जवान की हत्या मामले में NIA की बड़ी कार्रवाई, जनपद सदस्य समेत 4 नक्सल सहयोगी गिरफ्तार

कांकेर-  2023 में छत्तीसगढ़ सेना के जवान की हत्या मामले में NIA ने कांकेर जिले में दबिश देकर 4 नक्सल सहयोगियों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार आरोपियों में अंतागढ़ क्षेत्र के जनपद सदस्य भुवन जैन के साथ सुरेश सलाम, शैलेन्द्र बघेल, अंदूराम सलाम शामिल हैं. चारों आरोपी हत्या की आपराधिक साजिश रचने में सीधे तौर पर शामिल थे. बता दें कि इस मामले में अब तक 10 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है.

गौरतलब है कि NIA की टीम बस्तर क्षेत्र में लगातार सक्रिय है. बीते 28 फरवरी को छत्तीसगढ़ नक्सल फंडिंग केस में बड़ी कार्रवाई करते हुए मूलवासियों बचाओ मंच के प्रमुख रघु मिडियामी को NIA ने गिरफ्तार किया था. इससे पहले नवंबर 2023 में इसी मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनके पास से 6 लाख रुपये नगद बरामद हुए थे. जांच में सामने आया कि ये दोनों MBM के ओवरग्राउंड वर्कर (OGW) थे, जो माओवादियों के लिए फंड जुटाने और वितरित करने का काम कर रहे थे.

स्वास्थ्य मंत्री के रिश्तेदार होने का दावा करने वाले सिविल सर्जन के खिलाफ जांच शुरू, डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ ने दर्ज कराए बयान

जांजगीर-चांपा- जिला अस्पताल में सिविल सर्जन डॉ. दीपक जायसवाल के खिलाफ डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। उनके तानाशाही रवैये और दुर्व्यवहार के आरोपों के चलते जिला प्रशासन ने जांच की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

गुरुवार को जिला अस्पताल के सभा कक्ष में प्रशासन की तीन सदस्यीय जांच टीम के सामने डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ ने अपने बयान दर्ज कराए। वहीं, सिविल सर्जन पर जांच को प्रभावित करने का आरोप लगाते हुए कर्मचारियों ने उन्हें पद से हटाने की मांग की। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर शुक्रवार सुबह तक कोई कार्रवाई नहीं हुई तो वे उग्र आंदोलन करेंगे।

सिविल सर्जन ने विरोध करने वालों को दी धमकी

डॉक्टरों का आरोप है कि सिविल सर्जन डॉ. दीपक जायसवाल खुद को स्वास्थ्य मंत्री का भतीजा और कलेक्टर का दोस्त बताते हैं और कर्मचारियों को धमकी देते हैं कि कोई भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। उन्होंने विरोध करने वाले कर्मचारियों को सबक सिखाने की धमकी दी है। इस रवैये से अस्पताल में कार्यरत डॉक्टरों और नर्सों में भारी आक्रोश है।

तीन महीने से अस्पताल की व्यवस्थाएं चरमराई, डेथ रेट बढ़ने का दावा

डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ का आरोप है कि जब से डॉ. दीपक जायसवाल ने सिविल सर्जन का पदभार संभाला है, तब से अस्पताल की व्यवस्थाएं पूरी तरह से चरमरा गई हैं। तीन महीनों में अस्पताल में मौतों की संख्या बढ़ने का भी दावा किया गया है। कर्मचारियों का आरोप है कि सिविल सर्जन की लापरवाही और तानाशाही के कारण मरीजों को सही इलाज नहीं मिल पा रहा है, जिससे अस्पताल में अव्यवस्था का माहौल बन गया है।

