अमरोहा का मुस्लिम परिवार सदियों से बना रहा होली की टोपियां,भाईचारे की अनूठी मिसाल

डेस्क:–उत्तर प्रदेश में अमरोहा के मोहल्ला बटवाल में एक मुस्लिम परिवार सदियों से भाईचारे की अनूठी मिसाल पेश कर रहा है। यह परिवार हर साल बड़े प्यार और लगन से हिंदुओं के पवित्र त्योहार होली के लिए रंग-बिरंगी टोपियां तैयार करता है।

परिवार के टोपी कारीगर हुजैफा ने बताया कि इस काम में भले ही मुनाफा कम है, लेकिन दिलों को जोड़ने वाली इस परंपरा को निभाने से जो खुशी मिलती है, उसकी कोई कीमत नहीं। देशभर के कई शहरों से इस परिवार को होली की टोपियों के ऑर्डर मिलते हैं।

ये टोपियां न सिर्फ सिर पर सजने वाली एक रंगीन परंपरा हैं, बल्कि हिंदू-मुस्लिम एकता की एक खूबसूरत तस्वीर भी पेश करती हैं। इस परिवार की मेहनत और समर्पण यह साबित करता है कि जब बात मेलजोल और भाईचारे की हो, तो अमरोहा की गलियों से निकलने वाली यह परंपरा पूरे देश को एकता का संदेश देती है।

हुजैफा ने कहना है कि हमारे यहां हिंदू भाईयों के लिए टोपी बनती हैं। होली के लिए जय श्री राम की टोपी, भगवा रंग के अलावा कई रंगों की टोपी बनती है। टोपी बनाने का काम हमारे दादा के समय से चला आ रहा है। मैं पढ़ाई का साथ-साथ हिंदू भाईयों के लिए टोपी भी बनाता हूं। इसी काम से हमारा परिवार चलता है। इस बार होली पर काम नहीं चल रहा। इस समय मांग बहुत कम है। हमारे यहां से टोपियां बनकर दिल्ली, प्रयागराज (इलाहाबाद), मुरादाबाद, संभल, पाकबड़ा, लखनऊ के अलावा अन्य जिलों में जाती हैं।

बता दें कि देशभर में 14 मार्च को होली का त्योहार मनाया जाएगा, लेकिन मथुरा और बरसाना पर होली का रंग अभी से चढ़ गया है। उत्तर प्रदेश में मथुरा के बरसाना में अभी से होली का खुमार देखने को मिल रहा है। देशभर से राधारानी के दर्शन के लिए पहुंच रहे श्रद्धालु रंगों में रंगे नजर आ रहे हैं। इस बीच, बरसाना के श्रीजी महल में श्रद्धालुओं ने बीते गुरुवार को होली खेली और होली के गीतों पर झूमते भी दिखाई दिए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने सोना घोटाले की आरोपी को 90 दिनों के भीतर निवेशकों को 25 करोड़ रुपये लौटाएं या फिर जाएं जेल

डेस्क:–सुप्रीम कोर्ट ने सोना घोटाले की आरोपी नौहेरा शेख से साफ कहा है कि या तो वे 90 दिनों के भीतर निवेशकों को 25 करोड़ रुपये लौटाएं या फिर जेल जाएं। हीरा गोल्ड एक्जिम प्राइवेट लिमिटेड की प्रबंध निदेशक नौहेरा शेख पर लाखों निवेशकों से 5,600 करोड़ रुपये ठगने का आरोप है। नौहेरा के खिलाफ कई राज्यों में एफआईआर दर्ज हुई हैं। अब जस्टिस जेबी पारदीवाला की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा है कि नौहेरा शेख 11 नवंबर 2024 से बार-बार अदालत के आदेशों की अवहेलना कर रही हैं।


पीठ ने ईडी को आदेश दिया कि अगर वह 90 दिनों के भीतर निवेशकों से लिए पैसों का एक हिस्सा यानी 25 करोड़ रुपये वापस नहीं करती हैं तो उन्हें हिरासत में ले लिया जाए। न्यायमूर्ति पारदीवाला ने कहा, 'हम आरोपी को अंतिम अवसर देते हैं कि वह तीन महीने के भीतर 25 करोड़ रुपये जमा कराए, अन्यथा उसकी जमानत स्वतः रद्द हो जाएगी और उसे ईडी द्वारा वापस जेल भेज दिया जाएगा।' शेख की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि उसके पास कोई पैसा नहीं है। हालांकि, ईडी ने बताया कि शेख के स्वामित्व वाली कई संपत्तियों को जब्त किया गया है। ईडी ने ये भी बताया कि जब नौहेरा से उन संपत्तियों की सूची मांगी गई, जिन्हें नीलाम किया जा सकता है, तो उनके वकील ने इसकी जानकारी नहीं दी।

