तहव्वुर राणा पर पीएम मोदी ने 14 साल पहले किया था ट्वीट, अब हो रहा वायरल

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मुंबई आतंकी हमले का मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा गुरुवार शाम को भारत लाया गया। एयरपोर्ट से सीधे राणा को पटियाला हाउस कोर्ट लाया गया। अदालत ने राणा को एनआईए की 18 दिन की हिरासत में भेज दिया है। इसी बीच तहव्वुर राणा को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी का साल 2011 का पोस्ट सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है। इस ट्वीट में उन्होंने उस समय की सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार की विदेश नीति की आलोचना की थी।

दरअसल उस समय अमेरिका ने तहव्वुर राणा को मुबंई हमले के आरोप से मुक्त कर दिया था। इस पर पीएम मोदी ने इसे सरकार की विदेश नीति की असफलता बताया था। पीएम मोदी ने अपने पोस्ट में लिखा था कि मुंबई हमले में तहव्वुर राणा को निर्दोष घोषित करने से अमेरिका ने भारत की संप्रभुता को ठेस पहुंचाई है और यह विदेश नीति के लिए बड़ा झटका है।

इस ट्वीट के 14 साल बाद जब राणा को अमेरिका से भारत लाया जा चुका है तो सोशल मीडिया यूजर्स पीएम मोदी के पुराने ट्वीट को शेयर कर उनकी जमकर तारीफ कर रहे हैं। बता दें कि इसी साल पीएम मोदी के अमेरिका दौरे के दौरान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने राणा के प्रर्त्यपण को सुनिश्चित किया था।

लंबी कानूनी लड़ाई के बाद तहव्वुर राणा को लेकर एनआईए की एक विशेष टीम गुरुवार को दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर उतरी। एयरपोर्ट पहुंचते ही तहव्वुर राणा को हिरासत में ले लिया गया। इसे भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत बताया जा रहा है।

तहव्वुर राणा के बाद भारत प्रत्यर्पण के बाद राजनीतिक पार्टियों ने इसका श्रेय लेने की होड़ लग गई है। कांग्रेस का कहना है कि तहव्वुर राणा को भारत लाने की प्रक्रिया की शुरुआत कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने की थी और इसे रणनीतिक रूप से आगे बढ़ाया। एनडीए सरकार ने इस मामले में कुछ नहीं किया और यह बस उस प्रक्रिया का फल है, जिसे यूपीए सरकार ने शुरू किया था।

ट्रंप-जिनपिंग के बीच वार-पलटवार जारी, अब चीन ने अमेरिका पर लगाया 125% शुल्क

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दुनिया की दो सबसे ताकतवर अर्थव्यवस्था वाले देश आमने-सामने हैं। चीन और अमेरिका के बीच ट्रेड वॉर और गहरा होता जा रहा है। अब चीन ने अमेरिका से आने वाले सामान पर टैरिफ 84% से बढ़ाकर 125% कर दिया है। यह 12 अप्रैल से लागू होगा। इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन को छोड़कर बाकी सभी देशों को रेसिप्रोकल टैरिफ पर 90 दिन की छूट दी थी। वहीं, डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर लगाए टैरिफ में 20 फीसदी का इजाफा करते हुए उसे 145 प्रतिशत कर दिया था।

चीन की कॉमर्स मिनिस्ट्री के प्रवक्ता ने अमेरिकी सामान पर टैरिफ बढ़ाने की बात कही है। प्रवक्ता ने कहा, 'अमरीका की तरफ चीन पर लगातार बहुत ज्यादा टैक्स लगाना सिर्फ एक नंबर का खेल बन गया है। इसका कोई असली आर्थिक मतलब नहीं है। इससे सिर्फ अमरीका का ये तरीका दिखता है कि वो टैक्स को डराने-धमकाने के लिए हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है। इससे वो खुद ही दुनिया में मजाक बन गया है। गर अमरीका टैक्स के साथ ये नंबर का खेल जारी रखता है, तो चीन इसमें शामिल नहीं होगा। लेकिन, अगर अमरीका चीन के हितों को नुकसान पहुंचाता रहा, तो चीन जवाबी कार्रवाई करेगा और अंत तक लड़ेगा।'

बता दें कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनियाभर के देशों को टैरिफ की टेंशन दी है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऐलान किया है कि अब अमेरिका अपने अधिक्तर व्यापारिक साझेदार देशों पर कम से कम 10 प्रतिशत तक का टैरिफ लगाएगा। इसके साथ ही उन देशों पर भी टैरिफ लगेगा जो अमेरिका को ज्यादा सामान बेचते हैं लेकिन उससे कम खरीदते हैं। हालांकि, चीन एकमात्र ऐसा देश है जिसने अमेरिका के शुल्क के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की है। चीन ने पहले 84 प्रतिशत शुल्क लगाकर जवाबी कार्रवाई की थी और कुछ अमेरिकी कंपनियों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था।

