ओपन परीक्षा में बड़ी लापरवाही: 12वीं के बजाए 10वीं का थमाया पेपर, केंद्राध्यक्ष समेत 3 जिम्मेदारों पर हुई कार्रवाई…

गरियाबंद-  छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में ओपन परीक्षा में बड़ी लापरवाही सामने आई है. कक्षा 12वीं की परीक्षा में 10वीं कक्षा के पेपर बच्चों में बांट दिए गए. इस लापरवाही से कल आयोजित होने वाले 10 वीं का पर्चा एक दिन पहले ही लीक हो गया.

जानकारी के मुताबिक, यह पूरा मामला लोहरसी परीक्षा केंद्र का है. पेपर बांटने में गड़बड़ी को लेकर केंद्राध्यक्ष नारायण सिंह ने सफाई देते हुए कहा कि आज 12 वीं का गृह विज्ञान का पेपर था, लेकिन गलती से 10 वीं का गृह विज्ञान पर्चा दे दिया गया था. हालांकि गलती का पता चलते ही केंद्राध्यक्ष नारायण सिंह ने पेपर बदल दिया. लेकिन परीक्षा में हुई इस बड़ी लापरवाही को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी ने केंद्राध्यक्ष समेत 3 जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई की है।

 

DEO सारस्वत ने अब दसवीं के खुल चुके पर्चे को बदलने के अलावा परीक्षा की तारीख निरस्त करने के लिए राज्य ओपन परीक्षा को पत्र भेजा है. डीईओ सारस्वत ने बताया कि लापरवाही के चलते ड्यूटी में तैनात केंद्राध्यक्ष नारायण सिंह,सहायक केंद्राध्यक्ष तुलसी राम यादव,और ऑब्जर्वर नितू साह को हटाया गया है.

नाबालिग साली के साथ दुष्कर्म, हाईकोर्ट ने आरोपी जीजा को सुनाई 20 साल की सजा

बिलासपुर- हाईकोर्ट ने 13 साल की नाबालिग साली के साथ दुष्कर्म करने वाले जीजा को 20 साल कैद की सजा सुनाई है। मेडिकल रिपोर्ट में रेप की पुष्टि न होने के बावजूद पीड़िता और गवाहों के बयान के आधार पर यह सजा सुनाई गई है। मामला 2023 का खैरागढ़ का है। मामले में सुनवाई चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में हुई।

बता दें कि घटना के दिन पीड़िता घर के बाहर अपने भाई के साथ खेल रही थी। तभी पड़ोस में रहने वाला (पीड़िता के मौसी का दामाद) उसे बहला फुसला कर अपने घर लेकर चला गया, जहां पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया। पूरी रात खोजने के बाद पीड़िता अपने मां, पापा को आरोपी के घर से बरामद हुई। उसने बताया कि आरोपी ने उसके साथ गलत हरकत की है। इस बात की जानकारी लगते ही पीड़िता के मां-बाप ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई।

पीड़िता ने पुलिस वालों को अपने बयान में बताया कि उसके साथ दो बार दुष्कर्म हुआ। पुलिस ने मामले में आरोपी के खिलाफ पॉक्सो के तहत अपराध दर्ज किया। हालांकि मेडिकल जांच में दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई। मामले में सुनवाई के बाद पीड़िता और गवाहों के बयान के आधार पर निचली अदालत ने आरोपी को जीवित रहते तक कठोर कारावास की सजा सुनाई। इसके खिलाफ आरोपी ने हाइकोर्ट में अपील की। मामले की सुनवाई के दौरान हाइकोर्ट ने माना कि दुष्कर्म के मामले में 16 साल से कम आयु की पीड़िता का बयान ही अपने आप में सबूत है। हालांकि निचली अदालत के फैसले को संशोधित करते हुए हाइकोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा को घटाकर 20 साल की कैद में बदल दिया।

हड़ताली मजदूरों और ग्रामीणों के बीच हिंसक झड़प: सरपंच, उप सरपंच समेत 30 से अधिक लोगों के खिलाफ मारपीट और बलवा का मामला दर्ज

