पीएनबी लोन घोटाले का आरोपी भगोड़ा मेहुल चोकसी बेल्जियम में गिरफ्तार, जानें कैसे फंसा जाल में

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भगोड़ा हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को बेल्जियम में गिरफ्तार कर लिया गया है। बेल्जियम पुलिस चोकसी को शनिवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के आग्रह पर गिरफ्तार किया गया। भारत की प्रत्यर्पण की अपील के बाद बेल्जियम में यह कार्रवाई की गई है। ईडी और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बेल्जियम में संबंधित विभाग और अधिकारियों से मेहुल पर कार्रवाई करने का अनुरोध किया था।भारतीय जांच एजेंसियों ने बेल्जियम के अधिकारियों को एक औपचारिक पत्र भेजा था, जिसमें चोकसी की गिरफ्तारी की मांग की गई थी, क्योंकि उसे उस देश में देखा गया था। जिसके बाद उसे दबोच लिया गया।

सूत्रों के मुताबिक, चोकसी की गिरफ्तारी 12 अप्रैल को हुई थी। वह कैंसर का इलाज कराने के बहाने बेल्जियम पहुंचा था। चोकसी ने बेल्जियम में भारत और एंटीगुआ की नागरिकता की बात छिपाई थी। वहां से स्विट्जरलैंड भागने की कोशिश कर रहा था। मगर इससे पहले वह भारतीय जांच एजेंसियों के जाल में फंस गया। भारतीय जांच एजेंसियां ईडी और सीबीआई इसे ट्रैक कर रहे थे। जानकारी मिलते ही बेल्जियम की जांच एजेंसियों को अलर्ट किया गया।

भारत कब से मेहुल चोकसी की तलाश में था। मेहुल चोकसी को भारत की रिक्वेस्ट पर ही बेल्जियम सरकार ने अरेस्ट किया है। चोकसी से जुड़े तमाम दस्तावेज और ओपन अरेस्ट के कागजात भी बेल्जियम एजेंसियों से शेयर किए गए। इसके बाद बेल्जियम की सुरक्षा एजेंसियों ने चौकसी को पकड़ा। रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने चोकसी को गिरफ्तार करते समय मुंबई की एक अदालत की ओर से उसके खिलाफ जारी किए गए दो गिरफ्तारी वारंट का हवाला दिया। वारंट 23 मई, 2018 और 15 जून, 2021 की तारीख के थे।

चोकसी ने मांगी जमानत

बेल्जियम में गिरफ्तारी के बाद मेहुल चोकसी ने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए जमानत मांगी है। चोकसी के वकील का कहना है कि उसका मुवक्किल बीमार है। इसलिए उन्हें जमानत देते हुए रिहा कर देना चाहिए। वकील ने बताया कि चोकसी इलाज के लिए एंटीगुआ और बारबुडा से बेल्जियम आए थे और अपनी पत्नी प्रीति चोकसी के साथ एंटवर्प में रह रहे थे। यहां उनको गिरफ्तार कर लिया गया।

डोमिनिका में भी हो चुका है गिरफ्तार

मेहुल साल 2017 में इसने एंटीगुआ की नागरिकता ली थी। इसके एक साल बाद यानी 2018 में मेहुल चोकसी परिवार के साथ एंटीगुआ फरार हुआ था। वहीं, साल 2021 के आखिरी में वह एंटीगुआ से फरार हो गया था। इससे पहले चोकसी डोमिनिका में भी एक बार पकड़ा जा चुका है लेकिन 51 दिन जेल में रहने के बाद इसे ब्रिटिश क्वीन की प्रिवी कौंसिल से राहत मिल गई थी।

मेहुल चोकसी भारत में वांछित

मेहुल चोकसी पंजाब नेशनल बैंक में 13,500 करोड़ रुपये के ऋण धोखाधड़ी में कथित संलिप्तता के लिए वांछित है। वह अपनी पत्नी प्रीति चोकसी के साथ एंटवर्प (बेल्जियम) में रह रहा है। उसके पास एंटीगुआ और बारबुडा की नागरिकता है। वह इलाज के लिए द्वीप राष्ट्र से बाहर गया था। उनके भतीजे नीरव मोदी भी इसी मामले में सह-आरोपी है। उसे भी लंदन से प्रत्यर्पित किए जाने की प्रक्रिया चल रही है। देश के दूसरे सबसे बड़े बैंक पीएनबी में घोटाला सामने आने से कुछ हफ्ते पहले वह जनवरी 2018 में भारत से भाग गया था।