डॉक्टर एसोसिएशन का समर्थन, प्रदेशव्यापी हड़ताल की चेतावनी

छत्तीसगढ़ डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. इकबाल हुसैन ने कहा कि जांजगीर जिला अस्पताल में जूनियर अधिकारी को बड़े पद की जिम्मेदारी दे दी गई, जो काबिलियत से नहीं, बल्कि ऊंची पहुंच के कारण सिविल सर्जन बने हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि डॉ. दीपक जायसवाल बीते तीन महीनों से अस्पताल के सीनियर डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ के साथ बदसलूकी कर रहे हैं।

डॉ. इकबाल हुसैन ने स्वास्थ्य मंत्री को पत्र भेजकर डॉ. दीपक जायसवाल को तत्काल सिविल सर्जन पद से हटाने की मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर प्रशासन ने जल्द कार्रवाई नहीं की, तो प्रदेशभर के डॉक्टर हड़ताल पर चले जाएंगे, जिससे स्वास्थ्य व्यवस्था ठप हो सकती है।

क्या है पूरा मामला?

जिला अस्पताल जांजगीर-चांपा और बीडीएम अस्पताल चांपा के डॉक्टरों एवं स्टाफ ने सिविल सर्जन डॉ. दीपक जायसवाल पर तानाशाही रवैया अपनाने, मानसिक रूप से प्रताड़ित करने और पद का दुरुपयोग करने के गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने बुधवार 5 मार्च को अस्पताल परिसर में जमकर नारेबाजी की और फिर कलेक्ट्रेट तक रैली निकालकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा था। इस दौरान करीब 3 घंटे तक इलाज व्यवस्था प्रभावित रही।

सीनियर स्टाफ नर्स सालोमी बोस ने बताया था कि सिविल सर्जन ने उन्हें धमकाते हुए कहा, “तुम्हारी नेतागिरी नहीं चलेगी, मैं तुम्हें निपटा दूंगा। मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता, मेरा स्वास्थ्य मंत्री रिश्तेदार है और कलेक्टर मेरा दोस्त है। मैं तुम्हारा ट्रांसफर करवा दूंगा और सीआर खराब कर दूंगा।”

वहीं, डॉक्टर इकबाल हुसैन ने आरोप लगाया कि सिविल सर्जन ने अस्पताल की व्यवस्थाएं सुधारने के बजाय सीनियर डॉक्टरों को दबाव में लेना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा, “वह स्टाफ नर्सों से बदसलूकी करते हैं और अपने प्रभाव का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। वह खुद को स्वास्थ्य मंत्री का रिश्तेदार और कलेक्टर का करीबी बताकर स्टाफ पर दबाव बनाते हैं। अस्पताल की व्यवस्थाओं में सुधार के बजाय सिर्फ बाहरी सजावट कर दिखावा किया जा रहा है।”

सिविल सर्जन ने दी सफाई

आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए सिविल सर्जन डॉ. दीपक जायसवाल ने कहा कि जिला अस्पताल की व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए उन्होंने कई सख्त कदम उठाए, जिससे डॉक्टरों और स्टाफ को अधिक जिम्मेदारी से काम करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा, “मैंने अस्पताल में मरीजों को बेहतर सुविधाएं देने की कोशिश की है, जिससे अब डॉक्टर और स्टाफ पूरी मुस्तैदी से काम कर रहे हैं। किसी के साथ दुर्व्यवहार नहीं किया गया है, बल्कि प्रशासनिक कसावट के लिए निर्देश दिए जाते हैं।”

कलेक्टर ने गठित की 3 सदस्यीय जांच समिति

गौरतलब है कि कलेक्टर आकाश छिकारा ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल जांच के आदेश दिए और तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है, जिसमें अपर कलेक्टर ज्ञानेन्द्र सिंह को अध्यक्ष बनाया गया है, जबकि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी स्वाति वंदना सिसोदिया और डिप्टी कलेक्टर भावना साहू को सदस्य नियुक्त किया गया है।

