बस्तर में पत्थलगढ़ी: आदिवासियों ने कहा- यहां ग्राम सभा ही सर्वोच्च, कांग्रेस ने किया समर्थन, सीएम साय बोले- संविधान से बड़ा कुछ नहीं…

जगदलपुर-  पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के कार्यकाल के अंतिम दिनों में सरगुजा इलाके में गांवों की सीमा पर बड़े-बड़े पत्थरों पर ग्रामसभा के अधिकार दर्ज कर गाड़े जा रहे थे, जिन्हें पत्थरगढ़ी का नाम दिया गया था. इसके बाद कांग्रेस सरकार आई और चली गई, लेकिन अब भाजपा के फिर से सरकार में आने के बाद पत्थरगढ़ी नजर आने लगे हैं, लेकिन अबकी बार यह सरगुजा की बजाए बस्तर में हो रहा है. 

बस्तर के बास्तनार, दरभा और तोकापाल जैसे इलाकों में गांवों की सीमाओं पर बड़े-बड़े पत्थरों पर ग्रामसभा के अधिकार दर्ज कर गाड़े जा रहे हैं. ये पत्थर केवल चिन्ह नहीं हैं ये स्थानीय लोगों की चेतावनी हैं, उनके हक की घोषणा हैं, और एक सीधा संदेश हैं कि अब कोई भी फैसला उनकी मर्जी के बिना नहीं लिया जा सकेगा.

इन इलाकों के लोग पेसा कानून का हवाला दे रहे हैं. यह कानून जो पांचवीं अनुसूची के तहत आता है, आदिवासी क्षेत्रों को विशेष अधिकार देता है. इसके तहत ग्रामसभा को सर्वोच्च इकाई माना गया है. ग्रामवासी दावा कर रहे हैं कि उनकी ग्रामसभा किसी भी सरकार के नियम-कानून से बाध्य नहीं है, और कोई भी सरकारी या निजी योजना उनके क्षेत्र में बिना ग्रामसभा की सहमति के लागू नहीं की जा सकती.

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस पर कहा कि संविधान की व्यवस्था सबसे ऊपर है. हमें इसकी जानकारी मिली है, और इस पर बातचीत की जाएगी. हर चीज संविधान के तहत होगी. वहीं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, जनता को भाजपा सरकार पर भरोसा है. मुख्यमंत्री आज खुद बस्तर पहुंचे हैं. चर्चा होगी और समस्या का समाधान निकलेगा.

दूसरी ओर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहना है कि यह छठवीं अनुसूची का क्षेत्र है. कांग्रेस ने पेसा कानून लागू किया, लेकिन भाजपा सरकार ने इसे पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया. अब बस्तर की जनता अपने अधिकारों, अपने खनिज संसाधनों और अपनी जमीन को बचाने के लिए लड़ रही है.

अब सवाल यह है कि बस्तर की इस नई करवट का भविष्य क्या होगा? क्या यह आंदोलन सरकारी तंत्र के साथ टकराव की ओर बढ़ेगा या संवैधानिक बातचीत से इसका हल निकलेगा? फिलहाल, बस्तर के गांवों में लगे ये पत्थर एक गहरी चेतावनी हैं कि आदिवासी अब चुप नहीं बैठेंगे.

शराब घोटाला: पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत, तय किए सख्त नियम और शर्तें

नई दिल्ली- शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है. फैसला सुनाते हुए जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने सख्त नियम और शर्तें रखी हैं. लेकिन टुटेजा का फिलहाल जेल से बाहर निकला मुश्किल है, क्योंकि उनके खिलाफ ईओडब्ल्यू-एसीबी द्वारा दर्ज केस में हाई कोर्ट जमानत याचिका खारिज कर चुका है.

अनिल टुटेजा को 21 अप्रैल, 2024 को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया था. लंबे वक्त से जेल में रहने के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी है. इसके साथ ही उन्हें पासपोर्ट जमा करने और सुनवाई के दौरान न्यायालय के साथ सहयोग करते हुए सख्त नियमों और शर्तों पर राहत मिली है.