चीन-अमेरिका का वार-पलटवार

बुधवार को वॉशिंगटन ने सभी चीनी वस्तुओं के आयात पर 125 प्रतिशत का टैरिफ लगाने की घोषणा की। चीन पर पहले ही 20% का टैरिफ लगा हुआ था। पिछले हफ़्ते ही राष्ट्रपति ट्रंप ने अतिरिक्त 34% टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। यह 9 अप्रैल को लागू होना था लेकिन इसके चंद घंटे पहले ट्रंप ने इसमें 50% टैरिफ और बढ़ाने की घोषणा कर दी।चीन ने इसके जवाब में बुधवार को अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ को 50% बढ़ाते हुए 84% कर दिया। इसके बाद बुधवार को अचानक ट्रंप ने चीन पर टैरिफ को 125% करने का एलान कर दिया। इसी के साथ बड़ी घोषणा करते हुए अमेरिका ने बाकी देशों को 90 दिन की छूट देते हुए रेसिप्रोकल टैरिफ घटाकर एक समान 10 फ़ीसदी कर दिया।

डब्ल्यूटीओ में दर्ज कराई शिकायत

एक तरफ चीन अमेरिका पर जवाबी टैरिफ लगा रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में अमेरिका की शिकायत भी कर रहा है। विश्व व्यापार संगठन में चीन के मिशन ने शुक्रवार को कहा कि उसने अमेरिकी टैरिफ को लेकर व्यापार निकाय में एक अतिरिक्त शिकायत दर्ज कराई है।

वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता के हवाले से चीन के मिशन के बयान में कहा गया कि '10 अप्रैल को, संयुक्त राज्य अमेरिका ने कार्यकारी आदेश जारी किया, जिसमें चीनी उत्पादों पर तथाकथित रेसीप्रोकल में और वृद्धि की घोषणा की गई। चीन ने संयुक्त राज्य अमेरिका के नवीनतम टैरिफ उपायों के खिलाफ डब्ल्यूटीओ में शिकायत दर्ज कराई है।'

संजय राउत को अब आई कुलभूषण जाधव की याद, मुंबई हमले के आरोपी तहव्वुर राणा की फांसी पर भी बड़ा दावा

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मुंबई हमले का आरोपी तहव्‍वुर राणा आखिरकार भारत के शिकंजे में आ ही गया है। तहव्वुर राणा को भारत लाए जाने पर अलग अलग प्रतिक्रियाएं मिल रही है। विपक्षी दल भी इसका स्वागत कर रहे हैं, हालांकि इन दलों का कहना है कि सरकार सिर्फ क्रेडिट लेने के लिए इसका प्रचार रह रही है। इस बीच शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा को लेकर बड़ा बयान दिया है। राउत ने 26-11 मुंबई अटैक के साजिशकर्ता तहव्वुर राणा को भारत लाये जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की है लेकिन इसी के साथ कुलभूषण जाधव को लेकर उन्होंने भारत सरकार पर तंज भी कसा है। साथ ही राउत ने तहव्‍वुर राणा के प्रत्‍यर्पण का बिहार चुनाव कनेक्‍शन निकाला है।

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शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा कि ये लोग तहव्वुर राणा का फेस्टिवल मना रहें हैं ये लोग। उन्होंने कहा, पकिस्तान के जेल में कुलभूषण जाधव सड़ रहा है, उसे लेकर आइये न। दाऊद इब्राहिम को लेकर आइए। जब तक बिहार का चुनाव होगा तब तक ये देश में तहव्वुर राणा फेस्टिवल मनाएंगे।

यूपीए सरकार के समय से राणा को लाने की कोशिश-राउत

संजय राउत ने कहा कि भारत सरकार 2009 से ही तहव्वुर राणा को लाने की कोशिश कर रही है। यह नहीं भूलना चाहिए कि तब केंद्र में यूपीए सरकार थी न कि मोदी सरकार। साल 2009 में एनआईए ने राणा और हेडली दोनों के खिलाफ पहली एफआईआर दर्ज की थी। उस समय एनआईएच की टीम शिकागो गई थी और दोनों से पूछताछ भी की थी। संजय राउत ने कहा कि साल 2012 में तत्कालीन विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद, तत्कालीन विदेश सचिव अमेरिका गए थे। उन्होंने हिलेरी क्लिंटन जो अमेरिकी सरकार में तब विदेश मंत्री थीं, उनसे राणा को भारत भेजने के बारे में चर्चा की थी। यह एक कानूनी प्रक्रिया है, जिसका पालन होने से समय लगता है।