अब सबकी नजर जांच रिपोर्ट पर

अब सबकी नजर जांच समिति की रिपोर्ट पर टिकी है, जो अस्पताल के माहौल और प्रबंधन से जुड़े कई अहम खुलासे कर सकती है। अगर आरोप सही पाए जाते हैं, तो सिविल सर्जन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई संभव है। वहीं, अगर आरोप निराधार पाए जाते हैं, तो प्रदर्शनकारी कर्मचारियों पर भी कार्रवाई हो सकती है।

CGMSC घोटाला: 660 करोड़ की गड़बड़ी मामले में ACB-EOW ने IAS भीम सिंह को किया तलब, दो घंटे से जारी है पूछताछ

रायपुर- छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन (CGMSC) में 660 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच अब तेज हो गई है। इस मामले में अब तीन आईएएस अधिकारी भी जांच के दायरे में आ गए हैं। एसीबी/ईओडब्ल्यू (ACB-EOW) ने IAS भीम सिंह, चंद्रकांत वर्मा और पद्मिनी भोई से पूछताछ के लिए सरकार से अनुमति मांगी थी, जिसके बाद अब इन तीनों अधिकारियों को समन जारी कर पूछताछ के लिए तलब किया गया है। आज दोपहर से एसीबी/ईओडब्ल्यू की टीम IAS भीम सिंह से पूछताछ कर रही है, जो पिछले दो घंटे से जारी है।

बता दें कि इससे पहले बीते बुधवार को IAS चंद्रकांत वर्मा से करीब 6 घंटे तक पूछताछ की गई थी। अधिकारियों से घोटाले से जुड़े दस्तावेजों और टेंडर प्रक्रिया को लेकर सवाल-जवाब किए जा रहे हैं।

सीएम साय की मां ने सरकारी अस्पताल में कराया स्वास्थ्य परीक्षण, आमजन की तरह सामान्य प्रक्रिया से कराई जांच

रायपुर- जब बेटा सीएम हो तो मां के लिए हर व्यवस्था आसान हो जाती है, लेकिन छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की माता जसमनी देवी ने अपने स्वास्थ्य परीक्षण के लिए सरकारी अस्पताल का रुख किया. वे स्वास्थ्य परीक्षण के लिए मेकाहारा पहुंची, जहां उन्होंने बिना किसी प्रोटोकॉल के सामान्य जन की तरह स्वास्थ्य परीक्षण कराया.

आमजन की तरह सीएम की मां ने सामान्य प्रक्रिया के तहत जांच कराई, जिससे मुख्यमंत्री की सहजता और सरलता की छवि को और बल मिला. उनके इस कदम से सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में जनता के विश्वास को भी प्रोत्साहन मिलेगा. मुख्यमंत्री स्वयं भी आमजन से जुड़ने और सरकारी सुविधाओं को सुलभ बनाने पर जोर देते रहे हैं. उनकी माता का यह निर्णय स्वास्थ्य सेवाओं में विश्वास बढ़ाने की दिशा में एक सकारात्मक संदेश देता है.

डीएमएफ घोटाला : कोर्ट में पेश हुए रानू, सौम्या और सूर्यकांत, 10 मार्च तक EOW की रिमांड पर रहेंगे तीनों

रायपुर- डीएमएफ घोटाला मामले में विशेष कोर्ट ने तीनों आरोपी सौम्या चौरसिया, रानू साहू और सूर्यकांत तिवारी को ईओडब्ल्यू की रिमांड पर सौंप दिया है. आरोपियों को 10 मार्च तक ईओडब्ल्यू रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी. डीएमएएफ घोटाले में अब पांच आरोपी सौम्या चौरसिया, रानू साहू, सूर्यकांत तिवारी, माया वॉरियर, मनोज द्विवेदी ईओडब्ल्यू की रिमांड पर रहेंगे.

बचाव पक्ष के वकील फैजल रिजवी ने बताया कि ईओडब्ल्यू रिमांड खत्म होने के बाद आज तीनों को कोर्ट में पेश किया गया. आज फिर ईओडब्ल्यू ने 10 मार्च तक रिमांड की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार करते हुए तीनों आरोपियों को रिमांड पर सौंपा है.

