पुष्पा स्टाइल में जेलेंस्की ने ट्रंप को दिखाया तेवर, माफी मांगेने से इनकार, फिर भी कहा-थैंक यू अमेरिका

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दुनिया के सबसे ताकतवर देश को पूरी दुनिया के सामने सुना देना, वाकई हिम्मत की बात है। यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की ने सुपरपावर अमेरिका के सबसे ताकतवर जगह से हुंकार भरी। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच शुक्रवार को ओवल ऑफिस में दुनिया ने कुछ ऐसा देखा, जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी। रूस-यूक्रेन के बीच शांति समझौते के लेकर हो रही बातचीत अचानक जुबानी जंग में तब्दील हो गई।

ट्रंप ने जेलेंस्की पर तीसरा विश्व युद्ध की आग भड़काने का आरोप लगाया। बहस के बाद जेलेंस्की ने ट्रंप के समझौते के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। जेलेंस्की बिना समझौता किए वहां से निकल गए। इस तरह ट्रंप और जेलेंस्की के बीच की वार्ता सफल नहीं रही। इस घटना के बाद अमेरिका-यूक्रेन संबंधों पर सवाल खड़े हो गए हैं। लेकिन इन सबके बीच जेलेंस्की ने जाते-जाते एक ट्वीट किया जिसमें उन्होंने थैंक्यू अमेरिका तो बोला है।

ट्रंप से तीखी बहस के बाद जेलेंस्की ने अमेरिका को धन्यवाद कहा। यूक्रेन राष्ट्रपति ने कहा कि आपके समर्थन और इस यात्रा के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, कांग्रेस और अमेरिकी लोगों को धन्यवाद। यूक्रेन को न्यायसंगत और स्थायी शांति की आवश्यकता है और हम ठीक उसी के लिए काम कर रहे हैं। लेकिन यह जता दिया कि वे फिलहाल झुकने वाले नहीं है।

दरअसल, यूक्रेन-अमेरिका वार्ता के विफल होन के बाद यूक्रेनी राष्ट्रपति ने फॉक्स न्यूज को एक विशेष साक्षात्कार दिया। जिसमें शो के होस्ट ब्रेट बेयर ने जेलेंस्की से पूछा कि क्या वह इस मीटिंग में जो कुछ हुआ उसके लिए माफी मांगेंगे। इस पर जेलेंस्की ने किसी भी गलती से इनकार किया। जेलेंस्की ने कहा, नहीं, मैं राष्ट्रपति और अमेरिकी जनता का सम्मान करता हूं। हमें खुला और ईमानदार रहना चाहिए। मुझे नहीं लगता कि हमने कुछ गलत किया है। शायद कुछ चीजों पर मीडिया से अलग चर्चा करनी चाहिए।

हालांकि, जेलेंस्की ने कहा कि अगर अमेरिका अपने हाथ खींच ले तो रूस से यूक्रेन की रक्षा करना हमारे लिए मुश्किल होगा। उन्होंने दुख जताया कि इस पूरे वाकये को टेलीविजन पर दिखाया गया। उन्होंने जोर देकर कहा कि कृपया इसे ठीक करें। हमें सब कुछ ठीक करना होगा। मैं विनम्र होना चाहता हूं।

इससे पहले ट्रंप शुक्रवार को ओवल ऑफिस में एक बैठक के दौरान जेलेंस्की पर बरस पड़े। उन्होंने लाखों लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ करने के लिए जेलेंस्की को फटकार लगाई। ट्रंप ने कहा कि यूक्रेनी राष्ट्रपति की कार्रवाई तीसरा विश्व युद्ध भड़का सकती है। इसके बाद जेलेंस्की ने अमेरिका के साथ महत्वपूर्ण खनिज समझौते पर हस्ताक्षर किए बिना अचानक व्हाइट हाउस छोड़ दिया। नौबत यहां तक पहुंच गई कि ट्रंप ने जेलेंस्की को व्हाइट हाउस से चले जाने और समझौते को तैयार होने के बाद ही वार्ता के लिए आने को कह दिया।

व्हाइट हाउस में ट्रंप-जेलेंस्की के बीच तेज बहस, नोकझोंक के बाद ट्रंप बोले- तीसरे विश्व युद्ध का जुआ खेल रहे हैं आप

