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Sep 27 2023, 15:14

चंद्रयान-3 की सफलता के बाद अब तारों पर इसरो की नजर, एस सोमनाथ ने बताई आगे की प्लानिंग

#whatnextisrochieftellsfutureplan

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन चंद्रयान 3 की सफलता और सूर्य का अध्ययन करने वाले आदित्य एल-1 की लॉन्चिंग के बाद तारों का रहस्य से पर्दा हटाने की तैयारी में है। इसरो ने ऐसे तारों के रहस्य सामने लाने की योजना बनाई है जिन पर पर्यावरण होने की बात कही जाती है या फिर जो सौरमंडल से बाहर स्थित हैं।यह जानकारी इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने मंगलवार को दी।

दिसंबर में हो रही लॉन्च की तैयारी

भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (इनसा) के तत्वावधान में एक व्याख्यान देते हुए सोमनाथ ने कहा कि एजेंसी शुक्र ग्रह (वीनस) के अध्ययन के लिए एक मिशन भेजने और अंतरिक्ष के जलवायु तथा पृथ्वी पर उसके प्रभाव का अध्ययन करने के लिए दो उपग्रह भेजने की योजना भी बना रही है। उन्होंने कहा कि एक्सपोसैट या एक्स-रे पोलरीमीटर सैटेलाइट इस साल दिसंबर में प्रक्षेपण के लिए तैयार है जो समाप्त होने की प्रक्रिया से गुजर रहे तारों का अध्ययन करने के लिए है।

सौरमंडल से बाहर के ग्रहों और तारों का अध्ययन

सोमनाथ के मुताबिक, हम एक्सोवर्ल्ड्स नामक एक उपग्रह की अवधारणा पर भी विचार कर रहे हैं जो हमारे सौरमंडल से बाहर के ग्रहों और अन्य तारों का चक्कर लगा रहे ग्रहों का अध्ययन करेगा।उन्होंने कहा कि सौरमंडल के बाहर 5,000 से अधिक ज्ञात ग्रह हैं जिनमें से कम से कम 100 पर पर्यावरण होने की बात मानी जाती है। सोमनाथ ने कहा कि मंगल पर एक अंतरिक्षयान उतारने की योजना अवधारणा के स्तर पर है।

भारत में रॉकेट में इस्तेमाल होने वाले 95% कलपुर्जे घरेलू

इस दौरान इसरो चीफ ने बताया कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के रॉकेट में इस्तेमाल की जाने वाली लगभग 95 फीसदी सामग्री, उपकरण और प्रणालियां घरेलू स्रोत से प्राप्त होती हैं। केवल पांच फीसदी विदेश से मंगवाई जाती हैं। इनमें मुख्य रूप से उच्च-स्तरीय इलेक्ट्रॉनिक घटक शामिल हैं। उन्होंने कहा, यह उपलब्धि राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, रक्षा प्रयोगशालाओं और सीएसआईआर प्रयोगशालाओं सहित विभिन्न भारतीय प्रयोगशालाओं के साथ सहयोग का परिणाम है, जो सामग्री के स्वदेशीकरण, प्रौद्योगिकी क्षमताओं और अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करती हैं।

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Sep 23 2023, 13:35

प्रज्ञान और विक्रम से नहीं मिल रहा कोई सिग्नल, क्या खत्म हो गया मिशन चंद्रयान-3?

#isro_kept_sending_signals_vikram_pragyan_did_not_wake_up

पिछले कुछ घंटे से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(इसरो) के साइंटिस्ट लगातार अपने रोवर प्रज्ञान और विक्रम लैंडर को नींद से जगाने की कोशिश कर रहे हैं।21 सितंबर को चांद पर सुबह हो गई और सूर्य की रोशनी चांद पर वापस पहुंच गई है। इसके साथ ही इसरो ने प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर को जगाने के लिए सिग्नल भेजना शुरू किया। हालांकि, अभी तक इन सिग्नल्स को रिसीव नहीं किया गया है।हालांकि, इसरो ने हार न मानने की बात कही है और इस बात का ऐलान किया है कि वह लगातार कोशिश में जुटा रहेगा।

23 अगस्त को चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम ने चांद के साउथ पोल पर सफल लैंडिंग कर ली थी। उसके बाद से तकरीबन 11 दिन तक रोवर ने चांद की सतह से खनिजों, भूकंपीय गतिविधियों और प्लाज्मा के बारे में कई अहम जानकारियां इसरो को उपलब्ध कराईं। इस मिशन को 7 सितंबर तक के लिए डिजाइन किया गया था। हालांकि 3 दिन पहले ही इसरो ने विक्रम और लैंडर को स्विच ऑफ कर दिया था, ताकि इसमें बैटरी बाकी रहे और 14 दिन की रात के बाद जब चांद पर फिर सवेरा हो तो इन्हें फिर एक्टिव कर दिया जाए। शुक्रवार को इसरो ने यही कोशिश की जो नाकाम रही।

22 सितंबर को होने वाले सूर्योदय का भारत को बेसब्री से इंतजार था।पहले इसरो प्रज्ञान और विक्रम को 22 सितंबर को ही जगाने की कोशिश करने वाला था पर बाद में इसरो ने कहा है कि अब ये प्रयास शनिवार यानी 23 सितंबर को किया जाएगा। इसरो के स्पेस एप्लिकेशन सेंटर के निदेशक निलेश देसाई ने कहा, "पहले हम प्रज्ञान और विक्रम को आज यानी 22 सितंबर को एक्टिवेट करने वाले थे लेकिन किन्हीं वजहों से अब हम ये कोशिश कल यानी शनिवार को करेंगे।"

चांद पर 20-21 सितंबर को सुबह हो चुकी है, यहां रात के वक्त -238 डिग्री सेल्सियस तक तापमान हो जाता है, इसीलिए इसरो चांद पर सुबह होने के बावजूद दो दिन तक इसलिए इंतजार कर रहा था, ताकि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर पर लगे सोलर पैनल से बैट्रियां चार्ज हो जाएं। शुक्रवार को इसरो के वैज्ञानिकों ने विक्रम और प्रज्ञान रोवर से संपर्क करने का काफी प्रयास किया, जो असफल रहा। हालांकि इसरो ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि वैज्ञानिक कोशिश में जुटे हैं, जल्द ही चमत्कार हो सकता है।