आरोप पत्र में अब तक हुई जांच के हवाले से ईडी ने आकलन दिया है कि डीएमएफ घोटाला 90 करोड़ 48 लाख रुपये का है. आरोप पत्र में जेल में बंद निलंबित आईएएस रानू साहू, सौम्या चौरसिया, सूर्यकांत तिवारी, महिला बाल विभाग की अफसर रहीं माया वारियर, ब्रोकर मनोज कुमार द्विवेदी समेत 16 आरोपितों के नाम हैं. ईडी की जांच में पता चला कि वर्ष 2021-22 और 2022-23 में मनोज कुमार द्विवेदी ने रानू साहू और अन्य अधिकारियों से मिलीभगत की. अपने एनजीओ उदगम सेवा समिति के नाम पर कई डीएमएफ ठेके हासिल किए थे. अधिकारियों को टेंडर की राशि का 40 प्रतिशत तक कमीशन दिया था.

टेंडर भरने वालों को पहुंचाया अवैध लाभ

ईडी की रिपोर्ट के आधार पर डीएमएफ घोटाले में ईओडब्ल्यू ने धारा 120 बी 420 के तहत केस दर्ज किया है. केस में यह तथ्य सामने आया कि डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड कोरबा के फंड से टेंडर आवंटन में बड़े पैमाने पर घोटाला किया गया है. टेंडर भरने वालों को अवैध लाभ पहुंचाया गया. जांच में पाया गया कि टेंडर राशि का 40% सरकारी अफसर को कमीशन के रूप में दिया गया है.

वरिष्ठता के आधार पर हुई 56 सिविल जज की नियुक्ति, हाई कोर्ट ने जारी किया आदेश, देखिए सूची…

बिलासपुर- प्रदेश के न्यायालयों में रिक्त सिविल जज (सीनियर डिवीजन) के पदों पर वरिष्ठता के आधार पर 56 न्यायधीशों को हाई कोर्ट ने पदोन्नत किया है. यह पदोन्नति छत्तीसगढ़ लोवर ज्यूडिशियल सर्विस (रिक्रूटमेंट एण्ड कंडीशन्स ऑफ सर्विसेस) रूल्स 2006 के आधार पर की गई है.

कम वेतन में अधिक काम करने के बाद भी 4 महीने से वेतन लंबित, मनरेगा कर्मियों ने पूछा-

रायपुर- छत्तीसगढ़ में मनरेगा कर्मियों ने कम वेतन में अधिक काम कराए जाने और बीते 4 महीने से वेतन न दिए जाने को लेकर काफी आक्रोश है. मनरेगा महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष अजय क्षत्रि ने कहा कि अल्प वेतन में मनरेगा कर्मियों से मनरेगा और प्रधानमंत्री आवास योजना के कार्यों के अलावा शासन के कई अन्य कार्य भी लिए जा रहे हैं. इसके बाद भी उन्हें 4 महीने से वेतन नहीं मिल पाया है. इसके अलावा छत्तीसगढ़ बजट को लेकर भी वे निराश हैं. मेहनत के बाद भी अपने हक का वेतन न मिलने से वे मानसिक रूप से पीड़ित हो रहे हैं.

मनरेगा कर्मियों का सवाल: कैसे होगा सुशासन पर विश्वास?

अजय क्षत्रि ने आगे कहा कि भारतीय जनता पार्टी शासित मध्यप्रदेश, राजस्थान एवं बिहार जैसे विभिन्न राज्यों में मनरेगा कर्मियों के सेवा, सामाजिक सुरक्षा एवं वेतन भुगतान संबंधी एक अच्छी मानव संसाधन नीति लागू है. साथ ही केन्द्र सरकार से राशि प्राप्त न होने पर राज्य सरकार द्वारा पूल फण्ड के माध्यम से राज्यों में वेतन भुगतान कर केन्द्र से राशि मिलने के बाद समायोजन कर लिया जाता है. वहीं छत्तीसगढ़ राज्य में भारतीय जनता पार्टी की ‘‘डबल ईंजन की सरकार‘‘ होने के बाद भी मनरेगा कर्मी अपनी सेवा, सामाजिक सुरक्षा एवं वेतन संबंधी सुविधाओं से वंचित हैं. अतिरिक्त कार्य का बोझ है, ऐसे में सुशासन पर विश्वास कैसे होगा?