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यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने व्हाइट हाउस में शुक्रवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की। व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर की मुलाकात एक तू-तू मैं-मैं वाली बहस में बदल गई। जेलेंस्की के लिए यह बैठक बेहद शर्मिंदा करने वाली रही। जहां अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने उन्हें ओवल ऑफिस में जमकर सुनाया। जेलेंस्की ने कहा कि वह युद्ध विराम मानने के लिए तैयार नहीं हैं। इस पर ट्रंप ने कहा कि यूक्रेनी नेता तीसरे विश्व युद्ध का जुआ खेल रहे हैं। बहस के दौरान ट्रंप ने तीखे तेवर में यूक्रेन से खनिज सौदे के लिए दबाव बनाया और कहा कि या तो आप डील करिए वरना हम (शांति प्रक्रिया) से बाहर हो जाएंगे। इसके कुछ देर बाद ही जेलेंस्की वॉइट हाउस की मीटिंग से बाहर चले गए।

ट्रंप ने कैमरों के सामने जेलेंस्की को डांटा

ओवल ऑफिस में हुई मुलाकात के दौरान जब रूस-यूक्रेन युद्ध विराम का मुद्दा उठा तो दोनों नेताओं में बहस हो गई। जेलेंस्की ने कहा कि वह युद्ध विराम मानने के लिए तैयार नहीं हैं। जेलेंस्की ने ट्रंप से कहा कि व्लादिमीर पुतिन के शांति के वादों पर भरोसा नहीं किया जा सकता। उन्होंने रूसी नेता के वादे तोड़ने के इतिहास को भी याद दिलाया। इस पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीधे तौर पर टीवी कैमरों के सामने जेलेंस्की को डांटा और कहा कि वह युद्ध हार रहे हैं।

ट्रंप ने जेलेंस्की को फटकार लगाई

ट्रंप ने कहा, आपके हाथ में कोई कार्ड नहीं है। उन्होंने कहा कि आप हमारा अनादर कर रहे हैं। हम तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ रहे हैं, आपको इसके साथ खेलने का कोई अधिकार नहीं है। आपको आभारी होना चाहिए. इस तरह से काम करना बहुत मुश्किल होगा। ओवल ऑफिस में बैठे हुए ट्रंप ने जेलेंस्की को फटकार लगाई और उन्हें ज्यादा “आभारी” होने के लिए कहा और कहा, “आप यह तय करने की स्थिति में नहीं हैं कि हम क्या महसूस करने जा रहे हैं?”

जेडी वेंस ने प्रोपेगैंडा यात्रा करने का आरोप लगाया

बहस में अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भी कूद पड़े और जेलेंस्की पर प्रोपेगैंडा यात्रा करने का आरोप लगाया। वेंस ने कहा, मुझे लगता है कि आपके लिए ओवल ऑफिस में आना और अमेरिकी मीडिया के सामने इस मामले पर मुकदमा चलाने की कोशिश करना अपमानजनक है।

मुलाकात के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने जारी किया बयान

मुलाकात के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने बयान जारी किया जिसमें जेलेंस्की के व्यवहार को अमेरिका के लिए अपमानजनक कहा। बयान में कहा गया कि 'आज व्हाइट हाउस में हमारी बहुत सार्थक बैठक हुई। बहुत कुछ ऐसा सीखा गया जो इस तरह की तपिश और दबाव की बातचीत के बगैर कभी नहीं समझा जा सकता था।

बयान में आगे कहा गया कि 'यह आश्चर्यजनक है कि भावनाओं के माध्यम से क्या सामने आता है, और मैंने यह निर्धारित किया है कि राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की शांति के लिए तैयार नहीं हैं यदि अमेरिका इसमें शामिल है, क्योंकि उन्हें लगता है कि हमारी भागीदारी उन्हें वार्ता में बड़ा लाभ देती है। मुझे लाभ नहीं चाहिए, मुझे शांति चाहिए। उन्होंने प्रिय ओवल ऑफिस में संयुक्त राज्य अमेरिका का अपमान किया। जब वह शांति के लिए तैयार होंगे तो वह वापस आ सकते हैं।'

जेपी नड्डा के बाद किसे मिलेगी बीजेपी की कमान? 15 मार्च तक मिल नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का ऐलान संभव