टुटेजा की जमानत याचिका का ईडी की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता एसवी राजू ने विरोध किया. उन्होंने टुटेजा को वरिष्ठ नौकरशाह बताते हुए नागरिक पूर्ति निगम घोटाले में भी शामिल होने के साथ गवाहों को प्रभावित करने का आरोप लगाया. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इन दलीलों को खारिज करते हुए जमानत मंजूर कर लिया.

क्या है शराब घोटाला?

तत्कालीन भूपेश सरकार में पूर्व IAS अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा और CM सचिवालय की तत्कालीन उपसचिव सौम्या चौरसिया के खिलाफ आयकर विभाग ने दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में 11 मई, 2022 को याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया कि छत्तीसगढ़ में रिश्वत, अवैध दलाली के बेहिसाब पैसे का खेल चल रहा है.

दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में दायर याचिका के आधार पर ED ने 18 नवंबर, 2022 को पीएमएलए एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था. आयकर विभाग से मिले दस्तावेज के आधार पर ED ने जांच के बाद 2161 करोड़ के घोटाले की बात का कोर्ट में पेश चार्जशीट में जिक्र किया था.

ED ने चार्जशीट में कहा था कि साल 2017 में आबकारी नीति में संशोधन कर CSMCL के ज़रिये शराब बेचने का प्रावधान किया गया, लेकिन 2019 के बाद शराब घोटाले के किंगपिन अनवर ढेबर ने अरुणपति त्रिपाठी को CSMCL का MD नियुक्त कराया, उसके बाद अधिकारी, कारोबारी, राजनैतिक रसूख वाले लोगों के सिंडिकेट के ज़रिये भ्रष्टाचार किया गया.

रायपुर, बिलासपुर में कलेक्टर दर में होगी 100 फीसदी की बढ़ोतरी, प्लाट, मकान, दुकान खरीदना हो जाएगा महंगा…

रायपुर- नया वित्तीय वर्ष शुरू हो गया है, लेकिन जमीन खरीदने के लिए नया कलेक्टर दर अभी लागू नहीं किया गया है. जिलों से कलेक्टर गाइडलाइन तय करने के रिपोर्ट मंगाई गई है. इसमें रायपुर, दुर्ग-भिलाई, बिलासपुर समेत कई जिलों में 100% तक रेट बढ़ाने की बात सामने आ रही है. इसके लागू होने पर आम आदमी के लिए प्लाट के साथ मकान-दुकान खरीदना महंगा हो जाएगा. 

सूत्रों के मुताबिक, जिलों से आई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2018-19 से जमीन की सरकारी कीमत नहीं बढ़ी है. इसमें 5 साल में रेट 30% तक कम भी रहे. इस वजह से सरकारी रेट और बाजार भाव में बड़ा अंतर आ गया है. हर शहर में जमीन की कीमत बेतहाशा बढ़ गई. लेकिन शासकीय दस्तावेजों में कीमत अब तक कम है. इस अंतर को खत्म करने के लिए ही नई गाइडलाइन जारी करने की तैयारी है.

सालों से सरकारी कीमत नहीं बढ़ने की वजह से इस बार गाइडलाइन तय करने के लिए खासी मशक्कत की जा रही है. जिलों से प्राप्त रिपोर्ट को मूल्यांकन समिति परखेगी और अपनी सिफारिशें देगी. यही वजह है कि 2025- 26 के लिए नई गाइडलाइन इस बार 1 अप्रैल के बजाय थोड़ी देरी से जारी होगी.

रायपुर के आउटर में बढ़ सकते हैं रेट

कलेक्टर गाइडलाइन में रायपुर में बढ़ोतरी का सबसे ज्यादा असर आउटर एरिया में देखने को मिल सकता है. इसके बाद सेजबहार, सड्डू, कचना, संतोषीनगर, पचपेड़ीनाका, रिंग रोड, मठपुरैना, भाठागांव, कुम्हारपारा, शीतलापारा, ट्रांसपोर्ट नगर, सरोना, बीरगांव, चंदनीडीह, तरुण नगर, बोरियाकला, बोरियाखुर्द समेत कई इलाकों में भी जमीन मकान खरीदना महंगा हो जाएगा.