बालोद- जिले के दल्ली राजहरा स्थित जगन्नाथ पैलेट प्लांट धोबेदंड में बीती रात उस वक्त हड़कंप मच गया जब हड़ताली मजदूरों ने प्लांट में घुसकर काम कर रहे मजदूरों से मारपीट कर दी। इसके जवाब में आज सुबह ग्रामीणों ने हड़ताली मजदूरों की पिटाई कर दी और उनके अस्थायी धरना स्थल को आग के हवाले कर दिया। पुलिस ने दोनों ही घटनाओं में ग्राम पंचायत धोबेदंड के सरपंच, उप सरपंच समेत 30 से अधिक लोगों के खिलाफ मारपीट और बलवा का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, जगन्नाथ पैलेट प्लांट प्रबंधन ने कुछ महीने पहले दल्ली राजहरा और आसपास के गांवों के मजदूरों को काम से निकाल दिया था। इससे नाराज मजदूर धरने पर बैठ गए और प्लांट के सामने अस्थायी तंबू लगाकर अपनी नौकरी बहाल करने की मांग कर रहे थे।

इस बीच, बुधवार को प्लांट में काम कर रहा बिहार का एक मजदूर ऊंचाई से गिरकर घायल हो गया। उसे गंभीर हालत में रायपुर ले जाया गया, लेकिन रास्ते में उसकी मौत हो गई। इस घटना के बाद, आक्रोशित हड़ताली मजदूरों ने प्लांट में घुसकर कर्मचारियों से मारपीट की। सूचना मिलते ही पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति संभाली, लेकिन अगले दिन सुबह मामला और गरमा गया।

गुस्साए ग्रामीणों ने हड़ताली मजदूरों पर हमला कर दिया और उनके धरना स्थल को आग के हवाले कर दिया। इस झड़प में कई मजदूर घायल हो गए।

पुलिस-प्रशासन अलर्ट, बैठक में चेतावनी

मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने दोनों पक्षों पर मामला दर्ज कर लिया है और कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है। वहीं, अनुविभागीय अधिकारी ने बीएसपी और प्लांट प्रबंधन के साथ बैठक कर उन्हें सुरक्षा नियमों का सख्ती से पालन करने और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के निर्देश दिए हैं। फिलहाल, इलाके में शांति बनी हुई है, लेकिन पुलिस हर स्थिति पर पैनी नजर बनाए हुए है।

तीन मेडिकल कॉलेजों पर 10-10 लाख का जुर्माना, ट्रांसपोर्ट, हॉस्टल और मेस के नाम पर छात्रों से ली थी अधिक राशि

रायपुर-   प्रवेश और फीस विनियामक समिति छत्तीसगढ़ ने प्रदेश के तीन निजी मेडिकल कॉलेजों पर 10-10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है. यह कार्रवाई छात्रों से ट्रांसपोर्ट, हॉस्टल और मेस के नाम पर अधिक राशि लिए जाने की शिकायत सही पाए जाने पर की गई है. मेडिकल कॉलेजों को छात्रों से ली गई अधिक राशि एक माह के भीतर 7 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित छात्रों को लौटाने के निर्देश भी दिए गए हैं.

प्रवेश व फीस नियामक समिति के अध्यक्ष जस्टिस प्रभात कुमार शास्त्री ने बताया कि शंकराचार्य इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साईंस,जुनवानी भिलाई, बालाजी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस मोवा रायपुर एवं रायपुर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस भानसोज ग्राम-गोढ़ी रायपुर में एमबीबीएस, एमडीएमएस पाठ्यक्रमों के संचालन में ट्रांसपोर्ट, हॉस्टल एवं मेस के नाम पर अत्यधिक राशि प्रत्येक छात्र से लिए जाने की शिकायत मिली थी. जांच में शिकायत सही पाई गई है. उन्होंने बताया कि तीनों निजी मेडिकल कॉलेजों को जुर्माने की राशि शासन के पक्ष में एक माह के भीतर जमा करने कहा गया है. यदि एक माह के भीतर राशि जमा न की जाए तो शासन को तीनों ही मेडिकल कॉलेजों की मान्यता निरस्त करने की अनुशंसा भी की गई है.