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बीजेपी को जल्दी ही अपना नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलने वाला है। मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल खत्म है और अब सबकी नजरें इस पर टिकी हैं कि अगला अध्यक्ष कौन होगा। राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम को लेकर सस्पेंस बरकार है। इस बीच खबर मिल रही है कि 15 मार्च तक बीजेपी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव हो जाएगा।

बीजेपी के अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा जल्द ही की जा सकती है। सूत्रों के मुताबिक यह ऐलान अगले दो हफ्ते के भीतर हो सकता है। पार्टी के संगठनात्मक चुनाव 12 राज्यों में पूरे हो चुके हैं और माना जा रहा है कि अध्यक्ष का नाम 15 मार्च से पहले घोषित किया जा सकता है। उसके बाद हिन्दू कैलेंडर के अनुसार अशुभ अवधि शुरू हो जाती है।

जेपी नड्डा का कार्यकाल पहले ही समाप्त हो चुका था लेकिन लोकसभा चुनावों के कारण उन्हें विस्तार दिया गया। अब जबकि आम चुनाव पूरे हो चुके हैं तो नए अध्यक्ष की घोषणा टल रही है। देरी का मुख्य कारण राज्यों में संगठनात्मक चुनावों की धीमी गति और राज्यों में असहमति को बताया जा रहा है।

बीजेपी अध्यक्ष के चुनाव के लिए कम से कम आधे राज्यों में संगठनात्मक चुनाव होना जरूरी है। पार्टी का संविधान कहता है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले संगठनात्मक चुनावों को कम से कम 50 प्रतिशत राज्यों में पूरा किया जाना चाहिए। अब तक 36 में से 12 राज्यों में यह प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और पार्टी तेजी से इसे अन्य राज्यों में भी पूरा करने की कोशिश में जुटी है। खासतौर पर उन राज्यों में चुनावी प्रक्रिया को प्राथमिकता दी जा रही है। जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। जैसे तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, असम और गुजरात। हालांकि बिहार में कोई बदलाव नहीं होने की उम्मीद है क्योंकि वहां इसी साल के अंत में चुनाव प्रस्तावित हैं।

पीएम मोदी की ईयू अध्यक्ष के बीच अहम बातचीत, साझेदारी को बढ़ाने के लिए गए कई फैसले

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यूरोपियन यूनियन (ईयू) की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन दो दिवसीय भारत दौरे पर हैं। यूरोपियन यूनियन के 27 देशों का प्रतिनिधित्व कर रही उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने शुक्रवार को नई दिल्ली स्थित हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की।इसमें भारत-यूरोपीय संघ रणनीतिक साझेदारी को नयी गति प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।बता दें कि उर्सुला वॉन डेर लेयेन ‘ईयू कॉलेज ऑफ कमिश्नर्स’ यानी समूह के 27 सदस्य देशों के वरिष्ठ राजनीतिक नेताओं के साथ भारत की यात्रा पर पहुंची हैं। ये सब तब हो रहा है जब अमेरिका की सत्ता में दोबारा डोलान्ड ट्रंप की वापसी हुई है और शपथ लेते ही ट्रंप ने दुनिया के कई देशों को धमकाना शुरू कर दिया है।

हैदराबाद हाउस में यूरोपीय आयोग की प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयेन के साथ बैठक के बाद संयुक्त प्रेस बयान में प्रधानमंत्री ने कहा, हमने कल विभिन्न मुद्दों पर ईमानदार और सार्थक चर्चा की। हमने अपनी टीमों से पारस्परिक रूप से लाभकारी एफटीए पर काम करने और इसे इस साल के अंत तक पूरा करने के लिए कहा है।पीएम मोदी ने कहा कि भारत और ईयू के बीच साझेदारी को बढ़ाने के लिए कई निर्णय लिए गए हैं। उन्होंने कहा, यह न केवल यूरोपीय आयोग की पहली भारत यात्रा है, बल्कि यह किसी देश में यूरोपीय आयोग की पहली ऐसी व्यापक भागीदारी भी है। यह यूरोपीय आयोग के नए कार्यकाल की शुरुआती यात्राओं में से एक है। मैं उन सभी का भारत में स्वागत करता हूं। 

