कैसे बदलता है सड़क का नाम? तुगलक लेन को विवेकानंद मार्ग करने की चर्चा, BJP नेता ने बदली नेमप्लेट

डेस्क:–दिल्ली की सड़क का नाम बदलने की चर्चा शुरू हो गई है. भाजपा राज्यसभा सांसद डॉ. दिनेश शर्मा और सहकारिता राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर के तुगलक लेन स्थित घर की नेमप्लेट पर स्वामी विवेकानंद लिखा गया है. इसके बाद से चर्चा है कि तुगलक लेन का नाम बदलकर स्वामी विवेकानंद मार्ग किया जा किया जा सकता है. जानिए, कैसे बदला जाता है सड़क का नाम, क्या है पूरी प्रक्रिया.

नजफगढ़ को नाहरगढ़ और मोहम्मदपुर को माधवपुर करने के प्रस्ताव के बाद अब दिल्ली की सड़क का नाम बदनने की चर्चा शुरू हो गई है. चर्चा है तुगलक लेन की. भाजपा राज्यसभा सांसद डॉ. दिनेश शर्मा और सहकारिता राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर के तुगलक लेन स्थित घर की नेमप्लेट पर स्वामी विवेकानंद लिखा गया है. हालांकि, इसके साथ तुगलक लेन भी लिखा है.इसके बाद से चर्चा है कि तुगलक लेन का नाम बदलकर स्वामी विवेकानंद मार्ग किया जा किया जा सकता है.

हालांकि, इसको लेकर अभी तक आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है. इस बीच आइए जान लेते हैं कि किसी भी सड़क का नमा कैसे बदला जाता है, क्या होती है इसकी प्रक्रिया और नियम.

*तो तुगलक लेन बनेगा स्वामी विवेकानंद मार्ग?*

सड़कों का नाम बदलने की प्रक्रिया क्या होती है, इसे दिल्ली के उदाहरण से समझते हैं. किसी भी रोड का नाम बदलने की मांग कोई भी इंसान, संगठन या सरकारी निकाय कर सकता है. इसके लिए प्रस्ताव तैयार करना होगा उसे सम्बंधित नगर पालिका या अथॉरिटी को देना होगा जिसके तहत वो सड़क आती है. दिल्ली में यह प्रस्ताव NDMC या दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग यानी पीडब्ल्यूडी के पास जमा करना होगा.

NDMC के अधिकार क्षेत्र में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCT) के केंद्रीय और महत्वपूर्ण क्षेत्र आते हैं. इसमें संसद, राष्ट्रपति भवन, मंत्रालय और अन्य केंद्रीय सरकारी संस्थानों वाली लुटियंस दिल्ली आती है.

*कैसे आगे बढ़ता है नाम बदलने का प्रस्ताव?*

अगर तुगलक लेन का नाम बदलने का प्रस्ताव NDMC तक पहुंचता है तो पहले काउंसिल में इसकी चर्चा होगी. काउंसिल में 14 सदस्य होते हैं. 13 मेम्बर और 1 चेयरपर्सन. अगर सहमति बनती है तो प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाता है. हालांकि, नाम बदलेगा या नहीं, यह इस बात पर भी निर्भर होता है कि इसका ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व कितना है. इस आधार पर काउंसिल मुहर लगाती है.

सम्बंधित नगरपालिका या प्राधिकरण से प्रस्ताव पास होने के बाद इसे दिल्ली सरकार के शहरी विकास विभाग को भेजा जाएगा. इस विभाग की रोड नेमिंग अथॉरिटी नाम बदलने की मंजूरी पर फैसला लेगी. इसके बाद प्रस्ताव को केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा. मंजूरी के बाद आदेश जारी होता है. इसे पोस्टमास्टर जनरल दिल्ली को भेजा जाएगा. इस तरह डाक सेवाओं में इस बदले हुए नाम को अपडेट किया जाएगा. फिर आधिकारिक गजट नोटिफिकेशन प्रकाशित करके हमेशा के लिए इसका नाम बदल जाएगा. इस तरह पर इस पर कानूनी रूप से मुहर लग जाती है.

*किसके पास कौन सी जिम्मेदारी?*

नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (NDMC) के अधिकार क्षेत्र में नई दिल्ली के केंद्रीय क्षेत्र हैं. इसमें लुटियंस जोन भी आता है. दिल्ली नगर निगम (MCD) के पास दिल्ली के अधिकांश हिस्से हैं. वहीं, दिल्ली छावनी परिषद के पास कैंट एरिया है.

*क्या बोले BJP सांसद डॉ. दिनेश शर्मा?*

इस पूरे मामले में भाजपा राज्यसभा सांसद डॉ. दिनेश शर्मा का कहना है, गूगल पर इस सड़क का नाम स्वामी विवेकानंद मार्ग के रूप में दर्ज है. उनका कहना है, जब कर्मचारियों ने मुझसे पूछा कि नेमप्लेट पर सड़क का नाम क्या लिखना है तो मैंने कहा आसपास जो नाम लिखा है वो लिख दो. आसपास के वरिष्ठ लोगों की नेमप्लेट में स्वामी विवेकानंद मार्ग और तुगलक लेन दोनों ही लिखा था. इसलिए नेमप्लेट में वही लिखा गया है.

न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिए बयान में उन्होंने कहा, किसी भी सड़क का नाम बदलने का अधिकार सांसद के पास नहीं होता, यह मैं जानता हूं. 11 सालों तक मैं खुद महापौर रहा हूं.