जस्टिस शास्त्री ने बताया कि इन तीनों निजी मेडिकल कॉलेजों द्वारा छात्रों से अत्यधिक राशि लेने की बहुत सी शिकायतें प्राप्त होने पर समिति ने संबंधित तीनों मेडिकल कॉलेजों को सुनवाई का पूरा अवसर दिया. उनसे खाते के विवरण आदि की जानकारी प्राप्त करने के पश्चात् समिति ने यह पाया कि तीनों ही कॉलेज ट्रांसपोर्ट, हॉस्टल एवं मेस के लिए जिसे वे केवल ‘न लाभ-न हानि’ के रूप में ही संचालित कर सकते हैं अर्थात् वास्तविक खर्च को ही लेने की अधिकारिता उन्हें हैं, लेकिन उनकी ओर से मनमानी राशि छात्रों से ली जा रही है।


जांच में पाए गए ये तथ्य

श्री शंकराचार्य इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस जुनवानी भिलाई द्वारा ट्रांसपोर्टेशन मद में 2.50 लाख रुपए की राशि ली जा रही है, जबकि वास्तविक राशि 4,635 रुपए है. इसी तरह हॉस्टल मद में 2.46 लाख रुपए की राशि ली जा रही है, जबकि वास्तविक राशि 53,337 रुपए है. मेस चार्ज के रूप में 56,700 रुपए की राशि ली जा रही है, जबकि वास्तविक राशि 51,015 रुपए है. इस तरह छात्र से 4,43,713 रुपए अधिक राशि ली जा रही है.

इसी तरह बालाजी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस मोवा रायपुर द्वारा तीनों मद में 5.50 लाख रुपए राशि ली जा रही है, जबकि ट्रांसपोर्टेशन मद में वास्तविक राशि 13,719 रुपए, वास्तविक राशि 50,583 रुपए और मेस चार्ज की वास्तविक राशि 27,476 रुपए है. इस प्रकार 4,58,222 रूपए अधिक राशि छात्रों से ली जा रही है.

रायपुर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस भानसोज, ग्राम गोढ़ी रायपुर द्वारा तीनों मद में 5.50 लाख रुपए की राशि ली जा रही है, जबकि ट्रांसपोर्टेशन मद में वास्तविक राशि 13,384 रुपए, वास्तविक राशि 37,748 रुपए और मेस चार्ज की वास्तविक राशि 45,275 रुपए है. इस प्रकार 4,53,593 रूपए अधिक राशि छात्रों से ली जा रही है.


महीनेभर में जुर्माना नहीं पटाने पर निरस्त हो सकती है मान्यता

तीनों मेडिकल कॉलेजों को छात्रों से ली गई अधिक राशि को एक माह के भीतर 7 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित छात्रों के खाते में जमा करने एवं तीनों ही कॉलेजों पर 10-10 लाख रुपये का जुर्माना भी आरोपित किया गया है, जो शासन के पक्ष में एक माह के भीतर जमा करना होगा. यदि एक माह के भीतर राशि जमा नहीं की जाएगी तो शासन को तीनों ही मेडिकल कॉलेजों की मान्यता निरस्त करने की अनुशंसा भी की गई है.

रेरा की बड़ी पहल: वित्तीय अनियमितताओं को रोकने और खरीदारों के हितों की रक्षा करने रेरा ने 17 बैंकों को किया लिस्टेड, जानिये क्या होगा फायदा

रायपुर- छत्तीसगढ़ रियल एस्टेट रेगुलेटरी ऑथोरिटी (RERA) ने रियल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शिता और वित्तीय अनुशासन को बढ़ाने के लिए नए नियम लागू किए हैं. RERA चेयरमैन संजय शुक्ला ने कहा है कि रेरा द्वारा 17 बैंकों के साथ साझेदारी की गई है. उन्होंने बताया कि कई प्रमोटर एक ही प्रोजेक्ट के लिए अलग-अलग बैंक अकाउंट खोल रहे थे, जिससे अव्यवस्था फैल रही थी. रियल एस्टेट क्षेत्र में धन के दुरुपयोग को रोकने के लिए बैंकों के साथ मिलकर कुछ अहम फैसले लिए हैं. 

उन्होंने बताया कि अब से जिस उद्देश्य के लिए पैसा जमा होगा, उसे उसी प्रोजेक्ट में इस्तेमाल किया जाएगा. RERA इस पर नजर रखेगा कि प्रमोटर फंड डायवर्ट न कर सकें. इसके अलावा परियोजनाओं की प्रगति की निगरानी RERA के माध्यम से होगी.

उन्होंने बताया कि RERA के सामने 2 मुख्य शिकायतें आती हैं:

1. प्रोजेक्ट में देरी – कई खरीदारों को तय समय पर मकान नहीं मिल पा रहे.

2. निर्माण की गुणवत्ता – कई परियोजनाओं में निर्माण सामग्री और संरचना को लेकर शिकायतें आ रही हैं.