कांग्रेस ने ‘सलेम महोत्सव’ नहीं मनाया-राउत

संजय राउत ने तहव्‍वुर राणा का जिक्र करते हुए कहा कि भारत में ऐसा (प्रत्‍यर्पण) कई बार हो चुका है। साल1993 के मुंबई सीरियल ब्लास्ट में दाऊद इब्राहिम के गुर्गे अबू सलेम का हाथ था। वह भेष बदलकर पुर्तगाल में रह रहा था। भारतीय जांच एजेंसियों ने उसका पता लगाया और सलेम के आतंकवादी कृत्य के सबूत पुर्तगाली सरकार के सामने रखे। वहां की अदालत में बहस हुई और नवंबर 2005 में पुर्तगाल को सलेम को भारत के हवाले करना पड़ा। संजय राउत ने आगे लिखा कि सलेम पर भारत में मुकदमा चलाया गया और दो आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। फिर तो इस महत्वपूर्ण प्रत्यर्पण को मनमोहन सरकार की कूटनीति की सफलता ही कहा जाएगा। बेशक, मनमोहन सरकार में सलेम को भारत लाया गया था, इसलिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने ‘सलेम महोत्सव’ नहीं मनाया, जो आज तहव्‍वुर राणा के मामले में सोशल मीडिया पर चल रहा है।

कुलभूषण जाधव को वापस लाया जाए-राउत

संजय राउत ने कहा कि जो लोग कहते हैं कि वे घर में घुसकर मारेंगे, लेकिन वे लोग ही कुलभूषण जाधव, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी को लेकर नहीं आ सके हैं। संजय राउत ने मांग की है कि देश में वित्तीय घोटालों के आरोपी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी को भी भारत लाया जाए। हमें राणा जैसे किसी व्यक्ति को भारत लाकर यह नहीं दिखाना चाहिए कि यह एक बड़ी जीत है।

राणा की फांसी पर राउत का बड़ा दावा

शिवसेना सांसद ने आगे कहा कि तहव्वुर राणा को तुरंत फांसी दी जानी चाहिए। हालांकि, उसे बिहार विधानसभा चुनाव (जिसके इस साल के अंत तक होने की संभावना है) के दौरान फांसी दी जाएगी। जब तक बिहार का चुनाव होगा तब तक ये देश में तहव्वुर राणा फेस्टिवल मनाएंगे।

वाराणसी रेप कांड पर पीएम मोदी दिखे फिक्रमंद, पुलिस कमिश्‍नर से लेकर डीएम तक एयरपोर्ट पर ही तलब

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के दौरे पर हैं। पीएम ने एयरपोर्ट पर उतरने के फौरन बाद सबसे पहले पुलिस आयुक्त, मंडल आयुक्त और जिलाधिकारी को तलब कर लिया। पीएम ने उनसे बनारस में हुई गैंगरेप की घटना की पहले तो पूरी विस्‍तार में जानकारी ली। फिर इस केस में कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार की सुबह अपने एक दिवसीय दौरे पर वाराणसी पहुंचे। इस दौरान एयरपोर्ट पर विमान से उतरते ही वाराणसी के पुलिस आयुक्त, मंडलायुक्त और जिलाधिकारी से कुछ दिन पूर्व वाराणसी शहर में घटी एक दुष्कर्म की घटना के बारे में विस्तार से जानकारी ली। पीएम मोदी ने मामले के सभी दोषियों को चिह्नित करते हुए उन पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने की व्यवस्थाएं करने का निर्देश दिया। अधिकारियों से बातचीत के दौरान पीएम काफी गंभीर दिखे। जाहिर तौर पर अपने संसदीय क्षेत्र में इतनी बड़ी वारदात होने से वह नाराज थे।

बता दें कि वाराणसी से हैवानियत का हैरान करने का मामला सामने आया है। वाराणसी में 19 साल की युवती के साथ 23 आरोपियों ने 7 दिनों तक दुष्कर्म का मामला सामने आया है। लड़की 29 मार्च को गायब हुई थी और वह 4 अप्रैल को बेसुध हालत में बरामद की गई। इन छह दिनों में उसके साथ 23 लोगों ने रेप किया। इस दौरान छात्रा को ड्रग्स देकर नशे में रखा गया। दरिंदों के चंगुल से बचकर घर पहुंची युवती ने परिजनों के साथ लालपुर पांडेयपुर थाना पहुंचकर 12 नामजद व 11 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। पुलिस ने युवती के निशानदेही पर कई होटलों व हुक्का बार में छापा मारकर नौ आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है।