राज्यपाल के बाद राष्ट्रपति के लिए भी समय सीमा तय, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- तीन महीने में हो बिल पर फैसला

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अब राष्ट्रपति को राज्यपालों द्वारा भेजे गए विधेयकों पर तीन महीने के भीतर फैसला करना होगा। अपनी तरह के पहले फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने देश के राष्ट्रपति के लिए भी समय सीमा तय की है। दरअसल, 8 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार और राज्यपाल के मामले में ऐतिहासिक फैसला लिया था। अदालत ने कहा था कि राज्यपाल को विधानसभा की ओर से भेजे गए बिल पर एक महीने के भीतर फैसला लेना होगा। इसी फैसले के दौरान अदालत ने राज्यपालों की ओर से राष्ट्रपति को भेजे गए बिल पर भी स्थिति स्पष्ट की।

सुप्रीम कोर्ट का राज्यपाल के मामले में फैसला शुक्रवार को ऑनलाइन अपलोड हो गया है। शीर्ष अदालत की तरफ से तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि की तरफ से राष्ट्रपति के विचार के लिए रोके गए और आरक्षित किए गए 10 विधेयकों को मंजूरी देने और राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयकों पर कार्रवाई करने के लिए सभी राज्यपालों के लिए समयसीमा निर्धारित की थी। फैसला करने के चार दिन बाद, 415 पृष्ठों का निर्णय शुक्रवार को रात 10.54 बजे शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किया गया।

फैसले की न्यायिक समीक्षा

शुक्रवार रात वेबसाइट पर अपलोड किए गए ऑर्डर में सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 201 का हवाला दिया। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने कहा कि अनुच्छेद, 201 के तहत राज्यपालों की ओर से भेजे गए बिल के मामले में राष्ट्रपति के पास पूर्ण वीटो या पॉकेट वीटो का अधिकार नहीं है। उनके फैसले की न्यायिक समीक्षा की जा सकती है और न्यायपालिका बिल की संवैधानिकता का फैसला न्यायपालिका करेगी।

फैसले में देरी के लिए वजह बताना होगा

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, कानून की स्थिति यह है कि जहां किसी कानून के तहत किसी शक्ति के प्रयोग के लिए कोई समय-सीमा निर्धारित नहीं है, वहां भी उसे उचित समय के भीतर प्रयोग किया जाना चाहिए। अनुच्छेद 201 के तहत राष्ट्रपति द्वारा शक्तियों का प्रयोग कानून के इस सामान्य सिद्धांत से अछूता नहीं कहा जा सकता। सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने फैसला सुनाया कि अगर राष्ट्रपति किसी विधेयक पर फैसला लेने में तीन महीने से अधिक समय लेते हैं, तो उन्हें देरी के लिए वैलिड वजह बताना चाहिए।

बार-बार लैटा नहीं सकते बिल

अदालत ने कहा कि राष्ट्रपति किसी बिल को राज्य विधानसभा को संशोधन या पुनर्विचार के लिए वापस भेजते हैं। विधानसभा उसे फिर से पास करती है, तो राष्ट्रपति को उस बिल पर फाइनल डिसीजन लेना होगा और बार-बार बिल को लौटाने की प्रक्रिया रोकनी होगी।

