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पुण्यतिथि: "मिसाइल मैन" एवम् देश के प्रथम वैज्ञानिक राष्ट्रपति ए पी जे कलाम साहब की आज पुण्य तिथि,जानते है उनसे जुड़ी कुछ रोचक बातें

मिसाइल मैन के नाम से मशहूर रहे देश के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का आज के ही दिन निधन हुआ था. देश सेवा के मिशन में ही लगे रहे कलाम का निधन 27 जुलाई 2015 को मेघालय के शिलॉन्ग में उस वक्त हुआ था, जब वो आईआईएम में लेक्चर दे रहे थे. शिलांग में जब छात्र-छात्राओं के बीच मंच से भाषण देने पहुंचे तो किसी ने ये अंदाजा भी नहीं लगाया होगा कि ये संबोधन उनका अंतिम होगा.

संबोधन के दौरान उन्होंने न सिर्फ मानवता को लेकर चिंता जाहिर की थी बल्कि धरती पर फैले प्रदूषण को लेकर भी चिंता जताई थी. पूर्व राष्ट्रपति कलाम एक परमाणु वैज्ञानिक, शानदार लेखक, कवि और शिक्षाविद थे. 27 जुलाई 2015 को 83 साल की उम्र में निधन होने तक देश की सेवा की थी.

पुण्यतिथि पर कलाम जी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

 – पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वर में हुआ था. वो मछुआरों के परिवार में जन्मे थे.

– साल 1992 से 1999 तक एपीजे अब्दुल कलाम रक्षा मंत्री के रक्षा सलाहकार भी रहे हैं.

– एपीजे अब्दुल कलाम के “हिंदी गुरु” मुलायम सिंह यादव थे. उन्हें जो कुछ भी थोड़ी बहुत हिंदी आती थी वो मुलायम सिंह यादव ने ही सिखाई थी. इस बात को खुद उन्होंने ने सैफई में एक रैली के दौरान स्वीकार भी किया था.

– भारत अमेरिका न्यूक्लियर डील को लेकर के जो समाजवादी पार्टी का हृदय परिवर्तन हुआ, उसके पीछे भी एपीजे अब्दुल कलाम और मुलायम की मित्रता थी. एपीजे अब्दुल कलाम ने मुलायम सिंह को मनाया था कि ये या डील भारत के हित में है.

– एपीजे अब्दुल कलाम अपने पूरी प्रोफेशनल जिंदगी में केवल 2 छुट्टियां ली. एक अपने पिता की मौत के समय और दूसरी अपनी मां की मौत के समय.

– एपीजे अब्दुल कलाम धर्म से मुस्लिम थे, लेकिन दिल से वो किसी भी धर्म को नहीं मानते थे. वो कुरान और भगवत गीता दोनों ही पढ़ा करते थे.

– 27 जुलाई 2015 को आईआईएम शिलांग में एक कार्यक्रम में अचानक कार्डियेक अरेस्ट से उनकी मौत हो गई थी. उनके एक सहयोगी ने बताया कि उनके आखिरी शब्द थे ‘फनी गाएज, आर यू डूइंग वैल?’

– एपीजे अब्दुल कलाम देश के ऐसे तीसरे राष्ट्रपति थे, जो राष्ट्रपति पद मिलने से पहले ही भारत रत्न से सम्मानित हो चुके थे. एपीजे अब्दुल कलाम को साल 1997 में भारत रत्न मिला. साल 2002 में वो राष्ट्रपति पद के लिए चुने गए. इससे पहले डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन और डॉ. जाकिर हुसैन राष्ट्रपति पद पर आने से पहले भारत रत्न से सम्मानित हो चुके थे.

– वो भारत के इकलौते राष्ट्रपति थे, जो कुंवारे थे और साथ ही शाकाहारी थे।

डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम, जिन्हें "मिसाइल मैन" के रूप में भी जाना जाता है, देश के 11वें राष्ट्रपति थे और उनकी वैज्ञानिक उपलब्धियाँ बहुत महान हैं। उनकी प्रमुख उपलब्धियों में शामिल हैं:

मिसाइल प्रौद्योगिकी में योगदान:

 कलाम ने भारत के मिसाइल विकास कार्यक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अग्नि और पृथ्वी मिसाइलों के विकास में प्रमुख योगदान दिया।

पोखरण-II परमाणु परीक्षण:

1998 में हुए पोखरण-II परमाणु परीक्षणों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी, जिसने भारत को एक पूर्ण परमाणु शक्ति बनाने में मदद की।

इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन 

(ISRO): कलाम ने ISRO के साथ मिलकर कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स पर काम किया, जिसमें भारत के पहले स्वदेशी सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SLV-III) का विकास शामिल है।

राष्ट्रपति के रूप में सेवा:

 2002 से 2007 तक उन्होंने भारत के राष्ट्रपति के रूप में सेवा की, और वे अपने सरलता, विनम्रता और बच्चों के प्रति प्रेम के लिए बहुत लोकप्रिय हुए।

लेखन और प्रेरणा:

 उन्होंने कई किताबें लिखीं, जिनमें "विंग्स ऑफ फायर", "इंडिया 2020" और "इग्नाइटेड माइंड्स" शामिल हैं। उनके लेखन ने अनगिनत युवाओं को प्रेरित किया।

डॉ. कलाम का जीवन और योगदान

 आज भी देशवासियों के लिए प्रेरणास्त्रोत है। उनकी पुण्यतिथि पर हम उनके महान कार्यों और विचारों को याद करते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

Gaya

Jul 11 2024, 17:29

बड़ी खबर : गया में एसडीएम को मिली जान से मारने की धमकी, जेल में बंद कुख्यात ने कॉल कर कहा-फोन नहीं उठाते हैं जान मार देंगे

गया : जिले से एक बड़ी खबर सामने आई है। जहां एसडीएम को जान मारने की धमकी मिली है। मिली जानकारी के अनुसार दोहरे हत्याकांड मामले में जेल में बंद कुख्यात ने मोबाइल पर कॉल कर एसडीएम को जान से मारने की धमकी दी है। एसडीएम को जान मारने की धमकी का मामला सामने आता ही हङकंप मच गया। फिलहाल इसकी प्राथमिकी गया के कोंच थाने में दर्ज कराई गई है। पुलिस कार्रवाई करने में जुट गई है।

जेल में बंद कुख्यात ने एसडीएम को जान करने की दी धमकी 

गया सेंट्रल जेल में बंद कुख्यात ने एसडीएम को जान से मारने की धमकी दी है। मोबाइल पर कॉल कर इस तरह की धान की दी गई है। इस तरह की धमकी मिलने के बाद एसडीएम सकते में आ गए। मामले की प्राथमिकी कोच थाने में दर्ज कराई गई है। कोच थाने की पुलिस कार्रवाई कर रही है।

India

Jun 28 2024, 17:54

ISRO जासूसी मामले में साजिश के तहत फंसाए गए थे अंतरिक्ष वैज्ञानिक नंबी नारायणन, अब जिम्मेदार अफसरों पर सीबीआई फाइल करेगी चार्जशीट

 केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने दो पूर्व DGP, केरल के सिबी मैथ्यूज और गुजरात के आरबी श्रीकुमार के साथ-साथ तीन अन्य सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया है। यह कार्रवाई 1994 के ISRO जासूसी मामले में अंतरिक्ष वैज्ञानिक नंबी नारायणन को फंसाने में उनकी कथित संलिप्तता से संबंधित है।

बता दें कि, यह विवाद अक्टूबर 1994 में शुरू हुआ था, जब केरल पुलिस ने मालदीव की नागरिक रशीदा को तिरुवनंतपुरम में गिरफ़्तार किया और उस पर पाकिस्तान को ISRO रॉकेट इंजन के गोपनीय चित्र बेचने की कोशिश करने का आरोप लगाया। जांच जल्द ही फैल गई, जिसके परिणामस्वरूप ISRO के क्रायोजेनिक प्रोजेक्ट के तत्कालीन निदेशक नंबी नारायणन, ISRO के उप निदेशक डी शशिकुमारन और रशीदा की मालदीव की दोस्त फ़ौसिया हसन को गिरफ़्तार कर लिया गया। नंबी नारायणन को हिरासत में केरल पुलिस और IB अधिकारियों द्वारा पूछताछ के दौरान उन्हें गंभीर शारीरिक और मानसिक यातनाएं दी गईं। यह यातना 50 दिनों तक चली, जिससे उनकी प्रतिष्ठा और करियर को काफी नुकसान पहुंचा। हालांकि, बाद में CBI जांच हुई और नंबी नारायणन पर लगे इन तमाम आरोपों को निराधार पाया गया।