RERA की सीमा

RERA चेयरमैन ने स्पष्ट किया कि एक्ट के प्रावधानों के तहत अगर Competent Authority (सक्षम प्राधिकारी) ने रिपोर्ट दे दी है, तो RERA कार्रवाई नहीं कर सकता. इसी तरह, किसी भी बैंक के खिलाफ भी सीधे तौर पर कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है. इस फैसले से छत्तीसगढ़ में रियल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी.

वक्फ बिल के संसद में पारित होने पर मुख्यमंत्री साय ने पीएम मोदी का जताया आभार, विपक्ष पर साधा निशाना

रायपुर- वक्फ संशोधन बिल पास होने पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति आभार जताया है. इसके साथ ही उन्होंने बिल को लेकर मुस्लिम समुदाय को भ्रमित करने के लिए विपक्ष पर निशाना साधा है. 

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सोशल मीडिया पोस्ट एक्स पर किए अपने पोस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताते हुए लिखा है कि वक्फ बिल के दोनों सदनों से पारित होने पर बधाई. यह बिल जनजातीय अधिकारों और उनके हितों की रक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है. बिल में यह प्रावधान किया गया है कि 5वीं और 6वीं अनुसूची के क्षेत्रों में किसी भी संपत्ति को वक्फ घोषित नहीं किया जा सकेगा. इससे आदिवासी भूमि पर अवैध कब्जों पर प्रभावी रोक लगेगी और जनजातीय संस्कृति को संरक्षण मिलेगा.

उन्होंने आगे लिखा कि वक्फ बिल पर विपक्ष ने लगातार मुस्लिम समुदाय को भ्रमित करने का प्रयास किया है. यह अत्यंत निंदनीय है. वास्तव में यह बिल किसी धर्म के विरुद्ध नहीं, बल्कि न्याय और समानता के मूल्यों को मजबूत करने वाला है. यह गरीब अल्पसंख्यकों के हित में है. वक्फ संशोधन बिल पारदर्शिता, जवाबदेही और सामाजिक न्याय की दिशा में ऐतिहासिक पहल है.

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि यह बिल भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था की मजबूती का प्रमाण है. जिस प्रकार से इस बिल पर व्यापक चर्चा हुई है, वह हमारे संसदीय विमर्श की परिपक्वता को दर्शाता है. वक्फ कानून में संशोधन इसकी संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है. इस बिल का उद्देश्य धार्मिक गतिविधियों में हस्तक्षेप नहीं, बल्कि प्रशासनिक सुधार और न्यायिक पारदर्शिता सुनिश्चित करना है.

मुख्यमंत्री श्री साय ने छत्तीसगढ़ी अग्रवाल भवन में नवनिर्मित आडिटोरियम का लोकार्पण करते हुए दानदाताओं को किया सम्मानित

रायपुर- मुख्यमंत्री विष्णु देव साय राजधानी रायपुर में छत्तीसगढ़ी अग्रवाल समाज द्वारा दानशीलता दिवस पर आयोजित सम्मान एवं शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए। उन्होंने इस दौरान छत्तीसगढ़ी अग्रवाल भवन में समाज द्वारा नवनिर्मित 200 सीटर ऑडिटोरियम का लोकार्पण और दान दाताओं का सम्मान भी किया।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने अग्रवाल समाज की दानशीलता के कार्य की प्रशंसा करते हुए कहा कि मानवता की सेवा और दानशीलता के लिए अग्रवाल समाज हमेशा ही आगे रहा है। छत्तीसगढ़ी अग्रवाल समाज का छत्तीसगढ़ से काफी पुराना नाता रहा है। लगभग 400 साल पहले जब से अग्रवाल समाज का छत्तीसगढ़ में पदार्पण हुआ है, तब से छत्तीसगढ़ के विकास में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि अग्रवाल समाज व्यापार व्यवसाय से जुड़ा हुआ है जो कठिन परिश्रम तथा लगन से कार्य करते हुए मानवता की सेवा में जुटा रहना वाला समाज है। अग्रवाल समाज के द्वारा कोविड की विषम परिस्थिति में भी मानव सेवा सम्बंधी किए गए कार्यों को भुलाया नहीं जा सकता।

