सोशल मीडिया पर एक हैरान करने वाला वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक 70 साल के बुजुर्ग ने रचाई 20 साल की लड़की से शादी

डेस्क:–सोशल मीडिया पर आज कल कई अजीबो-गरीब वीडियो वायरल होते रहते हैं। सोशल मीडिया पर आज कल शादियों के कई वीडियो वायरल होते रहते हैं। ये वीडियो वाकई लोगों को कभी-कभी काफी हैरान कर देते हैं। इन शादियों में जा तो कुछ लोग डांस करते हुए नजर आते हैं या कुछ लोग बुरी तरह खाना खाते हुए नजर आते हैं। या फिर कुछ लोग एक दूसरे से झगड़ते हुए दिखाई देते हैं। लेकिन कुछ वीडियो ऐसे भी होते हैं जिनको देखकर हम अपनी आंखों पर विश्वास नहीं कर पाते हैं। इस बार भी सोशल मीडिया पर इसी तरह का एक वीडियो इस समय वायरल हो रहा है जिसको देखकर आपका सिर भी चकरा जाएगा। आम शादियों में लोग एक दूसरे के हमउम्र के साथ शादी करते हैं, लेकिन इस वायरल वीडियो में एक लड़की एक 70 साल के बुजुर्ग के साथ शादी करते हुए दिखाई दे रही है। वीडियो में दोनों एक दूसरे के साथ शादी के मंडप में बैठे हुए दिखाई दे रहे हैं और शादी की रस्में भी होती हुई दिखाई दे रही है। वीडियो जब से लोगों के बीच वायरल हुआ है तब से यह चर्चा का विषय बन गया है।

जानकारी के लिए बता दें कि इस तरह की शादी का यह कोई पहला मामला नहीं है, बल्कि इस तरह की शादी के कई वीडियो सोशल मीडिया पर अक्सर वायरल होते रहते हैं। लेकिन उनमें बस फर्क सिर्फ इतना होता है कि उन वीडियो में लोग डांस करते हुए, एक दूसरे के साथ झगड़ते हुए या फिर कुछ न कुछ अजीबो-गरीब हरकत करते हुए दिखाई देते हैं। यह वीडियो उन बाकी वीडियो से इसलिए अलग है क्योंकि इस वीडियो में लड़की के साथ कोई लड़का नहीं बल्कि एक 70 साल का बुजुर्ग है। वीडियो में आप साफ देख सकते हैं कि मंडप में दूल्हा-दुल्हन बैठे हुए हैं। लेकिन लड़की की जिसके साथ शादी हो रही है वह एक 70 साल का बुजुर्ग है। वीडियो में दोनों ने सरहा पहना हुआ है और लगभग दोनों इस शादी से खुश ही दिखाई दे रहे हैं। दुल्हन इस दौरान दूल्हे की तरफ देखकर मंद-मंद मुस्कुराना शुरू कर देती है। दुल्हन को मुस्कुराते हुए देखकर शादी के मंडप में पूरा माहौल ही बदल जाता है।

सोशल मीडिया पर यह वीडियो काफी जमकर वायरल हो रहा है। वीडियो को सोशल मीडिया के इंस्टाग्राम पर नाम के अकाउंट से शेयर किया गया है। वीडियो को काफी लोग देख चुके हैं और कई लोगों ने वीडियो पर कमेंट करके अपनी-अपनी प्रतिक्रिया भी दी है। वीडियो पर एक यूजर ने कमेंट करके लिखा है कि-जहर दे दो मुझे। दूसरे यूजर ने वीडियो पर कमेंट किया है कि-माँ बाप को नहीं दिखता, या लड़की को नहीं दिखता कि दादा हो कर पोती से शादी कर रहा है। इसके अलावा और भी कई लोग वीडियो पर बड़े ही मजेदार कमेंट कर रहे हैं। वीडियो लाखों बार देखा जा चुका है और तेजी से वायरल हो रहा है। हालांकि, साफ कर दें कि वीडियो किसी प्रैंक का हिस्सा भी हो सकता है।

source social media
मेरठ में फिर हुआ मुस्कान जैसा कांड, बीवी ने प्रेमी संग मिलकर की पति की हत्या, कैसे हुआ खुलासा