नौहेरा शेख ने केवल तीन संपत्तियों का विवरण साझा किया है, जिनमें से तेलंगाना में दो संपत्तियों को ईडी द्वारा नीलाम किया जा सकता है। गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) ने हीरा गोल्ड और उसके प्रबंध निदेशक से जुड़े मामले की जांच शुरू की। एसएफआईओ अभी भी मामले की जांच कर रहा है। नौहेरा की कंपनी के खिलाफ तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और दिल्ली में कई मामले लंबित हैं। आभूषण और सोने की वस्तुओं का कारोबार करने वाली कंपनी हीरा गोल्ड एक्जिम प्राइवेट लिमिटेड ने निवेश की गई राशि पर 36 प्रतिशत लाभांश देने का वादा करते हुए योजनाएं शुरू कीं थी। शुरुआत में कंपनी ने लाभांश का भुगतान किया भी, लेकिन 2018 में कुछ निवेशकों ने कंपनी और नौहेरा शेख के खिलाफ धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई। अक्टूबर 2018 में नौहेरा को गिरफ्तार कर लिया गया।

उत्तर प्रदेश में बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी ,कहा- याद है अनुच्छेद 21, बनाने पड़ेंगे मकान


डेस्क:–सुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज में उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किये बिना मकानों को ध्वस्त करने को लेकर बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार से नाखुशी जताई और कहा कि यह कार्रवाई ‘‘चौंकाने वाला और गलत संदेश’’ देती है।

जस्टिस अभय ओका और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने मकान गिराने के मनमानेपूर्ण मामले पर आपत्ति जताई और कहा कि ध्वस्त किए गए ढांचों का पुनर्निर्माण करना होगा।

बेंच ने कहा, 'यह कार्रवाई चौंकाने वाली और गलत संदेश भेजती है। यह ऐसी चीज है जिसे ठीक करने की जरूरत है. आप मकानों को ध्वस्त करने जैसी कठोर कार्रवाई कर रहे हैं। हम जानते हैं कि इस तरह के अति तकनीकी तर्कों से कैसे निपटना है. आखिरकार अनुच्छेद 21 और आश्रय का अधिकार जैसी कोई चीज है।'

अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने राज्य सरकार की कार्रवाई का बचाव करते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं को विध्वंस नोटिस का जवाब देने के लिए उचित समय दिया गया था। वहीं याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि राज्य सरकार ने यह सोचकर मकान गिरा दिये कि जमीन गैंगस्टर अतीक अहमद की है जो 2023 में मारा गया था।

सुप्रीम कोर्ट एडव्होकेट जुल्फिकार हैदर, प्रोफेसर अली अहमद और अन्य लोगों की याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिनके घर ध्वस्त कर दिए गए थे ।

प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने यूपी में अतीक अहमद के करीबी बिल्डर्स और प्लॉटर के खिलाफ बड़ा एक्शन लिया है। PDA की टीम ने बुलडोजर चला कर 18 बीघा से अधिक जमीन को खाली कराया है। जिन बिल्डर के खिलाफ प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने कार्रवाई की है वे अतीक अहमद के करीबी बताए गए हैं ।
लंबे समय तक लिवइन में नहीं बनता रेप का मामला, सुप्रीम कोर्ट का लिव-इन रिलेशन पर बड़ा फैसला

डेस्क:–सुप्रीम कोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप से संबंधित एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई महिला लंबे समय से लिव-इन में है, तो वह अपने साथी पर शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाने का आरोप नहीं लगा सकती। कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में यह सिद्ध करना कठिन होता है कि शारीरिक संबंध केवल शादी के वादे के कारण बने थे।उल्लेखनीय है कि दोनों ने एक दशक से अधिक समय तक एक साथ समय बिताया। अदालत ने इसे संबंधों में दरार का मामला माना है और अपीलकर्ता पुरुष को आपराधिक कार्यवाही से मुक्त किया है ।

