जहानाबाद में ऐतिहासिक फूलों की होली, भक्तों ने ठाकुर जी संग मनाया उत्सव
जहानाबाद के दरधा यमुना संगम स्थित अति प्राचीन ठाकुरबारी में इस वर्ष होली का अनोखा और भव्य आयोजन किया गया। पहली बार वृंदावन और मथुरा की तर्ज पर ठाकुर जी के साथ फूलों और अबीर-गुलाल की होली खेली गई, जिसमें भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
मंदिर का जीर्णोद्धार और भक्तों का योगदान
यह ऐतिहासिक ठाकुरबारी लंबे समय से रखरखाव के अभाव में जर्जर स्थिति में था। लेकिन कुछ भक्तों के सहयोग से मंदिर का भव्य जीर्णोद्धार कराया गया, जिससे मंदिर की रौनक लौट आई। इस नवसज्जित मंदिर में पहली बार इतनी भव्यता से होली का आयोजन किया गया, जिससे श्रद्धालुओं में नई ऊर्जा और आस्था का संचार हुआ।
फूलों से ठाकुर जी का अभिषेक, प्रेम और भक्ति का संगम
होलिका उत्सव के अवसर पर भक्तों ने टोकरी भर-भरकर ठाकुर जी पर फूलों की वर्षा की, जिससे पूरा मंदिर परिसर भक्तिमय वातावरण से गूंज उठा। ठाकुर जी के साथ होली खेलने के पश्चात श्रद्धालुओं ने एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाकर प्रेम, भाईचारे और समृद्धि का संदेश दिया।
मंगल आरती और प्रसाद वितरण
कार्यक्रम के समापन पर ठाकुर जी की मंगल आरती की गई, जिसमें श्रद्धालुओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इसके बाद भक्तों को प्रसाद वितरित किया गया। सभी ने ठाकुर जी का आशीर्वाद ग्रहण किया और आनंदपूर्वक इस दिव्य होली महोत्सव का समापन हुआ।
इस आयोजन ने जहानाबाद में धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सवों की एक नई परंपरा की शुरुआत की, जिसे भक्तगण वर्षों तक याद रखेंगे।




जहानाबाद में जन औषधि केंद्र की स्थापना के 7 वर्ष पूरे होने के अवसर पर एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर जन औषधि केंद्र के संचालक
चंदन कुमार ने केक काटकर स्थापना दिवस मनाया। समारोह में उपस्थित अतिथियों, ग्राहकों और आमजन को
मेडल एवं गमछा देकर सम्मानित किया गया।