पुलिस की पूछताछ के बाद खुलासा हुआ है कि अनमोल गुप्ता सेक्स रैकेट का मास्टरमाइंड है। अपने कैफे कॉन्टिनेंटल के जरिए उसने 15 लड़कों को एजेंट बना रखा था। ये एजेंट उसके लिए लड़कियों को दोस्त बनाते थे। रेप करने के बाद लड़कियों को वे ब्लैकमेल करते थे।मामले में राज विश्वकर्मा, समीर, आयुष, सोहेल, दानिश ,अनमोल, साजिद, जाहिर, इमरान, जैब, अमन और राज खान को आरोपी बनाया गया है। सभी हुकूलगंज और आसपास के रहने वाले हैं। इसमें से 12 नामजद और 11 अज्ञात हैं।

बेड़ियों में जकड़ा नजर आया आतंकी तहव्वुर राणा, पहली फोटो आई सामने

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अमेरिका से तहव्वुर राणा का भारत प्रत्यपर्ण हो चुका है। मुंबई हमले 26/11 के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा इस वक्त भारत में है। एनआईए कोर्ट ने उसे 18 दिनों की कस्टडी में भेज दिया है। इस दौरान एनआईए मुंबई हमले से जुड़े तमाम पहलुओं पर पूछताछ करेगी। अब तहव्वुर राणा की बेड़ियों में जकड़ी हुई तस्वीरें सामने आई हैं।

तहव्वुर राणा की ये तस्वीर उस वक्त की है, जब अमेरिकी अधिकारी उसे एनआईए के हवाले कर रहे हैं। प्रत्यर्पण की तस्वीर में राणा के पैरों में बेड़ियां, कमर में जंजीर बंधी हुई दिखाई दे रही है। इसके साथ ही अमेरिकी मार्शल प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को पूरा करते हुए नजर आ रहे हैं, वहीं एनआईए के अधिकारी भी वहां मौजूद हैं।

अमेरिका के न्याय विभाग ने यह तस्वीर जारी की है। अमेरिकी न्याय विभाग ने जेल द्वारा जारी की गई तस्वीर में राणा ब्राउन कलर की वर्दी पहने और अमेरिकी मार्शलों के साथ खड़ा है। फोटो में राणा की शक्ल तो नहीं दिख रही, लेकिन उसे ले जाता हुआ जरूर देखा जा सकता है। उसके शरीर को जंजीर से बांध रखा है, यानी कि काफी सुरक्षा के बीच उसे भारत को सौंपा गया है।

अमेरिकी न्याय विभाग कैलिपोर्निया के सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट में अमेरिकी मार्शलों ने मंगलवार को पाकिस्तानी नागरिक और कनाडाई नागरिक तहव्वुर राणा की हिरासत भारत के विदेश मंत्रालय के प्रतिनिधियों को सौंप दी। तहव्वुर राणा अब 18 दिनों के लिए एनआईए की हिरासत में है। तहव्वुर राणा को एनआईए के मुख्यालय में ग्राउंड फ्लोर पर ही एक लॉकअप में रखा गया है। लॉकअप के ठीक बगल में एक इंटोरेगेशन रूम बना है. इसी में उससे आज पूछताछ होगी। ताकि 2008 के हमलों के पीछे की पूरी साजिश का पता लगाया जा सके। इन हमलों में कुल 166 लोग मारे गए थे और 238 से अधिक घायल हुए थे।

दयान कृष्णन…निर्भया के गुनहगारों को भेजा “नर्क”, अब राणा को दिलाएंगे “फांसी”

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मुंबई हमलों के मास्‍टरमाइंड तहव्‍वुर हुसैन राणा को सफलतापूर्वक अमेरिका से भारत लाया जा चुका है। अब उसके खिलाफ भारतीय कानून के मुताबिक मुकदमा चलाया जाएगा। ऐसे में अब सवाल यह है कि तहव्‍वुर राणा के खिलाफ कोर्ट में एनआईए का पक्ष रखने की जिम्‍मेदारी किस वकील को दी गई। इस हाई-प्रोफाइल केस में अब एनआईए की तरफ से वरिष्ठ वकील दयान कृष्णन मुख्य वकील होंगे। बता दें कि कृष्णन ने कई हाई-प्रोफाइल मामलों जैसे 2001 के संसद हमले, कावेरी नदी जल विवाद, दूरसंचार मामलों आदि पर काम किया है।

कौन हैं दयान कृष्णन?