कौन थी वह औरंगजेब की हिंदू पत्नी जो सती होना चाहती थी?क्रूर मुगल बादशाह ने कितनी शादियां की आईए जानते हैं

डेस्क:–मुगलों के सबसे कट्टर और क्रूर बादशाह औरंगजेब की पत्नियों के किस्से भी दिलचस्प हैं. औरंगजेब की एक हिन्दू बेगम ऐसी थी जो सती होना चाहती थी. औरंगजेब के जीवन में एक ऐसी महिला भी आई जिसकी खूबसूरती देखते ही वो बेहोश हो गया. अब सवाल यह भी है क्या औरंगजेब की बेगम भी उसकी तरह क्रूर थीं.

भारतीय इतिहास का सबसे विवादित मुगल बादशाह औरंगजेब एक बार फिर विवादों में है. इस बार कुछ राजनीतिज्ञ अपनी-अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए औरंगजेब के नाम का इस्तेमाल कर रहे हैं. इससे पहले फिल्म छावा के चलते औरंगजेब लगातार सुर्खियां बटोरता रहा है. आइए जान लेते हैं कि कट्टर सुन्नी माने जाने वाले औरंगजेब की कितनी पत्नियां थीं और उनकी क्या भूमिका थी?

*अत्याचारी बादशाह के रूप में पहचान*

कुछ इतिहासकार मानते हैं कि औरंगजेब इस्लामिक कानून में पूरे देश को ढालकर सब लोगों को मुसलमान बनाना चाहता था. वहीं कुछ का मानना है कि वह एक महत्वाकांक्षी बादशाह था. उसने जो कुछ किया, वह केवल सत्ता के लिए था. यहां तक कि अपने पिता को कैद कर लिया. सिंहासन के लिए भाइयों का कत्ल करवा दिया. हालांकि, इतिहासकार इस बात से भी इनकार नहीं करते कि औरंगजेब के शासनकाल में हिन्दुओं पर अत्याचार बढ़ा था. तीर्थयात्रा पर जाने वाले हिन्दुओं पर जजिया कर, मंदिरों का विध्वंस, सिख गुरुओं की हत्या, छत्रपति संभाजी की हत्या जैसी उसके अत्याचार की तमाम कहानियां प्रचलित हैं.

*औरंगजेब की पत्नियों के नाम*

इतिहासकारों की मानें तो औरंगजेब की तीन पत्नियां थीं. उनके नाम नवाब बाई, दिलरास बानो बेगम और औरंगाबादी महल बताए जाते हैं. दिलरास बानो बेगम को औरंगजेब की मुख्य पत्नी बताया जाता है. इनके अलावा इतिहास की किताबें इस बात का भी जिक्र करती हैं कि औरंगजेब की पत्नियों में दो हिन्दू थीं. इनमें एक थीं नवाब बाई और दूसरी उदैपुरी.औरंगजेब और हीराबाई उर्फ जैनाबादी की मुलाकात मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में हुई थी, जिसे दिलरास बेगम के नाम से जाना गया.

*बादशाह संग सती होना चाहती थीं उदैपुरी*

बताया जाता है कि औरंगजेब चाहे जितना क्रूर था, उदैपुरी उसे बेहद प्यार करती थीं. इस हद तक वह औरंगजेब से मोहब्बत करती थीं कि उसके साथ सती होने तक की बात करती थीं. औरंगजेब ने स्वयं अपने बेटे को लिखी एक चिट्ठी में अपनी इस हिंदू पत्नी की इच्छा का खुलासा किया था. हालांकि औरंगजेब की मौत के बाद उदैयपुरी सती तो नहीं हो पाई थीं पर उसी साल कुछ ही महीने बाद उदैपुरी का भी निधन हो गया था.

बिलीमोरिया के रुक्काते आलमगीरी का अंग्रेजी अनुवाद किया गया है, जिसे लेटर्स ऑफ औरंगजेब के नाम से जाना जाता है. इसमें औरंगजेब के इस पत्र का भी जिक्र है. इतिहासकार मानते हैं कि साल 1667 में उदैपुरी ने एक बेटे को जन्म दिया था, जिसे कामबख्श के नाम से जाना जाता है. औरंगजेब 50 साल का हो गया था, तब उदैपुरी जवान थीं. इसीलिए उसके प्रेम और खूबसूरती के चलते औरंगजेब कई बार कामबख्श की गलतियों को भी माफ कर देता था. कामबख्श शराबी था और शासन के कामों में उसका मन नहीं लगता था. इससे वह कई ऐसी भूल करता था, जो औरंगजेब की नाराजगी का कारण बनती थीं पर मां उदैपुरी के कारण हर बार कामबख्श बच जाता था.

*पत्नियों के हिन्दू होने पर विवाद*

औरंगजेब की दो पत्नियों के हिन्दू होने का मसला निर्विवाद नहीं है. कामबख्श की मां उदैपुरी को कुछ लोग तब ईसाई मानते थे. कुछ लोग उसे औरंगजेब की दासी भी बताते हैं. बताया जाता है कि वह जॉर्जिया की निवासी थी जिसको दारा ने खरीदा था. दारा की हत्या के बाद औरंगजेब ने उदैपुरी को अपने पास रख लिया था. हालांकि, इतिहासकार यदुनाथ सरकार ने अपनी किताब हिस्ट्री ऑफ औरंगजेब में लिखा है कि उदैपुरी न केवल औरंगजेब की पत्नी थी, बल्कि वह एक राजपूत महिला थीं.