सितंबर 2018 में, सुप्रीम कोर्ट ने नंबी नारायणन के खिलाफ पुलिस कार्रवाई को "मनोवैज्ञानिक उपचार" करार दिया, जिसमें कहा गया कि उनकी "स्वतंत्रता और गरिमा", जो उनके मानवाधिकारों के लिए बुनियादी है, उन्हें हिरासत में लिए जाने के कारण खतरे में डाल दिया गया और अतीत के सभी गौरव के बावजूद, अंततः उन्हें "निंदनीय घृणा" का सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ा। 15 अप्रैल, 2021 को सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि ISRO वैज्ञानिक नंबी नारायणन से जुड़े 1994 के जासूसी मामले में दोषी पुलिस अधिकारियों की भूमिका पर एक उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को दी जाए।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद 2021 में मामला दर्ज करने के बाद, CBI ने तत्कालीन पुलिस उप महानिरीक्षक मैथ्यूज, जिन्होंने मामले की जांच करने वाले विशेष जांच दल (SIT) का नेतृत्व किया था, श्रीकुमार, जो खुफिया ब्यूरो में उप निदेशक थे, पीएस जयप्रकाश, जो उस समय SIB-केरल में तैनात थे, तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक केके जोशुआ और निरीक्षक एस विजयन के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है। अधिकारियों ने बताया कि CBI ने उन पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं 120बी (आपराधिक साजिश), 342 (गलत तरीके से बंधक बनाना), 330 (स्वीकारोक्ति करवाने के लिए स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 167 (झूठे दस्तावेज तैयार करना), 193 (मनगढ़ंत साक्ष्य तैयार करना), 354 (महिलाओं पर आपराधिक हमला) के तहत आरोप लगाए हैं।

बता दें कि, 1994 में जब डॉ नंबी नारायणन एक महत्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशन पर काम कर रहे थे और देश को दुनिया में आगे बढ़ाने के लिए मेहनत कर रहे थे, उस समय उनके जीवन में एक दुखद मोड़ आया जब उन्हें एक मनगढ़ंत जासूसी मामले में फंसा दिया गया। उन पर फर्जी आरोप लगाया गया था कि, उन्होंने गोपनीय भारतीय अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को विदेशी एजेंसियों को लीक कर दिया था, ये सब अंतरिक्ष में भारत के बढ़ते क़दमों को रोकने के लिए किया गया था। घटनाओं की एक श्रृंखला के कारण इस वैज्ञानिक की गिरफ्तारी हुई और बाद में कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा उन्हें कई तरह से यातनाएं दी गई, जिसमें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिक के साथ अपमानजनक व्यवहार किया गया, जिसने देश की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया।

सत्य और न्याय की जीत होने से पहले डॉ नंबी नारायणन का मामला दो दशकों से अधिक समय तक चला। उनकी कानूनी टीम, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और शुभचिंतकों के अथक प्रयासों के कारण अंततः 2018 में, यानि 24 साल प्रताड़ना झेलने के बाद, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया। न्यायालय ने न केवल उन्हें निर्दोष घोषित किया, बल्कि उनकी गलत गिरफ्तारी में राज्य सरकार की भूमिका की भी आलोचना की। इस ऐतिहासिक फैसले ने न केवल डॉ. नारायणन को सही साबित किया, बल्कि प्रणालीगत विफलताओं और निहित हितों के बावजूद भी न्याय, निष्पक्षता और अखंडता के सिद्धांतों को बनाए रखने के महत्व को रेखांकित किया।

बता दें कि, डॉ नारायणन के खिलाफ साजिश के समय, भारत में केंद्रीय स्तर और केरल राज्य दोनों में कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार थी, लेकिन सरकार भी अपने देश के वैज्ञानिक के साथ खड़ी नहीं दिखी थी। डॉ नंबी नारायणन की कहानी उल्लेखनीय संघर्ष और देशभक्ति की कहानी है, जहां एक प्रतिभाशाली वैज्ञानिक ने अकल्पनीय प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना किया और विजयी हुआ। सत्य, विज्ञान और न्याय के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता सभी के लिए प्रेरणा का काम करती है। नंबी नारायणन के मामले ने न्याय में गड़बड़ी को रोकने के लिए कानूनी सुधारों और तंत्र की तत्काल आवश्यकता के बारे में भी चर्चा को प्रेरित किया है। आखिर कैसे, देश को चाँद पर पहुंचाने के लिए अथक मेहनत कर रहे एक वैज्ञानिक को एक फर्जी मामले में खुद को बेकसूर साबित करने में 24 साल लग गए ? तब तक वो न जाने देश के लिए कितना काम कर चुके होते ?

एक राष्ट्र के रूप में, भारत को इस दर्दनाक अध्याय से सीखना जारी रखना चाहिए और एक ऐसे समाज के निर्माण की दिशा में काम करना चाहिए, जहां ज्ञान और सत्य की खोज का जश्न मनाया जाए और उसकी रक्षा की जाए। डॉ। नारायणन की दोषमुक्ति न केवल उनकी व्यक्तिगत जीत है, बल्कि उन सभी लोगों की सामूहिक जीत भी है, जो न्याय और अखंडता की वकालत करते हुए उनके पीछे खड़े थे।

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Jun 24 2024, 13:08

एनटीए परीक्षाओं की निगरानी के लिए इसरो के पूर्व अध्यक्ष की अध्यक्षता में बनी समिति, जानें कौन हैं डॉ के राधाकृष्णन?

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नीट पेपर लीक और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में धांधली को लेकर देशभर में बवाल मचा हुआ है। इस बीच केन्द्र सरकार ने परीक्षा सुधारों पर सुझाव देने और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) के कामकाज की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय पैनल का गठन किया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का उच्च स्तरीय पैनल आज यानी सोमवार को बैठक करेगा। समिति को दो महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपनी है। जिन सुधारों की सिफारिश की गई है उन्हें अगले परीक्षा चक्र तक लागू किया जाएगा।

शिक्षा मंत्रालय ने शनिवार को राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) के माध्यम से परीक्षाओं का पारदर्शी, सुचारू और निष्पक्ष संचालन सुनिश्चित करने के लिए पूर्व इसरो अध्यक्ष डॉ. के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। इस समिति में डॉ. राधाकृष्णन सहित सात सदस्य शामिल हैं। समिति के कार्यक्षेत्र में परीक्षा प्रक्रिया में सुधार की सिफारिश करना, डेटा सुरक्षा प्रोटोकॉल को बढ़ाना तथा एनटीए की संरचना और कार्यप्रणाली में सुधार करना शामिल है।

ऐसे का करेगी समिति

एनटीए की संरचना एवं कार्यप्रणाली के लिए उच्चस्तरीय समिति को सबसे पहले प्रत्येक स्तर पर पदाधिकारियों की भूमिका और जिम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना होगा। इसके बाद एनटीए की वर्तमान शिकायत निवारण प्रणाली का आकलन कर और सुधार के क्षेत्रों की पहचान कर इसकी कार्यकुशलता बढ़ाने की भी सिफारिशें देनी होंगी। समिति किसी भी विषय विशेषज्ञ की मदद ले सकती है।

समिति में शामिल हैं ये लोगः-

1. डॉ. के. राधाकृष्णन (पूर्व अध्यक्ष, इसरो)

2. डॉ. रणदीप गुलेरिया (पूर्व एम्स निदेशक)

3. प्रो. बी.जे. राव (कुलपति, हैदराबाद विश्वविद्यालय)

4. प्रो. राममूर्ति के. (आईआईटी मद्रास)

5. पंकज बंसल (सह-संस्थापक, पीपलस्ट्रॉन्ग, और बोर्ड सदस्य, कर्मयोगी भारत)

6. आदित्य मित्तल (डीन, छात्र मामले, आईआईटी दिल्ली)

7. गोविंद जायसवाल (संयुक्त सचिव, शिक्षा मंत्रालय)

कौन हैं डॉ. राधाकृष्णन ?

डॉ. राधाकृष्णन अकादमिक सुधारों के लिए मौजूदा सरकार के पसंदीदा शख्स रहे हैं। उन्होंने शिक्षा मंत्रालय द्वारा गठित कई समितियों का नेतृत्व किया है। डॉ. राधाकृष्णन एक मशहूर वैज्ञानिक हैं। जो भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। 1971 में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र से डॉ. राधाकृष्णन ने अपने करियर की शुरुआत की। उन्होंने सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SLV) प्रोजेक्ट में अहम जिम्मेदारी निभाई। डॉ. राधाकृष्णन विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर में बतौर डायरेक्टर भी रह चुके हैं। उनके मार्गदर्शन में इसरो ने मंगलयान मिशन को पहले ही प्रयास में मंगल तक पहुंचाया था। डॉ. राधाकृष्णन ने डॉ. जी माधवन नायर के रिटायरमेंट के बाद इसरो का अध्यक्ष पद संभाला। जहां उनकी पहली प्राथमिकता जीएसएलवी के लिए स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन को तैयार करना था।

2009 से 2014 तक डॉ. राधाकृष्णन इसरो के अध्यक्ष रहे। उनके नेतृत्व में भारत ने चंद्रयान-1 मिशन, मंगलयान (मार्स ऑर्बिटर मिशन) और जीसैट श्रृंखला के उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण किया। उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के विभिन्न क्षेत्रों में अहम योगदान दिया, जिसमें सैटेलाइट संचार, रिमोट सेंसिंग और अंतरिक्ष विज्ञान शामिल हैं। अपने कार्यों के लिए डॉ. राधाकृष्णन को साल 2014 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। उनके नेतृत्व और वैज्ञानिक योगदान के लिए उन्हें कई अन्य राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं।

