के बीच बसा दलदली गांव प्राकृतिक सौंदर्य से तो समृद्ध है, लेकिन बुनियादी जरूरतों में सबसे अहम पानी के लिए आज भी जूझ रहा है। लगभग 600 की आबादी वाले इस गांव में ज्यादातर लोग विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा से हैं, और विडंबना यह है कि यह वही इलाका है, जहां से हर साल करोड़ों रुपये की रॉयल्टी सरकार को मिलती है, क्योंकि यहीं जिले की इकलौती बॉक्साइट खदान है।

दिखने में हरा-भरा और शांत गांव, लेकिन असलियत में यहां की महिलाएं और बच्चे रोज पानी के लिए जद्दोजहद करते हैं। झिरिया, यानी मिट्टी के गड्ढों से गंदा पानी छानकर पीना इनकी मजबूरी बन चुकी है। गर्मियों में तो हाल और खराब हो जाता है – कई बार सिर्फ पानी ढूंढ़ते हुए पूरा दिन निकल जाता है। यह पानी न केवल गंदा होता है, बल्कि उसमें तरह-तरह के बैक्टीरिया और कीटाणु होने का भी खतरा बना रहता है, जिससे लोगों में संक्रामक बीमारियां फैलने का डर हर समय बना रहता है।

ग्रामीणों ने बार-बार शासन-प्रशासन से गुहार लगाई, लेकिन कोई स्थायी समाधान सामने नहीं आया। वहीं प्रशासन का कहना है कि जल जीवन मिशन के तहत काम चल रहा है और इलाके में जरूरी संसाधन भी दिए गए हैं। लेकिन सवाल वही का वही है कि अगर सब कुछ ठीक है, तो फिर गांव वाले गंदा पानी क्यों पी रहे हैं?

इस स्थिति की जानकारी ग्रामीणों ने कई बार शासन-प्रशासन को दी, शिकायतें दर्ज करवाईं, लेकिन आज तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकल पाया। हैरानी की बात यह है कि जहां सरकार को करोड़ों की आमदनी हो रही है, वहीं उसी जमीन पर रहने वाले लोग पानी की एक बूंद के लिए तरस रहे हैं।

प्रशासन की माने तो इस इलाके में पानी के लिए साधन उपलब्ध कराए हैं और और जल जीवन मिशन के तहत कार्य प्रगतिरत है, तो फिर सवाल यह उठता है कि प्रशासन सुविधा उपलब्ध करा रही है तो आखिर इस इलाके में इस तरह की तस्वीर क्यों देखी जा रही है, यहां के लोग आज भी झिरिया का नाले का गंदा पानी क्यों पी रहे हैं, आदिवासी बैगा समुदाय के लिए भी एक बेहतर जीवन की आशा कब साकार होगी ?

नक्सलियों के गढ़ में जवानों ने लहराया तिरंगा

बीजापुर- सुरक्षा बल के जवानों ने नक्सलवाद के खिलाफ सबसे बड़ी लड़ाई में 1 और बड़ी सफलता हासिल की है. जवानों ने छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमा पर बसे नक्सलियों के गढ़ कर्रेगुट्टा पहाड़ी पर भारत का तिरंगा लहराया दिया है. यह देश में नक्सलवाद के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ी कार्रवाई है, जिसमें सुरक्षा बल के जवान बीते 9 दिन से लगातार लाल आतंक के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं. नक्सलवाद के खिलाफ यह लड़ाई अब अंतिम पड़ाव पर है.

बता दें, कर्रेगुट्टा पहाड़ पर एंटी नक्सल ऑपरेशन का आज 9वां दिन है. नक्सलियों के खात्मे के लिए लगभग 10 से 12 हजार जवानों ने पहाड़ी को अपने कब्जे में कर लिया है. जवानों ने बड़े कैडर के नक्सली लीडरों समेत सैकड़ों नक्सलियों का खात्मा और उनके सभी बंकरों को ध्वस्त करने का संकल्प किया है.