तमिलनाडु सरकार की याचिका के फैसले पर टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार की याचिका पर दिए गए अपने फैसले में यह टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि के पास लंबित 10 विधेयकों को पारित करने का आदेश दिया। ये विधेयक राज्यपाल ने राष्ट्रपति के पास विचारार्थ भेजने के चलते लंबित किए हुए थे। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने 8 अप्रैल को राष्ट्रपति के विचार के लिए दूसरे चरण में 10 विधेयकों को आरक्षित करने के फैसले को अवैध और कानून की दृष्टि से त्रुटिपूर्ण करार देते हुए खारिज कर दिया। कोर्ट ने बिना किसी लाग-लपेट के कहा था कि जहां राज्यपाल किसी विधेयक को राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित रखता है और राष्ट्रपति उस पर अपनी सहमति नहीं देते हैं, तो राज्य सरकार के लिए इस न्यायालय के समक्ष ऐसी कार्रवाई करने का अधिकार खुला रहेगा। संविधान का अनुच्छेद 200 राज्यपाल को अपने समक्ष प्रस्तुत विधेयकों पर अपनी सहमति देने, सहमति नहीं देने या राष्ट्रपति के विचार के लिए उसे आरक्षित रखने का अधिकार देता है।

बंगाल में लागू नहीं होगा वक्फ कानून, फिर दंगा क्यों? मुर्शिदाबाद हिंसा के बीच ममता बनर्जी का लोगों से सवाल

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पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद हिंसा के बाद पश्चिम बगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सभी से शांति बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने कहा कि धर्म के नाम पर हिंसा या दंगा न करें। साथ ही उन्होंने दोहराया है कि कि वक्फ संशोधन कानून बंगाल में लागू नहीं होगा। नए वक्फ कानून को लेकर देशभर में सियासी गर्माहट तेज है। कई जगहों पर इस कानून के विरोध में हिंसा होने की भी खबरे सामने आ रही है। इसी बीच पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में प्रदर्शन के दौरान लोग हिंसक हो उठे।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को लेकर मुर्शिदाबाद जिले में हुई हिंसा के बाद एक्स पर पोस्ट अपने संदेश में लिखा कि हर इंसान की जान कीमती है और धर्म के नाम पर हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि मैं सभी धर्मों के लोगों से विनम्र अपील करती हूं कि वे शांत और संयमित रहें। धर्म के नाम पर कोई गलत व्यवहार न करें। जो लोग हिंसा भड़का रहे हैं, वे समाज को नुकसान पहुंचा रहे हैं। उन्होंने यह भी साफ किया कि वक्फ कानून उनकी सरकार ने नहीं, बल्कि केंद्र सरकार ने बनाया है। इसलिए लोगों को अपनी नाराजगी केंद्र से जाहिर करनी चाहिए।

पश्चिम बंगाल में लागू नहीं होगा वक्फ कानून

सीएम ममता बनर्जी ने राज्य में फैले हिंसा के बीच लोगों से सवाल किया कि जब हमने साफ कर दिया है कि यह कानून बंगाल में लागू नहीं होगा, तो फिर दंगा क्यों? उन्होंने कहा कि हमने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है कि हम इस कानून का समर्थन नहीं करते। इसे पश्चिम बंगाल में लागू नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जो लोग हिंसा भड़का रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

वोट की राजनीति के लिए धर्म का गलत इस्तेमाल-ममता

यही नहीं, बंगाल की सीएम ममता ने कुछ राजनीतिक दलों पर धर्म का दुरुपयोग करने का आरोप भी लगाया। ममता ने कुछ राजनीतिक दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि वे वोट की राजनीति के लिए धर्म का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे ऐसे दलों के बहकावे में न आएं। ममता ने जोर देकर कहा कि धर्म का असली मतलब है मानवता, दया, सभ्यता और आपसी भाईचारा। उन्होंने लोगों से शांति और सद्भाव बनाए रखने को कहा।

बंगाल में वक्फ कानून पर बवाल

बता दें कि पश्चिम बंगाल में शुक्रवार को वक्फ कानून के विरोध में मालदा, मुर्शिदाबाद, दक्षिण 24 परगना और हुगली जिलों में हिंसा भड़क गई थी। इस दौरान आगजनी की गई। पुलिस के वाहनों पर पथराव किया गया। हिंसा के सिलसिले में 110 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया। शनिवार सुबह भी स्थिति तनावपूर्ण रही। हिंसा के बाद मुर्शिदाबाद में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई।

राहुल गांधी की चुप्पी पर मायावती ने उठाया सवाल, पूछा- नेता प्रतिपक्ष की चुप्पी कितनी उचित?