इससे पहेल शुक्रवार को केंद्र सरकार ने प्रतियोगी परीक्षाओं में गड़बड़ी और अनियमितताओं पर लगाम लगाने के उद्देश्य से एक सख्त कानून लागू किया। यह नया कानून परीक्षाओं की ईमानदारी और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है, जो शैक्षणिक और व्यावसायिक उन्नति के लिए महत्वपूर्ण है। इसमें धोखाधड़ी और अन्य धोखाधड़ी गतिविधियों को रोकने के लिए कठोर दंड शामिल हैं। इस कानून के तहत दोषी पाए जाने वाले अपराधियों को अधिकतम 10 साल तक की जेल की सजा हो सकती है। इसके अलावा, कानून में भारी जुर्माना भी लगाया गया है, जिसकी अधिकतम सजा 1 करोड़ रुपये तक है।राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 को मंजूरी दिए जाने के लगभग चार महीने बाद, कार्मिक मंत्रालय ने शुक्रवार रात एक अधिसूचना जारी की, जिसमें घोषणा की गई कि कानून के प्रावधान 21 जून से लागू होंगे।

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Jun 18 2024, 12:04

इसरो जल्द भेजेगा अंतरिक्ष में सेटेलाइट, इससे देश में ब्रॉडबैंड कनेक्शन और इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी होंगी मज़बूत


दिल्ली डेस्क 

नई दिल्ली ISRO जल्द ही ऐसा सैटेलाइट भेजने वाला है, जिससे देश में ब्रॉडबैंड कनेक्शन और इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी और मजबूत हो जाएगी। न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) की ये दूसरी डिमांड-ड्रिवेन सैटेलाइट मिशन है। इस सैटेलाइट का नाम है जीसैट-एन2..यह Ka-Band का कम्यूनिकेशन सैटेलाइट है। 

इसके जरिए देश में ब्रॉडबैंड कनेक्शन और ज्यादा ताकतवर होगा। साथ ही भारतीय प्रायद्वीप और उसके थोड़ा आसपास तक विमानों की कनेक्टिविटी बेहतर होगी।

यानी उड़ान के समय पायलट ज्यादा बेहतर संचार स्थापित कर पाएंगे। NSIL इसरो का कॉमर्शियल विंग है, जो उसके लिए प्राइवेट और सरकारी सैटेलाइट लॉन्च डील करता है ।

నిజంనిప్పులాంటిది

Apr 18 2024, 07:16

భారతీయుడు అడుగుపెట్టే వరకు జాబిల్లి యాత్రలు: ఇస్రో చీఫ్

అహ్మదాబాద్‌: అందని ద్రాక్షగా ఉన్న చందమామ దక్షిణ ధ్రువంపైకి విజయవంతంగా ల్యాండర్‌ను దింపి అంతరిక్ష రంగంలో సరికొత్త చరిత్రను లిఖించింది భారత్‌. ఈ ప్రయోగం గురించి తాజాగా దేశ అంతరిక్ష పరిశోధనా సంస్థ (ISRO) ఛైర్మన్‌ ఎస్‌.సోమనాథ్ (Somanath) మరోసారి స్పందించారు..

భవిష్యత్తుల్లోనూ మరిన్ని జాబిల్లి యాత్రలు (Lunar Missions) చేపడతామని చెప్పారు.

గుజరాత్‌లోని అహ్మదాబాద్‌లో ఆస్ట్రోనాటికల్‌ సొసైటీ ఆఫ్‌ ఇండియా నిర్వహించిన కార్యక్రమంలో ఇస్రో ఛైర్మన్‌ పాల్గొన్నారు. ఈసందర్భంగా మీడియాతో మాట్లాడుతూ.. ''చంద్రయాన్‌-3 (Chandrayaan 3) విజయవంతమైంది. దాన్నుంచి డేటాను సేకరించి శాస్త్రీయ అధ్యయనం చేస్తున్నాం.

ఇక, జాబిల్లిపై భారతీయుడు అడుగుపెట్టేంతవరకు చంద్రయాన్‌ సిరీస్‌లను కొనసాగించాలని అనుకుంటున్నాం. అంతకంటే ముందు ఇంకా చాలా సాంకేతికతలపై పట్టు సాధించాలి. అక్కడికి వెళ్లి తిరిగి రావడంపై పరిశోధనలు చేయాలి. తదుపరి మిషన్‌లో దీన్ని ప్రయత్నిస్తాం'' అని వెల్లడించారు..

భారత్‌ త్వరలో చేపట్టబోయే గగన్‌యాన్‌ గురించి సోమనాథ్‌ మాట్లాడారు. ''దీనికంటే ముందు ఈ ఏడాది ఓ మానవరహిత మిషన్‌ను చేపట్టనున్నాం. ఏప్రిల్‌ 24న ఎయిర్‌డ్రాప్‌ వ్యవస్థను పరీక్షించనున్నాం. ఆ తర్వాత వచ్చే ఏడాది మరో రెండు మానవరహిత యాత్రలను చేపట్టబోతున్నాం. అన్నీ అనుకూలిస్తే 2025 చివరికి గగన్‌యాన్‌ ప్రయోగం చేపడతాం'' అని పేర్కొన్నారు..

గగన్‌యాన్‌ మిషన్‌ కోసం ఇప్పటికే నలుగురు వ్యోమగాములను ఎంపిక చేసిన సంగతి తెలిసిందే. ఇటీవల ఈ ప్రాజెక్టులో ఇస్రో కీలక ముందడుగు వేసింది. మనుషులను సురక్షితంగా తీసుకెళ్లడానికి అనువైన CE20 క్రయోజనిక్‌ ఇంజిన్‌ను సిద్ధం చేసింది. ఈ ప్రయోగంతో వ్యోమగాములను 400 కిలోమీటర్ల ఎత్తులో భూకక్ష్యలోకి పంపుతారు. ఇందుకోసం ఎల్‌వీఎం-మార్క్‌3 రాకెట్‌ను ఉపయోగించనున్నారు. దాదాపు 3 రోజుల తర్వాత భూమికి తిరిగొస్తారు. తిరుగు ప్రయాణంలో వ్యోమనౌక సముద్ర జలాల్లో ల్యాండ్‌ అవుతుంది..

Azamgarh

Apr 16 2024, 18:48

आजमगढ़:-युवक का ISRO में हुआ चयन, गांव में खुशी की लहर

विनोद राजभर,अतरौलिया(आजमगढ़)। जिले के अतरौलिया थानाक्षेत्र के चत्तुरपुर खास गांव निवासी रवि यादव का ISRO में टेक्निकल असिस्टेंट के पद पर चयन हुआ है। इससे पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ गई है।

गांव के लोगों ने रवि यादव के घर पहुंचकर उन्हें फूल मालाओं से लाद दिया। ग्रामीणों ने एक दूसरे को मिठाई खिलाकर गांव में खुशियां मनाई।

बता दें कि रवि के पिता इंद्रजीत यादव किसान हैं। इंद्रजीत यादव के तीन लड़के हैं। जिनमें रवि दूसरे नंबर पर हैं। रवि के बड़े भाई प्राइवेट जॉब करते हैं और छोटे भाई अभी तैयारी कर रहे हैं। रवि की प्राथमिक शिक्षा लोदी किसान इंटर कॉलेज और माध्यमिक शिक्षा पूर्व माध्यमिक विद्यालय थिरईपट्टी से हुई।

रवि ने लोदी किसान इंटर कॉलेज महादेवपुर से हाईस्कूल की पढ़ाई की। इसके बाद ओम कृष्ण कोचिंग सेंटर से इन्होंने पॉलिटेक्निक के एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी की और एंट्रेंस एग्जाम दिया जिसमें इन्हें सफलता मिली। तत्पश्चात इन्होंने गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक कॉलेज अकबरपुर अंबेडकरनगर से पॉलिटेक्निक किया। इसके बाद ISRO की वैकेंसी 2020 में आई।

2023 जून में इन्होंने इसमें परीक्षा दिया। सारी प्रक्रियाएं पूर्ण होने के बाद 15 अप्रैल 2024 को रवि का चयन इसरो में हो गया। रवि के परिजन एडवोकेट रणजीत यादव, जगदीश यादव प्रवक्ता नवोदय विद्यालय, चंद्रपाल यादव, अरुण यादव ने रवि को मिठाई खिलाकर बधाई दी और जमकर खुशियां मनाई। रवि के पिता इंद्रजीत यादव ने बताया कि वह कड़ी मेहनत करके अपने पुत्र रवि को इलाहाबाद भेज कर तैयारी करवाये जिसका परिणाम आज उन्हें मिला। रवि के पिता के चेहरे पर गजब की खुशी देखने को मिली। जानकारी के लिए बता दें कि पूरे भारत में ISRO द्वारा सिर्फ एक सीट के लिए यह वैकेंसी जारी की गई थी जिसमें रवि का चयन हुआ है। रवि का इसरो में चयन होने से आजमगढ़ ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश का नाम रोशन हुआ है। इस दौरान मुख्य रूप से ओम प्रकाश यादव प्रबंधक ओम कृष्णा कॉन्वेंट स्कूल, रामजी यादव, लालजी यादव, हरेंद्र यादव, विजय यादव, अरविंद यादव, अजीत यादव, विनय, संदीप, आशुतोष, दीपक समेत तमाम लोग मौजूद रहे।