इसके बाद शुक्रवार शाम को इसरो ने एक्स पर एक बयान जारी किया। इसरो ने अपने बयान में कहा, "विक्रम और प्रज्ञान से संपर्क स्थापित करने के प्रयास किए गए हैं। अब तक हमें इन दोनों से कोई सिग्नल प्राप्त नहीं हुआ है। इनसे संपर्क करने का प्रयास जारी रहेगा।"

इसरो की योजना के मुताबिक लैंडर और रोवर सक्रिय हो गए तो वे पहले की तरह ही चंद्रमा से और जानकारियां जुटाएंगे। इन जानकारियों को वे पृथ्वी पर भेजेंगे। इसरो का कहना है कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो वे भारत के राजदूत के रूप में वहां सदा के लिए पड़े रहेंगे।

चांद पर एक दिन धरती के 14 दिन के बराबर होता है।चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग के बाद चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम और प्रज्ञान रोवर ने चांद पर पूरा एक दिन बिताया। इस दौरान विक्रम और प्रज्ञान के साथ गए पेलोड ने इसरो तक चांद की सतह के बारे में कई जानकारियां भेजीं।

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Sep 07 2023, 13:32

आदित्य एल1 ने भेजी धरती और चांद के साथ अपनी 'सेल्फी', इसरो ने शेयर किया वीडियो
#aditya_l1_takes_selfie_with_earth_and_moon_isro_shares_latest_video आदित्य एल1 ने भेजी धरती और चांद के साथ अपनी 'सेल्फी', इसरो ने शेयर किया वीडियो भारत का सूर्य मिशन आदित्य-एल 1 अपनी यात्रा पर है। इस अंतरिक्ष यात्रा में आदित्य एल1 की रास्ते में ग्रहों से भी मुलाकात हो रही है। भारत के “सूर्ययान” ने ऐसी ही एक मुलाकात की तस्वीरें भेजी है। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) ने एल1 की ओर से भेजी गई तस्वीरों को शेयर किया है। इसरो ने आदित्य एल1 को लेकर एक वीडयो शेयर किया है। 40 सेकेंड के इस वीडियो में सूर्ययान ने धरती और चांद के बीच की दूरी भी दिखाई है। यही नहीं इसरो ने बताया कि आदित्यएल1 में लगे 7 पेलोड में से दो विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (VELC) और सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्‍कोप (SUIT) की तस्वीरें भी वीडियो में दिखाई हैं। इसरो ने ट्वीट करते हुए बताया कि सूर्य और पृथ्वी के बीच एल1 प्वाइंट पर जा रहे आदित्य एल1 ने फोटो ली है। इस सेल्फी में चांद और धरती भी नजर आए हैं। सैटेलाइट का अबतक दो बार कक्षा बदला गया बता दें कि भारतीय स्पेस एजेंसी ने 2 सितंबर को सूर्य की स्टडी के लिए मिशन आदित्य-L1 लॉन्च किया था, जिसे धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर कक्षा में स्थापित किया जाना है। इससे पहले सूर्य की तरफ जा रहे सैटेलाइट का अबतक दो बार कक्षा बदला गया है और इसे सूर्य की तरफ पुश किया गया है। सैटेलाइट की कक्षा में अभी दो और बार बदलाव किया जाना है। अब 10 सितंबर को बदली जाएगी कक्षा इसरो के दिए अपडेट के मुताबिक आदित्य एल1 ने बीते मंगलवार को पृथ्वी की कक्षा से संबंधित दूसरी प्रक्रिया पूरी कर चुका है। अब आदित्य एल1 10 सितंबर को पृथ्वी की तीसरी कक्षा में प्रवेश करेगा। सूर्ययान की पृथ्वी की तीसरी कक्षा में पहुंचने का समय देर रात लगभग ढाई बजे निर्धारित किया गया है। सैटेलाइट को लैंग्रेज पॉइंट-1 पर स्थापित किया जाएगा आदित्य एल1 को सूर्य-पृथ्वी के बीच सैटेलाइट को लैंग्रेज पॉइंट-1 पर स्थापित किया जाएगा, जहां से सूर्य को बिना ग्रहण 24 घंटे और 365 दिन देखा जा सकेगा। इससे सूर्य की स्टडी में आसानी होगी। लैंग्रेज पॉइंट पर गुरुत्वाकर्षण बल सेंट्रीपीटल फोर्स के बराबर हो जाता है। इस पॉइंट से सैटेलाइट आसानी से अपनी तय कक्षा में घूम सकता है। भारत का ये मिशन है खास आदित्य को सूरज के पास पहुंचने में चार महीने या 125 दिनों का वक्त लगेगा। यह मिशन अपने आप में बहुत खास है। कम कीमतों में तैयार किए गए इस सैटेलाइट की मदद से अंतरिक्ष के वातावरण पर नजर रखी जाएगी। सूर्य से निकलने वाली गर्मी और इससे छूटने वाले प्लाज्मा से अंतरिक्ष में तूफान आता रहता है और इससे अंतरिक्ष में घूम रहे ग्रहों को नुकसान पहुंचता है। कई बार पृथ्वी से भेजे गए सैटेलाइट इसकी चपेट में आ जाते हैं और बड़ा नुकसान होता है। भारत अगर लैंग्रेज पॉइंट पर खुद को स्थापित करने में कामयाब होता है तो इससे दुनिया का भी बड़ा फायदा होगा।

#aditya_l1_takes_selfie_with_earth_and_moon_isro_shares_latest_video आदित्य एल1 ने भेजी धरती और चांद के साथ अपनी 'सेल्फी', इसरो ने शेयर किया वीडियो भारत का सूर्य मिशन आदित्य-एल 1 अपनी यात्रा पर है। इ

నిజంనిప్పులాంటిది

Sep 06 2023, 12:47

NASA: విక్రమ్‌ ల్యాండర్‌ను క్లిక్‌మనిపించిన నాసా ఉపగ్రహం..

వాషింగ్టన్‌: భారత్‌లో చంద్రయాన్‌-3(Chandrayaan-3) ప్రయోగానికి సంబంధించి ఇస్రో(ISRO) ఎప్పటికప్పుడు అప్‌డేట్స్‌ ఇస్తూ ప్రజల్లో ఆసక్తిని పెంచుతూనే ఉంది..