बीते मंगलवार को फोर्स ने पहाड़ पर कब्जा कर लिया है. यहां हेलीकॉप्टर की सहायता से 500 जवानों को उतारा गया. पहले इस ऑपरेशन में सिर्फ छत्तीसगढ़ पुलिस, तेलंगाना पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्स शामिल थी. वहीं अब बिहार और झारखंड के सेंट्रल सुरक्षाबल के जवानों की भी कर्रेगुट्टा पहुंचने की जानकारी सामने आई है

नक्सलियों के खिलाफ जारी ऑपरेशन में जवानों ने अब तक 5 नक्सलियों को ढेर किया है, जिनमें से 3 महिला नक्सलियों के शव समेत कई हथियार भी बरामद हुए हैं. वहीं कर्रेगुट्टा पहाड़ का तापमान 40 से 45 डिग्री के बीच होने की वजह से कई जवानों की तबीयत भी बिगड़ी है. ऑपरेशन के दौरान तेज गर्मी से लगभग 40 जवान डिहाइड्रेशन के शिकार हुए और 2 जवान नक्सलियों द्वारा लगाए गए आईईडी की चपेट में आने से घायल भी हुए हैं. 

कर्रेगुट्टा से लगे दो और पहाड़ पर कब्जा करेगी फोर्स

फोर्स के अफसरों ने बताया कि अभी ऑपरेशन को रोका नहीं जाएगा, ऑपरेशन जारी रहेगा. कर्रेगुट्टा से लगे दो और पहाड़ हैं, जिस पर भी फोर्स कब्जा करेगी. भोपालपटनम इलाके के पहाड़ पर कब्जे के बाद भोपालपटनम की ओर से भी आवाजाही शुरू की जाएगी.

आईबी चीफ ने अधिकारियों से की बैठक

कर्रेगुट्टा में जारी नक्सल ऑपरेशन के बीच आईबी चीफ तपन डेका ने छत्तीसगढ़ में अधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक में तय किया गया कि ऑपरेशन जारी रहेगा और फोर्स को बैकअप के लिए दूसरे जिलों से भी बुलाया जाएगा.

तेलंगाना शांतिवार्ता के सदस्य ने सीएम रेड्डी से की मुलाकात

कर्रेगुट्टा पहाड़ पर चल रहे बड़े नक्सल ऑपरेशन को रोकवाने के लिए तेलंगाना शांतिवार्ता के सदस्य ने सीएम रेवंत रेड्डी से मुलाकात की. उन्होंने सीएम से ऑपरेशन रोकने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाने का अनुरोध किया, जिस पर सीएम ने पहल करने का आश्वासन दिया.

आधी रात गर्भवती महिला की अंबेडकर अस्पताल में हुई एंजियोप्लास्टी

रायपुर- प्रदेश के सबसे बड़े पं. नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय एवं इससे सम्बद्ध डॉ. भीमराव अंबेडकर स्मृति चिकित्सालय ने एक बार नहीं, बल्कि अनेक बार गंभीर एवं जटिल मामलों में मरीजों की जान बचाकर यह प्रमाणित किया है कि शासकीय चिकित्सा संस्थान आज भी उपचार के मामले में किसी से कम नहीं हैं.

इसी का एक उदाहरण मंगलवार और बुधवार की दरम्यानी रात करीब 1 से 2 बजे के बीच अंबेडकर अस्पताल स्थित एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट (ACI) में देखने को मिला. हार्ट अटैक की शिकार एक चार महीने की गर्भवती महिला, गर्भावस्था की जटिल समस्या के साथ दर्द से कराहती हुई एक निजी अस्पताल से अंबेडकर अस्पताल के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग पहुंची, जहां से उसे कार्डियोलॉजी विभाग में ट्रांसफर किया गया.

वहां पर एसीआई के कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. स्मित श्रीवास्तव, गायनेकोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. ज्योति जायसवाल, डॉ. रूचि किशोर गुप्ता के निर्देशन एवं संयुक्त सहयोग से कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. एस. के. शर्मा एवं डॉ. कुणाल ओस्तवाल के साथ अन्य डॉक्टरों की टीम ने इमरजेंसी एंजियोप्लास्टी कर मरीज के साथ-साथ गर्भ में पल रहे शिशु की जान बचाई. मरीज के हृदय की मुख्य नस लेफ्ट एंटीरियर डिसेंडिंग आर्टरी में 100 प्रतिशत ब्लॉकेज थी. अस्पताल में मौजूद लोगों के मुताबिक अक्षय तृतीया पर दान का बहुत महत्व होता है और यहां पर मरीज की बेहद गंभीर हालत होने के बावजूद डॉक्टरों ने जोखिम उठाते हुए चंद मिनटों में ही निर्णय लेकर मरीज को जीवनदान दिया. वहीं डॉक्टरों के अनुसार मरीज का ऐसी स्थिति में अम्बेडकर अस्पताल आना और इसी दिन अक्षय तृतीया का होना संयोग मात्र है.