Janardhanreddy32

Apr 08 2024, 14:49

ఆధారాలు ఉన్నా అవినాష్‌ను జగన్‌ కాపాడుతున్నారు: వైఎస్‌ షర్మిల

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Mar 24 2024, 18:33

पीएम मोदी के नेतृत्व में अंतरिक्ष का अगुवा बना हिंदुस्तान, दुनिया भर में ISRO का गुणगान

डेस्क: इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) ने अपनी स्थापना के बाद से ही अंतरिक्ष में बड़े-बड़े मुकाम हासिल किए हैं। मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गत 10 वर्षों में इसरो ने अपनी गति तेज कर दी है। लिहाजा भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी पोल से लेकर शुक्र और सूर्य के एल1 तक पहुंच चुका है। इसरो की सफलता ने सिर्फ भारतवासियों को ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता को गौरवान्वित किया है। तभी तो पूरी दुनिया इसरो की कुशलता की कायल हो गई है। विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारत में अंतरिक्ष को लेकर उत्साह दुनिया भर से प्रतिभाओं को आकर्षित कर रहा है और उन्हें व्यवसाय शुरू करने एवं क्षेत्र के विकास में योगदान देने के लिए प्रेरित कर रहा है।

डब्ल्यूईएफ के मंच ‘सेंटर फॉर फोर्थ इंडस्ट्रियल

 रिवोल्यूशन’ (सी4आईआर) ने विभिन्न हितधारकों के बीच वैश्विक सहयोग बनाने के लिए पिछले सप्ताह भारत में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी कार्यक्रम शुरू किया है क्योंकि देश में निजी अंतरिक्ष क्षेत्र आगे बढ़ रहा है। सी4आईआर की कार्यकारी समिति के सदस्य सेबस्टियन बकुप ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “ भारत को छोटे, महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष देशों के लिए एक आदर्श, प्रकाशस्तंभ के रूप में देखा जाता है, जो समर्थन के लिए भारत की ओर भी देखते हैं।” उन्होंने कहा कि डब्ल्यूईएफ एक समावेशी और जिम्मेदार तरीके से समग्र रूप से अंतरिक्ष क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए इस क्षेत्र के बड़े और उभरते देशों के बीच आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करना चाहता है।

उपग्रहों के प्रक्षेपण पर भारत कर रहा भारी निवेश

बकुप ने कहा कि भारत साझा बुनियादी ढांचे में निवेश कर रहा है, मिसाल के तौर पर वह छोटे उपग्रहों के प्रक्षेपण के बुनियादी ढांचे में निवेश कर रहा है जो अंततः डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के बराबर बन सकता है। उन्होंने कहा कि अगर भारत "अंतरिक्ष सार्वजनिक बुनियादी ढांचा" बनाने में कामयाब रहा, तो इससे अंतरिक्ष उद्यमिता के मामले में तेजी आएगी। बकुप ने अपनी भारत यात्रा के दौरान अंतरिक्ष क्षेत्र के विभिन्न हितधारकों के साथ बैठकें कीं, जिनमें भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अधिकारी और अंतरिक्ष स्टार्ट-अप के प्रतिनिधि शामिल थे।

भारत दुनिया के लिए अंतरिक्ष के शीर्ष में शामिल

बकुप ने कहा, “ मुझे लगता है कि भारत के बाहर कई लोग अब भी भारत को अंतरिक्ष के क्षेत्र में उभरता हुआ राष्ट्र बता रहे हैं। हकीकत तो यह है कि भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में शीर्ष वर्ग में आ चुका है।” उन्होंने कहा कि यह विमर्श को बदलने का मौका देता है और यह दुनिया को यह समझने में मदद करेगा कि भारत ने वास्तव में क्या हासिल किया है। भारत एक तरह से अंतरिक्ष में दुनिया के तमाम देशों के लिए उम्मीद की किरण बन गया है।

India

Mar 22 2024, 15:16

स्वदेशी स्पेस शटल “पुष्पक” विमान की सफलतापूर्वक लैंडिंग, कर्नाटक के एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज से भरी उड़ान

#isrolaunchedrlvpushpakrocketfromkarnataka

आपने रावण के पुष्पक विमान के बारे में तो सुना ही होगा। इन दिनों देश में पुष्पक विमान की चर्चा एक बार फिर शुरू हो गई है। त्रेता युग के बाद अब 21वीं सदी में फिर से पुष्पक विमान आसमान में उड़ान भरने के लिए तैयार है। दरअसल, इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन यानी इसरो ने स्वदेशी स्पेस शटल की सफलतापूर्व लैंडिंग कराई। इस स्वदेशी स्पेस शटल का नाम पुष्पक विमान रखा गया है। इसे कर्नाटक के चित्रदुर्ग के एरोनॉटिकल टेस्ट रेंज में सुबह करीब 7.10 बजे हेलीकॉप्टर से 4.5 किमी की ऊंचाई तक ले जाया गया और रनवे पर ऑटोनॉमस लैंडिंग के लिए छोड़ा गया। 

लॉन्चिंग के बाद विमान ने सफल लैंडिंग भी की। इसरो ने आज सुबह 7 बजे कर्नाटक के चित्रदुर्ग स्थित एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज (एटीआर) में आयोजित इस परीक्षण को सफलतापूर्वक पूरा किया। आरएलवी लेक्स-02 लैंडिंग प्रयोग के माध्यम से लॉन्च कर, री-यूजेबल लॉन्च व्हीकल (आरएलवी) प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। री-यूजेबल लॉन्च व्हीकल यानी आरएलवी के क्षेत्र में इसरो की ये एक बड़ी कामयाबी हासिल की है। 

इस परीक्षण के जरिए इसरो ने री-यूजेबल लॉन्च व्हीकल की ऑटोनोमस लैंडिक की क्षमता का प्रदर्शन किया। पंखों वाले इस व्हीकल को अधिक कठिन युद्धाभ्यास करने, क्रॉस रें और डाउनरेंज दोनों को सही करने और पूरी तरह से ऑटोनोमस मोड में रनवे पर उतरने के लिए तैयार किया गया है।

स्पेस तक पहुंच को सबसे किफायती बनाने की भारत की कोशिश- इसरो चीफ

इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) के चीफ एस सोमनाथ ने कहा, पुष्पक लॉन्च व्हीकल स्पेस तक पहुंच को सबसे किफायती बनाने का भारत की एक साहसिक कोशिश है. ये भारत का फ्यूचरिस्टिक री-यूजेबल लॉन्च व्हीकल है। इसका सबसे ऊपरी हिस्सा सबसे महंगा है, इसी में महंगे इलेक्ट्रॉनिक्स लगे हैं। इस वजह से ये स्पेस शटल उड़ान भरने के बाद सुरक्षित रूप से धरती पर वापस आ सकता है। बाद में ये इन-ऑर्बिट सैटेलाइट और रिट्राइबिंग सैटेलाइट में री-फ्यूलिंग का काम भी कर सकता है।" ISRO चीफ ने कहा कि भारत स्पेस में मलबे को कम करना चाहता है। पुष्पक विमान उसी दिशा में उठाया गया एक कदम है।"

पुष्पक विमान की खास बातें

-पुष्पक RLV एक स्वदेशी स्पेस शटल है, कुछ साल में हमारे एस्ट्रोनॉट्स इसके बड़े वर्जन में कार्गो डालकर अंतरिक्ष तक पहुंचा सकते हैं।

-इसके जरिए सैटेलाइट भी लॉन्च किए जा सकते हैं। यह सैटेलाइट को अंतरिक्ष में छोड़कर वापस आएगा, ताकि फिर से उड़ान भर सके।

-इसके जरिए किसी भी देश के ऊपर जासूसी करवा सकते हैं। यहां तक की हमले भी किए जा सकते हैं।

-ये अंतरिक्ष में ही दुश्मन की सैटेलाइट को बर्बाद कर सकता हैं।

-यह एक ऑटोमेटेड रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल है।ऐसे विमानों से डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEW) चला सकते हैं।

-पुष्पक विमान की लंबाई 6.5 मीटर है और इसका वजन 1.75 टन हैइसे इंडियन एयरफोर्स के हेलीकॉप्टर से उड़ाया जाएगा।

-इसके छोटे थ्रस्टर्स व्हीकल को ठीक उसी लोकेशन पर जाने में मदद करेंगे, जहां उसे लैंड करना है।

-सरकार ने इस प्रोजेक्ट में 100 करोड़ रुपये से अधिक का इंवेस्टमेंट किया है, जो एक मील का पत्थर है।क्योंकि देश 2035 तक अपना खुद का स्पेस स्टेशन बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

Delhincr

14 min ago

पुण्यतिथि: "मिसाइल मैन" एवम् देश के प्रथम वैज्ञानिक राष्ट्रपति ए पी जे कलाम साहब की आज पुण्य तिथि,जानते है उनसे जुड़ी कुछ रोचक बातें

मिसाइल मैन के नाम से मशहूर रहे देश के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का आज के ही दिन निधन हुआ था. देश सेवा के मिशन में ही लगे रहे कलाम का निधन 27 जुलाई 2015 को मेघालय के शिलॉन्ग में उस वक्त हुआ था, जब वो आईआईएम में लेक्चर दे रहे थे. शिलांग में जब छात्र-छात्राओं के बीच मंच से भाषण देने पहुंचे तो किसी ने ये अंदाजा भी नहीं लगाया होगा कि ये संबोधन उनका अंतिम होगा.