అయితే తాజాగా అమెరికాకు చెందిన నేషనల్‌ ఏరోనాటిక్స్‌ స్పేస్‌ అడ్మినిస్ట్రేషన్‌(నాసా)(NASA) చంద్రయాన్‌-3 ల్యాండర్‌ చిత్రాన్ని ఎక్స్‌(ట్విటర్‌)లో పంచుకుంది. తన ఉపగ్రహం ఈ ఫొటోను తీసినట్లు తెలిపింది.

'జాబిల్లి ఉపరితలంపై ఉన్న చంద్రయాన్‌-3 ల్యాండర్‌ను నాసాకు చెందిన ఎల్‌ఆర్‌ఓ(లునార్‌ రికానజెన్స్‌ ఆర్బిటర్‌) స్పేస్‌క్రాఫ్ట్‌ ఫొటో తీసింది. ఆగస్టు 23న ఈ ల్యాండర్‌ చంద్రుడి దక్షిణ ధ్రువానికి సుమారు 600 కి.మీ దూరంలో దిగింది' అని నాసా వెల్లడించింది. ల్యాండర్ దిగిన నాలుగురోజుల తర్వాత ఆగస్టు 27న ఎల్‌ఆర్‌ఓ ఈ చిత్రాన్ని తీసింది. జాబిల్లి ఉపరితలంపై ల్యాండర్ దిగుతున్నప్పుడు కలిగిన రాపిడి వల్ల ఒక తెల్లని వలయం ఏర్పడిందని ఈ చిత్రాలను బట్టి తెలుస్తోంది..

చంద్రుడి ఉపరితలం 3డీ అనాగ్లిఫ్‌ చిత్రాన్ని నిన్న ఇస్రో విడుదల చేసింది. అందులో విక్రమ్‌ ల్యాండర్‌ ఉన్న ప్రాంతంలో చంద్రుడి ఉపరితలం ఎలా ఉందో స్పష్టంగా కనిపిస్తోంది. ప్రజ్ఞాన్‌ రోవర్‌కు అమర్చిన నేవిగేషన్‌ కెమెరాలతో తీసిన చిత్రాలను ప్రత్యేక పద్దతిలో క్రోడీకరించి ఈ చిత్రాన్ని రూపొందించినట్లు ఇస్రో ఎక్స్‌ (ట్విటర్‌) వేదికగా విడుదల చేసింది. స్టీరియో లేదా మల్టీ వ్యూ ఇమేజ్‌లను ఒకచోట చేర్చి అవి మూడు కోణాల్లో కనిపించేలా చేయడమే అనాగ్లిఫ్‌. ప్రస్తుతం నిద్రాణంలో ఉన్న ల్యాండర్, రోవర్ సెప్టెంబర్ 22న తిరిగి మేల్కొనే అవకాశం ఉందని ఇస్రో భావిస్తోంది. ఊహించినట్లు అవి పని చేస్తే.. ఇంకొన్నాళ్లపాటు పరిశోధనలు సాగించేందుకు అవకాశం ఉంటుందని పేర్కొంది..

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Sep 05 2023, 23:44

ISRO-IPRC Various Vacancy 2023 : Exam Date Announced

  • Advt No. : IPRC/RMT/2023/01
  • Total Vacancy : 62
  • Exam Date20-09-2023
  • Date for Downloading of Admit Card : 2nd Week of September 2023
  • Important Links :

Exam Date Notice : Click Here

Detail Notification : Click Here

Download Notification (Short Notice) : Click here

Official Website : Click here

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Sep 05 2023, 10:42

भारत के सूर्ययान की सूरज की ओर एक और लंबी छलांग, आदित्य-एल1 ने सफलतापूर्वक बदली दूसरी कक्षा

#aditya_l_1_second_earth_bound_manoeuvre_successfully_performed_by_isro

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की ओर से लॉन्च किए गए भारत के पहले सूर्ययान ने पृथ्वी की कक्षा बदलने का दूसरा चरण पूरा कर लिया है। भारत के पहले सौर मिशन ‘आदित्य-L1’ ने आज धरती की ऑर्बिट में दूसरी छलांग लगाई। इसरो ने मंगलवार सुबह जानकारी दी है कि इसका दूसरा मैन्युवर कर दिया गया है और ये यान अभी पूरी तरह से नॉर्मल है। आदित्य एल-1 लगातार अपनी निर्धारित दिशा में सफलतापूर्वक बढ़ते जा रहा है। 

इसरो ने मंगलवार सुबह इस मिशन को लेकर ताजा अपडेट दिया। इसरो ने ट्वीट किया, ‘पृथ्वी से जुड़ा दूसरा मैन्युवर बेंगलुरु स्थित ISTRAC सेंटर से पूरा कर दिया गया है। ISTRAC/ISRO ने मॉरीशस, बेंगलुरु और पोर्ट ब्लेयर में मौजूद अपने ग्राउंड स्टेशन से इसे ट्रैक किया। अब आदित्य एल-1 नए ऑर्बिट में 282 KM*40225 KM की दूरी पर है। इससे पहले रविवार को इसने पहली छलांग लगाई थी। अब इसरो की ओर से 5 दिन बाद आदित्य एल-1 को तीसरे ऑर्बिट में पहुंचाया जाएगा। आदित्य एल-1 आगामी 10 सितंबर को सुबह 2 बजकर 30 मिनट पर तीसरी कक्षा में प्रवेश करने की कोशिश करेगा।

15 लाख किमी की लंबी यात्रा के बाद आएगी मंजिल

आदित्य एल 1 18 सितंबर तक धरती के चारों तरफ चार बार अपनी ऑर्बिट बदलेगा। धरती के चारों तरफ ऑर्बिट इसलिए बदली जा रही है जिससे कि उसे इतनी रफ्तार मिल सके कि वह 15 लाख किमी लंबी यात्रा को पूरा कर सके। इस यात्रा के बाद आदित्य L1 पॉइंट पर पहुंच जाएगा, जो उसकी मंजिल है।

कब पहुंचेगा अपनी मंजिल तक?