बजट से निराशा

अजय क्षत्रि ने आगे कहा कि 3 मार्च को विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट वित्त मंत्री ओ.पी.चौधरी ने पेश किया. बजट में महात्मा गांधी नरेगा योजनांतर्गत कार्यरत कर्मियों के लिए कुछ भी नहीं किया गया है, जिसके चलते प्रदेशभर के मनरेगाकर्मी निराशा हैं. मनरेगा कर्मियों से अल्प वेतन में मनरेगा कार्य और प्रधानमंत्री आवास योजना के कार्यों के अलावा शासन के अन्य कार्य भी लिए जा रहे हैं. इसके बावजूद भी विगत 4 माह से वेतन नहीं मिल पाया है. जिसके कारण कर्मचारी मानसिक रूप से पीड़ित एवं सरकार के प्रति आक्रोशित हैं। साथ ही सरकार इनके सुरक्षित भविष्य के लिए कोई मानव संसाधन नीति भी सरकार लागू नहीं कर पाई है, जिसके लिए ये कर्मचारी लंबे समय से संघर्षरत हैं.

मनरेगा महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ शासन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की अध्यक्षता में ‘‘छ.ग. मनरेगा कर्मियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया पूर्ण होने तक सामाजिक और सेवा सुरक्षा की दृष्टि से मानव संसाधन नीति लागू किये जाने के लिए ‘‘ राज्य स्तरीय 8 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है. 

वादा पूरा होने का इंतजार करते थके मनरेगा कर्मी

उन्होंने आगे कहा कि अत्यंत खेद का विषय है कि पूर्व कांग्रेस सरकार में जिस प्रकार पिछले 5 वर्षों में केवल कमेटी-कमेटी खेला गया, अब वही काम इस सुशासन की सरकार में भी किया जा रहा है. सितंबर 2024 में 15 दिनों के भीतर कमेटी का प्रतिवेदन प्रस्तुत करने और उसमें मनरेगा कर्मियों के सेवा/भविष्य सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा तथा अनुकंपा नियुक्ति जैसी महत्वपूर्ण बिंदुओं का समावेश करने के लिए छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम विजय शर्मा के वादे को पूरे होने का इंतजार करते अब ये मनरेगा कर्मी भी थक गए हैं. कभी-कभी देर से मिला न्याय भी अन्याय सा प्रतीत होता है.

ग्रामीणों ने आवेदन देकर कहा-हमें जल जीवन मिशन की आवश्यकता नहीं, इससे केवल खुदाई होगी,जिससे हमें परेशानी होगी, विधायक के सवाल पर डिप्टी सीएम बोले

रायपुर- केंद्र सरकार राज्य सरकार पर जल जीवन मिशन को पूर्ण करने के लिए पूरा दबाव बनाए हुए हैं. राजनीतिक दल इस मिशन में हो रही देरी पर एक-दूसरे पर हमला कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर ग्रामीण इसकी आवश्यकता को ही नकारते हुए कह रहे हैं कि इससे केवल खुदाई होगी, जिसकी वजह से हमें परेशानी होगी. यह जानकारी विभागीय मंत्री अरुण साव ने सदन में विधायक संदीप साहू के मिशन के तहत कार्यों में देरी को लेकर किए गए सवाल के जवाब में दी.