संबोधन के दौरान उन्होंने न सिर्फ मानवता को लेकर चिंता जाहिर की थी बल्कि धरती पर फैले प्रदूषण को लेकर भी चिंता जताई थी. पूर्व राष्ट्रपति कलाम एक परमाणु वैज्ञानिक, शानदार लेखक, कवि और शिक्षाविद थे. 27 जुलाई 2015 को 83 साल की उम्र में निधन होने तक देश की सेवा की थी.

पुण्यतिथि पर कलाम जी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

 – पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वर में हुआ था. वो मछुआरों के परिवार में जन्मे थे.

– साल 1992 से 1999 तक एपीजे अब्दुल कलाम रक्षा मंत्री के रक्षा सलाहकार भी रहे हैं.

– एपीजे अब्दुल कलाम के “हिंदी गुरु” मुलायम सिंह यादव थे. उन्हें जो कुछ भी थोड़ी बहुत हिंदी आती थी वो मुलायम सिंह यादव ने ही सिखाई थी. इस बात को खुद उन्होंने ने सैफई में एक रैली के दौरान स्वीकार भी किया था.

– भारत अमेरिका न्यूक्लियर डील को लेकर के जो समाजवादी पार्टी का हृदय परिवर्तन हुआ, उसके पीछे भी एपीजे अब्दुल कलाम और मुलायम की मित्रता थी. एपीजे अब्दुल कलाम ने मुलायम सिंह को मनाया था कि ये या डील भारत के हित में है.

– एपीजे अब्दुल कलाम अपने पूरी प्रोफेशनल जिंदगी में केवल 2 छुट्टियां ली. एक अपने पिता की मौत के समय और दूसरी अपनी मां की मौत के समय.

– एपीजे अब्दुल कलाम धर्म से मुस्लिम थे, लेकिन दिल से वो किसी भी धर्म को नहीं मानते थे. वो कुरान और भगवत गीता दोनों ही पढ़ा करते थे.

– 27 जुलाई 2015 को आईआईएम शिलांग में एक कार्यक्रम में अचानक कार्डियेक अरेस्ट से उनकी मौत हो गई थी. उनके एक सहयोगी ने बताया कि उनके आखिरी शब्द थे ‘फनी गाएज, आर यू डूइंग वैल?’

– एपीजे अब्दुल कलाम देश के ऐसे तीसरे राष्ट्रपति थे, जो राष्ट्रपति पद मिलने से पहले ही भारत रत्न से सम्मानित हो चुके थे. एपीजे अब्दुल कलाम को साल 1997 में भारत रत्न मिला. साल 2002 में वो राष्ट्रपति पद के लिए चुने गए. इससे पहले डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन और डॉ. जाकिर हुसैन राष्ट्रपति पद पर आने से पहले भारत रत्न से सम्मानित हो चुके थे.

– वो भारत के इकलौते राष्ट्रपति थे, जो कुंवारे थे और साथ ही शाकाहारी थे।

डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम, जिन्हें "मिसाइल मैन" के रूप में भी जाना जाता है, देश के 11वें राष्ट्रपति थे और उनकी वैज्ञानिक उपलब्धियाँ बहुत महान हैं। उनकी प्रमुख उपलब्धियों में शामिल हैं:

मिसाइल प्रौद्योगिकी में योगदान:

 कलाम ने भारत के मिसाइल विकास कार्यक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अग्नि और पृथ्वी मिसाइलों के विकास में प्रमुख योगदान दिया।

पोखरण-II परमाणु परीक्षण:

1998 में हुए पोखरण-II परमाणु परीक्षणों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी, जिसने भारत को एक पूर्ण परमाणु शक्ति बनाने में मदद की।

इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन 

(ISRO): कलाम ने ISRO के साथ मिलकर कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स पर काम किया, जिसमें भारत के पहले स्वदेशी सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SLV-III) का विकास शामिल है।

राष्ट्रपति के रूप में सेवा:

 2002 से 2007 तक उन्होंने भारत के राष्ट्रपति के रूप में सेवा की, और वे अपने सरलता, विनम्रता और बच्चों के प्रति प्रेम के लिए बहुत लोकप्रिय हुए।

लेखन और प्रेरणा:

 उन्होंने कई किताबें लिखीं, जिनमें "विंग्स ऑफ फायर", "इंडिया 2020" और "इग्नाइटेड माइंड्स" शामिल हैं। उनके लेखन ने अनगिनत युवाओं को प्रेरित किया।

डॉ. कलाम का जीवन और योगदान

 आज भी देशवासियों के लिए प्रेरणास्त्रोत है। उनकी पुण्यतिथि पर हम उनके महान कार्यों और विचारों को याद करते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

Gaya

Jul 11 2024, 17:29

बड़ी खबर : गया में एसडीएम को मिली जान से मारने की धमकी, जेल में बंद कुख्यात ने कॉल कर कहा-फोन नहीं उठाते हैं जान मार देंगे

गया : जिले से एक बड़ी खबर सामने आई है। जहां एसडीएम को जान मारने की धमकी मिली है। मिली जानकारी के अनुसार दोहरे हत्याकांड मामले में जेल में बंद कुख्यात ने मोबाइल पर कॉल कर एसडीएम को जान से मारने की धमकी दी है। एसडीएम को जान मारने की धमकी का मामला सामने आता ही हङकंप मच गया। फिलहाल इसकी प्राथमिकी गया के कोंच थाने में दर्ज कराई गई है। पुलिस कार्रवाई करने में जुट गई है।

जेल में बंद कुख्यात ने एसडीएम को जान करने की दी धमकी 

गया सेंट्रल जेल में बंद कुख्यात ने एसडीएम को जान से मारने की धमकी दी है। मोबाइल पर कॉल कर इस तरह की धान की दी गई है। इस तरह की धमकी मिलने के बाद एसडीएम सकते में आ गए। मामले की प्राथमिकी कोच थाने में दर्ज कराई गई है। कोच थाने की पुलिस कार्रवाई कर रही है।

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Jun 28 2024, 17:54

ISRO जासूसी मामले में साजिश के तहत फंसाए गए थे अंतरिक्ष वैज्ञानिक नंबी नारायणन, अब जिम्मेदार अफसरों पर सीबीआई फाइल करेगी चार्जशीट

 केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने दो पूर्व DGP, केरल के सिबी मैथ्यूज और गुजरात के आरबी श्रीकुमार के साथ-साथ तीन अन्य सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया है। यह कार्रवाई 1994 के ISRO जासूसी मामले में अंतरिक्ष वैज्ञानिक नंबी नारायणन को फंसाने में उनकी कथित संलिप्तता से संबंधित है।

बता दें कि, यह विवाद अक्टूबर 1994 में शुरू हुआ था, जब केरल पुलिस ने मालदीव की नागरिक रशीदा को तिरुवनंतपुरम में गिरफ़्तार किया और उस पर पाकिस्तान को ISRO रॉकेट इंजन के गोपनीय चित्र बेचने की कोशिश करने का आरोप लगाया। जांच जल्द ही फैल गई, जिसके परिणामस्वरूप ISRO के क्रायोजेनिक प्रोजेक्ट के तत्कालीन निदेशक नंबी नारायणन, ISRO के उप निदेशक डी शशिकुमारन और रशीदा की मालदीव की दोस्त फ़ौसिया हसन को गिरफ़्तार कर लिया गया। नंबी नारायणन को हिरासत में केरल पुलिस और IB अधिकारियों द्वारा पूछताछ के दौरान उन्हें गंभीर शारीरिक और मानसिक यातनाएं दी गईं। यह यातना 50 दिनों तक चली, जिससे उनकी प्रतिष्ठा और करियर को काफी नुकसान पहुंचा। हालांकि, बाद में CBI जांच हुई और नंबी नारायणन पर लगे इन तमाम आरोपों को निराधार पाया गया।