मुख्यमंत्री श्री साय ने छत्तीसगढ़ी अग्रवाल समाज के दानदाताओं के सहयोग का उल्लेख किया। इनमें उन्होंने डीकेएस अस्पताल, एम्स, शीतलबांधा तालाब सहित अनेक कार्यों का उल्लेख किया। कृषि विश्वविद्यालय के लिए 1900 एकड़ भूमि समाज के दानदाताओं द्वारा दी गई है। अनेक धर्मशाला, तालाब, मंदिर, गौशाला, छत्तीसगढ़ी अग्रवाल समाज के द्वारा बनाई गई है। इन कार्यों से समाज का हर वर्ग लाभान्वित है। सामाजिक समरसता का इससे अनूठा उदाहरण और कुछ नहीं हो सकता।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर ही नहीं बल्कि प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में छत्तीसगढ़ी अग्रवाल समाज के लोगों ने सेवा के ऐसे काम किए हैं, जो सभी के लिए प्रेरणास्रोत हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, कन्या विवाह, रोजगार जैसे अनेक क्षेत्रों में आप सभी ने जरूरतमंदों की सेवा की है। हमारा प्रदेश छत्तीसगढ़ देश-दुनिया में सामाजिक समरसता के लिए जाना जाता है। इसके पीछे छत्तीसगढ़ी अग्रवाल समाज की महत्वपूर्ण भूमिका है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपनों के अनुरूप 2047 में विकसित भारत के साथ विकसित छत्तीसगढ़ के लक्ष्य को पाने में अग्रवाल समाज की महत्वपूर्ण भूमिका रहेंगी। इस दौरान उन्होंने समाज के नव निर्वाचित पदाधिकारियों को शपथ भी दिलाई। साथ ही मुख्य मंच से दान देने वाले अग्रणी परिवारों को सम्मानित किया। इस अवसर पर रायपुर दक्षिण विधायक सुनील सोनी ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर विधायक पुरंदर मिश्रा, रायपुर नगर निगम महापौर मीनल चौबे, संजय श्रीवास्तव, दाऊ अनुराग अग्रवाल सहित समाज के गणमान्य नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री श्री साय से निगम तथा मंडल के नव नियुक्त अध्यक्षों ने की सौजन्य मुलाकात

रायपुर-  मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में विभिन्न मंडल एवं निगमों के नव नियुक्त अध्यक्षों ने सौजन्य मुलाकात की। मुख्यमंत्री श्री साय ने उन्हें उनके नवीन दायित्व के लिए बधाई एवं शुभकामनाएं दी। इस दौरान छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (क्रेडा) अध्यक्ष भूपेंद्र सवन्नी, छत्तीसगढ़ स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन (नागरिक आपूर्ति) अध्यक्ष संजय श्रीवास्तव, छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम अध्यक्ष सौरभ सिंह, छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कार्पोरेशन लिमिटेड अध्यक्ष दीपक महस्के एवं छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल अध्यक्ष अनुराग सिंह देव उपस्थित थे।

रामगढ़ की पहाड़ी पर हादसा : 200 फीट गहरी खाई में गिरी सात साल की बच्ची, रेस्क्यू कर बचाई गई जान

सरगुजा- परिजनों के साथ राम मंदिर दर्शन करने आई सात वर्षीय मासूम बंदरों के डर से 200 फीट गहरी खाई में जा गिरी. घटना की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन, पुलिस और वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची. घंटों मशक्कत के बाद रेस्क्यू कर बच्ची की जान बचाई गई. यह घटना उदयपुर रामगढ़ पहाड़ी की है.

बता दें कि नवरात्रि में रामगढ़ की पहाड़ी पर हर साल मेला लगता है. इस नवरात्रि में यहां सात साल की मासूम परिजनों के साथ राम मंदिर दर्शन करने आई थी. इस दौरान यह हादसा हो गया. खाई में गिरने से बच्ची का पैर टूटा है. उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनका इलाज चल रहा.

बर्खास्त बीएड प्रशिक्षित सहायक शिक्षक ने निकाली 2621 फीट लंबी चुनरी यात्रा, समायोजन के लिए मां महामाया से की प्रार्थना

रायपुर- बर्खास्त बीएड प्रशिक्षित सहायक शिक्षक समायोजन की मांग को लेकर पिछले तीन माह से धरना स्थल पर प्रदर्शन कर रहे हैं. आज नवरात्रि के अवसर पर प्रदर्शनकारियों ने एक अनूठा आयोजन किया. बर्खास्त बीएड प्रशिक्षित शिक्षकों ने 2621 फीट लंबी चुनरी यात्रा निकालकर मां महामाया को अर्पित की और सेवा सुरक्षा के लिए प्रार्थना की. बस स्टैंड भाटागांव स्थित मां शीतला माता मंदिर में भी पूजा-अर्चना कर सरकार से अपने अधिकारी के लिए गुहार लगाई.