डेस्क:–उत्तर प्रदेश के मेरठ से एक ऐसी दिल दहला देने वाली वारदात सामने आई है, जिसने रिश्तों की नींव, भरोसे और इंसानियत को झकझोर कर रख दिया है। प्यार में पागल एक महिला ने प्रेमी संग मिलकर अपने पति की बेरहमी से हत्या की और फिर ऐसा झूठ रचा जिसे जानकर रूह कांप उठे। हत्या के बाद कहानी में एंट्री होती है ज़हरीले सांप की। जिसे हथियार बनाकर सच को छुपाने की नाकाम कोशिश की गई।

आपको बता दें कि मेरठ जिले के बहसूमा थाना क्षेत्र के अकबरपुर सादात गांव में रहने वाले अमित उर्फ मिक्की की मौत को पहले सांप के काटने का हादसा बताया गया। गांव में अफवाह फैली कि एक ज़हरीले सांप ने अमित को काट लिया, जिससे उसकी मौत हो गई। लेकिन जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट सामने आई, तो मामले की परतें एक-एक कर खुलती चली गईं।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में साफ हुआ कि अमित की मौत सांप के ज़हर से नहीं, गला दबाने से हुई थी। यहीं से शक की सुई घूमी पत्नी रविता की ओर। पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो रविता ने जो कहानी बताई, वो हैरान कर देने वाली थी।

हत्या के लिए खरीदा गया सांप!

पति की हत्या को एक्सीडेंट दिखाने के लिए रविता ने अपने प्रेमी अमरदीप के साथ मिलकर साजिश रची। आरोप है कि दोनों ने एक सपेरे से ₹1000 में ज़हरीला वाइपर सांप खरीदा और अमित की लाश के पास उसे छोड़ दिया। सांप ने शव को करीब 10 बार काटा, ताकि लगे कि मौत सांप के डसने से हुई है। रविता ने गांव में भी यही कहानी फैलाई।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद पुलिस ने जब दोबारा से पूछताछ की, तो रविता टूट गई और सब कुछ उगल दिया। उसने कुबूल किया कि पति की हत्या में उसका प्रेमी अमरदीप शामिल था, और दोनों ने मिलकर इस गुनाह की योजना बनाई थी। फिलहाल, दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया है और हत्या व साजिश की धाराओं में केस दर्ज किया गया है।

रूह अफ़ज़ा बनाने वाले हकीम अब्दुल हमीद की दवा कैसे बनी शरबत? जानिए, इसकी पूरी कहानी

डेस्क:–योगगुरु रामदेव के बयान से रूह अफ़ज़ा एक बार फिर चर्चा में आ गया है. बाबा ने इसे पीने वालों को सचेत किया है. अब जब रूह अफ़ज़ा बीच बहस में है , तो उसका इतिहास भी खंगाला जा रहा. वो हकीम हफीज़ अब्दुल मजीद याद किए जा रहे हैं , जिन्होंने 1907 की गर्मी में डिहाइड्रेशन से जूझते अपने मरीजों के लिए फल, जड़ी-बूटियों, गुलाब, केवड़े और खसखस के मेल से एक गाढ़ा लाल सिरप तैयार किया. जानिए, इसकी पूरी कहानी.

तपिश में सुकून देने वाला रूहअफ़ज़ा फिलहाल बाबा रामदेव के बयान की गर्मी की चपेट में है. जुबां को मिठास का लुत्फ़ और शरीर को तरावट देने वाले एक सदी से पुराने इस शरबत की आमदनी के इस्तेमाल पर बाबा ने सवाल किए हैं. बेशक उन्होंने नाम नहीं लिया लेकिन निशाना कहां है , इसे समझने में लोगों को देर नहीं लगी. मंदिर-मस्जिद के नुस्खे राजनीति में खूब असर दिखाते रहे हैं. अब व्यापार में भी इन्हें आजमाया जा रहा है. बाबा ने इसे पीने वालों को सचेत किया है. अब जब रूह अफ़ज़ा बीच बहस में है , तो उसका इतिहास भी खंगाला जा रहा. वो हकीम हफीज़ अब्दुल मजीद याद किए जा रहे हैं , जिन्होंने 1907 की गर्मी में डिहाइड्रेशन से जूझते अपने मरीजों के लिए फल, जड़ी-बूटियों, गुलाब, केवड़े और खसखस के मेल से एक गाढ़ा लाल सिरप तैयार किया. जो आगे चलकर तमाम घरों के किचन और डाइनिंग टेबल की जरूरत बन गया.