जब आदित्य एल1 पृथ्वी के स्पेहर ऑफ इनफ्लूएंस यानी गुरुत्वीय बल के दायरे से बाहर हो जाएगा तब ट्रांस लेगरान्ज 1 इनसर्शन किया जाएगा यानी उसे सूर्य की ओर एल 1 प्वाइंट के लिए मोड़ दिया जाएगा। यहां से 116 दिनों की यात्रा के बाद आदित्य एल 1सेटेलाइट एल 1 पॉइंट पर पहुंच जाएगा। इस तरह कुल 128 दिन की यात्रा के बाद आदित्य एल 1 उपग्रह एल 1 प्वाइंट पर स्थापित हो जाएगा।

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Sep 04 2023, 10:12

चंद्रयान-3 लॉन्चिंग के काउंटडाउन में सुनी गई आवाज खामोश, इसरो की वैज्ञानिक का कार्डिएक अरेस्ट से निधन

#chandrayaan3launchcountdownvoiceisroscientistvalarmathipasses_away

चंद्रयान-3 हो या इसरो का कोई भी सेटेलाइट लॉन्चिंग। जब पूरी दुनिया की निगाहें रॉकेट की तरफ रहती हैं तो कानों में एक ही आवाज आती है। यह आवाज होती है काउंटडाउन की। इसरो के जितने भी लॉन्च होते थे, उनके काउंटडाउन के दौरान जो आवाज़ सुनाई देती थी, वो अब लोगों को सुनाई नहीं देगी। यह आवाज हमेशा के लिए शांत हो गई है। इसरो की वैज्ञानिक वलारमती का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है।

इसरो ने जताया दुख

वलारमथी के निधन पर इसरो ने बताया कि रॉकेट लॉन्च काउंटडाउन के पीछे की प्रतिष्ठित महिला आवाज को श्रीहरिकोटा से भविष्य के मिशनों में नहीं सुना जाएगा। वलारमथी मैम के अप्रत्याशित निधन के साथ, आवाज अनंत काल के लिए फीकी पड़ गई है! वलारमती मैम का शनिवार शाम चेन्नई के एक अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।वैज्ञानिक वलारमथी का अंतिम मिशन चंद्रयान-3 ही था, जो 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा से लॉन्च हुआ था।

इसरो के पूर्व डायरेक्टर ने जताया शोक

तमिलनाडु के अलियायुर से आने वालीं वलारमथी ने शनिवार को चेन्नई में अंतिम सांस ली।इसरो के पूर्व डायरेक्टर पी.वी. वेंकटकृष्णन ने ट्वीट कर वलारमथी के निधन पर दुख व्यक्त किया। उन्होंने लिखा कि श्रीहरिकोटा में इसरो के आने वाले मिशनों के दौरान अब काउंटडाउन में वलारमथी मैडम की आवाज़ नहीं आएगा। चंद्रयान-3 उनका फाइनल अनाउसमेंट था। ये काफी दुख का क्षण है। प्रणाम।

कई वर्षों तक इसरो टीम का एक अभिन्न हिस्सा रहीं

वलारमथी अपने सहयोगियों के बीच 'मैम' के नाम से भी जानी जाती थीं। कई वर्षों तक इसरो टीम का एक अभिन्न हिस्सा रहीं। आत्मविश्वास और अधिकार से भरी उनकी विशिष्ट आवाज ने इसरो के कई सफल रॉकेट प्रक्षेपणों का मार्गदर्शन किया है। उन्होंने देश की अंतरिक्ष अन्वेषण यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। चेन्नई में जन्मी और पली-बढ़ी, वलारमती को कम उम्र से ही विज्ञान और प्रौद्योगिकी का शौक था। उन्होंने इंजीनियरिंग में अपनी शिक्षा प्राप्त की और एक युवा उम्र में ही इसरो में शामिल हुईं। इन वर्षों में, वह अपने सटीक काउंटडाउन और अपने काम के प्रति अटूट समर्पण के साथ संगठन के लिए एक अमूल्य संपत्ति बन गईं।

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Sep 03 2023, 16:19

*चांद पर अस्त हुआ सूर्य, स्लीप मोड में गए रोवर प्रज्ञान और लैंडर विक्रम*

#isrosaidpragyanrovercompletedassignmentandsleepmode 

चंद्रमा पर भेजे गए चंद्रयान-3 के रोवर प्रज्ञान ने अपना काम पूरा कर लिया है। जिसके बाद इसे अब सुरक्षित रूप से पार्क कर दिया गया। 23 अगस्त को चंद्रमा कि सतह पर उतरने के बाद लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान अपना काम बखूबी कर रहे थे। वह चांद पर होने वाली हलचल और हालातों के बारे में लगातार जानकरियां धरती पर भेज रहे थे। मिशन के लगभग 10 दिन बाद अब रोवर प्रज्ञान ने अपने काम को खत्म पूरा कर दिया है। इसके बाद उसे स्लीप मोड में सेट करके सुरक्षित पार्क कर दिया गया है।22 सितंबर को रोवर की नींद फिर टूटेगी और वो अपना काम शुरू करेगा।

इसरो ने माइक्रो ब्लोगिंग साइट एक्स पर लिखा कि प्रज्ञान रोवर ने अपना काम पूरा कर लिया है. इसे अब सुरक्षित रूप से पार्क कर स्लीप मोड में सेट किया गया है। APXS और LIBS अब बंद हैं। इन पेलोड से डेटा लैंडर के जरिए पृथ्वी तक पहुंचा दिया गया है। अभी बैटरी भी पूरी तरह चार्ज है। रोवर को ऐसी दिशा में रखा गया है कि 22 सितंबर 2023 को जब चांद पर अगला सूर्योदय होगा तो सूर्य का प्रकाश सौर पैनलों पर पड़े। इसके रिसीवर को भी चालू रखा गया है। उम्मीद की जा रही है कि 22 सितंबर को ये फिर से काम करना शुरू करेगा।

चंद्रयान-3 मिशन 14 दिनों का ही है। ऐसा इसलिए क्योंकि चंद्रमा पर 14 दिन तक रात और 14 दिन तक उजाला रहता है। रोवर-लैंडर सूर्य की रोशनी में तो पावर जनरेट कर सकते हैं, लेकिन रात होने पर पावर जनरेशन प्रोसेस रुक जाएगी। पावर जनरेशन नहीं होगा तो इलेक्ट्रॉनिक्स भयंकर ठंड को झेल नहीं पाएंगे और खराब हो जाएंगे।

रोवर ने तय की 100 मीटर की दूरी

इससे पहले दिन में इसरो ने बताया था कि रोवर ने शिवशक्ति लैंडिंग पॉइंट से 100 मीटर की दूरी तय कर ली है। लैंडर और रोवर के बीच की दूरी का ग्राफ भी शेयर किया था। विक्रम लैंडर 23 अगस्त को चंद्रमा पर उतरा था। रोवर को यह दूरी तय करने में 10 दिन लगे।