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वक्फ कानून पूरे देश में लागू कर दिया गया है। हालांकि, इस कानून का विरोध जारी है। वक्फ संशोधन विधेयक पिछले गुरुवार को लोकसभा और शुक्रवार को राज्यसभा से पास हुआ था। विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की चुप्पी और प्रियंका गांधी की अनुपस्थिति पर पहले ही सवाल उठ चुके हैं। इस बीच बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की प्रमुख मायावती ने राहुल गांधी को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि संसद में नेता प्रतिपक्ष की चुप्पी कितनी उचित है? बिल पर मुस्लिम समुदाय का गुस्सा जायज है।

बसपा प्रमुख मायावती ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर सवाल पूछा हैं। उन्होंने एक्स पर लिखा, ‘वक्फ संशोधन बिल पर लोकसभा में हुई लंबी चर्चा में नेता प्रतिपक्ष द्वारा कुछ नहीं बोलना अर्थात सीएए की तरह संविधान उल्लंघन का मामला होने के विपक्ष के आरोप के बावजूद इनका चुप्पी साधे रहना क्या उचित है? इसे लेकर मुस्लिम समाज में आक्रोश व इनके इंडिया गठबंधन में भी बेचैनी स्वाभाविक है।’

धार्मिक अल्पसंख्यकों को छलावा से बचने की सलाह

मायावती ने आगे कहा, ‘वैसे भी देश में बहुजनों के हित, कल्याण एवं सरकारी नौकरी व शिक्षा आदि में इन वर्गों के आरक्षण के अधिकार को निष्प्रभावी व निष्क्रिय बनाकर इन्हें वंचित बनाए रखने के मामले में कांग्रेस, बीजेपी आदि ये पार्टियां बराबर की दोषी हैं। धार्मिक अल्पसंख्यकों को भी इनके छलावा से बचना जरूरी।’

भाजपाइयों को कानून हाथ में लेने की छूट-मायावती

बसपा सुप्रीमो ने कहा, ‘इनके ऐसे रवैयों के कारण उत्तर प्रदेश में भी बहुजनों की स्थिति हर मामले में काफी बदहाल व त्रस्त है, जबकि भाजपाइयों को कानून हाथ में लेने की छूट है। साथ ही, बिजली व अन्य सरकारी विभागों में बढ़ते हुए निजीकरण से हालात चिन्तनीय हैं। सरकार जनकल्याण का संवैधानिक दायित्व सही से निभाए।

बिल को जल्दबाजी में लाने का आरोप

इससे पहले मायावती ने कहा था कि संसद में वक्फ संशोधन बिल पर सत्ता व विपक्ष को सुनने के बाद निष्कार्ष यही निकलता है कि केन्द्र सरकार यदि जनता को इस बिल को समझने के लिए कुछ और समय दे देती और उनके सभी संदेहों को भी दूर करके जब इस बिल को लाती तो यह बेहतर होता। दुख की बात यह है कि सरकार ने इस बिल को बहुत जल्दबाजी में लाकर जो इसे पास कराया है यह उचित नहीं और अब इस बिल के पास हो जाने पर यदि सरकारें इसका दुरुपयोग करती हैं तो फिर पार्टी मुस्लिम समाज का पूरा साथ देगी, ऐसे में इस बिल से पार्टी सहमत नहीं है

देशभर में UPI सर्वर ठप, गूगल पे, फोन पे और पेटीएम यूजर्स परेशान

नई दिल्ली। देशभर में UPI (Unified Payments Interface) सर्विस सोमवार को अचानक ठप हो गई, जिससे गूगल पे, फोन पे और पेटीएम जैसे प्रमुख डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म्स काम करना बंद कर गए।

लाखों यूजर्स को पेमेंट करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सोशल मीडिया पर भी इस आउटेज को लेकर यूजर्स नाराजगी जता रहे हैं और मीम्स की बाढ़ आ गई है।

नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक स्पष्टीकरण सामने नहीं आया है कि यह समस्या तकनीकी है या मेंटेनेंस के कारण।

मुर्शिदाबाद में हिंसक प्रदर्शन, अब तक 100 से ज्यादा गिरफ्तार, जानें क्यों बिगड़े हालात

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वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ पश्चिम बंगाल में बवाल मचा हुआ है। वक्फ संशोधन बिल को लेकर राज्य के कई स्थानों में प्रदर्शन हो रहे हैं। जिसके कारण माहौल काफी गर्म है। शुक्रवार को मालदा, मुर्शिदाबाद, दक्षिण 24 परगना और हुगली में विरोध प्रदर्शन हुए। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने पुलिस वैन समेत कई गाड़ियां जलाई और पुलिस पर पत्थरबाजी की। सबसे ज्यादा हिंसा मुस्लिम बहुल मुर्शिदाबाद जिले में हुई।

यह हिंसा मंगलवार जंगीपुर इलाके में शुरू हुई, जब हजारों लोग विवादास्पद वक्फ कानून को वापस लेने की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे। इसके बाद शुक्रवार को जुमे की नमाज के दौरान यहां फिर हिंसा भड़की और इसमें कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। शुक्रवार को इलाके में पथराव और आगजनी की घटना फिर से घटी। इसके बाद हिंसा प्रभावित इलाकों में बीएसएफ की तैनाती की गई है।

अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील

इधर, ममता बनर्जी की सरकार ने सख्ती से पेश आना शुरू कर दिया है। पुलिस ने मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा के बाद अब तक 110 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है। उपद्रवियों को तलाशने के लिए अन्य जिलों में भी छापेमारी की जा रही है। संवेदनशील इलाकों में गश्त जारी है। किसी को भी कहीं भी इकट्ठा होने की इजाजत नहीं है। पुलिस ने लोगों से सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की है।

भाजपा ने ममता सरकार को घेरा

भाजपा ने ममता बनर्जी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि अगर वह स्थिति को संभालने में असमर्थ है, तो उसे केंद्र से मदद मांगनी चाहिए। विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, 'यह विरोध का नतीजा नहीं था, बल्कि हिंसा का एक पूर्व नियोजित हथकंडा था। जिहादी ताकतों का लोकतंत्र और शासन पर हमला था। कुछ लोग अपने प्रभुत्व का दावा करने और हमारे समाज के अन्य समुदायों में भय फैलाने के लिए अराजकता फैलाना चाहते हैं।' उन्होंने कहा कि सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट कर किया गया। सरकारी अधिकारियों को धमकी दी गई। भय का माहौल बनाया गया। यह सब असहमति की झूठी आड़ में किया गया। ममता बनर्जी सरकार की चुप्पी खतरनाक है। अधिकारी ने कहा कि हिंसा के पीछे जो लोग हैं, उनकी पहचान की जानी चाहिए, उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए और कानून की सख्त धाराओं के तहत मुकदमा चलाया जाना चाहिए।

अमेरिकी टैरिफ का टेंशन होगा दूर! अमेरिका के उपराष्ट्रपति वेंस आ रहे हैं भारत

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ ने पूरी दुनिया का टेंशन बढ़ा दिया है। हालांकि, फिलहाल टैरिफ पर 90 दिन की रोक से आर्थिक अस्थिरता का दौर शांत हुई है। अमेरिकी टैरिफ को लेकर दुनिया भर में मची उथल-पुथल के बीच अमेरिका के उपराष्ट्रपति भारत दौरे पर आ रहे हैं। कहा जा रहा है कि अमेरिकी उपराष्ट्रपति भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर चर्चा समेत अन्य रणनीतिक व सामरिक संबंधों पर चर्चा कर सकते हैं।

पीटीआई के मुताबिक, वेंस के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइकल वाल्ट्ज भी आएंगे, वहीं दोनों नेताओं की 21 अप्रैल को नई दिल्ली में आने की उम्मीद है। शीर्ष सूत्रों ने शुक्रवार रात पीटीआई को बताया कि अमेरिकी उपराष्ट्रपति और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार दोनों 21 अप्रैल से अलग-अलग भारत की यात्रा पर जा सकते हैं। वेंस की यात्रा एक निजी यात्रा होने की संभावना है, हालांकि इस यात्रा के दौरान वह आधिकारिक कार्यों में भी भाग लेंगे।