*औरंगजेब की एक प्रेम कहानी ऐसी भी*

औरंगजेब की एक प्रेम कहानी ऐसी भी है, जिसमें वह एक दासी को देखते ही बेहोश हो गया था. औरंगजेब को दक्कन का गवर्नर बनाया गया था. इसके लिए वह औरंगाबाद जा रहा था. रास्ते में उसकी मौसी सुहेला बानो का घर बुरहानपुर में पड़ता था. उसके मौसा मीर खलील खान-ए-जमान थे. उनसे मिलने के लिए औरंगजेब बुरहानपुर में रुक गया था. वहीं पर औरंगजेब ने अपनी मौसी की एक दासी को देखा तो देखता ही रह गया और बेहोश हो गया.

उस दासी का नाम हीराबाई उर्फ जैनाबादी बताया जाता है. कहा जाता है कि हीराबाई को औरंगजेब ने अपनी मौसी की मिन्नत कर हासिल कर लिया था. वहीं, कुछ लोग कहते हैं कि औरंगजेब ने अपने हरम से चित्राबाई को देकर हीराबाई को लिया था. हीरा बाई की मौत का साल 1654 बताया जाता है और संभावना जताई जाती है कि उसे ही नवाब बाई कहा जाता था.

*तानाशाही का नहीं मिलता कहीं उल्लेख*

जहां तक मुगल काल में बेगमों के सत्ता-शासन में हस्तक्षेप की बात है तो जहांगीर के शासनकाल में नूरजहां और शाहजहां के शासनकाल में मुमताज महल का काफी दखल था. अब बादशाह की पत्नी होने पर जाहिर है कि कम से कम महल के भीतर तो औरंगजेब की बेगमों का भी दखल रहा ही होगा पर इनकी तानाशाही को लेकर किसी तरह का कोई जिक्र नहीं मिलता है. इसी कारण तो उदैपुरी अपने बेटे कामबख्श की गलतियों को क्रूर माने जाने वाले औरंगजेब से बख्शवा लेती थी.




आईए जानते हैं किसान का बेटा अंतरिक्ष पर जाने वाला दुनिया का पहला इंसान कैसे बना?

डेस्क:–अंतरिक्ष जाने वाले दुनिया के पहले इंसान यूरी गागरिन के पिता एक डेयरी किसान के रूप में काम करते थे. वह स्कूल में पहले साल पढ़ने गए तो दूसरा विश्व युद्ध शुरू हो गया और जर्मन सैनिकों ने उनके स्कूल को जला दिया था. गांव पर जर्मन सैनिकों ने कब्जा कर लिया. इससे यूरी और उनके परिवार को खूब यातना सहनी पड़ी.

आज भले ही अंतरिक्ष पर्यटन तक का सपना साकार हो रहा है पर हमेशा से ऐसा नहीं था. कठोर प्रशिक्षण, परीक्षा के अलावा भाग्य साथ दे तो ही अंतरिक्ष की उड़ान भरी जा सकती थी. ऐसे में भला पहले अंतरिक्ष यात्री की उड़ान कितनी कठिन रही होगी, वह भी तब जब एक डेयरी किसान के घर जन्म लेकर यूरी गागरिन इस मुकाम तक पहुंचे थे. नौ मार्च को रूस में जन्मा किसान का यह बेटा अंतरिक्ष जाने वाला दुनिया का पहला इंसान कैसे बना, आइए जान लेते हैं.

यूरी गागरिन के अंतरिक्ष यात्री बनने की कहानी उनके संघर्ष और जुनून को बयां करती है. 9 मार्च 1934 को तत्कालीन सोवियत संघ (यूएसएसआर) में यूरी एलेक्सेयेविच गागरिन का जन्म हुआ था. स्मोलेनेस्क ओब्लास्ट के क्लूशिनो गांव निवासी अपने माता-पिता की चार संतानों में वह तीसरे थे. उनके पिता एक डेयरी किसान के रूप में काम करते थे. वह स्कूल में पहले साल पढ़ने गए तो दूसरा विश्व युद्ध शुरू हो गया और जर्मन सैनिकों ने उनके स्कूल को जला दिया था. गांव पर जर्मन सैनिकों ने कब्जा कर लिया. इससे यूरी और उनके परिवार को खूब यातना सहनी पड़ी. बताया जाता है कि जब उनका गांव फिर से रूस के अधिकार में आया तब उनको काफी समय अस्पताल में रहना पड़ा.

यह साल 1946 की बात है, यूरी का परिवार ग्जात्स्क चला गया, जहां उनकी आगे की पढ़ाई हुई. स्कूल में यूरी को गणित और विज्ञान पढ़ाने वाले शिक्षक विमान के पायलट रह चुके थे. उनके चलते यूरी की रुचि हवाई जहाजों में जगने लगी. उसी बीच उनके गांव में एक फाइटर प्लेन क्रैश हो गया, तो उनकी उत्सुकता और भी बढ़ गई. इसी रुचि के चलते यूरी अपने स्कूल के समूह में शामिल किए गए, जिसने हवाई जहाज के मॉडल बनाए थे.