कई अहम जानकारियां भेज चुका है प्रज्ञान

स्लीपिंग मोड पर जाने से पहले हमारे चंद्रयान-3 ने कई अहम और खास जानकारियां भेजी हैं। जिसमें चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर में लगे चास्टे पेलोड ने चंद्रमा के तापमान से जुड़ा पहला ऑब्जर्वेशन भेजा था। इसके बाद प्रज्ञान रोवर ने 4 मीटर का गड्ढा देखकर रास्ता भी बदला और एक अहम जानकारी भेजी। जिसमें रोवर ने चांद पर सल्फर होने की पुष्टि की। जिसमें उम्मीद के मुताबिक, एल्युमीनियम, कैल्शियम, लौह, क्रोमियम, टाइटेनियम, मैंगनीज, सिलिकॉन और ऑक्सीजन होने का अनुमान है जिस पर अभी और डिटेल्स आनी बाकी है। इसके बाद रोवर ने निरंतर आगे बढ़ते हुए चंद्रमा की सतह पर भूकंप भी रिकॉर्ड किया।

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Sep 03 2023, 13:34

नए ऑर्बिट में स्थापित हुआ आदित्य एल 1, पहली बार कक्षा बदलने के बाद इसरो ने दिया बड़ा अपडेट

#aditya_l1_mission_isro_to_perform_first_earth_bound_firing_today

चांद के साउथ पोल पर सफल लैंडिंग करने के बाद भारत ने दुनियाभर में अपना लोहा मनवाया है। अब सूरज से “साक्षात्‍कार” की बारी है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) भारत का पहला सोलर मिशन आदित्‍य एल-1 लॉन्‍च हो चुका है।ये मिशन पृथ्वी से 15 लाख किमी की दूरी पर पहुंचकर सूर्य के रहस्यों से पर्दा हटाने की कोशिश करेगा. लेकिन वहां तक पहुंचने के लिए आदित्य-एल1 को कई चरणों से होकर गुजरना होगा।इसी क्रम में लॉन्चिंग के एक दिन बाद आदित्य एल-1 रविवार पहली बार अपनी कक्षा बदली।आदित्य एल-1 दूसरी कक्षा में स्थापित हो गया है। 

इसरो ने जानकारी दी है कि उसके सूर्य मिशन आदित्य एल1 ने आज सफलतापूर्वक कक्षा बदल ली है। इसरो ने रविवार को ट्वीट करते हुए बताया कि आदित्य एल1 सैटेलाइट स्वस्थ है और वह अपना काम अच्छी तरह से कर रही है। इसरो ने यह भी बताया कि सैटेलाइट ने पृथ्वी का पहला चक्कर लगा लिया है, यानी अर्थ-बाउंड मैन्यूवर पूरा कर लिया है और अब वह दूसरे ऑर्बिट में पहुंच गया है। 

पृथ्वी की कक्षा में 16 दिन बिताएगा

इसरो ने रविवार को सुबह करीब 11.45 बजे पहली अर्थ बाउंड फायरिंग की जिसकी मदद से आदित्य एल1 ने कक्षा बदली। अब आदित्य एल1 पृथ्वी से 22,459 किलोमीटर दूर है और अब अगला मैनुवर पांच सितंबर 2023 को किया जाएगा। इसरो ने बताया कि आदित्य एल1 ने पावर जेनरेट करना शुरू कर दिया है। अर्थ बाउंड मैनुवर्स की मदद से यह फायरिंग की गई। जिससे आदित्य एल1 ने अपनी कक्षा बदलकर अगली कक्षा में प्रवेश किया। आदित्य एल1 पृथ्वी की कक्षा में 16 दिन बिताएगा। इस दौरान पांच बार इसकी कक्षा बदलने के लिए अर्थ बाउंड फायरिंग की जाएगी। आदित्य एल-1 16 दिनों में पांच बार पृथ्वी की कक्षा बदलेगा। इसके बाद थ्रस्टर फायर किए जाएंगे और यह एल-1 की ओर आगे बढ़ जाएगा।

 

110 दिन बाद लैग्रेंजियन पॉइंट पर पहुंचेगा आदित्य एल1

110 दिन की यात्रा के बाद आदित्य एल1 लैग्रेजियन-1 पॉइंट पर पहुंचेगा। लैग्रेंजियन-1 पॉइंट पहुंचने के बाद आदित्य एल1 में एक और मैनुवर किया जाएगा, जिसकी मदद से आदित्य एल1 को एल1 पॉइंट के हेलो ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा। यही से आदित्य एल1 सूरज की स्टडी करेगा। यह लैग्रेंजियन पॉइंट सूरज की दिशा में पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर है। 

इसरो को उम्मीद है कि चंद्रयान-3 की तरह आदित्य एल 1 मिशन भी अपने मकसद में पूरी तरह कामयाब होगा। चुनौतियों के बावजूद आदित्य एल-1 मिशन में अपार संभावनाएं हैं। हालांकि आदित्य एल-1 मिशन की पूरी तरह सफलता का आकलन करने के लिए लगभग चार महीने तक इंतजार करना होगा।

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Sep 02 2023, 12:18

सूर्य की सतह का अध्ययन आसपास की परिस्थितियां की जानकारी के साथ पांच साल तक रोजाना 1440 तस्वीर भेजेगा आदित्य L1

चांद के रहस्यों से पर्दा उठाने के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सूर्य के रहस्यों को दुनिया के सामने लाने की तैयारी कर ली है। आज भारत अपना पहला सूर्य मिशन लॉन्च कर दिया है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) आज अपना पहला सूर्य मिशन आदित्य-एल1 मिशन लॉन्च करने जा रहा है। भारत आज पहला सूर्य मिशन आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्‍पेस सेंटर से लॉन्च किया। इसरो के मुताबिक, इस मिशन को आज यानी 2 सितंबर की सुबह 11.50 पर लॉन्च किया गया।

चंद्र विजय करने के बाद से चांद की कई खूबसूरत तस्वीरें चंद सेकंड में ही हमारे पास आने लगी थी, ऐसे ही लोगों को इंतजार है कि वो पास से सूर्य की तस्वीरें ले सकें। गौरतलब है कि आदित्य एल-1 का पहला पेलोड विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (VELC) लक्षित ऑर्बिट में पहुंचकर रोजाना एक हजार से अधिक तस्वीरें भेजेगा, जो अध्ययन में मददगार साबित होंगे।