दयान कृष्णन वो अनुभवी अधिवक्ता हैं जो कई ऐसे बड़े आपराधिक केस लड़ चुके हैं, जिन्होंने भारत की नींव हिलाने की कोशिश की है। अब वो 26/11 के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा के खिलाफ एनआईए के अभियोजन का नेतृत्व करेंगे। कृष्णन को विशेष अभियोजक नरेंद्र मान सहित एक टीम द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी, जिन्होंने पहले दिल्ली हाईकोर्ट में सीबीआई का प्रतिनिधित्व किया था। बता दें कि मान एक अनुभवी क्रिमिनल वकील हैं।

राणा के प्रत्‍यर्पण में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका

बताया जा रहा है कि दयान कृष्णन ने राणा के प्रत्यर्पण की कार्यवाही में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनकी टीम ने अमेरिकी कोर्ट के समक्ष जबरदस्‍त साक्ष्य प्रस्तुत किए, जिसके चलते राणा की सभी दलीलों और अपीलों को खारिज कर दिया गया। साल 2019-20 में प्रत्यर्पण प्रक्रिया शुरू होने पर कृष्णन एनआईए के साथ मिलकर काम कर रहे थे। वे और उनकी टीम भारत का मामला पेश करने के लिए एनआईए के साथ अमेरिका भी गए थे। राणा ने अमेरिका में प्रत्यर्पण से बचने के लिए ‘डबल जेपर्डी’ का तर्क दिया लेकिन कृष्णन ने अदालत में यह साबित कर दिया कि भारत के आरोप अलग प्रकृति के हैं। इसी मजबूत दलील के चलते अमेरिकी कोर्ट ने उसकी सारी याचिकाएं खारिज कर दीं और भारत के प्रत्यर्पण का रास्ता साफ हो गया।

हेडली से भी है कनेक्शन

हालांकि, दयान कृष्णन की राणा केस से कनेक्शन नया नहीं है। 2010 में वे शिकागो में डेविड हेडली से पूछताछ करने वाली एनआईए टीम का हिस्सा थे। इसके बाद 2014 में उन्हें हेडली और राणा दोनों के प्रत्यर्पण मामलों के लिए विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया गया।

निर्भया केस बिना फीस लिए लड़ा

दयान कृष्णन वही वकील हैं जिन्होंने निर्भया केस में बिना फीस लिए मुकदमा लड़ा था। दयान कृष्‍णन ने निर्भया मामले में आरोपियों को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद कहा था, ‘घटना के बाद मुझे लगा कि समाज के प्रति मेरा कर्तव्य है। जब मैं समाज के प्रति अपना कर्तव्य निभाऊंगा, तो निश्चित रूप से मैं पैसा नहीं कमा पाऊंगा। ‘टाइम्‍स ऑफ इंडिया’ की रिपोर्ट के अनुसार, कृष्णन नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी बेंगलुरु के छात्र रहे हैं। जिनका करियर लगभग तीन दशकों का है। उन्होंने साल 2001 के संसद हमले, कावेरी नदी जल विवाद, दूरसंचार मामलों, गोवा बाल शोषण कांड, नीतीश कटारा हत्या मामले और उपहार मामले सहित कई हाई-प्रोफाइल मामलों पर काम किया है।

तहव्वुर राणा को 18 दिन की रिमांड, आज से होगी पूछताछ, एनआईए मुख्यालय में गुजरी पहली रात

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मुंबई हमले का आतंकी तहव्वुर राणा अभी एनआईए की कस्टडी में है। भारत लाने के बाद उसे आधी रात को पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया। अदालत ने उसे 18 दिनों की एनआईए की रिमांड में भेज दिया। एनआईए ने 20 दिनों की हिरासत मांगी थी। कोर्ट ने इस मामले में काफी समय तक सोच-विचार के बाद उसे 18 दिनों की हिरासत दी है।

दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में देर रात तहव्वुर राणा को पेश किया गया। एनआईए के वकील दयान कृष्णन ने अदालत के सामने राणा के खिलाफ सबूत पेश किए। एनआईए ने अदालत से तहव्वुर की 20 दिन की रिमांड की मांग की थी। बहस के बाद कोर्ट ने फैसले सुरक्षित रख लिया। वहीं रात करीब 2.10 बजे अदालत ने फैसला सुनाते हुए राणा की 18 दिन की कस्टडी एनआईए को दे दी।

तहव्वुर राणा को गुरुवार देर रात राष्ट्रीय जांच एजेंसी मुख्यालय लाया गया है। सूत्रों का कहना है कि एनआईए की रिमांड मिलने के बाद तहव्वुर राणा को जल्द ही नींद आ गई। सुबह आठ बजे तक वह अभी नींद में ही था। एनआईए के अधिकारियों ने जब जाकर चेक किया कि आतंकी तहव्वुर जगा है या नहीं, तो उसे गहरी नींद में ही पाया। उसे जगाने की कोशिश नहीं की।