*इस तरह से यूरी बने पायलट*

यूरी केवल 16 साल के थे, तभी उनको मॉस्को के पास स्थित ल्यूबर्तस्ते के स्टील प्लांट में फाउंड्रीमैन के रूप में अप्रेन्टिस मिल गई. इसके साथ ही उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई भी जारी रखी. इसी दौरान उन्होंने सोवियत एयर कैडेट के रूप में एक स्थानीय फ्लाइंग क्लब से प्रशिक्षण भी लिया. इस प्रशिक्षण के दौरान यूरी ने बाइपोलर और योकवलोव याव-18 को उड़ाना सीख लिया था. साल 1955 में यूरी गागरिन ने ओरेनबर्ग स्थित चेकालोवस्की हायर एयरफोर्स पायलट स्कूल में दाखिला ले लिया. इसके अगले ही साल मिग-15 उड़ाने के लिए प्रशिक्षण में शामिल हुए. इस दौरान उनको दो बार नाकाम होने पर प्रशिक्षण से बाहर भी होने का डर सताने लगा. हालांकि उन्होंने हार नहीं मानी और प्रशिक्षकों की मदद से अंतत: उन्हें सफलता मिल ही गई और 1957 में उन्होंने अकेले विमान में उड़ान भरना शुरू कर दिया.

*अंतरिक्ष प्रोग्राम के लिए चुने गए*

मिग-15 की सफल उड़ान के बाद साल 1957 में ही यूरी को सोवियत संघ की एयरफोर्स में लेफ्टिनेंट का पद मिल गया. उन्होंने 166 घंटे, 47 मिनट तक उड़ान का अनुभव भी हासिल कर लिया. इसके बाद उनको नार्वे की सीमा के पास तैनाती मिली. इसके दो साल बाद ही रूस के लूना-3 की उड़ान को सफलता मिली तो यूपी की रुचि अंतरिक्ष अन्वेषण कार्यक्रमों में जगने लगी. यह देखकर उनको सोवियत स्पेस प्रोग्राम के लिए चुन लिया गया. साल 1959 में गागरिन को सीनियर लेफ्टिनेंट बना दिया गया. चिकित्सा और अन्य कठिन परीक्षणों के बाद उनको वास्तोक प्रोग्राम के लिए चुना गया. इसके लिए यूरी उम्र, वजन और ऊंचाई जैसे कई मानदंडों पर एकदम खरे उतरे थे. उनके समेत कुल 29 पायलट चुने गए थे, जबकि कुल 154 पायलट इसकी दौड़ में शामिल थे. फिर शीर्ष 20 पायलटों का चुनाव हुए, जिनमें यूपी गागरिन भी शामिल थे. इन सभी पायलटों को एक ओलंपिक खिलाड़ी की तरह कठोर प्रशिक्षण दिया गया.

*साल 1961 में भरी थी सफलता की ऊंची उड़ान*


सभी प्रशिक्षण और अन्य औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद 12 अप्रैल 1961 को यूपी गागरिन ने अंतरिक्ष की उड़ान भरी और ऐसा करने वाले दुनिया के पहले इंसान बन गए. उन्होंने कजाख्स्तान के बैकोनूर कॉस्मोड्रोम से वास्तोक-1 अंतरिक्ष यान के जरिए सफलता की ऊंची उड़ान भरी थी. पहले पांच चरण के इंजनों ने उनके यान को दूसरे चरण में पहुंचाया था. फिर कोर इंजन ने यूरी के यान को उपकक्षीय प्रक्षेपण पथ पर पहुंचा दिया. इसके बाद के अगले उच्च चरण में यान अपनी कक्षा में पहुंच गया और 108 मिनट तक अंतरिक्ष में रह कर चक्कर काटने के बाद वापस आ गया. इस तरह से यूरी गागरिन अंतरिक्ष से पृथ्वी का चक्कर लगाने वाले पहले इंसान बन गए.

इस सेटिंग्‍स को कर लो ऑन और Instagram पर हमेशा अपलोड होंगी HD फोटो-वीडियो

डेस्क:–Instagram का जमाना है! आधी दुनिया इसी में बिजी है। या तो रील्‍स बनाई जा रही हैं या देखी जा रही हैं। बस में, ट्रेन में, मेट्रो में, रोड पर, दुकान के बाहर, गाड़ी चलाते टाइम भी लोग रील्‍स देखने से नहीं चूक रहे। रील्‍स बनाने वाले भी कम नहीं, जहां मौका मिला, कैमरा ऑन करके शुरू हो जाते हैं। जो खाते हैं उसकी रील बनाते हैं, जहां घूमने जाते हैं उसकी रील बनाते हैं। बच्‍चों से लेकर बड़े सभी रील्‍स में फुदकते दिखाई देते हैं। लेकिन सुई अटक जाती है जब अपलोड करनी होती हैं रील्‍स। कई लोग फुल एचडी वीडियो में शूट करते हैं, लेकिन अपलोडिंग के बाद रील्‍स में वो क्‍वॉल‍िटी नहीं आती, जैसी चाहिए। लोगों के फोटो-वीडियो, HD में अपलोड नहीं होते। ऐसा इसलिए क्योंकि Instagram आपकी फोटो और वीडियो के साइज को कम कर देता है। यह तब ठीक है, जब आपको तेजी से चीजें अपलोड करनी हैं या डेटा बचाना है, लेकिन अगर आपके फोन में धड़ल्‍ले से और ढेर सारा इंटरनेट है तो फ‍िर आपको हमेशा HD में फोटो-वीडियो इंस्टाग्राम पर अपलोड करने चाहिए। इसके लिए आपको इंस्टग्राम ऐप की सेटिंग्‍स में कुछ बदलाव करना होगा। हम सिंपल स्‍टेप्‍स में आपको यह समझा रहे हैं।