रजिस्ट्री खर्च में भी होगी बढ़ोतरी

कलेक्टर दर में बढ़ोतरी का सीधा असर रजिस्ट्री पर पड़ेगा. किसी भी जमीन की रजिस्ट्री पर स्टांप ड्यूटी 5.5 फीसदी अदा करनी पड़ती है. महिलाओं को इसमें आधा फीसदी की छूट है. रजिस्ट्री के दौरान एक प्रतिशत पंचायत उपकर और एक प्रतिशत निगम ड्यूटी भी अदा करनी होती है. माना जाता है कि जमीन की खरीदी पर खरीदने वाले को -स्टॉप, रजिस्ट्री शुल्क और उपकर पर लगभग 10 फीसदी खर्च करना पड़ता है. इस हिसाब से जमीन की दर बढ़ने के इन पर खर्च बढ़ेगा.

अपना रहे मध्यप्रदेश और तेलंगाना का मॉडल

पंजीयन विभाग की टीम ने हाल ही में मध्यप्रदेश और तेलंगाना के रजिस्ट्री मॉडल का अध्ययन किया है. मध्यप्रदेश में भी बाजार और सरकारी भाव में अंतर आने की वजह से 150% तक रेट बढ़ाए गए हैं. तेलंगाना के हर जिले में कलेक्टर गाइडलाइन औसतन 50% तक बढ़ाई गई है. जमीन की सरकारी कीमत बढ़ने के बाद भी रियल एस्टेट के कारोबार में उछाल आया. इस रिपोर्ट के आधार पर भी अफसरों ने जमीन की कीमत बढ़ाने की अनुशंसा की है.

रिश्वत लेते पकड़ा गया RI, तहसील में काम कराने के लिए मांगे थे 50 हजार रुपए

गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही- राजस्व अमले में भ्रष्टाचार नासूर बन चुका है. ऐसी ही एक शिकायत पर कार्रवाई करते हुए एन्टी करप्शन ब्यूरो ने छापा मारकर गौरेला आरआई (राजस्व) को रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा है. 

जानकारी के अनुसार, ग्राम अंदुल गौरेला निवासी रंजीत सिंह राठौर पिता शिव कुमार राठौर से बटांकन, सीमांकन और बेदखली के लिए रेवेन्यू इंस्पेक्टर संतोष चंद्रसेन और घनश्याम भारद्वाज 50 हजार रुपए से ज्यादा की मांग कर रहे थे. पिछले चार महीने से काम नहीं करते हुए लगातार घुमा रहे थे.

परेशान होकर रंजीत सिंह राठौर ने एसीबी से शिकायत की थी. शिकायत की पुष्टि होने पर एसीबी ने कार्रवाई की, लेकिन रंगेहाथ केवल संतोष चंद्रसेन ही पकड़ा गया, दूसरा आरआई घनश्याम भारद्वाज मौके से फरार हो गया, जिसकी पतासाजी की जा रही है.

NSS शिविर में नमाज : पुलिस ने विश्वविद्यालय प्रशासन से मांगा जवाब, इधर पद से हटाए गए एनएसएस समन्वयक

बिलासपुर- गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के एनएसएस शिविर में जबरन नमाज पढ़ाने के मामले कार्रवाई रफ्तार पकड़ने लगी है. एक तरफ पुलिस ने जहां विश्वविद्यालय प्रशासन से छात्रों की शिकायत पर जवाब मांगा है. वहीं दूसरी ओर विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रो. दिलीप झा के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें एनएसएस समन्वयक पद से हटा दिया है. 