शीर्ष न्यायालय ने कहा है कि इस प्रकार के मामलों में यह स्पष्ट करना संभव नहीं है कि शारीरिक संबंध केवल विवाह के वादे पर आधारित थे। महिला ने आरोप लगाया कि उसने आरोपी बैंक अधिकारी के साथ 16 वर्षों तक विवाह के वादे के तहत संबंध बनाए। इस याचिका की सुनवाई जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच द्वारा की जा रही थी।

शिकायतकर्ता महिला एक लेक्चरर हैं. अदालत ने उनकी याचिका को अस्वीकार कर दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट का कहना है कि दोनों शिक्षित हैं और उनके बीच का संबंध सहमति से स्थापित हुआ था, क्योंकि वे अलग-अलग शहरों में रहने के बावजूद एक-दूसरे के घर आते-जाते थे। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि यह मामला रिश्तों में दरार आने का है।

बेंच ने कहा कि यह विश्वास करना कठिन है कि शिकायतकर्ता लगभग 16 वर्षों तक अपीलकर्ता की हर मांग को मानती रही और इस पर बिना किसी विरोध के सहमति देती रही कि अपीलकर्ता ने शादी के झूठे वादे के तहत उनका यौन शोषण किया। 16 वर्षों का यह लंबा समय, जिसमें दोनों के बीच शारीरिक संबंध बिना किसी रुकावट के चलते रहे, यह दर्शाता है कि रिश्तों में कभी भी बलात्कारी या धोखाधड़ी का कोई तत्व नहीं था। कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि यदि यह मान लिया जाए कि शादी का वादा किया गया था, तो लंबे समय तक रिश्ते में रहने से उनके दावों की मजबूती कम होती है।

शादी का झांसा देकर आदिवासी युवती से बनाए शारीरिक संबंध , आरोपी को आजीवन कारावास की सजा

डेस्क:–रेप और एट्रोसीटी एक्ट के मामले में विशेष कोर्ट ने एक बेबस आदिवासी रेप पीड़िता को न्याय दिलाया। कोर्ट ने दुष्कर्म करने वाले आरोपी रौनक डे को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। न्यायाधीश पंकज सिन्हा की कोर्ट ने यह फैसला सुनाया।

बता दें कि शादी का झांसा देकर युवती से शारीरिक शोषण के मामलें में विशेष अदालत ने दोषी रौनक डे को अजीवन कारावास की सजा सुनाई है। यह फैसला एट्रोसिटी मामलों के विशेष न्यायाधीश पंकज कुमार सिन्हा की अदालत ने सुनाया, जहां एक आदिवासी रेप पीड़िता को न्याय मिला और समाज में कानून और न्याय व्यवस्था के इंसाफ को बरकरार रखा. आरोपी रौनक डे के खिलाफ बीएनएस की धारा 376 के तहत अपराध दर्ज किया गया था। इस मामले को फास्टट्रैक में लगने के बाद आज इस मामले मे आजीवन कारावास की सजा भी सुनाई गई।


महाराष्ट्र में गिलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामलों में तेजी से वृद्धि,11 की मौत, 193 नए मामले

डेस्क: –महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग ने मंगलवार को गिलियन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के मामलों में वृद्धि की जानकारी दी है। अब तक 193 मरीजों को जीबीएस से प्रभावित होने का पता चला है, जबकि 29 मामलों को संदेहास्पद जीबीएस केस के रूप में चिन्हित किया गया है।

स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, इस गंभीर स्थिति के कारण राज्य में अब तक कुल 11 मौतें हुई हैं। इनमें से 6 मौतों को जीबीएस के कारण ही पुष्टि की गई है, जबकि 5 मौतें संदेहास्पद जीबीएस मामलों के रूप में दर्ज की गई हैं।

जीबीएस से प्रभावित मरीजों का अधिकांश हिस्सा पुणे और आसपास के क्षेत्रों से है। पुणे महानगरपालिका क्षेत्र (पीएमसी) के 95 मरीज, पुणे नगर निगम के 44 मरीज और पिंपरी चिंचवड नगर निगम के 33 मरीज शामिल हैं। इसके अलावा, पुणे ग्रामीण क्षेत्र से 36 मरीज और अन्य जिलों से 14 मरीज इस लिस्ट में शामिल हैं।