इस पेय को लोकप्रियता की बुलंदियों पर पहुंचाने वाले हाफ़िज़ पद्मभूषण हकीम अब्दुल हमीद की खासतौर पर चर्चा हो रही है, जिनका नाम यूनानी चिकित्सा प्रणाली की पढ़ाई और रिसर्च के साथ ही शिक्षा के प्रसार और समाज कल्याण से जुड़ी अनेक संस्थाओं के साथ जुड़ा हुआ है. पढ़िए, रूह अफ़ज़ा और उसे तमाम आबादी की पसंद बनाने वाले हकीम अब्दुल हमीद की कोशिशों के किस्से.

मरीजों की एक दवा जो बन गई शरबत

1906 में दिल्ली के लाल कुआं बाजार में हकीम हफीज अब्दुल मजीद ने हमदर्द नाम से दवाखाना खोला था. गर्मी से बेहाल मरीज शरीर में पानी की कमी के चलते सुस्ती-कमजोरी की शिकायत लेकर पहुंचते थे. यूनानी पद्धति से इलाज करने वाले हकीम ने ऐसे नुस्खे पर काम करना शुरू किया जो शरीर को ठंडक और पोषण दोनों दे. हकीम को जल्द ही कामयाबी मिली. फल जड़ी-बूटियों, गुलाब, केवड़ा और खसखस जैसी चीजों को मिलाकर तैयार सिरप उनके मरीजों के शरीर और मन दोनों को खूब भाया. हकीम मजीद का भी हौसला बढ़ा. उन्होंने इसे रूह अफ़ज़ा नाम दिया. रूह यानि आत्मा और अफ़ज़ा मतलब ताजगी देने वाला. 1907 में यह दवा थी. धीरे-धीरे यह शरबत बन गर्मी के मौसम में तमाम घर और परिवारों की की जरूरत बन गई. चौदह साल की उम्र में संभाली जिम्मेदारी

1922 में हकीम अब्दुल मजीद का निधन हुआ. लेकिन उस वक्त तक उनका डेढ़ दशक पहले शुरू हुआ छोटा सा हमदर्द दवाखाना रूह अफ़ज़ा की बदौलत काफी विस्तार हासिल कर चुका था. 1910 में रूह अफजा को बोतल में मार्केटिंग के लिए बंबई में रंग-बिरंगा लेबल तैयार कराया गया.

दिलचस्प है कि रूह अफ़ज़ा ने अपने लंबे सफ़र में अपने स्वाद के साथ ही इस लेबल को भी बरकार रखा है. 1908 में हकीम अब्दुल हमीद का जन्म हुआ. पिता अब्दुल मजीद के निधन के समय उम्र सिर्फ 14 साल के थे. लेकिन कम उम्र में ही उन्होंने मां राबिया बेगम के साथ हमदर्द कंपनी की जिम्मेदारी संभाल ली. आगे उनके छोटे भाई मोहम्मद सईद भी कारोबार में साथ जुड़ गए.

देश बंटा-परिवार बंटा

1947 में देश के विभाजन के साथ हकीम अब्दुल हमीद का परिवार भी विभाजित हुआ. छोटे भाई मोहम्मद सईद ने पाकिस्तान चुना. बड़े भाई हकीम अब्दुल हमीद भारत में ही रहे. लेकिन परिवार के बिखराव ने हमदर्द और रूह अफ़ज़ा की तरक्की में कोई रुकावट नहीं पैदा की. अब्दुल हमीद भारत में इसके विस्तार में लगातार कामयाब रहे. दूसरी ओर मोहम्मद सईद ने पाकिस्तान में रूह अफ़ज़ा का उत्पादन शुरू वहां भी इसे लोकप्रिय बना दिया. 1971 में बांग्लादेश के निर्माण के बाद वहां भी रूह अफ़ज़ा

का उत्पादन शुरू हो गया. फिलहाल रूह अफ़ज़ा की पहुंच चालीस देशों तक है. दो चम्मच रूह अफज़ा सिर्फ पानी में मिलाकर शरबत के तौर पर ही नहीं दूध, लस्सी, कुल्फी-फालूदा में घुल उन्हें खास लज्जत दे देता है. बाजार में तमाम विकल्पों के बीच भी रूह अफ़ज़ा का जलवा बरकरार है.

