वाराणसी का त्रिलोकनाथ शिव मंदिर, बैद्यनाथ धाम से जुड़ा है इसका रहस्यमयी संबंध
वाराणसी : भारत में ऐसे कई प्राचीन और रहस्यमय मंदिर हैं, जो अपनी ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता के कारण श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। ऐसा ही एक दुर्लभ शिव मंदिर मां गंगा के तट पर स्थित है, जिसका गहरा संबंध झारखंड के प्रसिद्ध बैद्यनाथ धाम से है।
इस मंदिर से जुड़ी मान्यताएं, कथा और इतिहास इसे और भी खास बनाते हैं। आइए, जानते हैं इस मंदिर से जुड़े रोचक तथ्य और रहस्य।
कहां स्थित है यह रहस्यमयी शिव मंदिर?
यह अनोखा शिव मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में गंगा नदी के किनारे स्थित है। इसे त्रिलोकनाथ शिव मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर प्राचीन काल से ही साधु-संतों और भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। कहा जाता है कि यह मंदिर सीधे तौर पर देवघर स्थित बैद्यनाथ धाम से जुड़ा हुआ है। दोनों मंदिरों के बीच एक अद्भुत आध्यात्मिक संबंध माना जाता है।
बैद्यनाथ धाम से क्या है संबंध?
मान्यता है कि त्रेता युग में रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की थी। रावण ने शिवलिंग को लंका ले जाने का प्रयास किया था, लेकिन उनके छल के कारण यह शिवलिंग बैद्यनाथ धाम में स्थापित हो गया। उसी काल में भगवान विष्णु ने वाराणसी में त्रिलोकनाथ मंदिर की स्थापना की, ताकि यहां आने वाले श्रद्धालु बैद्यनाथ धाम के पुण्य का अनुभव कर सकें। यह भी कहा जाता है कि जो भक्त किसी कारणवश बैद्यनाथ धाम नहीं जा सकते, वे यहां पूजा करके समान पुण्य प्राप्त करते हैं।
मंदिर की विशेषताएं और अनोखी परंपराएं
गंगा स्नान और शिव पूजा एक साथ: यहां भक्त पहले गंगा में स्नान करते हैं और फिर शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाते हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।
शिवरात्रि पर भव्य मेला :
महाशिवरात्रि के दिन यहां विशाल मेला लगता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु दूर-दूर से आकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं।
अनूठी वास्तुकला :
मंदिर की वास्तुकला प्राचीन भारतीय शिल्पकला का अद्भुत उदाहरण है। यहां के स्तंभों और दीवारों पर की गई नक्काशी ध्यान आकर्षित करती है।
इस मंदिर से जुड़े रहस्य
कहा जाता है कि त्रिलोकनाथ मंदिर का शिवलिंग स्वयंभू है। यह शिवलिंग गंगा नदी के तट पर प्रकट हुआ था। मंदिर के पुजारी और स्थानीय श्रद्धालु बताते हैं कि यहां की शक्ति और ऊर्जा का अनुभव हर भक्त करता है। रात के समय यहां विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, जिसे त्रिलोक आरती कहा जाता है। यह आरती बहुत ही दुर्लभ और प्रभावशाली मानी जाती है।
मां गंगा के तट पर बसे इस त्रिलोकनाथ शिव मंदिर का बैद्यनाथ धाम से गहरा आध्यात्मिक संबंध इसे और भी विशेष बनाता है। यहां आने वाले भक्तों को न केवल शांति और अध्यात्मिक संतोष मिलता है, बल्कि उन्हें बैद्यनाथ धाम के समान पुण्य प्राप्ति का विश्वास भी होता है। अगर आप भी किसी दुर्लभ और पवित्र स्थान की यात्रा करना चाहते हैं, तो वाराणसी स्थित इस मंदिर की यात्रा अवश्य करें। यहां की पावन गंगा और त्रिलोकनाथ शिव के दर्शन आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी करेंगे।
Mar 13 2025, 09:53