औरंगजेब ने क्यों बदला था बनारस का नाम? जानें इतिहास की यह दिलचस्प कहानी
औरंगजेब का नाम हिंदुस्तान के सबसे क्रूर शासकों में आता है. उसकी सबसे ज़्यादा आलोचना मंदिरों को तोड़ने को लेकर हुई. औरंगजेब की क्रूरता से काशी भी अछूता नहीं रहा. औरंगजेब ने ना सिर्फ श्री काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़ा, बल्कि यहां चल रहे संस्कृत पाठशालाओं को भी बंद करा दिया. वाराणसी -काशी और बनारस ये तीनों नाम हटाकर इनकी जगह औरंगाबाद नाम रख दिया.
आखिर, औरंगजेब काशी से इतनी नफ़रत क्यों करता था? यही समझने के लिए हमने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) के मध्यकालीन भारत (मिडिवल हिस्ट्री) के प्रोफेसर राजीव श्रीवास्तव से इस मुद्दे पर बात चीत की. प्रोफेसर राजीव श्रीवास्तव ने कहा किकाशी के प्रति औरंगजेब के नफ़रत करने के पीछे मूलतः तीन कारण माने जाते हैं.
दाराशिकोह का संस्कृत पढ़ना , शिवाजी और काशी…
दाराशिकोह के काशी में रहकर संस्कृत के अध्ययन करने, गीता-रामायण और स्मृतियों के फ़ारसी अनुवाद करने पर औरंगजेब को आपत्ति थी!
2. शिवाजी जब औरंगजेब के बंधन से मिठाई के टोकरे के जरिए बाहर आएं, तब उन्हें काशी के ब्राह्मणों ने शरण दी थी. उनका सम्मान किया था. यहां तक की उनका अभिषेक भी काशी के ही गागा भट्ट ने किया था!
3. तीसरा और सबसे बड़ा कारण साकी मुस्ताद खान के मासिर-ए-आलमगीरी में मिलता है. औरंगजेब को ये बताया गया था की काशी के संस्कृत पाठशालाओं में इस्लाम के ख़िलाफ ग़लत बातें सिखाई जा रही हैं और मंदिर के पुरोहित दीन के ख़िलाफ माहौल बनाने में लगे हुए हैं. उनके इस कुकृत्य से दीन खतरे में है.
इन कारणों से औरंगजेब ने 8 अप्रैल 1669 को श्री काशी विश्वनाथ मंदिर तोड़ने का फरमान जारी किया और वो शहर जिसके तीन नाम थे बनारस, वाराणसी और काशी उसका नाम बदलकर उसने औरंगाबाद रख दिया था. लेकिन काशी के लोगों ने उसके इस फैसले को मानने से इंकार कर दिया और औरंगाबाद नाम सिमट कर एक मोहल्ले तक सीमित रह गया. आज भी औरंगाबाद में रहने वालों को लेकर बनारस में कहावत मशहूर है की काशी बस कर क्या हुआ, घर औरंगाबाद!
इतिहासकार ने बताया औरंगजेब को भ्रष्ट और क्रूर
मध्यकालीन भारत के प्रोफेसर राजीव श्रीवास्तव औरंगजेब को भ्रष्ट, क्रूर और हिन्दुओं से नफ़रत करने वाला बताया है. उन्होंने ये मानने से इंकार कर दिया कि वो सादगी पसंद बादशाह था और राजपूत राजाओं को सम्मान देता था. प्रोफेसर श्रीवास्तव ने बताया कि औरंगज़ेब के समय में जाट,राजपूत, सिख, मराठा और सतनामी ये पांच क्षेत्रीय ताकत उभर रहे थे. औरंगजेब एक दूसरे के ख़िलाफ लड़ाने में इनका उपयोग करता था. औरंगज़ेब ने राजपूतों का उपयोग मराठों को दबाने में किया.
प्रोफेसर श्रीवास्तव ने कहा कि औरंगजेब के चरित्र को गढ़ने के क्रम में ही उसको सादगी पसंद और सख्त प्रशासक के रूप में दिखाया गया, जबकि इसका वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं. औरंगजेब के समय में भारत की जीडीपी सर्वाधिक रही, ये भी गढ़ने वाली बात ही है. औरंगजेब के समय में जजिया जैसा कर और उसको वसूलने का तरीका ये बताता है कि औरंगजेब एक क्रूर और हिन्दुओं से नफ़रत करने वाला शख्स था. प्रोफेसर श्रीवास्तव ने कहा कि औरंगज़ेब की कब्र रहनी चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियां उसके कब्र को देख कर ये जान सकें की औरंगजेब ने इस मुल्क में नफ़रत फैलाने के लिए कौन कौन से निर्णय लिए!
Mar 19 2025, 13:36