विधायक संदीप साहू ने प्रश्नकाल में विधानसभा कसडोल क्षेत्र के अंतर्गत लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा स्वीकृत कार्य का मामला उठाया. उन्होंने कहा लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी द्वारा 2021- 22 से 31/1/2025 तक कौन-कौन से कार्य, कितनी लागत राशि से स्वीकृत हुए? अधूरे कार्य का विवरण दें? 118 गांवों का कार्य अब तक अपूर्ण है. 197 से कितने ग्राम जलस्रोत विहीन हैं.

उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने बताया कि 3 विकासखंड़ आते हैं. इस विधानसभा में 300 ग्राम हैं. 20/21 से 753 कार्य स्वीकृत हैं, 632 कार्य पूर्ण हैं. गांव के लोगों ने आवेदन देकर कहा कि हमें जल जीवन मिशन की आवश्यकता नहीं है. हमारे घरों में नल है. इससे केवल खुदाई होगी, जिसकी वजह से हमें परेशानी होगी, जिसकी वजह से यह कार्य आप तक रुका हुआ है.

उपमुख्यमंत्री ने बताया कि सड़क के कार्य आधे से ज्यादा पूर्ण हो चुके हैं. जल जीवन स्कीम प्रगति पर है. विधायक ने इस पर सवाल किया कि कितने का जल स्त्रोत विहीन है? उपमुख्यमंत्री ने बताया कि सोर्स के लिए लगातार हम कार्य कर रहे हैं. विधायक ने कहा कि जानकारी के अनुसार, 118 गांव में कार्य अपूर्ण है, इसमें जो अधिकारियों ने इस योजना पर कार्य कर रहे हैं, उन अधिकारियों पर कार्यवाही करेंगे? उपमुख्यमंत्री ने कहा कि समय से अगर कार्य नहीं पूर्ण होता है तो अधिकारियों पर कार्यवाही करेंगे.

पुस्तक घोटाला के बाद पाठ्यपुस्तक निगम ने लिया सबक, अब खरीदने और बेचने वाला होगा दोषी, QR कोड उगलेगा गड़बड़ी का राज

रायपुर- छत्तीसगढ़ में पुस्तक घोटाला के बाद पाठ्यपुस्तक निगम ने बड़ा कदम उठाया है. गड़बड़ी को रोकने के लिए पाठ्यपुस्त निगम आगामी सत्र से कई बदलाव करने जा रहा है. इस बदलाव के लिए फैसले लिए गए हैं, जिसके अनुसार काम भी जारी है. पहले पुस्तकों को आसानी से बेचा जा सकता था, अब पुस्तकों को बेचते ही सरकारी संपत्ति को बेचने वाला और खरीदने वाला दोनों दोषी होंगे. पुस्तकों में लगे QR कोड से ये भी पता चल जाएगा कि इस पुस्तक को कहां के लिए भेजा गया था.

छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम के जनरल मैनेजर डीकेश पटेल ने बताया कि पुस्तक घोटाला, खरीदी बिक्री को रोकने के लिए नियमों में कई बदलाव किए गए हैं. कहां के लिए पुस्तक भेजा गया था, नम्बर क्या है, किस स्कूल का मामला है, इसकी जानकारी पुस्तकों में लगे QR कोड को स्कैन करते ही पता चल जाएगा. साथ ही पुस्तक में सरकारी संपत्ति होने का विवरण भी होगा.

छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम द्वारा छापे गए सभी पुस्तकों में अब लिखा होगा कि यह सरकारी संपत्ति है, इस पुस्तक को न ख़रीदा जा सकता है और न ही बेचा जा सकता है. पहले पुस्तकों को कबाड़ वाले आसानी से खरीद लेते थे, अब यह लिखे जाने के बाद बेचने वाला भी दोषी होगा और खरीदने वाला भी दोषी होगा।


स्कैन करने से निकलेगा डिटेल

पहले पाठ्यपुस्तक में जो QR कोड था उसे स्कैन करने पर पाठ्यपुस्तक की जानकारी डिजिटल तौर पर मिलता था, लेकिन अब स्कैन करने पर पुस्तक का डिटेल निकलेगा कि पुस्तक किस संभाग के लिए भेजा गया है, किस संकुल के लिए है, इसका नंबर क्या है, इससे आसानी से पुस्तकों को ट्रैक किया जा सकता है.