*Instagram में कैसे अपलोड करें HD फोटो-वीडियो*

सबसे पहले अपने फोन में इंस्टाग्राम ऐप ओपन करें।

इसके बाद प्रोफाइल आइकन पर टैप करें।

इसके बाद थ्री लाइन ऑप्शन पर टैप करें।

जब आप नीचे की तरफ स्क्रॉल करेंगे, तो वहां Data uses and Media Quality दिखेगा,

वहां टैप करने पर आपको तीन ऑप्शन नजर आएंगे।

अगर आप चाहते हैं कि हमेशा Highest Quality में
फोटो और वीडियो अपलोड हों, तो Highest Quality के पास दिखने वाले मोटे से डॉट पर क्लिक करके उसे ऑन कर दें। फ‍िर आपके इंस्टाग्राम पर हमेशा हाई क्वॉलिटी फोटो और वीडियो अपलोड होंगी।

*Instagram पर HD फोटो-वीडियो अपलोड करते वक्‍त इन बातों का रखें ख्‍याल*


अपने कैमरे या फोन में हाई क्वॉलिटी रेजोल्यूशन में फोटो और वीडियो को रिकॉर्ड करना चाहिए। जितने ज्यादा पिक्सल होंगे, फोटो और वीडियो उतनी है अच्छी होगी। कम से कम 1080 पिक्सल रेजॉल्यूशन पर वीडियो होनी चाहिए। 1080p यानी फुलHD अच्छा है। हालांकि 4K को ज्यादा अच्छा माना जाता है। हमेशा वीडियो को 30fps या 60fps पर रिकॉर्ड करना चाहिए।

स्क्वॉयर फोटो के लिए 1080x1080 पिक्सल को अच्छा माना जाता है, जबकि पोर्टेट के लिए 1080 पिक्सल और 1350 पिक्सल अच्छा होता है। स्टोरीज का रेश्यो 9:16 होना चाहिए। इसके लिए 1080x1920 पिक्सल रेजॉल्यूशन अच्छा होता है।

फोटो के लिए JPEG का उपयोग करें। वीडियो के लिए MP4 प्रचलित फॉर्मेट है।

वीडियो क्वॉलिटी में बिटरेट अहम होता है। हाई बिटरेट का मतलब है कि वीडियो प्रति सेकंड ज्यादा डेटा का उपयोग करता है। हमेशा 1080p वीडियो के लिए कम से कम 5-10 Mbps बिटरेट टारगेट रखें।

फोटो और वीडियो को इंस्टाग्राम पर अपलोड करने के लिए अच्छी स्पीड वाला इंटरनेट होना चाहिए। अपने फोटो और वीडियो सीधे अपने फोन या कंप्यूटर के कैमरा रोल या फाइल सिस्टम से अपलोड करें।
महिलाओं के साथ अपराध करने वालों के खिलाफ होनी चाह‍िए सख्त कार्रवाई : अमृता फडणवीस

डेस्क:–महाराष्ट्र में अपराधों, खासकर महिलाओं के खिलाफ बढ़ती घटनाओं को लेकर विपक्ष लगातार महायुति सरकार पर निशाना साध रहा है। विपक्ष सरकार से जवाब मांग रहा है और कानून-व्यवस्था पर सवाल उठा रहा है।

हाल ही में पुणे में एक बस में महिला के साथ बलात्कार की घटना सामने आई, जिसने प्रदेश की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस घटना के बाद महाराष्ट्र सरकार के एक मंत्री के विवादास्पद बयान ने विवाद को और बढ़ा दिया।

इस बयान के बाद विपक्ष ने सरकार पर हमले तेज कर दिए हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार अपराध रोकने में विफल हो रही है और महिलाओं की सुरक्षा पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रही।

हालांकि, महायुति सरकार का दावा है कि कानून-व्यवस्था को मजबूत किया जा रहा है और दोषियों को सख्त सजा देने के लिए कड़ी कार्रवाई की जाएगी। फिर भी, विपक्ष सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहा है।

बता दे कि महिलाओं के साथ होने वाले अपराध को लेकर जब सीएम देवेंद्र फडणवीस की पत्नी अमृता फडणवीस से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि ऐसे अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

दरअसल, 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सीएम देवेंद्र फडणवीस की पत्नी अमृता फडणवीस एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए नागपुर पहुंची थीं। उन्होंने कहा कि आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है और मैं इस अवसर पर सभी महिलाओं और पुरुषों को हार्दिक शुभकामनाएं देती हूं। आज मैं नागपुर नगर निगम द्वारा आयोजित महिला उद्योग मिलन में शामिल होने आई हूं। मेरा मानना है कि यह एक बेहतरीन मंच है, जहां घरेलू उत्पाद बनाने वाली महिलाएं अपने काम को प्रदर्शित कर सकती हैं।

बता दें कि देशभर में 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को लेकर भव्य कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। देशभर में आयोजित इन कार्यक्रमों में अच्छा कार्य करने वाली महिलाओं को सम्मानित किया है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को लेकर महिलाओं का मानना है कि महिलाओं के सम्मान में इस दिन देशभर में कार्यक्रम होते हैं। लेकिन, सम्मान देने के लिए कोई एक दिन नहीं होना चाहिए। आप साल के 365 दिन महिलाओं का सम्मान करे। इससे महिलाओं को भी आगे बढ़ने में मदद मिलेगी और पुरुष के कंधे से कंधा मिलाकर वह भी समाज में चल सकेंगी।
वक्फ बिल को लेकर गरमाई सियासत, 13 मार्च से आंदोलन की चेतावनी