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कुल 173 मरीजों को उपचार के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। हालांकि, 29 मरीजों की स्थिति गंभीर बनी हुई है। उन्हें आईसीयू में रखा गया है। जबकि 13 मरीज वेंटिलेटर पर हैं।

उल्लेखनीय कि 27 जनवरी को पुणे में जीबीएस के बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने राज्य में सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप और प्रबंधन का समर्थन करने के लिए सात सदस्यीय टीम तैनात की। केंद्र की उच्च स्तरीय टीम में बहु-विषयक विशेषज्ञ शामिल थे। इसका उद्देश्य जीबीएस के संदिग्ध और पुष्ट मामलों में वृद्धि को देखते हुए सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप और प्रबंधन स्थापित करने में राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों का समर्थन करना है।

राज्य स्वास्थ्य विभाग ने सलाह दी कि सामान्य सावधानियां बरतकर जीबीएस को कुछ हद तक रोका जा सकता है, जैसे कि उबला हुआ, बोतलबंद पानी पीना, खाने से पहले फलों और सब्जियों को अच्छी तरह से धोना, चिकन और मांस को ठीक से पकाना, कच्चे या अधपके भोजन, विशेष रूप से सलाद, अंडा, कबाब या समुद्री भोजन से परहेज करना।
उत्तर प्रदेश में पिछले 8 वर्षों में एक भी नया कर नहीं लगाया गया : सीएम योगी

डेस्क:–उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश में पिछले 8 वर्षों में एक निश्चित थीम के साथ बजट प्रस्तुत किया गया। इसमें वर्ष 2017-18 का बजट अन्नदाता किसानों, वर्ष 2018-19 का बजट इन्फ्रास्ट्रक्चर तथा औद्योगिक विकास, वर्ष 2019-20 का बजट महिला सशक्तीकरण, वर्ष 2020-21 का बजट युवाओं तथा इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास, वर्ष 2021-22 का बजट 'स्वावलंबन से सशक्तीकरण' की थीम पर केंद्रित था।

उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2022-23 का बजट 'अंत्योदय से आत्मनिर्भरता' का बजट था। इसी तरह वित्तीय वर्ष 2023-24 का बजट प्रदेश के 'त्वरित, सर्वसमावेशी और समग्र विकास के साथ-साथ आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश की नींव को सुदृढ़ करने वाला' था। वर्ष 2024-25 का बजट प्रभु श्री राम को अर्पित था। यह बजट लोकमंगल को समर्पित था।

सीएम योगी ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट सनातन संस्कृति की सर्वे भवन्तु सुखिनः की अवधारणा के अनुरूप गरीब, अन्नदाता किसान, युवा और महिला उत्थान को समर्पित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विज़न को साकार करते हुए 'वंचित को वरीयता' इस बजट का केंद्रीय भाव है। बजट से अंत्योदय से उन्नत अर्थव्यवस्था तक, ईज ऑफ लिविंग से ईज ऑफ डूइंग बिजनेस तक, कृषि से गरीब कल्याण तक, आस्था से आजीविका तक, शिक्षा से स्वावलंबन तक, संस्कृति से समृद्धि तक और महिला सशक्तीकरण के संकल्प को समवेत करते हुए एक विकसित उत्तर प्रदेश की राह मजबूत होगी।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2025-26 का बजट आकार 8 लाख 8 हजार 736 करोड़ रुपये से अधिक का है। यह देश के अंदर किसी राज्य की तुलना में सबसे बड़ा बजट है। यह बजट वर्ष 2016-17 (3.46 लाख करोड़) की तुलना में लगभग ढाई गुना बड़ा है। वर्ष 2024-25 के बजट के सापेक्ष इसमें 9.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। बढ़ा हुआ बजट का आकार सिर्फ व्यय नहीं, बल्कि अंतिम पायदान तक विकास की पहुंच, अवसंरचनात्मक विस्तार, आमजन के जीवन स्तर को ऊपर उठाने का प्रयास, प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने और आर्थिक विकास को तेज करने का परिचायक होता है। बजट के आकार में यह बढ़ोत्तरी राज्य के सामर्थ्य के अनुरूप है। यह लोक कल्याण के साथ अर्थव्यवस्था को विस्तार देने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