आगामी सत्र के पुस्तकों में होगा डिटेल

पुस्तकें सरकारी संपत्ति है और QR कोड के स्कैन की व्यवस्था आगामी सत्र के वितरित होने वाले पुस्तकों में अंकित होगा. इसके लिए पाठ्यपुस्तक निगम ने रणनीति बनाकर काम शुरू कर दिया है. पुस्तकों में प्रिंटिंग जारी है.

कक्षा पहली से 10 वीं तक निशुल्क पुस्तक

लोकतंत्र में शिक्षा सभी का अधिकार है. कोई बच्चा पढ़ाई से वंचित न हो, गरीब बच्चों को पुस्तक ख़रीदने में कठिनाई होती है. अधिकतर पुस्तक ख़रीदने की स्थिति में नहीं होते, इसलिए सभी सरकार ने कक्षा पहली से दसवीं तक के विद्यार्थियों तक निशुल्क पुस्तकें पहुंचाने की व्यवस्था की है. प्रदेश में लगभग प्राइवेट और सरकारी स्कूल को मिलाकर लगभग 55,000 से ज़्यादा स्कूल हैं. इन स्कूलों में लगभग 56 लाख विद्यार्थी अध्ययनरत हैं, जिसमें से कक्षा एक से दसवीं तक के विद्यार्थियों को नि शुल्क पुस्तक दी जाती है.

तत्कालीन सत्र में बेचे गए थे लाखों पुस्तक

गरीब बच्चों के भविष्य को गढ़ने वाले पुस्तकों को महज कागज का टुकड़ा समझकर कबाड़ियों को लाखों पुस्तकों को बेच दिया गया था. इस मामले को लेकर जमकर हंगामा हुआ था. मुख्यमंत्री के निर्देश पर कई अधिकारी-कर्मचारियों को निलंबित किया गया था. मामले की जांच के लिए कमेटी गठित की गई थी. फ़िलहाल कमेटी की जांच रिपोर्ट पर दोषी लोगों को नोटिस जारी किया गया है.ा.

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के जासूसी के आरोप पर उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा का पलटवार, कहा-

रायपुर-  उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कांग्रेस नेताओं के फोन सर्विलॉन्स होने वाले आरोप पर सवाल किया कि क्यों करेंगे? क्या मसला है, कोई बात ही नहीं है, जबरदस्ती की बातें हैं. एकदम निराधार और बेकार की बातें हैं, ना कोई संभावना. 

उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने इन आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेसी बजट से डर गए हैं. बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला है. निरर्थक बातें कर रहे हैं. इस पर जब बीजेपी विपक्ष में थी तब उनके फोन टेप होने वाले बयान पर कहा कि कभी हुआ था, कभी कहा भी था. लगा तब कहा था, लेकिन ऐसी सुबह उठकर नहीं कहा था. कांग्रेस का यह बोलना औचित्यपूर्ण विषय है.

दरअसल, एक दिन पहले ही पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जासूसी के गंभीर आरोप लगाए थे. उन्होंने कहा था कि मेरा फोन भी सर्विलांस में है, मेरे बगल में खुफिया तंत्र के कर्मचारी खड़े रहते हैं, LIB के कर्मचारी पत्रकारवार्ता में मेरी बात को सुनते हैं. 

वहीं विपक्ष के बहिर्गमन को लेकर उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि लोकतंत्र है. बीजेपी लोकतंत्र का सम्मान करने वाले पार्टी है. जनादेश जो आ गया, सो आ गया. विष्णु देव की सरकार से नहीं सक पा रहे तो ईवीएम के बाद दूसरा शिगुफा छोड़ रहे हैं. बीजेपी की सरकार ना रुकेगी, ना रफ्तार रुकेगा.