आतंकी राणा की भारत में पहली रात एनआईए के मुख्यालय के बनी अंदर बनी सेल में कटी। आज राणा से एनआईए की विशेष टीम पूछताछ करेगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस टीम में एनआईए के वरिष्ठ अधिकारी शामिल किए गए हैं। जो राणा से मुंबई हमले की साजिश को लेकर पूछताछ करेंगे।

एनआईए ने कहा कि एजेंसी उससे विस्तार से पूछताछ करेगी, ताकि हमले को लेकर सभी तरह की बातों और उनकी साजिश के एक-एक कदम को लेकर सबूत जुटाए जा सके। 18 दिनों तक एनआईए की हिरासत में रहने के बीच तहव्वुर से एनआईए उससे विस्तार से पूछताछ करेगी। एनआईए 2008 के खतरनाक हमलों के पीछे की पूरी साजिश का पता लगा सके, इसलिए उसे पूछताछ के लिए ये समय चाहिए था। मुंबई हमले में कुल 166 लोग मारे गए थे और 238 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।

इससे पहले राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि उसने 26 नवंबर 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले के मुख्य आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा का प्रत्यर्पण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। 2008 के भयावह हमले के प्रमुख साजिशकर्ता को न्याय के कठघरे में लाने के लिए सालों की लगातार, ठोस और संगठित कोशिशों के बाद यह प्रत्यर्पण संभव हो सका है।

राणा अमेरिका में न्यायिक हिरासत में था। भारत और अमेरिका के बीच हुई प्रत्यर्पण संधि के तहत उसके प्रत्यर्पण प्रक्रिया शुरू हुई थी। तहव्वुर राणा को अमेरिका से भारत लाने में लंबी कानूनी लड़ाई के बाद उसके प्रत्यर्पण को मंजूरी दी गई। तहव्वुर साल 2008 के मुंबई आतंकी हमले के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी का करीबी सहयोगी है। राणा पर कई धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं, जिनमें आपराधिक साजिश, भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना, हत्या, जालसाजी और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम शामिल हैं।

अमेरिका में क्यों कैंसिल हो रहा स्टूडेंट वीजा? भारत के 3 लाख स्टूडेंट्स की बढ़ी परेशानी

#whyusstudentvisacancelled

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टैरिफ वॉर के बीच अमेरिका में अब विदेशी छात्रों की परेशानी बढ़ गई है। ट्रंप की सरकार में इमिग्रेशन नीतियों को कड़ा किया गया है। सैकड़ों छात्रों को स्टूडेंट वीजा रद्द कर उन्हें डिपोर्ट किया गया है। अमेरिका में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों पर भी एक्शन लिया गाय है। मौजूदा सरकार की नीतियों की वजह विदेशी छात्रों और यूनिवर्सिटीज दोनों की परेशानी बढ़ गई है।

अमेरिका में पढ़ाई कर रहे छात्रों के F-1 वीजा को मामूली अपराधों के आधार पर रद्द करना शुरू कर दिया है। इनमें ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन, डिंक एंड ड्राइव, ओवर स्पीडिंग और शॉप-लिफ्टिंग जैसे अपराध शामिल हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि फिलिस्तीन समर्थक बयानबाजी, विरोध-प्रदर्शन और सोशल मीडिया पर पोस्टिंग को लेकर भी वीजा कैंसिल हुए हैं। अधिकारी आव्रजन और राष्ट्रीयता अधिनियम के तहत शायद ही कभी इस्तेमाल की जाने वाली शक्तियों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे छात्र अनिश्चितता में हैं।

वीजा कैंसिल होने से स्टूडेंट परेशान

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की वजह से दुनिया में नया टैरिफ वॉर छिड़ गया है। इससे सभी देश पहले ही परेशान हैं। अब ट्रंप सरकार ने जिस तरह से छात्रों के खिलाफ रुख अपनाया है उसने एक नई समस्या को जन्म दे दिया है। अमेरिका ने दुनिया के कई छात्रों को अमेरिका छोड़ने की हिदायत दी है, इनमें भारतीय छात्र भी शामिल हैं। इनका वीजा रद्द कर दिया गया है और मेल भेजकर इन्हें इस बात की जानकारी भी दे दी गई है। इनसे कह दिया गया है कि वह खुद डिपोर्ट हो जाएं।

कई छात्रों ने दावा किया कि उनकी पुरानी गलतियों को आधार बना जा रहा है, जिनकी सभी कानूनी कार्रवाई पूरी हो चुकी हैं। एक छात्र ने बताया कि उसने 2 साल पहले स्पीडिंग का उल्लंघन किया था और जुर्माना भर दिया था। एक अन्य ने शराब पीकर गाड़ी चलाने के बाद सभी शर्तें पूरी की थीं।