सितंबर 2018 में, सुप्रीम कोर्ट ने नंबी नारायणन के खिलाफ पुलिस कार्रवाई को "मनोवैज्ञानिक उपचार" करार दिया, जिसमें कहा गया कि उनकी "स्वतंत्रता और गरिमा", जो उनके मानवाधिकारों के लिए बुनियादी है, उन्हें हिरासत में लिए जाने के कारण खतरे में डाल दिया गया और अतीत के सभी गौरव के बावजूद, अंततः उन्हें "निंदनीय घृणा" का सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ा। 15 अप्रैल, 2021 को सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि ISRO वैज्ञानिक नंबी नारायणन से जुड़े 1994 के जासूसी मामले में दोषी पुलिस अधिकारियों की भूमिका पर एक उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को दी जाए।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद 2021 में मामला दर्ज करने के बाद, CBI ने तत्कालीन पुलिस उप महानिरीक्षक मैथ्यूज, जिन्होंने मामले की जांच करने वाले विशेष जांच दल (SIT) का नेतृत्व किया था, श्रीकुमार, जो खुफिया ब्यूरो में उप निदेशक थे, पीएस जयप्रकाश, जो उस समय SIB-केरल में तैनात थे, तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक केके जोशुआ और निरीक्षक एस विजयन के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है। अधिकारियों ने बताया कि CBI ने उन पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं 120बी (आपराधिक साजिश), 342 (गलत तरीके से बंधक बनाना), 330 (स्वीकारोक्ति करवाने के लिए स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 167 (झूठे दस्तावेज तैयार करना), 193 (मनगढ़ंत साक्ष्य तैयार करना), 354 (महिलाओं पर आपराधिक हमला) के तहत आरोप लगाए हैं।

बता दें कि, 1994 में जब डॉ नंबी नारायणन एक महत्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशन पर काम कर रहे थे और देश को दुनिया में आगे बढ़ाने के लिए मेहनत कर रहे थे, उस समय उनके जीवन में एक दुखद मोड़ आया जब उन्हें एक मनगढ़ंत जासूसी मामले में फंसा दिया गया। उन पर फर्जी आरोप लगाया गया था कि, उन्होंने गोपनीय भारतीय अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को विदेशी एजेंसियों को लीक कर दिया था, ये सब अंतरिक्ष में भारत के बढ़ते क़दमों को रोकने के लिए किया गया था। घटनाओं की एक श्रृंखला के कारण इस वैज्ञानिक की गिरफ्तारी हुई और बाद में कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा उन्हें कई तरह से यातनाएं दी गई, जिसमें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिक के साथ अपमानजनक व्यवहार किया गया, जिसने देश की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया।

सत्य और न्याय की जीत होने से पहले डॉ नंबी नारायणन का मामला दो दशकों से अधिक समय तक चला। उनकी कानूनी टीम, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और शुभचिंतकों के अथक प्रयासों के कारण अंततः 2018 में, यानि 24 साल प्रताड़ना झेलने के बाद, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया। न्यायालय ने न केवल उन्हें निर्दोष घोषित किया, बल्कि उनकी गलत गिरफ्तारी में राज्य सरकार की भूमिका की भी आलोचना की। इस ऐतिहासिक फैसले ने न केवल डॉ. नारायणन को सही साबित किया, बल्कि प्रणालीगत विफलताओं और निहित हितों के बावजूद भी न्याय, निष्पक्षता और अखंडता के सिद्धांतों को बनाए रखने के महत्व को रेखांकित किया।

बता दें कि, डॉ नारायणन के खिलाफ साजिश के समय, भारत में केंद्रीय स्तर और केरल राज्य दोनों में कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार थी, लेकिन सरकार भी अपने देश के वैज्ञानिक के साथ खड़ी नहीं दिखी थी। डॉ नंबी नारायणन की कहानी उल्लेखनीय संघर्ष और देशभक्ति की कहानी है, जहां एक प्रतिभाशाली वैज्ञानिक ने अकल्पनीय प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना किया और विजयी हुआ। सत्य, विज्ञान और न्याय के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता सभी के लिए प्रेरणा का काम करती है। नंबी नारायणन के मामले ने न्याय में गड़बड़ी को रोकने के लिए कानूनी सुधारों और तंत्र की तत्काल आवश्यकता के बारे में भी चर्चा को प्रेरित किया है। आखिर कैसे, देश को चाँद पर पहुंचाने के लिए अथक मेहनत कर रहे एक वैज्ञानिक को एक फर्जी मामले में खुद को बेकसूर साबित करने में 24 साल लग गए ? तब तक वो न जाने देश के लिए कितना काम कर चुके होते ?

एक राष्ट्र के रूप में, भारत को इस दर्दनाक अध्याय से सीखना जारी रखना चाहिए और एक ऐसे समाज के निर्माण की दिशा में काम करना चाहिए, जहां ज्ञान और सत्य की खोज का जश्न मनाया जाए और उसकी रक्षा की जाए। डॉ। नारायणन की दोषमुक्ति न केवल उनकी व्यक्तिगत जीत है, बल्कि उन सभी लोगों की सामूहिक जीत भी है, जो न्याय और अखंडता की वकालत करते हुए उनके पीछे खड़े थे।

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Jun 24 2024, 13:08

एनटीए परीक्षाओं की निगरानी के लिए इसरो के पूर्व अध्यक्ष की अध्यक्षता में बनी समिति, जानें कौन हैं डॉ के राधाकृष्णन?

#committeetooverseentaexaminationsledbyformerisro_chairman

नीट पेपर लीक और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में धांधली को लेकर देशभर में बवाल मचा हुआ है। इस बीच केन्द्र सरकार ने परीक्षा सुधारों पर सुझाव देने और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) के कामकाज की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय पैनल का गठन किया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का उच्च स्तरीय पैनल आज यानी सोमवार को बैठक करेगा। समिति को दो महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपनी है। जिन सुधारों की सिफारिश की गई है उन्हें अगले परीक्षा चक्र तक लागू किया जाएगा।

शिक्षा मंत्रालय ने शनिवार को राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) के माध्यम से परीक्षाओं का पारदर्शी, सुचारू और निष्पक्ष संचालन सुनिश्चित करने के लिए पूर्व इसरो अध्यक्ष डॉ. के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। इस समिति में डॉ. राधाकृष्णन सहित सात सदस्य शामिल हैं। समिति के कार्यक्षेत्र में परीक्षा प्रक्रिया में सुधार की सिफारिश करना, डेटा सुरक्षा प्रोटोकॉल को बढ़ाना तथा एनटीए की संरचना और कार्यप्रणाली में सुधार करना शामिल है।

ऐसे का करेगी समिति

एनटीए की संरचना एवं कार्यप्रणाली के लिए उच्चस्तरीय समिति को सबसे पहले प्रत्येक स्तर पर पदाधिकारियों की भूमिका और जिम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना होगा। इसके बाद एनटीए की वर्तमान शिकायत निवारण प्रणाली का आकलन कर और सुधार के क्षेत्रों की पहचान कर इसकी कार्यकुशलता बढ़ाने की भी सिफारिशें देनी होंगी। समिति किसी भी विषय विशेषज्ञ की मदद ले सकती है।

समिति में शामिल हैं ये लोगः-

1. डॉ. के. राधाकृष्णन (पूर्व अध्यक्ष, इसरो)

2. डॉ. रणदीप गुलेरिया (पूर्व एम्स निदेशक)

3. प्रो. बी.जे. राव (कुलपति, हैदराबाद विश्वविद्यालय)

4. प्रो. राममूर्ति के. (आईआईटी मद्रास)

5. पंकज बंसल (सह-संस्थापक, पीपलस्ट्रॉन्ग, और बोर्ड सदस्य, कर्मयोगी भारत)

6. आदित्य मित्तल (डीन, छात्र मामले, आईआईटी दिल्ली)

7. गोविंद जायसवाल (संयुक्त सचिव, शिक्षा मंत्रालय)

कौन हैं डॉ. राधाकृष्णन ?

डॉ. राधाकृष्णन अकादमिक सुधारों के लिए मौजूदा सरकार के पसंदीदा शख्स रहे हैं। उन्होंने शिक्षा मंत्रालय द्वारा गठित कई समितियों का नेतृत्व किया है। डॉ. राधाकृष्णन एक मशहूर वैज्ञानिक हैं। जो भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। 1971 में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र से डॉ. राधाकृष्णन ने अपने करियर की शुरुआत की। उन्होंने सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SLV) प्रोजेक्ट में अहम जिम्मेदारी निभाई। डॉ. राधाकृष्णन विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर में बतौर डायरेक्टर भी रह चुके हैं। उनके मार्गदर्शन में इसरो ने मंगलयान मिशन को पहले ही प्रयास में मंगल तक पहुंचाया था। डॉ. राधाकृष्णन ने डॉ. जी माधवन नायर के रिटायरमेंट के बाद इसरो का अध्यक्ष पद संभाला। जहां उनकी पहली प्राथमिकता जीएसएलवी के लिए स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन को तैयार करना था।

2009 से 2014 तक डॉ. राधाकृष्णन इसरो के अध्यक्ष रहे। उनके नेतृत्व में भारत ने चंद्रयान-1 मिशन, मंगलयान (मार्स ऑर्बिटर मिशन) और जीसैट श्रृंखला के उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण किया। उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के विभिन्न क्षेत्रों में अहम योगदान दिया, जिसमें सैटेलाइट संचार, रिमोट सेंसिंग और अंतरिक्ष विज्ञान शामिल हैं। अपने कार्यों के लिए डॉ. राधाकृष्णन को साल 2014 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। उनके नेतृत्व और वैज्ञानिक योगदान के लिए उन्हें कई अन्य राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं।