ट्रंप के टैरिफ आक्रामक रुख को देखते हुए भारत को उम्मीद है कि वेंस का दौरा अहम साबित हो सकता है। पीएम मोदी से वेंस और उनके परिवार के लिए डिनर की मेजबानी करने की उम्मीद है। हालांकि, वेंस की यात्रा मुख्य रूप से व्यक्तिगत है। उनके आगरा और जयपुर जाने की उम्मीद है। उनकी पत्नी उषा वेंस भारतीय मूल की हैं और उनके रिश्तेदार यहां रहते हैं।

ऊषा वेंस के माता-पिता आंध्र प्रदेश के रहने वाले थे जो बाद में अमेरिका चले गए थे। ऊषा वेंस का जन्म अमेरिका के कैलिफोर्निया में हुआ है और वो पेशे से वकील हैं। वह अमेरिका के इतिहास में पहली हिंदू अमेरिकन सेकेंड लेडी हैं।

वहीं, अमेरिकी एनएसए माइकल वाल्ट्ज की यात्रा पूरी तरह से व्यावसायिक यात्रा होगी क्योंकि वह अपने भारतीय वार्ताकारों के साथ इंडो-पैसिफिक में सुरक्षा स्थिति सहित कई प्रमुख मुद्दों पर व्यापक बातचीत करेंगे।

आर्थिक गतिविधियों को हथियार बनाया जा रहा”, टैरिफ वॉर के बीच जयशंकर का बड़ा बयान

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर से पूरी दुनिया हिली हुई है। खासकर चीन की तो हालत खराब हो गई है। टैरिफ की सबसे ज्यादा मार तो चीन पर ही पड़ी है। इस बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बड़ा बयान दिया है। उन्‍होंने इकोनॉमी को हथ‍ियार के रूप में इस्‍तेमाल करने पर चिंता जताई। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत समान विचारधारा वाले भागीदारों के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि लचीली और भरोसेमंद साझेदारी बनाई जा सके जो देश के आर्थिक हितों के साथ-साथ इसकी रणनीतिक प्राथमिकताओं के लिए आवश्यक है। विदेश मंत्री ने इंडिया-इटली बिजनेस, साइंस एंड टेक्नोलॉजी फोरम में यह टिप्पणी की। इसमें इतालवी उपप्रधानमंत्री एंटोनियो तजानी ने भी हिस्सा लिया।

जयशंकर ने कहा कि भले ही हम महामारी, यूरोप, पश्चिम एशिया और एशिया में कई संघर्षों से उबर रहे हों, हमें यह पहचानना होगा कि हमारी सप्लाई चेन अधिक नाजुक हो गई हैं और हमारा समुद्री नौवहन बाधित हो गया है। उन्होंने कहा कि भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा तेज हो गई है क्योंकि बाजार हिस्सेदारी का लाभ उठाया जा रहा है और आर्थिक गतिविधियों को हथियार बनाया जा रहा है।

विदेश मंत्री ने कहा कि उद्योग और सरकारें तेजी से हो रहे डिजिटलीकरण और तकनीकी बदलावों के प्रभाव से तालमेल बिठाने के लिए संघर्ष कर रही हैं, जो व्यापार बाधाओं और निर्यात नियंत्रण के कारण और भी बढ़ गए हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया भर के देश मजबूत राजनीतिक और आर्थिक साझेदारी बनाकर, अपने मैन्युफैक्चरिंग और व्यापार भागीदारों में विविधता लाकर इनोवेशन और रिसर्च में निवेश करके जोखिम कम कर रहे हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि हम दोनों ही अपने अपने देश (भारत और इटली) में इन प्रवृत्तियों को देख रहे हैं।