सीएम योगी ने प्राप्तियों के बारे में बताया कि 2016-17 में कुल राजस्व प्राप्तियां 2 लाख 56 हजार 875 करोड़ रुपये हुईं थी, जबकि चालू वित्तीय वर्ष के जनवरी माह तक ही 4 लाख 10 हजार करोड़ से अधिक का राजस्व प्राप्त हो चुका है। इसी तरह आगामी वर्ष में कुल प्राप्तियां 7 लाख 79 हजार 242 करोड़ रुपये अनुमानित है। कुल प्राप्तियों में 6 लाख 62 हजार 690 करोड़ 93 लाख रुपये की राजस्व प्राप्तियां तथा 1 लाख 16 हजार 551 करोड़ 72 लाख रुपये की पूंजीगत प्राप्तियां सम्मिलित हैं। राजस्व प्राप्तियों में कर राजस्व का अंश 5 लाख 50 हजार 172 करोड़ 21 लाख है। इसमें केंद्रीय करों में राज्य का अंश 2 लाख 55 हजार 172 करोड़ 21 लाख सम्मिलित है। वहीं, स्वयं का कर राजस्व 2 लाख 95 हजार करोड़ रुपये अनुमानित है। कुल राजस्व प्राप्तियों का 45 प्रतिशत स्वयं के कर राजस्व से प्राप्त होना अनुमानित है। स्वयं के कर की राजस्व प्राप्तियों में वर्ष 2022-23, वर्ष 2023-24 तथा वर्ष 2024-25 के दौरान देश के सभी राज्यों में उत्तर प्रदेश का द्वितीय स्थान रहा।

उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2025-26 में कुल व्यय 8 लाख 8 हजार 736 करोड़ 6 लाख रुपये अनुमानित है। कुल व्यय में 5 लाख 83 हजार 174 करोड़ 57 लाख रुपये राजस्व लेखे का व्यय है तथा 2 लाख 25 हजार 561 करोड़ 49 लाख रुपये पूंजी लेखे का व्यय है। पूंजीगत व्यय कैपिटल एक्सपेंडिचर विकासात्मक खर्च है, जो इकोनॉमी की दिशा तय करता है। इससे उद्योग प्रोत्साहित होते हैं, सप्लाई चेन बेहतर होती है, निजी निवेश बढ़ता है और इन सबसे रोजगार का सृजन होता है। निर्माण और रोजगार सृजन के इस समन्वय से सस्टनेबल और फास्ट ग्रोइंग इकोनॉमी आकार लेती है। बजट में कुल व्यय में 2 लाख 25 हजार 561 करोड़ 49 लाख रुपये कैपिटल एक्सपेंडिचर सम्मिलित है, जो कुल बजट का लगभग 20.5 प्रतिशत है।

सीएम योगी ने कहा कि इस बार बजट में कई नई योजनाएं सम्मिलित की गई हैं। इसके लिए 28 हजार 478 करोड़ 34 लाख रुपये का प्रावधान है। वर्ष 2016-2017 में प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय मात्र 52,671 रुपये थी, जबकि यह वर्ष 2023-2024 में 93,514 रुपये के स्तर पर है। आगामी वर्ष में राजकोषीय घाटा 91 हजार 399 करोड़ 80 लाख रुपये अनुमानित है, जो वर्ष के लिए अनुमानित जीएसडीपी 2.97 प्रतिशत है। यह एफआरबीएम की तय सीमा के भीतर है। जहां एक ओर प्रदेश सरकार का विजन सुरक्षा, विकास और सुशासन है, वहीं बजट में राजकोषीय अनुशासन भी निहित है। यह दर्शाता है कि सरकार ने वित्तीय अनुशासन का अनुपालन करते हुए विकास को तीव्र गति देने में सफलता अर्जित की है। नीति आयोग द्वारा राज्यों की राजकोषीय स्थिति के संबंध में प्रकाशित रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश को फ्रंट रनर (अग्रणी) राज्य की श्रेणी में रखा गया है।