इससे पहेल शुक्रवार को केंद्र सरकार ने प्रतियोगी परीक्षाओं में गड़बड़ी और अनियमितताओं पर लगाम लगाने के उद्देश्य से एक सख्त कानून लागू किया। यह नया कानून परीक्षाओं की ईमानदारी और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है, जो शैक्षणिक और व्यावसायिक उन्नति के लिए महत्वपूर्ण है। इसमें धोखाधड़ी और अन्य धोखाधड़ी गतिविधियों को रोकने के लिए कठोर दंड शामिल हैं। इस कानून के तहत दोषी पाए जाने वाले अपराधियों को अधिकतम 10 साल तक की जेल की सजा हो सकती है। इसके अलावा, कानून में भारी जुर्माना भी लगाया गया है, जिसकी अधिकतम सजा 1 करोड़ रुपये तक है।राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 को मंजूरी दिए जाने के लगभग चार महीने बाद, कार्मिक मंत्रालय ने शुक्रवार रात एक अधिसूचना जारी की, जिसमें घोषणा की गई कि कानून के प्रावधान 21 जून से लागू होंगे।

Delhincr

Jun 18 2024, 12:04

इसरो जल्द भेजेगा अंतरिक्ष में सेटेलाइट, इससे देश में ब्रॉडबैंड कनेक्शन और इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी होंगी मज़बूत


दिल्ली डेस्क 

नई दिल्ली ISRO जल्द ही ऐसा सैटेलाइट भेजने वाला है, जिससे देश में ब्रॉडबैंड कनेक्शन और इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी और मजबूत हो जाएगी। न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) की ये दूसरी डिमांड-ड्रिवेन सैटेलाइट मिशन है। इस सैटेलाइट का नाम है जीसैट-एन2..यह Ka-Band का कम्यूनिकेशन सैटेलाइट है। 

इसके जरिए देश में ब्रॉडबैंड कनेक्शन और ज्यादा ताकतवर होगा। साथ ही भारतीय प्रायद्वीप और उसके थोड़ा आसपास तक विमानों की कनेक्टिविटी बेहतर होगी।

यानी उड़ान के समय पायलट ज्यादा बेहतर संचार स्थापित कर पाएंगे। NSIL इसरो का कॉमर्शियल विंग है, जो उसके लिए प्राइवेट और सरकारी सैटेलाइट लॉन्च डील करता है ।

నిజంనిప్పులాంటిది

Apr 18 2024, 07:16

భారతీయుడు అడుగుపెట్టే వరకు జాబిల్లి యాత్రలు: ఇస్రో చీఫ్

అహ్మదాబాద్‌: అందని ద్రాక్షగా ఉన్న చందమామ దక్షిణ ధ్రువంపైకి విజయవంతంగా ల్యాండర్‌ను దింపి అంతరిక్ష రంగంలో సరికొత్త చరిత్రను లిఖించింది భారత్‌. ఈ ప్రయోగం గురించి తాజాగా దేశ అంతరిక్ష పరిశోధనా సంస్థ (ISRO) ఛైర్మన్‌ ఎస్‌.సోమనాథ్ (Somanath) మరోసారి స్పందించారు..

భవిష్యత్తుల్లోనూ మరిన్ని జాబిల్లి యాత్రలు (Lunar Missions) చేపడతామని చెప్పారు.

గుజరాత్‌లోని అహ్మదాబాద్‌లో ఆస్ట్రోనాటికల్‌ సొసైటీ ఆఫ్‌ ఇండియా నిర్వహించిన కార్యక్రమంలో ఇస్రో ఛైర్మన్‌ పాల్గొన్నారు. ఈసందర్భంగా మీడియాతో మాట్లాడుతూ.. ''చంద్రయాన్‌-3 (Chandrayaan 3) విజయవంతమైంది. దాన్నుంచి డేటాను సేకరించి శాస్త్రీయ అధ్యయనం చేస్తున్నాం.

ఇక, జాబిల్లిపై భారతీయుడు అడుగుపెట్టేంతవరకు చంద్రయాన్‌ సిరీస్‌లను కొనసాగించాలని అనుకుంటున్నాం. అంతకంటే ముందు ఇంకా చాలా సాంకేతికతలపై పట్టు సాధించాలి. అక్కడికి వెళ్లి తిరిగి రావడంపై పరిశోధనలు చేయాలి. తదుపరి మిషన్‌లో దీన్ని ప్రయత్నిస్తాం'' అని వెల్లడించారు..

భారత్‌ త్వరలో చేపట్టబోయే గగన్‌యాన్‌ గురించి సోమనాథ్‌ మాట్లాడారు. ''దీనికంటే ముందు ఈ ఏడాది ఓ మానవరహిత మిషన్‌ను చేపట్టనున్నాం. ఏప్రిల్‌ 24న ఎయిర్‌డ్రాప్‌ వ్యవస్థను పరీక్షించనున్నాం. ఆ తర్వాత వచ్చే ఏడాది మరో రెండు మానవరహిత యాత్రలను చేపట్టబోతున్నాం. అన్నీ అనుకూలిస్తే 2025 చివరికి గగన్‌యాన్‌ ప్రయోగం చేపడతాం'' అని పేర్కొన్నారు..

గగన్‌యాన్‌ మిషన్‌ కోసం ఇప్పటికే నలుగురు వ్యోమగాములను ఎంపిక చేసిన సంగతి తెలిసిందే. ఇటీవల ఈ ప్రాజెక్టులో ఇస్రో కీలక ముందడుగు వేసింది. మనుషులను సురక్షితంగా తీసుకెళ్లడానికి అనువైన CE20 క్రయోజనిక్‌ ఇంజిన్‌ను సిద్ధం చేసింది. ఈ ప్రయోగంతో వ్యోమగాములను 400 కిలోమీటర్ల ఎత్తులో భూకక్ష్యలోకి పంపుతారు. ఇందుకోసం ఎల్‌వీఎం-మార్క్‌3 రాకెట్‌ను ఉపయోగించనున్నారు. దాదాపు 3 రోజుల తర్వాత భూమికి తిరిగొస్తారు. తిరుగు ప్రయాణంలో వ్యోమనౌక సముద్ర జలాల్లో ల్యాండ్‌ అవుతుంది..

Azamgarh

Apr 16 2024, 18:48

आजमगढ़:-युवक का ISRO में हुआ चयन, गांव में खुशी की लहर

विनोद राजभर,अतरौलिया(आजमगढ़)। जिले के अतरौलिया थानाक्षेत्र के चत्तुरपुर खास गांव निवासी रवि यादव का ISRO में टेक्निकल असिस्टेंट के पद पर चयन हुआ है। इससे पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ गई है।

गांव के लोगों ने रवि यादव के घर पहुंचकर उन्हें फूल मालाओं से लाद दिया। ग्रामीणों ने एक दूसरे को मिठाई खिलाकर गांव में खुशियां मनाई।

बता दें कि रवि के पिता इंद्रजीत यादव किसान हैं। इंद्रजीत यादव के तीन लड़के हैं। जिनमें रवि दूसरे नंबर पर हैं। रवि के बड़े भाई प्राइवेट जॉब करते हैं और छोटे भाई अभी तैयारी कर रहे हैं। रवि की प्राथमिक शिक्षा लोदी किसान इंटर कॉलेज और माध्यमिक शिक्षा पूर्व माध्यमिक विद्यालय थिरईपट्टी से हुई।

रवि ने लोदी किसान इंटर कॉलेज महादेवपुर से हाईस्कूल की पढ़ाई की। इसके बाद ओम कृष्ण कोचिंग सेंटर से इन्होंने पॉलिटेक्निक के एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी की और एंट्रेंस एग्जाम दिया जिसमें इन्हें सफलता मिली। तत्पश्चात इन्होंने गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक कॉलेज अकबरपुर अंबेडकरनगर से पॉलिटेक्निक किया। इसके बाद ISRO की वैकेंसी 2020 में आई।

2023 जून में इन्होंने इसमें परीक्षा दिया। सारी प्रक्रियाएं पूर्ण होने के बाद 15 अप्रैल 2024 को रवि का चयन इसरो में हो गया। रवि के परिजन एडवोकेट रणजीत यादव, जगदीश यादव प्रवक्ता नवोदय विद्यालय, चंद्रपाल यादव, अरुण यादव ने रवि को मिठाई खिलाकर बधाई दी और जमकर खुशियां मनाई। रवि के पिता इंद्रजीत यादव ने बताया कि वह कड़ी मेहनत करके अपने पुत्र रवि को इलाहाबाद भेज कर तैयारी करवाये जिसका परिणाम आज उन्हें मिला। रवि के पिता के चेहरे पर गजब की खुशी देखने को मिली। जानकारी के लिए बता दें कि पूरे भारत में ISRO द्वारा सिर्फ एक सीट के लिए यह वैकेंसी जारी की गई थी जिसमें रवि का चयन हुआ है। रवि का इसरो में चयन होने से आजमगढ़ ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश का नाम रोशन हुआ है। इस दौरान मुख्य रूप से ओम प्रकाश यादव प्रबंधक ओम कृष्णा कॉन्वेंट स्कूल, रामजी यादव, लालजी यादव, हरेंद्र यादव, विजय यादव, अरविंद यादव, अजीत यादव, विनय, संदीप, आशुतोष, दीपक समेत तमाम लोग मौजूद रहे।