जहानाबाद केस-मुकदमा मुक्त परिवेश ही है समृद्धि का रास्ता। भारत गाँवों का देश है। खुशहाल और समृद्ध गांव देश को शक्तिशाली राष्ट्र बना सकता है। इसके लिए जरुरी है कि वाद-विवाद और केस-मुक़दमा में लगने वाला वक्त और पैसा अपने परिवार और अपने कैरियर पर खर्च हो। ग्राम कचहरी की धारणा इसी पर आधारित है। उक्त बातें 1987 बैच के वरिष्ठ आईपीएस और महापरिवर्तन आंदोलन के प्रणेता वी के सिंह जिला अतिथि गृह में जिले के सभी पंच और सरपंच के बीच बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि यदि ग्राम कचहरी पूरी शक्ति और ईमानदारी से अपने दायित्वों को पूरा करने में लग जाए तो बिहार और देश एक वर्ष में विकसित हो जाए! मौजूद कई पंच-सरपंच ने बताया कि उन्हें इस बात का डर रहता है कि उन्ही के साथ मारपीट न हो जाए अथवा उन्हीं पर केस-मुकदमा न हो जाए। वी के सिंह ने सभी पंच-सरपंच को बताया कि इस सम्बन्ध में जिले के पुलिस अधीक्षक एवं राज्य के पुलिस महानिदेशक से इस बात का आग्रह करेंगे कि सभी पंचो की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। गौरतलब है कि दो-दो बार राष्ट्रपति पदक से पुरस्कृत श्री सिंह बिहार के बारह जिलों में महापरिवर्तन आंदोलन चला रहे हैं। महापरिवर्तन आंदोलन एक गैर-राजनीतिक और सामाजिक चेतना को जगाने का एक प्रयास है। जिसके माध्यम से ये प्रयास किया जा रहा है कि लोग गंदगी, लड़ाई-झगड़ा और भ्रष्टाचार को अपने वातावरण से पूरी तरह निकाल फेंके। सम्राट अशोक और चन्द्रगुप्त के समय 'बिहार' देश-दुनिया का सिरमौर होता था। आज ये स्थिति है कि बिहार की गिनती देश के सबसे पिछड़ा, सबसे अशिक्षित और सबसे भ्रष्ट राज्य में की जाती है। इस स्थिति से उबरने के लिए सभी बिहारियों को एकजुटता से अपनी सहभागिता निभानी पड़ेगी। तभी बिहार एक बार पुनः देश का गौरवशाली राज्य बन सकता है।
जहानाबाद। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव रविवार सुबह टेम्पल सिटी, मीरा बिगहा पहुंचेंगे, जहां वे प्रो. डॉ. चंद्रिका प्रसाद यादव को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। उनके आगमन को लेकर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं, और स्थानीय कांग्रेस एवं राजद कार्यकर्ता बड़ी संख्या में उपस्थित रहेंगे। लालू यादव के साथ कई अन्य दिग्गज नेता भी श्रद्धांजलि सभा में शामिल हो सकते हैं। प्रो. डॉ. चंद्रिका प्रसाद यादव और लालू प्रसाद यादव की राजनीतिक और व्यक्तिगत संबंधों की गाथा दशकों पुरानी रही है। दोनों नेताओं का जुड़ाव न केवल राजनीतिक था, बल्कि आपसी विश्वास और आदर पर भी आधारित था। जब लालू यादव 1990 में बिहार की राजनीति के शीर्ष पर पहुंचे, तब प्रो. चंद्रिका प्रसाद यादव उन वरिष्ठ नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने उनकी नेतृत्व क्षमता को पहचानते हुए उन्हें सहयोग दिया। चंद्रिका यादव की प्रशासनिक पकड़ और शिक्षाविद् के रूप में उनकी प्रतिष्ठा ने लालू यादव को राजनीतिक दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 90 के दशक में जब लालू यादव बिहार की राजनीति में वर्चस्व कायम कर रहे थे, उस दौर में प्रो. यादव को उनके 'नवरत्नों' में गिना जाता था। वे लालू यादव के उन भरोसेमंद सहयोगियों में से एक थे, जो न केवल राजनीतिक रणनीति बनाने में अहम थे, बल्कि शिक्षा और सामाजिक नीति में भी मार्गदर्शक की भूमिका निभाते थे। ऐसा कहा जाता है कि जब लालू यादव और नीतीश कुमार के बीच राजनीतिक मतभेद बढ़े थे, तब प्रो. चंद्रिका यादव ने कई बार मध्यस्थता कर मतभेदों को सुलझाने में अहम भूमिका निभाई। वे राजनीति के उन नेताओं में से थे, जो प्रशासनिक और सामाजिक हलकों में समान रूप से सम्मानित थे। प्रो. यादव की दी हुई प्रसिद्ध "बांसुरी और कलम" की लोकोक्ति भी लालू यादव की राजनीति से गहराई से जुड़ी हुई थी। उनका मानना था कि बिहार की राजनीति और समाज में यदि बदलाव लाना है, तो शिक्षा (कलम) और जनसंपर्क (बांसुरी) का मेल जरूरी है। लालू यादव ने इस विचार को अपनाया और अपने कई भाषणों में इसका जिक्र भी किया था।
जहानाबाद शहर से सटे कनौदी के पास
गया-पटना एनएच-22 पर एक बार फिर तेज रफ्तार का कहर देखने को मिला। गुरुवार की रात
पटना से जहानाबाद लौट रहा एक परिवार सड़क हादसे का शिकार हो गया।

Mar 14 2025, 18:14
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