सिर्फ कारोबार नहीं , तमाम नेक कोशिशों से जुड़ाव

हमदर्द के जरिए कारोबार की दुनिया में मुकाम हासिल करने वाले हकीम अब्दुल हमीद का ध्यान मुस्लिम समाज के बड़े हिस्से में तालीम की कमी और गरीबी की ओर भी रहा. उन्हें जरूरी लगा कि इस दिशा में कुछ ठोस काम किया जाए. दिल्ली का भीड़ भरा आज का संगम बिहार उन दिनों जंगल हुआ करता था. हकीम हमीद ने उसी दौर में बड़ी जमीन खरीदी. इसी भूमि पर हमदर्द एजुकेशन सोसाइटी के सफर की शुरुआत हुई और फिर इस कैंपस को तालीमाबाद नाम मिला.

हमदर्द एजुकेशन सोसाइटी यहां से कई स्कूल, कोचिंग सेंटर और हमदर्द स्टडी सर्किल चलाती है. सोसाइटी मुख्य रूप से अल्पसंख्यकों की शिक्षा और कल्याणकारी उपायों के लिए काम करती है. हकीम अब्दुल हमीद को हमदर्द चैरिटेबल ट्रस्ट और हमदर्द नेशनल फाउंडेशन की स्थापना का भी श्रेय प्राप्त है. उन्होंने अपनी मां राबिया बेगम की याद में बालिकाओं की पढ़ाई के लिए राबिया गर्ल्स पब्लिक स्कूल की भी स्थापना की. एलोपैथी के विस्तार के बीच भी यूनानी चिकित्सा पद्धति को बचाए रखने के लिए उन्होंने जामिया के फार्मेसी कॉलेज की स्थापना भी की.

हकीम अब्दुल हमीद का निजी जीवन सादगी से भरपूर था. हमदर्द की कामयाबी की लगातार कोशिशों के बीच वे तमाम संस्थाओं के जरिए खासतौर पर पिछड़े अल्पसंख्यकों की बेहतरी की कोशिशों में लगे रहे. जो लोग उनके सीधे संपर्क में रहे, वे उनकी विनम्रता से प्रभावित रहे. समाज के लिए उनके योगदान को सरकार ने भी सम्मान दिया. वे पद्मश्री और पद्मभूषण से भी अलंकृत किए गए. उनके प्रशंसकों की लंबी सूची में राजीव गांधी भी शामिल थे. जामिया हमदर्द के एक दीक्षांत एपीजे अब्दुल कलाम ने मजरूह सुल्तानपुरी का मशहूर शेर दोहराते हुए उनके प्रति अपना सम्मान व्यक्त किया था,” मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर, लोग मिलते गए और कारवां बन गया.

लखनऊ में खस्ताहाल सड़कों से जनता परेशान

डेस्क:–राजधानी लखनऊ की सड़कों पर हाल के दिनों में हो रही सड़क धंसने की घटनाओं ने शहरवासियों को चिंता और दहशत में डाल दिया है। ताजा मामला हजरतगंज स्थित सहारागंज मॉल के सामने सामने आया, जहां आज अचानक सड़क का एक हिस्सा धंस गया। यह घटना शहर में सड़क सुरक्षा और निर्माण गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

सहारागंज मॉल के पास सड़क धंसने से इलाके में यातायात प्रभावित हुआ। गनीमत यह रही कि हादसे के वक्त कोई वाहन या राहगीर मौजूद नहीं था, अन्यथा एक बड़ा हादसा हो सकता था। सड़क के धंसे हुए हिस्से में गहरा गड्ढा बन गया है, जिससे नीचे की मिट्टी और पाइपलाइनें स्पष्ट रूप से दिख रही हैं। घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस और नगर निगम के अधिकारियों ने तुरंत मौके पर पहुंचकर इलाके को बैरिकेड कर दिया और यातायात को डायवर्ट कर दिया।

इस घटना ने लखनऊवासियों को कुछ दिन पहले विकास नगर में हुई सड़क धंसने की घटना की याद दिला दी, जब इलाके में सड़क तीन बार धंसी थी। उस समय घटिया निर्माण सामग्री और लापरवाह निर्माण कार्य को कारण बताया गया था। नगर निगम ने उस घटना के बाद मरम्मत कार्य किया था, लेकिन ताजा हादसे ने मरम्मत की गुणवत्ता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोग इस बार भी निर्माण सामग्री और कार्यशैली में खामियों का आरोप लगा रहे हैं।