उन्होंने कहा कि आयोग की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018-19 से वर्ष 2022-23 की अवधि में प्रदेश के समेकित 'फिस्कल हेल्थ इंडेक्स' में 8.9 अंकों का इजाफा हुआ है। व्यय की गुणवत्ता में व्यापक सुधार हुआ है, वर्ष 2018 से 2023 की अवधि में पूंजीगत व्यय, कुल व्यय के 14.8 प्रतिशत से 19.3 प्रतिशत के मध्य रहा। इस अवधि में यह अनुपात देश के प्रमुख राज्यों के औसत अनुपात से अधिक रहा। राजस्व बचत तथा प्राथमिक बचत के कारण सकल राज्य घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में ऋणग्रस्तता में कमी दर्ज की गई। आरबीआई द्वारा राज्यों के बजट के संबंध में 2024-25 में प्रकाशित अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार देश के सभी राज्यों की स्वयं के कर की प्राप्तियों में उत्तर प्रदेश का अंश वर्ष 2022- 2023, 2023-2024 एवं 2024-2025 में क्रमशः 9.9 प्रतिशत, 10.5 प्रतिशत एवं 11.6 प्रतिशत रहा, जो महाराष्ट्र के उपरांत देश में सर्वाधिक है। उक्त वर्षों में सभी राज्यों में राजस्व प्राप्तियों के सापेक्ष ब्याज पर व्यय क्रमशः 12.6, 12.3 एवं 12.1 प्रतिशत रहा, जबकि उत्तर प्रदेश में यह प्रतिशत 10.3, 9.4 एवं 8.9 रहा।

उन्होंने कहा कि सकल राज्य घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में सभी राज्यों की स्वयं के कर से प्राप्ति का औसत उक्त वर्षों में क्रमशः 6.5, 7.0 तथा 7.2 प्रतिशत रहा, जबकि उत्तर प्रदेश में यह अनुपात क्रमशः 7.6, 9.8 तथा 10 प्रतिशत रहा। उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है। यहां सबसे अधिक संसाधन होने के बावजूद 1950 से 2017 तक प्रदेश की जीएसडीपी 12.75 लाख करोड़ तक पहुंच सकी। वर्ष 2017 में जनता ने प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों पर विश्वास जताया और आज 8 वर्षों में प्रदेश की जीएसडीपी दोगुना से अधिक होकर 2024-25 में 27.51 लाख करोड़ होने जा रही है। अब 2025-26 में 30.77 लाख करोड़ जीएसडीपी का लक्ष्य है। देश की जीडीपी में 9.2% हिस्सेदारी के साथ उत्तर प्रदेश, देश के अंदर दूसरे स्थान पर है। वर्ष 2023-2024 में भारत की जीडीपी की वृद्धि दर 9.6 प्रतिशत थी जबकि प्रदेश की वृद्धि दर 11.6 प्रतिशत रही है।

सीएम योगी ने कहा कि बीते 5 वर्ष से प्रदेश रेवेन्यू सरप्लस स्टेट है। कर अपवंचन को रोका गया है। रेवेन्यू लीकेज को समाप्त किया गया है। डिजिटल मैकेनिज्म को अपनाया गया, जिससे पारदर्शिता बढ़ी। पहले यही पैसे विकास और वेलफेयर के काम नहीं आ पाते थे। आज पाई-पाई प्रदेश हित में उपयोग हो रही है और देश के अंदर सर्वश्रेष्ठ इंफ्रास्ट्रक्चर देने में सफलता मिल रही है। बीते 8 वर्ष में एक भी नया टैक्स नहीं लगाया गया। प्रदेश में डीजल-पेट्रोल की दरें देश में सबसे कम हैं, बावजूद इसके उत्तर प्रदेश राजस्व सरप्लस स्टेट के रूप में समृद्धि के नए सोपान चढ़ता जा रहा है। इस सफलता के पीछे रामराज्य की अवधारणा ही है।

इस दौरान सीएम योगी ने 'बरसत हरसत सब लखें, करसत लखे न कोय, तुलसी प्रजा सुभाग से, भूप भानु सो होय' चौपाई सुनाई। उन्हाेंने कहा कि श्रीराम जी भरत से कहते हैं कि हमें प्रजा से कर ऐसे लेना चाहिए, जैसे सूर्य लेता है। जैसे सूर्य समुद्र, नदी, तालाब से पानी लेता है, लेकिन किसी को पता नहीं चलता। जब वह बादलों के रूप में जरूरत की जगहों पर बरसता है तो सबको पता चलता है, खासकर जब जरूरत की जगह पर बरसता है तो सभी खुश हो जाते हैं। इसी प्रकार, सरकार को कर इस तरह से लेना चाहिए कि किसी को पता न चले, पीड़ा न हो। लेकिन, जब उसी टैक्स का इस्तेमाल जनता के हित में खर्च हो, जैसे हाइवे बनें, पुल बनें, स्कूल-कालेज बनें, हास्पिटल बनें तो सबको पता चले। हमारी सरकार यही भाव लेकर काम कर रही है।
अंसल ग्रुप के खिलाफ सख्त कार्रवाई का वादा, संपत्ति होगी जब्त :मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