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Sep 27 2023, 15:14

चंद्रयान-3 की सफलता के बाद अब तारों पर इसरो की नजर, एस सोमनाथ ने बताई आगे की प्लानिंग

#whatnextisrochieftellsfutureplan

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन चंद्रयान 3 की सफलता और सूर्य का अध्ययन करने वाले आदित्य एल-1 की लॉन्चिंग के बाद तारों का रहस्य से पर्दा हटाने की तैयारी में है। इसरो ने ऐसे तारों के रहस्य सामने लाने की योजना बनाई है जिन पर पर्यावरण होने की बात कही जाती है या फिर जो सौरमंडल से बाहर स्थित हैं।यह जानकारी इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने मंगलवार को दी।

दिसंबर में हो रही लॉन्च की तैयारी

भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (इनसा) के तत्वावधान में एक व्याख्यान देते हुए सोमनाथ ने कहा कि एजेंसी शुक्र ग्रह (वीनस) के अध्ययन के लिए एक मिशन भेजने और अंतरिक्ष के जलवायु तथा पृथ्वी पर उसके प्रभाव का अध्ययन करने के लिए दो उपग्रह भेजने की योजना भी बना रही है। उन्होंने कहा कि एक्सपोसैट या एक्स-रे पोलरीमीटर सैटेलाइट इस साल दिसंबर में प्रक्षेपण के लिए तैयार है जो समाप्त होने की प्रक्रिया से गुजर रहे तारों का अध्ययन करने के लिए है।

सौरमंडल से बाहर के ग्रहों और तारों का अध्ययन

सोमनाथ के मुताबिक, हम एक्सोवर्ल्ड्स नामक एक उपग्रह की अवधारणा पर भी विचार कर रहे हैं जो हमारे सौरमंडल से बाहर के ग्रहों और अन्य तारों का चक्कर लगा रहे ग्रहों का अध्ययन करेगा।उन्होंने कहा कि सौरमंडल के बाहर 5,000 से अधिक ज्ञात ग्रह हैं जिनमें से कम से कम 100 पर पर्यावरण होने की बात मानी जाती है। सोमनाथ ने कहा कि मंगल पर एक अंतरिक्षयान उतारने की योजना अवधारणा के स्तर पर है।

भारत में रॉकेट में इस्तेमाल होने वाले 95% कलपुर्जे घरेलू

इस दौरान इसरो चीफ ने बताया कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के रॉकेट में इस्तेमाल की जाने वाली लगभग 95 फीसदी सामग्री, उपकरण और प्रणालियां घरेलू स्रोत से प्राप्त होती हैं। केवल पांच फीसदी विदेश से मंगवाई जाती हैं। इनमें मुख्य रूप से उच्च-स्तरीय इलेक्ट्रॉनिक घटक शामिल हैं। उन्होंने कहा, यह उपलब्धि राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, रक्षा प्रयोगशालाओं और सीएसआईआर प्रयोगशालाओं सहित विभिन्न भारतीय प्रयोगशालाओं के साथ सहयोग का परिणाम है, जो सामग्री के स्वदेशीकरण, प्रौद्योगिकी क्षमताओं और अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करती हैं।

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Sep 23 2023, 13:35

प्रज्ञान और विक्रम से नहीं मिल रहा कोई सिग्नल, क्या खत्म हो गया मिशन चंद्रयान-3?

#isro_kept_sending_signals_vikram_pragyan_did_not_wake_up

पिछले कुछ घंटे से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(इसरो) के साइंटिस्ट लगातार अपने रोवर प्रज्ञान और विक्रम लैंडर को नींद से जगाने की कोशिश कर रहे हैं।21 सितंबर को चांद पर सुबह हो गई और सूर्य की रोशनी चांद पर वापस पहुंच गई है। इसके साथ ही इसरो ने प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर को जगाने के लिए सिग्नल भेजना शुरू किया। हालांकि, अभी तक इन सिग्नल्स को रिसीव नहीं किया गया है।हालांकि, इसरो ने हार न मानने की बात कही है और इस बात का ऐलान किया है कि वह लगातार कोशिश में जुटा रहेगा।

23 अगस्त को चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम ने चांद के साउथ पोल पर सफल लैंडिंग कर ली थी। उसके बाद से तकरीबन 11 दिन तक रोवर ने चांद की सतह से खनिजों, भूकंपीय गतिविधियों और प्लाज्मा के बारे में कई अहम जानकारियां इसरो को उपलब्ध कराईं। इस मिशन को 7 सितंबर तक के लिए डिजाइन किया गया था। हालांकि 3 दिन पहले ही इसरो ने विक्रम और लैंडर को स्विच ऑफ कर दिया था, ताकि इसमें बैटरी बाकी रहे और 14 दिन की रात के बाद जब चांद पर फिर सवेरा हो तो इन्हें फिर एक्टिव कर दिया जाए। शुक्रवार को इसरो ने यही कोशिश की जो नाकाम रही।

22 सितंबर को होने वाले सूर्योदय का भारत को बेसब्री से इंतजार था।पहले इसरो प्रज्ञान और विक्रम को 22 सितंबर को ही जगाने की कोशिश करने वाला था पर बाद में इसरो ने कहा है कि अब ये प्रयास शनिवार यानी 23 सितंबर को किया जाएगा। इसरो के स्पेस एप्लिकेशन सेंटर के निदेशक निलेश देसाई ने कहा, "पहले हम प्रज्ञान और विक्रम को आज यानी 22 सितंबर को एक्टिवेट करने वाले थे लेकिन किन्हीं वजहों से अब हम ये कोशिश कल यानी शनिवार को करेंगे।"

चांद पर 20-21 सितंबर को सुबह हो चुकी है, यहां रात के वक्त -238 डिग्री सेल्सियस तक तापमान हो जाता है, इसीलिए इसरो चांद पर सुबह होने के बावजूद दो दिन तक इसलिए इंतजार कर रहा था, ताकि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर पर लगे सोलर पैनल से बैट्रियां चार्ज हो जाएं। शुक्रवार को इसरो के वैज्ञानिकों ने विक्रम और प्रज्ञान रोवर से संपर्क करने का काफी प्रयास किया, जो असफल रहा। हालांकि इसरो ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि वैज्ञानिक कोशिश में जुटे हैं, जल्द ही चमत्कार हो सकता है।