साझेदारी को बढ़ाने के लिए कई फैसले लिए-पीएम मोदी

पीएम मोदी कहा, भारत और ईयू के बीच दो दशकों से स्वाभाविक और प्राकृतिक रणनीतिक साझेदारी है और इनकी विश्वास व लोकतांत्रिक मूल्य, साझा प्रगति और समृद्धि के प्रति साझा प्रतिबद्धता है। इसी भावना में आज और कल 20 मंत्री स्तरीय वार्ताएं हुईं। हमने विभिन्न क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर ईमानदार और सार्थक चर्चाएं की हैं। हमारी साझेदारी को बढ़ाने के लिए कई फैसले लिए गए हैं। व्यापार, प्रौद्योगिकी, निवेश, नवाचार, हरित विकास, सुरक्षा, कौशल पर सहयोग के लिए एक खाका तैयार किया गया है। 

निवेश संरक्षण और जीआई समझौते पर आगे बढ़ने पर चर्चा

प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि भारत और ईयू ने अंतरिक्ष संवाद शुरू करने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि दोनों ने ग्रीन हाइड्रोजन फोरम और ऑफशोर विंड एनर्जी बिजनेस समिट आयोजित करने का भी निर्णय लिया है। उन्होंने आगे कहा, हमने निवेश संरक्षण और जीआई समझौते पर आगे बढ़ने पर चर्चा की है, ताकि निवेश ढांचे को मजबूत किया जा सके। तकनीकी और नवाचार के क्षेत्र में एक भरोसेमंद और सुरक्षित मूल्य श्रृंखला हमारी साझा प्राथमिकता है। हम सेमीकंडक्टर, एआई और 6जी में सहयोग बढ़ाने पर भी सहमत हुए हैं। हमने अंतरिक्ष संवाद शुरू करने का भी निर्णय लिया है। पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था का संतुलन हमारी साझा प्रतिबद्धता रही है और इस दिशा में हमारा मजबूत सहयोग है। हमने ग्रीन हाइड्रोजन एनर्जी बिजनेस समिट आयोजित करने का भी निर्णय लिया है। 

लेयेन ने क्या कहा?

लेयेन ने कहा, यह दुनिया ख़तरों से भरी हुई है, लेकिन यूरोप और भारत के पास इस बदलते परिदृश्य में अपने संबंधों को फिर से परिभाषित करने का अवसर है। हम अलगाववाद के बजाय अधिक सहयोग से लाभ उठा सकते हैं। हमने प्रधानमंत्री मोदी के साथ इस सौदे को प्राथमिकता देने पर सहमति जताई है। समय और दृढ़ संकल्प बहुत जरूरी होगा, और आप इस सौदे को पूरा करने के लिए मेरी पूरी प्रतिबद्धता पर भरोसा कर सकते हैं। पीएम मोदी के नेतृत्व में संबंध बढ़ रहे हैं। ट्रेड और तकनीक काउंसिंल को नेस्ट लेवल पर ले जाना चाहिए।

इडली-सांबर की वजह से गोवा के टूरिज्म में गिरावट? बीजेपी विधायक के हैरान करने वाला दावा

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गोवा में पर्यटकों की संख्या में कमी आई है। गोवा के टूरिज्म में गिरावट के बीच बीजेपी के विधायक माइकल लोबो ने बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा, बीच पर इडली-सांबर बेचा जा रहा है जिसकी वजह से टूरिज्म में गिरावट दर्ज की जा रही है। विधायक माइकल लोबो ने कहा कि बीच शैक्स में इन दक्षिण भारतीय और मुंबई स्ट्रीट फूड की बढ़ती मौजूदगी, साथ ही चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण, विदेशी पर्यटक तटीय राज्य से दूर जा रहे हैं।

कैसे दक्षिण भारतीय व्यंजन पर्यटन को प्रभावित कर रहा?