जयशंकर ने कहा कि भारत हाल के वर्षों में ऐसी लचीली और भरोसेमंद साझेदारी बनाने के लिए समान विचारधारा वाले भागीदारों के साथ मिलकर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे लिए इस सूची में इटली का स्थान सबसे ऊपर है। कई क्षेत्रों में एक स्वाभाविक पूरकता है जिसका हमें दोहन करने की आवश्यकता है।

इससे पहले जयशंकर ने कार्नेगी ग्लोबल टेक्नोलॉजी समिट में ह‍िस्‍सा ल‍िया। वहीं, एस जयशंकर ने कहा कि भारत अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता के लिए अधिक तत्परता से तैयार है। जयशंकर ने कहा कि भारत के व्यापार सौदे बहुत चुनौतीपूर्ण होंगे और जब व्यापार सौदों की बात आती है, तो हमें एक-दूसरे के साथ बहुत कुछ करना होता है। मेरा मतलब है कि ये लोग अपने खेल में बहुत आगे हैं, जो हासिल करना चाहते हैं, उसको लेकर बहुत महत्वाकांक्षी है और वैश्विक परिदृश्य एक साल पहले की तुलना में बहुत अलग है।

ट्रंप के टैरिफ पर शी जिनपिंग ने तोड़ी चुप्पी, बोले-चीन डरता नहीं है

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चीन ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ के जवाब में अमेरिका से आने वाले सामानों पर लगने वाले टैरिफ को 84% से बढ़ाकर 125% कर दिया है। वहीं, बढ़ते टैरिफ तनाव के बीच आखिरकार चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने पहले ऑफिशियल बयान में कहा कि चीन किसी से नहीं डरता'

बता दें कि अमेरिका और चीन के बीच इस समय टैरिफ वॉर चल रही है। दोनों देश एक दूसरे पर लगातार टैरिफ बढ़ा रहे हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को चीन के ऊपर 145% का टैरिफ लगा दिया है। इस वॉर को आगे बढ़ाते हुए चीन ने अमेरिका पर 125% टैरिफ लगा दिया है। इसके साथ ही चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का पहली बार इस मसले पर बयान दिया। जिनपिंग ने कहा, एक ट्रेड वार में कोई भी विजेता नहीं होता है और दुनिया के खिलाफ जाने से केवल अकेलापन मिलेगा। शुक्रवार को स्‍पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज के साथ मुलाकात के बाद चीन के राष्‍ट्रपति ने यह बयान दिया।

आत्‍मनिर्भरता और कठोर पर‍िश्रम पर विश्वास- शी

चीन के सरकारी टीवी चैनल सीसीटीवी ने शी के हवाले से कहा, पिछले 70 साल से चीन का विकास आत्‍मनिर्भरता और कठोर पर‍िश्रम पर आधारित है। यह किसी का दिया हुआ नहीं है। चीन किसी भी अन्‍यायपूर्ण दमन से डरता नहीं है। उन्‍होंने कहा कि बाहरी माहौल में बदलाव के अनुसार ही चीन आत्‍मविश्‍वास से लबरेज रहेगा और अपने मामलों को पूरा फोकस बनाए रखेगा और उनका प्रबंधन करेगा।

यूएस के खिलाफ संयुक्त मोर्चा बनाने का प्रयास

बता दें कि अमेरिका द्वारा शुल्क बढ़ाए जाने के बाद चीन भारत समेत अन्य देशों से संपर्क साध रहा है और ऐसा प्रतीत होता है कि बीजिंग अमेरिका को कदम पीछे हटाने के लिए मजबूर करने के वास्ते संयुक्त मोर्चा बनाने का प्रयास कर रहा है। शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शुक्रवार को यूरोपीय संघ से “एकतरफा डराना-धमकाना” का विरोध करने में बीजिंग के साथ शामिल होने का आग्रह किया

अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड वॉर

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीनी आयात पर टैरिफ 145% बढ़ा कर चीन के साथ ट्रेड वॉर को शुरू किया है। जनवरी में सत्ता संभालने के बाद से ट्रंप अब तक चीनी सामानों पर पांच बार टैरिफ बढ़ा चुके हैं। चीन की जवाबी कार्रवाई के बाद, ट्रंप ने चीन से आने वाले सामानों पर 50% टैरिफ जोड़ दिया और कहा कि बातचीत समाप्त हो गई है। इससे पहले टैरिफ 104% तक। फिलहाल चीन ने अमेरिका के सामान पर 84% टैरिफ लगाया हुआ था, लेकिन शुक्रवार को चीन ने यह टैरिफ बढ़ा कर 125% कर दिया है।