विनोद जयसवाल बर्खास्त सहायक शिक्षक ने कहा, आज नवरात्रि के छठा दिन बर्खास्त शिक्षकों ने अपने आंदोलन को आध्यात्मिक शक्ति के साथ जोड़ते हुए रायपुर स्थित महामाया देवी मंदिर में 2621 फीट लंबी चुनरी अर्पित की. साथ ही नया बस स्टैंड भाटागांव स्थित मां शीतला माता मंदिर में पूजा अर्चना कर सेवा सुरक्षा के लिए प्रार्थना की. देवी मां के चरणों में यह अर्पण न्याय की आस, हक की पुकार और अपने अधिकारों की रक्षा के लिए एक मन्नत रूपी संकल्प था. आस्था और संघर्ष के इस अनूठे संगम में हजारों शिक्षकों ने भाग लिया, जो वर्षों तक शिक्षा देने के बाद अब अन्यायपूर्ण फैसलों के कारण रोजगार से वंचित हो चुके हैं.

महिला शिक्षिकाओं ने नवदुर्गा के रूप में किया सांकेतिक प्रदर्शन

नवरात्रि के पंचमी दिवस पर महिला शिक्षिकाओं ने नवदुर्गा के विभिन्न स्वरूपों में प्रदर्शन कर अपने अस्तित्व की लड़ाई को देवी शक्ति से जोड़ा. यह प्रदर्शन सिर्फ एक सरकारी नीति के खिलाफ नहीं, बल्कि एक शिक्षिका, एक माँ, एक गृहिणी और एक समाज निर्माता के सम्मान की रक्षा के लिए था. शिक्षिकाओं ने देवी माँ की संध्या आरती का आयोजन कर सरकार से न्याय की गुहार लगाई और प्रार्थना की कि उनकी सेवाएं बहाल की जाए.

शिक्षिकाओं ने कहा – हमारी लड़ाई सिर्फ नौकरी की नहीं, आत्मसम्मान की है

नम्रता वर्मा, शिक्षिका ने कहा, “नवरात्रि शक्ति की आराधना का पर्व है, और हर नारी में मां दुर्गा का अंश होता है. जैसे मां ने अधर्म के खिलाफ शस्त्र उठाए, वैसे ही हम अन्याय के विरुद्ध अपनी आवाज़ उठा रहे हैं. सरकार से हमारी विनती है कि हमारी मेहनत और सेवा को व्यर्थ न जाने दे.

गायत्री देवी मिंज, शिक्षिका ने कहा, “मैंने अपने बच्चों को घर और स्कूल, दोनों जगह सँभाला. माँ अन्नपूर्णा की तरह पोषण दिया, माँ सरस्वती की तरह ज्ञान दिया और अब जब हमें न्याय चाहिए तो मां काली की तरह लड़ने को तैयार हैं. क्या सरकार हमें हमारी शक्ति को सिद्ध करने के लिए विवश करेगी?”

निकिता देशमुख शिक्षिका ने कहा, “हम हर साल माँ दुर्गा की मूर्ति की स्थापना करते हैं, उन्हें पूजते हैं, लेकिन जब एक शिक्षिका, जो स्वयं नारी शक्ति का प्रतीक है, अन्याय के खिलाफ संघर्ष कर रही है, तो उसे अनदेखा क्यों किया जा रहा है? माँ से प्रार्थना है कि हमें न्याय मिले और सरकार जल्द हमारी सेवाएं बहाल करे.

शिक्षकों का संकल्प: हार नहीं मानेंगे

यह आंदोलन अब सिर्फ एक नौकरी की लड़ाई नहीं, बल्कि न्याय और सम्मान की लड़ाई बन चुका है. शिक्षकों का स्पष्ट कहना है कि जब तक सरकार उनकी सेवा बहाली और समायोजन का ठोस निर्णय नहीं लेती, तब तक यह संघर्ष जारी रहेगा. बता दें की कोर्ट के आदेशानुसार बीएड धारी 2600 से ज़्यादा शिक्षकों को सहायक शिक्षक के पद से बर्खास्त कर दिया गया है. इसके बाद से ये शिक्षक समायोजन की मांग को लेकर लगातार अलग-अलग अंदाज में प्रदर्शन कर रहे.