पं. नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय के डीन डॉ. विवेक चौधरी एवं अम्बेडकर अस्पताल अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर ने गर्भवती महिला के इलाज में शामिल रहे पूरी टीम को बधाई दी है तथा गर्भवती महिला एवं गर्भस्थ शिशु के बेहतर स्वास्थ्य की कामना की है.

केस की कहानी, डॉ. स्मित श्रीवास्तव की जुबानी

40 वर्षीय महिला मरीज को हाई रिस्क प्रेग्नेंसी है. प्लेसेंटा प्रिविया (प्लेसेंटा द्वारा गर्भाशय ग्रीवा को अवरुद्ध करने से होने वाला गंभीर रक्तस्त्राव) की समस्या के साथ छाती के दाहिने हिस्से में बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था. हाई रिस्क प्रेग्नेंसी और पीवी ब्लीडिंग के साथ मरीज एनीमिक थी. उसका हीमोग्लोबिन 6 से 7 ग्राम के आस-पास था. मरीज के पहले दो अर्बाशन हो चुके थे. यह उनकी तीसरी प्रेग्नेंसी थी. मरीज इसके साथ ही इनफर्टिलिटी का उपचार भी ले रही थी. मरीज का इससे पूर्व अपेंडेक्टोमी हुआ था. मरीज को जब अस्पताल लाया गया तो उसके छाती के दाहिने हिस्से में दर्द हो रहा था. वह छह घंटे के दर्द में आयी थी. प्रेग्नेंसी में सामान्यतः हार्ट अटैक नहीं होते. रात को एक से दो बजे के बीच मरीज को तुरंत कैथ लैब में लिया गया. एंजियोग्राफी से पता चला मरीज के हृदय की मुख्य नस लेफ्ट एंटीरियर डिसेंडिंग आर्टरी 100 प्रतिशत ब्लॉक थी. तुरंत वहीं पर एंजियोप्लास्टी की गई. उस वक्त मरीज के परिजनों के पास न तो आयुष्मान कार्ड था और न ही किसी प्रकार की अन्य औपचारिकताओं को पूरा करने का समय. हमें महिला की जान के साथ-साथ गर्भ की रक्षा करना जरूरी थी. यहां पर मरीज की जान की कीमत औपचारिकताओं से ज्यादा जरूरी थी. बिना किसी राशि या सहयोग के हमने एंजियोप्लास्टी कर मरीज की जान बचाई. अभी मरीज कैथ लैब आईसीयू में डॉक्टरों की देखरेख में भर्ती है. 24 घंटे के ऑब्जर्वेशन के बाद उसकी स्थिति बेहतर है.

डॉक्टरों की टीम

विभागाध्यक्ष डॉ. स्मित श्रीवास्तव के निर्देशन में डॉ. एस. के. शर्मा, डॉ. कुणाल ओस्तवाल, डॉ. प्रतीक गुप्ता, डॉ. रजत पांडे, स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग से विभागाध्यक्ष डॉ. ज्योति जायसवाल, यूनिट इंचार्ज डॉ. रूचि किशोर गुप्ता के निर्देशन में डॉ. निशा वट्टी, डॉ. सौम्या, एनेस्थेटिस्ट डॉ. शालू, स्टॉफ नर्स डिगेन्द्र एवं मुक्ता उपचार करने वाले टीम में शामिल रहे.

भारतमाला प्रोजेक्ट घोटाले पर सबसे बड़ी खबर, दिए गए मुआवजे का प्रकाशन होगा

रायपुर- रायपुर संभाग आयुक्त महादेव कावरे ने आज अपने संभाग के सभी कलेक्टरों के साथ महत्वपूर्ण बैठक की. रायपुर संभाग कलेक्टर कांफ्रेंस में भारतमाला प्रोजेक्ट में मुआवजा को लेकर बड़ा फैसला लिया गया. भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत लोगों को मिले मुआवजे का प्रकाशन किया जाएगा. इसकी पूरी जानकारी कल जिला प्रशासन की वेबसाइट पर आ जाएगी. इससे पता चल जाएगा कि किस-किस को कितना मुआवजा मिला है.