बता दें कि 26 मार्च से 1 अप्रैल तक आयोजित एनएसएस कैंप आयोजित किया गया था, जिसमें विश्विद्यालय के 159 छात्र शामिल हुए थे. इन छात्रों में से केवल 4 छात्र मुस्लिम थे, लेकिन इन छात्रों के साथ सभी को ईद के दिन 30 मार्च को जबरिया नमाज पढ़ाया गया. इस बात की लिखित शिकायत छात्रों ने कोनी थाने में की थी. मामले में अब पुलिस ने विश्वविद्यालय प्रशासन से जवाब मांगा है, जिसके आधार पर पुलिस अपनी आगे की कार्रवाई करेगी.

वहीं मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) के समन्वयक अर्थशास्त्र विभाग में प्रोफेसर दिलीप झा के स्थान पर ग्रामीण प्रौद्योगिकी विभाग में प्रोफेसर राजेन्द्र कुमार मेहता को प्रभार सौंप दिया.

रायपुर के 40 दुकानदारों को नोटिस, मचा हड़कंप

रायपुर-  प्रदेश में छत्तीसगढ़ राज्य वक्फ बोर्ड की 400 संपत्तियों पर कब्जे का खुलासा हुआ है. इसमें रायपुर जिले की 78 प्रॉपर्टी हैं, जिसमें किराएदार फर्जी रजिस्ट्री कर अब मालिक बन बैठे हैं. रायपुर के पॉश इलाके मालवीय रोड और हलवाई लाइन की 40 दुकान हैं, जिसके व्यापारियों को नोटिस भेजा गया है, जिससे हड़कंप मचा हुआ है. उल्लेखनीय है कि वक्फ की प्रॉपर्टी को बेचा नहीं जा सकता है, किराए पर जरूर दिया जा सकता है, लेकिन पूर्व मुतवल्लियों ने वक्फ की संपत्ति को फर्जी रजिस्ट्री कर बेच दिया है, जिसे शून्य करने के लिए जिलों के कलेक्टरों को पत्र भेजा गया है. जिस पर कार्रवाई भी शुरू हो गई है.

छत्तीसगढ़ राज्य वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सलीम राज ने कहा है कि प्रारंभिक दस्तावेजों के मुताबिक पूरे प्रदेश में 400 लोगों द्वारा वक्फ की संपत्ति पर कब्जा किए जाने की जानकारी मिली है, जिसमें बिलासपुर जिले की 123 प्रॉपर्टी और रायपुर जिले की 78 प्रॉपर्टी शामिल हैं. अभी तक प्रारंभिक रूप से दुर्ग जिले में सबसे कम संपत्ति पर कब्जा की जानकारी मिली है, चूंकि प्रक्रिया चल रही है, इसलिए आगे अभी और कई खुलासे होंगे. डॉ. राज ने फिर दोहराया कि छत्तीसगढ़ में करीब 500 करोड़ की संपत्ति वक्फ बोर्ड के पास है. जिसे कब्जामुक्त कराने के लिए सभी जिलों को वक्फ बोर्ड ने पत्र भेजा है, पत्र रजिस्ट्री शून्य करने, किराएदारों से पुनः किरायानामा करने और जिन मुतवल्लियों ने संपत्ति को फर्जी रजिस्ट्री कर बेचने का काम किया है, उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है.

मालवीय रोड, हलवाई लाइन की 40 दुकानों पर वक्फ बोर्ड का दावा

राजधानी के पॉश इलाकों की करोड़ों की कई संपत्तियों पर छत्तीसगढ़ राज्य वक्फ बोर्ड ने दावा ठोका है. मालवीय रोड और हलवाई लाइन की 40 दुकानों पर वक्फ बोर्ड ने अवैध कब्जा बताया है. बोर्ड का दावा है कि दुकानदार पहले किराएदार थे, जो बाद में मालिक बन गए. वक्फ बोर्ड का नाम चढ़ाने के लिए कलेक्टर और एसपी को पत्र भेजा गया है. साथ ही दुकानदारों को भी नोटिस जारी किया गया है. नोटिस के बाद व्यापारियों में हड़कंप मचा हुआ है और पुराने दस्तावेजों के जरिए रजिस्ट्री की कॉपी लगाकर नोटिस का जवाब दे रहे हैं. हालांकि यह मामला आने वाले समय में वक्फ ट्रिब्यूनल में जाने की संभावना है, क्योंकि कुछ व्यापारी इस मामले में पहले से न्यायालय की शरण में हैं.