Janardhanreddy32

Apr 08 2024, 14:49

ఆధారాలు ఉన్నా అవినాష్‌ను జగన్‌ కాపాడుతున్నారు: వైఎస్‌ షర్మిల

India

Mar 24 2024, 18:33

पीएम मोदी के नेतृत्व में अंतरिक्ष का अगुवा बना हिंदुस्तान, दुनिया भर में ISRO का गुणगान

डेस्क: इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) ने अपनी स्थापना के बाद से ही अंतरिक्ष में बड़े-बड़े मुकाम हासिल किए हैं। मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गत 10 वर्षों में इसरो ने अपनी गति तेज कर दी है। लिहाजा भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी पोल से लेकर शुक्र और सूर्य के एल1 तक पहुंच चुका है। इसरो की सफलता ने सिर्फ भारतवासियों को ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता को गौरवान्वित किया है। तभी तो पूरी दुनिया इसरो की कुशलता की कायल हो गई है। विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारत में अंतरिक्ष को लेकर उत्साह दुनिया भर से प्रतिभाओं को आकर्षित कर रहा है और उन्हें व्यवसाय शुरू करने एवं क्षेत्र के विकास में योगदान देने के लिए प्रेरित कर रहा है।

डब्ल्यूईएफ के मंच ‘सेंटर फॉर फोर्थ इंडस्ट्रियल

 रिवोल्यूशन’ (सी4आईआर) ने विभिन्न हितधारकों के बीच वैश्विक सहयोग बनाने के लिए पिछले सप्ताह भारत में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी कार्यक्रम शुरू किया है क्योंकि देश में निजी अंतरिक्ष क्षेत्र आगे बढ़ रहा है। सी4आईआर की कार्यकारी समिति के सदस्य सेबस्टियन बकुप ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “ भारत को छोटे, महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष देशों के लिए एक आदर्श, प्रकाशस्तंभ के रूप में देखा जाता है, जो समर्थन के लिए भारत की ओर भी देखते हैं।” उन्होंने कहा कि डब्ल्यूईएफ एक समावेशी और जिम्मेदार तरीके से समग्र रूप से अंतरिक्ष क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए इस क्षेत्र के बड़े और उभरते देशों के बीच आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करना चाहता है।

उपग्रहों के प्रक्षेपण पर भारत कर रहा भारी निवेश

बकुप ने कहा कि भारत साझा बुनियादी ढांचे में निवेश कर रहा है, मिसाल के तौर पर वह छोटे उपग्रहों के प्रक्षेपण के बुनियादी ढांचे में निवेश कर रहा है जो अंततः डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के बराबर बन सकता है। उन्होंने कहा कि अगर भारत "अंतरिक्ष सार्वजनिक बुनियादी ढांचा" बनाने में कामयाब रहा, तो इससे अंतरिक्ष उद्यमिता के मामले में तेजी आएगी। बकुप ने अपनी भारत यात्रा के दौरान अंतरिक्ष क्षेत्र के विभिन्न हितधारकों के साथ बैठकें कीं, जिनमें भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अधिकारी और अंतरिक्ष स्टार्ट-अप के प्रतिनिधि शामिल थे।

भारत दुनिया के लिए अंतरिक्ष के शीर्ष में शामिल

बकुप ने कहा, “ मुझे लगता है कि भारत के बाहर कई लोग अब भी भारत को अंतरिक्ष के क्षेत्र में उभरता हुआ राष्ट्र बता रहे हैं। हकीकत तो यह है कि भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में शीर्ष वर्ग में आ चुका है।” उन्होंने कहा कि यह विमर्श को बदलने का मौका देता है और यह दुनिया को यह समझने में मदद करेगा कि भारत ने वास्तव में क्या हासिल किया है। भारत एक तरह से अंतरिक्ष में दुनिया के तमाम देशों के लिए उम्मीद की किरण बन गया है।

India

Mar 22 2024, 15:16

स्वदेशी स्पेस शटल “पुष्पक” विमान की सफलतापूर्वक लैंडिंग, कर्नाटक के एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज से भरी उड़ान

#isrolaunchedrlvpushpakrocketfromkarnataka

आपने रावण के पुष्पक विमान के बारे में तो सुना ही होगा। इन दिनों देश में पुष्पक विमान की चर्चा एक बार फिर शुरू हो गई है। त्रेता युग के बाद अब 21वीं सदी में फिर से पुष्पक विमान आसमान में उड़ान भरने के लिए तैयार है। दरअसल, इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन यानी इसरो ने स्वदेशी स्पेस शटल की सफलतापूर्व लैंडिंग कराई। इस स्वदेशी स्पेस शटल का नाम पुष्पक विमान रखा गया है। इसे कर्नाटक के चित्रदुर्ग के एरोनॉटिकल टेस्ट रेंज में सुबह करीब 7.10 बजे हेलीकॉप्टर से 4.5 किमी की ऊंचाई तक ले जाया गया और रनवे पर ऑटोनॉमस लैंडिंग के लिए छोड़ा गया। 

लॉन्चिंग के बाद विमान ने सफल लैंडिंग भी की। इसरो ने आज सुबह 7 बजे कर्नाटक के चित्रदुर्ग स्थित एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज (एटीआर) में आयोजित इस परीक्षण को सफलतापूर्वक पूरा किया। आरएलवी लेक्स-02 लैंडिंग प्रयोग के माध्यम से लॉन्च कर, री-यूजेबल लॉन्च व्हीकल (आरएलवी) प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। री-यूजेबल लॉन्च व्हीकल यानी आरएलवी के क्षेत्र में इसरो की ये एक बड़ी कामयाबी हासिल की है। 

इस परीक्षण के जरिए इसरो ने री-यूजेबल लॉन्च व्हीकल की ऑटोनोमस लैंडिक की क्षमता का प्रदर्शन किया। पंखों वाले इस व्हीकल को अधिक कठिन युद्धाभ्यास करने, क्रॉस रें और डाउनरेंज दोनों को सही करने और पूरी तरह से ऑटोनोमस मोड में रनवे पर उतरने के लिए तैयार किया गया है।

स्पेस तक पहुंच को सबसे किफायती बनाने की भारत की कोशिश- इसरो चीफ

इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) के चीफ एस सोमनाथ ने कहा, पुष्पक लॉन्च व्हीकल स्पेस तक पहुंच को सबसे किफायती बनाने का भारत की एक साहसिक कोशिश है. ये भारत का फ्यूचरिस्टिक री-यूजेबल लॉन्च व्हीकल है। इसका सबसे ऊपरी हिस्सा सबसे महंगा है, इसी में महंगे इलेक्ट्रॉनिक्स लगे हैं। इस वजह से ये स्पेस शटल उड़ान भरने के बाद सुरक्षित रूप से धरती पर वापस आ सकता है। बाद में ये इन-ऑर्बिट सैटेलाइट और रिट्राइबिंग सैटेलाइट में री-फ्यूलिंग का काम भी कर सकता है।" ISRO चीफ ने कहा कि भारत स्पेस में मलबे को कम करना चाहता है। पुष्पक विमान उसी दिशा में उठाया गया एक कदम है।"

पुष्पक विमान की खास बातें

-पुष्पक RLV एक स्वदेशी स्पेस शटल है, कुछ साल में हमारे एस्ट्रोनॉट्स इसके बड़े वर्जन में कार्गो डालकर अंतरिक्ष तक पहुंचा सकते हैं।

-इसके जरिए सैटेलाइट भी लॉन्च किए जा सकते हैं। यह सैटेलाइट को अंतरिक्ष में छोड़कर वापस आएगा, ताकि फिर से उड़ान भर सके।

-इसके जरिए किसी भी देश के ऊपर जासूसी करवा सकते हैं। यहां तक की हमले भी किए जा सकते हैं।

-ये अंतरिक्ष में ही दुश्मन की सैटेलाइट को बर्बाद कर सकता हैं।

-यह एक ऑटोमेटेड रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल है।ऐसे विमानों से डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEW) चला सकते हैं।

-पुष्पक विमान की लंबाई 6.5 मीटर है और इसका वजन 1.75 टन हैइसे इंडियन एयरफोर्स के हेलीकॉप्टर से उड़ाया जाएगा।

-इसके छोटे थ्रस्टर्स व्हीकल को ठीक उसी लोकेशन पर जाने में मदद करेंगे, जहां उसे लैंड करना है।

-सरकार ने इस प्रोजेक्ट में 100 करोड़ रुपये से अधिक का इंवेस्टमेंट किया है, जो एक मील का पत्थर है।क्योंकि देश 2035 तक अपना खुद का स्पेस स्टेशन बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।