उत्तरी गोवा के कलंगुट में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए लोबो ने कहा कि यदि गोवा में कम विदेशी आ रहे हैं तो इसके लिए अकेले सरकार को दोषी नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि सभी हितधारक समान रूप से जिम्मेदार हैं। लोबो ने इस बात पर अफसोस जताया कि गोवावासियों ने समुद्र तट पर स्थित अपनी झोपड़ियों को अन्य स्थानों के व्यापारियों को किराये पर दे दिया है। बीजेपी विधायक ने कहा कि बेंगलुरु के कुछ लोग झोपड़ियों में वड़ा पाव परोस रहे हैं। कुछ इडली-सांभर बेच रहे हैं। (इसलिए) पिछले दो साल से राज्य में अंतरराष्ट्रीय पर्यटन में गिरावट आ रही है। हालांकि विधायक ने यह नहीं बताया कि लोकप्रिय दक्षिण भारतीय व्यंजन उनके राज्य में पर्यटन को किस प्रकार प्रभावित कर रहा है।

युद्ध भी बन रहा वजह

लोबो ने यह भी कहा कि गोवा में पर्यटन में गिरावट को लेकर हंगामा मचा हुआ है और सभी हितधारकों को इसकी जिम्मेदारी उठानी होगी। उन्होंने आगे कहा, गोवा में नॉर्थ से लेकर साउथ तक पर्यटन में गंभीर गिरावट आई है और इसके कई कारण हैं। उन्होंने कहा कि जो विदेशी पर्यटक वर्षों से गोवा आ रहे हैं, वे लगातार आ रहे हैं, लेकिन नए पर्यटक, विशेष रूप से युवा गोवा की जगह दूसरी जगह का चुनाव कर रहे हैं। बीजेपी विधायक ने रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को भी इस का कारण बताया है। उन्होंने कहा, युद्ध की वजह से भी रूसी और यूक्रेनी पर्यटकों ने गोवा आना बंद कर दिया है।

व्हाइट हाउस में ट्रंप-जेलेंस्की मुलाकात पर दुनियाभर की नजर, हो सकती है ये बड़ी डील

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यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की अमेरिका दौरे पर पहुंच चुके हैं। यूक्रेनी राष्ट्रपति के शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिलने की उम्मीद है। वहीं दावा किया जा रहा है कि अमेरिका जेलेंस्की के साथ दुर्लभ खनिजों के “खजाने” को लेकर जील कर सकता है। वहीं, इस बैठक को रूस-यूक्रेन युद्ध के भविष्य का निर्धारण करने वाला एक निर्णायक मोड़ माना जा रहा है। तीन साल से जारी इस युद्ध के समाधान की और अमेरिका-यूक्रेन संबंधों को एक नई परिभाषा देने के लिए यह मुलाकात बेहद महत्वपूर्ण होगी। यही वजह है कि इस मुलाकात पर दुनियाभर की निगाहें लगी हुईं हैं।

राष्ट्रपति ट्रंप की सत्ता में वापसी के बाद राष्ट्रपति जेलेंस्की से यह पहली मुलाकात होगी, जो वैश्विक राजनीति को प्रभावित कर सकती है। इस बैठक में यूक्रेन को दी जाने वाली अमेरिकी सहायता, सुरक्षा गारंटी, रूस के साथ संभावित शांति समझौता और एक बड़े खनिज सौदे पर चर्चा होने की संभावना है। यह डील अमेरिकी सैन्य मदद के बदले यूक्रेन के दुर्लभ खनिज संसाधनों के इस्तेमाल से जुड़ी है।

इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को घोषणा की है कि यूक्रेन अमेरिका के साथ खनिज सौदा करने को तैयार है। ट्रंप ने दावा किया था कि यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की डील साइन करने शुक्रवार को अमेरिका के दौरे पर आएंगे।

दबाव और धमकियों के बाद डील

यह डील ट्रंप के दबाव और धमकियों के बाद हो रही है। जेलेंस्की ने खुलासा किया कि ट्रंप रूस के खिलाफ युद्ध में अमेरिका से अब तक मदद के नाम पर मिले लगभग 500 अरब डॉलर वापस मांग रहे हैं। जेलेंस्की ने कहा- अगर ट्रम्प को यूक्रेन के खनिजों के अधिकार नहीं देते हैं तो यूक्रेन की 10 पीढ़ियां 500 अरब डॉलर को चुकाने में खप जातीं।

सुरक्षा गारंटी का मुद्दा डील नाकाम कर सकता है

जेलेंस्की ने अमेरिका यात्रा को लेकर कहा कि मैं इस विजिट को बहुत पंसद करूंगा। यह सिर्फ एक शुरुआत है। इसकी सफलता राष्ट्रपति ट्रंप के साथ हमारी बातचीत पर निर्भर करेगी। उन्होंने स्वीकार किया कि एक बड़ा मुद्दा समझौते को नाकाम कर सकता है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन यह जानना चाहता है कि अमेरिका उसे दी जाने वाली सैन्य मदद को लेकर फिलहाल क्या रुख रखता है।