वीजा पर नई नीति काफी सख्त

अमेरिका ने हाल ही में वीजा के लिए एक नया नियम बनाया था। अमेरिका में F-1 , M-1 और J-1 वीजा दिए जाते हैं, जिन्हें स्टूडेंट वीजा के तौर पर जाना जाता है। इस वीजा के जरिए स्टूडेंट्स अमेरिका के कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज में पढ़ने जाते हैं। स्टूडेंट वीजा विदेश विभाग द्वारा जारी किया जाता है। छात्रों को फुल-टाइम स्टूडेंट के तौर पर पढ़ने के लिए वीजा मिलता है। वीजा मिलने के बाद उन्हें सख्त नियमों का पालन करना होता है। पहले किसी का वीजा रद्द होने पर भी उन्हें पढ़ने की इजाजत थी, लेकिन नई नीतियों के बाद अब उन्हें तुरंत देश छोड़ना होगा।

वीजा अप्लाई करने वालों के सोशल मीडिया अकाउंट पर नजर

यूएस सेक्रेटरी ऑफ स्टेट मार्को रुबियो ने खुद ये बताया था कि मार्च से अमेरिका में वीजा के लिए अप्लाई करने वालों का सोशल मीडिया अकाउंट भी खंगाला जाएगा। इसका उद्देश्य ये था कि जिन लोगों ने किसी भी तरह इजराइल या अमेरिका की सोशल मीडिया पर आलोचना की है उन्हें अमेरिका आने से रोका जा सके। इसके अलावा रूबियो ने अमेरिका में पढ़ रहे विदेशी छात्रों के सोशल मीडिया अकाउंट पर भी नजर रखने को कहा था। इसके बाद से अमेरिका में वीजा रद्द करने का काम तेजी पकड़ चुका है।

कैसे दोस्त की गवाही ने बढ़ाई तहव्वुर राणा की मुश्किलें? डेविड हेडली ने खोले थे मुंबई हमले की साजिश के राज

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26/11 मुंबई हमले को अंजाम देने में अहम भूमिका निभाने वाले तहव्वुर राणा भारत आ चुका है। अमेरिका से तहव्वुर राणा का प्रत्यार्पण सरकार, भारतीय एजेंसियों और भारत की डिप्लोमेसी की बहुत बड़ी जीत मानी जा रही है। राणा पर आतंकी हमलों की साजिश रचने का आरोप है। इसका खुलासा उसके बचपन के दोस्त और आतंकी हमलों के मुख्य आरोपी डेविड कोलमैन हेडली की गवाही से हुआ था।

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सबसे पहले जानते हैं डॉक्टर से बिजनेसमैन और फिर आतंकी बना तहव्वुर हुसैन राणा के बारे में। 26/11 आतंकी हमले का साजिशकर्ता 64 वर्षीय तहव्वुर राणा का जन्म पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चिचावतनी शहर में हुआ था। मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह पाकिस्तानी सेना की मेडिकल कोर में शामिल हो गया। लेकिन, 1990 के दशक के आखिर में तहव्वुर राणा ने पाकिस्तानी आर्मी छोड़ दी और कनाडा चला गया। लेकिन, यहां भी कुछ साल रहने के बाद वह अमेरिका चला गया और यहां इसने शिकागो में अपना इमिग्रेशन बिजनेस शुरू किया। तहव्वुर ने ‘फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज’ नाम से अपना कारोबार जमाया।

हेडली के संपर्क में आकर राणा आतंकी गतिविधियों से जुड़ा

राणा के इसी ऑफिस ने हेडली को भारत में आने में मदद की। हेडली का असली नाम दाऊद सईद गिलानी था। वह एक पाकिस्तानी-अमेरिकी नागरिक है। उसका पिता पाकिस्तानी है और मां अमेरिका से ताल्लुक रखती हैं। अमेरिका में डेविड हेडली के संपर्क में आने के बाद तहव्वुर राणा आतंकी गतिविधियों में शामिल हो गया। इस दौरान वह लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ गया। भारतीय जांच एजेंसियों के अनुसार, राणा ने 26/11 मुंबई हमलों की योजना बनाने में हेडली की मदद की थी। हेडली और राणा ने कथित तौर पर लश्कर-ए-तैयबा और हरकत-उल जिहादी इस्लामी के साथ मिलकर मुंबई और अन्य भारतीय शहरों में हमले करने की साजिश रची थी।