इसके अलावा, कुछ समय पहले लखनऊ विश्वविद्यालय रोड पर भी इसी तरह की घटना सामने आई थी, जिसमें व्यस्त समय के दौरान सड़क का एक हिस्सा धंसने से लंबा जाम लग गया था और छात्रों व शिक्षकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। हालांकि, मरम्मत कार्य के बाद भी ऐसी घटनाएं बार-बार हो रही हैं, जिससे शहर की सड़कों की गुणवत्ता और सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं।

शहरवासियों का कहना है कि नगर निगम और अन्य संबंधित विभागों द्वारा सड़कों के निर्माण और रखरखाव में लापरवाही बरती जा रही है। उनके मुताबिक, निर्माण कार्यों की गुणवत्ता में सुधार की आवश्यकता है, ताकि इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके और शहरवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
जल ही जीवन है…इसी ‘जीवन’ को पाने के लिए तरस रहा है  बांसवाड़ा का कुंडल गांव ,कोई भी अपनी बेटी को इस गांव में ब्याहना नहीं चाहता

डेस्क:–जल ही जीवन है… यह स्लोगन बताता है कि जीवन जीने के लिए पानी कितना महत्त्वपूर्ण है. इसी ‘जीवन’ को पाने के लिए राजस्थान का एक गांव तरस रहा है. पहाड़ी पर बसे गांव के लोगों को अपनी प्यास बुझाने के लिए पैदल 2 किलोमीटर नीचे तक आना पड़ता है. गांव की महिलाओं की उम्र पानी का इंतजाम करने में गुजरती जा रही है. अब आलम यह है कि गांव के युवाओं को दुल्हन मिलना दूभर हो रहा है. कोई भी अपनी बेटी को इस गांव में ब्याहना नहीं चाहता.


यह अभागा गांव राजस्थान के चेरापूंजी और सो टापुओं के शहर के नाम से मशहूर बांसवाड़ा में है. गांव का नाम है कुंडल और दुर्भाग्य की बात यह है कि माही नदी की अथाह जलराशि के बावजूद छोटी सरवन उपखंड में पानी की भयंकर किल्लत है, जिससे गांववालों की जिंदगी नरक बन गई है. तपती गर्मी में गांव की 300 की आबादी पानी की दो बूंद के लिए 1-2 किलोमीटर का सफर तय करती है.

पानी की इस कमी ने गांव में सामाजिक जीवन को भी प्रभावित किया है, जहां लोग अपनी बेटियों की शादी कुंडल गांव में करने से कतराते हैं.गांव के पढ़े-लिखे युवाओं का कहना है कि पानी की किल्लत के कारण उनकी शादी तक अटक गई है. एक ग्रेजुएट युवक ने बताया, “जब कोई रिश्ता लेकर आता है, तो पानी की समस्या देखकर लोग बेटी की शादी से इनकार कर देते हैं.”

70 घरों वाले इस गांव में सिर्फ एक हैंडपंप है, जहां पानी के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है. यह हैंडपंप न केवल 300 लोगों की प्यास बुझाता है, बल्कि सैकड़ों मवेशी भी इसी पर निर्भर हैं. ऊंची पहाड़ी पर बसे इस गांव में गर्मी शुरू होते ही जलाशय सूख जाते हैं. कुएं और नदियां तो पूरी तरह सूख चुकी हैं और अधिकांश हैंडपंप खराब पड़े हैं. हर घर नल योजना केवल कागजों तक सिमट कर रह गई है. ग्रामीणों ने बताया कि पानी की समस्या को लेकर पीएचईडी विभाग को कई बार शिकायत की, लेकिन कोई समाधान नहीं मिला.

पानी की तलाश में पहाड़ी से उतरकर 1-2 किलोमीटर का सफर करने वाली महिलाओं ने नेताओं और सरकारी सिस्टम की पोल खोल दी है. ग्रामीणों का कहना है कि “नेता सिर्फ वोट लेने चुनाव में आते हैं, बाद में हमारी सुध लेने कोई नहीं आता.” ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि पंचायती राज चुनाव में नेताओं को गांव में घुसने नहीं देंगे. गर्मी के दिनों में जलाशयों के सूख जाने के बाद ग्रामीण दूर-दराज से पानी लाकर ड्रम में भरते हैं और उसे ताला लगाकर रखते हैं.