दरअसल यूक्रेन चाहता है कि सीजफायर समझौते के तहत उसे भविष्य में किसी भी रूसी हमले से सुरक्षा की गारंटी मिले, जबकि अमेरिका कोई भी गारंटी देने से इनकार कर चुका है। जेलेंस्की ने कहा कि खनिज सौदे से होने वाली कमाई यूक्रेन और अमेरिका के ज्वाइंट अकाउंट में जमा होगी और इसके बाद यूक्रेन अमेरिका कर्जदार नहीं रहेगा।

उत्तराखंड के चमोली में बड़ा हादसा, ग्लेशियर फटने से 57 मजदूर दबे, 16 बचाए गए

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हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी हो रही है। उत्तराखंड के ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी के बीच शुक्रवार को भारत-चीन (तिब्बत) सीमा क्षेत्र में माणा कैंप के पास भारी हिमस्खलन हुआ है। इस दौरान वहां निर्माण कार्य में लगे 57 मजदूर बर्फ में दब गए। अब तक 16 मजदूरों को निकाल लिया गया है। सेना व आईटीबीपी द्वारा रेस्‍क्‍यू कार्य जारी है। एयर फोर्स से मदद मांगी जा रही है। एनडीआरएफ की टीम को भी मूव कर दिया गया है।

सचिव आपदा प्रबंधन विनोद सुमन ने बताया कि चमोली बद्रीनाथ धाम में माणा गांव के पास गलेशियर आने से 57 मजदूर दब गए. हालांकि 16 को बचा लिया गया है। बाकी 41 मजदूरों की ढूंढ खोज जारी है। वहीं, चमोली के जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने बताया कि संचार व्यवस्था काफी टॉप पर होने की वजह से सही-सही जानकारी नहीं मिल पा रही है।

उत्तराखंड में चारधाम यात्रा की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है। इसी को देखते हुए बद्रीनाथ धाम से तीन किलोमीटर आगे माणा गांव के पास सड़क से बर्फ हटाने और उसकी मरम्मत का काम तेजी से चल रहा है। शुक्रवार सुबह के समय भी एक निजी ठेकेदार के 57 मजदूर सड़क पर से बर्फ हटा रहे थे, तभी अचानक से पहाड़ पर ग्लेशियर फटा और सभी के सभी मजदूर बर्फ में दब गए।

बता दें कि चमोली के ऊपरी इलाकों में कई दिनों से भारी बर्फभारी हो रही है। जिसकी वजह से गोपेश्वर चोपता मोटर मार्ग, हनुमानचट्टी से आगे बद्रीनाथ और नीतिघाटी मार्ग बर्फ़बारी के चलते बंद हो गए हैं। बद्रीनाथ धाम, हेमकुंड साहिब, फूलों की घाटी, नीति घाटी, चोपता समेत औली में जमकर बर्फबारी हो रही है और अभी तक 2 फिट से ज्यादा बर्फ जम चुकी है। मौसम विभाग ने पहले ही आज के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया हुआ था। यहां तक कि 32 सौ मीटर से ऊपर के एरिया में बर्फबारी होने की आशंका जताई थी। साथ ही एवलांच की आशंका भी जताई थी।

इस देश में 99 फीसदी मुसलमान, फिर क्यों जनता से बकरीद पर कुर्बानी ना करने की अपील

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उत्तर अफ्रीकी देश मोरक्को के राजा मोहम्मद VI ने आम जनता से ईद उल-अजहा यानी बकरीद के दौरान भेड़ों की कुर्बानी न देने की अपील की है। मोरक्को जहां मुसलमानों की आबादी करीब 99 फीसदी है, वहां ईद उल-अजहा के दौरान भेड़ों की कुर्बानी एक लंबी परंपरा है, लेकिन इस बार देश के राजा ने ही भेड़ों की कुर्बानी न देने की गुजारिश की है। दरअसल, मोरक्को भेड़ों की कमी से जूझ रहा है।