डेस्क:–बजट सत्र के दूसरे चरण की शुरुआत 10 मार्च से होने जा रही है, और इसी के साथ वक्फ बिल को लेकर राजनीति गरमा गई है। कई मुस्लिम संगठनों ने इस बिल का विरोध जताया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी ने शनिवार को ऐलान किया कि 13 मार्च से दिल्ली के जंतर-मंतर पर बड़े आंदोलन की शुरुआत की जाएगी।

अरशद मदनी ने कहा कि वक्फ पूरी तरह से धार्मिक मामला है और इसमें सियासी पार्टियों को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ पार्टियां वक्फ बिल में संशोधन कर इसे लागू करने की तैयारी कर रही हैं, जिसका वे कड़ा विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "ऐसा लगता है कि कुछ राजनीतिक दल इस्लाम के खिलाफ हैं और मुस्लिमों को इस देश में दबाने की कोशिश कर रहे हैं।"

अरशद मदनी ने 1991 के वर्शिप एक्ट का जिक्र करते हुए कहा कि 1947 के बाद धार्मिक स्थलों की स्थिति नहीं बदली जानी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि मुस्लिम विरोधी पार्टियां इस कानून का पालन नहीं कर रही हैं। उन्होंने खासतौर पर वाराणसी की मस्जिद और अन्य धार्मिक स्थलों का उल्लेख किया और कहा कि इन्हें इस कानून के दायरे में रखा जाना चाहिए। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड दिल्ली में 13 मार्च से बड़े आंदोलन की तैयारी कर रही है।

अरशद मदनी ने कहा कि 10 मार्च से शुरू हो रहे संसद सत्र में वक्फ बिल पेश किया जा सकता है, जिसके खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने 13 मार्च से दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की है। उन्होंने मुसलमानों और अन्य समुदायों से इस आंदोलन में बड़ी संख्या में शामिल होने की अपील की है।
राहुल गांधी के  बयान पर सुधांशु त्रिवेदी  टिप्पणी,कांग्रेस की दुर्गति और राहुल गांधी की बिगड़ती मानसिक स्थिति का संकेत बताया

डेस्क:–भाजपा के राज्यसभा सांसद और राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने शनिवार को भाजपा के केंद्रीय कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के हालिया बयान पर तल्ख टिप्पणी की। उन्होंने राहुल गांधी द्वारा अपनी ही पार्टी के गुजरात नेताओं पर संदेह जताने को लेकर सवाल उठाते हुए इसे कांग्रेस की दुर्गति और राहुल गांधी की बिगड़ती मानसिक स्थिति का संकेत बताया।

सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, "राहुल गांधी के बयान ने एक बार फिर से उनकी मानसिक स्थिति और कांग्रेस की स्थिति को उजागर किया है। राहुल गांधी ने अपनी पार्टी के नेताओं के बारे में जो आरोप लगाए हैं, वह केवल कांग्रेस के आंतरिक संघर्ष को दिखाते हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्होंने अपनी ही पार्टी के नेताओं को सार्वजनिक रूप से अपमानित किया। भाजपा राहुल गांधी से पूछना चाहती है कि वे खुद किस-किस से मिले हैं, खासकर जब वे विदेश यात्रा पर जाते हैं। राहुल गांधी का कांग्रेस में दो तरह के लोगों की बात करना, यह दिखाता है कि वह अपनी पार्टी के भीतर असमंजस और अव्यवस्था का सामना कर रहे हैं। यह एक विचित्र स्थिति है जब राहुल जैसा पार्टी का बड़ा नेता अपने ही नेताओं पर संदेह करता है। क्या यह कांग्रेस के भीतर व्याप्त अराजकता का संकेत नहीं है?"

त्रिवेदी ने कर्नाटक सरकार द्वारा पेश बजट पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि कर्नाटक कांग्रेस का बजट मुस्लिम लीग के प्रभाव में तैयार किया गया है। कर्नाटक में मुस्लिम समुदाय के लिए विशेष प्रावधानों की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा, "कर्नाटक सरकार ने बजट में केवल मुस्लिम समाज के बच्चों के लिए स्कॉलरशिप, उर्दू स्कूलों के लिए बजट और वक्फ बोर्ड के लिए पैसे आवंटित किए हैं, लेकिन क्या अन्य अल्पसंख्यक समुदायों जैसे सिखों, जैन‍ियों, पारसियों और यहूदियों के लिए कोई योजना है?"

उन्होंने आगे कहा, "यह साफ है कि कर्नाटक के बजट में मुस्लिम लीग के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए केवल मुस्लिम समाज के लिए योजनाएं बनाई गई हैं, जबकि बाकी अल्पसंख्यकों को नजरअंदाज किया गया है। क्या यह केरल में होने वाले आगामी चुनाव को ध्यान में रखते हुए किया गया?"