महिलाएं ड्रम में इकट्ठा किए इस पानी को पीने, खाना बनाने और नहाने के लिए कई दिनों तक इस्तेमाल में लेती हैं. गांव की महिलाओं और युवाओं ने सरकार से तत्काल शुद्ध पेयजल की व्यवस्था करने की मांग की है. गांव में देखा गया कि पानी के लिए तपती गर्मी में घंटों इंतजार करती महिलाओं का गुस्सा साफ झलक रहा था. ग्रामीणों ने कहा, “सरकार को हमारी सुध लेनी चाहिए और पानी की समस्या का स्थायी समाधान करना चाहिए.”
लखनऊ में आज से होगी महिला रोडवेज परिचालकों की भर्ती

डेस्क:–उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (UPSRTC) की ओर से प्रदेशभर में महिला संविदा परिचालकों की भर्ती प्रक्रिया आठ अप्रैल से शुरू कर दी गई है। लखनऊ में इस भर्ती के लिए रोजगार मेला 17 अप्रैल को सप्रू मार्ग स्थित क्षेत्रीय प्रबंधक कार्यालय पर आयोजित किया जाएगा। यह रोजगार मेला सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक चलेगा।

क्षेत्रीय प्रबंधक आरके त्रिपाठी ने बताया कि महिला संविदा परिचालकों की सीधी भर्ती अनुबंध के आधार पर की जाएगी। इच्छुक महिला अभ्यर्थी रोजगार मेला में उपस्थित होकर आवेदन कर सकती हैं, साथ ही वेबसाइट www.upsrtc.com पर ऑनलाइन आवेदन भी किया जा सकता है। आवेदन करने के बाद, अभ्यर्थियों का सत्यापन ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से होगा।

महिला परिचालकों को 2.02 रुपये प्रति किलोमीटर का पारिश्रमिक दिया जाएगा, और प्रतिमाह 22 दिन ड्यूटी तथा 5000 किलोमीटर पूरा करने पर 3000 रुपये की प्रोत्साहन राशि भी मिलेगी। इसके अतिरिक्त, उन्हें फ्री यात्रा पास, रात्रिभत्ता और अन्य सुविधाएं भी प्रदान की जाएंगी।

क्या है योग्यता?

शैक्षिक योग्यता: इंटरमीडिएट पास के साथ कम्प्यूटर का सीसीसी प्रमाणपत्र।

आयुसीमा: 18 से 40 वर्ष (अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ी जातियों को शासनादेश के अनुसार छूट)।

अतिरिक्त वेटेज: एनसीसी बी प्रमाणपत्र, एनएसएस प्रमाणपत्र, स्काउट एवं गाइड के राज्य और राष्ट्रपति पुरस्कार प्रमाणपत्र धारक महिला अभ्यर्थियों को इंटर में प्राप्त अंकों पर 5 प्रतिशत का वेटेज मिलेगा।

गोरखपुर एम्स में बनेगा पूर्वांचल का सबसे बड़ा रैन बसेरा, सीएम योगी 18 अप्रैल को करेंगे शिलान्यास

डेस्क:–उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शुक्रवार, 18 अप्रैल को गोरखपुर में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में पूर्वी उत्तर प्रदेश के 'सबसे बड़े' रैन बसेरे की आधारशिला रखेंगे, मुख्यमंत्री कार्यालय ने बुधवार को एक बयान में कहा। 500 व्यक्तियों के रहने के लिए डिज़ाइन किए गए इस आगामी रैन बसेरे का निर्माण 44 करोड़ रुपये की लागत से किया जाएगा। निर्माण को पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा अपनी कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी पहल के हिस्से के रूप में समर्थन दिया जा रहा है। बयान में कहा गया है कि सीएम योगी आधिकारिक तौर पर भूमि पूजन समारोह करके इस परियोजना की शुरुआत करेंगे।

इस सुविधा का उद्देश्य उन रोगियों और उनके तीमारदारों को लाभान्वित करना है जो एम्स गोरखपुर में इलाज के लिए दूर-दराज के क्षेत्रों से आते हैं। इससे पहले, सीएम योगी ने गोरखपुर जिले के मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में 91 करोड़ रुपये की विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया।