2016 में हेडली मुंबई की विशेष कोर्ट में हुआ था पेश

मुंबई में हुए आतंकवादी हमले के करीब एक साल बाद दोनों को गिरफ्तार किया गया था। अक्टूबर 2009 में अमेरिकी अधिकारियों ने हेडली और तहव्वुर राणा को गिरफ्तार किया था। 2010 में हेडली ने सभी आरोपों को स्वीकार कर लिया था। उसने यह बात कबूल की थी कि 26/11 आतंकी हमले में उसकी भूमिका थी। 2016 में हेडली अमेरिका की अज्ञात जगह से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मुंबई की एक विशेष कोर्ट के समक्ष पेश हुआ था। उससे विशेष लोक अभियोजक उज्ज्वल निकम और बचाव पक्ष के वकील वहाब खान ने पूछताछ की थी।

इस दौरान हेडली ने खुलासा किया कि वह राणा के साथ लगातार संपर्क में था। दोनों ने अपनी अवैध गतिविधियों को छिपाने के लिए मुंबई में एक व्यावसायिक कार्यालय खोलने की अनुमति भी ली थी।

5 साल का बिजनेस वीजा दिलाने में मदद की

गवाही के दौरान हेडली ने कहा था, जुलाई 2006 में मैं राणा से मिलने के लिए शिकागो गया था और उसे उस मिशन (मुंबई पर हमले) के बारे में बताया था जो लश्कर ने मुझे सौंपा था। राणा ने मुंबई में एक फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज नाम से कार्यालय स्थापित करने की मेरी योजना को मंजूरी दी थी और उसे 5 साल का बिजनेस वीजा प्राप्त करने में मदद की थी।

हमलों से पहले 8 बार भारत आ हेडली

हेडली ने कहा था, मुंबई पर हमला करने वाले 10 आतंकवादियों ने उसी साल सितंबर-अक्टूबर में हमले के असफल प्रयास किए थे। हेडली ने कहा कि वह हमलों से पहले 8 बार और बाद में एक बार भारत आया था। हेडली ने बताया कि उसने रैकी की और बॉलीवुड सितारों से दोस्ती की। हेडली ने ये भी बताया कि उसने आईएसआई के मेजर अली और मेजर इकबाल से मुलाकात की, जिन्होंने उसकी मुलाकात हैंडलर साजिद मीर से करवाई।

तहव्वुर राणा के भारत आने से खौफ में पाकिस्तान, आतंकी से झाड़ा पल्ला

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मुंबई 26/11 आतंकी हमले का मुख्य आरोपी तहव्वुर राणा अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित हो चुका है। मुंबई हमले के साजिशकर्ता तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण की खबर सुनते ही पाकिस्तान घबराहट में है। राणा के प्रत्यर्पण पर पहली बार पाकिस्तान ने अपना बयान जारी किया है, जिसमें पाकिस्तानी विदेश कार्यालय ने भारत पर हुए सबसे बड़े आतंकी हमले के आरोपी से खुद को अलग कर लिया है। पाकिस्तान का कहना है कि तहव्वुर राणा पाकिस्तान का नागरिक नहीं है।

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पाकिस्तान में जन्मे तहव्वुर हुसैन राणा के भारत प्रत्यर्पण को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने उसे कनाडाई नागरिक बताया और उसका पाकिस्तान कनेक्शन होने से पल्ला झाड़ने की कोशिश की। पाकिस्तान विदेश कार्यालय ने एक वीडियो बयान में कहा, "तहव्वुर राणा ने पिछले दो दशकों में अपने पाकिस्तानी दस्तावेजों का नवीनीकरण नहीं कराया है। उसकी कनाडाई राष्ट्रीयता बहुत स्पष्ट है।"

भले ही पाकिस्तान तहव्वुर राणा से अपने कनेक्शन से इनकार करे और भले ही राणा के पास कनाडा की नागरिकता हो, लेकिन ये भी सच है कि उसका जन्म पाकिस्तान में हुआ है। यहीं उसने मेडिकल की पढ़ाई की है और पाकिस्तान सेना में 10 साल डॉक्टर रह चुका है। 1997 में वह कनाडा चला गया, जिसके 3 साल बाद उसने अमेरिका के शिकागो में इमीग्रेशन का काम शुरू किया। उसके पास कनाडाई नागरिकता है, लेकिन वह शिकागो में रहता है।

अब जबकि तहव्वुर राणा को भारत लाया गया है तो पाकिस्तान राणा से खुद को इसलिए अलग कर रहा है क्योंकि तहव्वुर राणा पाकिस्तानी सेना, आईएसआई का अंदरूनी सूत्र है। आतंकी राणा अब मुंबई 26/11 हमलों की साजिश में पाकिस्तान की प्रत्यक्ष भूमिका के बारे में खुलासा करेगा।