राहुल गांधी की विदेश यात्राओं पर सवाल उठाए और उन्होंने पूछा कि वह विदेशों में किस-किस से मिलते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस को अपने नेताओं के संपर्कों को लेकर जवाबदेह होना चाहिए। त्रिवेदी ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी के कार्यकाल में गुजरात कांग्रेस की स्थिति खराब हुई है और अब ये दोनों नेता अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर संदेह जता रहे हैं।

कांग्रेस के नेताओं, खासकर राहुल गांधी को निशाने पर लेते हुए त्रिवेदी ने कहा कि गांधी परिवार सरदार पटेल और महात्मा गांधी के आदर्शों से दूर होकर अब जिन्ना की विचारधारा की ओर झुकाव दिखा रहा है। उन्होंने कहा, "राहुल गांधी ने गुजरात में सरदार पटेल और महात्मा गांधी का नाम लिया, लेकिन वह भूल गए कि कांग्रेस के एक अन्य नेता मोहम्मद अली जिन्ना भी गुजरात से थे। आज कांग्रेस सरदार पटेल और गांधी के आदर्शों से दूर हो रही है और जिन्ना की विचारधारा की ओर बढ़ रही है।"

उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह वही पार्टी है जिसके पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मुस्लिमों के पक्ष में बयान दिए थे और कर्नाटक के बजट में भी एक ही समुदाय को प्राथमिकता दी गई है। उन्होंने कहा, "यह कांग्रेस की मानसिकता को स्पष्ट करता है कि वे केवल एक समुदाय को तवज्जो दे रहे हैं और बाकी को नजरअंदाज कर रहे हैं।"
International Women’s Day 2025:महिलाओं को अधिक सुरक्षित और आत्मनिर्भर महसूस करने में मदद कर सकते हैं ये गैजेट्स और ऐप्स

डेस्क:–आज के डिजिटल दौर में, महिलाओं की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए कई स्मार्ट गैजेट्स और ऐप्स उपलब्ध हैं. ये तकनीकी समाधान न केवल आत्मनिर्भरता बढ़ाते हैं, बल्कि मानसिक शांति और सुरक्षा भी प्रदान करते हैं. महिला दिवस के अवसर पर, आइए उन बेहतरीन उपकरणों और ऐप्स पर नज़र डालें, जो महिलाओं को अधिक सुरक्षित और आत्मनिर्भर महसूस करने में मदद कर सकते हैं।

*Laiqa: महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए AI पावर्ड ऐप*

आयुर्वेद और आधुनिक तकनीक का मेल

पीसीओएस, थायराइड और हार्मोनल असंतुलन के लिए व्यक्तिगत हेल्थ प्लान

मेंस्ट्रुअल साइकिल के अनुसार डाइट और एक्सरसाइज की सलाह

एक्सपर्ट कंसल्टेशन सुविधा

महिलाओं की हार्मोनल हेल्थ के लिए बेहद उपयोगी.

*Flo Health: पीरियड और ओव्यूलेशन ट्रैकर*

AI-बेस्ड हेल्थ कंसल्टेशन और प्रेग्नेंसी सपोर्ट

प्रोफेशनल हेल्थ रिकमेंडेशन और डेटा सिक्योरिटी

पीरियड और हार्मोनल पैटर्न मॉनिटरिंग के लिए परफेक्ट
अगर आप अपने मासिक चक्र को समझना चाहती हैं, तो यह बेस्ट ऐप है.

*Safetipin: महिलाओं की सुरक्षा के लिए स्मार्ट ऐप*

रियल-टाइम में सार्वजनिक स्थानों की सुरक्षा जानकारी

रोशनी, भीड़ और अन्य कारकों के आधार पर सबसे सुरक्षित रूट का सुझाव

सरकार और कानून प्रवर्तन एजेंसियों से सहयोग

नई जगहों पर जाने के लिए और रात में यात्रा के दौरान सुरक्षित रहने के लिए अनिवार्य ऐप.

*Eyewatch SOS: इमरजेंसी अलर्ट ऐप*

सिर्फ एक टैप में भरोसेमंद संपर्कों को अलर्ट भेजता है

रियल-टाइम लोकेशन, ऑडियो और वीडियो शेयरिंग

इंटरनेट न होने पर भी काम करता है

महिलाओं के लिए इमरजेंसी में बेहद जरूरी ऐप.

*Sound Grenade E-Alarm: पर्सनल सेफ्टी डिवाइस*


120dB का तेज़ अलार्म, जो 100 मीटर दूर तक सुनाई देता है

हल्का, पोर्टेबल, और चाबी के गुच्छे या बैग से जोड़ा जा सकता है

पेपर स्प्रे की तुलना में सुरक्षित दूरी से सुरक्षा प्रदान करता है

अचानक खतरों से बचाव के लिए उपयोगी गैजेट.

*GABIT Smart Ring: सुरक्षा और सेहत का कॉम्बिनेशन*

SOS अलर्ट और लाइव लोकेशन शेयरिंग

हार्ट रेट, ऑक्सीजन लेवल, स्ट्रेस और नींद मॉनिटरिंग

टाइटेनियम से बनी, हल्की और वॉटरप्रूफ

स्टाइल और टेक्नोलॉजी का परफेक्ट मिश्रण.

*पर्सनल GPS ट्रैकर: अकेले यात्रा करने वाली महिलाओं के लिए जरूरी डिवाइस*

रियल-टाइम लोकेशन अपडेट

SOS बटन और फॉल डिटेक्शन फीचर

कलाई पर पहनने, चाबी के गुच्छे या बैग में लगाने योग्य

परिवार और दोस्तों को अपनी लाइव लोकेशन भेजने का आसान तरीका.

*एंटी-स्पाइवेयर और मैलवेयर रिमूवल ऐप्स*

एंटी-स्पाइवेयर और मैलवेयर रिमूवल ऐप्स साइबर हमलों, डेटा चोरी और ऑनलाइन उत्पीड़न से सुरक्षा प्रदान करते हैं. ये ऐप्स रियल-टाइम डिवाइस स्कैनिंग और ब्राउज़र सुरक्षा जैसी महत्वपूर्ण सुविधाएं प्रदान करते हैं, जिससे यूज़र्स को अपने डेटा को सुरक्षित रखने में मदद मिलती है.