इससे पहले सीएम ने गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) में सुपर मेगा परियोजना के तहत 1,200 करोड़ रुपये की लागत से अनाज आधारित डिस्टिलरी प्लांट का उद्घाटन किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने कहा कि यह सिर्फ एक डिस्टिलरी नहीं बल्कि एक इथेनॉल प्लांट है। पहले चरण में, यह प्रतिदिन 350,000 लीटर इथेनॉल का उत्पादन करेगा, जिसे बाद में 500,000 लीटर तक बढ़ाने की योजना है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अधिशेष गन्ने से इथेनॉल के उत्पादन को मंजूरी दिए जाने के बाद से इथेनॉल का उत्पादन 42 लाख लीटर से बढ़कर 177 करोड़ लीटर हो गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (GIDA) में भाजपा के नेतृत्व में हुए परिवर्तन पर प्रकाश डाला, उन्होंने कहा कि इसने 15,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश आकर्षित किया है, जिससे औद्योगिक सेटअप में पहले की रुचि की कमी दूर हो गई है।

दिल्ली मेट्रो में शख्स का अजीबोगरीब कारनामा,अंडे के साथ लगाए पैग

डेस्क:–दिल्ली मेट्रो को दिल्ली का दिल कहा जाता है। रोजाना हजारों लोग इससे सफर करते हैं। आए दिन दिल्ली मेट्रो से जुड़ी कोई न कोई वीडियो जरुर देखने को मिल जाती है। कभी मेट्रो में कैटफाइट देखने को मिलती है तो कभी कपल का रोमांस। कभी-कभी तो कुछ लोग मेट्रो में ऐसी हरकत कर देते हैं कि उनकी वीडियो वायरल हो जाती है। अगर आप भी सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं तो आपने भी दिल्ली मेट्रो की कई सारी वायरल वीडियो जरुर देखी होंगी। हाल की वीडियो में भी कुछ अजीबोगरीब देखने को मिला। वीडियो देख आप भी यही सोचेंगे की ये दिल्ली की मेट्रो कम और बार ज्यादा लग रहा है। वीडियो में दिख रहे शख्स ने बेशर्मी की सारी हदें पार कर दी हैं। शख्स बड़े आराम से बैठकर शराब के पैग लगा रहा है और चखने में अंडे स्वाद ले रहा है।

यूं तो दिल्ली मेट्रो में खाने पीने की सख्त मनाही होती है। इसके लिए मेट्रो प्रशासन कैमरा से निगरानी भी रखती है। लेकिन वायरल वीडियो में आप देख सकते हैं कि कैसे एक शख्स दिल्ली मेट्रो में बैठकर शराब की पैग लगा रहा है और उसके साथ चखने में अंडा भी खा रहा है। वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है। अब सवाल ये उठ रहा है कि आखिर शख्स शराब को साथ लेकर मेट्रो में गया कैसे। क्योंकि मेट्रो स्टेशन पर सिक्योरिटी चेक के दौरान सीआईएसएफ शराब की बोतलों को जांच लेती है और उसे अंदर ले जाने की अनुमती नहीं देती है। लेकिन इस वीडियो के सामने आने के बाद लोगों के मन में ऐसे सवाल उठ रहे हैं।

वीडियो को नाम के एक्स अकाउंट से शेयर किया गया है। वीडियो के कैप्शन में दिल्ली पुलिस और दिल्ली मेट्रो के डीसीपी को टैग किया गया है। साथ ही वीडियो की सत्यता की जांच कर शख्स के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग भी की गई है। वीडियो को फास्ट फॉरवर्ड करके पोस्ट किया गया है। वीडियो देखकर लोग शख्स की इस हरकत पर नाराजगी भी जता रहे हैं।

sorce of social media
घरवाले पंखा बंद न कर पाएं इसलिए शख्स ने निकाला अनोखा तरीका

डेस्क:–भारत देश में जुगाड़ लगाने वालों की कोई कमी नहीं है। यहां पर हर गली हर मोहल्ले में आपको एक से बढ़कर एक जुगाड़ देखने को मिल जाएंगे। अगर आप सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं तो आपने भी बहुत सारी जुगाड़ वाली वीडियो देखी ही होगी। कभी-कभी तो यह जुगाड़ लोगों के काफी काम भी आ जाता है लेकिन कुछ-कुछ जुगाड़ तो ऐसे होते हैं कि जिन्हें देख लोगों के लिए अपनी हंसी को रोक पाना मुश्किल हो जाता है। इन वीडियोज को देखकर यही लगता है कि आखिर जुगाड़ लगाने वाले शख्स के पास इस तरह का आइडिया आया कैसे होगा। हाल में एक बार फिर से ऐसी वीडियो वायरल हो रही है जहां शख्स की करतूत पर आप भी अपना माथा पकड़ लेंगे। सोते समय घर वाले पंखा न बंद कर पाएं उसके लिए शख्स ने जो तरकीब निकाली वो वाकई काबिल-ए-तारीफ है।