भेड़ों की कमी की वजह से मोरक्को के राजा मोहम्मद VI ने परंपरा से हटकर लोगों से ईद-उल-अजहा पर भेड़ नहीं खरीदने की अपील की है। मोरक्को के इस्लामी मामलों के मंत्री अहमद तौफीक ने कहा कि आर्थिक और जलवायु संबंधी चुनौतियों के कारण सालाना कुर्बानी और दावत देशवासियों की पहुंच से दूर हो गई है। सरकारी टेलीविजन ‘अल औला’ पर सुल्तान का पत्र पढ़ते हुए तौफीक ने कहा कि यह मोरक्को का कर्तव्य है कि वह यह स्वीकार करे कि पशुधन की कमी के कारण कीमतें आसमान छू रही हैं। सुल्तान की ओर से जारी पत्र में कहा गया है, कठिन परिस्थिति में कुर्बानी से खास तौर पर उन लोगों की भावनाओं को ठेस लगेगी जिनकी आय सीमित है।

भेड़ों की संख्या में 38% कमी

बता दें कि मोरक्को में भेड़ों की संख्या पिछले दशक में 38% कम हो गई है। इस साल बारिश औसत से 53% कम रही, जिससे चरागाहों की स्थिति खराब हो गई। इससे मवेशियों के चारे की समस्या गहरी हो गई है। इस कारण भेड़ और मवेशियों की संख्या में कमी आई है।

कुर्बानी का त्यौहार है ईद अल अजहा

ईद उल-अजहा, इस साल जून के पहले हफ्ते में मनाई जाएगी, मुसलमानों द्वारा मनाया जाने वाला एक बड़ा “कुर्बानी का त्योहार” है। इस दिन मुसलमान जानवरों की कुर्बानी करते हैं। इस परंपरा में इतनी गहरी पैठ है कि कई परिवार भेड़ खरीदने के लिए कर्ज लेने तक को मजबूर हो जाते हैं।

भगवान भरोसे हिमाचल की सरकार, आर्थिक संकट से जूझ रही सरकार ने मंदिरों से मांगी मदद

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हिमाचल प्रदेश आर्थिक बदहाली से जूझ रहा है। वहीं अब कांग्रेस सरकार इस आर्थिक संकट से उबरने के लिए “भगवान की शरण” में हैं। हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकट के बीच सुक्खू सरकार के पास अपनी योजनाओं को चलाने के लिए पैसा नहीं है। इसी के चलते अब सरकार ने प्रदेश के बड़े मंदिरों से पैसा मांगा है। सरकार ने मंदिरों को मिलने वाले चढ़ावे से धन की मांग की है। सीएम ने राज्य सरकार के तहत आने वाले सभी मंदिरों और उनको संभाल रहे स्थानीय डीसी को पत्र लिखा है और चढ़ावे के पैसे में से दो सरकारी योजनाओं के लिए पैसे देने का आग्रह किया है।

29 जनवरी को हिमाचल प्रदेश सरकार के भाषा एवं संस्कृति विभाग ने मंदिर ट्रस्ट को एक पत्र लिखा था और मंदिर कमेटियों से जरूरतमंद बच्चों की मदद का आग्रह किया। सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दो योजनाओं के लिए मंदिरों से आर्थिक सहायता मांगी है। इन दो सरकारी योजनाओं में पहली योजना का नाम है मुख्यमंत्री सुख शिक्षा योजना और दूसरी मुख्यमंत्री सुखाश्रय योजना।

सरकार की अपील पर डीसी ने मंदिर न्यास को आर्थिक मदद करने के लिए पत्र जारी किए हैं। पत्र में लिखा गया है कि मुख्यमंत्री सुखाश्रय और सुख शिक्षा योजना की मदद सरकार के अधीन आने वाले मंदिरों के ट्रस्ट भी करेंगे। भाषा एवं संस्कृति विभाग ने मंदिर कमेटियों से जरूरतमंद बच्चों की मदद का आग्रह किया है।

मुख्य आयुक्त मंदिर, सचिव भाषा एवं संस्कृति की ओर से जारी पत्र में कहा गया कि प्रदेश के सभी मंदिर न्यासों में चढ़ावे से हो रही आय के अनुरूप मुख्यमंत्री सुखाश्रय योजना के लिए धन जुटाया जाए। इस पत्र के संदर्भ में उपायुक्तों ने मंदिर न्यास के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं सचिवों को आदेश जारी किए हैं कि न्यास की बैठकें बुलाकर इस योजना के लिए धन का प्रावधान किया जाए।