इसके बाद शुक्रवार शाम को इसरो ने एक्स पर एक बयान जारी किया। इसरो ने अपने बयान में कहा, "विक्रम और प्रज्ञान से संपर्क स्थापित करने के प्रयास किए गए हैं। अब तक हमें इन दोनों से कोई सिग्नल प्राप्त नहीं हुआ है। इनसे संपर्क करने का प्रयास जारी रहेगा।"

इसरो की योजना के मुताबिक लैंडर और रोवर सक्रिय हो गए तो वे पहले की तरह ही चंद्रमा से और जानकारियां जुटाएंगे। इन जानकारियों को वे पृथ्वी पर भेजेंगे। इसरो का कहना है कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो वे भारत के राजदूत के रूप में वहां सदा के लिए पड़े रहेंगे।

चांद पर एक दिन धरती के 14 दिन के बराबर होता है।चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग के बाद चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम और प्रज्ञान रोवर ने चांद पर पूरा एक दिन बिताया। इस दौरान विक्रम और प्रज्ञान के साथ गए पेलोड ने इसरो तक चांद की सतह के बारे में कई जानकारियां भेजीं।

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Sep 07 2023, 13:32

आदित्य एल1 ने भेजी धरती और चांद के साथ अपनी 'सेल्फी', इसरो ने शेयर किया वीडियो
#aditya_l1_takes_selfie_with_earth_and_moon_isro_shares_latest_video आदित्य एल1 ने भेजी धरती और चांद के साथ अपनी 'सेल्फी', इसरो ने शेयर किया वीडियो भारत का सूर्य मिशन आदित्य-एल 1 अपनी यात्रा पर है। इस अंतरिक्ष यात्रा में आदित्य एल1 की रास्ते में ग्रहों से भी मुलाकात हो रही है। भारत के “सूर्ययान” ने ऐसी ही एक मुलाकात की तस्वीरें भेजी है। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) ने एल1 की ओर से भेजी गई तस्वीरों को शेयर किया है। इसरो ने आदित्य एल1 को लेकर एक वीडयो शेयर किया है। 40 सेकेंड के इस वीडियो में सूर्ययान ने धरती और चांद के बीच की दूरी भी दिखाई है। यही नहीं इसरो ने बताया कि आदित्यएल1 में लगे 7 पेलोड में से दो विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (VELC) और सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्‍कोप (SUIT) की तस्वीरें भी वीडियो में दिखाई हैं। इसरो ने ट्वीट करते हुए बताया कि सूर्य और पृथ्वी के बीच एल1 प्वाइंट पर जा रहे आदित्य एल1 ने फोटो ली है। इस सेल्फी में चांद और धरती भी नजर आए हैं। सैटेलाइट का अबतक दो बार कक्षा बदला गया बता दें कि भारतीय स्पेस एजेंसी ने 2 सितंबर को सूर्य की स्टडी के लिए मिशन आदित्य-L1 लॉन्च किया था, जिसे धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर कक्षा में स्थापित किया जाना है। इससे पहले सूर्य की तरफ जा रहे सैटेलाइट का अबतक दो बार कक्षा बदला गया है और इसे सूर्य की तरफ पुश किया गया है। सैटेलाइट की कक्षा में अभी दो और बार बदलाव किया जाना है। अब 10 सितंबर को बदली जाएगी कक्षा इसरो के दिए अपडेट के मुताबिक आदित्य एल1 ने बीते मंगलवार को पृथ्वी की कक्षा से संबंधित दूसरी प्रक्रिया पूरी कर चुका है। अब आदित्य एल1 10 सितंबर को पृथ्वी की तीसरी कक्षा में प्रवेश करेगा। सूर्ययान की पृथ्वी की तीसरी कक्षा में पहुंचने का समय देर रात लगभग ढाई बजे निर्धारित किया गया है। सैटेलाइट को लैंग्रेज पॉइंट-1 पर स्थापित किया जाएगा आदित्य एल1 को सूर्य-पृथ्वी के बीच सैटेलाइट को लैंग्रेज पॉइंट-1 पर स्थापित किया जाएगा, जहां से सूर्य को बिना ग्रहण 24 घंटे और 365 दिन देखा जा सकेगा। इससे सूर्य की स्टडी में आसानी होगी। लैंग्रेज पॉइंट पर गुरुत्वाकर्षण बल सेंट्रीपीटल फोर्स के बराबर हो जाता है। इस पॉइंट से सैटेलाइट आसानी से अपनी तय कक्षा में घूम सकता है। भारत का ये मिशन है खास आदित्य को सूरज के पास पहुंचने में चार महीने या 125 दिनों का वक्त लगेगा। यह मिशन अपने आप में बहुत खास है। कम कीमतों में तैयार किए गए इस सैटेलाइट की मदद से अंतरिक्ष के वातावरण पर नजर रखी जाएगी। सूर्य से निकलने वाली गर्मी और इससे छूटने वाले प्लाज्मा से अंतरिक्ष में तूफान आता रहता है और इससे अंतरिक्ष में घूम रहे ग्रहों को नुकसान पहुंचता है। कई बार पृथ्वी से भेजे गए सैटेलाइट इसकी चपेट में आ जाते हैं और बड़ा नुकसान होता है। भारत अगर लैंग्रेज पॉइंट पर खुद को स्थापित करने में कामयाब होता है तो इससे दुनिया का भी बड़ा फायदा होगा।

#aditya_l1_takes_selfie_with_earth_and_moon_isro_shares_latest_video आदित्य एल1 ने भेजी धरती और चांद के साथ अपनी 'सेल्फी', इसरो ने शेयर किया वीडियो भारत का सूर्य मिशन आदित्य-एल 1 अपनी यात्रा पर है। इ

నిజంనిప్పులాంటిది

Sep 06 2023, 12:47

NASA: విక్రమ్‌ ల్యాండర్‌ను క్లిక్‌మనిపించిన నాసా ఉపగ్రహం..

వాషింగ్టన్‌: భారత్‌లో చంద్రయాన్‌-3(Chandrayaan-3) ప్రయోగానికి సంబంధించి ఇస్రో(ISRO) ఎప్పటికప్పుడు అప్‌డేట్స్‌ ఇస్తూ ప్రజల్లో ఆసక్తిని పెంచుతూనే ఉంది..