अन्नामलई के बाद नयनार नागेन्द्रन के हाथों में तमिलनाडु होगी बीजेपी की कमान, निर्विरोध चुने जाने के आसार

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तमिलनाडु भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में नेतृत्व परिवर्तन होने वाला है। बीजेपी नेता नयनार नागेंद्रन तमिलनाडु बीजेपी के 13वें अध्यक्ष बनने वाले हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार, इस पद के लिए उन्होंने अकेले ही नामांकन भरा है। तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष के रूप में नयनार नागेन्द्रन की नियुक्ति की आधिकारिक घोषणा दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय से की जाएगी। यह कदम 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी की रणनीति और अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के साथ संभावित गठबंधन को मजबूत करने की दिशा में माना जा रहा है।

नागेंद्रन पहले एआईएडीएमके में थे। नागेंद्रन 2017 में बीजेपी में शामिल हुए थे। बीजेपी और एआईएडीएमके के बीच गठबंधन की संभावना के बीच उनका अध्यक्ष बनना महत्वपूर्ण है। बताया गया है कि पूर्व तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने नागेंद्रन के नाम का प्रस्ताव दिया था।

नयनार नागेन्द्रन की यह नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होने वाला है। इसके अलावा राज्य में भी अगले साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। तमिलनाडु में बीजेपी अपनी स्थिति को मजबूत करने के प्रयासों में जुटी है। संगठन का मानना है कि नागेन्द्रन के नेतृत्व में पार्टी राज्य में अधिक प्रभावशाली भूमिका निभा सकेगी।

नागेन्द्रन को मिलेगी नियमों में छूट?

बीजेपी ने गुरुवार को तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष और राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों के लिए चुनाव की अधिसूचना जारी की थी। शुक्रवार को दोपहर 2 बजे से 4 बजे के बीच नामांकन दाखिल किए गए, जिसमें नागेंद्रन ने भी अपना नामांकन भरा। शनिवार को शाम 5 बजे होने वाली कार्यकारी समिति की बैठक में उनकी नियुक्ति को औपचारिक रूप दिए जाने की संभावना है। हालांकि, बीजेपी के नियमों के अनुसार अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार को कम से कम 10 साल की प्राथमिक सदस्यता की आवश्यकता होती है। नागेंद्रन 2017 में ही पार्टी में शामिल हुए थे। सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व इस नियम में छूट दे सकता है, जैसा कि पहले केरल में राजीव चंद्रशेखर के मामले में किया गया था

कौन हैं नयनार नागेंद्रन?

नयनार नागेंद्रन 2001 में पहली बार तिरुनेलवेली सीट से एआईएडीएमके उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीता था। जयललिता के नेतृत्व वाली एआईएडीएमके सरकार (2001-06) में उन्होंने परिवहन, उद्योग और बिजली जैसे महत्वपूर्ण विभाग संभाले। 2011 में वे फिर से उसी सीट से जीते, लेकिन उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया। 2006 और 2016 के विधानसभा चुनावों में वे कुछ वोटों से हार गए थे।

2017 में बीजेपी में शामिल

जयललिता के निधन के बाद नागेंद्रन अगस्त 2017 में बीजेपी में शामिल हो गए। 2021 में वे फिर से उसी सीट से बीजेपी उम्मीदवार के रूप में जीते। इसके बाद उन्हें तमिलनाडु विधानसभा में विधायक दल का नेता बनाया गया। नागेंद्रन ने 2019 और 2024 के लोकसभा चुनावों में भी किस्मत आजमाई। उन्होंने रामनाथपुरम और तिरुनेलवेली सीटों से चुनाव लड़ा, लेकिन वे जीत नहीं पाए।