डेस्क:–उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बजट सत्र के दौरान विधानसभा में अंसल ग्रुप के मामले पर समाजवादी पार्टी को आड़े हाथों लिया। उन्होंने सदन को आश्वस्त किया कि घर खरीदने वालों के साथ धोखाधड़ी करने वाले बिल्डर्स को बख्शा नहीं जाएगा। सीएम योगी ने कहा कि यदि अंसल समूह ने एक भी घर खरीदने वाले के साथ धोखा किया है, तो उसकी सारी संपत्ति जब्त कर लेंगे। दोषियों को पाताल से भी खोजकर लाएंगे और उन्हें सजा दिलाएंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अंसल ग्रुप सपा के कार्यकाल की ही उपज थी। सपा के शासन में उसकी अवैध मांगों को पूरा किया गया और निवेशकों तथा खरीददारों के साथ धोखा किया गया। ये सारे काम समाजवादी पार्टी की सरकार के समय में हुए थे। तत्कालीन सरकार ने अंसल की सीमा को बढ़ाया था जबकि हमारी सरकार ने अंसल की सीमा को घटाया।

उन्होंने कहा कि अब सरकार ने अंसल समूह पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। उस पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दे दिया गया है। सरकार यह गारंटी देगी कि हर खरीददार को उसका पैसा वापस मिल जाए।

विधानसभा में बजट पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश में पहले माफिया दौड़ाता था, पुलिस भागती थी, माफिया को पुलिस सैल्यूट करती थी, लेकिन अब कानून-व्यवस्था के मामले में प्रदेश ने अपना परसेप्शन बदला है। आज देश और दुनिया के लोग प्रदेशवासियों को बहुत सम्मान की दृष्टि से देखते हैं।

सीएम योगी ने कहा कि जिस प्रदेश में कभी कोई व्यवसायी निवेश के लिए नहीं आता था, आज वह देश के सबसे बड़ा निवेश क्षेत्र बनकर उभरा है।
मोदी सरकार सड़क हादसे में घायलों का फ्री इलाज कराएगी,इसी महीने से शुरू होगी योजना

डेस्क:–देश के नागरिकों के मोदी सरकार  आज से एक और बड़ी योजना शुरू करने जा रही है। मोदी सरकार सड़क हादसे में घायलों का फ्री इलाज कराएगी। रोड एक्सीडेंट में घायलों को इसी महीने यानी मार्च 2025 से डेढ़ लाख रुपए तक का फ्री इलाज मिलेगा। देशभर में इस व्यवस्था को लागू किया जाएगा। यह नियम प्राइवेट हॉस्पिटल के लिए भी अनिवार्य होगा। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) इसके लिए नोडल एजेंसी का काम करेगा।

इस योजना को पूरी तरह से लागू करने से पहले 5 महीनों तक पुड्डूचेरी, असम, हरियाणा और पंजाब सहित छह राज्यों में पायलट प्रोजेक्ट चलाया गया, जो सफल रहा। इसके बाद नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) के नेतृत्व वाली मंत्रालय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने इस योजना को पूरे देश में लागू करने का आदेश जारी किया है।

राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के अधिकारी के मुताबिक, योजना के लिए मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 162 में पहले ही संशोधन हो चुका है। NHAI ऑफिसर ने बताया कि घायल को पुलिस या कोई आम नागरिक या संस्था जैसे ही हॉस्पिटल पहुंचाएगी, उसका इलाज तुरंत शुरू हो जाएगा। इसके लिए कोई फीस भी जमा नहीं करनी होगी। घायलों के साथ चाहे परिजन हो या नहीं, हॉस्पिटल उसकी देखरेख करेंगे। प्राइवेट और सरकारी दोनों ही हॉस्पिटल को कैशलेस इलाज देना होगा।