Bitdefender, Avast, McAfee, और Norton 360 जैसे टॉप ऐप्स महिलाओं के डिजिटल डेटा और गोपनीयता की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी हैं.
तमिल स्टार विजय की इफ्तार पार्टी का वीडियो हुआ वायरल

डेस्क:–तमिल सुपरस्टार विजय अपनी दमदार एक्टिंग के लिए जाने जाते हैं। फैंस उनकी फिल्मों का बेसब्री से इंतजार करते हैं। राजनीति में आने के बाद से उनका मिजाज और भी ज्यादा प्रशंसकों में मशहूर हो रहा है। रमजान चल रहा है और अभिनेता का एक वीडियो सोशल मीडिया पर देखने को मिल रहा है, जहां एक्टर इफ्तार पार्टी में शामिल हुए। बताया जा रहा है कि अभिनेता ने शुक्रवार को चेन्नई में रमजान के पवित्र महीने के दौरान इफ्तार पार्टी का आयोजन किया।

अभिनेता से नेता बने विजय ने उपस्थित लोगों के साथ शाम की नमाज में भाग लिया।

सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें विजय कुछ लोगों के साथ बैठे नजर आ रहे हैं। वीडियो में विजय को सफेद कपड़े पहने देखा जा सकता है।

इफ्तार का आयोजन उनकी पार्टी द्वारा चेन्नई के रोयापेट्टा स्थित वाईएमसीए मैदान में किया गया था।

अभिनेता के कई प्रशंसक पेज पर उनकी तस्वीर पोस्ट की, जिसमें उन्हें आमंत्रित लोगों के साथ दुआ करते हुए देखा गया।

तस्वीरों और वीडियो में, इफ्तार में शामिल हुए प्रशंसक कार्यक्रम स्थल में प्रवेश करते समय अभिनेता के साथ तस्वीरें क्लिक करते देखे गए। प्रशंसकों ने एक्स और इंस्टाग्राम पर विभिन्न तस्वीरें और वीडियो पोस्ट किए। विजय के इस वीडियो पर जहां फैंस उनकी तारीफ कर रहे हैं, तो कुछ उन्हें ट्रोल भी कर रहे हैं।

इससे पहले 22 अगस्त 2024 को चेन्नई स्थित मुख्यालय में उन्होंने टीवीके के नाम से पार्टी के झंडे और प्रतीक का अनावरण किया। पार्टी की स्थापना के बाद से विजय के राजनीतिक बयानों ने ध्यान आकर्षित किया है, जिसने कुछ मुद्दों पर कथित विरोधाभासों के कारण उनके समर्थकों और राजनीतिक विश्लेषकों के बीच बहस छेड़ दी है।

पार्टी के शुभारंभ के दौरान, विजय ने टीवीके को "भ्रष्टाचार" और "विभाजन" के खिलाफ खड़ा किया और 2026 के विधानसभा चुनावों में अपनी भागीदारी की घोषणा की।

हालांकि, उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनावों में किसी भी पार्टी का समर्थन करने से परहेज किया।

विजय की राजनीतिक साख तब से बढ़ रही है जब से उनके फैन क्लब, ऑल इंडिया थलपति विजय मक्कल इयक्कम ने 2021 के तमिलनाडु स्थानीय निकाय चुनावों में 169 सीटों में से 115 सीटें जीतीं।

NOTHING Phone 3a और Phone 3a Pro लॉन्च, जानिए फीचर और कीमत

डेस्क:–स्मार्टफोन कंपनी निर्माता NOTHING ने बार्सिलोना में MWC 2025 आयोजन में दो नए स्मार्टफोन लॉन्च कर दिए है। NOTHING ने Phone 3a और Phone 3a Pro को लॉन्च किया है। इन स्मार्टफोन में ट्रिपल रियर कैमरा,  Snapdragon का दमदार प्रोसेसर और कई नए फीचर दिए गए है। बता दें कि Phone 3a और Phone 3a Pro की 11 मार्च से ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर सेल शुरू हो जाएगी।

Phone 3a और Phone 3a Pro में 5000 हजार की बैटरी और बैटरी को चार्ज करने के लिए दोनो स्मार्टफोन में 50W की फास्ट चार्जिंग सपोर्ट दिया गया है। वहीं कैमरे की बात करे तो 50MP का मेन कैमरा दिया गया है, अलट्रा वाइड के लिए 8MP का कैमरा और सेल्फी के लिए फ्रंट में 32MP का कैमरा दिया गया है। प्रोसेसर की बात करें तो दोनो स्मार्टफोन में अलग अलग प्रोसेसर दिया गया है। Phone 3a Snapdragon 7s Gen 3 दिया गया है वहीं Phone 3a Pro में Snapdragon 7s Gen SOC  OCTA CORE प्रोसेसर दिया गया है।

Phone 3a और Phone 3a Pro में बेहतर फीचर और डिजाइन दिया गया है और कंपनी ने कीमत भी किफायती रखी है। Phone 3a की बात करें तो 8GB रैम और 128GB स्टोरेज वेरिएंट की कीमत लगभग 23 हजार रुपये है और Phone 3a Pro में 8GB रैम और 128GB स्टोरेज वेरिएंट की कीमत लगभग 30 हजार रुपये है। अलग अलग रैम और स्टोरेज विकल्प की कीमत भी अलग रखी गई है। दोनो स्मार्टफोन Black, Blue और White कलर विकल्प के साथ पेश किए गए है।