मुआवजे का विवरण सार्वजनिक होने के बाद लोगों को दावा आपत्ति करने 15 दिन का समय दिया जाएगा. संभाग आयुक्त महादेव कावरे ने बताया, भारतमाला के अलावा जितने प्रोजेक्ट्स के तहत मुआवजा दिया गया है सभी का प्रकाशन किया जाएगा. रायपुर और धमतरी जिले में 2019 से लेकर अब तक की जानकारी संकलित करने के आदेश दिए गए थे.

क्या है भारतमाला परियोजना का मुआवजा घोटाला?

छत्तीसगढ़ में भारतमाला परियोजना के तहत राजधानी रायपुर से विशाखपट्टनम तक 950 किमी सड़क निर्माण किया जा रहा है. इस परियोजना में रायपुर से विशाखापटनम तक फोरलेन सड़क और दुर्ग से आरंग तक सिक्सलेन सड़क बनना प्रस्तावित है. इस सड़क के निर्माण के लिए सरकार ने कई किसानों की जमीनें अधिग्रहित की है. इसके एवज में उन्हें मुआवजा दिया जाना है, लेकिन कई किसानों को अब भी मुआवजा नहीं मिल सका है. विधानसभा बजट सत्र 2025 के दूसरे दिन नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत ने इस मुद्दे को उठाया था, जिसके बाद इस मामले में जांच का फैसला लिया गया था.

क्या है भूमि अधिग्रहण नियम

भूमि अधिग्रहण नियम 2013 के तहत हितग्राही से यदि 5 लाख कीमत की जमीन ली जाती है, तो उस कीमत के अलावा उतनी ही राशि यानी 5 लाख रुपए सोलेशियम के रूप में भी दी जाएगी. इस तरह उसे उस जमीन का मुआवजा 10 लाख दिया जाएगा. इसके तहत 5 लाख की यदि जमीन अधिग्रहित की जाती है तो उसके 10 लाख रुपए मिलेंगे और 10 लाख रुपए सोलेशियम होगा. इस तरह हितग्राही को उसी जमीन के 20 लाख रुपए मिलेंगे.

कृषि केंद्र संचालक की फंदे पर लटकी मिली लाश, मोबाइल कैमरा ऑन, कान में लगा था ईयरफोन, पुलिस हर एंगल से कर रही जांच…

गरियाबंद- छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में एक 38 वर्षीय कृषि केंद्र ने किराए के मकान में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है. मृतक ने अपना मोबाइल कैमरा टेबल पर सेट कर कान में ईयरफोन लगाकर इस घटना को अंजाम दिया है. इस घटना से इलाके में सनसनी फैल गई है. सूचना पर पहुंची पुलिस ने मर्ग कायम कर मृतक के शव को पीएम के लिए भेज दिया है और मोबाइल जब्त कर मामले की जांच शुरू कर दी है. पूरी घटना देवभोग मांझी पारा की है.

जानकारी के अनुसार, मृतक की पहचान जितेंद्र कुशवाहा (38 वर्ष) है. वह मैनपुर निवासी रिटायर्ड कृषि विस्तार अधिकारी R.D. कुशवाहा का इकलौता बेटा था. मृतक के परिवार में पत्नी और 2 बच्चे भी हैं. वह सप्ताह में 2 से 3 दिनों के लिए किराए के मकान में देवभोग आया करता था.

हर सप्ताह 2-3 दिन के लिए किराए के मकान में आता था युवक

रोजाना की तरह जितेंद्र का निजी स्टाफ आज सुबह मकान का दरवाजा खटखटाया, कॉल भी लगाया. डेढ़ घंटे बाद भी जब दरवाजा नहीं खुला, तो उसने परिजनो और पुलिस को सूचना दी. सूचना मिलते ही मृतक के पिता और पुलिस मौके पर पहुंचे. देवभोग पुलिस ने दरवाजा तोड़ कर अंदर प्रवेश किया तो जितेंद्र का शव फंदे पर लटकते मिला.

मोबाइल की छानबिन में जुटी पुलिस

थाना प्रभारी गौतम गावड़े ने बताया कि मामले में पंचनामा कर शव को पीएम के लिए भेजा जा रहा है. प्रथम दृष्टया मामला आत्महत्या का है. जिस तरह से मोबाइल टेबल में रखा हुआ है, कान में इयर फोन लगा हुआ है, ऐसा प्रतीत हो रहा है कि घटना के वक्त किसी से वह ऑनलाइन या कॉल से जुड़ा हुआ था. फिलहाल मृतक के मोबाइल को जप्त कर जांच की जा रही है.