अस्पताल को प्राथमिक उपचार के बाद बड़े अस्पताल में रेफर करना है तो उस अस्पताल को सुनिश्चित करना होगा कि जहां रेफर किया जा रहा है, वहां मरीज को दाखिला मिले। डेढ़ लाख तक कैशलेस इलाज होने के बाद उसके भुगतान में नोडल एजेंसी के रूप में NHAI काम करेगा यानी इलाज के बाद मरीज या उनके परिजन को डेढ़ लाख तक की रकम का भुगतान नहीं करना है।यदि इलाज में डेढ़ लाख से ज्यादा का खर्च आता है तो बढ़ा बिल मरीज या परिजन को भरना होगा। सूत्रों का कहना है कि कोशिश यह हो रही है कि डेढ़ लाख की राशि को बढ़ाकर 2 लाख रुपए तक किया जा सके।

बता दें कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 14 मार्च 2024 को रोड एक्सीडेंट पीड़ितों को कैशलेस इलाज देने के लिए पायलट प्रोजेक्ट कैशलेस ट्रीटमेंट योजना शुरू किया था। इसके बाद 7 जनवरी 2025 को गडकरी ने योजना को देशभर में ऑफिशियली लॉन्च करने की घोषणा की। इससे देश में कहीं भी रोड एक्सीडेंट होने पर घायल व्यक्ति को इलाज के लिए भारत सरकार की ओर से अधिकतम 1.5 लाख रुपए की मदद दी जाएगी। जिससे वह 7 दिनों तक अस्पताल में इलाज करा सकेगा।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान वकील ने आत्महत्या की दी धमकी,भड़के जज ने दी सख्त चेतावनी

डेस्क:–देश के शीर्ष न्यायालय सुप्रीम कोर्ट में उस समय अजब स्थिति उत्पन्न हो गई, जब सुनवाई के दौरान जस्टिस अभय एस ओका के सामने वकील ने आत्महत्या की धमकी दी। जस्टिस अभय एस ओका (Abhay Shreeniwas Oka) की पीठ के सामने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए वकील ने अपनी दलीलें रखते हुए यह धमकी दी। वकील की इस धमकी के बाद जस्टिस ओका भड़क उठे उसके बाद सख्त चेतावनी दी। जस्टिस ओका ने कहा कि हम बार के मेंबर की ओर से इस तरह का आचरण बर्दाश्त नहीं करेंगे।

धमकी देने वाले वकील से जस्टिस ओका ने कहा कि आप अदालत को कैसे धमकी दे सकते हैं। अगर हम आपकी प्रार्थना स्वीकार नहीं करेंगे तो आप आत्महत्या कर लेंगे? आप एक वकील हैं। हम बार काउंसिल से आपका लाइसेंस कैंसल करने और एफआईआर दर्ज करने के लिए कहेंगे।

दरअसल एक मामले की सुनवाई जस्टिस अभय एस ओका की पीठ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कर रही थी। जब दो वकीलों के आपसी झगड़े की सुनवाई के दौरान एक अधिवक्ता ने खुदकुशी की धमकी दे डाली। इस पर जस्टिस ओका ने वकील से कहा कि हम आपको चेतावनी दे रहे हैं। अगर आप कोर्ट को धमकाते हैं तो हम आपके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश देंगे। हम बार के मेंबर की ओर से इस तरह का आचरण बर्दाश्त नहीं करेंगे। न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने वकील से कहा कि वह सात मार्च तक लिखित माफीनामा दाखिल करें वरना परिणाम भुगतने को तैयार रहें।

इसके बाद वकील ने अपना वीडिया कान्फ्रेंस लिंक कथित तौर पर बंद कर दिया। पीठ ने कहा कि अब वह चले गए हैं. पीठ ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट कक्ष में मौजूद उनके वकील से उनके आचरण के लिए माफी मांगने को कहा। जब मामला फिर से सुनवाई के लिए आया, तो वकील वीडियो-कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश हुए और कहा कि मैं दिल से माफ़ी मांगता हूं। मैं भावुक हो गया था।

हालांकि, जस्टिस ओका ने कहा कि नहीं, हम शुक्रवार (7 मार्च) तक लिखित माफी चाहते हैं। पीठ ने कहा कि वह वकील को माफी मांगने के लिए मजबूर नहीं कर रहे हैं, लेकिन उसने उसे अनुपालन नहीं करने की स्थिति में होने वाले परिणामों को लेकर आगाह किया।