अब महाराष्ट्र में हिंदी पर विवाद, सुप्रिया सुले से लेकर उद्धव ठाकरे तक ने फडणवीस सरकार पर साधा निशाना
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महाराष्ट्र में भाषा विवाद ने तूल पकड़ रखा है। राज्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत हिंदी को कक्षा 1 से 5 तक तीसरी अनिवार्य भाषा बनाने का फैसला हुआ है। इस फैसले ने सियासी बवाल मचा दिया है। राज्य के मराठी और अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में पहली और 5वीं क्लास तक के छात्रों के लिए हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने का विरोध हो रहा है। इसे इसे मराठी संस्कृति पर खतरा बताया जा रहा है।
तमिलनाडु की तरह इसका विरोध किया जाएगा-राज ठाकरे
हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाए जाने के फैसले पर महाराष्ट्र में अपना सियासी वजूद बचाने में जुटी राज ठाकरे की मनसे यानी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना आग बबूला है। मनसे चीफ राज ठाकरे ने फडणवीस सरकार के इस निर्णय की निंदा की। उन्होंने कहा कि मनसे इस फैसले का पुरजोर विरोध करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि इसे लागू न किया जाए। अब तक मराठी और अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में केवल दो भाषाएं पढ़ाई जाती थीं, लेकिन अब हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाया जा रहा है। राज ठाकरे ने कहा तमिलनाडु की तरह इसका विरोध किया जाएगा।
हिंदी को ज़बरदस्ती थोपना ठीक नहीं- उद्धव ठाकरे
महाराष्ट्र में नई शिक्षा नीति को लेकर जारी विवाद के बीच शनिवार को शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में हिंदी भाषा को जबरन लागू नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने साफ किया कि उन्हें हिंदी भाषा से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन इसका ज़बरदस्ती थोपना ठीक नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र की मातृभाषा मराठी है और उसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम हिंदी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इसे बच्चों पर क्यों थोपा जा रहा है? महाराष्ट्र की अपनी मातृभाषा मराठी है और उसे सबसे पहले प्राथमिकता मिलनी चाहिए।
एसएससी बोर्ड को खत्म करने की साजिश-सुले
वहीं, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एससीपी) की सांसद सुप्रिया सुले ने शनिवार को महाराष्ट्र सरकार के हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य करने के फैसले की आलोचना की और इसे एसएससी बोर्ड को खत्म करने की साजिश करार दिया।सुले ने कहा, मैंने पहले भी कहा है कि यह फैसला जल्दबाजी में लिया गया है। मराठी महाराष्ट्र की आत्मा है और यह आगे भी नंबर वन रहेगी। शिक्षा के क्षेत्र में बहुत काम करना है और मराठी भाषा पहली भाषा होनी चाहिए। मुझे लगता है कि यह कदम एसएससी बोर्ड को खत्म करने की साजिश है।
विरोध की वजह क्या है?
बता दें कि महाराष्ट्र सरकार ने एनईपी 2020 के तहत 2025-26 सत्र से मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में मराठी, अंग्रेजी और हिंदी को त्रिभाषा नीति के तहत अनिवार्य करने का फैसला किया। हालांकि, मराठी अब भी पहली अनिवार्य मातृभाषा है। अंग्रेजी दूसरी अनिवार्य भाषा है। अब हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाया गया है। अब समझ नहीं आता कि इसमें विवाद क्यों है। अगर मराठा भाषी राज्य में हिंदी को पहली अनिवार्य भाषा बनाया जाता तो विरोध समझ में आता है।
Apr 19 2025, 16:35