ध्यान दें! गाड़ी में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाना हुआ अनिवार्य, नहीं लगाया है तो अब कटेगा चालान…

रायपुर- अगर आपने गाड़ी अप्रैल 2019 से पहले खरीदी है तो तत्काल हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन (नंबर) प्लेट (एचएसआरपी) लगवा लिजिए, नहीं तो जांच के दौरान पकड़े जाने पर आपको 500 से दस हजार रुपए तक का चालान अदा करना पड़ जाएगा. परिवहन विभाग एचएसआरपी के लिए 15 अप्रैल तक का समय तय किया था, जिसके बाद से अब चालानी कार्रवाई की जाएगी. 

प्रदेशभर में 40 लाख और रायपुर जिले में दस लाख से अधिक वाहनों में हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट लगाया जाना है. पिछले कुछ महीने के भीतर मात्र 60 हजार वाहनों में ही नंबर प्लेट लगवाया गया है. ऐसे में अब परिवहन विभाग और यातायात पुलिस मिलकर कार्रवाई करेगी.

40 लाख वाहनों में लगनी है नंबर प्लेट

परिवहन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि प्रदेशभर में 60 हजार से अधिक और रायपुर जिले में 24,903 वाहनों में हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट लगाए जा चुके है. वहीं 35 हजार वाहनों का पंजीयन कराया गया है. मगर, करीब 40 लाख वाहनों में इसे लगाया जाना है. इसके लिए रोसमार्टा सेटी और रियल मेजान इंडिया लिमिटेड कंपनी के साथ ही ऑटोमोबाइल डीलरों को नंबर प्लेट लगाने की जिम्मेदारी दी गई है.

कलेक्ट्रेट में खुला काउंटर

हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट लगवाने के लिए रायपुर कलेक्ट्रेट में एक काउंटर खुल चुका है, ताकि वाहन चालकों को कोई परेशानी न हो. यहां बाइक के लिए 365 रुपए और कार के लिए 500 रुपए से अधिक निर्धारित शुल्क लेकर एचएसआरपी बनाकर दिए जा रहे हैं.

ये हैं निर्धारित शुल्क

दोपहिया, ट्रैक्टर और ट्रेलर का शुल्क जीएसटी सहित 365.80 रुपये, तीन पहिया के लिए 427.16 रुपये, हल्के मोटरयान के लिए 656.08 रुपये और पैसेंजर कार के लिए 705.64 रुपये निर्धारित किया गया है. सभी भुगतान डिजिटल मोड से किए जा रहे हैं.

सभी वाहनों में एचएसआरपी अनिवार्य

अपर परिवहन आयुक्त डी. रविशंकर ने बताया कि एक अप्रैल 2019 के पहले के दोपहिया, चार पहिया वाहनों में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाना अनिवार्य किया गया है. इसके लिए सभी आरटीओ को निर्देश जारी किए जा चुके हैं. 15 अप्रैल के बाद बिना हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट वाले वाहनों पर केंद्रीय मोटरयान अधिनियम के अनुसार चालानी कार्रवाई की जाएगी.

देखिए गवर्नमेंट नोटिफिकेशन –

खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय में विवादों के बीच डॉ. लवली शर्मा ने संभाला कुलपति का पदभार, ABVP के विरोध पर कांग्रेस विधायक ने कही यह बात…

खैरागढ़-  छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय में इन दिनों मधुर सुर-ताल की जगह विरोध और आरोपों की गूंज सुनाई दे रही है. नई कुलपति की नियुक्ति को लेकर ABVP छात्र संघ लगातार विरोध कर रहे हैं. इन विवादों के बीच डॉ. लवली शर्मा ने बेबाकी से कुलपती का पदभार संभाल लिया है. लेकिन इस नियुक्ति को लेकर सियासत अभी खत्म नहीं हुई है…