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में आप देख सकते हैं कि शख्स पंखे के स्विच को पंखे के ऊपर ही फिट कर देता है। इसके बाद पंखे का स्विच ऑन कर देता है। स्विच को इस तरह से लगाया गया है कि एक बार चलाने के बाद पंखा दोबारा बंद ही नहीं किया जा सकता है। वीडियो देखकर हर किसी के मन में यह सवाल आया होगा कि आखिर ये पंखा बंद कैसे किया जाएगा। इसका जवाब भी शख्स खुद ही बताता है। वीडियो में शख्स कहता है कि ‘पंखा बंद ही नहीं करना, क्योंकि सुबह जब घरवाले पंखा बंद कर देते हैं तो बहुत दुख होता है।’

वायरल वीडियो को नाम के इंस्टाग्राम अकाउंट से शेयर किया गया है। वीडियो को पोस्ट करते समय कैप्शन में लिखा गया, “घर वालों की वजह से”। खबर लिखे जाने तक वीडियो को करीब 6 लाख लाइक्स मिल चुके हैं। साथ ही इस अनोखे जुगाड़ को देखते हुए लोग तमाम तरह के कमेंट्स भी कर रहे हैं। एक यूजर ने मजाकिया तौर पर लिखा, “मेरे यहां को MCB गिरा देते हैं”। दूसरे ने लिखा, “क्या दिमाग लगाया है भाई”। एक अन्य ने लिखा, “मुझे लगा ये समस्या सिर्फ मेरे साथ ही है”।

sorce of social media
सोने की कीमतों में भारी उछाल, आईए जानते हैं 10 ग्राम 24 कैरेट गोल्ड का नया रेट क्या है?

डेस्क:–जब से अमेरिका-चीन और बाकी देशों में टैरिफ को लेकर घमासान मचा हुआ है। इसी बीच सोने की दामों में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। बीते दिन गोल्ड का रेट लाख रूपये तक पहुंच गया। ऐसे में सोने की कीमतें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। और यह रेट लगातार हाई लेवल पर पहुंचती जा रही हैं। सोने की कीमत पहली बार 93,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के पार पहुंच गई है। आइए जानते हैं पिछले एक हफ्ते में इसकी कीमत में कितना बदलाव आया है?

बता दें कि MCX पर सप्ताह के पहले दिन सोमवार को 5 जून एक्सपायरी वाले सोने का भाव 86,928 रुपये प्रति 10 ग्राम था, जो प्रत्येक बीतते दिन के साथ बढ़ता हुआ सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार को 93,940 रुपये प्रति 10 ग्राम के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया। ऐसे में देखें, तो महज सात दिन के अंदर सोना 7,012 रुपये तक उछाल लगाया है। नीचे दिए गए गोल्ड के रेट बीना GST और मेकिंग चार्ज के हैं. इसके दामों में बदलाव हो सकता है।

*क्वालिटी सोने का भाव (प्रति 10 ग्राम)*

24 कैरेट सोना 93,350 रुपये/10 ग्राम

22 कैरेट सोना 91,110 रुपये/10 ग्राम

20 कैरेट सोना 83,080 रुपये/10 ग्राम

18 कैरेट सोना 75,620 रुपये/10 ग्राम

14 कैरेट सोना 60,210 रुपये/10 ग्राम

*गोल्ड चेक करने का तरीका*

हॉलमार्क चेक करें, आभूषण पर लगे स्टैम्प या हॉलमार्क देखें, जो इसकी शुद्धता के लेवल को बताता हैं। यह सोने की पहचान करने और यह पुष्टि करने का एक विश्वसनीय तरीका है कि यह असली सोना है। सोने की वस्तु के पास चुंबक का उपयोग करें; अगर असली सोना होगा तो चुंबकीय नहीं होगा।