అయితే తాజాగా అమెరికాకు చెందిన నేషనల్‌ ఏరోనాటిక్స్‌ స్పేస్‌ అడ్మినిస్ట్రేషన్‌(నాసా)(NASA) చంద్రయాన్‌-3 ల్యాండర్‌ చిత్రాన్ని ఎక్స్‌(ట్విటర్‌)లో పంచుకుంది. తన ఉపగ్రహం ఈ ఫొటోను తీసినట్లు తెలిపింది.

'జాబిల్లి ఉపరితలంపై ఉన్న చంద్రయాన్‌-3 ల్యాండర్‌ను నాసాకు చెందిన ఎల్‌ఆర్‌ఓ(లునార్‌ రికానజెన్స్‌ ఆర్బిటర్‌) స్పేస్‌క్రాఫ్ట్‌ ఫొటో తీసింది. ఆగస్టు 23న ఈ ల్యాండర్‌ చంద్రుడి దక్షిణ ధ్రువానికి సుమారు 600 కి.మీ దూరంలో దిగింది' అని నాసా వెల్లడించింది. ల్యాండర్ దిగిన నాలుగురోజుల తర్వాత ఆగస్టు 27న ఎల్‌ఆర్‌ఓ ఈ చిత్రాన్ని తీసింది. జాబిల్లి ఉపరితలంపై ల్యాండర్ దిగుతున్నప్పుడు కలిగిన రాపిడి వల్ల ఒక తెల్లని వలయం ఏర్పడిందని ఈ చిత్రాలను బట్టి తెలుస్తోంది..

చంద్రుడి ఉపరితలం 3డీ అనాగ్లిఫ్‌ చిత్రాన్ని నిన్న ఇస్రో విడుదల చేసింది. అందులో విక్రమ్‌ ల్యాండర్‌ ఉన్న ప్రాంతంలో చంద్రుడి ఉపరితలం ఎలా ఉందో స్పష్టంగా కనిపిస్తోంది. ప్రజ్ఞాన్‌ రోవర్‌కు అమర్చిన నేవిగేషన్‌ కెమెరాలతో తీసిన చిత్రాలను ప్రత్యేక పద్దతిలో క్రోడీకరించి ఈ చిత్రాన్ని రూపొందించినట్లు ఇస్రో ఎక్స్‌ (ట్విటర్‌) వేదికగా విడుదల చేసింది. స్టీరియో లేదా మల్టీ వ్యూ ఇమేజ్‌లను ఒకచోట చేర్చి అవి మూడు కోణాల్లో కనిపించేలా చేయడమే అనాగ్లిఫ్‌. ప్రస్తుతం నిద్రాణంలో ఉన్న ల్యాండర్, రోవర్ సెప్టెంబర్ 22న తిరిగి మేల్కొనే అవకాశం ఉందని ఇస్రో భావిస్తోంది. ఊహించినట్లు అవి పని చేస్తే.. ఇంకొన్నాళ్లపాటు పరిశోధనలు సాగించేందుకు అవకాశం ఉంటుందని పేర్కొంది..

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Sep 05 2023, 23:44

ISRO-IPRC Various Vacancy 2023 : Exam Date Announced

  • Advt No. : IPRC/RMT/2023/01
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  • Exam Date20-09-2023
  • Date for Downloading of Admit Card : 2nd Week of September 2023
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Sep 05 2023, 10:42

भारत के सूर्ययान की सूरज की ओर एक और लंबी छलांग, आदित्य-एल1 ने सफलतापूर्वक बदली दूसरी कक्षा

#aditya_l_1_second_earth_bound_manoeuvre_successfully_performed_by_isro

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की ओर से लॉन्च किए गए भारत के पहले सूर्ययान ने पृथ्वी की कक्षा बदलने का दूसरा चरण पूरा कर लिया है। भारत के पहले सौर मिशन ‘आदित्य-L1’ ने आज धरती की ऑर्बिट में दूसरी छलांग लगाई। इसरो ने मंगलवार सुबह जानकारी दी है कि इसका दूसरा मैन्युवर कर दिया गया है और ये यान अभी पूरी तरह से नॉर्मल है। आदित्य एल-1 लगातार अपनी निर्धारित दिशा में सफलतापूर्वक बढ़ते जा रहा है। 

इसरो ने मंगलवार सुबह इस मिशन को लेकर ताजा अपडेट दिया। इसरो ने ट्वीट किया, ‘पृथ्वी से जुड़ा दूसरा मैन्युवर बेंगलुरु स्थित ISTRAC सेंटर से पूरा कर दिया गया है। ISTRAC/ISRO ने मॉरीशस, बेंगलुरु और पोर्ट ब्लेयर में मौजूद अपने ग्राउंड स्टेशन से इसे ट्रैक किया। अब आदित्य एल-1 नए ऑर्बिट में 282 KM*40225 KM की दूरी पर है। इससे पहले रविवार को इसने पहली छलांग लगाई थी। अब इसरो की ओर से 5 दिन बाद आदित्य एल-1 को तीसरे ऑर्बिट में पहुंचाया जाएगा। आदित्य एल-1 आगामी 10 सितंबर को सुबह 2 बजकर 30 मिनट पर तीसरी कक्षा में प्रवेश करने की कोशिश करेगा।

15 लाख किमी की लंबी यात्रा के बाद आएगी मंजिल

आदित्य एल 1 18 सितंबर तक धरती के चारों तरफ चार बार अपनी ऑर्बिट बदलेगा। धरती के चारों तरफ ऑर्बिट इसलिए बदली जा रही है जिससे कि उसे इतनी रफ्तार मिल सके कि वह 15 लाख किमी लंबी यात्रा को पूरा कर सके। इस यात्रा के बाद आदित्य L1 पॉइंट पर पहुंच जाएगा, जो उसकी मंजिल है।

कब पहुंचेगा अपनी मंजिल तक?

जब आदित्य एल1 पृथ्वी के स्पेहर ऑफ इनफ्लूएंस यानी गुरुत्वीय बल के दायरे से बाहर हो जाएगा तब ट्रांस लेगरान्ज 1 इनसर्शन किया जाएगा यानी उसे सूर्य की ओर एल 1 प्वाइंट के लिए मोड़ दिया जाएगा। यहां से 116 दिनों की यात्रा के बाद आदित्य एल 1सेटेलाइट एल 1 पॉइंट पर पहुंच जाएगा। इस तरह कुल 128 दिन की यात्रा के बाद आदित्य एल 1 उपग्रह एल 1 प्वाइंट पर स्थापित हो जाएगा।