डॉ. लवली शर्मा ने अपने ऊपर लगे आरोपों को लेकर दिया बयान

बता दें, बीते दिन कार्यभार ग्रहण करने से पहले डॉ. शर्मा सीधे दंतेश्वरी माता मंदिर पहुंचीं. वहां उन्होंने पूजा-अर्चना कर अपनी नई जिम्मेदारियों के लिए आशीर्वाद लिया. फिर वे विश्वविद्यालय परिसर पहुंचीं और राजा-रानी व राजकुमारी इंदिरा की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण कर नमन किया. यह एक परंपरागत शुरुआत थी. कुछ ही देर बाद नव नियुक्त कुलपति डॉ. शर्मा मीडिया से रूबरू हुईं. इस दौरान उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों पर उन्होंने कहा कि “अगर कोई यह साबित कर दे कि मैंने कहीं दो रुपये का भी भ्रष्टाचार किया है, तो मैं मान लूंगी कि मैं हार गई…” उन्होंने आगे कहा कि विश्वविद्यालय को फिर से A ग्रेड दिलाना, रिसर्च के स्तर को ऊंचा उठाना और छात्रों को आत्मविश्वासी बनाना उनकी प्राथमिकता होगी.

विश्वविद्यालय को लेकर सियासत और हुआ तेज

इधर विश्वविद्यालय परिसर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) का प्रदर्शन उग्र होता जा रहा था. लगातार दो दिन से चल रहे इस विरोध ने रविवार की रात नया मोड़ ले लियाथा. ABVP के छात्रों ने कुलपित के विरोध में रविवार को रातभर जमकर हंगामा किया. कलेक्टर एसपी और पुलिस बल रात भर वहां तैनात रहे. हालांकि प्रदर्शनकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. यही बात अब कांग्रेस को चुभ गई. 

विधायक प्रतिनिधि मनराखन देवांगन ने कहा,“अगर यही प्रदर्शन एनएसयूआई (NSUI) ने किया होता, तो अब तक छात्रों पर FIR हो चुकी होती. लेकिन ABVP को सरकार का खुला संरक्षण मिला हुआ है. ये दोहरा मापदंड नहीं तो और क्या है?” कुलपति की नियुक्ति पर कांग्रेस का आरोप है कि छत्तीसगढ़ में कई काबिल और ईमानदार प्रोफेसर हैं, जिन्हें मौका मिलना चाहिए था. लेकिन उन्हें नजरअंदाज कर एक विवादित महिला को कुलपति बनाना राज्य की शिक्षा व्यवस्था और सम्मान के खिलाफ है.

अब आगे क्या..?

डॉ. लवली शर्मा ने तमाम विरोधों के बावजूद कुर्सी संभाल ली है. लेकिन उनकी नियुक्ति पर उठते सवाल और ABVP के आंदोलन ने सरकार को असहज कर दिया है. अब देखना दिलचस्प होगा कि सरकार किस दिशा में कदम उठाती है? क्या ABVP पर कार्रवाई होगी? या कुलपति की नियुक्ति पर पुनर्विचार किया जाएगा? 

फोटो: खैरागढ़ युनिवर्सिटी में अब तक कुलपतियों के कार्यकाल का विवरण.

राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों का तबादला, जानिए किसे मिली कहां की जिम्मेदारी … देखें लिस्ट

रायपुर- राज्य प्रशासनिक सेवा के 6 अधिकारियों का तबादला आदेश जारी किया गया है. सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी आदेश के मुताबिक विनायक शर्मा को अपर कलेक्टर MCB बनाया गया है.

रजत कुमार बने GAD सेक्रेटरी, मुकेश बंसल एडिशनल चार्ज से रिलीव

रायपुर-  राज्य शासन ने मंगलवार को जारी अपने आदेश में आईएएस रजत कुमार को सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग का अतिरिक्त प्रभार सौंपते हुए आईएएस मुकेश कुमार बंसल को इस अतिरिक्त प्रभार से मुक्त कर दिया है.