हिमाचल प्रदेश के पूर्व सीएम और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सरकार की इस कमजोरी पर सवाल उठाया है।हिमाचल प्रदेश विधानसभा एलओपी ने कहा कि राज्य सरकार के नियंत्रण में लगभग 36 प्रमुख मंदिर हैं, और इन मंदिरों से सरकारी योजना को चलाने के लिए धन उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया है।एक तरफ, सुख सरकार सनातन धर्म का विरोध करती है, हिंदू विरोधी बयान देती रहती है और दूसरी तरफ, वह मंदिरों से पैसा लेकर सरकार की प्रमुख योजना चलाना चाहती है। सरकार मंदिरों से पैसा मांग रही है, और अधिकारियों पर पैसा सरकार को भेजने का दबाव डाला जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी सरकार के इस फैसले का विरोध करती है।

नीलम शिंदे के परिवार को मिला अमेरिका का वीजा, सड़क हादसे के बाद से कोमा में है भारतीय छात्रा

#father_of_indian_student_in_coma_gets_us_visa

अमेरिका में दुर्घटना के बाद कोमा में गई महाराष्ट्र की छात्रा के परिवार को वीजा मिल गया है। इससे पहले भारतीय छात्रा के परिवार ने केंद्र सरकार से मदद की गुहार लगाई थी। उनके पिता ने विदेश मंत्रालय से इमरजेंसी वीजा की अपील की थी। नीलम शिंदे कैलिफोर्निया में सड़क दुर्घटना के बाद जीवन के लिए संघर्ष कर रही है। नीलम महाराष्ट्र के सातारा जिले की रहने वाली हैं। 4 साल से अमेरिका में रह रही हैं।

नीलम शिंदे को 14 फरवरी को कैलिफोर्निया में कार ने टक्कर मार दी थी।उनके हाथ-पैर में फ्रैक्चर हैं। सिर में गंभीर चोट है।नीलम तानाजी शिंदे वर्तमान में कैलिफोर्निया के अस्पताल में कोमा की हालत में भर्ती हैं।नीलम के मस्तिक का ऑपरेशन होना है। इसके लिए परिवार का होना जरूरी है। ऐसे में महाराष्ट्र में रहने वाले उसके पिता अमेरिका जाने के लिए अर्जेंट वीजा की मांग की थी और केंद्र सरकार से मदद की मांगी थी।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) की नेता सुप्रिया सुले ने बुधवार को इस मामले को उठाया था। उन्होंने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा था, छात्रा नीलम शिंदे अमेरिका में दुर्घटना में घायल हो गई हैं और उन्हें स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है। सुले ने कहा, उनके पिता तानाजी शिंदे, सतारा, महाराष्ट्र से हैं, चिकित्सकीय आपातकाल स्थिति के कारण उन्हें अपनी बेटी से मिलने की तत्काल आवश्यकता है। तानाजी शिंदे ने अमेरिका जाने के लिए तत्काल वीजा के वास्ते आवेदन किया है और उन्हें सहायता की आवश्यकता है।

नीलम के परिवार के अनुसार, 14 फरवरी को वह शाम की सैर पर निकली थी, जब हादसे का शिकार हो गई। परिवार ने बताया कि यह हिट-एंड-रन मामला था। एक कार ने उन्हें पीछे से टक्कर मारी, जिससे उनके दोनों हाथ, पैर, सिर और छाती में गंभीर चोटें आईं हैं। दुर्घटना के बाद भारतीय छात्रा को कैलिफोर्निया के सैक्रामेंटो में सी डेविस मेडिकल सेंटर में भर्ती कराया गया, जहां उनका आईसीयू में इलाज चल रहा है।

नीलम शिंदे उच्च शिक्षा हासिल करने अमेरिका गई थी। वे वहां कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी में चौथे वर्ष की छात्रा थीं। नीलम शिंदे पिछले चार साल से अमेरिका में रह रही हैं। वे मास्टर ऑफ साइंस के अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रही थीं। एक साल पहले ही ब्रेन ट्यूमर से नीलम की मां का निधन हो चुका है।